सभी राजकुमार महाराज और महारानी से आज्ञा लेकर रोहतक तिलयार झील पर पिकनिक के लिये गये हुये हैं. ताऊ महाराज धृतराष्ट्र हमेशा की तरह राजमहल में अपनी जीवन संगिनी महारानी गांधारी के साथ बैठे हैं. और महाराज की आंखें संजय यानि इस जन्म का रामप्यारे भी वहीं आ पहुंचा है.
इस पर तनिक नाराज होकर ताई महारानी बोली - रामप्यारे तुम कभी चुप भी रहा करो...जब देखो अपने बडे बडे दांत दिखा के लोगों को डराया करते हो... हमेशा बक बक करते रहते हो. तुमको कम से कम पति पत्नि की बातचीत का तो ख्याल रखना चाहिये. पता नही महाराज ने तुमको कौन सी घडी में अपाईंटमैंट दिया था जो पांच हजार साल से पीछा ही नही छोड रहे हो? मैं तरस गयी महाराज से एकांत में बातचीत करने के लिये पिछले पांच हजार सालों से. हर सवाल का जवाब पूछने से पहले ही तुम देने लगते हो. तुमने तो बस समझ लिया कि एक अंधा बुड्ढा और एक बुढिया जिसने पट्टी बांध रखी है आंखों पर, उनको चाहे जैसे आंखों देखा हाल सुनावो ...
महारानी ताई गांधारी, महाराज ताऊ धृतराष्ट्र और रामप्यारे
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र बीच में बात काटते हुये बोले - अरे महारानी आप तो नाहक रामप्यारे पर नाराज हो रही हैं...आप जानती हैं कि अगर रामप्यारे ना होता तो हम आज तक ये पांच हजार साल का सफ़र पूरा नही कर पाते...
महारानी गांधारी - हे ब्लागार्य आप चुप ही रहें तो अच्छा है. वो तो मैं ही हूं जिसने सफ़लता पूर्वक आंखों पर पट्टी बांधे हुये भी दिन में एकाध बार पट्टी का कोना उठाकर दुनियां पर तिरछी नजर डाल लेती हूं. वर्ना आज के जमाने में 101 पुत्रों की परवरिश करना कोई हंसी ठट्ठा..हा..हा..ही..ही..का काम नही है....आप और ये रामप्यारे आखिर करते क्या हैं? बस आफ़िस के मत्थे फ़ोकट का फ़ोन पकड लिया...इसकी टांग खींची...उसकी..टांग खींची...यहां बेनामी करवाई वहां अनामी करवाई.....और दोनों मौज लेते रहते हो...मेरे सामने पडते ही शक्ल बंदर जैसी बना कर परेशान होने का नाटक करते हो....मैं आपकी नस नस से वाकिफ़ हूं..आपको मालूम भी है कि आजकल आपके ब्लागाव्रत में क्या चल रहा है?
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र खिसियानी हंसी हंसते हुये बोले - ओह ..महारानी आप तो बस मौका मिलते ही बाल की खाल खींचने लगती हो. ..हम चिंतित हैं ब्लागाव्रत के भावी युवराज की गद्दी को लेकर, क्या आपको दिखाई नही दे रहा है कि आजकल ब्लागाव्रत कई खेमों में बंटता जारहा है? एवम आप ब्लागाव्रत की साम्राज्ञी होकर भी वही चौके चूल्हे की साधारण बातों में लगी रहती हैं? आपको समझना चाहिये कि राज्य में खेमेबाजी बढने से साम्राज्य की नींव कमजोर पड जाती है?
