ब्लागिंग के ठंडेपन
से निराश हताश ताऊ तपस्या करने जंगल की और चला जा रहा था. रास्ते में ठंड और बर्फ़ीली हवाओं की वजह से परेशान था. पर ब्लागर की यात्रा जारी
रही. थोडी देर बाद बरसात भी होने लगी तो मन मारकर
ब्लागर ताऊ वहीं एक बूढे बरगद के तने के सहारे बैठ गया. ताऊ आगे बढने के लिये
बरसात बंद होने का इंतजार करने लगा तभी वहीं पास में एक बडे से शाही नाग देवता भी बैठे दिखाई दिये. उसे देखकर पहले तो ताऊ डरा फ़िर
यह सोचकर मुस्कराया कि इससे क्या डरना? यह तो अपनी ही प्रजाति का भाई बंद है.
ताऊ ने उससे राम राम
की. बदले में नागराज ने भी जय श्री राम का उद्घोष किया. मालूम पडा कि नाग देवता का
बिल वहां से काफ़ी दूर था इस वजह से वह भी यहां बरसात रूकने का इंतजार कर रहा था. समय
काटने के लिये दोनों आपस में बातचीत करने लगे.
नाग बोला – हे मनुष्य
तुम कौन हो? शक्ल से कुछ कुछ बंदर जैसे दिखाई देते हो पर मनुष्यों जैसी पगडी और लठ्ठ
धारण किये हुये हो? तुम मनुष्य हो या बंदर?
ताऊ ने जवाब दिया
– हे सर्पराज, मेरे पूर्वज बंदर थे और मैं अपने पूर्वजों के कुछ ज्यादा ही नजदीक हूं
इसलिये आधा बंदर और आधा मनुष्य दिखाई देता हूं. पर हकीकत यह है कि मैं ना बंदर हूं
और ना मनुष्य हूं.
सांप ने विस्मय पूर्वक
पूछा – तुम तो बडे दार्शनिक भाव से बात कर रहे हो? तुम्हारा
नाम क्या है? क्या तुम्हारी बंदरिया तुम्हें छोड कर भाग गई या कुछ और हुआ है जो तुम
इस बियाबान और खतरनाक जंगल में चले आये हो?
यहां पग पग पर मौत खडी रहती है, फ़िर भी तुमने यहां आने का साहस किया है, इसके पीछे
कोई बडा गहरा राज होगा? मुझे भी जानने की इच्छा हो रही है.
ताऊ बोला – मेरा नाम ताऊ है सर्पराज. यह भी जान लिजिये कि ना तो मेरी बंदरिया कहीं भागी है, और ना मैं उससे
पिटने की वजह से भागा हूं. ये बात अलग है कि आज कल महिला अधिकार कुछ ज्यादा ही बढ गये
हैं. इस वजह से पहले तो वो मुझे दिन भर में चार छ लठ्ठ ही मारा करती थी पर
आजकल जब उसका मूड चाहे मुझे कूट पीट देती है और मैं चूं तक नही कर सकता. और सच कहूं
तो अपनी बंदरिया से आठ दस लठ्ठ खाए बिना आजकल मेरी पीठ भी सीधी नही होती, बस यूं समझ
लिजिये कि आदत सी पड गई है पर ये मेरी परेशानी का कारण नही है.
सांप ने बीच में ही
टोका – यार ताऊ, तुम अजीब आदमी हो? तुम्हारी बंदरिया तुम्हें सरे आम दिन दहाडे मारती
है और तुम्हारा घर छोडने का यह कारण भी नही है? मेरी उत्सुकता और बढ गई है? कहीं चोरी
डकैती… की वजह से फ़रारी काटने तो नही आ गये हो?
ताऊ बोला – नही नही…चोरी
डकैती तो मैं वर्षों पहले छोड चुका हूं…और मेरी कोई सरकारी सजा भी बाकी नही है…
नाग देवता की उत्सुकता
बढती ही जा रही थी उन्होंने पूछा – तो ताऊ, फ़िर तुम जरूर कोई सरकारी मंत्री संत्री रहे
होगे और कोई घोटाला करके आये हो? सुना है आजकल घोटाले बाजों और रिश्वतखोरों के खिलाफ़
सख्त माहोल बना हुआ है?
