बात थोडी पुरानी है. ताऊ ने राज भाटिया जी को टोपी पहनाई उसके बाद एक बंगाली बोस बाबू से उनका घनिष्ठ याराना हो गया. ताऊ की टोपीबाजी की पुरानी आदत थी, शायद कई जन्मों की. बातों बातों में एक दिन बोस बाबू को भी ताऊ ने शानदार सलमे सितारे वाली टोपी पहना दी.
हुआ यो कि ताऊ को कुछ रूपयों की जरूरत पड गई. ताऊ को जन्मों से सारी दुनिया जानती है सो कोई रूपये पैसे उसको उधार देता नही था. और बोस बाबू से उसकी नई नई दोस्ती हुई थी. बोस बाबू अभी ताऊ की करामातों से परिचित नही थे. सो आगये ताऊ के झांसे में.
ताऊ ठहरा खेला खाया इंसान, हर आदमी की रग रग पहचानता है तभी तो कैसे जैसे करके उसका टोपीबाजी का धंधा चलता रहता है. ताऊ जानता था कि बोस बाबू के पास नगद रूपये तो मिलेंगे नही सो एक दिन जब बोस बाबू ताऊ के घर आये तो ताऊ ने बाहर चौक में से ही ताई को आवाज लगाई.
ताऊ - अरे भागवान देख कौन आये हैं?
ताई : अरे क्यूं रुक्के मारण लागरया सै? इसा कुण आग्या?
ताऊ : अरे बोस बाबू आये हैं जरा तेरे मायके से जो मिठाई आई है वो तो खिला इनको...
ताई : जरा डटज्या...भैंस नै तूडा गेरकर ल्याऊं सूं.
थोडी देर बाद ताई एक प्लेट में डोडा मिठाई ले कर आई जिसे खाकर बोस बाबू बडे आनंदित हुये और चाय का कप उठाते हुये बोले - मिष्ठि तो बहुत आच्छा है ताऊ किस बात का लिये आया है?
ताऊ बोला - अजी बोस बाबू, मेरे साले के लडके की सगाई होने वाली है उसी की खुशी में ये मिठाई आई है. पर एक परेशानी भी खडी हो गई है?
बोस बाबू बोले - हमरा रहते हुये किस बात का परेशानी? हम है ना तुम्हरा पक्का बोंधू..... हमरा लायक काम हो तो हमको बतावो ताऊ. हम आपका काम कर देगा.
ताऊ बोला - अजी बोस बाबू, काम तो जरा सा है. साले के लडके की सगाई में लडकी को रोकने के लिये उसको सोने का हार पहनाना है और गोटू सुनार को हार बनाने का आर्डर दिया था, उसने अभी तक बनाया नही.
बोस बाबू बोले - इसमे काहे का परेशानी ताऊ? ताई के पास भी हार तो होगा ना, वो वाला पहना दिजिये, नया हार बनके आयेगा तब बदल लेना.
ताऊ बोला - अजी बोस बाबू, मेरा प्लान तो यही था पर ताई बोलती है कि सगाई के फ़ंक्शन में उसको भी वही हार पहनना है. अब बडी मुसीबत खडी हो गई, ताई को ज्यादा बोलूंगा तो वो मेड-इन-जर्मन उठा लेगी. ताऊ ने रोनी सूरत बनाकर कोने में खडे मेड-इन-जर्मन की तरफ़ देखा.
बोस बाबू बोले - ताऊ तुम भोस बाबू के रहते काहे को चिंता कोरता है? हमरा बीबी अभी कोलकाता गया हुआ है उसका हार हम कल बैंक का लोकर से लाकर तुमको दे देगा. वो अभी एक महिना बाद वापस लौटेगा तब तक तुम अपना काम निकाल कर हार हमको लौटा देना. तब हम वापस लोकर में पहूंचा देगा.
ताऊ ने मन ही मन सोचा कि ये बंगाली मछली कांटा तो निकल गई है बस किसी तरह ये हार देने तक कांटा निगले रहे. अगर इसको कहीं पता लग गया तो फ़िर ये हार नही देगा. सो ताऊ ने बोस बाबू को देर रात तक वहीं बातों में उलझाये रखा और रात का खाना चकाचक खिला पिलाकर विदा किया.