महारानी ताई गांधारी बोली - रहने दिजिये महाराज...बैठे बिठाये खाने को मिल जाता है आपको और मैं अब द्वापर जितनी भोली भी नही रही कि इतना भी ना समझ सकूं कि आप दिन भर इस सत्यानाशी रामप्यारे के साथ बैठकर लेपटोप पर लोगों की टांग खिंचाई करते रहते हो.....मौज लेते रहते हो....अब इस कलयुग में आपके इतने बडे कुनबे का खाना बनाते बनाते ही मेरी बुड्ढी हड्डियां दर्द करने लगती हैं. अब आप ये अंधे होने का नाटक बंद करिये...आजकल आंखों का आपरेशन होने लगा है, पर हम आंखों के आपरेशन का इतना रूपया लायेंगे कहां से? और सुना है आजकल कैश लैस मेडिक्लेम सुविधा भी बंद होगई है...सो आप तो इस रामप्यारे की एक आंख शाही कसाई को बुलवाकर निकलवा लिजिये और खुद को लगवा लिजिये और कुछ काम धंधा करके कमाना शुरू किजिये जिससे ये गृहस्थी की गाडी आगे बढे.
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र खिसियाते हुये से बोले - अरे महारानी जी, आप हम पर इतना बडा अन्याय मत किजिये...हम अब अंधे ही रहना चाहते हैं. हमको अब इसी में मजा आने लगा है. हम से ये मजा मत छीनिये. आपको भी पता है कि अंधे रहकर आजकल जितने फ़ायदे हैं उतने कहीं नही हैं. हमको अंधे होने के एवज में ये जो महाराज गिरी मिली है, आंखे पाकर वो भी छिन जायेगी. फ़िर ये घर बैठे जो मुआवजा मिलता है महाराज गिरी का, वो कहां से मिलेगा और हम कोई काम धंधा सिवाय ब्लागरी के जानते नही हैं.... और आपको मालूम है कि आजकल ब्लागाव्रत में हमारे ब्लाग पुत्रों और पुत्रियों मे घमासान मचा हुआ है....(बस यह कहकर महाराज ने महारानी की कमजोर नस दबा दी. महारानी और जो चाहे सहन करले पर अपने ब्लाग पुत्र/पुत्रियों को तकलीफ़ मे और लडता नही देख सकती)
महाराज को बीच में ही रोककर महारानी ने पूछा - क्यों क्या हुआ हमारे ब्लाग पुत्र/पुत्रियों को? जल्दी बोलिये ब्लागार्य श्रेष्ठ...किसी अनहोनी से मेरा दिल बैठा जारहा है. वो सब तो रोहतक में पिकनिक मनाने गये थे ना? क्या वहां आपस में सर फ़ुट्टोव्वल कर बैठे? या फ़िर कहीं भीम और दुर्योधन में हाथापाई होगई? जल्दी बोलिये ब्लागार्यश्री? क्या फ़िर कहीं कोई महाभारत की शुरूआत तो नही होगई? क्या वो उनको आपस में लडवाने वाला फ़िर से मौज लेने तो वहां नही पहुंच गया? आप बोलते क्यों नहीं? तुम बतावो रामप्यारे...क्या हुआ मेरे कलेजे के टुकडे और टुकडियों को?
इतनी देर से चुप खडा सुन रहा रामप्यारे बोला - महारानी की जय हो! हे महारानी, असल बात ये है कि रोहतक में पिकनिक पर पहूंचे आपके ब्लागपुत्रों ने वहां पर जी भर के....
रामप्यारे के इतना बोलते ही ब्लागार्य श्रेष्ठ ताऊ महाराज बीच में ही चिल्ला पडे...नही रामप्यारे नही.... रोहतक स्पेक्ट्रम के बारे में जबान मत खोलना महारानी के सामने.... वहां पर.........
(क्रमश:)
किसी अनहोनी की आशंका से ताऊ महाराज धृतराष्ट्र चिंतित से दिखाई दे रहे हैं. और महाराज की चिंता का कारण भी स्वाभाविक है क्योंकि जब जब उनके लाडले राजकुमार पिकनिक या आखेट के लिये गये हैं तब तब कुछ ना कुछ गुल अवश्य खिलाते हैं. तो रोहतक पिकनिक इससे कहां अछूती रहने वाली है?
महारानी गांधारी - हे ब्लागार्य महाराज! क्या बात है? आज मुझे पुन: आपके चेहरे पर कुछ परेशानी के भाव दिखाई दे रहे हैं?