ताऊ ने जवाब दिया
– नाग देव, आप भी अजीब सी बाते कर रहे हैं?
अफ़्सोस तो यही है कि मुझे घोटाले और रिश्वत खोरी का मौका ही नही मिला वर्ना मैं यहां
जंगल में क्या करता? कही विदेश में जाकर अपनी बंदरिया के साथ छुट्टियां बिता रहा होता. काश घोटाले और भ्रष्टाचार करने के मौके मुझे मिल
गये होते.
सर्पराज ने पूछा –
ताऊ, अब मुझे सच सच बताओ……मेरी उत्सुकता बढती ही जा रही है…तुम जरूर किसी महिला उत्पीडन
के मामले में फ़ंस कर यहां आये हो……साधारण स्थिति में कोई इस जंगल में आने की हिम्मत
नही करता….तुम सही बात जल्दी से बताओ…
ताऊ बोला – नागराज,
आप मुझ पर सरासर गलत शक कर रहें हैं…मैं तो अपनी बंदरियां के अलावा सबको मां बहन बेटी
समझता हूं. असल में मैं अपनी बंदरिया के लठ्ठ की वजह से इतना डरता हूं कि ऐसे कामों
के बारे में सपने में भी नही सोच सकता.
सर्पराज ने पूछा –
तो तुम करते क्या हो? लगता है कहीं गहरी चोट खाई है?
ताऊ ने जवाब दिया
– करने के नाम पर तो मैं बस ब्लागिंग करता
हूं और अब इससे निराश हो चला हूं इसलिये परेशान होकर इस भयानक जंगल में तपस्या करने
चला आया हूं.
सांप ने पूछा – ब्लागिंग
से परेशान होने की क्या बात है? वो तो तुम यहां से भी कर सक सकते हो. मेरे बिल में
हाईस्पीड नेट कनेक्शन और कंप्यूटर सब कुछ है. कुछ दिन के लिये मेरे घर चलो वहां मुझे भी ब्लागिंग सिखा देना…
ताऊ बोला – सर्पराज,
अब ब्लागिंग में क्या रखा है? ब्लागिंग का स्वर्णयुग तो कभी का खत्म हो चुका है….अब
तो सारे ब्लागर फ़ेसबुक की और फ़ेस कर चुके हैं …कुछ ट्विटर पर टर टरा लेते हैं…..
बीच में ही नाग देवता
बोले – नही नही ताऊ….तुम्हें कुछ दिन मेरा आतिथ्य तो स्वीकार करना ही पडेगा और मुझे
ब्लागिंग भी सिखानी पडेगी. अब बरसात भी बंद हो चुकी है और रात गहराने लगी है. इस जंगल
में अब कहां जाओगे…बेवजह किसी शेर चीते का शिकार बन जाओगे…अब जल्दी चलो.
ताऊ ने जल्दी से अपना
लठ्ठ उठाया और नाग देवता के पीछे पीछे हो लिया. रास्ते में नागदेवता ने पीछे मुडकर
ताऊ के हाथ में लठ्ठ देखा तो बोला – ताऊ, इस लठ्ठ को तुरंत फ़ेंक दो…तुम्हारा क्या भरोसा?
आदमी की जात के हो…कहीं पीछे से मेरे सर पर ही मार दो..तो? मेरे पिताजी ने कहा था कि
आदमी का कभी भरोसा मत करना. ताऊ ने मौके की नजाकत देखकर अपना लठ्ठ दूर फ़ेंक दिया.
नाग देवता के घर पहुंचते
ही ताऊ दंग रह गया. बिल क्या…यह तो आलीशान नाग महल था. वहां पहुंचते ही नाग देवता की
पत्नि ने इठलाते हुये बडे प्रेमपूर्वक नाग देव का स्वागत किया……और ताऊ को देखकर थोडा
सकुचा कर ठिठकी तो नागराज ने कहा – डरो मत, ये मित्र ताऊ है….रात के डिनर की व्यवस्था
करो.