अगले दिन ताऊ के साथ बैंक जाकर बोस बाबू ने उनकी बीबी का दस तोले का सोने का हार ताऊ के हवाले कर दिया. ताऊ ने बोस बाबू को बहुत धन्यवाद दिया और घर आगया और हार को बेच कर नगद खडे कर लिये. और बोस बाबू से अब दूरी बनाने लग गया. बोस बाबू जैसा सीधा साधा आदमी ताऊ जैसे शातिर जालिम सिंह की चाल क्या समझता सो उसने कोई विशेष ध्यान नही दिया.
कुछ समय तो बोस बाबू ने यह समझकर तकादा नही किया कि ताऊ बहुत ही शरीफ़, इमानदार और जबान का पक्का है सो वादे के अनुसार सोने का हार लौटा देगा. परंतु ताऊ का महान सिद्धांत "लेकर दिया कमाकर खाया, धी की ऐसी तैसी जो दुनियां में आया", उसको मालूम नहीं था. सो ताऊ को रोज तगादा करने लगा पर ताऊ ने सोने का हार लौटाने के लिये थोडी ही लिया था जो वापस लौटाता? वो तो उसने बेच खोच कर ठिकाने लगा दिया था .
अंतत: डरते डरते बोस बाबू ने इधर उधर गली मोहल्ले मे जिक्र किया, ताऊ के व्यवहार के बारें में पता किया तब राज भाटिया जी जैसे ताऊ के शिकारों ने उसको बताया कि बोस बाबू अब हार को भूल जावो.
बोस बाबू बोला - अगर हमको हार नही मिला तो हमरा बीबी हमको मार डालेगा. पर अब क्या हो सकता था?
अब बोस बाबू ताऊ के घर चक्कर काटने लगे. और हार वापस पाने का तकादा करने लगे कि उनकी बीबी का गला सूना है और हार तुरंत वापस चाहिये. पर ताऊ तो उन्हें मिले ही नही, ताई से मना करवा दे...ताई लठ्ठ लेकर बाहर आकर मना करदे...बोस बाबू ताई के हाथ में लठ्ठ देखकर वैसे ही पसीने में भीग जाये. बोस बाबू फ़ोन करे तो ताऊ कभी उठाये नही. आखिर क्या करें बोस बाबू....
एक दिन राज भाटिया जी ने बोस बाबू को सलाह दे डाली कि किसी दूसरे के फ़ोन से ताऊ को फ़ोन लगा तब वो उठा सकता है. सो बोस बाबू ने एक दिन पडौसी के फ़ोन से फ़ोन लगाया तो ताऊ ने उठा लिया.
ताऊ - हल्लो जी. हल्लो जी....
उधर से बोस बाबू बोले - अईजे ताऊ आमि भोस बाबू बोलछि....
इधर आवाज सुनते ही ताऊ असली माजरा पहचान गया और लडकी की आवाज में बोला - ये ताऊ मेरिज ब्यूरो की आटोमेटेड फ़ोन सर्विस है. हिंदी के लिये एक दबायें, अंगरेजी के लिये दो दबाये, हरयाणवी के लिये तीन दबाये, पंजाबी के लिये चार दबायें, तामिल के लिये पांच दबायें.....
बीच में ही बोस बाबू ने पूछा - बांगला के लिये कोतो नंबर दबाने होगा?
ताऊ बोला - क्षमा किजिये, अभी बंगला सर्विस और बंगाली का हार उपलब्ध नही है.
उधर से बोस बाबू ने हिंदी के लिये एक दबाया तब इधर से ताऊ ने बोलना शुरू किया - लडका देखने के लिये एक दबाये, लडकी देखने के लिये दो दबायें, सगाई के लिये तीन दबायें, शादी के लिये चार दबायें.
उधर से यह सब खटराग सुनते सुनते बोस बाबू झल्ला गये और पूछ बैठे - दुसरी शादी करने के लिये क्या करने होगा?
इधर ताऊ भी भूल गया कि वो आटोमेटेड मशीन बनकर जवाब दे रहा है और बोल पडा - अरे बावलीबूच, दूसरी शादी करने के लिये पहली वाली का गला दबा दे फ़िर हार की जरूरत भी नही रहेगी.
