ताऊ पहेली - 112 (श्री द्वारकाधीष मंदिर, द्वारका, गुजरात, Dwarkadhis Temple, Dwarka) विजेता : सुश्री अंजू
प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली अंक - 112 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही जवाब है द्वारकाधीष मंदिर द्वारका गुजरात (Dwarikadhis Temple, Dwarka, gujrat.)
पहेली के विषय से संबंधित थोडी सी जानकारी मिस. रामप्यारी आपको दे रही है.
भारत के पश्चिमी समुद्री किनारे पर बसी है पवित्र द्वारका नगरी. जिसे आज से ५००० साल पहले भगवान श्रीकॄष्ण ने मथुरा छोडने के उपरांत बसाया था. श्रीकृष्ण ने मथुरा में जन्म लिया, बाल्यावस्था गोकुल में रहे तदुपरांत राज उन्होंने द्वारका में किया. वो उस समय के इतने महाप्रतापी राजा थे कि सारे देश के राजा महाराजा उनसे सहायता और सलाह के लिये द्वारका आया करते थे. उस समय की राजनीति के सारे सूत्र उन्हीं के हाथ में थे. यहीं द्वारका से उन्होंने सारे देश के सत्ता सुत्र अपने हाथ में संभाले.
श्री द्वारकाधीष की मुर्ति
यह प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर ठीक उसी जगह है जहां कभी भगवान श्री कृष्ण का निजी महल हरि गृह था. भगवान श्री कृष्ण के अनुयाईयों के लिये यह एक एक महान और पवित्र तीर्थ है. मंदिर की पूर्व दिशा में आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित देश की चार पीठों मे से एक शारदा पीठ यहीं है. पवित्र द्वारका नगरी पवित्र सप्तपुरियों में से एक मानी गई है. वर्तमान मंदिर का यह स्वरूप १६ वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया. माना जाता है कि इस स्थान पर मुख्य मंदिर का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ द्वारा करवाया गया. जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे मंदिर का विस्तार कार्य और जीर्णोद्धार होता चला गया.
श्री द्वारकाधीश मंदिर के गर्भगृह में चाँदी के सिंहासन पर भगवान श्रीकृष्ण की श्यामवर्ण की चतुर्भुजी प्रतिमा विराजित है. यहाँ इन्हें 'रणछोड़ जी' के नाम से भी पुकारा जाता है. (वैसे भगवान श्री कृष्ण का रणछोडराय जी के नाम से प्रसिद्ध भव्य मंदिर डाकोर जी गुजरात मे है) यहां भगवान ने हाथों में शंख, चक्र, गदा और कमल धारण किए हुये हैं. अन्य श्री कृष्ण मंदिरों के समान ही यहां भी बेशकीमती अलंकरणों और सुंदर वेशभूषा से सजी प्रतिमा हर भक्त का मन मोहती है. द्वारकाधीश मंदिर के दक्षिण में गोमती धारा पर चक्रतीर्थ घाट है जहां से कुछ ही दूरी पर अरब सागर है जहाँ पर समुद्र नारायण मंदिर है. इसके निकट ही पंचतीर्थ है जहां पाँच कुओं के जल से स्नान करने की परम्परा चली आ रही है. ज्यादातर श्रद्धालु तीर्थयात्री गोमती में स्नान करके ५६ सीढ़ियाँ चढ़ कर स्वर्ग द्वार से मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं.
श्री द्वारकाधीष मंदिर, द्वारका
श्री द्वारकाधीष मंदिर एक परकोटे से घिरा हुआ है जिसमें चारों ओर एक एक द्वार है. इनमें उत्तर का द्वार मोक्ष द्वार एवं दक्षिण का स्वर्ग द्वार कहलाता है. इस आकर्षक निर्माण शैली के सात मंज़िले मंदिर का उच्च शिखर २३५ मीटर ऊँचा है जिसके उच्च शिखर पर क़रीब ८४ फुट लंबाई की बहुरंगी धर्मध्वजा फहराती रहती है. यह ध्वजा संभवत: संसार की सबसे विशालतम ध्वजा है जो पूरे एक थान कपड़े से बनाई जाती है. इस मंदिर के प्रागंण में आप घंटो मंत्रमुग्ध से बै्ठे रह सकते हैं. एक तरफ़ अरब सागर की अथाह जलराशि, ऊपर तेज हवा में फ़हराती ध्वजा और प्रांगण में भजन कीर्तन करते श्रद्धालुजन, तीर्थयात्री, देशी विदेशी पर्यटक एक ऐसा शमां बांधते हैं जैसे सारा संसार भगवान श्री कृष्ण से मिलने दौडा चला आ रहा है.
