एक ब्लागर सम्मेलन इधर भी

आजकल चारों तरफ़ ब्लाग सम्मेलन, ब्लागर मीट, ब्लागर मिलन इत्यादि इत्यादि... का दौर चल रहा है. और विज्ञान का युग है तो ऐसे में चैट सम्मेलन तो शुरू से चलन में रहा है यानि गाहे बगाहे ब्लागरों ने सम्मेलन की तर्ज पर चैट को सार्वजनिक करके चैट सम्मेलन की रिपोर्टिंग की है. अब ये अलग बात है कि उसमें भाईचारा था या जूतमपैजारीयता? खैर जो भी रहा हो आखिर था तो ब्लागर सम्मेलन ही.

तो हमने भी इसी तर्ज पर अब दूरभाष ब्लागर सम्मेलन की सोची कि जब सभी लोग ब्लागर सम्मेलन नाम की लुटिया लूट रहे हैं तो क्यों ना हम भी बहती गंगा में हाथ धो डाले? वो कहते हैं ना कि जहां चाह वहां राह...बस हम यह विचार कर ही रहे थे कि किसको दूरभाष ब्लागर सम्मेलन का निमंत्रण देने को घंटी बजाई जाये कि इतनी देर में खुद हमारी घंटी बज उठी.

कल दोपहर करीब 12:31 बजे एक ब्लागर मित्र का फ़ोन आया. मेरे हैल्लो...हैल्लो कहते ही उधर से तल्ख आवाज में भाई जान शुरू हो गये. लोग मेरे पीछे क्यों लगे हुये हैं? मैने किसका क्या बिगाडा है? ये बहुत गलत बात है...इत्यादि इत्यादि... मैं समझ गया कि माजरा संगीन है सो फ़ट से अपना ताऊपाट दांव मारा और पूछ बैठा - भाई आप कौन हो? किससे काम है? और क्या चाहते हैं? दांव फ़िट बैठा...सामने वाले को लग गया कि शायद रांग नंबर लगा है. पर वो भी आखिर पक्का ब्लागर ठहरा सो पूछ बैठा - आप कौन, ताऊ बोल रहे हो?

मैने कहां - हां भाई अभी तक तो ताऊ ही बोल रहा हूं पर आप जिस तरह से शुरू हुये हो उसको देखते हुये ये ताऊ की आत्मा भी बोल सकती है. मेरी इस बात से सामने वाला थोडा सामान्य बातचीत पर उतर आया और करीब आधा घंटा, जी हां कम से कम सिर्फ़ 31 मिनट तक शिकवा शिकायत, प्रेम, भाईचारा, ब्लागर भाईचारा, पीठ सहलाना, चने के झाड पर चढाना, किसने किसको गाली दी, किसके ब्लाग पर आज क्या हुआ यानि आल इंडिया रेडियो की उर्दू खबरों का प्रसारण चलता रहा.

लुब्बे लुबाब ये कि, इस तरह की आधे घंटे की बात चीत के बाद हालात कुछ सामान्य हुये. बातचीत सामान्य स्तर पर आ गई तो जाहिर है अब "ब्लागर दूरभाष सम्मेलन" की समाप्ति का समय आ पहुंचा था. हमको आज कोई काम धंधा था नही सो वो जब भी दूरभाष सम्मेलन समाप्त करने पर आये हम..पूछ बैठे...और सुनाईये जी...और क्या हाल है? वो कहे - ताऊ जी सब ठीक ठाक है...इस तरह का संवाद आखिरी के दस मिनट में पांच सात बार हो गया....हमारी तव्वे की सूई वहीं अटकी थी...और सुनाईये जी...और क्या हाल चाल है?

