मैं ताऊ टीवी का होनहार खोजी संवाद दाता रामप्यारे आपका इस सुबह सबेरे के न्यूज बुलेटिन में स्वागत करता हूं. आज की मुख्य और बडी खबर ये है कि आज थक हार कर मिस समीरा टेढ़ी को उनकी स्लिम एवं जीरो साईज उपन्यासिका के लिए ताऊ ने एक चेतावनी भरा फरमान जारी कर ही दिया.
पूरी खबर इस प्रकार है कि विगत २१ फरवरी को प्रसिद्ध स्लिमट्रीम चिट्ठाकार, कवि, व्यंग्यकार, कथाकार, उपन्यासकार, गीतकार, शैलीकार, अदाकार, ...कार, ....कार...और बस कार मिस समीरा टेढी़ की स्लिम एवं जीरो साईज उपन्यासिका ’देख लिया, अब जाओ’ के विमोचन का एक माह पूर्ण हो गया.
इस भव्य एवं स्मरणीय अवसर पर एक भड़कीले समारोह में ताऊ के "इन्वेस्टिगेशन एवं स्टेस्टिकल इन्सटिट्यूट ( ISI ) ने जो रपट ताऊ महाराज को पेश की, उसके अनुसार: निम्न निष्कर्ष निकल कर आये हैं. जरा मुलाहिजा फ़रमाया जाये.
कुल पुस्तक प्रकाशित : ५० नग
कुल पुस्तक मुफ्त वितरित : ३० (११ ब्लॉगर्स को एवं १९ नॉन ब्लॉगर्स को) (अतः नोट ओनली फार ब्लॉगर्स)
भारतीय डाक की कृपा से पोस्ट में गुम : ३ (तीनों ब्लॉगर्स को भेजी हुई)
स्टॉक में बची मुफ्त वितरण की राह तकती : १०
बिक्री/मुफ्त वितरण के डिसिजन के बीच झूलती : ६
बिक्री हेतु आरक्षित : २
प्रकाशक की सुरक्षित प्रति : १ (विशिष्ट परिस्थितियों में इसे भी मुफ्त वितरण हेतु मान्य समझा जाये, प्रकाशक खुद के लिए बिक्री वाली में से एक खरीद लेगा)
लेखक की सुरक्षित प्रति : १ (विशिष्ट परिस्थितियों में इसे भी मुफ्त वितरण हेतु मान्य समझा जाये, लेखक खुद के लिए बिक्री वाली में से एक खरीद लेगा)
विमोचन से एक माही आयोजन के बीच का अंतराल : ३१ दिन
समीक्षायें प्रकाशित : ४३ (नित १.३९ समीक्षा (४३/३१))
समीक्षा की आड़ में व्यक्तिगत भड़ास : १
समीक्षा कम इन्वेस्टिगेशन ज्यादा : १
समीक्षा के नाम पर पुस्तक के अंश : ३
समीक्षा के बदले स्तुतिगान : ३३
समीक्षा के नाम पर अबूझ लेखन : ४
लेखक परिचय : १
सबसे पहले तो इस समारोह के अवसर पर दो शब्द कहते हुए सजल नयनों से स्लिम एवं जीरो साईज उपन्यासिका के पन्नों की संख्या से दोगुनी पन्नों की संख्या पार कर चुकी समीक्षाओं के लिए मिस समीरा टेढ़ी को दो मिनट का मौन रख कर बधाई एवं शुभकामनाएँ दी गई. इसके बाद ताऊ द्वारा यह याद दिलाया गया कि बार बार स्मरण कराने पर भी आज तारीख तक किताब नही पहुँची, वैसे इसकी महति आवश्यक्ता भी नहीं क्योंकि उपरोक्त ४३ समीक्षाओं जिसमें एक इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट भी शामिल है, के आधार पर समीक्षा एवं ब्लॉग पर लिंक्स पढ़कर किताब में छपे से ज्यादा किताब ताऊ ऑलरेडी पढ़ चुका है और उसी के आधार पर किसी भी अच्छे खाँ से बेहतर समीक्षा/ इन्वेस्टिगेशन/भड़ास उगाली कर सकता है. जिसका एक छोटा सा नमूना यहां आप पढ ही रहे हैं.
