ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र राजमहल के तलघर में बने अपने गुप्त कक्ष में चिंता मग्न बैठे हुये हैं. पास ही मिस समीरा टेढी गमजदा बैठी हुई है. दोनों के चेहरे पिटे हुये से लग रहे हैं. जब से वो तोतला व्यक्ति राजमहल के बाहर से ऊलजलूल बक कर गया है, तब से ही ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र मानसिक रूप से अस्थिर से हो गये हैं. पिछले दो दिनों के ताजा हालात जानकर महाराज और भी चिंतित हो गये हैं. वैसे ताऊ महाराज कर भी क्या सकते हैं? शायद वो तो महाभारत काल में भी नाम के महाराज थे और आज भी कोई फ़र्क नही हैं. महाराज ताऊ की रोनी सूरत से अच्छे अच्छे धोखा खा जाते हैं.
चिंता मग्न ताऊ महाराज, बेशर्म रामप्यारे एवम गमजदा मिस समीरा टेढी
हमेशा अपने बडे बडे दांत फ़ाडने वाला, लंबे कानों को इतराकर हमेशा ऊंचे रखने वाला और आंखों को ऊंची नीची नचा कर बात करने वाला रामप्यारे भी अपनी गर्दन झुकाये झेंपते हुये खंबे की आड में बैठ गया है, पूरे माहोल में एक सन्नाटा सा छाया हुआ है.
मिस टेढी और रामप्यारे को ये अंदाज तक नही था कि बाजी इस तरह हाथ से फ़िसल जायेगी? ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र महाभारत काल में युद्ध हारने के बाद का समय याद करके अपने अंतर्मन में हिल उठे थे. महाराज को अभी यहां का राजकाज संभाले हुये कुछ ही समय तो हुआ था... अब वो रामप्यारे और मिस समीरा टेढी के मजबूत कंधों पर राजकाज का बोझ डालकर चैन की बंशी बजाने लगे थे वर्ना तो महाराज का जीवन हमेशा ही झंझावातों से घिरा हुआ ही रहा है.
रामप्यारे ने महाराज को गमगीन देखकर बोलना शुरू किया : हे हस्तिनापुर सम्राट , ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र आपकी जय हो! महाराज आप चिंता क्यों करते हैं? अभी भी बाजी हाथ से नही गई है. मेरे रहते आप चिंता ना करें, आप मुझ पर यकीन करें, मेरे कानून ज्ञान का भरोसा करें....मैं इस संकट से आपको निकाल ही लूंगा....आप थोडा धैर्य धरिये.....
रामप्यारे को बीच में ही टोकते हुये मिस समीरा टेढी बोली - रामप्यारे जी, आप का कानून भगवान जाने कब काम आयेगा? आपने ही मुझे भी उलटी सीधी पट्टी पढाकर अपने साथ सवाल जवाब में बिठा लिया, और मैं भी कर्मजली..जनमजली आपकी बातों में आकर जनता से उल्टा सीधा कह बैठी...आपको पता है सारे हस्तिनापुर की जनता सडकों पर उतर आयी है...जनता को अब रोकपाल बिल से कम कुछ भी मंजूर नही है. और आप अब भी कानून की दुहाई दे रहे हैं..?
रामप्यारे ने मिस टेढी की बातें सुनकर अपनी गर्दन फ़र्श में घुसेड ली और अपने खुरों से फ़र्श को कुरेदने लगा.....
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र कुछ बोलना ही चाहते थे कि इतने में ही राजमहल के बाहर से उसी तोतले व्यक्ति की जोर जोर से आवाज आने लगी....वो बोले जा रहा था....अले ताऊ महालाज...तुम कुछ तो शलम कलो...तुम्हारी राज करने की ख्वाहिश ने महाभारत तलवा डाला था जबकि तुम जानते हो कि तुममें हस्तिनापुर के महाराज बनने की औकात नही थी और अब भी तुम्हारी इसी राज करने की इच्छा ने सारे हस्तिनापुर की जनता का जीवन नर्क बना डाला है....ताऊ महालाज अब भी सुधल जावो और जनता के हक जनता को सौंप दो...अगर लामप्याले और मिस समीला टेढी के कहने पर चले तो इनका तो कुछ नही बिगडेगा...हस्तिनापुर के महाराज होने नाते अब भी इतिहास तुमको माफ़ नही तलेगा.