हुआ यो कि ताऊ को कुछ रूपयों की जरूरत पड गई. ताऊ को जन्मों से सारी दुनिया जानती है सो कोई रूपये पैसे उसको उधार देता नही था. और बोस बाबू से उसकी नई नई दोस्ती हुई थी. बोस बाबू अभी ताऊ की करामातों से परिचित नही थे. सो आगये ताऊ के झांसे में.
ताऊ ठहरा खेला खाया इंसान, हर आदमी की रग रग पहचानता है तभी तो कैसे जैसे करके उसका टोपीबाजी का धंधा चलता रहता है. ताऊ जानता था कि बोस बाबू के पास नगद रूपये तो मिलेंगे नही सो एक दिन जब बोस बाबू ताऊ के घर आये तो ताऊ ने बाहर चौक में से ही ताई को आवाज लगाई.
ताऊ - अरे भागवान देख कौन आये हैं?
ताई : अरे क्यूं रुक्के मारण लागरया सै? इसा कुण आग्या?
ताऊ : अरे बोस बाबू आये हैं जरा तेरे मायके से जो मिठाई आई है वो तो खिला इनको...
ताई : जरा डटज्या...भैंस नै तूडा गेरकर ल्याऊं सूं.
थोडी देर बाद ताई एक प्लेट में डोडा मिठाई ले कर आई जिसे खाकर बोस बाबू बडे आनंदित हुये और चाय का कप उठाते हुये बोले - मिष्ठि तो बहुत आच्छा है ताऊ किस बात का लिये आया है?
ताऊ बोला - अजी बोस बाबू, मेरे साले के लडके की सगाई होने वाली है उसी की खुशी में ये मिठाई आई है. पर एक परेशानी भी खडी हो गई है?
बोस बाबू बोले - हमरा रहते हुये किस बात का परेशानी? हम है ना तुम्हरा पक्का बोंधू..... हमरा लायक काम हो तो हमको बतावो ताऊ. हम आपका काम कर देगा.
ताऊ बोला - अजी बोस बाबू, काम तो जरा सा है. साले के लडके की सगाई में लडकी को रोकने के लिये उसको सोने का हार पहनाना है और गोटू सुनार को हार बनाने का आर्डर दिया था, उसने अभी तक बनाया नही.
बोस बाबू बोले - इसमे काहे का परेशानी ताऊ? ताई के पास भी हार तो होगा ना, वो वाला पहना दिजिये, नया हार बनके आयेगा तब बदल लेना.
ताऊ बोला - अजी बोस बाबू, मेरा प्लान तो यही था पर ताई बोलती है कि सगाई के फ़ंक्शन में उसको भी वही हार पहनना है. अब बडी मुसीबत खडी हो गई, ताई को ज्यादा बोलूंगा तो वो मेड-इन-जर्मन उठा लेगी. ताऊ ने रोनी सूरत बनाकर कोने में खडे मेड-इन-जर्मन की तरफ़ देखा.
बोस बाबू बोले - ताऊ तुम भोस बाबू के रहते काहे को चिंता कोरता है? हमरा बीबी अभी कोलकाता गया हुआ है उसका हार हम कल बैंक का लोकर से लाकर तुमको दे देगा. वो अभी एक महिना बाद वापस लौटेगा तब तक तुम अपना काम निकाल कर हार हमको लौटा देना. तब हम वापस लोकर में पहूंचा देगा.
ताऊ ने मन ही मन सोचा कि ये बंगाली मछली कांटा तो निकल गई है बस किसी तरह ये हार देने तक कांटा निगले रहे. अगर इसको कहीं पता लग गया तो फ़िर ये हार नही देगा. सो ताऊ ने बोस बाबू को देर रात तक वहीं बातों में उलझाये रखा और रात का खाना चकाचक खिला पिलाकर विदा किया.
अगले दिन ताऊ के साथ बैंक जाकर बोस बाबू ने उनकी बीबी का दस तोले का सोने का हार ताऊ के हवाले कर दिया. ताऊ ने बोस बाबू को बहुत धन्यवाद दिया और घर आगया और हार को बेच कर नगद खडे कर लिये. और बोस बाबू से अब दूरी बनाने लग गया. बोस बाबू जैसा सीधा साधा आदमी ताऊ जैसे शातिर जालिम सिंह की चाल क्या समझता सो उसने कोई विशेष ध्यान नही दिया.
