प्यारे बहणों और भाईयों, ताऊ पहेली - 118 में मैं रामप्यारे आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते हैं होली के अवसर पर ताऊ महाराज दंडकारण्य में विश्राम करने के लिये प्रस्थान कर जाते हैं. सो इस साल भी वो रामप्यारी के साथ यहां से कूच कर गये हैं और ताऊ पहेली को सतत जारी रखने का कार्यभार मुझे सौंप गये हैं. मैने इस शर्त पर यह जिम्मेदारी स्वीकार की है कि इस पहेली को जब तक मैं चाहूं तब तक अपनी मर्जी और शर्तों पर चलाऊंगा.
अब आप तो जानते हैं कि मैं ठहरा एक सीधा साधा गधा, ज्यादा फ़ालतू बात करना मेरी तबियत में शुमार नही है. और काबलियत के नाम पर सिर्फ़ अपने बडे बडे दांत ही दिखा सकता हूं. और इस पहेली के नियम बिल्कुल सीधे हैं और आप स्वयं ही इसके जज होंगे.
नीचे एक चित्र दिया हुआ है. इस चित्र को देखकर आपको बताना है कि यह चित्र कहां का है? इस जगह के बारे में आप कुछ और भी जानकारी रखते हैं तो वो भी यहां टिप्पणी में लिख कर दूसरों की जानकारी भी बढा सकते हैं.
अगर आप इस चित्र को 5 मिनट में पहचान जाते हैं तो आप अपने आपको समझिये "जीनियस"
अगर आप इस चित्र को 10 मिनट में पहचान जाते हैं तो आप अपने आपको समझिये "बुद्धिमान"
अगर आप इस चित्र को 15 मिनट में पहचान जाते हैं तो आप अपने आपको समझिये "औसत"
और अगर इससे ज्यादा समय लगाते हैं तो आप क्या हैं? आप स्वयं ही समझ लिजिये. और आपको फ़िर भी जवाब नही मिले तो यहां पर चटका लगाकर देख लिजियेगा. अब यह आपकी इमानदारी पर निर्भर करता है कि आप कितनी देर में उत्तर खोज पाये? यह सही बताते हैं या गलत?
आज की पहेली पर दसवें नंबर का सही जवाब देने वाला सौभाग्यशाली विजेता प्रमाणपत्र का हकदार होगा.
तो अब मैं रामप्यारे आपको होली की शुभकामनाएं देता हुआ आपसे विदा लेता हूं. अगले सप्ताह आपसे फ़िर यहीं मिलूंगा.
अब आप तो जानते हैं कि मैं ठहरा एक सीधा साधा गधा, ज्यादा फ़ालतू बात करना मेरी तबियत में शुमार नही है. और काबलियत के नाम पर सिर्फ़ अपने बडे बडे दांत ही दिखा सकता हूं. और इस पहेली के नियम बिल्कुल सीधे हैं और आप स्वयं ही इसके जज होंगे.
नीचे एक चित्र दिया हुआ है. इस चित्र को देखकर आपको बताना है कि यह चित्र कहां का है? इस जगह के बारे में आप कुछ और भी जानकारी रखते हैं तो वो भी यहां टिप्पणी में लिख कर दूसरों की जानकारी भी बढा सकते हैं.
अगर आप इस चित्र को 5 मिनट में पहचान जाते हैं तो आप अपने आपको समझिये "जीनियस"
अगर आप इस चित्र को 10 मिनट में पहचान जाते हैं तो आप अपने आपको समझिये "बुद्धिमान"
अगर आप इस चित्र को 15 मिनट में पहचान जाते हैं तो आप अपने आपको समझिये "औसत"
और अगर इससे ज्यादा समय लगाते हैं तो आप क्या हैं? आप स्वयं ही समझ लिजिये. और आपको फ़िर भी जवाब नही मिले तो यहां पर चटका लगाकर देख लिजियेगा. अब यह आपकी इमानदारी पर निर्भर करता है कि आप कितनी देर में उत्तर खोज पाये? यह सही बताते हैं या गलत?