बहुत ही अफ़्सोसजनक और मोस्ट इम्पोरटेन्ट बात यह है कि आज तक समीक्षा करने की फ़ीस भी नही भेजी गई है. अत: जैसा की ताऊ महाराज का सिद्धांत है कि फ़ीस के अभाव में सिर्फ़ जलागरत्व गुण प्रधान वाली समीक्षा ही एक मात्र उपाय बचती है.
अतः ताऊ इस भाषण एवं पोस्ट के माध्यम से एक बार पुनः आगाह करता है कि सात दिन के भीतर अगर रकम अदायगी की रस्म पूरी न की गई तो किसी भी प्रकार की समीक्षा जो कि जलागरत्व गुण से सजी होगी एवं किताब की बिक्री को पुनः एक बार रोकने की पुरजोर कोशिश होगी (पूर्व मे किसी अन्य द्वारा की गई इस कोशिश की नाकामी को मानक न माना जाये) और इसके लिए ताऊ को जिम्मेदार न ठहराया जाये. वैसे ठहरा कर भी ताऊ का क्या बिगाड लोगे, जब आज तक कोई कुछ नहीं बिगाड पाया.
यह ताऊ की शराफ़त है जो जलागरत्व गुण प्रधान समीक्षा छापने के पूर्व इस पोस्ट के माध्यम से चेतावनी दे रहा है कि जल्दी से जल्दी फ़ीस की रकम भेजी जाये वर्ना ताऊ अपनी मनमर्जी की समीक्षा छापने के लिये स्वतंत्र है और आप सब पाठक इस बात के गवाह होंगे कि ताऊ ने पीठ पीछे से वार नही किया ब्लकि पीठ की जगह पेट में छुरा भौकंने के लिये सात दिन का महती समय प्रदान करने की कृपा की.
अन्य सभी गणमान्य लेखक/लेखिकाओं से अनुरोध है कि वे अपनी अपनी पुस्तकों की समीक्षा करवाने की फ़ीस तुरंत भिजवायें और ताऊ को जलागरत्व गुण प्रधान छीछालेदर करने का मौका ना दें.
पूरी खबर इस प्रकार है कि विगत २१ फरवरी को प्रसिद्ध स्लिमट्रीम चिट्ठाकार, कवि, व्यंग्यकार, कथाकार, उपन्यासकार, गीतकार, शैलीकार, अदाकार, ...कार, ....कार...और बस कार मिस समीरा टेढी़ की स्लिम एवं जीरो साईज उपन्यासिका ’देख लिया, अब जाओ’ के विमोचन का एक माह पूर्ण हो गया.
इस भव्य एवं स्मरणीय अवसर पर एक भड़कीले समारोह में ताऊ के "इन्वेस्टिगेशन एवं स्टेस्टिकल इन्सटिट्यूट ( ISI ) ने जो रपट ताऊ महाराज को पेश की, उसके अनुसार: निम्न निष्कर्ष निकल कर आये हैं. जरा मुलाहिजा फ़रमाया जाये.
