प्रिय भक्तजनों,
इस नश्वर ब्लाग संसार का उद्धार करने के लिये हम आजकल तपस्या में लीन हैं. हमने भक्तों के कल्याण के लिये श्री ताऊ दोहावली की रचना की है. श्री ताऊ दोहावली का गायन करने से समस्त पाप ताप मिट जाते हैं. जो भी श्रद्धापूर्वक इस ताऊ दोहावली का झांझ मंजीरे के साथ गायन करेगा वो इस ब्लाग संसार से तर जायेगा.
श्री ताऊ दोहावली
या टिप्पणी दो रोज की, मत कर या सो हेत
ब्लाग लिखो नित-नियम से, जो पूरन सुख हेत
ब्लागों की सेवा करो, सदा बढावो ज्ञान
सब फ़ंदों को छोरिके, धरो ताऊ का ध्यान
सुर्पणखां मारीच से, बेनामी टिपियाय
इनसे बचने के लिए, बंधन लेओ लगाय
टिप्पणी तो निज पास है, मत देखो चहुँओर
आपनी टिप्पणी आप कर, बन जाओ शिरमौर
टिप्पणी कहीं ना उपजे, ना ये हाट बिकाय
ये तो हैं की-बोर्ड में, दूर कहीं मत जाय
धुआँधार ब्लॉगिंग करी, मिटा न मन का रोग
देगा जैसी टिप्पणी, वैसा ही ले भोग
ब्लागर हैं परमार्थी, जो टिप्पणी बरसाय
परमारथ के कारणै, अपना समय गँवाय
मठाधीष सिर पीटते, चेला मौज उड़ाय
जूते चप्पल खाय के, घर को वापिस आय
जो नहीं टिप्पणी कर सकें, वो ब्लॉगर न कहाय
चिकने, चुपड़े, बेशरम, बेनामी से बन जाय
मठाधीष संग मत करो, ये नहीं नाव तराय
बेनामी, मारीच का, कुनबा सब मर जाय
बेनामी सब होत हैं, आस्तीन के साँप,
भद्दी भाषा को लिखें, करें न पश्चाताप
टिप्पणी एक अमोल है, जो कोइ करतो जाय
सोच समझि और ठोक के, निज की-बोर्ड चलाय
ऐसी टिप्पणी किजिये, जो साहस को देय
सबका मन शीतल करे, ठण्डा-ठण्डा पेय
बेनामी ढिंग राखिये, कसिए खूब लगाम
बिन मेहनत लिक्खे बिना, अपना करता नाम
मधु चूसे मीठा लगे, भंवरा उडि उडि जाय
जो गन्ने को चूस ले, शूगर से मर जाय
भक्तजनों इस सत्र को यहीं समाप्त करते हैं. अगले सत्र में आपसे फ़िर मुलाकात करते हैं. ईश्वर आपका कल्याण करें.
इस दोहावली की रचना श्री ताऊ जी महाराज द्वारा की गई है, एवम माननिया अजीत गुप्ता जी के सुझावानुसार इसमें मात्रा सुधार डाँ. रूपचंद्र जी शाश्त्री द्वारा ता: 8 फ़रवरी 2011 को 2:25 PM पर किया गया. आभार शाश्त्री जी.
इस नश्वर ब्लाग संसार का उद्धार करने के लिये हम आजकल तपस्या में लीन हैं. हमने भक्तों के कल्याण के लिये श्री ताऊ दोहावली की रचना की है. श्री ताऊ दोहावली का गायन करने से समस्त पाप ताप मिट जाते हैं. जो भी श्रद्धापूर्वक इस ताऊ दोहावली का झांझ मंजीरे के साथ गायन करेगा वो इस ब्लाग संसार से तर जायेगा.
