मुझे नितांत खुशी हो रही है कि ताऊ सद साहित्य प्रकाशन की पुस्तक ब्लाग टिप्पणी प्रबोधिनी की मुझे समीक्षा करने को कहा गया है.
समीक्षा से पहले बताना चाहुंगा कि पुस्तक की प्रिंटिंग और पेपर बहुत ही उच्च क्वालिटी का है, जिल्द और मुख पृष्ठ बहुत आकर्षक और मनमोहक है. पुस्तक की साज सज्जा के अलावा इस पुस्तक का कंटेंट बहुत ही उच्च गुणवता वाला है. जो इसे पठनीय व संग्रहणीय बनाता है.
विद्वान लेखिका डा. संगीता स्वरूप (गीत) ने ब्लाग टिप्पणी प्रबोधिनी पुस्तक को लिखने से पहले शायद महाभारत कालीन महाराज खुरपेंचिया रचित सूत्रों का गहन अध्ययन किया है और वर्तमान कालखंड की ब्लाग टिप्पणियों का भी यथेष्ठ अध्ययन किया है. उनके लेखन से साफ़ झलकता है कि यह ग्रंथ उन्होंने दिल की गहराईयों से लिखा है.
विद्वान लेखिका एक जगह लिखती हैं कि टिप्पणियां तो बेटी की तरह होती हैं जिन्हें एक बार घर से विदा कर दिया तो वो हमेशा के लिये पराई हो जाती हैं. विवाह के समय विदा की हुई बेटी से तुलना बहुत यथार्थ परक लगी. सही भी है कि टिप्पणियां भी कभी लौट कर नही आती.
आगे लेखिका ने लिखा है कि जिस तरह बेटी का विवाह करते समय योग्य वर और घर तलाशा जाता है उसी तरह टिप्पणी भी योग्य पोस्ट पर करनी चाहिये, यानि जैसी पोस्ट हो वैसी ही टिप्पणी करनी चाहिये. जैसे लडकी ज्यादा पढी लिखी है तो उसके समकक्ष वर ढूंढा जाता है किसी अयोग्य के गले उसे नहीं बांधा जाता. उसी प्रकार टिप्पणी दान भी यथेष्ठ और योग्य पोस्ट के अनुरूप ही करना चाहिये. यदि आप किसी सांसारिकता में फ़ंसकर अपने निजी जान पहचान वाले ब्लाग पर झूंठी प्रसंशा करने वाली टिप्पणी करेंगे तो पाप के भागी बन सकते हैं, और इस पाप से मुक्ति पाने के लिये बाबाश्री ताऊ महाराज के आश्रम जाना पड सकता है. अत: इस प्रकार अयोग्य पोस्ट को महंगी वाली टिप्पणी दान नहीं करें.
आगे विद्वान लेखिका ने लिखा है कि जैसे सामाजिक व्यवहार में कन्यादान का रूपया वापस किया जाता है उसी प्रकार टिप्पणी दान भी आवश्यक रूप से किया जाना चाहिये. जैसे यदि कोई आपके यहां सामाजिक रूप से शादी विवाह में 1100/- रूपये का लिफ़ाफ़ा देता है तो आपको भी कम से कम 1100/- रूपये या अधिक लौटाना चाहिये.
यहां पाठक टिप्पणी दान और कन्यादान के बीच आकर उलझन सी महसूस करता है. पाठक को लगता है कि यहां लेखिका विषय से कुछ हट गयी हैं. पर यही इस पुस्तक का कमाल है कि इसके बाद के बीस पेज पढते ही आप लेखिका की भूरी भूरी प्रसंशा करने लगते हैं. गजब का ट्विस्ट है इस जगह पर, जो कोई मंजा हुआ लेखक ही दे सकता है.