नागराज की पत्नि एक आदर्श पत्नि की तरह मेहमान नवाजी की तैयारियों में लग गई.
पास के ही कक्ष में नागराज के वृद्ध माता पिता रजाई में दुबके हुये आराम फ़रमा रहे थे वहीं दूसरी तरफ़ उनके बाल बच्चे धमाचौकडी मचाये हुये थे. नाग राज ने
सबका ताऊ से परिचय कराया और ड्राईंग रूम में बैठकर दोनो गप शप करने लगे.
डिनर खत्म होने के
बाद नागराज ने अपना कंप्यूटर चालू किया और
बोले – ताऊ अब मुझे ब्लागिंग सिखाओ कि कैसे क्या करना है?
जैसे कोई कनिष्ठ ब्लागर अपने वरिष्ठ ब्लागर को गुरूवर के संबोधन से नवाजता हुआ कुछ सलाह मांगता है. इस तरह की खुशी ताऊ ने महसूस की. ताऊ को भी ऐसी खुशी काफ़ी समय बाद मिल रही थी सो इसे चूकना नही चाहता
था.
ताऊ ने ब्लागर पर नाग राज का अकाऊंट बनाकर ब्लाग तैयार किया और सर्पराज को ब्लागिंग
के गुर सिखाने लगा कि कहां कहां टिप्पणी देने जाना है…किसके यहां नही जाना है…किसकी
टंगडी खींचनी है… किसकी वाह वाही करनी है…बेनामी टिप्पणी कैसे करनी है…. ब्लागिंग के
कौन कौन से मठाधीश हैं? कौन सा मठाधीश अपने गुट का है? कौन सा दुश्मन गुट का है? किससे
सतर्क रहना है…इत्यादि इत्यादि….
ठंड काफ़ी हो रही थी
सो नागराज ने गर्मागर्म काफ़ी बुलवायी. थोडी ही देर में नागपत्नि काफ़ी लेकर आ गयी. ताऊ और
नागराज को ब्लागिंग पर बातें करते सुनकर नागपत्नि का माथा ठनक गया और वो फ़ुफ़कारने लगी.
ताऊ डर गया…थोडी देर पहले ही जो निहायत ही आज्ञाकारी पत्नि और सर्पसुंदरी दिखाई दे रही थी उसका रूप अब बदल चुका
था, नागराज भी अपनी पत्नि का यह ताई छाप रूप देखकर सहमें हुये थे. नागराज ने पत्नि
से इशारों में ही पूछा कि बात क्या है?
नागपत्नि बोली – नही नही…तुम
ब्लागिंग नही करोगे नागराज. और ताऊ की तरफ़ मुखातिब होकर बोली - ताऊ, तुम जानते नही
हो…पिछले जन्म में मैं तुमसे भी बडी ब्लागर थी. तुम्हारे सारे मठाधीश मेरी चिलम भरा
करते थे…….
ताऊ ने बीच में ही
टोका – भाभीजी, फ़िर आप इतना नाराज क्यों हो रही हैं? जब आप स्वयं ब्लागर थी तो अब भाई साहब को ब्लागिंग
करने दिजिये..आजकल हिंदी ब्लागरों का यों भी टोटा हो गया है.
नागपत्नि बोली – ताऊ
तुम क्या जानो ब्लागिंग का दर्द? तुमको तो ब्लागिंग की वजह से ताई दो चार लठ्ठ ही मारती
है पर मुझे तो जिंदा जलना पडा था पिछले जन्म में…. मुझे ब्लागिंग का इतना बडा नशा था
कि मैं चौबीस घंटे बस उसी में खोयी रहती थी. दिन रात ब्लागिंग सेवा में ही लगी रहती……
ताऊ ने बीच में ही
टोक कर पूछा – तो भाभीजी इसमें बुराई क्या थी? ब्लागिंग का जल कर मरने से क्या संबंध?
