परसों भरी दोपहर की बात
अकस्मात कनाट प्लेस पर
एक क्युट सी छोरी ने ताऊ को रोका
ताऊ को पहचानने मे हो गया धोखा !
ताऊ-सुलभ लज्जा से नजर झुकाए
ताऊ वहां से चुपचाप गुजर गये
बस इत्ती सी बात पर
उस क्यूटनी के बाल
मारे गुस्से के बिखर गये
क्यूटनी पहले तो जोर जोर से चीखी
फ़िर बिफ़र कर चिल्लाने लगी-
आसपास के जवान लोगो, जल्दी आवो
इस शरीफ़जादे ताऊ से मुझको बचाओ
मैं पलकों मे अवध की शाम
होठों पर बनारस की सुबह
जुल्फ़ों मे शबे-मालवा
और चेहरे पर बंगाल का जादू रखती हूं
फ़िर भी इस लफ़ंगे ताऊ ने मुझे नही छेडा
क्या मैं इसकी अम्मा लगती हुं ?
ताऊ बोल्यो अरे छोरी
जो तू समझ री सै वा बात कोनी
मैं तो जन्म को आंधलो धृतराष्ट सूं
तू मन्नै दीखी कोनी
क्यूटनी सी वा छोरी बोली
रे ताऊ तू आंधला बणकै
झूंठ बोलकै
घणै मजे ले रया सै
यदि तू सच म्ह ही आंधला सै
तो रिश्वत के नोटों की गड्डियां
किस तरियां गिणरया सै?
ताऊ बोल्यो रे छोरी
बात तो तू सांची कहवै सै
पर रिश्वत के नोट गिणकर
उनको स्विस बैंकों म्ह जमा करवाकर
मन्नै आनंद घणा आवै सै
रे बावली छोरी सुण
मन्नै तेरी अवध की शाम,
बनारस की सुबह,
शबे-मालवो
और बंगाल को जादू
रिश्वत का नोटां कै सामणै
बेकार नजर आवै सैं
और बावली छोरी जरा सोच
तेरे मेरे बीच
किम्मै उंच नीच हो जाती
तो ताई लठ्ठ लेकै
के थारै बाप के पास जाती ?
और सबसे बडी बात भी सुणले
मैं आंधलो धॄतराष्ट्र कोनी
या पोल भी तो खुल जाती
सो ताऊ अब छोरियों के चक्कर में कवि भी बन गया ....
ReplyDeleteजय हो ...
बहुत बढिया।
ReplyDelete------
बारात गई उड़ !
ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें!
लठ साथ में लेकर चलना चहिये ताऊ ने ।
ReplyDeleteम्हारी भी जय हो ।
ताऊ श्री कहाँ बहकने लगे हो.
ReplyDeleteजरा होश में आओ.
ताऊ ने आज कमाल कर दिया
ReplyDeleteघणी दोपहरी में बबाल कर दिया
रिश्वत के नोटों ने ताऊ को भी कवि बना ही दिया !
ReplyDeleteवाह ताऊ !
ReplyDeleteजय हो।
ReplyDeleteमतलब ये ताऊ की जो पैसे का मोह और ताई का डर ना होता तो ...............:))
ReplyDeleteवाह रे ताऊ तूं तो घणी कविताई भी करे हो .....मुला ई जो लिखे हो -
ReplyDeleteमन्नै तेरी बनारस की सुबह,
शबे-मालवो और बंगाल को जादू
तो सरासर ज्यादती है ..बनारस की मुस्कान से छेड़ छाड़ मत करियो
और हाँ ऊ बंगाल वाली छोरी तो जादू चला के गयी तो फिर ना लौटी है अब तक!
मन्ने तो लागै सै के घृतराष्ट्र भी नुए मौज लिया करता होगा। :)
ReplyDeleteचलिये ,इसी बहाने एक हास्य कविता बन गई!
ReplyDeleteवाह...कमाल की रचना...
ReplyDeletetaau sirph hariyanavi se kaam nahin chalta, sath men dhritrashtra hone ka madha hua certificate bhi hona chahie . tabhi bachenge .
ReplyDeleteyah bhi yek badhiya aandaj.....pasand aaya...
ReplyDeleteअमेरिका ने एक मशीन बनाई, जिसमें नोट डालो तो उसमें से एक कन्या निकलती थी। उन्होंने बडी उम्मिदों से उस मशीन को भारत भेजा। पर यहां के लोगों ने मुंह बिचका दिया पूछने पर पता चला कि बहूमत को ऐसी मशीन चाहिए जिसमें कन्या को डालें तो दूसरी तरफ से नोट निकलें।
ReplyDeletelaage hai va chhori ib aandhdi holi hogi.
ReplyDeleteha.ha.ha.
tau tamne to khoob rang jamayo
manne tharo yo ishtayil ghano hi pasand aayo.
ताऊ के चरणों में वन्दन!
ReplyDeleteबात से फिर बात क्या बनी यहाँ ताऊ जी रचना बन गई |
ReplyDeleteबहुत खूब |
very humorous style,to describe the them ,very sensible and effective
ReplyDeletefried, ... fabulous... thanks ji /
ज्यादा ऊँच-नीच की तो समीरा टेड़ी ताऊ की खाट खड़ी कर देगी तो ताऊ सावधान।
ReplyDeleteताऊ अब तो छोरियों से दूर ही रहो. इसी में भलाई है.
ReplyDeleteताऊ-सुलभ लज्जा ...आह!!
ReplyDeleteताऊ!
ReplyDeleteआज बस खड़ा होकर तालियाँ बजा रहा हूँ.. छा गए! कमाल की निगाह है और धृतराष्ट्र बने फिरते हो आप!! (तालियाँ)
मनोरंजक!
ReplyDeleteबहुत बढिया,वाह.
ReplyDeleteलाजवाब प्रस्तुती!
ReplyDeletetau ghanaa chhaa gayaa....
ReplyDeleteताऊ अपाने रंग में बापस आ रहे हो ... ये देख कर मज़ा आ रहा है ...
ReplyDeleteपर इन छोरियां के फेर में कैसे पढ़ गए ...
बहुत बढिया,वाह.....
ReplyDeleteराम राम ताऊ
ReplyDeleteवाह बेहतरीन !!!!
.....कमाल की रचना...!
ताऊ, थारी कविता घणी कामल सै। पर यो गलत बात कर दी, माड़ा सा उस छोरी का दिल रख लेणा था। नोटों की फ़िक्र म्हारे ऊपर छोड़ दियो अगली बार, हम संभाल लेंगे:)
ReplyDeleteरामराम।