ताऊ टीवी के सुबह सबेरे के इस ताजा न्यूज बुलेटिन में मैं रामप्यारे आपका स्वागत करता हूं. ब्लेक बूट एवार्ड -2011 के लिये प्राप्त नामांकनों पर विचार करने के लिये "ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफ़ी" आफ़ ब्लागर जूतमपैजारियता - 2011 की त्रि सदस्यीय समिति की मैराथान बैठक आज शुरू हुई. कमेटी गठन के पूर्व की शर्तों के अनुसार चाय और मच्छरों से बचने के लिये कछुआ छाप मच्छर भगावो अगरबत्ती जलाई गई. कुछ जलकूक्कड टाइप जलागरों की दुष्ट नजरों से बचाव के लिये उनके नाम की लाल मिर्च की धूनी दी गई तत्पश्चात मिटिंग शुरू हुई.
"ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफ़ी 2011" की त्रि सदस्यीय कमेटी मिटिंग
"ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफ़ी" आफ़ ब्लागर जूतमपैजारियता - 2011 के लिये आहूत नामांकनों मे मुख्य रूप से माननिया अजीत गुप्ता ने यह टिप्पणी की थी. ["समिति के सदस्यों को नोमिनेट कर सकते हैं तो पहले इन्हें ही कर लें। Friday, February 11, 2011 8:55:00 AM"] और आज की बहस का मुख्य मुद्दा भी यही रहा.
उपरोक्त प्रस्ताव पर बोलते हुये ताऊ रामपुरिया ने कहा - वाह यह तो बहुत बढिया बात है. हम तीनों के अलावा इस एवार्ड का दूसरा कोई हकदार होना भी नही चाहिये. संयुक्त रूप से हम तीनों ही इसे रख लेते हैं.
अरविंद मिश्र बोले - ताऊ आई स्ट्रिक्टली आबजेक्ट दिस प्रपोजल....अगर हमने खुद ही यह एवार्ड रख लिया तो हममें और उनमे क्या फ़र्क रह जायेगा? वो अपने अपनों को रेवडी बांटते हैं और तुम यहां खुद को ही रेवडी बांटना चाहते हो? लोग क्या कहेंगे?
ताऊ बोला - अजी मिश्र जी, अगर आप सटरिकटली रेवडी में हिस्सा नही लेना चाहते तो कोई बात नही. आप मत लिजिये, हम और सतीश सक्सेना जी संयुक्त रूप से रख लेते हैं. क्यों सक्सेना साहब?
सतीश सक्सेना बोले - नो ताऊ, मेरी राय से मिश्र जी सही कहते हैं. और मैं मिश्र जी की बात का समर्थन करता हूं.
ताऊ बोला - तो ठीक है फ़िर बात ही खत्म. आप दोनों मिलकर यह "ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफ़ी" मुझे दिलवा दिजिये, आखिर मुझसे ज्यदा हकदार और कौन होगा? बस झगडा ही खत्म.
अरविंद मिश्र बोले - ताऊ मैं आपके प्रस्ताव को वीटो करता हूं. आप यह ट्राफ़ी नहीं ले सकते क्योंकि आप इस साल इसके अध्यक्ष हो.
ताऊ बोले - यार हद हो गई, जब गधा सम्मेलन होता है तब लोग ना सिर्फ़ अपने अपनों को रेवडी बांटते हैं बल्कि विरोधी खेमे को चाय भी नही पिलवाते और मच्छरों से अलग कटवाते हैं और यहां जब सिर्फ़ हम तीनों का ही नामिनेशन हुआ है और कोई मैदान में नही है, आप दोनों लेना नही चाहते तो इस एवार्ड का अकेला अधिकारी ही मैं बचता हूं, फ़िर आपको आप्पति क्या है? मौका हाथ लगा है तो इस साल की रेवडी मुझे ही खा लेने दिजिये ना.
इस बात पर मिश्र जी और सक्सेना जी ने एक स्वर से ताऊ की बात को नकार दिया और बोले - ताऊ अगर आपने उन लोगों की तरह ही ये रेवडी बाजी का खेल किया तो हम दोनों आपकी इस समिती से रिजाइन कर देंगे. अब तुम उन रेवडी बांटने वालों को ही इस समिती का सदस्य बना लो और ले लो ब्लेक बूट ट्राफ़ी. हम तो इस नूरा कुश्ती में आपका साथ नहीं दे सकते.
