उडते पंछी का सारा आकाश…. होता है और संकट में फ़ंसे भक्तों की सहायक
माता बखेडा वाली होती है. यह बात कल अच्छी तरह साबित हो गई. कल हुये षडयंत्र की चपेट
में आकर जिस जिसने भी माता बखेडा वाली का सवा रूपये का परसाद बांट दिया वो इस षडयंत्र
से बच गया वर्ना तो कोई भी इसकी चपेट में आने से नही बच पाया. शहर के कुल 450 बिजली
सप्लाई के फ़ीडर हैं जिनमें से 446 बंद हो चुके थे.
वैसे तो सारे देश में ही वीवीआईपी एरिया को छोडकर रोज ही बिजली देवी
की नाराजी का सामना सभी को करना पडता है. पर हमारा शहर इस मामले में किसी वीवीआईपी
क्षेत्र से कम नही है. नई उम्र के बच्चे तो पावर कट क्या होता है यह जानते ही नहीं
हैं. इस युग में जिस भक्त पर बिजली देवी की कृपा बनी रहती है उससे बडा पुण्यात्मा कोई
नही हो सकता. हमारे शहर के वाशिंदे और किसी की पूजा पाठ चाहे करें या ना करें पर बिजली
देवी के मंदिर में नित्य श्रद्दापूर्वक आरती जरूर करते हैं. पर कल रात हमारे शहर से बिजली देवी किसी षडयंत्र
का शिकार होकर अचानक घर से निकल ली. अब देवी देवताओं का आप क्या बिगाड़ लोगे? उनका मूड हो गया तो हो गया और निकल लिए दूर दराज के क्षेत्रों में लंबे भृमण पर.
यदि किसी की बहु बेटी इस तरह चार छ: घंटे या रात भर घर से बाहर रह
जाये तो वापसी पर सारे मोहल्ले में कानाफ़ूसी शुरू होकर, अग्नि परीक्षा की तैयारी
शुरू हो जाती है. घर वालों को उसके शादी विवाह में उत्पन्न होने वाली रूकावटों के सपने
आने लगते हैं. पर बिजली देवी इन सब से परे
हैं…. उनको कुछ कहने की हिम्मत भला कौन कर
सकता है? घरवाले तो छोडिये बल्कि मुहल्ले वाले भी उनके लौटने पर, डर के मारे इल्जाम
लगाना तो दूर बल्कि परसाद बांटकर खुशियां मनाते
उनकी आरती गाते हैं.
आप देवी हो तो ठीक है पर आपको भी कम से कम आये गए मेहमानों का तो ख्याल रखना चाहिए कि नही?
बिजली देवी को इतनी भी शर्म नही आई कि शहर में प्रतिष्ठित मेहमान आये हुए हैं जरा उनका तो लिहाज किया होता, ये क्या
बात हुई की बस मुंह उठाया और निकल ली सैर सपाटे पर. चलो कोई बात नही लोकसभा अध्यक्ष तो हमारे शहर की अपनी सम्माननीय "ताई" हैं पर वेंकया नायडू जी और अन्य गणमान्य नेतागण भी इंदौर को प्रणाम करने आये थे. क्या इज्जत
रह गई हमारे शहर की? बिजली देवी की इस शर्मनाक हरकत ने हमारा मुंह शर्म से नीचा करवा
दिया मेहमानों के सामने.
एक तरफ़ तो हमारे शहर को
नंबर वन क्लीन सीटी का अवार्ड मिला है और दूसरी तरफ़ यह हरकत? जी तो करता है खेत फ़ट
जाये और बिजली देवी को उसमे दफ़न कर दें….पर क्या करें हमारी भी मजबूरी है. अब ये कोई बात हुई की मेहमान शहर को प्रणाम करने
आये हैं और आप उनकी उपस्थिति में इस तरह की शर्मनाक हरकत करें?
लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि जरूर कोई ना कोई बिना बताये बिजली देवी को बहला फ़ुसला कर ले गया होगा, या यह भी हो सकता है कि उनका अपहरण हुआ हो?
कोई भी नहीं मानेगा कि इतनी शरीफ़ और नेक बिजली देवी अपने मन से इस तरह की ओछी हरकत
को अंजाम दे सकती हैं. हम तो मांग करते हैं कि इस षड्यंत्र की सीबीआई जांच होनी चाहिए. ये जरूर "प्रणाम इंदौर" कार्यक्रम को विफल करने की विपक्षी साजिश लगती है.
पहले तो वायु देवता ने जबरन अपना जोर दिखाकर पंडाल उड़ा दिया, पेड़ उखाड़ डाले और सारा ट्रैफिक गुथमगुथा करवा दिया….पाव आधा किलोमीटर चलने में तीन तीन चार चार
घंटे लग गये. फिर इस षड्यंत्र में जल देवता भी शामिल हो गये. लोगों को बून्द बून्द तरसाने वाले जल देवता ने बिना बात सवा दो इंच पानी सड़कों पर बिखरा दिया जो किसी के काम नही आया बल्कि घुटनों तक सड़क पर भरकर वाहन चालकों को घुटनों पर ला दिया. एक तरफ़ जल देवता ये बहाना बनाकर लोगों को पानी
के लिये तरसाते हैं कि अब तुम मनुष्यों ने पर्यावरण बिगाड दिया तो हमारे पास पानी ही
नही बचा…..वाह जल देवता आपके पास भी जल की जमाखोरी करके काला बाजारी करने के अच्छे
बहाने हैं…..करो आप भी काला बाजारी करो खूब…दिल्ली जल निगम वालों के साथ आप भी मिले
हुये लगते हो…
हम तो साफ़ इल्जाम लगा रहे हैं कि यह सब विरोधियों ने साजिश की है.