आजकल भी कई ब्लागर चौबीसों घंटे ब्लागिंग करते हैं? तो उनको क्या जलकर मरना पडेगा?
मैं तो खुद कभी चौबीस क्या बल्कि अडतालीस घंटे ब्लागिंग किया करता था.
नागपत्नि बोली – ताऊ,
असल में ब्लागिंग तो एक बहाना भर था. सत्य यह था कि मैं दहेज कम लायी थी. शादी के समय
कम दहेज की वजह से मेरी सास मुझसे बहुत ज्यादा नाराज रहती थी. बस हर समय मुझे ताने दिया करती थी. और मैं
सास के तानों से अपना दिमाग हटाने के लिये ब्लागिंग में डूबी रहती. उसको मुझमें बुराई
निकालने का इससे बडा और क्या बहाना मिलता?
एक दिन जब मैं बेनामी टिप्पणियां करने
में मशगूल थी तब चुपचाप पीछे से आकर मेरी सास ने मुझ पर केरोसिन डाल कर आग लगा दी और
मुझे संभलने का मौका तक नही मिला…. और इस जन्म में मैं यहां हूं… ताऊ, तुम हमें माफ़
करो और अपने घर जावो… हमें नही करनी ब्लागिंग… हमें अपनी दुनियां में ही खुश रहने दो….
ताऊ को ऐसा झटका लगा
जैसे आसमान से जमीन पर गिरा हो. नागराज जैसा सुलझा हुआ एक ब्लागर चेला हाथ से निकला
जा रहा था...…क्योंकि नागराज जैसा दबंग चेला हो तो बडे बडे मठाधीशों के मठों की बैंड आसानी
से बजायी जा सकती है सो नागपत्नि को समझाने के उद्देष्य से ताऊ बोला – भाभी जी आप मेरी
बात तो सुनिये…. आज हिंदी की सेवा के लिये नये और भाई साहब जैसे सुलझे हुये ब्लागरों की सख्त आवश्यकता
है…
ताऊ के इतना कहते ही
नागपत्नि फ़ुफ़कारते हुये बोली – तेरी ऐसी की तैसी ताऊ की….. तुझे मालूम नही है कि इस
जन्म में भी मेरे बाप ने दहेज नही दिया है और ये रजाई में दुबक कर बैठी मेरी जिंदा सास अभी भी नाराज होकर ताने मारती रहती है. पिछले जन्म में भी जला कर मारी गई हूं....…इस जन्म में नहीं जलना चाहती…..
ताऊ इस हाथ आये ब्लागर
को छोडना नही चाहता था सो कुछ बोलता इसके पहले ही नागपत्नि फ़ुफ़कारते हुये लहरायी और
पास पडा लठ्ठ उठाकर ताऊ की टांगों पर दे मारा. ताऊ चीखते हुये झटके से उठा तो देखा सामने ताई दूसरा लठ्ठ मारने को तैयार खडी चिल्ला रही थी….सबेरे के
नौ बज गये…अब तक नही उठा..आफ़िस क्या तेरा ताऊ जायेगा?
ब्लोगियों से पत्नियां चिढती क्यों हैं ... अब तो वैसे ही ब्लोगेर फेस्बुकिया हो रहे हैं ...
ReplyDeleteमज़ा आया ताऊ इस पुराण में ...
हा-हा-हा
ReplyDeleteबड़ी मज़ेदार कहानी लगी ताऊ जी... :) एक बलॉगर इतने सारे काम कर सकता है.. ये तो हमें पता ही ना था... :)
ReplyDelete~सादर!!!
सादर राम राम ,बेहतरीन व्यंगात्मक आलेख ,शुभकामनाये
ReplyDeleteनागपत्नी, नमस्तुभ्यम्..
ReplyDeleteजे बात !
ReplyDeleteफिर पिट गए ...
ReplyDeleteताऊ ,
एक बार ब्लोगिंग सम्मलेन करके सबको ताई से मिलवा दे ! हम लोग उसे समझा लेगे कि अब बुढापे मं ताऊ पर लट्ठ चलाना ठीक नहीं !
सब ठीक हो जाएगा !
