आदत के मुताबिक घूमने
जाने की बजाये हम रमलू की चाय की गुमटी पर बैठे चाय की चुस्कियां सी लेते हुये शाम
का अखबार बांच रहे थे कि हमारी नजर अचानक सामने से एटीआर हवाईजहाज की तरह फ़डफ़डाते से
आते हुये संटू भिया कबाडी पर टिकी. वो सीधे लैंड करते हुये बेंच पर हमारे बगल में टिक
लिये. हमने जरासा खिसकते हुये उन्हें लैंड करने की पर्याप्त जगह देते हुये पूछा – यार
भिया, आप ये इतनी हवाई गति से आके क्यों टिके हो? चाय की गुमटी कहीं भागी जा रही थी
या चाय यूरेनियम की तरह दुर्लभ होने जा रही थी.
भिया नाराज से होते
हुये फ़डफ़डाकर बोले – यार देखो, तुम्हारी कसम… तुम हर बखत हा… हा.. ठी… ठी.. वाली बात
हमसे ना किया करो कसम से, वर्ना कसम से हम ताई के पास जाकर तुम्हारी पोल खोल देंगे
कि तुम घूमने जाने की बजाये यहां रमलू की घुमटी पर अड्डेबाजी करते रह्ते हो. ये सुनकर
हमने भिया को पुचकारते हुये से अपनी और खींचा तो भिया उवाचने लगे कि ….यहां हमारी जान
निकले जा रही है और तुमको मजाक सूझ रही है. हमने गंभीर बनने की कोशीश करते हुये कहा
– लो ये लो, हम गंभीर हो लिये अब बताओं समस्या क्या है? भिया बोले – तुम यहां से जल्दी
उठो और हमारे साथ चलो, समस्या जहां है वहीं बतायेंगे.
हम क्या करते? हमारी
तो कमजोर नश भिया ने पहले ही दबाकर अपनी पूंछ से बांध रखी थी सो चुपचाप उठ लिये और संटू भिया की खटारा लूना पर पीछे की तरफ़
लद से लिये. और भिया फ़रार्टे से लूना को दौडाते हुये अपने कबाडखाने वाले गोदाम पर आकर
ही रूके.
वहां पडे एक टूटे से
बेंत के मुड्डे को हमारी तरफ़ खिसकाते हुये भिया खुद अपनी लोहे वाली सीट पर आसीन हो
लिये. पास में ही दूर तक जूते चप्पलों की बारात सी लगी थी जिनमें से कुछ अजीब सी लडने
भिडने की आवाजे सी आ रही थी…..हमने भिया की तरफ़ देखा…..वो आंखे गोल करते हुये बोले….यही
तो समस्या है, वर्षों से इन चप्पलों का ढेर पडा था कोई खरीदने को राजी नही था पर अचानक
से पता नहीं कहां से डिमांड खडी हो गई? बेचने के लिये बाहर निकाला था और अब इन्होंने
महाभारत शुरू कर दिया….कि पहले मैं बिकूंगी….पहले मैं बिकूंगा….
हम भिया की सारी बात
समझ गये और ध्यान से उस ढेर में से एक आऊट डेटेड अभिनेत्री सी दिख रही बूढ्ढी सी चप्पल
से पूछा कि आप लोग लड भिड रहे हो या किसी फ़िल्म की शूटिंग कर रहे हो? वो आह सी भरती
हुई बोली – अब क्या बताऊं, शूटिंग तो मैं जब माधुरी के साथ थी तब किया करती थी, जब
आऊट डेटेड हो गई तो तीन चार जगह रिसेल में
बिकते बिकते इस मुए कबाडी को बेच दी गई….पर अब मेरे दिन फ़िर से फ़िरने वाले हैं पर इस
बुढ्ढे खूसट ताऊ जैसे दिख रहे जूते को मेरी खुशी हजम ना हो रई है….
अब हमने वाकई ताऊ सदृष्य दिख रहे काले कलूटे मोटी चमडी वाले उस
जूते की तरफ़ देखा तो वो बडी ऐंठ और बेशर्मी से बोला - ये देखो
छुई मूई सी, भगवान कने जाने को तैयार हीरोईन.. कैसे इतरा रही है? इन्हें गरूर हो चला है कि अब इनका
रसूख बढ जायेगा….अरे क्या रसूख बढेगा? ये 25 ग्राम की जिराफ़ जैसी दिखने वाली क्या कर
लेगी? इनके तो ये हाल हैं कि शोहदे छोरे भी बार बार आकर इनसे पिटना चाहते हैं और पिटने
में भी इनके मजे लेते हैं और एक हमको देखो….जिसकी खोपडिया पर एक बार टिक जाये तो वो
दुबारा पास आने का नाम ना ले.
अब वो अभिनेत्री की
चप्पल औरताना अंदाज में चीखती हुई सी बोली – अरे ओ ताऊ के बुढ्ढे खूसट जूते…ये पीटने
पिटाने जैसे काम तुम जैसे लफ़ंगों को ही शोभा देते हैं. हम तो खाली आत्म रक्षा में इस
उपाय को अपनाती हैं और मैं बात यहां पीटने पिटाने की नहीं कर रही हुं. तुम्हे क्या
पता होगा? तुम पढे लिखे तो हो नहीं सो कहां से पता होगा? मैं बताये देती हूं कि अब
हमें पहनने वाले भी हवाई जहाज में घूमेंगे और तुम यहीं पडे रह कर सडते रहना संटू भिया
के कबाडखाने में…..
उस अभिनेत्री चप्पल
की बात सुनकर वहां मौजूद सभी घिसी पिटी मजदूराना टाईप की चप्पलों के मुंह पर चमक आगई
और एक पुराने रबर के टायर से बनी जनाना मर्दाना चप्पल ने पूछा – देखों बहन तुम तो हम
सब की लीडर हो, कहीं तुम एकेली ही मत चले जाना हवाईजहाज से घूमने….हमें भी साथ लेकर
चलना….
तभी बीच में उसकी बात
काटते हुये ताऊ और उसके जैसे फ़टे पुराने काले कलूटे जूते जोर जोर से हंसते हुये शोर
मचाने लगे….जनाना मर्दाना रबर वाली चप्पल की आवाज उनके शोर में ही दब गई और वो ताऊ
जूता बोला – अरे जब झूंठ मूंठ की ही मिठाई खानी है तो गुड क्यों खाती हो बल्कि मावे
छैने की मिठाई खावो…तुम चप्पल लोग क्या सोचती हो कि तुम हवाई जहाज में घूमोगी? ऐसा
कभी नही होगा. आरक्षण की तरह तुम लोगों को 50 प्रतिशत कोटा मिला है और हम ताऊओं के
रहते तुम्हारा कोटा तो ट्रेवल एजेंसियों के मार्फ़त हम ताऊ ही जीम जायेंगे…..हूंह…बडी
आई…. हवाई जहाज में घूमने वाली कहीं की…..
excellent post
ReplyDeleteSelf Book Publisher India