ताऊ महाराज धृतराष्ट्र और ताई महारानी गांधारी के बारे में आप अथ: श्री ताऊभारत कथा
महाराज ताऊ धृतराष्ट्र द्वारा गधा सम्मेलन 2010 आहूत और ताई गांधारी कोपभवन में, गधा सम्मेलन खतरे मे, ताऊ धृतराष्ट्र ने मांगी माफ़ी पढ चुके हैं. अब आगे पढिये...
कल की घटना से ताऊ धृतराष्ट्र महाराज बडे दुखी थे. उनको यकिन ही नही हो पारहा था कि उनको महाराज होने के बावजूद महारानी गांधारी से करबद्ध क्षमा याचना करनी पडी थी. उन्हें इस समय द्वापर की वही बेबसी याद आ रही थी जब उनकी मर्जी के खिलाफ़ पांडू पुत्र युधिष्ठर को युवराज घोषित कर दिया गया था. जबकि ताऊ धृतराष्ट्र महाराज ने कभी सपने में भी यह नही सोचा था कि दुर्योधन युवराज नही बन सकेगा. पर क्या किया जाये? होनी को कौन टाल पाया है? यही सोचकर ताऊ धृतराष्ट्र महाराज अपने मन को सांत्वना देने का प्रयास कर रहे थे. पर गले में फ़ांस सी चुभ रही थी कि मर्द जात महाराज होकर उन्हें महारानी से क्षमा याचना करनी पड गई.
ताऊ धृतराष्ट्र महाराज का मन कहीं भी नही लग रहा था. इतनी देर में रामप्यारे आगया. रामप्यारे आया तो था गधा सम्मेलन के बारे में विचार विमर्श करने, पर महाराज को दुखी देखकर वो स्वयं भी बडा दुखित हुआ और महाराज को अनुनय विनय करके मन बहलाव के लिये शाही रंगशाला में चलने का आग्रह करने लगा. थोडी नानुकुर के बाद ताऊ धृतराष्ट्र महाराज ने रामप्यारे की पूंछ पकडी और रंगशाला की तरफ़ चल दिये.
वहां रामप्यारे ने प्रधान राजनर्तकी के नृत्य और गायन का आयोजन करके रखा था. यह राजनर्तकी ताऊ धृतराष्ट्र महाराज की द्वापर से ही बडी प्रिय नर्तकी थी. कैसा भी दुख हो, इसका नृत्य तो महाराज सिर्फ़ मन की कल्पनाओं से ही देख पाते थे पर उसका मधुर गायन सुनकर महाराज का सब दुख दर्द काफ़ूर हो जाता था.
रामप्यारे के इशारे के साथ ही तबलची ने जो तबले पर ठेका दिया तो पूरी नृत्य शाला नाच गान से सराबोर हो उठी. सभी उपस्थित जन झूंम ऊठे. पर आज ताऊ धृतराष्ट्र महाराज का मन नही लग रहा था. महाराज उल्टा मुंह करके बैठे थे. उनका मन कल की घटना को पचा नहीं पा रहा था.
रामप्यारे भी समझ रहा था कि आज महाराज कांटा निगली मछली की मानिंद हो रहे हैं. रामप्यारे आखिर इतने सालों से महाराज के साथ था सो ताऊ धृतराष्ट्र महाराज के मन की बातें बिना कहे ही जान लेता था. रामप्यारे उठकर बाहर चला गया.
थोडी देर में रामप्यारे लौट कर आया और महाराज को बोला कि बडी खुशखबर लाया हूं महाराज. आप सुनेंगे तो आपकी तबियत बाग बाग हो जायेगी.
ताऊ धृतराष्ट्र महाराज - हे रामप्यारे, तुम भी हमारे जले पर नमक छिडकने का ही काम करते हो आजकल. अरे कल जो हमारी तौहीन हो चुकी, उसके बाद तबियत गार्डन गार्डन होने वाली कौन सी बात बच गई है? बताओ....
