प्यारे श्रोताओं, मैं रामप्यारे ताऊ तरही कम गरही सम्मेलन में आप सबका स्वागत करता हुं. आज इस सम्मेलन में महान रचनाकारी कविकारी, कहानीकारी, व्यंगकारी और सब कारियों की कारी महान विदुषी मिस समीरा टेढी अपनी रचना प्रस्तुत कर रही हैं. मिस टेढी के एक और हुनर से हम आपको आज रूबरू करवा रहे हैं ...वो एक महान और प्रख्यात गायिका भी हैं सो उनकी रचना का आनंद आप स्वयं उनकी आवाज में भी ले सकते हैं, नीचे उनका पाड कास्ट भी लगाया है.
आप जानते हैं कि मिस समीरा टेढी जरा मूडी और मनचली हैं वो उनको सीधे आन एयर करने का खतरा मोल नही लिया जा सकता और मिस रामप्यारी आज कैट स्केन के लिये उपलब्ध नही है, अत: आज मिस समीरा टेढी के साथ आन लाईन एडिटिंग मैं स्वयम रामप्यारे कर रहा हूं. तो आईये समीरा जी...अपनी रचना प्रस्तुत किजिये.
प्यारे भाईयो और बहनो, आप सबको होली की हार्दिक शुभकामनाएं, होली का मौका तो अब आया है मगर इसके पहले प्रवीण पाण्डेय का गीत ’मगन होके बहती है, जीवन की लहरी’ उनकी आवाज में ऐसा मन में रचा बसा कि साथ ही नहीं छोड़ रहा, अपने प्रिय का प्रभाव मान रही हूँ इसे और उस पर यह महाराज ताऊश्री के गरही मुशायरे.. का आमंत्रण स्वीकार किया है तो गाना तो पड़ेगा मगर प्रभाव तो वही रहेगा जो मन में रच बस गया है..जरा देखिये, एक कोशिश होली गरही मुशायरे की पेशकश की:
गरही सम्मेलन में कविता पाठ करते हुये मिस समीरा टेढी
एवम
आन लाईन एडिटिंग करते श्री रामप्यारे
शशी रंग लगाती, निधि रंग लगाती,
होली में मिलके सभी रंग लगाती...
रहे सोचते हम असर हो जहाँ पर
होली मने क्यूँ न नित दिन यहाँ पर...
उसे डाल पानी, भिगा कर के भागे
यही ख्वाब लेकर सुबह को थे जागे
ऐसे ये मौका मिले फिर कहाँ पर
होली मने क्यूँ न नित दिन यहाँ पर...
फिर भी सजी थालियों में मिठाई
यहाँ पर भी खाई, वहाँ पर भी खाई
छक कर के सूता हमने वहाँ पर
होली मने क्यूँ न नित दिन यहाँ पर...
इधर पर वो नाचे उधर पर वो गाये
हम भी ठूमकते रहे मदमदाये
चलो, अब चलें और सोयें नहा कर
होली मने क्यूँ न नित दिन यहाँ पर...
-मिस समीरा टेढी ’समीर’
बुरा न मानो होली है!!
अब ताऊश्री के गरही मुशायरे की अगली रेवडी दी गई है श्री ललित शर्मा को...
(अगले अंक में)
आप जानते हैं कि मिस समीरा टेढी जरा मूडी और मनचली हैं वो उनको सीधे आन एयर करने का खतरा मोल नही लिया जा सकता और मिस रामप्यारी आज कैट स्केन के लिये उपलब्ध नही है, अत: आज मिस समीरा टेढी के साथ आन लाईन एडिटिंग मैं स्वयम रामप्यारे कर रहा हूं. तो आईये समीरा जी...अपनी रचना प्रस्तुत किजिये.
प्यारे भाईयो और बहनो, आप सबको होली की हार्दिक शुभकामनाएं, होली का मौका तो अब आया है मगर इसके पहले प्रवीण पाण्डेय का गीत ’मगन होके बहती है, जीवन की लहरी’ उनकी आवाज में ऐसा मन में रचा बसा कि साथ ही नहीं छोड़ रहा, अपने प्रिय का प्रभाव मान रही हूँ इसे और उस पर यह महाराज ताऊश्री के गरही मुशायरे.. का आमंत्रण स्वीकार किया है तो गाना तो पड़ेगा मगर प्रभाव तो वही रहेगा जो मन में रच बस गया है..जरा देखिये, एक कोशिश होली गरही मुशायरे की पेशकश की:
एवम
आन लाईन एडिटिंग करते श्री रामप्यारे
शशी रंग लगाती, निधि रंग लगाती,
होली में मिलके सभी रंग लगाती...
रहे सोचते हम असर हो जहाँ पर
होली मने क्यूँ न नित दिन यहाँ पर...
उसे डाल पानी, भिगा कर के भागे
यही ख्वाब लेकर सुबह को थे जागे
ऐसे ये मौका मिले फिर कहाँ पर
होली मने क्यूँ न नित दिन यहाँ पर...