तोतले की बात सुनकर रामप्यारे और मिस समीरा टेढी का चेहरा तमतमा गया अगर उनका बस चलता तो उस तोतले की अभी अर्थी उठवा देते और ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र अब तक तो बुढ्ढे और अंधे होने का नाटक करते आये थे अब शायद बहरे होने का भी नाटक करने लगे? इतनी झन्नाटेदार आवाजे, जो पूरे हस्तिनापुर में गूंज रही हैं, वो उन्हें सुनाई क्यों नही देती? शायद ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र अंधे के साथ साथ सच में ही बहरे भी होगये हैं.....
हमेशा अपने बडे बडे दांत फ़ाडने वाला, लंबे कानों को इतराकर हमेशा ऊंचे रखने वाला और आंखों को ऊंची नीची नचा कर बात करने वाला रामप्यारे भी अपनी गर्दन झुकाये झेंपते हुये खंबे की आड में बैठ गया है, पूरे माहोल में एक सन्नाटा सा छाया हुआ है.
मिस टेढी और रामप्यारे को ये अंदाज तक नही था कि बाजी इस तरह हाथ से फ़िसल जायेगी? ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र महाभारत काल में युद्ध हारने के बाद का समय याद करके अपने अंतर्मन में हिल उठे थे. महाराज को अभी यहां का राजकाज संभाले हुये कुछ ही समय तो हुआ था... अब वो रामप्यारे और मिस समीरा टेढी के मजबूत कंधों पर राजकाज का बोझ डालकर चैन की बंशी बजाने लगे थे वर्ना तो महाराज का जीवन हमेशा ही झंझावातों से घिरा हुआ ही रहा है.
रामप्यारे ने महाराज को गमगीन देखकर बोलना शुरू किया : हे हस्तिनापुर सम्राट , ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र आपकी जय हो! महाराज आप चिंता क्यों करते हैं? अभी भी बाजी हाथ से नही गई है. मेरे रहते आप चिंता ना करें, आप मुझ पर यकीन करें, मेरे कानून ज्ञान का भरोसा करें....मैं इस संकट से आपको निकाल ही लूंगा....आप थोडा धैर्य धरिये.....
रामप्यारे को बीच में ही टोकते हुये मिस समीरा टेढी बोली - रामप्यारे जी, आप का कानून भगवान जाने कब काम आयेगा? आपने ही मुझे भी उलटी सीधी पट्टी पढाकर अपने साथ सवाल जवाब में बिठा लिया, और मैं भी कर्मजली..जनमजली आपकी बातों में आकर जनता से उल्टा सीधा कह बैठी...आपको पता है सारे हस्तिनापुर की जनता सडकों पर उतर आयी है...जनता को अब रोकपाल बिल से कम कुछ भी मंजूर नही है. और आप अब भी कानून की दुहाई दे रहे हैं..?
रामप्यारे ने मिस टेढी की बातें सुनकर अपनी गर्दन फ़र्श में घुसेड ली और अपने खुरों से फ़र्श को कुरेदने लगा.....
ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र कुछ बोलना ही चाहते थे कि इतने में ही राजमहल के बाहर से उसी तोतले व्यक्ति की जोर जोर से आवाज आने लगी....वो बोले जा रहा था....अले ताऊ महालाज...तुम कुछ तो शलम कलो...तुम्हारी राज करने की ख्वाहिश ने महाभारत तलवा डाला था जबकि तुम जानते हो कि तुममें हस्तिनापुर के महाराज बनने की औकात नही थी और अब भी तुम्हारी इसी राज करने की इच्छा ने सारे हस्तिनापुर की जनता का जीवन नर्क बना डाला है....ताऊ महालाज अब भी सुधल जावो और जनता के हक जनता को सौंप दो...अगर लामप्याले और मिस समीला टेढी के कहने पर चले तो इनका तो कुछ नही बिगडेगा...हस्तिनापुर के महाराज होने नाते अब भी इतिहास तुमको माफ़ नही तलेगा.
तोतले की बात सुनकर रामप्यारे और मिस समीरा टेढी का चेहरा तमतमा गया अगर उनका बस चलता तो उस तोतले की अभी अर्थी उठवा देते और ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र अब तक तो बुढ्ढे और अंधे होने का नाटक करते आये थे अब शायद बहरे होने का भी नाटक करने लगे? इतनी झन्नाटेदार आवाजे, जो पूरे हस्तिनापुर में गूंज रही हैं, वो उन्हें सुनाई क्यों नही देती? शायद ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र अंधे के साथ साथ सच में ही बहरे भी होगये हैं.....