हा हा हा ...मजेदार और हकीकत भी !
ReplyDeleteज्यादातर ब्लॉगर पत्नियाँ ब्लोगिंग से दुखी हो हाथ में लट्ठ ही रखती है और बेचारे ब्लॉगर !!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि कि चर्चा कल मंगलवार 12/213 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है
ReplyDeleteसॉंप को एक बात बतानी तो रह ही गई कि जिनके पास कहने को कुछ नहीं रहा वही हैं जो ब्लॉगिंग छोड़कर पक्के से भाग गए हैं, और जहां तक बात सॉंप की है उसके लिए तो ट्विट्टर अकांउट ही काफी था (उसके साथ के, एक -एक बूँद वहां उगलते ही रहते हैं)
ReplyDelete:) रोचक !
ReplyDeleteलिखने वाले ..ब्लॉग्गिंग में देर- सबेर वापस सब आएँगे एक दिन!
मुझे यकीन है कि नागराज ज़रूर चोरी छुपे ब्लॉग्गिंग करते होंगे अब भी.
........
काजल जी की टिप्पणी मजेदार है.
सटीक व्यंग्य ..
ReplyDeleteयह सपना है या आजका सच ?
ReplyDeleteव्यंग्य करना तो कोई आपसे सीखे ताऊ, मजेदार लगा .... क्यों न हम ताई के हाथ में लठ्ठ की जगह कलम पकड़ा दे ?
कमसे कम आप उनके पिटनेसे बचे रहेंगे ... :)
एक ब्लागर गया हाथ से। हम तो खुश हो रहे थे कि इस बहाने ताऊ भी वापस आया और साथ में नागराज को भी लाया लेकिन सारा गुड-गोबर कर दिया।
ReplyDelete12 साल में घूरे के दिन भी फिरते हैं तो इसी उम्मीद पर कि ब्लोगिंग के दिन भी फिरेंगे ...जोरदार व्यंग्य .... बूंद बूंद टपकाने वाली बात काजल जी ने सटीक कही है :):)
ReplyDeleteक्या ताऊ इतना भी नहीं जानते हो , देखो इधर पोप ट्विटर पर आये और उसकी ऐसी लत लगी की निजी जीवन के सरे कामो से ही छुट्टी ले ली और पोप के पद से ही स्तीफा दे दिया , तो कोई अगर ब्लोगिंग छोड़ दे रहा है उसके चक्कर में तो कौन बड़ी बात है :))
ReplyDeleteऔर जिन लोग को पता नहीं है की ब्लोगिंग से पत्निया चिढती क्यों है तो बस एक बार पत्नी को ब्लोगर बना दीजिये जवाब मिल जायेगा
ReplyDeleteनिष्कर्ष: बेनामी टिप्पनी करने वाले अगले जन्म में सांप बनते है :)
ReplyDeleteहा हा हा ! बहुत दिनों के बाद , आज ताऊ ताउगिरि पर आया है।
ReplyDeleteबढ़िया है।
ताऊ फेसबुक से नशा उतरने के बाद फिर सब यही आयेगें
ReplyDeletejab bhi aapka blog padhti hu sir, to tai ji se milne ki ichcha badh jaati hai :)
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteहमारी संवेदनाएं!!!
मगर हार न मानियेगा....हम आपके साथ हैं.
सादर
अनु
लगता है सर्पराज भी ब्लागिंग से खूब परिचित हो चले है ...क्या-क्या दिन देखने पड़ते हैं इस ब्लागिंग में ..
ReplyDeleteबहुत रोचक ढंग से मन को गुबार जैसे फट पड़ा हो ..फिर भी यही कहूँगी चले चलो ...चलते रहना ही जीवन का नाम है ..
राम राम !!
बढ़िया व्यंग्य ...!!
ReplyDeleteशुभकामनायें ....
कही विदेश में जाकर अपनी बंदरिया के साथ छुट्टियां बिता रहा होता.
ReplyDeleteहा हा!! हम मना ही रहे हैं बंदरिया के साथ...उप्स!!!