जल देवता व वायु देवता को हवन पूजन की रिश्वत थमाकर इस षडयंत्र को अंजाम दिया गया है.
इसके बिना यह सब संभव ही नही था, साथ ही बेचारी सीधी शरीफ़ और नेक बिजली देवी को भी लच्छेदार
बातों में फ़ंसाकर इस षडयंत्र में शामिल कर लिया या अपहरण किया, यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा.
ऐसा षडयंत्र रचा गया कि सब तरफ़ अफ़रा तफ़री मच गई. “प्रणाम इंदौर” का पंडाल टूट टाटकर शहरियों पर गिरने में पूरा हो गया. इसकी भयावहता देखिये कि मुख्य सेवक यानि मामाजी को घायलों से मिलने अस्पताल भी जाना पडा और घायलों को पचास पचास हजार मदद के नाम पर भी देना पडे. हम तो अब पछता रहे हैं कि यहां घर में बैठे रहने की बजाय कार्यक्रम में जाकर घायल हो लेते तो पचास हजार की कमाई तो हो ही जाती.
ऐसा षडयंत्र रचा गया कि सब तरफ़ अफ़रा तफ़री मच गई. “प्रणाम इंदौर” का पंडाल टूट टाटकर शहरियों पर गिरने में पूरा हो गया. इसकी भयावहता देखिये कि मुख्य सेवक यानि मामाजी को घायलों से मिलने अस्पताल भी जाना पडा और घायलों को पचास पचास हजार मदद के नाम पर भी देना पडे. हम तो अब पछता रहे हैं कि यहां घर में बैठे रहने की बजाय कार्यक्रम में जाकर घायल हो लेते तो पचास हजार की कमाई तो हो ही जाती.
वैसे है कोई दूसरा माई का लाल ऐसा मुख्य सेवक….जो अपनी प्रजा का
इतना ध्यान रखे? हमें तो छत्रपति शिवाजी महाराज की याद आने लगी है… कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे लोगों में कई घायल हो
गये तो लाडली बिटियाओं के प्यारे मामाजी ने पंडाल से निकलने को मना कर दिया और बोले
जब तक पंडाल से एक एक आदमी नहीं निकल जाता तब तक मैं बाहर नहीं निकलूंगा और खुद की
गाडी भी घायलों को अस्पताल भिजवाने में लगा दी और खुद दूसरी गाडी से रेस्ट हाऊस पहुंचे
और फ़िर वहां से अस्पताल पहूंचकर घायलों का हालचाल पता किया. मुख्य सेवक हो तो ऐसा.
इस षडयंत्र से बचे लोग, जो इंदौर को प्रणाम करने नही गये थे और अपने
घरों में ही थे उनको परेशान करने के लिए वायु देवता और जल देवता ने बिजली देवी को भी बहला फुसला कर अपने षड्यंत्र में शामिल कर लिया. वर्ना
बिना बहकावे में आये इतनी शरीफ़ बिजली देवी ऐसा कभी नही कर सकती थी. जिस शहर के लोगों को ये भी नही मालूम हो कि बिजली जाना यानी पावर कट किसे कहते हैं? उनकी हालत आप समझ सकते हैं कि क्या हुई होगी?
दबी जबान से लोग यह भी कहते हुये पाये गये हैं कि किसान आंदोलन करवा कर अपनी नेतागिरी चमकाने वाले नेताओं ने ही इन देवी देवताओं को प्रसन्न करके इस षड्यंत्र को अंजाम दिया है…. जिसमे उन्होंने जल व वायु देवता को प्रसन्न किया और कोढ में खुजली करने के लिये बिजली देवी को भी घर से बहला फ़ुसला कर या अपहरण करके लेजाने की सुपारी इन्हीं दोनों देवताओं ने ली थी. कल तक दूध और सब्जी की मार झेलते शहर को पूरी तरह अस्त व्यस्त कर दिया गया.
दबी जबान से लोग यह भी कहते हुये पाये गये हैं कि किसान आंदोलन करवा कर अपनी नेतागिरी चमकाने वाले नेताओं ने ही इन देवी देवताओं को प्रसन्न करके इस षड्यंत्र को अंजाम दिया है…. जिसमे उन्होंने जल व वायु देवता को प्रसन्न किया और कोढ में खुजली करने के लिये बिजली देवी को भी घर से बहला फ़ुसला कर या अपहरण करके लेजाने की सुपारी इन्हीं दोनों देवताओं ने ली थी. कल तक दूध और सब्जी की मार झेलते शहर को पूरी तरह अस्त व्यस्त कर दिया गया.
देवताओं के द्वारा यह षड्यंत्र किसके कहने पर रचा गया इसकी उच्च स्तरिय जांच होनी
चाहिये और जरूरत हो तो एक जेपीसी का गठन भी किया जाना चाहिये.
बिजली देवी तो हमेशा से बिंदास रही है, चाह ले तो vip को भी अपनी चपेट में ले ले
ReplyDelete....
उसके बोल याद हैं न
"बिजली हूँ मैं तो बिजली
.... चमकूं इधर, चमकूं उधर
मैं चाहे जिधर भी जाऊँ "
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (08-06-2017) को
ReplyDelete"सच के साथ परेशानी है" (चर्चा अंक-2642)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बिना नेतागिरी के कोई काम ही कहाँ होता है हमारे देश में!
ReplyDeleteबहुत खूब!
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्म दिवस : ख्वाजा अहमद अब्बास और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteहमारे यहाँ बिजली देवी को तो कुछ नहीं होता हवा पानी से लेकिन टीवी देवता गायब हो जाते है डीटीएच देवी के साथ | डिश महाराज आने का रास्ता ही नहीं देते |
ReplyDeleteएक कमीशन कागठन बनता है ताऊ !
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