आज सुबह सुबह ही ब्लागिंग के पितामह, घुटे घुटाये ब्लागर अनूप शुक्ल जी “फ़ुरसतिया” द्वारा दिये गये ज्ञान स्वरूप इस आलेख की शुरूआत कर रहे हैं.
आप बहुत अच्छा पढने वाले हैं और आप बहुत अच्छे टिप्पणी कार हैं. जैसे कवियों को तालियां वैसे ही ब्लागरों को आपकी टिप्पणियां प्रोत्साहित करती हैं. आप ब्लाग पर आयें और टिप्पणी करके हमारा उत्साह वर्धन
करें जिससे हम रायता बिखरें और आप मुफ़्त में रायता खाते रहें. तो अब कविता पाठ…सारी...सारी... अब आलेख की शुरूआत करते हैं….
अभी कल ही दिल्ली में
समीरलाल जी, राजीव तनेजा जी, खुशदीप सहगल जी, वंदना गुप्ता जी, डा. दराल साहब व अन्य
घुटे घुटाये ब्लागर्स ने ब्लागिंग को पुन: जिंदा करने के लिये गहन विचार विमर्श कोल्ड
ड्रिंक की चुस्कियों के बीच किया. अब बताईये किसी में जान डालने के लिये कोल्ड ड्रिंक
से काम चलता है क्या? बताओ मितरों, भाईयों और बहनों? अरे ब्लागिंग तो पहले ही ठंडी हुई पडी
है और आप ऊपर से ठंडा पीये जा रहे हैं….ब्लागिंग को जिंदा ही करना है तो कुछ गर्म पीते…पिलाते.
ताऊ जैसे कुछ रायता फ़ैलाऊओं को बुलाकर सलाह लेते. ब्लागरों, रायता बडे काम की चीज है….याद
किजीये पुराने जमाने को जब सारी ब्लाग दुनियां में रायते की नदियां बहा करती थी और
वो ब्लागिंग का स्वर्णिम काल कहलाया.
अभी परसों शिवरात्रि
पर ताऊ उज्जैन चला गया था और वहां महानकाल का महा प्रसाद ले लिया, उसने ऐसा रंग दिखाया
कि सर नीचे और पांव ऊपर हो गये. महा प्रसाद का नशा घर लौटने तक नहीं उतरा तो ताई ने
बेहतरीन रायता फ़ैलाकर नशा उतारा. एक दम खट्टे दही से बूंदी और मिक्स फ़्रूट का रायता बनाया, उसमे अपना
मेड-इन-जर्मन लठ्ठ भिगो भिगो कर जो ताऊ की पीठ पर बजाये तो एक दम से नशा काफ़ूर हो गया.
तो सभी ब्लागर बंधुओं
से निवेदन है कि ब्लागिंग का यदि जीर्णोदार करना है तो रायता फ़ैलाना ही एक मात्र ईलाज है.
जितना रायता फ़ैलाओगे उतनी ही ब्लागिंग जीवित होती जायेगी. ब्लागिंग के स्वर्णिम काल
में कितना रायता फ़ैला हुआ रहता था? कसम से हमने तो कभी उस जमाने में घर में रायता या
सब्जी नहीं बनाई. उसी रायते से दोनों टाईम की रोटी खा लेते थे….आज कम से कम सौ डेढ
सौ रूपये की सब्जियां खरीदनी पडती हैं…..
और हां यदि रायता फ़ैलाना
ही हो तो ब्रांडेड यानि अमूल, ब्रिटानिया, मदर डेयरी या अन्य किसी के दूध दही से काम
नहीं चलेगा बल्कि आपके लोकल मोहल्ले वाले का दही लेवें जो बिल्कुल सडा गला रखता हो
तो यह ज्यादा असर कारक रहेगा. पैसे भी कम लगेंगे और रिजल्ट सटीक मिलेगा.