आईये अब मिलते हैं आज के विजेताओं से :-
इस कठिनतम पहेली को सबसे पहले हल करके आज की प्रथम विजेता बनी हैं सुश्री अंजू... हार्दिक बधाई!
सुश्री अंजू अंक 101
आईये अब बाकी विजेताओं से आपको मिलवाती हूं.
अब उनसे रूबरू करवाती हुं जिन्होनें इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया
श्री सोमेश सक्सेना
मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊजी डाट काम
रामप्यारे ट्वीट्स
पहेली के विषय से संबंधित थोडी सी जानकारी मिस. रामप्यारी आपको दे रही है.
भारत के पश्चिमी समुद्री किनारे पर बसी है पवित्र द्वारका नगरी. जिसे आज से ५००० साल पहले भगवान श्रीकॄष्ण ने मथुरा छोडने के उपरांत बसाया था. श्रीकृष्ण ने मथुरा में जन्म लिया, बाल्यावस्था गोकुल में रहे तदुपरांत राज उन्होंने द्वारका में किया. वो उस समय के इतने महाप्रतापी राजा थे कि सारे देश के राजा महाराजा उनसे सहायता और सलाह के लिये द्वारका आया करते थे. उस समय की राजनीति के सारे सूत्र उन्हीं के हाथ में थे. यहीं द्वारका से उन्होंने सारे देश के सत्ता सुत्र अपने हाथ में संभाले.
यह प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर ठीक उसी जगह है जहां कभी भगवान श्री कृष्ण का निजी महल हरि गृह था. भगवान श्री कृष्ण के अनुयाईयों के लिये यह एक एक महान और पवित्र तीर्थ है. मंदिर की पूर्व दिशा में आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित देश की चार पीठों मे से एक शारदा पीठ यहीं है. पवित्र द्वारका नगरी पवित्र सप्तपुरियों में से एक मानी गई है. वर्तमान मंदिर का यह स्वरूप १६ वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया. माना जाता है कि इस स्थान पर मुख्य मंदिर का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ द्वारा करवाया गया. जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे मंदिर का विस्तार कार्य और जीर्णोद्धार होता चला गया.
श्री द्वारकाधीश मंदिर के गर्भगृह में चाँदी के सिंहासन पर भगवान श्रीकृष्ण की श्यामवर्ण की चतुर्भुजी प्रतिमा विराजित है. यहाँ इन्हें 'रणछोड़ जी' के नाम से भी पुकारा जाता है. (वैसे भगवान श्री कृष्ण का रणछोडराय जी के नाम से प्रसिद्ध भव्य मंदिर डाकोर जी गुजरात मे है) यहां भगवान ने हाथों में शंख, चक्र, गदा और कमल धारण किए हुये हैं. अन्य श्री कृष्ण मंदिरों के समान ही यहां भी बेशकीमती अलंकरणों और सुंदर वेशभूषा से सजी प्रतिमा हर भक्त का मन मोहती है. द्वारकाधीश मंदिर के दक्षिण में गोमती धारा पर चक्रतीर्थ घाट है जहां से कुछ ही दूरी पर अरब सागर है जहाँ पर समुद्र नारायण मंदिर है. इसके निकट ही पंचतीर्थ है जहां पाँच कुओं के जल से स्नान करने की परम्परा चली आ रही है. ज्यादातर श्रद्धालु तीर्थयात्री गोमती में स्नान करके ५६ सीढ़ियाँ चढ़ कर स्वर्ग द्वार से मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं.
श्री द्वारकाधीष मंदिर एक परकोटे से घिरा हुआ है जिसमें चारों ओर एक एक द्वार है. इनमें उत्तर का द्वार मोक्ष द्वार एवं दक्षिण का स्वर्ग द्वार कहलाता है. इस आकर्षक निर्माण शैली के सात मंज़िले मंदिर का उच्च शिखर २३५ मीटर ऊँचा है जिसके उच्च शिखर पर क़रीब ८४ फुट लंबाई की बहुरंगी धर्मध्वजा फहराती रहती है. यह ध्वजा संभवत: संसार की सबसे विशालतम ध्वजा है जो पूरे एक थान कपड़े से बनाई जाती है. इस मंदिर के प्रागंण में आप घंटो मंत्रमुग्ध से बै्ठे रह सकते हैं. एक तरफ़ अरब सागर की अथाह जलराशि, ऊपर तेज हवा में फ़हराती ध्वजा और प्रांगण में भजन कीर्तन करते श्रद्धालुजन, तीर्थयात्री, देशी विदेशी पर्यटक एक ऐसा शमां बांधते हैं जैसे सारा संसार भगवान श्री कृष्ण से मिलने दौडा चला आ रहा है.