या टिप्पणी दो रोज की, मत कर या सो हेत
ब्लाग लिखो नित-नियम से, जो पूरन सुख हेत
ब्लागों की सेवा करो, सदा बढावो ज्ञान
सब फ़ंदों को छोरिके, धरो ताऊ का ध्यान
सुर्पणखां मारीच से, बेनामी टिपियाय
इनसे बचने के लिए, बंधन लेओ लगाय
टिप्पणी तो निज पास है, मत देखो चहुँओर
आपनी टिप्पणी आप कर, बन जाओ शिरमौर
टिप्पणी कहीं ना उपजे, ना ये हाट बिकाय
ये तो हैं की-बोर्ड में, दूर कहीं मत जाय
धुआँधार ब्लॉगिंग करी, मिटा न मन का रोग
देगा जैसी टिप्पणी, वैसा ही ले भोग
ब्लागर हैं परमार्थी, जो टिप्पणी बरसाय
परमारथ के कारणै, अपना समय गँवाय
मठाधीष सिर पीटते, चेला मौज उड़ाय
जूते चप्पल खाय के, घर को वापिस आय
जो नहीं टिप्पणी कर सकें, वो ब्लॉगर न कहाय
चिकने, चुपड़े, बेशरम, बेनामी से बन जाय
मठाधीष संग मत करो, ये नहीं नाव तराय
बेनामी, मारीच का, कुनबा सब मर जाय
बेनामी सब होत हैं, आस्तीन के साँप,
भद्दी भाषा को लिखें, करें न पश्चाताप
टिप्पणी एक अमोल है, जो कोइ करतो जाय
सोच समझि और ठोक के, निज की-बोर्ड चलाय
ऐसी टिप्पणी किजिये, जो साहस को देय
सबका मन शीतल करे, ठण्डा-ठण्डा पेय
बेनामी ढिंग राखिये, कसिए खूब लगाम
बिन मेहनत लिक्खे बिना, अपना करता नाम
मधु चूसे मीठा लगे, भंवरा उडि उडि जाय
जो गन्ने को चूस ले, शूगर से मर जाय
भक्तजनों इस सत्र को यहीं समाप्त करते हैं. अगले सत्र में आपसे फ़िर मुलाकात करते हैं. ईश्वर आपका कल्याण करें.
इस दोहावली की रचना श्री ताऊ जी महाराज द्वारा की गई है, एवम माननिया अजीत गुप्ता जी के सुझावानुसार इसमें मात्रा सुधार डाँ. रूपचंद्र जी शाश्त्री द्वारा ता: 8 फ़रवरी 2011 को 2:25 PM पर किया गया. आभार शाश्त्री जी.
या टिप्पणी दो रोज की, मत कर या सो हेत
ReplyDeleteब्लाग लिखिये नियम से, जो पूरन सुख हेत
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दोहे तो बहुत बढ़िया हैं मगर मात्राएँ घट-बढ़ रही है-
पहले दोहे को मैं सही कर देता हूँ-
या टिप्पणी दो रोज की, मत कर या सो हेत
ब्लॉग लिखो नित-नियम से, जो पूरन सुख हेत
ऐसी टिप्पणी किजिये, ब्लागर को हिम्मत बंधाय
ReplyDeleteऔरन को प्रेरित करे, खुद की भी वाह वाह हुई जाय..
खुद की वाह -वाह ना भी हो तो प्रोत्साहन(सच्चा ) तो देना ही चाहिए ! ये नहीं की ब्लॉग पर तो वाह -वाह लिख आयें और पीठ पीछे छुरी चलायें !
आहाऽ ताऊ !
ReplyDelete…
वाह ताऊ !
…
जियो ताऊ !
चूसकर जो छांडि दे, भव सागर तरि जाय
ReplyDeleteअब समझ लिया, भव सागर तरते हैं।
राम राम घणी ताउजी,पर भंवरा क्यों उडी उडी जाय...
ReplyDeleteइतना अच्छा दोहा छोड कर,गीत भव-सागर का क्यों गाय?
महाराज पहले कहा थे अभी तक इन दोहों का दर्शन क्यों नहीं कराया कराया होता तो कब का ये भव सागर तर जाते | महाराज हर बार की तरह आप ने रेट नहीं बताया, दीक्षा मंतर देने का क्या लेंगे |
ReplyDeleteआपकी दोहावली की तारीफ किए बिना नहीं रहा जा रहा है. अच्छा व्यंग्य है ब्लॉग जगत पर.
ReplyDeleteटिप्पणी तो निज पास है मूरख ढूंढे कहीं और
ReplyDeleteआपन की बोर्ड चलाइये, चाहे जितनी मोर
टिप्पणी ना बाड़ी उपजे, ना कहीं हाट बिकाय
ये तो निज के की बोर्ड से, चाहे जितनी लै जाय........
हम तो धन्य हुए इन लाइनों पर...
कहें ताऊ कविराय, ऐसी टिप्पण की ऐसी की तैसी,
ReplyDeleteलिखत लिखत घसी जाय, टिप्पणी वैसी की वैसी.