लेखिका ने यही से आगे बढते हुये टिप्पणी दान का महत्व और लोक व्यवहार का समन्वय बैठाया है और टिप्पणी के प्रकारों की विस्तारित चर्चा की है. जैसे टिप्पणियों के प्रकार से उसके लेखक को पकडना. यानि टिप्पणी पढकर ही आप समझ सकते हैं कि यह टिप्पणी यानि लिफ़ाफ़ा किसके यहां से आया.
लिफ़ाफ़ों के मुख्य प्रकार कितने हैं? टिप्पणी के शब्दों से लिफ़ाफ़े के अंदर कितने रूपये के जज्बात रखे हैं? यह भी बताया गया है. यानि आपकी पोस्ट पर आई टिप्पणी देने वाले ने कितने रूपये लौटाये हैं यह जानने के लिये लेखिका ने विस्तारित टिप्पणी मूल्य का भी आकलन किया है. उनमें कुछ को नीचे लिख रहा हूं बाकी आप पुस्तक पढकर विस्तारित रूप से जान ही लेंगे.
बहुत सुंदर. ( 11रूपये )
अति सुंदर. (21 रूपये)
जय हो. (5 रूपये)
अति सशक्त. (10 रूपये)
दिल को छू गई आपकी रचना (15रूपये)
बहुत मार्मिक. (21रूपये)
अच्छी रचना. (5 रूपये)
Nice (5 रूपये)
Like in Face Book style - ( 0.20 पैसे यानि 1 रूपये की पांच )
बहुत बढिया. (10 रूपये)
सार्थक पोस्ट (5 रूपये)
बधाई (10 रूपये)
मार्मिक रचना. (11 रूपये)
सुंदर लगी रचना. (15 रूपये)
वाह वाह. (5 रूपये)
वाह वाह क्या बात है. (10 रूपये)
गंभीर रचना. (5 रूपये)
कुल मिलाकर एक टिप्पणी लिफ़ाफ़े का मूल्य 0.20 पैसे से शुरू होकर 5100 रूपये तक का हो सकता है. ऊपर तो 0.20 पैसे से लेकर 21 रूपये तक की कीमत वाली टिप्पणियों का ही सिर्फ़ नमूने के तौर पर जिक्र किया गया है.
पुस्तक की एक विशेषता है जो बताती है कि टिप्पणी लिफ़ाफ़े के शब्दों का मूल्य कैसे निर्धारित करें? टिप्पणी के अंदाज से पता लगाना कि आपकी पोस्ट किस तरह पढी गयी? या नही पढी गयी सिर्फ़ टिप्पणी दान का व्यवहार निभाया गया? इसके अलावा विस्तारित रूप से पढने के लिये पुस्तक खरीदें.
अंत में यही कहूंगा कि पुस्तक अपने आप में विषय की अनुपम और अनोखी है. ब्लाग जीवन की व्यवहारिकता समझने हेतु पुस्तक पढना अति अनिवार्य है.
पुस्तक का मूल्य Rs. 3,955/- रखा गया है जो पुस्तक की गुणवत्ता और उपयोग के सामने कम ही पडता है. पुस्तक की लोकप्रियता का इसी से अंदाज लगाया जा सकता है कि ब्लाग टिप्पणी प्रबोधिनी का प्रथम संस्करण आऊट आफ़ स्टाक है और द्वितीय संस्करण की प्रिंटिंग चालू है जो शीघ्र ही बाजार में प्राप्य होगा.
अंतर्राष्ट्रीय समालोचक
-प्रोफ़ेसर ताऊ रामपुरिया लठ्ठ वाले
:-) रोचक!
ReplyDeleteअगली पुस्तक की बुकिंग कर लीजिए ताऊ जी!
~सादर!!!
बुकिंग सफ़लता पूर्वक कर ली गई है:), आभार.
Deleteरामराम.
आपकी समीक्षा अत्यंत लाभकारी त्रिफला चूरन और मधुरस के मिश्रण की भांति मिली सेवन निरंतर किया जायेगा विकार के पहले औषधि बतलाने के लिए ह्रदय से आभार और प्रणाम ******
ReplyDeleteत्रिफला चूरन और मधुरस का सेवम अतीव गुणकारी और कायाकल्प करने वाला है. :)
Deleteआभार.