कुछ समय तो बोस बाबू ने यह समझकर तकादा नही किया कि ताऊ बहुत ही शरीफ़, इमानदार और जबान का पक्का है सो वादे के अनुसार सोने का हार लौटा देगा. परंतु ताऊ का महान सिद्धांत "लेकर दिया कमाकर खाया, धी की ऐसी तैसी जो दुनियां में आया", उसको मालूम नहीं था. सो ताऊ को रोज तगादा करने लगा पर ताऊ ने सोने का हार लौटाने के लिये थोडी ही लिया था जो वापस लौटाता? वो तो उसने बेच खोच कर ठिकाने लगा दिया था .
अंतत: डरते डरते बोस बाबू ने इधर उधर गली मोहल्ले मे जिक्र किया, ताऊ के व्यवहार के बारें में पता किया तब राज भाटिया जी जैसे ताऊ के शिकारों ने उसको बताया कि बोस बाबू अब हार को भूल जावो.
बोस बाबू बोला - अगर हमको हार नही मिला तो हमरा बीबी हमको मार डालेगा. पर अब क्या हो सकता था?
अब बोस बाबू ताऊ के घर चक्कर काटने लगे. और हार वापस पाने का तकादा करने लगे कि उनकी बीबी का गला सूना है और हार तुरंत वापस चाहिये. पर ताऊ तो उन्हें मिले ही नही, ताई से मना करवा दे...ताई लठ्ठ लेकर बाहर आकर मना करदे...बोस बाबू ताई के हाथ में लठ्ठ देखकर वैसे ही पसीने में भीग जाये. बोस बाबू फ़ोन करे तो ताऊ कभी उठाये नही. आखिर क्या करें बोस बाबू....
एक दिन राज भाटिया जी ने बोस बाबू को सलाह दे डाली कि किसी दूसरे के फ़ोन से ताऊ को फ़ोन लगा तब वो उठा सकता है. सो बोस बाबू ने एक दिन पडौसी के फ़ोन से फ़ोन लगाया तो ताऊ ने उठा लिया.
ताऊ - हल्लो जी. हल्लो जी....
उधर से बोस बाबू बोले - अईजे ताऊ आमि भोस बाबू बोलछि....
इधर आवाज सुनते ही ताऊ असली माजरा पहचान गया और लडकी की आवाज में बोला - ये ताऊ मेरिज ब्यूरो की आटोमेटेड फ़ोन सर्विस है. हिंदी के लिये एक दबायें, अंगरेजी के लिये दो दबाये, हरयाणवी के लिये तीन दबाये, पंजाबी के लिये चार दबायें, तामिल के लिये पांच दबायें.....
बीच में ही बोस बाबू ने पूछा - बांगला के लिये कोतो नंबर दबाने होगा?
ताऊ बोला - क्षमा किजिये, अभी बंगला सर्विस और बंगाली का हार उपलब्ध नही है.
उधर से बोस बाबू ने हिंदी के लिये एक दबाया तब इधर से ताऊ ने बोलना शुरू किया - लडका देखने के लिये एक दबाये, लडकी देखने के लिये दो दबायें, सगाई के लिये तीन दबायें, शादी के लिये चार दबायें.
उधर से यह सब खटराग सुनते सुनते बोस बाबू झल्ला गये और पूछ बैठे - दुसरी शादी करने के लिये क्या करने होगा?
इधर ताऊ भी भूल गया कि वो आटोमेटेड मशीन बनकर जवाब दे रहा है और बोल पडा - अरे बावलीबूच, दूसरी शादी करने के लिये पहली वाली का गला दबा दे फ़िर हार की जरूरत भी नही रहेगी.
व्हेरी व्हेरी फन्नी कोथा!
ReplyDelete@इधर ताऊ भी भूल गया कि वो आटोमेटेड मशीन बनकर जवाब दे रहा है और बोल पडा - अरे बावलीबूच, दूसरी शादी करने के लिये पहली वाली का गला दबा दे फ़िर हार की जरूरत भी नही रहेगी...
ReplyDeleteऔर कानून अपना काम करेगा ही,न इधर के रहे न उधर के...........
