प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली अंक - 114 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही जवाब है रणथंभोर दुर्ग, सवाईमाधोपुर, राजस्थान
पहेली के विषय से संबंधित थोडी सी जानकारी मिस. रामप्यारी आपको दे रही है.
खेतडी से रवाना होते समय ही तय कर लिया था कि आज का रात्रि विश्राम जयपुर में नही करना है बल्कि सवाई माधोपुर में करना है. जयपुर पार करते समय हमने रावत की दुकान से मावा मिश्री खरीदी. फ़िर आगे चोखी ढाणी मे लंच के लिये रूक गये. इस तरह रूकते रूकते हुये आराम से गाडी चलाने की वजह से सवाई माधोपुर पहूंचते पहुंचते काफ़ी रात हो गई. हम सवाई माधोपुर शहर पार करके एक रिसार्ट मे रूक गये. अगले दिन हमको रणथंभोर अभयारण्य में बाघों से मिलने जाना था. पर यहां पहूंचते पहूंचते ही रात के दो बज गये सो हमने यह तय किया कि अगले दिन हम रणथंभोर फ़ोर्ट में त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन करेंगे और उसके अगले दिन अभयारण्य मे जायेंगे.
सुबह देर से सोकर उठने के बाद चाय नाश्ता करके दोपहर का लंच पैक करवा कर हम रणथंभोर दुर्ग पहूंच गये. वहां गाडी पार्क की. दाहिने हाथ को दुर्ग पर जाने के लिये सीढियां थी और बांयी तरफ़ ही अभयारण्य में प्रवेश करने का द्वार था. हमने सीढियां चढनी शुरू की, वाकई यह बहुत ही दुर्गम दुर्ग है. हमने जितना आसान समझा था उतना आसान रास्ता नही था. कई जगह रूकते बैठते नौलखा, हाथीपोल, गणेशपोल एवं त्रिपोलिया गेट पार करते हुये किले पर पहुंचे. ऊपर बिल्कुल समतल पहाडी है जिस पर हमीर महल, बादल महल, सुपारी महल, बत्तीस खंबा छतरी, महादेव छतरी, चामुंडा मंदिर इत्यादि तत्कालीन स्थापत्य कला के अनूठे राजप्रासाद हैं. सबसे पुराने राजप्रासादों मे से एक हमीर महल मुख्य आकर्षण है.
किले के अंदर भग्न अवशेष
लेकिन हमीर महल सहित अन्य सभी भवन वर्तमान में भग्नावशेष जैसे ही दिखाई पडते हैं. पहेली मे दिखाया गया चित्र त्रिनेत्र गणेश जी के मंदिर की तरफ़ जाते समय रास्ते में लिया गया था. इसके दाहिनी तरफ़ बहुत गहरी खाई है इस तरफ़ पहाडी बिल्कुल सपाट खडी है. शायद इसी के चलते यह दुर्ग अजेय कहलाया. कुतुबुद्दिन ऐबक से लेकर बादशाह अकबर तक यहां लगातार आक्रमण करते रहे. १२०९ में मुह्म्मद गौरी ने भी इसे प्राप्त करने के लिये युद्ध किया.
किले में गणेश मंदिर की तरफ़ जाते हुये
कालांतर में अल्तुतमीश, रजिया सुल्तान, बलबन, जलालुद्दीन खिलजी, अलाऊद्दीन खिलजी, फ़िरोजशाह तुगलक, मुहम्म्द खिलजी, महाराणा कुम्भा, गुजरात के बहादुर शाह, शेरशाह सुरी ने भी इस दुर्ग को प्राप्त करने के लिये निरंतर आक्रमण किये, अंतत: १५६९ मे इस दुर्ग पर दिल्ली के बादशाह अकबर ने आक्रमण कर आमेर के राजाओ के माध्यम से यहां के शासक राव सुरजन हाड़ा से संधि कर ली.
किले के अंदर भग्न अवशेष
यह दुर्ग चितोड के महाराणाओं के आधिपत्य में भी रहा और खानवा युद्ध में घायल राणा सांगा का इलाज भी यहीं हुआ. यहीं राणा सांगा की रानी कर्मावती द्वारा शुरू की गई उनकी अधूरी छतरी भी है. आजादी के बाद रणथंभोर दुर्ग सरकार के स्वामित्व में आ गया जो कि १९६४ से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नियंत्रण मे है.
