रमलू की गुमटी पर चाय
सुडकते हुये हम अखबार बांचे जा रहे थे. आज का सबसे गर्म मुद्दा लालबत्ती ही अखबार में
छाया हुआ था. जिधर देखो लालबत्ती पर हाहाकार मचा हुआ है. कहीं मेमसाहब गमजे में हैं
तो कई मंत्री सरकारी अधिकारी अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. क्या इसी दिन के लिये
IAS….IPS की दिमागतोडू पढाई की थी? अब सारी उम्र खास के बजाये आम आदमी बनकर रहना पडेगा……इन्हीं
सब खबरों से अखबार का पन्ना भरा पडा था और हम इन्हीं खबरों को बांचे जा रहे थे कि इतनी
देर में “संटू भिया कबाडी” आ पहुंचे…. आते ही उन्होंने कडक कम मीठी ज्यादा वाली चाय
का आर्डर दे मारा और हमारे पास ही सट लिये.
भिया ने हमारी तरफ़
देखते हुये बातचीत की शुरूआत करते हुये कहा – ताऊ में तो कल का तुमारे पास ही आने का
सोच रिया था पर कसम झंडू बाबा की…टेम ही नी लगा. हमने पूछा – भिया ऐसा कौनसा जरूरी काम
आ लगा था जो ह सरीखे के फ़ालतू आदमी के पास तुमको आना पड रहा था. संटू भिया बोले – देखो
ताऊ, मजाक की बात नी है, भौत अंदर की बात हैगी सिर्फ़ तुमारे को बता रिया हूं और ताऊ
पीलान ऐसा है कि तुमारी और मेरी दोनों की जिनगी बन जायेगी, तुम भी क्या याद करोगे.
अब हमारी उत्सुकता
जागी कि भिया के पास ऐसा कौनसा प्लान आगया जो इस तरह की बहकी बहकी बातें कर रहे हैं.
जिंदगी तो पप्पू की नही बनी जो इत्ती बडी पार्टी का सर्वेसर्वा बनकर भी वहीं का वही भी नही रहा. और यहां हमारे पल्ले तो पैदायशी तौर पर कुछ है ही नही. तभी संटू भिया बोले – देख ताऊ, अंदर
की खबर हैगी कि लालबत्ती वापस आयेगी भौत जल्दी ही…..
हमने बात बीच में काटते
हुये कहा – यार भिया, तुम भी ना, आज शाम शाम को ही गटक आये क्या? अरे लोग सुबह सुबह
ऊंची नीची देते हैं और तुम शाम को देने लगे?
संटू भिया थोडे झुंझलाते
हुये बोले – यार ताऊ, तुमायी कसम…तुममे ना ये एक भौत बडी कमजोरी हैगी कि सामने वाले
की पूरी बात तो सुनते नहीं हो और बात को पल्ले सिरे से पेले ही ले उडते हो. तुम जरा
पूरी बात तो सुनो हमायी. हमने कहा ठीक है सुनाईये.
संटू भिया बोले – बात
ये है कि आजकल हमायी कबाडे की दुकान में भौत ज्यादा उतारी हुई लालबत्तियां इकठ्ठी हो
गई हैं. शुरू शुरू में तो हमने एक रूपये में एक के हिसाब से खरीदी थी और अब हालत ये
है कि लोग मुफ़्त में हमारे गोदाम पे पटक पटक के जा रिये हैं. हमारे दिमाग में एक आईडिया
आया है और इस आईडिये को तुम अंजाम तक पहुंचा सकते हो और हम कसम झंडू बाबा की, तुमको एक
चवन्नी का पार्टनर बना लेंगे इस लालबत्ती वाले पीरोजेक्ट में…
हम भिया का मुंह देखे
जारहे थे और वो बोले जा रहे थे…..
ताऊ सरकारी कामकाज
ऐसे हैंगे कि आज बंद कल चालू…..जैसे रोड के बीच आज डिवाईडर बना दिया फ़िर तीन महिने
बाद तोड दिया….चौराहे को कभी रोटरी बना दिया फ़िर उसे तोड कर फ़ौवारे फ़िट कर दिये. हमारा
मतलब ये हैगा कि इसी बनाने तोडने के काम से ठेकेदारों, अफ़सरों और नेताओं की रोजी रोटी
चलती हैगी. अब तुम ठहरे नेता आदमी…तो हमारे साथ इस लालबत्ती के काम में साझेदारी कर
लो.
हम भिया की बाते सुन
सुन कर पक चुके थे, हमने कहा – संटू भिया आप घर जावो और हमें भी जाने दो….आज आपका चित
ठिकाने पर नही है.
संटू भिया बोले – देख
ताऊ, हमने तुमारा वो ईवीएम वाला काम करवाया था ना? सारी ईवीएम ऐसी सेट करके दी थी कि
तुम चुनाव जीत गये थे. हमारे इस एहसान के बदले ही साझेदारी कल्लो हमसे इस पीरोजेक्ट
में……बस माल हमारा और काम तुमारा. अब कोई ऐसा चक्कर चलावो कि सरकार वापस लालबत्ती लगाने
की घोषणा कर दे और हमारे पास जो स्टाक में बत्तियां इकठ्ठी हो गई हैं उन्हें हम सप्लाई
करके लाखों करोडों के वारे न्यारे कर लें और ईमानदारी से चवन्नी मुनाफ़ा तुमारा….देखो मना मत करना, हमको मालूम है
कि तुम भौत ही ऊंची चीज हो…बस चक्कर चलादो कुछ… हमें ये पक्का पता चला है कि सारे अफ़सर, मेमसाहब..नेता मिनिस्टर लालबत्ती उतरने से बहुत दुखी हैंगे और इसे वापस लगवाने के लिये एडी चोटी का जोर लगा रिये हैंगे....
हम वहां से सन्नाटी
खाये हुये आदमी की तरह उठकर चल दिये.
करारा व्यंग्य।
ReplyDeleteकोसिसयाने में कोई बुराई तो ना है
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