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र - हे महारानी ! आपकी बात तो सच है कि हम परेशान हैं पर हम अपनी परेशानी आपको बतायें उससे पहले ये जानना चाहेंगे कि आपकी आंखों पर पट्टी बंधी हुई होने के बावजूद आप हमारे चेहरे के भावों को कैसे पढ लेती हैं? हम बडे आश्चर्यचकित से हो जाते हैं.
इसी बीच रामप्यारे बोल पडता है ....ताऊ महाराज श्रेष्ठ की जय हो! ताई श्रेष्ठा महारानी अपने मन की आंखों से आपके भाव पढ लेती हैं....
महारानी गांधारी - हे ब्लागार्य महाराज! क्या बात है? आज मुझे पुन: आपके चेहरे पर कुछ परेशानी के भाव दिखाई दे रहे हैं?
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र - हे महारानी ! आपकी बात तो सच है कि हम परेशान हैं पर हम अपनी परेशानी आपको बतायें उससे पहले ये जानना चाहेंगे कि आपकी आंखों पर पट्टी बंधी हुई होने के बावजूद आप हमारे चेहरे के भावों को कैसे पढ लेती हैं? हम बडे आश्चर्यचकित से हो जाते हैं.
इसी बीच रामप्यारे बोल पडता है ....ताऊ महाराज श्रेष्ठ की जय हो! ताई श्रेष्ठा महारानी अपने मन की आंखों से आपके भाव पढ लेती हैं....
इस पर तनिक नाराज होकर ताई महारानी बोली - रामप्यारे तुम कभी चुप भी रहा करो...जब देखो अपने बडे बडे दांत दिखा के लोगों को डराया करते हो... हमेशा बक बक करते रहते हो. तुमको कम से कम पति पत्नि की बातचीत का तो ख्याल रखना चाहिये. पता नही महाराज ने तुमको कौन सी घडी में अपाईंटमैंट दिया था जो पांच हजार साल से पीछा ही नही छोड रहे हो? मैं तरस गयी महाराज से एकांत में बातचीत करने के लिये पिछले पांच हजार सालों से. हर सवाल का जवाब पूछने से पहले ही तुम देने लगते हो. तुमने तो बस समझ लिया कि एक अंधा बुड्ढा और एक बुढिया जिसने पट्टी बांध रखी है आंखों पर, उनको चाहे जैसे आंखों देखा हाल सुनावो ...
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र बीच में बात काटते हुये बोले - अरे महारानी आप तो नाहक रामप्यारे पर नाराज हो रही हैं...आप जानती हैं कि अगर रामप्यारे ना होता तो हम आज तक ये पांच हजार साल का सफ़र पूरा नही कर पाते...
महारानी गांधारी - हे ब्लागार्य आप चुप ही रहें तो अच्छा है. वो तो मैं ही हूं जिसने सफ़लता पूर्वक आंखों पर पट्टी बांधे हुये भी दिन में एकाध बार पट्टी का कोना उठाकर दुनियां पर तिरछी नजर डाल लेती हूं. वर्ना आज के जमाने में 101 पुत्रों की परवरिश करना कोई हंसी ठट्ठा..हा..हा..ही..ही..का काम नही है....आप और ये रामप्यारे आखिर करते क्या हैं? बस आफ़िस के मत्थे फ़ोकट का फ़ोन पकड लिया...इसकी टांग खींची...उसकी..टांग खींची...यहां बेनामी करवाई वहां अनामी करवाई.....और दोनों मौज लेते रहते हो...मेरे सामने पडते ही शक्ल बंदर जैसी बना कर परेशान होने का नाटक करते हो....मैं आपकी नस नस से वाकिफ़ हूं..आपको मालूम भी है कि आजकल आपके ब्लागाव्रत में क्या चल रहा है?
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र खिसियानी हंसी हंसते हुये बोले - ओह ..महारानी आप तो बस मौका मिलते ही बाल की खाल खींचने लगती हो. ..हम चिंतित हैं ब्लागाव्रत के भावी युवराज की गद्दी को लेकर, क्या आपको दिखाई नही दे रहा है कि आजकल ब्लागाव्रत कई खेमों में बंटता जारहा है? एवम आप ब्लागाव्रत की साम्राज्ञी होकर भी वही चौके चूल्हे की साधारण बातों में लगी रहती हैं? आपको समझना चाहिये कि राज्य में खेमेबाजी बढने से साम्राज्य की नींव कमजोर पड जाती है?