मेरी नेक सलाह है कि ब्लागिंग
का जीर्णोद्धार करने को एक “रायता फ़ैलाऊ समिति” बनाई जाये और उसे यह काम सौंप दिया
जाये. यदि कोई अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं हो तो ताऊ यह कुर्बानी दे सकता है बशर्ते
कोषाध्य्क्ष का पद भी ताऊ को दे दिया जाये.
ताऊ की रायता फ़ैलाऊ
क्षमता देखनी हो तो शाहीन बाग का रायता देखिये जिसमें बूंदी, मिक्स फ़्रूट और आलू सहित तमाम तरह के रायते बिखेरे गये हैं और जो आज तक नहीं सिमटा है और अब ताऊ अहमदाबाद
में ट्रंप के आगमन के लिये रायता फ़ैलाने के ईवंट में जुटा है.
ध्यान रहे कि रायता फ़ैलाना इतना आसान नहीं है. हर काम के हिसाब से अलग अलग प्रकार का दही और वस्तुएं काम में ली जाती है. आप तो बस बूंदी, आलू और फ़्रुट रायता ही जानते हॊंगे. पर मर्ज के अनुसार लौकी, कद्दू, करेला, बथुआ, गोभी, वेज, नानवेज इत्यादि कई प्रकार के रायते काम में लिये जाते हैं. और ताऊ ने रायता फ़ैलाने में पी.एच.डी. की हुई है.
सभी ब्लागर्स से निवेदन है कि "रायता फ़ैलाऊ समिति" के अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष पद के लिये ताऊ को ही वोट करें.
सभी ब्लागर्स से निवेदन है कि "रायता फ़ैलाऊ समिति" के अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष पद के लिये ताऊ को ही वोट करें.
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
हा हा यह । अच्छा स्वादिष्ट रायता बना है ।
ReplyDeleteआदरणीय ताऊ!
Deleteअपना सम्पर्क नम्बर मेरे मेल में भेजने की कृपा करें।
:) खूब रायता फैलाइए
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (22-02-2020) को 'स्वाभिमान को गिरवी रखता' (चर्चा अंक 3621) पर भी होगी।
Delete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
घुटे घुटाए ब्लॉगरों के बाद अब कुटे कुटायों ब्लॉगरों की बारी������
ReplyDeleteवैसे पितामह की जगह 'ब्लॉगिंग के डायनासोर' भी सटीक रहता☺☺
Deleteतो आखिर दो दिन से संभाल कर रखा रायता फैला ही दिया आपने ।
ReplyDeleteऐसी तैसी कमेटी कि जब तक उसमें हम ना हो, रंगों से डर ही लोगों के दिलों दिमाग से निकल गया, लगता है दो-चार से पंगा लेना ही पड़ेगा
ReplyDeleteहम सब मिलकर ब्लॉग जगत में एक नई जान अवश्य ही फूंक सकते हैं ।
ReplyDeleteकदाचित, ब्लॉग लेखकों को फेसबुक या अन्य माध्यमों का सहारा लेना पड़ता है और पाठकगण मी वहीँ अपनी टिपण्णी अंकित कर अपनी जवाबदेहियों से मुक्त हो जाते हैं ।
फलतः, ब्लॉग व ब्लॉगर की रचनाओं को उचित स्थान नही मिल पाता है। कभी-कभी ब्लॉग के कवियों को स्तरहीन तक कहा जाता है। ब्लॉग की समृद्धि हेतु एक सघन सामुहिक प्रयास की आवश्यकता है।
शेष ईश्वर की इच्छा।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 24 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteस्वागत व शुभकामनाएं !
ReplyDeleteरायता
ReplyDeleteअच्छा है
ReplyDeleteरायता हमारी समझ से बाहर है। ताऊजी से क्षमाप्रार्थना के साथ, सादर।😊
ReplyDeleteरायता फैलाऊ समिति.....
ReplyDeleteवाह!!! बहुत ही सुन्दर।
हाय मेरी टिप्पणी रायते में कहां खो गई?
ReplyDeleteसमिति के सभी गुणीजनों के लेखन को पढ़ना सुखद अनुभव होगा ।
ReplyDelete