रामराम.
ताऊ मेरे लम्बे चौड़े प्रवचन वाले टिप्पणियों का क्या भाव बताया है आज इतने साल से जीतनी टिप्पणिया दी है मैंने आप के ब्लॉग पर सभी का हिसाब भी दो और मेरे ब्लॉग पर जो टिपण्णी दी है आप ने उसमे से काट कर बाकि के पैसे फटा फट निकालो , और साथ में जो किताब समीक्षा का आइडिया दिया है ( पहले मैंने ही कहा था ) वो भी फ्री में नहीं था उसकी फ़ीस भी साथ में भेजवा दो , थारे को तो मै देख लुंगी मेरी किताब अभी तक नहीं छपी , जो बिलकुल कोरी ही प्रकशित होनी थी |
ReplyDeleteआपकी प्रवचन नुमा टिप्पणियां कहीं भी 2100 रूपये से कम मूल्य की नही होती.:)
Deleteहिसाब किताब होता रहेगा, आपका ही ज्यादा पैसा निकलेगा जो आपकी पुस्तक छपवाने में खर्च हो गया, थोडा पैसा आपसे लेना निकलेगा.:)
पुस्तक समीक्षा के आईडिये के लिये आपकी फ़ीस बनती है जो आपकी पुस्तक छपाई के खर्चे में एडजस्ट कर ली जायेगी.:)
आपकी पुस्तक छपकर तैयार है, बस वो अति पौराणिक और वैदिक काल की होने से उसकी जिल्द बनने में समय लग रहा है और उसके विमोचन के लिये किसी योग्य विद्वान की भी तलाश जारी है. पुस्तक अतिशीघ्र विमोचन हेतु उपलब्ध होने ही वाली है.
रामराम.
हम धन्य हो गए महाराज ...
ReplyDeleteआपको धन्य करना ही हमारा मकसद है.:) आभार.
Deleteरामराम.
वाह जी वाह ..... ब्लॉग्गिंग से जुड़ा गहरा ज्ञान पा रहे हैं ......
ReplyDeleteआज हमारा ज्ञान बांटना सफ़ल हुआ.:) आभार.
Deleteरामराम.
बहुत सुंदर.अति सुंदर.जय हो.अति सशक्त.दिल को छू गई आपकी रचना बहुत मार्मिक.अच्छी रचना. Nice बहुत बढिया.सार्थक पोस्ट बधाई मार्मिक रचना. सुंदर लगी रचना.वाह वाह.वाह वाह क्या बात है.गंभीर रचना.
ReplyDeleteआपने पांच पांच दस दस रूपये वाले दस पंद्रह लिफ़ाफ़े यहां छोड दिये? कहीं दूसरी जगह भी देने के होंगे शायद गलती से यहां रह गये होंगे?:) आभार.
Deleteरामराम
वाह ! ताऊ वाह !!
ReplyDeleteअति सुन्दर !!
आभार.:)
Deleteरामराम.
सच में इस प्रकार पुस्तक की समीक्षा कोई अंतर्राष्ट्रीय समालोचक
ReplyDelete-प्रोफ़ेसर ताऊ रामपुरिया लठ्ठ वाले ही कर सकते है :)
धन्य है ...पांच रुपये से लेकर ५१०० रुपये के सारे लिफाफे भेज दे तो भी कम है इस पोस्ट के लिए अब इसका मुल्य जो भी निर्धारित करे आप !
सुमन जी आभार आपका. लिखना सफ़ल हुआ.
Deleteरामराम.
देर से लिखी गयी अच्छी पुस्तक . कोई नहीं , नए टिप्पणीकारों के काम तो आयेगी ही !
ReplyDeleteसही कहा आपने, पुराने तो सब घुटे घूटाये हो गये हैं.:) रामराम.