लगता है हमारी अटकी सूई से एक ही आवाज सुन सुन कर ब्लागर मित्र पक गये थे. थक हार कर अबकी बार उन्होंने सीधे ही उल्टा धोबी-पाट हम पर मारा और बोले - ताऊ जी, ऐसा है ब्लाग जगत में आपसी भाई चारा रहना चाहिये. लोग इस कोशीश में लगे भी हैं...आपको भी इसमे आगे आना चाहिये, अब ये जाल की दुनिया असल की दुनिया बन रही है. लोग एक दूसरे को परेशान करते हैं, एक दूसरे के ब्लाग पर जा कर गाली गलोच करते हैं... इन सबसे बचने में हमें उनकी मदद करनी चाहिये. आखिर एक दूसरे के दुख सुख में ब्लागर भाई काम नही आयेंगे तो कौन आयेगा?

मैने कहा - वाह भाई वाह, जीता रह, तेरे से हमको ऐसी ही उम्मीद थी. और ये बात बिल्कुल सही कही कि सुख दुख में ब्लागर भाई ही एक दूसरे के काम आयेंगे....तो एक काम कर भाई, मैं आजकल थोडे ज्यादा ही दुख में हूं, जरा मेरी मदद तू कर दे या ब्लागर भाई बहणों से करवा दे.

वो बोला - ताऊ जी आप हुक्म करिये, आपके लिये जी और जान दोनों हाजिर हैं.

हमने तव्वे को गर्म देखकर तुरंत पासा फ़ेंका - यार तेरा "जी तो लाख का" और "जान करोड की", बात यह है कि मुझे आजकल थोडी कडकी चल रही है और कडकी से बडा दुख क्या होगा? जरा अपने ब्लागर भाई बहणो से कहकर दो चार लाख की मदद करवा दे...

हमारी बात पूरी होने के पहले ही..उधर से..हैल्लो..हैल्लो..ताऊ जी...आपकी आवाज नही आ रही है... हैल्लो जरा जोर से बोलिये...हैल्लो...हैल्लो....ताऊ जी कुछ भी नही सुनाई दे रहा....हैल्लो...हैल्लो.... और ब्लागर सम्मेलन यहीं समाप्त हो गया.

मुफ़लिसी में
प्यार भी
नफ़रतों में बदल जाता है.

कडकी का रोना सुनते ही
ब्लागर दोस्त भी
सम्मेलन समाप्ति के पूर्व ही
सम्मेलन समाप्त हुआ, का
उदघोष कर देता है.

और जेबे भरी दिखे यारों को तो
बिना बात के ही
ब्लागर सम्मेलन
करवा देता है.

जैसे भरा हुआ खीसा (जेब)
नफ़रतों को भी मुहब्बतों में
बदल देता है.

Comments

  1. मुफलिसी में प्यार भी नफरत में बदल जाता है ...
    लाख टके की बात !

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  2. ज़माना घणा खराब सै ताऊ, बच के रहियो!

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  3. ब्लॉगर बिम्ब के माध्यम से समाज के यथार्थ पर करारी चोट...बहुत खूब ताऊ!!

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  4. हा हा हा मजेदार रहा ये दूरभाष ब्लोगर सम्मलेन भी :)
    -
    कडकी का रोना सुनते ही
    ब्लागर दोस्त भी
    सम्मेलन समाप्ति के
    पूर्व ही सम्मेलन समाप्त हुआ
    का उदघोष कर देता है.
    @ ताऊ इसी लिए तो घाघ लोग सम्मलेन सरकारी खर्चे पर करवा डालते है !

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  5. ताऊ
    राम राम ...
    बैठे ठाले कुछ न कुछ फितूर सोंचते रहते हो ...नए साल पर ब्लागर सम्मलेन होना तय हुआ है ! परधानी तेरी ही है चिंता मत कर , बस खाने पिने का इंतजाम ताई से करवा देना ! अब आना कहाँ है ??