इसके बाद ताऊ थोडा ढीला पड गया और सर्व सम्मति से यह तय हुआ कि ये एवार्ड समिती के सदस्यों को नहीं दिया जा सकेगा और तीनों सदस्य अपनी अपनी पसंद का एक एक नाम इस एवार्ड के लिये नामित करेंगे. इसके बाद तीनों सदस्यों ने अपनी अपनी पसंद का एक एक नाम गुप्त रूप से प्रस्तावित कर दिया.
इसके बाद सैंडिल पैजारियता एवार्ड का एक सुझाव श्री राकेश कुमार का आया हुआ था, उस पर विचार हुआ. सैंडिल पैजारियता एवार्ड को समिति ने एक मत से अगले साल से लागू करने का प्रस्ताव पास किया. तत्पश्चात एक बार फ़िर से चाय का दौर शुरू हुआ और बची हुई मच्छर अगरबत्ती अगली मिटिंग के लिये बुझाकर रख दी गई.
जब भी समिती की अगली मिटींग होगी आपको मिटिंग के पश्चात इसकी पूरी जानकारी दी जायेगी.
तो इंतजार किजिये कि इस साल होली पर यह प्रतिष्ठित एवार्ड यानि "ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफ़ी " आफ़ ब्लागर जूतमपैजारियता - 2011 किसको मिलता है?
"ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफ़ी" आफ़ ब्लागर जूतमपैजारियता - 2011 के लिये आहूत नामांकनों मे मुख्य रूप से माननिया अजीत गुप्ता ने यह टिप्पणी की थी. ["समिति के सदस्यों को नोमिनेट कर सकते हैं तो पहले इन्हें ही कर लें। Friday, February 11, 2011 8:55:00 AM"] और आज की बहस का मुख्य मुद्दा भी यही रहा.
उपरोक्त प्रस्ताव पर बोलते हुये ताऊ रामपुरिया ने कहा - वाह यह तो बहुत बढिया बात है. हम तीनों के अलावा इस एवार्ड का दूसरा कोई हकदार होना भी नही चाहिये. संयुक्त रूप से हम तीनों ही इसे रख लेते हैं.
अरविंद मिश्र बोले - ताऊ आई स्ट्रिक्टली आबजेक्ट दिस प्रपोजल....अगर हमने खुद ही यह एवार्ड रख लिया तो हममें और उनमे क्या फ़र्क रह जायेगा? वो अपने अपनों को रेवडी बांटते हैं और तुम यहां खुद को ही रेवडी बांटना चाहते हो? लोग क्या कहेंगे?
ताऊ बोला - अजी मिश्र जी, अगर आप सटरिकटली रेवडी में हिस्सा नही लेना चाहते तो कोई बात नही. आप मत लिजिये, हम और सतीश सक्सेना जी संयुक्त रूप से रख लेते हैं. क्यों सक्सेना साहब?
सतीश सक्सेना बोले - नो ताऊ, मेरी राय से मिश्र जी सही कहते हैं. और मैं मिश्र जी की बात का समर्थन करता हूं.
ताऊ बोला - तो ठीक है फ़िर बात ही खत्म. आप दोनों मिलकर यह "ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफ़ी" मुझे दिलवा दिजिये, आखिर मुझसे ज्यदा हकदार और कौन होगा? बस झगडा ही खत्म.
अरविंद मिश्र बोले - ताऊ मैं आपके प्रस्ताव को वीटो करता हूं. आप यह ट्राफ़ी नहीं ले सकते क्योंकि आप इस साल इसके अध्यक्ष हो.
ताऊ बोले - यार हद हो गई, जब गधा सम्मेलन होता है तब लोग ना सिर्फ़ अपने अपनों को रेवडी बांटते हैं बल्कि विरोधी खेमे को चाय भी नही पिलवाते और मच्छरों से अलग कटवाते हैं और यहां जब सिर्फ़ हम तीनों का ही नामिनेशन हुआ है और कोई मैदान में नही है, आप दोनों लेना नही चाहते तो इस एवार्ड का अकेला अधिकारी ही मैं बचता हूं, फ़िर आपको आप्पति क्या है? मौका हाथ लगा है तो इस साल की रेवडी मुझे ही खा लेने दिजिये ना.