Deleteरामराम.
हा हा हा, हमारी एक प्रति सुरक्षित कर लीजिये, हम टिप्पणियों से चुका देंगे।
ReplyDeleteआपका आर्डर सफ़लता पूर्वक नोट कर लिया गया है, टिप्पणी धन जमा होते ही पुस्तक भिजवा दी जायेगी.:) आभार.
Deleteरामराम.
उत्तम।
ReplyDeleteआभार.
Deleteरामराम.
भई वाह ... ताऊ ए तो बेस्ट सेलर किताब बनने वाली है ... क्या गज़ब की समीक्षा है ...
ReplyDeleteताऊ ,
ReplyDeleteधन्य हो गयी ये पुस्तक आपकी समीक्षा पा कर :):) वैसे टिप्पणी 5 रुपए की भी उत्साहित कर जाती है ....
जैसे लडकी ज्यादा पढी लिखी है तो उसके समकक्ष वर ढूंढा जाता है किसी अयोग्य के गले उसे नहीं बांधा जाता. उसी प्रकार टिप्पणी दान भी यथेष्ठ और योग्य पोस्ट के अनुरूप ही करना चाहिये.
इस बात को विशेष रूप से इंगित किया ...शुक्रिया :)
Like, Like, Like, Like, Like!
ReplyDeleteअब पता चला कि सस्ते में काम कैसे चलाया जाता है। :)
ReplyDeleteसलाह की फ़ीस भिजवा दिजीये.:)
Deleteरामराम
अब महँगी टिप्पणियों का खुलासा भी कर डालिए -- अगली पोस्ट में।
ReplyDeleteवो भी जल्दी ही करेंगे.:)
Deleteरामराम.
वाह!आनंद आ गया,:).. जबरदस्त समीक्षा की है ...अवश्य ही रामप्यारे ने लिखी होगी.
ReplyDeleteखाकर टिप्पणियों का भाव यूनिक लगा!ऐसे नायाब ख्याल कहाँ से आते हैं??सुना है
उस स्त्रोत का पता लगाने के लिए ब्लोगिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी लगी हुई है !
यहां 44 डिग्री तापमान में रामप्यारे का दिमाग चाचा चौधरी की तरह चलने लगा है. रामप्यारे खुफ़िया पुलिस के हाथ लगने वाला नही है.:)
Deleteरामराम.
वाकई काफी रोचक टिपण्णी चालीसा है ताऊ, उस पर आप की समालोचना सोने में सुहागा। खैर, संगीता जी, एक अनुभवी और मझी हुई लेखिका और कवियित्री है, उनका लेखन हमेशा ही रोचक लगा। हाँ, किताब की कीमत विश्व आर्थिक मंदी की वजह से थोड़ा भारी लग रही है :)
ReplyDeleteइन भावों पर भी पुस्तके उपलब्ध नही हैं.:)
Deleteरामराम.
ReplyDeleteआपका यह प्रयास निश्चित रूप से सराहनीय है
समीक्षा एवं प्रस्तुति अति-उत्तम
आभार सहित
सादर
आभार.
Deleteरामराम.
ताउ जी आपणैं इस बारे में नईं बताया कि टिप्पणी चैंपू लोग आपको इन्विटेशन ऐसे भी देते हैं
ReplyDelete:- "आदरणीय समय मिले तो देखिये "झंपिंग ज़पांग..झंपिंग ज़पांग.के बाद . गीली गीली......!!"http://sanskaardhani.blogspot.in/2013/05/blog-post_17.html
हमारे देश के चिंरंजीव श्री संत, अजीत चंदीला और अंकित चव्हाण की पाकिस्तान की डी कम्पनी के ........ साथ जैसे ही झंपिंग झपांग शुरु हुई कि दिल्ली के पोलिस वाले साहब ने उनकी सुत्तन गीली गीली कर दी.."
वाह वाह वाह .....राम राम
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