महारानी ताई गांधारी बोली - रहने दिजिये महाराज...बैठे बिठाये खाने को मिल जाता है आपको और मैं अब द्वापर जितनी भोली भी नही रही कि इतना भी ना समझ सकूं कि आप दिन भर इस सत्यानाशी रामप्यारे के साथ बैठकर लेपटोप पर लोगों की टांग खिंचाई करते रहते हो.....मौज लेते रहते हो....अब इस कलयुग में आपके इतने बडे कुनबे का खाना बनाते बनाते ही मेरी बुड्ढी हड्डियां दर्द करने लगती हैं. अब आप ये अंधे होने का नाटक बंद करिये...आजकल आंखों का आपरेशन होने लगा है, पर हम आंखों के आपरेशन का इतना रूपया लायेंगे कहां से? और सुना है आजकल कैश लैस मेडिक्लेम सुविधा भी बंद होगई है...सो आप तो इस रामप्यारे की एक आंख शाही कसाई को बुलवाकर निकलवा लिजिये और खुद को लगवा लिजिये और कुछ काम धंधा करके कमाना शुरू किजिये जिससे ये गृहस्थी की गाडी आगे बढे.
ताऊ महाराज धृतराष्ट्र खिसियाते हुये से बोले - अरे महारानी जी, आप हम पर इतना बडा अन्याय मत किजिये...हम अब अंधे ही रहना चाहते हैं. हमको अब इसी में मजा आने लगा है. हम से ये मजा मत छीनिये. आपको भी पता है कि अंधे रहकर आजकल जितने फ़ायदे हैं उतने कहीं नही हैं. हमको अंधे होने के एवज में ये जो महाराज गिरी मिली है, आंखे पाकर वो भी छिन जायेगी. फ़िर ये घर बैठे जो मुआवजा मिलता है महाराज गिरी का, वो कहां से मिलेगा और हम कोई काम धंधा सिवाय ब्लागरी के जानते नही हैं.... और आपको मालूम है कि आजकल ब्लागाव्रत में हमारे ब्लाग पुत्रों और पुत्रियों मे घमासान मचा हुआ है....(बस यह कहकर महाराज ने महारानी की कमजोर नस दबा दी. महारानी और जो चाहे सहन करले पर अपने ब्लाग पुत्र/पुत्रियों को तकलीफ़ मे और लडता नही देख सकती)
महाराज को बीच में ही रोककर महारानी ने पूछा - क्यों क्या हुआ हमारे ब्लाग पुत्र/पुत्रियों को? जल्दी बोलिये ब्लागार्य श्रेष्ठ...किसी अनहोनी से मेरा दिल बैठा जारहा है. वो सब तो रोहतक में पिकनिक मनाने गये थे ना? क्या वहां आपस में सर फ़ुट्टोव्वल कर बैठे? या फ़िर कहीं भीम और दुर्योधन में हाथापाई होगई? जल्दी बोलिये ब्लागार्यश्री? क्या फ़िर कहीं कोई महाभारत की शुरूआत तो नही होगई? क्या वो उनको आपस में लडवाने वाला फ़िर से मौज लेने तो वहां नही पहुंच गया? आप बोलते क्यों नहीं? तुम बतावो रामप्यारे...क्या हुआ मेरे कलेजे के टुकडे और टुकडियों को?
इतनी देर से चुप खडा सुन रहा रामप्यारे बोला - महारानी की जय हो! हे महारानी, असल बात ये है कि रोहतक में पिकनिक पर पहूंचे आपके ब्लागपुत्रों ने वहां पर जी भर के....
रामप्यारे के इतना बोलते ही ब्लागार्य श्रेष्ठ ताऊ महाराज बीच में ही चिल्ला पडे...नही रामप्यारे नही.... रोहतक स्पेक्ट्रम के बारे में जबान मत खोलना महारानी के सामने.... वहां पर.........