आईये अब मिलते हैं आज के विजेताओं से :-
इस कठिनतम पहेली को सबसे पहले हल करके आज की प्रथम विजेता बनी हैं सुश्री अंजू... हार्दिक बधाई!
आईये अब बाकी विजेताओं से आपको मिलवाती हूं.
डा. रूपचंद्र शाश्त्री "मयंक"
सुश्री सीमा गुप्ता
श्री दीपक तिवारी "साहब"
श्री दीपक तिवारी "साहब"
श्री रोनित सरकार
अब उनसे रूबरू करवाती हुं जिन्होनें इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया
श्री सोमेश सक्सेना
डा. मनोज मिश्र
श्री काजलकुमार
श्री विजयकुमार सप्पात्ति
श्री अंतर सोहिल
डा. अरूणा कपूर
श्री दिगंबर नासवा
श्री चला बिहारी ब्लागर बनने
श्री सैयद
श्री विवेक रस्तोगी
श्री मकरंद
श्री सांड-ए-लखनऊ
श्री भारतीय नागरिक
श्री भारतीय नागरिक
सभी प्रतिभागियों का हार्दिक आभार प्रकट करते हुये रामप्यारी अब आपसे विदा चाहेगी. अगली पहेली के जवाब की पोस्ट में मंगलवार सुबह 4:44 AM पर आपसे फ़िर मुलाकात के वादे के साथ, तब तक के लिये जयराम जी की.
ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और रामप्यारी ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार 1:00 AM से 11:00 PM के मध्य कभी भी आपसे फ़िर मुलाकात होगी तब तक के लिये नमस्कार.
मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊजी डाट काम
रामप्यारे ट्वीट्स
अच्छी जानकारी ...
ReplyDeleteविजेताओं को बधाई !
विजेताओं को बधाई
ReplyDeleteबसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
आदरनीय अंजू जी सहित सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteregards
बधाई
ReplyDeleteवाह जी बल्ले बल्ले. बधाइयां.
ReplyDeleteविजेताओं को बधाई
ReplyDeleteअंजू जी सहित सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई!
ReplyDeleteविजेताओं को बधाई
ReplyDeleteविजेताओं को बधाई
विजेताओं को बधाई
बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई ................बधाई
ReplyDeleteवसंत पंचमी की ढेरो शुभकामनाए
ReplyDeleteकुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
माफ़ी चाहता हूँ
ताऊ जी मेरी टिपण्णी कहाँ गयी ???/
ReplyDeleteअंजू जी सहित सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई।
ReplyDelete---------
समाधि द्वारा सिद्ध ज्ञान।
प्रकृति की सूक्ष्म हलचलों के विशेषज्ञ पशु-पक्षी।
@ anju जी,
ReplyDeleteआपकी यहां मौजूद टिप्पणी के अलावा कोई टिप्पणी नही मिली है. कृपया आप अपना इमेल एडरेस यहां टिप्पणी में छोड दिजिये जिससे आपका प्रमाणपत्र भेजा जा सके. (आपकी इमेल वाली टिप्पणी प्रकाशित नही की जायेगी.)
मैंने एक टिपण्णी लिखी थी शायद इन्टरनेट की किसी समस्या कि वजह से आप तक न पहुँच पायी हो ..मैं दोहरा देती हूँ..
ReplyDelete"आज की विजेता मैं हूँ यह देख कर विश्वास नहीं हो रहा है ,मैंने काफी देर से जवाब दिया था फिर भी मैं जीत गयी .बहुत दिनों से मन कि इच्छा थी कि मैं ताऊ पहेली कि विजेता बनूँऔर आज यह इच्छा भी पूरी हो गयी .शायद इस बार समीर जी ने भाग नहीं लिया तभी यह हो सका है .जब समीर जी से मुलाक़ात हुई थी तो उनसे एक प्रश्न मैंने यह भी पूछा था कि कैसे वो इतनी जल्दी पहेली बूझ लेते हैं और क्या उन्हे ताऊ का असली नाम पता है :)
सभी बधाई देने वालों का हार्दिक धन्यवाद एवम अन्य विजेताओं को भी हार्दिक बधाई .
@ताऊ ,आशा करती हूँ कि अगली पहेली में पूछा गया स्थान भी मैंने देखा हुआ हो :)
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ReplyDeleteIf you want to bet 바카라 on titanium metal trim Baccarat, the basic concept is to play one of the two main poker hands. Learn to 더킹카지노 주소 Play 메리트 카지노 주소 Baccarat. 퍼스트 카지노