मेरी इस बात को वो लोग ज्यादा अच्छी तरह समझ पाएंगे जो हमारे जैसे सख्त लोक डाऊन एरियाज में रह रहे हैं।
आज आटा समाप्त हो गया, 3 दिन पहले ही आर्डर लिखवाया था पर अभी तक नहीं आया, शायद शाम तक आ जायेगा। हमारे यहां आटा, दाल, चावल की सप्लाई प्रशासन करवा रहा है बस थोड़ी देर सवेर होती है जो स्थितियों को देखते हुए खराब नहीं कही जा सकती।
आज के हालात में अनायास ही 1965 कि याद आगई जब एक तरफ भारत पाकिस्तान युद्ध का बिगुल बजा हुआ था और दूसरी तरफ महा अकाल पड़ा था।
अमेरिका से PL480 के तहत गेंहू आता था जिसे गेंहूँ कहना भी गेंहूँ का अपमान ही माना जाना चाहिए। रंग ऐसा लाल की रोटी का रंग भी गहरा लाल ही होता था। आटे को लगाकर उसकी लोई को खींचो तो च्युंगम भी शरमा जाए। रोटी तोड़कर मुंह में डालकर चबाओ तो मुंह में ही घूमती रहे। और यह गेंहूँ भी गांव से 10 किलोमीटर दूर से सर पर रख कर लाना पड़ता था।
अभी भी याद है कि हमारे दिवंगत प्रधान मन्त्री स्व. लाल बहादुर शास्त्रीजी ने अनाज बचाने के लिए सभी को एक उपवास रखने की अपील की थी। ज्यादातर लोग सोमवार का उपवास रखते थे पर हम ठहरे ताऊ सो हमने मंगलवार को बजरंग बली का उपवास रखना शुरू कर दिया। हालांकि दस ग्यारह साल के बच्चे थे पर सभी में जज्बा था।
आज भी कोरोना काल में खासकर रेड जोन में रहने वालों से निवेदन है, जहां अभी नार्मल सप्लाई नहीं है, उन सभी से निवेदन है कि अपनी आवश्यकताएं कम करें, यहां आपके पैसे की कोई पूछ नही है वह जेब में ही रखा रह जायेगा। घर में जो भी उपलब्ध है उसी से काम चलाएं और घर में ही बने रहें। यह अंधकार भी छंट जाएगा।
हमारे यहां दूध की कोई दिक्कत नहीं है सो आज ब्रेकफास्ट में दही की लस्सी पी ली। और डिनर में आज खीर बनाकर खाई जाएगी। व्रत भी होगया और खीर भी शाम को मिल ही जाएगी।
दोस्तों, दुख और सुख दोनों अस्थाई हैं, यह तकलीफ का समय है ये भी बीत ही जायेगा। वैसे जिनके घर में छोटे बच्चे हैं उनकी तकलीफ समझी जा सकती है। पर याद रखिये यह तकलीफ 1965 से ज्यादा बड़ी नहीं है। जिन्होंने भी PL480 का गेंहूँ खाया है उनको तो यह पीड़ा कुछ भी नहीं लग रही होगी, थोड़ी बहुत तकलीफ बर्गर पिज़्ज़ा वाली पीढ़ी को अवश्य महसूस हो रही होगी।
घर में रहें, शांत रहे, घर में आपस में सर ना भिड़ाये। फेसबुक व ब्लाग पर भी हंसी मजाक को प्रमुखता दें, स्वस्थ चुहलबाजी आधी तकलीफ कम कर देती है।
प्रेम से रहेंगे तो आनन्द पूर्वक समय निकल जायेगा और सर टकराएंगे तो समय निकलना मुश्किल होगा। मर्जी आपकी, ताऊ का काम आपसे निवेदन करने का था सो कर दिया।
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
आज आटा समाप्त हो गया, 3 दिन पहले ही आर्डर लिखवाया था पर अभी तक नहीं आया, शायद शाम तक आ जायेगा। हमारे यहां आटा, दाल, चावल की सप्लाई प्रशासन करवा रहा है बस थोड़ी देर सवेर होती है जो स्थितियों को देखते हुए खराब नहीं कही जा सकती।
आज के हालात में अनायास ही 1965 कि याद आगई जब एक तरफ भारत पाकिस्तान युद्ध का बिगुल बजा हुआ था और दूसरी तरफ महा अकाल पड़ा था।
अमेरिका से PL480 के तहत गेंहू आता था जिसे गेंहूँ कहना भी गेंहूँ का अपमान ही माना जाना चाहिए। रंग ऐसा लाल की रोटी का रंग भी गहरा लाल ही होता था। आटे को लगाकर उसकी लोई को खींचो तो च्युंगम भी शरमा जाए। रोटी तोड़कर मुंह में डालकर चबाओ तो मुंह में ही घूमती रहे। और यह गेंहूँ भी गांव से 10 किलोमीटर दूर से सर पर रख कर लाना पड़ता था।
अभी भी याद है कि हमारे दिवंगत प्रधान मन्त्री स्व. लाल बहादुर शास्त्रीजी ने अनाज बचाने के लिए सभी को एक उपवास रखने की अपील की थी। ज्यादातर लोग सोमवार का उपवास रखते थे पर हम ठहरे ताऊ सो हमने मंगलवार को बजरंग बली का उपवास रखना शुरू कर दिया। हालांकि दस ग्यारह साल के बच्चे थे पर सभी में जज्बा था।
आज भी कोरोना काल में खासकर रेड जोन में रहने वालों से निवेदन है, जहां अभी नार्मल सप्लाई नहीं है, उन सभी से निवेदन है कि अपनी आवश्यकताएं कम करें, यहां आपके पैसे की कोई पूछ नही है वह जेब में ही रखा रह जायेगा। घर में जो भी उपलब्ध है उसी से काम चलाएं और घर में ही बने रहें। यह अंधकार भी छंट जाएगा।
हमारे यहां दूध की कोई दिक्कत नहीं है सो आज ब्रेकफास्ट में दही की लस्सी पी ली। और डिनर में आज खीर बनाकर खाई जाएगी। व्रत भी होगया और खीर भी शाम को मिल ही जाएगी।
दोस्तों, दुख और सुख दोनों अस्थाई हैं, यह तकलीफ का समय है ये भी बीत ही जायेगा। वैसे जिनके घर में छोटे बच्चे हैं उनकी तकलीफ समझी जा सकती है। पर याद रखिये यह तकलीफ 1965 से ज्यादा बड़ी नहीं है। जिन्होंने भी PL480 का गेंहूँ खाया है उनको तो यह पीड़ा कुछ भी नहीं लग रही होगी, थोड़ी बहुत तकलीफ बर्गर पिज़्ज़ा वाली पीढ़ी को अवश्य महसूस हो रही होगी।
घर में रहें, शांत रहे, घर में आपस में सर ना भिड़ाये। फेसबुक व ब्लाग पर भी हंसी मजाक को प्रमुखता दें, स्वस्थ चुहलबाजी आधी तकलीफ कम कर देती है।
प्रेम से रहेंगे तो आनन्द पूर्वक समय निकल जायेगा और सर टकराएंगे तो समय निकलना मुश्किल होगा। मर्जी आपकी, ताऊ का काम आपसे निवेदन करने का था सो कर दिया।
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
बहुत सही
ReplyDeleteताऊ पोस्ट यहीं तक है क्या ... नज़र नही आई ...
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