(क्रमश:)
प्रतीक्षा रत
ReplyDeleteसादर
जल्दी बतावो---हम भी अधीर हुए जा रहे हैं जानने को. :)
ReplyDeleteजल्दी बतावो---हम भी अधीर हुए जा रहे हैं जानने को. :)
ReplyDeleteमहाभारत नहीं ब्लॉगभारत
ReplyDeleteब्लॉगदुनिया का नक्शा
अब ब्लॉगभारत ही बदलेगा
कथा घणी रोचक है
पर यो तो सोचक होती
आ रही है
बेबस बेकसूर ब्लूलाइन बसें
वाह ! वाह ! क्या बढ़िया एपिसोड चल रहा है !! जय हो महाराज ताऊ की !!
ReplyDeleteरामप्यारे तुम कभी चुप भी रहा करो...जब देखो अपने बडे बडे दांत दिखा के लोगों को डराया करते हो... हमेशा बक बक करते रहते हो. तुमको कम से कम पति पत्नि की बातचीत का तो ख्याल रखना चाहिये. पता नही महाराज ने तुमको कौन सी घडी में अपाईंटमैंट दिया था जो पांच हजार साल से पीछा ही नही छोड रहे हो?
ReplyDeleteलो और दो रामप्यारे को अपाईंटमैंट.:)
आप और ये रामप्यारे आखिर करते क्या हैं? बस आफ़िस के मत्थे फ़ोकट का फ़ोन पकड लिया...इसकी टांग खींची...उसकी..टांग खींची...यहां बेनामी करवाई वहां अनामी करवाई.....और दोनों मौज लेते रहते हो...मेरे सामने पडते ही शक्ल बंदर जैसी बना कर परेशान होने का नाटक करते हो....मैं आपकी नस नस से वाकिफ़ हूं.
ReplyDeleteहा..हा...हा..ताई महारानी ने बिल्कुल सही नस पकडी है महाराज की.:) जय हो।
धृतराष्ट्र अंकल, आपके सारे राजकुमार आज जबलपुर भेडाघाट की बजाये होटल में पिकनिक करने वाले हैं...आपसे परमीशन ली या नही?
ReplyDeleteइस रामप्यारे की एक आंख शाही कसाई को बुलवाकर निकलवा लिजिये और खुद को लगवा लिजिये और कुछ काम धंधा करके कमाना शुरू किजिये जिससे ये गृहस्थी की गाडी आगे बढे.
ReplyDeleteसौ प्रतिशत सही है ताई महारानी जी. आप तो ये शुभ कार्य अति शीघ्र करवा डालिये....कोई शाही कसाई ना मिले तो मुझे आदेश दिजिये. मैं हाजिर होकर ये काम बखूबी कर डालूंगा.:)
हमको अंधे होने के एवज में ये जो महाराज गिरी मिली है, आंखे पाकर वो भी छिन जायेगी. फ़िर ये घर बैठे जो मुआवजा मिलता है महाराज गिरी का, वो कहां से मिलेगा और हम कोई काम धंधा सिवाय ब्लागरी के जानते नही हैं..
ReplyDeleteआज की राजनिती पर सटीक और करारा व्यंग।
हमको अंधे होने के एवज में ये जो महाराज गिरी मिली है, आंखे पाकर वो भी छिन जायेगी. फ़िर ये घर बैठे जो मुआवजा मिलता है महाराज गिरी का, वो कहां से मिलेगा और हम कोई काम धंधा सिवाय ब्लागरी के जानते नही हैं..
ReplyDeleteआज की राजनिती पर सटीक और करारा व्यंग।
अब ये भी कौन बतकही है दो इपिसोद बीत गए और मामला अभी भी वहीं का वही ..
ReplyDeleteतो ये संजय है जो सारी हेर फेर कर रहा है .....
ReplyDeleteसंजय की ऑंखें ट्रांसप्लांट करने का सुझाव सही दे दिया गांधारी ने ...
