आखिर वो वक्त आ ही गया, जब महाराज, रामप्यारे और मिस समीरा टेढ़ी सम्मेलन स्थल का निरीक्षण करने पहुँचे. रामप्यारे अपनी आदत के अनुसार सम्मेलन स्थल का विवरण देने लगा.
चारों तरफ फूलों की क्यारियाँ, हरियाली, सामने कलकल बहती नर्मदा नदी, छोटे छोटे झरने, दूर पर दिखते सुन्दर पहाड़, चिड़ियों का कलरव, मंद मंद बहती शीतल समीर और उसमें फूलों की गंध- सुनते सुनते महाराज तो न जाने कहाँ कहाँ की कल्पनाओं मे खो गये. खो क्या गये बल्कि आसमान में उडने लगे. आज बहुत दिनों बाद मौका मिला था जब ताई महारानी गांधारी साथ नही थी. साथ था तो सिर्फ़ मिस समीरा टेढी का. और लगता है आज महाराज ने इस मौके का भरपूर फ़ायदा उठाने का पहले ही पक्का सोच लिया था.
महाराज अपनी कल्पना में मिस टेढी को देखते हुये
अंधे महाराज की हरकतों को देखकर लगा कि क्या ये धृतराष्ट्र महाराज वाकई में अंधे हैं? या अंधेपन का नाटक कर रहे हैं इतने जन्मों से? क्या कोई अंधा व्यक्ति बुढौती में इस तरह बगीचे में टेढी हंसीना के पीछे जीतेंद्र स्टाईल मे लटके झटके दार फिल्मी गीत गा सकता है?
उउ...उउउउउ....
मस्त बहारों का मैं आशिक...
जो मैं चाहे यार करुँ...
चाहे गुलों के साये से खेलूँ
चाहे कली से प्यार करुँ....
सारा जहाँ है मेरे लिए.....आ उउउउउउ...
गाते गाते वो दोनों हाथों से हवा में टटोलते हुए मिस समीरा टेढ़ी की ओर बढ़ने लगे. रामप्यारे की आवाज भी आना बंद हो गई. मिस समीरा टेढी ने देखा कि हरियाली और घास देख रामप्यारे ललचा गया और पेड़ के पीछे जाकर हरी हरी घास चरने लगा.
मौसम अच्छे अच्छों को औकात पर ला देता है तो फिर वो तो रामप्यारे है, है तो ओरीजनल गधा ही. समीरा टेढ़ी को लगा कि महाराज भी अपनी मर्दों वाली ओरीजनल रोमांटिक अदा पर उतरने की फिराक में है. ऐसे में मर्द अपनी अवस्था, अंधापन, रुप रेखा सब भूल चाहे जिस पर मोहित हो चले. तो महाराज का अंधा होने के बावजूद भी मिस समीरा टेढ़ी पर मोहित हो जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं. वैसे भी महाराज का कुछ झुकाव तो शुरु से ही इस ओर रहा.
मिस समीरा टेढ़ी भी इन्टरनेशनल मॉडल है, बहुतेरे मर्दों की कोशिशों और नियतों से वाकिफ हैं और सबको खुश रखते हुए अपने आपको इनके चुंगल से बचा ले जाना खूब जानती हैं. तभी तो आज मॉडलिंग की दुनिया का चमकता सितारा है वरना तो कब की लुट पिट कर हजारों मॉडलिंग की ख्वाइशमंद लड़कियों की तरह किसी बार में डांस कर रही होती या किसी होटल के कमरे में किसी के बिस्तर की शोभा बढ़ा रही होती.
महाराज के साथ सम्मेलन स्थल का निरीक्षण करती मिस टेढी और रामप्यारे
महाराज को हवा में हाथ से टटोलता देख मिस समीरा टेढ़ी ने खुद आगे बढ़कर महाराज का हाथ थाम लिया और उनको उनके अंधेपन का अहसास दिलाने के लिए कहा - महाराज, जरा संभल कर, आप बस सामने खाई में गिरने ही वाले थे. एक कदम आगे ही हजारों फीट की गहराई है यहाँ.