गणेश जी के दर्शन करके हम कहीं बैठकर भोजन करने की उपयुक्त जगह तलाश कर ही रहे थे कि तभी अचानक एक घटना या दुर्घटना घट गई जिसका हमें सपने में भी अंदाज नही था. हमारे साथ जो खाने पीने के सामान की थैली थी उसे हम हाथ मे पकडे चल रहे थे. हमारा ध्यान दुर्ग से दूर दिखाई देती दृष्यावली पर चला गया और इतने में ही एक ताऊ (बंदर) ने आकर हमारे हाथ से खाने वाली थैली बडे आराम से बिना हमसे पूछे ही छीन ली और पास की एक खंडहर जैसी दिवार पर बैठ कर खाने लगा. उसके दूसरे साथी संगी भी आ गये. हम और ताई बच्चों के साथ हंसे जा रहे थे. हमने जयपुर से रावत की मिठाई की दुकान से जो मावा मिश्री खरीदी थी, वो भी इस थैली में रखी थी. वह मिठाई का डिब्बा भी बंदर परिवार के शानदार लंच का हिस्सा बन गया. हमारे पास सिवाय हंसने और देखते रहने के कोई उपाय नही था. सभी पाठकों से अनुरोध है कि जब भी इस दुर्ग पर जायें, अपना खाने पीने का सामान इन बंदरों से बचाकर रखें वर्ना आपका हाल भी हमारे जैसा होने के प्रबल चांस हैं.
रणथंभोर फ़ोर्ट में बंदर
ऊपर दुर्ग में खाने पीने की कोई उपयुक्त व्यवस्था नही दिखी. भूख भी लग आई थी. गनीमत थी की पानी की बोटल वाली थैली हमारे पास बच गई थी सो पानी पीकर हम तेजी से नीचे उतरने लगे. नीचे उतर कर एक चाय की गुमटी जैसी दुकान पर चाय पीकर गाडी स्टार्ट की और फ़टाफ़ट तेजी से होटल की तरफ़ निकल पडे क्योंकि बच्चों का भूख और थकान के मारे बुरा हाल हो चुका था. वापस होटल पहुंच कर खा पीकर आराम किया. (ताऊ यात्रा वृतांत से)
आईये अब मिलते हैं आज के विजेताओं से :-
आज की प्रथम विजेता हैं "सुश्री सीमा गुप्ता"
प्रथम विजेता सुश्री सीमा गुप्ता अंक 101
आईये अब बाकी विजेताओं से आपको मिलवाती हूं.
डाँ रूपचंद्र शाश्त्री "मयंक"
श्री उडनतश्तरी
अब उनसे रूबरू करवाती हुं जिन्होनें इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया
श्री संदीप पंवार (जाट देवता)
डाँ नूतन डिमरी गैरोला - नीति
श्री काजल कुमार
श्री अविनाश वाचस्पति
श्री अंतर सोहिल
श्री विजय कुमार सप्पात्ति
सुश्री वन्दना
श्री संजय भास्कर
श्री नीरज गोस्वामी
श्री पी.सी.गोदियाल "परचेत"
श्री गगन शर्मा "कुछ अलग सा"
श्री दर्शन लाल बवेजा
श्री राज भाटिया
श्री दीपक तिवारी साहब
श्री मकरंद
श्री राकेश कुमार
सुश्री अंजू
डाँ मनोज मिश्र
श्री विवेक रस्तोगी
सुश्री निर्मला कपिला
श्री देवेंद्र पाण्डेय
हे प्रभु ये तेरा पथ
श्री सैयद
मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊजी डाट काम
रामप्यारे ट्वीट्स
पहेली के विषय से संबंधित थोडी सी जानकारी मिस. रामप्यारी आपको दे रही है.
खेतडी से रवाना होते समय ही तय कर लिया था कि आज का रात्रि विश्राम जयपुर में नही करना है बल्कि सवाई माधोपुर में करना है. जयपुर पार करते समय हमने रावत की दुकान से मावा मिश्री खरीदी. फ़िर आगे चोखी ढाणी मे लंच के लिये रूक गये. इस तरह रूकते रूकते हुये आराम से गाडी चलाने की वजह से सवाई माधोपुर पहूंचते पहुंचते काफ़ी रात हो गई. हम सवाई माधोपुर शहर पार करके एक रिसार्ट मे रूक गये. अगले दिन हमको रणथंभोर अभयारण्य में बाघों से मिलने जाना था. पर यहां पहूंचते पहूंचते ही रात के दो बज गये सो हमने यह तय किया कि अगले दिन हम रणथंभोर फ़ोर्ट में त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन करेंगे और उसके अगले दिन अभयारण्य मे जायेंगे.