लोकाचार पर एक बढ़िया व्यंग्य प्रस्तुत किया है आपने!
ReplyDeleteआज यह आभास हुआ कि वार्तालाप से भी एक अच्छी पोस्ट तैयार हो सकती है!
बेचारा बोस बाबु !!!
ReplyDeleteमर्डर प्लान और वो भी सार्वजनिक ...
ReplyDeleteबाप रे! बड़े खतरनाक आदमी हो ताऊ। आपसे तो दूर रहने में ही भलाई है।
ReplyDeleteबेचारा बंगाली बाबू...!
दूसरे हार का भी हीला बन जाये शायद:)
ReplyDeleteआटोमैटिड मशीन जोरों की है।
राम राम
ताऊ बेईमान जी !
ReplyDeleteयह तो सरासर डकैती है ताऊ अब तक तो मैंने यही सुना था .....
मांगी चीज कभी न दीजै, जब मांगे तब ही दे दीजै
नाही चोरी, नाही पाप, भूल जाए तो रखो आप !
फंस गए बंगाली बाबू तो..... यह ताऊ के आगे क्या कोरेगा .....
ReplyDeleteयो घणी चोखी सलाह दे डाली ताऊ ..एकदोम भीषोण मिष्टी ..बाबू मोशाय तो इब कह रिए होंगें ...भईया जी शुशाईड ...
ReplyDeleteआज मजा आ गया ताऊ...
ReplyDeleteवाह ताऊ वाह, तभी कहते है कि आजकल भलाई का ज़माना नहीं रहा ! बेचारा भोस, कहाँ फसा !:)
ReplyDeleteमजेदार वाकया है |ताऊ से बचके रहना पडेगा |
ReplyDeleteबेचारा बंगाली बाबू क्या जाने हरियाणा का ठण्डा? जिस की लाठी उसी की भैंस यही तो है। ताऊ अब तो डरकर रहना पडेगा।
ReplyDeleteहा हा हा
ReplyDeleteবেচারা বাঙ্গালী বাবু ভি কাহান ফাঁস গায়া :)
ReplyDeleteবাহ তাউ
আজ আপকো বহুত দিন বাদ পুরানে রং মেন দেখকর আনন্দ আ গায়া
আভার
बोस बाबु कुछ नहीं करना है बस यही खबर ताई तक पहुचना है की ताऊ दूजी शादी के बारे में सोच रहे है और पहली वाली का का हाल करने वाले है उसके बाद तो ताई और उनकी जर्मन लठ्ठ सारे काम कर देगी |
ReplyDelete..ताउजी घणी राम राम!...इतना मजा आ गया कि क्या बताएं!
ReplyDeleteहा हा हा हा
ReplyDeleteताऊ हमारी भी कभी बहुत सेवा हुयी थी, ओर जब सेवा दार का काम हो गया तो हम भी बंगाली की तरह से खुब घुमे थे, तंग आ कर पीछा छोड दिया, भगवान ने अब मोका दिया हे, बच्चे तेयार हे अपना पेसा निकालने के लिये , लेकिन अब मै उस किस्से को भुल गया, ओर नही चाहता कि मेरे बच्चे किसी के साथ लडाई झगडा करे, बहुत सुंदर लिखा ओर अकसर ऎसा होता भी हे, राम राम
ReplyDeleteबहुत नाइंसाफी है ये तो ..बेचारे बोस बाबू
ReplyDeleteभालो कथा बाचवेन।
ReplyDeleteबेचारा भोस बाबू. क्या करेगा अब...!
ReplyDeleteबेचारा, ताऊ को समझ भी न पायेगा और जेल की हवा अलग खायेगा.
ReplyDeleteगेइल भंईस पानी मे
ReplyDeleteTau aur beimaan...nahi nahi. Arrey bhaio! suna hai taushree
ReplyDeletevairagi hoke sanyaas lena chah rahe
hain.Tabhi apni beimaani ki jooth
mooth kahani rach ke humsub me unke
prati ghirna paida karne ki koshish me hai.Ek taraf to taushree
hume mandiro ke darsan karaane me lage hai,doosri aur beimaani ki baate? Kuch na kuch gadbad ghotala jaroor hai.