इस बात पर मिश्र जी और सक्सेना जी ने एक स्वर से ताऊ की बात को नकार दिया और बोले - ताऊ अगर आपने उन लोगों की तरह ही ये रेवडी बाजी का खेल किया तो हम दोनों आपकी इस समिती से रिजाइन कर देंगे. अब तुम उन रेवडी बांटने वालों को ही इस समिती का सदस्य बना लो और ले लो ब्लेक बूट ट्राफ़ी. हम तो इस नूरा कुश्ती में आपका साथ नहीं दे सकते.
इसके बाद ताऊ थोडा ढीला पड गया और सर्व सम्मति से यह तय हुआ कि ये एवार्ड समिती के सदस्यों को नहीं दिया जा सकेगा और तीनों सदस्य अपनी अपनी पसंद का एक एक नाम इस एवार्ड के लिये नामित करेंगे. इसके बाद तीनों सदस्यों ने अपनी अपनी पसंद का एक एक नाम गुप्त रूप से प्रस्तावित कर दिया.
इसके बाद सैंडिल पैजारियता एवार्ड का एक सुझाव श्री राकेश कुमार का आया हुआ था, उस पर विचार हुआ. सैंडिल पैजारियता एवार्ड को समिति ने एक मत से अगले साल से लागू करने का प्रस्ताव पास किया. तत्पश्चात एक बार फ़िर से चाय का दौर शुरू हुआ और बची हुई मच्छर अगरबत्ती अगली मिटिंग के लिये बुझाकर रख दी गई.
जब भी समिती की अगली मिटींग होगी आपको मिटिंग के पश्चात इसकी पूरी जानकारी दी जायेगी.
तो इंतजार किजिये कि इस साल होली पर यह प्रतिष्ठित एवार्ड यानि "ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफ़ी " आफ़ ब्लागर जूतमपैजारियता - 2011 किसको मिलता है?
भावी विजेता को अग्रिम शुभकामनायें !
ReplyDeleteखूब गुजरेगी
ReplyDeleteजब चलेंगे जूते-चप्पल!
तब तक बुझी हुई मच्छर अगरबत्ती में धार तो बाकि रह पायेगी ना ?
ReplyDeleteये तो बूझे लालबुझक्कड़ और न बुझे कोय।
ReplyDeleteअपने पट्ठे को बांटे रेवड़ी सो बुद्धिमान सोय॥
राम राम
ब्लेक बूट एवार्ड ट्राफी तो ठीक है लेकिन ताऊ एक बात बताइये आपने ब्लेक सैंडल एवार्ड की घोषणा क्यों नहीं की ? डर गये क्या ?
ReplyDelete...लगता है खूब आनंद की वर्षा होगी होली तक।
@ डॉ अजित गुप्ता ,
ReplyDeleteआपके इस सुझाव के कारण, ताऊ की बांछे खिल गयीं मैडम ! दो घंटे कुश्ती के बाद काबू कर पाए कि क्यों अपनी पोल जल्दी खुलवा रहा है ताऊ !
और हाँ ताऊ ने कोषाध्यक्ष मुझे बना दिया है मगर दरवाजे पर लटके बड़े बड़े तालों की चावी कहाँ छिपा दी, अभी तक ढूंढ नहीं पाए हैं !
चिंता यह है कि डॉ अरविन्द मिश्र ताऊ के प्रभाव में दिखते हैं आप कमेटी में आ जाओ तो शायद ताऊ को कुछ काबू किया जा सके !
शुभकामनायें
ha ha ha ha ha ha bhut khub
ReplyDeleteregards
ताऊ जी अवार्ड सेरेमनी में आइटम डांस किस किस का रखेंगे और एंकरिँग कौन करेगा ये भी तो तय कर लें।
ReplyDeleteबड़ा कठिन काम है सही पात्र को चुनना..
ReplyDeleteजो व्यक्ति स्वयं के लिए कुछ नहीं कर सकता वह दूसरों के लिए क्या करेगा? आप लोगों ने हमारी बात नहीं मानी कोई बात नहीं। लेकिन यह तो पक्की बात है कि दोंगे तो अपने चहेते को ही, हम भी देखेंगे। अजी हाँ हम भी देखेंगे।
ReplyDeleteइंतज़ार
ReplyDeleteमेरे ख़्याल से यह अवार्ड उनमें से भी किसी को दिये जाने का प्रावधान होना चाहिये जिसका नाम किसी ने भी भले ही स्पोंसर न किया हो (क्योंकि यह, राजनीति के चलते भी हो सकता है न !)