आज की पहेली पर दसवें नंबर का सही जवाब देने वाला सौभाग्यशाली विजेता प्रमाणपत्र का हकदार होगा.
तो अब मैं रामप्यारे आपको होली की शुभकामनाएं देता हुआ आपसे विदा लेता हूं. अगले सप्ताह आपसे फ़िर यहीं मिलूंगा.
नोट : ताऊ होली गरही कवि सम्मेलन में कल की रेवडी दी गई है श्री सतीश सक्सेना को....इंतजार किजिये.
मैहर मंदिर !
ReplyDeleteमध्य प्रदेश में स्थित मैहर का शारदा देवी मंदिर
ReplyDeleteमा शारदा माता मंदिर, मैहर
ReplyDeleteदेखने के एक मिनट में पहचाने गये अपने आस पास का मंदिर_ तब तो सुपर जीनियस कहवाये होली पर...
ReplyDeleteमाँ शारदा मंदिर :मैहर (म.प्र.)
ReplyDeleteमैहर में श्रद्धेय देवी माँ शारदा के मंदिर है! जो मध्य प्रदेश में है!
ReplyDeleteमाँ शारदा देवी मंदिर के बारे में
ReplyDeleteमध्य प्रदेश की अत्यंत पवित्र और धार्मिक नगरी मैहर में शारदा देवी मंदिर के साथ भगवान नरसिंह की एक मूर्ति है!
होली की हार्दिक शुभकामनाए!!!
ReplyDelete२० मिनट में तो पहचान नहीं पाए :-(
ReplyDeleteहम तो तुम्हारी कटेगरी में ही सही राम प्यारे !
लोग कहते हैं कि रात को "आला-ऊदल" खुद आकर माता की आरती करते हैं जिसकी आवाज नीचे तक सुनाई देती है! और कहा जाता है कि आला-ऊदल शारदा माता के अनन्य भक्त थे! और बताते है की आला-ऊदल माँता को इष्टदेवी मानता था!
ReplyDelete!!जय माँ शारदा!!
रंग के त्यौहार में
ReplyDeleteसभी रंगों की हो भरमार
ढेर सारी खुशियों से भरा हो आपका संसार
यही दुआ है हमारी भगवान से हर बार।
आपको और आपके परिवार को होली की खुब सारी शुभकामनाये इसी दुआ के साथ आपके व आपके परिवार के साथ सभी के लिए सुखदायक, मंगलकारी व आन्नददायक हो। आपकी सारी इच्छाएं पूर्ण हो व सपनों को साकार करें। आप जिस भी क्षेत्र में कदम बढ़ाएं, सफलता आपके कदम चूम......
होली की खुब सारी शुभकामनाये........
सुगना फाऊंडेशन-मेघ्लासिया जोधपुर ,"एक्टिवे लाइफ" और "आज का आगरा" बलोग की ओर हार्दिक शुभकामनाएँ..
समय मिले तो ये पोस्ट जरूर देखें.
"गौ ह्त्या के चंद कारण और हमारे जीवन में भूमिका!" और अपना सुझाव व संदेश जरुर दे!
लिक http://sawaisinghrajprohit.blogspot.com/2011/03/blog-post.html
आपका सवाई सिंह
आगरा
kuch samaj nahi aa raha hai , dekha hua sa lag raha hai ,..
ReplyDeleteतन रंग लो जी आज मन रंग लो,
ReplyDeleteतन रंग लो,
खेलो,खेलो उमंग भरे रंग,
प्यार के ले लो...
खुशियों के रंगों से आपकी होली सराबोर रहे...
जय हिंद...
हम तो पिछले 15 मिनट से देख रहे हैं।
ReplyDeleteमाँ शारदा मंदिर :मैहर (म.प्र.)