कुल पुस्तक प्रकाशित : ५० नग
कुल पुस्तक मुफ्त वितरित : ३० (११ ब्लॉगर्स को एवं १९ नॉन ब्लॉगर्स को) (अतः नोट ओनली फार ब्लॉगर्स)
भारतीय डाक की कृपा से पोस्ट में गुम : ३ (तीनों ब्लॉगर्स को भेजी हुई)
स्टॉक में बची मुफ्त वितरण की राह तकती : १०
बिक्री/मुफ्त वितरण के डिसिजन के बीच झूलती : ६
बिक्री हेतु आरक्षित : २
प्रकाशक की सुरक्षित प्रति : १ (विशिष्ट परिस्थितियों में इसे भी मुफ्त वितरण हेतु मान्य समझा जाये, प्रकाशक खुद के लिए बिक्री वाली में से एक खरीद लेगा)
लेखक की सुरक्षित प्रति : १ (विशिष्ट परिस्थितियों में इसे भी मुफ्त वितरण हेतु मान्य समझा जाये, लेखक खुद के लिए बिक्री वाली में से एक खरीद लेगा)
विमोचन से एक माही आयोजन के बीच का अंतराल : ३१ दिन
समीक्षायें प्रकाशित : ४३ (नित १.३९ समीक्षा (४३/३१))
समीक्षा की आड़ में व्यक्तिगत भड़ास : १
समीक्षा कम इन्वेस्टिगेशन ज्यादा : १
समीक्षा के नाम पर पुस्तक के अंश : ३
समीक्षा के बदले स्तुतिगान : ३३
समीक्षा के नाम पर अबूझ लेखन : ४
लेखक परिचय : १
सबसे पहले तो इस समारोह के अवसर पर दो शब्द कहते हुए सजल नयनों से स्लिम एवं जीरो साईज उपन्यासिका के पन्नों की संख्या से दोगुनी पन्नों की संख्या पार कर चुकी समीक्षाओं के लिए मिस समीरा टेढ़ी को दो मिनट का मौन रख कर बधाई एवं शुभकामनाएँ दी गई. इसके बाद ताऊ द्वारा यह याद दिलाया गया कि बार बार स्मरण कराने पर भी आज तारीख तक किताब नही पहुँची, वैसे इसकी महति आवश्यक्ता भी नहीं क्योंकि उपरोक्त ४३ समीक्षाओं जिसमें एक इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट भी शामिल है, के आधार पर समीक्षा एवं ब्लॉग पर लिंक्स पढ़कर किताब में छपे से ज्यादा किताब ताऊ ऑलरेडी पढ़ चुका है और उसी के आधार पर किसी भी अच्छे खाँ से बेहतर समीक्षा/ इन्वेस्टिगेशन/भड़ास उगाली कर सकता है. जिसका एक छोटा सा नमूना यहां आप पढ ही रहे हैं.
बहुत ही अफ़्सोसजनक और मोस्ट इम्पोरटेन्ट बात यह है कि आज तक समीक्षा करने की फ़ीस भी नही भेजी गई है. अत: जैसा की ताऊ महाराज का सिद्धांत है कि फ़ीस के अभाव में सिर्फ़ जलागरत्व गुण प्रधान वाली समीक्षा ही एक मात्र उपाय बचती है.
अतः ताऊ इस भाषण एवं पोस्ट के माध्यम से एक बार पुनः आगाह करता है कि सात दिन के भीतर अगर रकम अदायगी की रस्म पूरी न की गई तो किसी भी प्रकार की समीक्षा जो कि जलागरत्व गुण से सजी होगी एवं किताब की बिक्री को पुनः एक बार रोकने की पुरजोर कोशिश होगी (पूर्व मे किसी अन्य द्वारा की गई इस कोशिश की नाकामी को मानक न माना जाये) और इसके लिए ताऊ को जिम्मेदार न ठहराया जाये. वैसे ठहरा कर भी ताऊ का क्या बिगाड लोगे, जब आज तक कोई कुछ नहीं बिगाड पाया.
यह ताऊ की शराफ़त है जो जलागरत्व गुण प्रधान समीक्षा छापने के पूर्व इस पोस्ट के माध्यम से चेतावनी दे रहा है कि जल्दी से जल्दी फ़ीस की रकम भेजी जाये वर्ना ताऊ अपनी मनमर्जी की समीक्षा छापने के लिये स्वतंत्र है और आप सब पाठक इस बात के गवाह होंगे कि ताऊ ने पीठ पीछे से वार नही किया ब्लकि पीठ की जगह पेट में छुरा भौकंने के लिये सात दिन का महती समय प्रदान करने की कृपा की.
अन्य सभी गणमान्य लेखक/लेखिकाओं से अनुरोध है कि वे अपनी अपनी पुस्तकों की समीक्षा करवाने की फ़ीस तुरंत भिजवायें और ताऊ को जलागरत्व गुण प्रधान छीछालेदर करने का मौका ना दें.
:):)
ReplyDeleteहंस हंस के लोटपोट होने के सिवा कोई चारा नहीं हा हा हा हा हा हा
ReplyDeleteregards
ताऊ होश में आ जाओ !