इतना सुनते ही ताऊ महाराज को पसीने छूट गये. मौत से दुनिया डरती है. महाराज गाना भूल कर मिस समीरा टेढ़ी का आभार व्यक्त करने लगे - ओह समीरा जी आज आपके कारण हमारी जान बच गई. आप न होतीं तो आज हम खाई में गिर गये होते. रामप्यारे भी न जाने कहाँ चला गया नामुराद.
मिस समीरा टेढ़ी ने बताया कि रामप्यारे घास चरते चरते दूर निकल गया है. चलिए, महल चलते चलते रास्ते से उसे ले लेंगे. मैने सम्मेलन स्थल देख लिया है. अब सम्मेलन की आगे की तैयारी करनी है.
इसके बाद महाराज और मिस समीरा टेढ़ी ने महल की तरफ प्रस्थान किया. रास्ते में रामप्यारे भी घास चरता मिल गया. अपने सामने महाराज और मिस समीरा टेढ़ी को देख एकदम सकपका कर आकर रथ में बैठ गया और सब महल लौट आये.
(क्रमश:)
चारों तरफ फूलों की क्यारियाँ, हरियाली, सामने कलकल बहती नर्मदा नदी, छोटे छोटे झरने, दूर पर दिखते सुन्दर पहाड़, चिड़ियों का कलरव, मंद मंद बहती शीतल समीर और उसमें फूलों की गंध- सुनते सुनते महाराज तो न जाने कहाँ कहाँ की कल्पनाओं मे खो गये. खो क्या गये बल्कि आसमान में उडने लगे. आज बहुत दिनों बाद मौका मिला था जब ताई महारानी गांधारी साथ नही थी. साथ था तो सिर्फ़ मिस समीरा टेढी का. और लगता है आज महाराज ने इस मौके का भरपूर फ़ायदा उठाने का पहले ही पक्का सोच लिया था.
अंधे महाराज की हरकतों को देखकर लगा कि क्या ये धृतराष्ट्र महाराज वाकई में अंधे हैं? या अंधेपन का नाटक कर रहे हैं इतने जन्मों से? क्या कोई अंधा व्यक्ति बुढौती में इस तरह बगीचे में टेढी हंसीना के पीछे जीतेंद्र स्टाईल मे लटके झटके दार फिल्मी गीत गा सकता है?
उउ...उउउउउ....
मस्त बहारों का मैं आशिक...
जो मैं चाहे यार करुँ...
चाहे गुलों के साये से खेलूँ
चाहे कली से प्यार करुँ....
सारा जहाँ है मेरे लिए.....आ उउउउउउ...
गाते गाते वो दोनों हाथों से हवा में टटोलते हुए मिस समीरा टेढ़ी की ओर बढ़ने लगे. रामप्यारे की आवाज भी आना बंद हो गई. मिस समीरा टेढी ने देखा कि हरियाली और घास देख रामप्यारे ललचा गया और पेड़ के पीछे जाकर हरी हरी घास चरने लगा.
मौसम अच्छे अच्छों को औकात पर ला देता है तो फिर वो तो रामप्यारे है, है तो ओरीजनल गधा ही. समीरा टेढ़ी को लगा कि महाराज भी अपनी मर्दों वाली ओरीजनल रोमांटिक अदा पर उतरने की फिराक में है. ऐसे में मर्द अपनी अवस्था, अंधापन, रुप रेखा सब भूल चाहे जिस पर मोहित हो चले. तो महाराज का अंधा होने के बावजूद भी मिस समीरा टेढ़ी पर मोहित हो जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं. वैसे भी महाराज का कुछ झुकाव तो शुरु से ही इस ओर रहा.
मिस समीरा टेढ़ी भी इन्टरनेशनल मॉडल है, बहुतेरे मर्दों की कोशिशों और नियतों से वाकिफ हैं और सबको खुश रखते हुए अपने आपको इनके चुंगल से बचा ले जाना खूब जानती हैं. तभी तो आज मॉडलिंग की दुनिया का चमकता सितारा है वरना तो कब की लुट पिट कर हजारों मॉडलिंग की ख्वाइशमंद लड़कियों की तरह किसी बार में डांस कर रही होती या किसी होटल के कमरे में किसी के बिस्तर की शोभा बढ़ा रही होती.
महाराज को हवा में हाथ से टटोलता देख मिस समीरा टेढ़ी ने खुद आगे बढ़कर महाराज का हाथ थाम लिया और उनको उनके अंधेपन का अहसास दिलाने के लिए कहा - महाराज, जरा संभल कर, आप बस सामने खाई में गिरने ही वाले थे. एक कदम आगे ही हजारों फीट की गहराई है यहाँ.