लग तो यही रहा है कि महाराज घृतराष्ट्र गूंगे और अंधे ही नहीं बहरत्व को भी प्राप्त करते जा रहे हैं । दोनों खतरनाक सलाहकारों से मुक्त होकर ही राजहित में कुछ सोचा जा सकता है ।
ReplyDeleteसही कहा वोट लेने के बाद जनता के प्रति सरकारे ऐसी ही अंधी बहरी हो जाती है और सोचती है आम आदमी ने उन्हें वोट नहीं दिया बल्कि पांच साल के लिए अपने हाथ काट के उन्हें दे दिये है और अब कोई कुछ भी बोल नहीं सकता है |
ReplyDeleteसामयिक मुद्दे पर जबरदस्त ध्यानाकर्षण है,बहुत बढ़िया,आभार.
ReplyDeleteसटीक व्यंग्य है। सत्ता के भूखे सुधरते कहाँ हैं। पहले शेर बन रहे थे, फिर मौका नहीं लगा तो सीधे हो गये, अभी मौका लग जायेगा तो फिर अकड जायेंगे।
ReplyDeleteपरवाह मत करो ताऊ ....राजधानी ही बदल लो यार ...
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
ताऊ जी अब क्या कहूँ .....क्या करार तमाचा मारा है .....देखते हैं आगे क्या होता है ....!
ReplyDeleteराम राम
वर्तमान धृतराष्ट्र तो बिजूका जैसे हैं, बस पक्षियों को डराते हैं कि कोई है, बाकि सभी असलियत जानते हैं।
ReplyDeleteपुराने पात्र भी आज की ही बात कर रहे हैं।
ReplyDeleteजय हो ताऊ महाराज की .
ReplyDeleteविजय
जैसा राजा वैसी प्रजा।
ReplyDeletenice post
ReplyDeleteinteresting
hum balton te liye ye thushi ti baat
ReplyDeletehai ti hamale piyale tau......apne
pulane lang me laut aa rahe hain....
planam.
ताऊ की जय हो.. आज तो बस अपना ही कहा हुआ एक पुराना शेर याद आ गया:
ReplyDeleteहमने जिसको बिठाया संसद में,
वो तो बहरा था, बेजुबान भी था!!
बहुत ग़ज़ब का लिखते हैं आप...
ReplyDeleteधृतराष्ट्र महाराज तो जानबूझकर बेशर्मी से अंधे-बहरे बने बैठे हैं लेकिन आँखों पर पट्टी बाँधे गाँधारी और दुर्योधन असली गुनहगार हैं। इन दोनों से देश को मुक्ति मिले तो देश का भला हो।
ReplyDelete@चला बिहारी ब्लॉगर बनने,
हमने कहाँ बैठाया धृतराष्ट्र को संसद में, गाँधार (इटली) की गाँधारी ने बैठाया।
काश धृतराष्ट्र को तोतली आवाज़ ढंग से सुनाई दे
ReplyDeleteरोकपाल बिल लाओ वरना जाओ!!!
ReplyDeleteरोकपाल बिल में ऐसे सलाहकार....धन्य भये/
ReplyDeleteसलाहकारों का रोल बड़ा खतरनाक रहता है!!!
ReplyDeleteताऊ पोडकास्ट बना कर दाल दो ... सबको सुनने में और भी मज़ा आ जाएगा ...
ReplyDeleteव्यंग धार तेज है बहुत ...
कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं ...
जनता को तो बेवकूफ बनना ही है..
ReplyDeleteअच्छा लिखा है. सचिन को भारत रत्न क्यों? कृपया पढ़े और अपने विचार अवश्य व्यक्त करे.
ReplyDeletehttp://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com
ताऊ श्री जरा होश में आईये.
ReplyDeleteतोतले के बोल सब गोल कर देंगें.
कुछ समय के लिए मेरे ब्लॉग पर
चले आईयेगा.नेक नियत रखेंगें तो
श्रद्धा-विश्वास से सब समाधान हो जायेगा.
ताऊ की जय हो..
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