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ताऊ और रामप्यारी की हरकीरत ’हीर’ से दो और दो पांच.....

दो और दो पांच का खेल, ताऊ, रामप्यारी और सतीश सक्सेना के बीच

कब से बैठे है , विपक्ष में , अपने घर में, फांके होते : सतीश सक्सेना

मैं नागनाथ, तू सांपनाथ, मौसम है दिखावा करने का

कैसे गुजरी तमाम रात, बताऊं कैसे ?

जो बिखर के चकनाचूर हुए, वो सपने हमने देखे हैं !

यह ब्लाग संसद है....बेवकूफ़ कहीं का...

बोलणैं त पहले सोच भी लिया कर.

सरकार के कुत्ते फ़ेल हो गये क्या ?

खुद ही उल्टा सीधा, फ़रेबगिरी का पाठ पढावै क्य़ूं सै

मेरी इच्छा हो रही है कि तेरी गर्दन मरोड दूं...

कौन कहता है कि भेजे में विचार नही आते?

जब से तुमको देखा था सनम,मयखाने में जाना छोड़ दिया !