सुबह देर से सोकर उठने के बाद चाय नाश्ता करके दोपहर का लंच पैक करवा कर हम रणथंभोर दुर्ग पहूंच गये. वहां गाडी पार्क की. दाहिने हाथ को दुर्ग पर जाने के लिये सीढियां थी और बांयी तरफ़ ही अभयारण्य में प्रवेश करने का द्वार था. हमने सीढियां चढनी शुरू की, वाकई यह बहुत ही दुर्गम दुर्ग है. हमने जितना आसान समझा था उतना आसान रास्ता नही था. कई जगह रूकते बैठते नौलखा, हाथीपोल, गणेशपोल एवं त्रिपोलिया गेट पार करते हुये किले पर पहुंचे. ऊपर बिल्कुल समतल पहाडी है जिस पर हमीर महल, बादल महल, सुपारी महल, बत्तीस खंबा छतरी, महादेव छतरी, चामुंडा मंदिर इत्यादि तत्कालीन स्थापत्य कला के अनूठे राजप्रासाद हैं. सबसे पुराने राजप्रासादों मे से एक हमीर महल मुख्य आकर्षण है.
लेकिन हमीर महल सहित अन्य सभी भवन वर्तमान में भग्नावशेष जैसे ही दिखाई पडते हैं. पहेली मे दिखाया गया चित्र त्रिनेत्र गणेश जी के मंदिर की तरफ़ जाते समय रास्ते में लिया गया था. इसके दाहिनी तरफ़ बहुत गहरी खाई है इस तरफ़ पहाडी बिल्कुल सपाट खडी है. शायद इसी के चलते यह दुर्ग अजेय कहलाया. कुतुबुद्दिन ऐबक से लेकर बादशाह अकबर तक यहां लगातार आक्रमण करते रहे. १२०९ में मुह्म्मद गौरी ने भी इसे प्राप्त करने के लिये युद्ध किया.
कालांतर में अल्तुतमीश, रजिया सुल्तान, बलबन, जलालुद्दीन खिलजी, अलाऊद्दीन खिलजी, फ़िरोजशाह तुगलक, मुहम्म्द खिलजी, महाराणा कुम्भा, गुजरात के बहादुर शाह, शेरशाह सुरी ने भी इस दुर्ग को प्राप्त करने के लिये निरंतर आक्रमण किये, अंतत: १५६९ मे इस दुर्ग पर दिल्ली के बादशाह अकबर ने आक्रमण कर आमेर के राजाओ के माध्यम से यहां के शासक राव सुरजन हाड़ा से संधि कर ली.
यह दुर्ग चितोड के महाराणाओं के आधिपत्य में भी रहा और खानवा युद्ध में घायल राणा सांगा का इलाज भी यहीं हुआ. यहीं राणा सांगा की रानी कर्मावती द्वारा शुरू की गई उनकी अधूरी छतरी भी है. आजादी के बाद रणथंभोर दुर्ग सरकार के स्वामित्व में आ गया जो कि १९६४ से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नियंत्रण मे है.
गणेश जी के दर्शन करके हम कहीं बैठकर भोजन करने की उपयुक्त जगह तलाश कर ही रहे थे कि तभी अचानक एक घटना या दुर्घटना घट गई जिसका हमें सपने में भी अंदाज नही था. हमारे साथ जो खाने पीने के सामान की थैली थी उसे हम हाथ मे पकडे चल रहे थे. हमारा ध्यान दुर्ग से दूर दिखाई देती दृष्यावली पर चला गया और इतने में ही एक ताऊ (बंदर) ने आकर हमारे हाथ से खाने वाली थैली बडे आराम से बिना हमसे पूछे ही छीन ली और पास की एक खंडहर जैसी दिवार पर बैठ कर खाने लगा. उसके दूसरे साथी संगी भी आ गये. हम और ताई बच्चों के साथ हंसे जा रहे थे. हमने जयपुर से रावत की मिठाई की दुकान से जो मावा मिश्री खरीदी थी, वो भी इस थैली में रखी थी. वह मिठाई का डिब्बा भी बंदर परिवार के शानदार लंच का हिस्सा बन गया. हमारे पास सिवाय हंसने और देखते रहने के कोई उपाय नही था. सभी पाठकों से अनुरोध है कि जब भी इस दुर्ग पर जायें, अपना खाने पीने का सामान इन बंदरों से बचाकर रखें वर्ना आपका हाल भी हमारे जैसा होने के प्रबल चांस हैं.