ReplyDeleteअब दोस्तों से भी नोट कमाने के लिए ब्लैकमेलिंग शुरू कर दी ... :-(
कितना ही चिल्ला लो समीरा मैडम से एक पैसा नहीं मिलने वाला वैसे ताऊ सारे काम जेल जाने के कर रहा है ! पैसों की इत्ती भूख ठीक नहीं !
खैर ...ताऊ के सुधरने की कोई उम्मीद नहीं
ReplyDeleteकिताब का नाम और कवर पेज मूल किताब से बढ़िया रहा, ताऊ की खोपड़ी का जवाब नहीं !
पूर्व चेतावनी के लिये धन्.....
ReplyDeleteाइसे कैसे चली जाऊँ? :देख लूँ तो चलूँ:। राम राम।
ReplyDeleteहा-हा-हा
ReplyDeleteताऊ तेरा जवाब नहीं
जोरदार हास्य
प्रणाम
क्या बात है...बहुत खूब...लाजवाब....
ReplyDeleteहा-हा-हा-हा.... यार ताऊ जी, मैं तो सोच रहा था कि आप सिर्फ किताब का कवर ही उधेडोगे, आपने तो खाल ही उधेड़ के ही रख दी :)
ReplyDelete:)
ReplyDelete;)
:)
---------
ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
हाय!!!!!!!!!!!!!मिस समीरा की हालत....कहाँ अटक गईं बेचारी ताऊ के चक्कर में....भगवान उनकी रक्षा करे!!! :)
ReplyDeleteताऊ जी .. हमें तो पुस्तक मिल गयी... धन्यवाद
ReplyDeleteहा हा हा ,,, आपने तो हसा हसा के लोटपोट कर दिया ...
हा हा
ReplyDeleteताऊ श्री सावधान ! आप पर गंभीर आरोप लगा कर
ReplyDeleteमिस समीरा टेडी केस चलाने की योजना बना रहीं है .ये भी सुना की आपने उनके साथ ब्लैक मेलिंग और अमानत में खयानत की है.खैर घबराने की कोई बात नहीं .आप मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा ' पर आइये ,कुछ न कुछ रास्ता निकाल ही लेंगें आपस में मिल कर . प्रणाम
देख लिया अब दि..... बहुत सुंदर , राम राम
ReplyDeleteपुस्तक जल्दी से रवाना कर दीजिए!
ReplyDeleteसमीक्षा लिख देंगे!
ताऊ!! तुस्सी ग्रेट हो!!!
ReplyDelete’देख लिया, अब जाओ' हा हा हा
ReplyDeleteमिस समीरा के बहाने आपने वर्तमान लेखकों के ! दर्द को खूब अभिव्यक्त किया है। सुंदर हास्य-व्यंग्य।
ReplyDelete...तबियत मस्त हो गई ताऊ !
ताऊ पला बदल रहे हो -मुआफी नहीं मिलेगी !
ReplyDeleteताऊ कमाल कर दिया।
ReplyDeleteहा हा हा हा
अब समझ आया की मेरी सारी किताब की कोई समीक्षा क्यों नहीं करता है जो किताबे मैंने समीक्षा के लिए पोस्ट से भेजे थे वी उन्हें मिले ही नहीं सब डाक बाबु लोग मुफ्त में पढ़ने के लिए अपने पास ही रख लिए | वैसे मेरी चव्वनिया मिली की नहीं ताऊ किताब तो आप बिना पढ़े की समीक्षा कर देंगे मुझे पता है |
ReplyDeleteये पुस्तक समीक्षा भी मजेदार बन गई |
ReplyDeleteTAU JI RAM RAM
ReplyDeleteBAHUT SUNDER
..बहुत खूब...लाजवाब....
ReplyDeleteaage se koi bhi samikshak...........
ReplyDeletekisi pustak ki samiksha karne se poorv......tau ke is sameeksha ko jaroor padhen......
ghani pranam.
:) :) ...बहुत बढ़िया ..
ReplyDeleteहा हा हा …………बढिया है।
ReplyDeleteआह! मैं बच गया :)
ReplyDelete(क्योंकि मैं लेखक नहीं हूं)
:)
क्या शानदार किताब लाये हैं आप... बढ़िया..
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