रामप्यारे : ताऊ महाराज की जय हो! आपके द्वारा भेजा गया गधा सम्मेलन का निमंत्रण सुपर स्टार मिस. समीरा टेढी ने स्वीकार कर लिया है और...
ताऊ महाराज - रामप्यारे... लगता है तुमको सब नये सिरे से सिखाना पडेगा... शायद तुम हमारे शासन काल का प्रोटोकाल भी भूल चुके हो? अरे तुमको मालूम होना चाहिये कि हमारे निजी ताल्लुकात वालों ...मेरा मतलब अपने वालों को मिलने के लिये समय नही लेना पडता...वो कभी भी हमसे मिल सकते हैं...काश हमारी आंखे होती तो हम खुद जाकर समीरा जी को लेकर आते....पर हाय री किस्मत...हम तो उनके दीदार भी नही कर सकते....जावो फ़ौरन से उनको ससम्मान राज दरबार मे लेकर आवो.
सुपर स्टार मिस. समीरा टेढी राज दरबार में जाते हुये
मिस समीरा जी दरबार मे अनोपचारिक स्वागत सम्मान के बाद महाराज ताऊ को गधा सम्मेलन के बारे मे जरूरी जानकारी देती हैं. जिन्हें सुनकर महाराज ताऊ बडे प्रसन्न दिखाई देते हैं.
ताऊ महाराज - समीरा जी आपकी कार्य योजना और प्रबंधन तकनीक से हम बहुत प्रभावित हुये हैं...काश आप द्वापर मे भी हमारे साथ होती तो हमे आज इतने हजारों साल बाद भी ये दिन नही देखने पडते...
इसी बीच ताई महारानी कुछ कुडकुडाई हुई सी बोली - हे ब्लागार्य ...आपको आजकल ये क्या होता जा रहा है? जब देखो तब लोगों की लल्लो चप्पो में लग जाते हो? कुछ तो अपने महाराज होने का ख्याल किया करो....ये सब छोडकर गधे सम्मेलन की तैयारीयों पर ध्यान दिजिये बलागार्य..... अब ज्यादा समय नही बचा है.
ताऊ महाराज - ओह...हे महारानी...आप सत्य कहती हैं...हमारी अक्ल पर ही पत्थर पडे हैं आजकल...पर क्या करें? जब देखो..तुम कोपभवन में जाकर बैठ जाती हो...हमारे ब्लागपुत्र/पुत्रियों ने तो जैसे लडने झगडने की कसम ही खा रखी है....एक भी दिन हमारा शांति से नही निकलता.... ज्यादा औलादों का होना भी एक आफ़त हो गया हमारे लिये तो...और आज के जमाने में तो...और भी मुश्किल खैर जैसा हमारे भाग्य में होगा सो भोगेंगे....हां तो समीराजी...आप गधे सम्मेलन के प्रथम दिन के एजेंडे का विषय बताईये जिससे उस पर विचार विमर्ष शुरु करलें.
मिस. समीरा टेढी - महाराज ताऊ धृतराष्ट्र की जय हो.... हे ब्लागार्य महाराज... गधा सम्मेलन का संपूर्ण एजेंडा मैने आपके गोपनीय निर्देशों को विशेष ध्यान में रखते हुये ही तय किया है. जिसमे अपने वालों के अलावा दूसरे पक्ष को फ़टकने भी नही दिया जायेगा जबकि जनता को लगेगा कि ये सब कुछ प्रजातांत्रिक तरीके से हो रहा है. और प्रथम दिन के शुभारंभ सत्र का विषय रखा गया है "अपने अपनों को रेवडी कैसे बांटे?"
ताऊ महाराज - अरे वाह समीरा जी... हम आपके आभारी है कि आपने हमारे निर्देशों का विशेष सम्मान किया है. और कमाल का सबजेक्ट ढूंढकर निकाला है आपने तो? यानि गधों को यह भी सिखाया जायेगा कि कैसे अपने वालों को ही उपकृत किया जाये? यानि दूसरों का पत्ता कैसे काटा जाये? यानि सिर्फ़ अपने अपने गधे ही गुलाब जामुन खाने आ सकें? वाह वाह...आपने तो हमारी तबियत खुश करदी....अब इस पर विस्तार से प्रकाश फ़ेंकिये जरा....