ReplyDeleteमध्य प्रदेश की अत्यंत पवित्र और धार्मिक नगरी मैहर में हरे भरे त्रिकूट पर्वत के शिखर पर माँ शारदा देवी का भव्य मंदिर स्थित है. पोराणिक मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है की भगवान शिव जब माता सती का मृत शरीर कांधे पर उठाये विलाप करते हुये जा रहे थे तब माता सती का हार इसी जगह पर गिरा था और इसी वजह से इसका नाम माई का हार पड़ गया जो कालांतर में बोल चाल की भाषा में बदल कर मैहर हो गया.
यहां पर हरी भरी सुन्दर पहाड़ी है जिसका नाम है त्रिकूट पर्वत, इसकी ऊंचाई समतल से करीब 600 फुट है, जिसके उच्च शिखर पर स्थित है माता शारदा देवी का भव्य और मनोरम मंदिर. माता शारदा के बारे मे विस्तृत वर्णन दुर्गा सप्तशती एवं देवी भागवत पुराण में भी मिलता है और मंदिर पर लगे शिलालेखो पर इस जगह के ऐतिहासिक होने के प्रमाण मिलते है.
कहा जाता है कि आल्हा-ऊदल शारदा माता के अनन्य भक्त थे और उन्होंने 12 वर्ष की घनघोर तपस्या के बाद इसी त्रिकूट पर्वत पर माता शारदा के प्रत्यक्ष दर्शन प्राप्त किये, ततपश्चात उन्हें अमरत्व का वरदान प्राप्त हुआ. माना जाता है कि आज भी माता की प्रथम पूजा आल्हा ही करते है. मंदिर के कार्यकर्ता और पुजारीगण भी स्वीकार करते है कि वे जब भी प्रातः समय मंदिर में जाते है तो माता के चरणों में पहले से ही ताजे फूल चढ़े हुए मिलते है जिससे प्रमाणित होता है कि माता की प्रथम पूजा आज भी आल्हा ही करते हैं. इस रहस्य को सुलझाने वैज्ञानिकों की टीम भी यहां डेरा जमा चुकी है लेकिन रहस्य अभी भी बरकरार है.
विंध्य पर्वत श्रेणियों के बीच स्थित त्रिकूट पर्वत पर इस मंदिर के बारे यह भी मान्यता है कि माता शारदा की प्रथम पूजा आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी. मैहर पर्वत का नाम प्राचीन धर्म ग्रंथों में महेन्द्र पर्वत मिलता है. इसका उल्लेख भारत के अन्य पर्वतों के नामों के साथ पुराणों में भी आया है. किवंदतियों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मैहर नगर का नाम माता शारदा मंदिर की वजह से ही अस्तित्व में आया.
मैहर माता शारदा मंदिर के लिए तो प्रसिद्ध है ही, परंतु इसके चारों ओर अनेकों प्राचीन धरोहरें भी बिखरी पड़ी हैं. मंदिर के ठीक पीछे की तरफ़ इतिहास में वर्णित दो प्रसिद्ध योद्धाओं व देवी के अनन्य भक्तों आल्हा- ऊदल के अखाड़े हैं और यहीं एक तालाब व भव्य मंदिर है जिसमें अमरत्व का वरदान प्राप्त आल्हा की तलवार उसी की विशाल प्रतिमा के हाथ में थमाई हुई है. इसके अलावा मैहर के आसपास के ग्राम मड़ई, मनौरा, तिदुंहटा व बदेरा में सदियों पुराने भवन व शिलालेख पाये जाते हैं जो भारतीय इतिहास को नए तरीके से देखने का अवसर प्रदान करते हैं. शिव पुराण के अनुसार बदेरा में ही शिवभक्त बाणासुर की राजधानी थी जिसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि बदेरा के जंगलों में जगह-जगह शिव मंदिरों के भग्नावशेष व शिवलिंग मिलते हैं.