ReplyDeleteपता नहीं, पर आनन्द आ रहा है, चलिये आपने यह तो ठीक ही निश्चय किया कि जूते और भी लोग अच्छा चला लेते हैं।
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (17-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
अग्रिम शुभकामनायें
ReplyDelete
ReplyDelete@ डॉ अजित गुप्ता ,
@ जो व्यक्ति स्वयं के लिए कुछ नहीं कर सकता वह दूसरों के लिए क्या करेगा ?
ताऊ के घर में खड़े होकर आप ऐसा अविश्वास कैसे कर सकती हैं , स्वयं के लिए करने में, पूरी कमिटी और कमेटी के चेयरमैन बहुत नाम कमा चुके हैं !
हम सब सच्चे स्वयं सेवक हैं :-))
ताऊ ढूँढ़ते ही उन्हें हैं जिनका धंधा ठीक चल रहा हो जो ब्लागरों को बेवकूफ बनाने में माहिर हों !
आप तो मुझे किसी तरह ताऊ से खजाने की चावी दिलवाने में मदद करो ! मुझे नाम का कोषाध्यक्ष बना रखा है कोष की तो झलक भी नहीं मिली अभी तक :-(
चलो अरविंद जी और सक्सेना जी के कारण और लोगों के लिए रास्ता खुल गया।
ReplyDeleteभावी विजेता को अभी से हमारी शुभकामनाये.
ReplyDeleteहा-हा-हा-हा-हा-हा .. हेडिंग बहुत अच्छी दी ताऊ ! उम्मीद करता हूँ कि आपकी बैठक यु पी ए की बैठक न बनकर किसी ठोस निष्कर्ष पार अवश्य पहुंचेगी !
ReplyDeleteलगता है खूब आनंद की वर्षा होगी होली तक
ReplyDeletebadhai ho meeting ki ab intajaar vijeta ka ..
ReplyDeleteमजे दार जी..
ReplyDeleteमेरी मानिये समिति में बाकि लोग आप के हितैसी नहीं दिख रहे है समिति तुरंत भंग कर सबसे पहले उनमे अपनी भाई भतीजो को भरिये फिर देखिये एवार्ड कैसे सर्व सम्मति से आप के झोली में आ कर गिरता है |
ReplyDeleteभावी विजेता को अग्रिम शुभकामनायें !
ReplyDeleteदेखते है इनाम कौन ले जाता है |
ReplyDeleteमीटिंग के मिनट्स भी मजेदार रहे और टिप्पणियां भी ।
ReplyDeleteअब इंतजार है घोषणा का ।
राम राम भाई ।
चलिए इसके लिए भी लाइन लग जायेगी.
ReplyDeleteके ताऊ, इतने तावलै घुटने टेक दिये? अड़्या रहता अपनी बात पे।
ReplyDeleteअपना अवार्ड अपने धोरे न रखके ठीक न करया ताऊ, म्हारी असहमति दरज की जाये।
राम राम।
समारोह में हेल्मेट लगाने की आवश्यकता तो नहीं!!
ReplyDeleteहमारे अरविन्द मिश्र जी फिर बिना चाय??? फोटू में सतीश बाबू और ताऊ को तो चाय मिली दिख रही है...
ReplyDeleteकछुआ छाप काफी राहत दे रही होगी बैठक में...
अब तो बस अवार्ड का इन्तजार है.
@ सतीश जी, कोषाध्यक्ष का काम होता है कोष को भरा रखना, कोष को खाली करने का काम तो सेकेट्ररी करता है। इसलिए आप चाबी के चक्कर में मत पड़ो बस कोष को भरने की तैयारी करो। जिससे समारोह में सारे ही ब्लोगरों को अच्छी दावत खाने को मिले।
ReplyDelete@ डॉ अजित गुप्ता ,
ReplyDeleteआप ताऊ कंपनी में नयी लगती हो , यहाँ के उसूल बिलकुल सीधे और टार्गेट किलियर हैं !
लोगों को हमने कुछ नहीं देना ...जिसकी लाठी उसकी भैंस ! और आप ( जनता ) कुछ नहीं कर सकतीं , हम तो कमेटी में आजीवन बने रहेंगे !
ताऊ की ठगी विद्या , बेशर्मी के साथ की गयी बेईमानी आदि से हम बहुत चिढ़ते थे मगर जबसे ताऊ ने हमें भी शामिल किया है आनंद आ गया !
अब ताऊ अच्छा लगता है !
बस किसी तरह ताऊ से चावी मिल जाए !