वाह वाह ताऊ , के दोहो लगायो है ,
ReplyDeleteएक ही लट्ठ सबके पिछवाडे सटायो है ........
ब्लागर तो लिख लिख मरा, मिटा ना ब्लाग का फेर
ReplyDeleteचूस चूस कर टिप्पणी, इच्छा मिटी ना केर
वाह ताऊ आज तो हम धन्य हो गये इतने दिनो तक साधना चली तो जरूर कोई काम का म्न्त्र सिद्ध करके आये हैं। जै हो ताऊजी की कृपा करना प्रभु।
jai ho taau maharaj ki
ReplyDeleteवाह ताऊ जी धमाल कर दिया।
ReplyDeleteब्लागिंग दर्शन दोहे कमाल के हैं।
राम राम
दस दोहों से काम नहि पूरा होता भाय
ReplyDeleteचालीसा जब पूर्ण हो मन पूरा हर्षाय
मन पूरा हर्षाय ताव ताऊ को आये
अगले दिन ही चालीसा पूरण हो जाए
तो अब तपस्या हो रही है ताऊ !
ReplyDeleteजरूर कोई नया धंधा आने वाला होगा ....बढ़िया है !
जय हो !
वाह वाह ताऊ , के दोहो लगायो है ,
ReplyDeleteताऊ,
ReplyDeleteआखिरी दोहा सबसे बेहतरीन है। इसी को नहीं मानना है बस:)
रामराम।
धन्य है प्रभु...
ReplyDeleteकम से कम आप पुराने रंग में लौटे तो सही.
ReplyDeleteताऊजी, दोहों का भाव तो अच्छा है लेकिन दोहे मात्राओं में नहीं हैं। इन्हें सुधार लें तो बहुत अच्छा हो जाएगा।
ReplyDeleteअरे ताऊ इतने कवि क्या कम थे झिलवाने को जो आप भी कविता पर उतर आये हा हा हा ...| आपने तो पूरा ज्ञान उंडेल दिया सारा सार बाहर आ गया है| ताऊ की जय हो |
ReplyDeleteताऊ को राम राम पहुंचे
ReplyDeleteगजबे कर दिये हैं ताऊ आज तो ... सटीक सटीक तीर बरसाए हैं चुन चुन कर... बेनामियों की हालत पर दिल भर भर आया ताऊ ... बेनामियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मेरी इच्छा हुई कि आपके दोहों का अलग नज़रिया भी पेश किया जाय अगर इजाजत हो तो अपने ब्लॉग पर एक और नज़रिया पेश करने की धृष्टता करना चाहूँगा आपके दोहों के साथ
http://padmsingh.wordpress.com
ताऊ की जय हो
ReplyDeleteताऊ के ब्लोग की जय हो
ताऊ के दोहों की जय हो
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
@ PADMSINGH जी
ReplyDeleteअवश्य, जरूर लिखिये और ऐसी धृष्टता बारंबार करते रहिये. मजा आयेगा. शुभकामनाएं.
रामराम.
ताऊ की "तपस्या और भतीजे की चुटकी"
ReplyDeletehttp://padmsingh.wordpress.com/2011/02/08/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%8A-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%A4%E0%A4%AA%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%AD%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%9C%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A5%80/
टिप्पणी ना बाड़ी उपजे, ना कहीं हाट बिकाय
ReplyDeleteये तो निज के की बोर्ड से, चाहे जितनी लै जाय........
ib chalisa pura karao....
ghani pranam.
धुआँधार ब्लॉगिंग करी, मिटा न मन का रोग
ReplyDeleteदेगा जैसी टिप्पणी, वैसा ही ले भोग
ब्लागर हैं परमार्थी, जो टिप्पणी बरसाय
परमारथ के कारणै, अपना समय गँवाय
Wah, Wah...बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
ढोल मजीरा वाले बुलवा लिए हैं...अब अखंड पाठ करेंगे इस दोहावली का...
ReplyDelete"Dheere se aana blogging me re bhnawara dheere se aana blogging me"
ReplyDeleteTaushree ka dhyan karke ye bhnwara bhi aa gaya hai blog jagat me 'Mansa vacha
karmna' ke blog per. Padharo..mahare
desh taushree...padharo mahare desh.
मुझो खुशी है कि मैने इस दोहावली को मात्रा और पाइयों से शुद्ध कर दिया है लेकिन मूल थीम ताऊ की ही है!
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