मंदिर की दूरी बस स्टेंड व रेल्वे स्टेशन से मात्र 5 किलोमीटर (लगभग) है, मंदिर तक जाने के लिए रिक्सा तांगा व टेम्पो सदैव उपलब्ध रहते है. जमीन से मंदिर तक 1051 सीढिया चढनी पडती है, लगभग 300 फुट की ऊंचाई तक सड़क मार्ग भी बना हुआ है और दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए अब रोप वे भी उपलब्ध है. त्रिकूट पर्वत के शिखर से चहुं ओर अत्यंत मनोहारी दृष्यावली दिखाई देती है. माता के मंदिर में दर्शन कर मन को असीम शांति और आनंद प्राप्त होता है. माँ शारदा का विशेष उत्सव चैत्र व अश्विन माह की नवरात्री में होता है तब यहाँ से आने जाने वाली लगभग सभी रेलगाड़ीयों का स्टापेज होता है. मैहर यात्रा का संपूर्ण आनंद अक्टूबर से फरवरी के बीच लिया जा सकता है.
मैं अभी सोच रहा हूं.
ReplyDeleteमैने तो दिमाग में बिलकुल जोर नहीं दिया। एक बार देखा नहीं पहचाना तो तुरत चटका लगा दिया। उत्तर पढ़ते ही समझ गया कि मैं भी आपके ही बिरादरी का हूँ...सिवाय दांत दिखाने के अब किया भी क्या जा सकता है!
ReplyDelete..1990 में गया था। लगती है रूप बदल गया है मंदिर का।
अरै ताऊ हम तै पिछले डेढ़ घंटे तै देखण लाग रह्ये सें पर समझ में कोन्या आया ।
ReplyDeleteइब न्यून जाकै देखे सें कि हम ने के कह्वेंगे ।
पर होली की राम राम तै ले ल्यो ।
ओह ! ताऊ चला होग्या !
ReplyDeleteपूरे देश में मध्य प्रदेश में ही कभी नहीं गए । अब लगता है , जाना पड़ेगा ।
कहाँ से शुरुआत करूँ ?
और अगर इससे ज्यादा समय लगाते हैं तो आप क्या हैं? आप स्वयं ही समझ लिजिये.
ReplyDeleteताउजी बताएँगे ! फिलहाल ताऊ जी को होली की घणी शुभ कामनाये !
अरे ताऊ जी मै तो इसे कभी नही समझ सकता कि यह चित्र कहां का हे? मुझे लो लगता हे सब लोग भिखारी का रुप धारण कर के, यहां भीख मांगने जाते हे, ओर अपने पुराने पापो के बदले रिशवत दे देते हे, ओर नये पाप करने के लिये नया आग्या पत्र ले लेते हे,फ़िर पबित्र के पबित्र, अब मुझ जैसे पापी को जो यहां जाना ही नही चाहता, ओर बाहर से जुते ही चुरा ले... उसे क्या पता यह कोन सा पाप घाट हे, जहां पाप धोये जाते हे... आप चुपचाप होली की शुभकामनऎ ले लें , वर्ना ताई को शिकायत कर दुंगा हां
ReplyDeleteबहुत सुन्दर जानकारी। जैसी पोस्ट वैसी ही टिप्पणियाँ।
ReplyDelete"बाबा" उस्ताद अलाउद्दीन खाँ भी मैहर से ही सम्बद्ध रहे हैं। वैसे मैहर बैंड भी प्रसिद्ध हुआ था जिसमें केवल शास्त्रीय वृन्द ही प्रयुक्त होते थे।
एक मिनट भी नहीं लगाया जी चटका लगाने में:)
ReplyDeleteप्रणाम
सौ बातों की एक बात। और चाहे जो कुछ भी हो "डीरेस" बहुत धांसू पहिरे हो।
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