ऊपर दुर्ग में खाने पीने की कोई उपयुक्त व्यवस्था नही दिखी. भूख भी लग आई थी. गनीमत थी की पानी की बोटल वाली थैली हमारे पास बच गई थी सो पानी पीकर हम तेजी से नीचे उतरने लगे. नीचे उतर कर एक चाय की गुमटी जैसी दुकान पर चाय पीकर गाडी स्टार्ट की और फ़टाफ़ट तेजी से होटल की तरफ़ निकल पडे क्योंकि बच्चों का भूख और थकान के मारे बुरा हाल हो चुका था. वापस होटल पहुंच कर खा पीकर आराम किया. (ताऊ यात्रा वृतांत से)
आईये अब मिलते हैं आज के विजेताओं से :-
आईये अब बाकी विजेताओं से आपको मिलवाती हूं.
डाँ रूपचंद्र शाश्त्री "मयंक"
श्री उडनतश्तरी
अब उनसे रूबरू करवाती हुं जिन्होनें इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया
श्री संदीप पंवार (जाट देवता)
डाँ नूतन डिमरी गैरोला - नीति
श्री काजल कुमार
श्री अविनाश वाचस्पति
श्री अंतर सोहिल
श्री विजय कुमार सप्पात्ति
सुश्री वन्दना
श्री संजय भास्कर
श्री नीरज गोस्वामी
श्री पी.सी.गोदियाल "परचेत"
श्री गगन शर्मा "कुछ अलग सा"
श्री दर्शन लाल बवेजा
श्री राज भाटिया
श्री दीपक तिवारी साहब
श्री मकरंद
श्री राकेश कुमार
सुश्री अंजू
डाँ मनोज मिश्र
श्री विवेक रस्तोगी
सुश्री निर्मला कपिला
श्री देवेंद्र पाण्डेय
हे प्रभु ये तेरा पथ
श्री सैयद
सभी प्रतिभागियों का हार्दिक आभार प्रकट करते हुये रामप्यारी अब आपसे विदा चाहेगी. अगली पहेली के जवाब की पोस्ट में मंगलवार सुबह 4:44 AM पर आपसे फ़िर मुलाकात के वादे के साथ, तब तक के लिये जयराम जी की.
ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और रामप्यारी ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार 1:00 AM से 11:00 PM के मध्य कभी भी आपसे फ़िर मुलाकात होगी तब तक के लिये नमस्कार.
मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊजी डाट काम
रामप्यारे ट्वीट्स
सीमा जी को बधाई! बड़ी कठिन पहेली थी इस बार|
ReplyDeleteरणथम्भौर दुर्ग की जानकारी प्राप्त हुई ...
ReplyDeleteविजेताओं को बहुत बधाई !
सीमा जीको बहुत-बहुत बधाई!
ReplyDeleteविजेताओं को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteविजेताओं को बधाई। पहेली वास्तव में बहुत कठिन थी।
ReplyDeleteसुश्री सीमा गुप्ता सहित अन्य विजेताओं को हार्दिक बधाईयाँ...
ReplyDeleteसीमा गुप्ता सहित अन्य विजेताओं को हार्दिक बधाईयाँ...
ReplyDeleteवाह जी बल्ले बल्ले. विजेतागणों को ढेरों बधाइयां.
ReplyDeleteसीमा जी नें घणी घणी बधाई जी.
ReplyDeleteफ़रोम
PFWRBFRPS
सीमा जी को बधाई.
ReplyDeleteविजेताओं को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteसभी क्विज़ विजेताओं को मेरी तरफ से भी बधाई .....
ReplyDeleteसीमा जी को प्रणाम एवं बधाईयाँ.
ReplyDeleteशास्त्री जी को प्रणाम एवं बधाईयाँ.
सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं.
विजेताओं को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteregards
badhai seema ji...
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