फिर भी सजी थालियों में मिठाई
यहाँ पर भी खाई, वहाँ पर भी खाई
छक कर के सूता हमने वहाँ पर
होली मने क्यूँ न नित दिन यहाँ पर...
इधर पर वो नाचे उधर पर वो गाये
हम भी ठूमकते रहे मदमदाये
चलो, अब चलें और सोयें नहा कर
होली मने क्यूँ न नित दिन यहाँ पर...
-मिस समीरा टेढी ’समीर’
बुरा न मानो होली है!!
अब ताऊश्री के गरही मुशायरे की अगली रेवडी दी गई है श्री ललित शर्मा को...
(अगले अंक में)
वाह रामप्यारे ! मजा आ गया " ताऊ तरही कम गरही सम्मेलन" में प्रस्तुत रचनाएँ सुनकर :)
ReplyDeleteशशि , निधि रंग लगाती ...
ReplyDeleteबढ़िया है !
दे रहया सै रोज ताऊ
ReplyDeleteले रहया सै मोज ताऊ
गोझ भर कै रेवड़ी की
बाँट रहया सै डोज ताऊ
लट्ठ ताई का सहारा
या सै जर्मन खोज ताऊ
कर रही गुणगान तेरा
ब्लागरों की फोज ताऊ
chahen to iska upyog tippani box ki jagah post me karen
बढ़िया चल रहा है यह रंगारंग मुशायरा ! शुभकामनायें ताऊ !
ReplyDeleteताउश्री के रंग,होली के संग ,मस्त ho gaya मन,कर दिया सभी को दंग.सुन सुन के कविता
ReplyDeleteचढ गयी है भंग,गज़ब का है ताऊ तुम्हारा ये ढंग.
बुझे बुझे यार भी हो गए सब चंग.
होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं.
आदरणीय ताऊ जी राम राम
ReplyDeleteकेवल राम की तरफ से
मिस समीर रेड्डी की कविता भी आनंददायक और सार्थक है ...कल तो और भी आनंद आएगा ..ललित जी की रचना पढने का में तो अभी से इन्तजार कर रहा हूँ
तरही कम गरही ..बढ़िया सम्मलेन ..
ReplyDeleteइतने जब रंग लगायेंगे,
ReplyDeleteपहचान कहाँ से आयेंगे,
गर कहीं किसी न पूँछ दिया,
जो नाम तो क्या बतलायेंगे?
नाम आज एक चढ़ता फेम,
पूछ रहा सब, व्हाट्स द नेम,
शीला की जवानी तब तो,
मुक्त कण्ठ से गायेंगे।
इतने जब रंग लगायेंगे।
waah waah ,
ReplyDeleteहोली मने क्यूँ न नित दिन यहाँ पर...
waah kya baat hai ..
holi ki saaaarrrrrrrrrrrrrrrrrrrr
rango se bhari badhayi ho
रामप्यारे जी आपकी आवाज में मिस समीरा टेढी को सुनना अच्छा लगा :)
ReplyDeleteराम-राम
वाकई, बहुत ग़ज़ब का लिखते हैं आप...
ReplyDeleteआदरणीय ताऊ जी राम राम
ReplyDelete.............बढ़िया सम्मलेन
कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
ReplyDeleteबहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
....बहुत ही मजा आ गया...होली मुबारक हो...ताउ, ताई, समीरा टेढी और उपस्थित विशाल ताउगण!..हं, हं..हा, हा........
ReplyDeleteइधर पर वो नाचे उधर पर वो गाये
ReplyDeleteहम भी ठूमकते रहे मदमदाये
चलो, अब चलें और सोयें नहा कर
होली मने क्यूँ न नित दिन यहाँ पर...
वाह वाह ... होली का नशा आख़िर चॅड ही गाया ...
मज़ा आ गया ...
गरही मुशायरे के क्या कहने………रंग जम गया है।
ReplyDeleteBAHUT DINO BAAD ANA HUAA IDHAR ...PAR SARTHAK RAHA ...MAJEDAAR SAMMELAN :))
ReplyDeleteTAAUJI EVAM SABHEE MITRON KO NAMASKAAR
टेढ़ीजी की सीधी कविता दिल को लगे लुभाय.
ReplyDeleteराम-राम.
ReplyDeleteताऊ तरही कम गरही सम्मेलन" वाह र्ते ताऊ यह तो बहुत अच्छी प्रस्तुति !! धन्यवाद
ReplyDeleteअभी तो पढ़कर ही काम चलाना पड़ रहा है धन्यवाद साउंड कार्ड का :)
ReplyDeleteसुंदर है नि:संदेह.
हा हा!! मिस समीरा टेढ़ी का ड्रेस डिज़ाईनर कौन है ताऊ???
ReplyDeletebadhiya rang jama hai bhaiya...
ReplyDeleteआप को और आप के परिवार में सभी को होली की ढेरों शुभकामनाएँ .
ReplyDeleteसादर,
अल्पना
vaah vaah
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