इतना सुनते ही ताऊ महाराज को पसीने छूट गये. मौत से दुनिया डरती है. महाराज गाना भूल कर मिस समीरा टेढ़ी का आभार व्यक्त करने लगे - ओह समीरा जी आज आपके कारण हमारी जान बच गई. आप न होतीं तो आज हम खाई में गिर गये होते. रामप्यारे भी न जाने कहाँ चला गया नामुराद.
मिस समीरा टेढ़ी ने बताया कि रामप्यारे घास चरते चरते दूर निकल गया है. चलिए, महल चलते चलते रास्ते से उसे ले लेंगे. मैने सम्मेलन स्थल देख लिया है. अब सम्मेलन की आगे की तैयारी करनी है.
इसके बाद महाराज और मिस समीरा टेढ़ी ने महल की तरफ प्रस्थान किया. रास्ते में रामप्यारे भी घास चरता मिल गया. अपने सामने महाराज और मिस समीरा टेढ़ी को देख एकदम सकपका कर आकर रथ में बैठ गया और सब महल लौट आये.
(क्रमश:)
पहले ये बताईये की गदहा सम्मलेन की क्या प्रगति है ?
ReplyDeleteमजेदार ! अगली कड़ियों का इंतजार !
ReplyDeleteमहाराज, जरा संभल कर, आप बस सामने खाई में गिरने ही वाले थे. एक कदम आगे ही हजारों फीट की गहराई है यहाँ.
ReplyDeleteजय हो प्रज्ञा चक्षु महाराज की
आज समीरा टेढी ने बचा लिया।
राम राम
इंटरनेशनल मॉडल के गुणों से परिचित हुए ..
ReplyDeleteअब गधा सम्मलेन में क्या हुआ,ये देखना है ...!
आज तो आनंद आ गया महाराज !
ReplyDeleteये तो कहानी में रोमांटिक टर्न आ गया...:)
ReplyDeleteआज तो आनंद आ गया महाराज !
ReplyDeleteकथा के सभी किरदार मजेदार है |
ReplyDelete...समीरा टेढी के साथ...महाराज जी!...वाह!...मजा आ गया!
ReplyDeleteआह हा क्या मनोरम वर्णन है :)
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteचक्रव्यूह से आगे, आंच पर अनुपमा पाठक की कविता की समीक्षा, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
Sundar aur prabhavshali--behatareen vyangya rachna.
ReplyDeleteshubhkamnayen.
Poonam
बड्डे वो का कहत है सम्मेलन को का भव ... सम्मेलन ने यूं टर्न ले लियां है का . अब आपकी कहानी रोमांटिक होने लगी है वो भी नर्मदा किनारे ..... नर्मदा मैय्या कल्याण करें ....
ReplyDeleteबड्डे वो का कहत है सम्मेलन को का भव ... सम्मेलन ने यूं टर्न ले लियां है का . अब आपकी कहानी रोमांटिक होने लगी है वो भी नर्मदा किनारे ..... नर्मदा मैय्या कल्याण करें ....
ReplyDeleteअरे ताऊ इस समीरा टेडी के कोई कांटा चुभ गया तो? कहां इस नाजुक कली को जंगलो मै घुमाने ले गया ओर वो भी दुलहन के कपडे पहना कर, फ़िर मत कहना बताया नही कही इस टेडी मेडी के कोई कांटा चुभ गया तो फ़िर जोर जोर से यही गीत गायेगी... कांटा चुभा कांटा चुभा, तेरी बेरी के नीचे तेरे बंगले पिछे हाय रे ताऊ कांटा चुभा हाय चुभा
ReplyDeleteक्या तरीका निकाला है हाथ पकड़ने का ....निरिक्षण हो गया ..अब सम्मलेन कब है ?
ReplyDeletebahut hi sundar...
ReplyDeleteमाँ के चरणों में अपनी एक पुरानी कविता समर्पित कर रहा हूँ.....
http://i555.blogspot.com/
अपनी समझ नी आयी यो झक ताऊ ...
ReplyDeleteरामप्यारे जरा ज्यादा ही लंबे हो रहे
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