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  6. आपकी पोस्ट की रचनात्मक सौम्यता को देखते हुए इसे आज के चर्चा मंमच पर सजाया गया है!
    http://charchamanch.uchcharan.com/2010/12/369.html

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  7. दूरभाष से शिकायत तो सुन लेंगे पर सम्बद्ध भाव कैसे पढ़ेंगे चेहरे से।

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  8. ताऊ सारे जगत में तो अब करोड़ों की बात हो रही है और तू है कि लाखों ही मांग रह्या है। या तो घणी नाइंसाफी है।

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  9. राम-राम ताऊ। पहले तो आप बधाई स्‍वीकार करें.. जूतमपैजारीयत और खर्चा-वर्चा के बगैर ही आपने ब्‍लॉगर सम्‍मेलन करा दिया ... इसीलिए तो आप ताऊ हैं :)

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  10. ताऊ अकेले अकेल ही सम्मेलन करवाते हो फिर भी कडकी? कौन से पन्डे बुलाते हो जो जेब खाली करवा देते हैं/ जरूर समीरा जी को बुलाया होगा। चलो अब एक और सम्मेलन करवाओ और टिकेट रखो फिर देखो जेब कैसे भरती है। हाँ बस समीरा जी को जरूर बुलवा लेना सब भागे चले आयेंगे। शुभकामनायें। अब जेब भरने पर ही मिलते हैं।

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  11. घणी राम राम ताउ जी!....ब्लोगर संमेलन की जय हो!

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  12. जब से BSNL ने STD के रेट लोकल कर दिए हैं "दूरभाष ब्लागर सम्मेलन" की अपार संभावनाएं वास्तविकता में बदल गई हैं. रही बात पैसे की मदद के मुरीद ब्लागरों की ... यह भी अच्छा आइडिया दिया है आपने वर्ना अभी तक तो केवल नाइजीरियन ही मेल भेज-भेज कर खोपड़ी खाते थे अब कान खाने हमारे आपणे ढीकरे ब्लागड़ भी आ जुटे हैं. वाह :)

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  13. ताऊ आज तो बड़ा कवि सवी बन रिया है के बात सै | अब कौण आ रहा है आपकी ताऊगिरी के फेर में | इन ब्लोगरा नै थारै नम्बर किस तरा मिलगे |

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  14. करारा व्यंग्य्।

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  15. आदरणीय ताऊ जी
    नमस्कार !


    .............बहुत खूब

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  16. गई भैंस पानी में...:)
    टेक्नोलजी का जमाना है, इसका कुछ तो फायदा उठाना ही चाहिए.

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  17. taau ji
    ram ram
    sabse pahle to aapko hriday se dhanyvaad jo aapne meri pukaar suni .sach ,bahut hi achha laga.
    aur han! aapki baatan bilkul solah aane sach hai.
    bahut hi sateek baat kahi hai aapnetabiyat prasann ho gai
    jai ram ji ki
    poonam

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  18. जमाना बहुत खराब आ गया अरे ताऊ तुम ने चार बोला ओर मेने उसी समय ८ लाख भेज दिये अब इतनी जल्दी मुकर रहे हो.... राम राम राम

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  19. व्यंग्य को समेटे मजेदार पोस्ट है
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  20. लगे हाथ उस ब्लागरवा /ब्लागरिया का नाम भी बता दिए होते .....एँन वक्त पर कनेक्शन ही काट दिया ! कैसे मित्र हैं ?

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  21. ताऊ जी राम राम !! आज १७-१२-२०१० को आपकी यह रचना चर्चामंच में रखी है.. आप वहाँ अपने विचारों से अनुग्रहित कीजियेगा .. http://charchamanch.blogspot.com ..आपका शुक्रिया

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  22. दूरभाष को माध्यम बना कर एक शशक्त व्यंग , आप मुबारक बाद के मुस्तहक़ हैं ।

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  23. karki to idharich bhi hai...pan itta
    bhi nahi ke ek comment na de sakoon..


    ghani pranam.

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  24. बहुत ही खुब लिखा है आपने......आभार....मेरा ब्लाग"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ जिस पर हर गुरुवार को रचना प्रकाशित नई रचना है "प्रभु तुमको तो आकर" साथ ही मेरी कविता हर सोमवार और शुक्रवार "हिन्दी साहित्य मंच" at www.hindisahityamanch.com पर प्रकाशित..........आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे..धन्यवाद

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