ताऊ मुझे कुछ नहीं कहना है ....मैं भी आपकी कृपा से रोहतक में पिकनिक मनाने गया था..मुझे नहीं पता था आप सच उगल दोगे .....जय ताऊ जी की .....राम राम ....केवल राम की तरफ से
ReplyDeleteताऊ होश में...
ReplyDeleteडूबा मत दिए :-))
पार्टी वार्टी मिल जायेगी तेरे को !
आगे कुछ बोलने से पहले योगेन्द्र मुदगिल से बात कर लियो ....सारी गलती कवि महाराज की थी !
इस काण्ड का टेप मेरे पास है महाराज.. कहो तो सार्वजनिक कर दूं जिसमें संजय दुर्योधन को शाही दूरसंचार और दूरदृष्टि विभाग देने के बारे में मात्र विचार विमर्श कर रहे हैं :)
ReplyDeleteतीलियार झील में सब कुछ था केवल मेंढकी को छोड़ कर | उसके ना होने के बाद भी हंगामा बरपा है क्या क़यामत है .....आल इज वेल...आल इज वेल |
ReplyDeleteतो ये संजय है जो सारी हेर फेर कर रहा है
ReplyDeleteye lo sanjay hajir hai.....
ताउजी!...ऐसा क्या किया उन्हों ने?..हम भी तो सुने!
ReplyDelete। अरे ये क्या संवाद अधूरा छोड दिया अब तो आगे जानने की प्रतीक्षा है।
ReplyDeleteमहाराज, रामप्यारे को बोल लेने दें, कुछ न कुछ सत्य निकल कर आयेगा।
ReplyDeletedhritrashtra tau ab aap ram-ram bhajo
ReplyDelete.....balak ab bare ho gaye hai.......
ab piknik pe gaye hain to thori mauj-masti to karenge hi.......
itti umar me tenson na leo........
khush raho aur bachhe nu ashish do
pranam
तू महाराज और ताई महारानी की चिन्ता से तो वाकई चिंता होने लगी है ....बहुत बढ़िया व्यंग ...क्रमश: का इंतज़ार है
ReplyDeleteरामप्यारे के उत्तर की प्रतीक्षा....
ReplyDeleteदेखना है....ब्लागार्य श्रेष्ठ ताऊ महाराज उसे आगे बोलने से रोक पाते हैं या नहीं
ताई इक दिन दुनु ने इके ही लट्ठ से ठीक करेगी ...आपके और वा बन रया घणा चौधरी ..गधेडा ..राम प्यारे ...हा हा हा ताऊ इब तो आप इसकी संगत से निकल के म्हारे जीसे गधेडे की संगत धल्ल ल्लो ..के रिया हूं कसम से
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteव्यंग में भी सस्पेंस!
अरे हुआ क्या ??????
ReplyDeleteहम भी अगले भाग के इन्तजार में बैठे हैं......ओर कर भी क्या सकते हैं :)
ReplyDeleteताऊ जी आप हर रिजल्ट बहुत लेट देते हो... थोड़ा जल्दी करिए ना. ...........
ReplyDeleteसृजन - शिखर पर ( राजीव दीक्षित जी का जाना )
ReplyDeleteइब्ब देको ताउ महाराज़
ReplyDeleteब्लागिंग पर राष्ट्रीय कार्यशाला आधिकारिक रपट
आपके को ईटिप्स ब्लाँग कि तरफ से ब्लाँग आँफ द मंथ का पुरस्कार दिया गया है । कृपया ब्लाँग पर आये
ReplyDeleteआपके ब्लाँग को ईटिप्स ब्लाँग कि तरफ से ब्लाँग आँफ द मंथ का पुरस्कार दिया गया है । कृपया ब्लाँग पर आये और अपनी हाजिरी देँ ।
ReplyDeleteतीलियार झील में सब कुछ था केवल मेंढकी को छोड़ कर | उसके ना होने के बाद भी हंगामा बरपा है क्या क़यामत है .....आल इज वेल...आल इज वेल |
ReplyDeleteताई से मिली थी उसने बोला लिख दे सो लिख दिया
" चूहे कि औलाद "