कोरोना वायरस और दुनिया की अर्थ व्यवस्था

कोरोना वायरस का भय अब सारी दुनियां में व्याप्त होता जा रहा है. अभी तक तो चीन से अपने अपने लोगों को रेस्क्यू करने तक ही बात सीमित थी पर पिछले दो तीन दिन से दुनियां के शेयर बाजारों पर इसका असर दिखने लगा था. आज पिछले कई सालों की हद तोडते हुये शेयर बाजारों ने निवेशकों को कंगाल बनाने में कोई कसर नहीं छोडी.

अमेरिका के शेयर बाजारों की देखा देखी एशियन मार्केट भी नीचे की तरफ़ मुंह करके खुले थे. बाद में यूरोपियन मार्केट्स ने इस मंदी को ओर हवा दे दी.

हमारे शेयर बाजारों में भी इसका पूरा पूरा असर दिखा. NSE का NIFTY 3,71% की गिरावट के साथ यानि 431.55 point गिरकर 11201.80 पर बंद हुआ वहीं BSE  का SENSEX 1448.37 point यानि 3.645% गिरकर 38297.29 पर बंद हुआ.

आज कोई भी सेक्टर ऐसा नहीं था जहां तबाही का मंजर नहीं रहा हो.

कोरोना वायरस ऐसी तबाही ला सकता है यह ज्यादातर लोगों को नहीं लग रहा था. ज्यादातर लोग समझ रहे थे कि यह चीन का मामला है पर इसके व्यापक असर अभी देखने को मिलेंगे.

सरकार को इंपोर्ट ड्यूटी में दस से बारह प्रतिशत तक गिरावट आने का अंदेशा जताया जा रहा है वहीं GST क्लेक्शन में भी कमी का डर अब सताने लगा है. और यह होना भी है क्योंकि ज्यादातर कच्चे पक्के माल का इंपोर्ट चीन से होता है तो जब माल आयेगा ही नही तो इंपोर्ट ड्यूटी कहां से मिलेगी और माल बिकेगा नहीं तो GST कहां से मिलेगा?

दवा उद्द्योग का अधिकतर कच्चा माल चीन से आयात होता है तो ऐसे में दवाओं की उपलब्धता में कमी भी हो सकती है और दवाओं के दाम बढना तो तय ही है.

एसी फ़्रीज टीवी मोबाईल जैसे उद्द्योग के लिये भी कच्चे पक्के माल का अधिकतर आयात चीन से ही होता है तो इनकि कीमतों में इजाफ़ा होना तय दिखाई दे रहा है. कुल मिलाकर कोरोना वायरस उम्मीद से ज्यादा क्षति पहुंचाता लग रहा है.

मेडिकल क्षेत्र के अनुसार दुनिया की अधिकतर आबादी इसकी चपेट में आ सकती है और अभी इसके प्रतिरोधक टीके की कोई संभावना ही नहीं दिखाई देती और उपलब्ध दवाओं की प्रचुरता नही है. ऐसे में ईश्वर सबकी मदद करे और जल्द से जल्द इस कोरोना वायरस को समाप्त करने का कोई रास्ता मिले.

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