(क्रमश:)
रामप्यारे : ताऊ महाराज की जय हो! आपके द्वारा भेजा गया गधा सम्मेलन का निमंत्रण सुपर स्टार मिस. समीरा टेढी ने स्वीकार कर लिया है और...
समीरा टेढी का नाम सुनते ही बुढ्ढे महाराज की आंखों मे बिजली सी कौंध गई जैसे सूखे सावन में बहार आगई हो और उचक कर पूछा - क्या तुम सही कह रहे हो रामप्यारे? क्या समीरा जी ने मुख्य संयोजिका बनना कबूल फ़रमा लिया है? कब पधार रही हैं वो? हम अति व्यग्र हो रहे हैं, हमें तुरंत सब कुछ बतावो.
रामप्यारे : महाराज की जय हो....मिस. बांकी...टेढी... सारी ...मेरा मतलब सुश्री समीरा टेढी जी ने ना सिर्फ़गधा सम्मेलन 2010 की मुख्य संयोजिका बनना कबूल फ़रमा लिया है बल्कि वो यहां पधार भी चुकी हैं और आपसे गधा सम्मेलन के कुछ निहायत ही गोपनीय एजेंडे पर विचार विमर्श करना चाहती हैं और उन्होने आपसे मिलने की आज्ञा चाही है.
ताऊ महाराज - रामप्यारे... लगता है तुमको सब नये सिरे से सिखाना पडेगा... शायद तुम हमारे शासन काल का प्रोटोकाल भी भूल चुके हो? अरे तुमको मालूम होना चाहिये कि हमारे निजी ताल्लुकात वालों ...मेरा मतलब अपने वालों को मिलने के लिये समय नही लेना पडता...वो कभी भी हमसे मिल सकते हैं...काश हमारी आंखे होती तो हम खुद जाकर समीरा जी को लेकर आते....पर हाय री किस्मत...हम तो उनके दीदार भी नही कर सकते....जावो फ़ौरन से उनको ससम्मान राज दरबार मे लेकर आवो.
मिस समीरा जी दरबार मे अनोपचारिक स्वागत सम्मान के बाद महाराज ताऊ को गधा सम्मेलन के बारे मे जरूरी जानकारी देती हैं. जिन्हें सुनकर महाराज ताऊ बडे प्रसन्न दिखाई देते हैं.
ताऊ महाराज - समीरा जी आपकी कार्य योजना और प्रबंधन तकनीक से हम बहुत प्रभावित हुये हैं...काश आप द्वापर मे भी हमारे साथ होती तो हमे आज इतने हजारों साल बाद भी ये दिन नही देखने पडते...
इसी बीच ताई महारानी कुछ कुडकुडाई हुई सी बोली - हे ब्लागार्य ...आपको आजकल ये क्या होता जा रहा है? जब देखो तब लोगों की लल्लो चप्पो में लग जाते हो? कुछ तो अपने महाराज होने का ख्याल किया करो....ये सब छोडकर गधे सम्मेलन की तैयारीयों पर ध्यान दिजिये बलागार्य..... अब ज्यादा समय नही बचा है.
ताऊ महाराज - ओह...हे महारानी...आप सत्य कहती हैं...हमारी अक्ल पर ही पत्थर पडे हैं आजकल...पर क्या करें? जब देखो..तुम कोपभवन में जाकर बैठ जाती हो...हमारे ब्लागपुत्र/पुत्रियों ने तो जैसे लडने झगडने की कसम ही खा रखी है....एक भी दिन हमारा शांति से नही निकलता.... ज्यादा औलादों का होना भी एक आफ़त हो गया हमारे लिये तो...और आज के जमाने में तो...और भी मुश्किल खैर जैसा हमारे भाग्य में होगा सो भोगेंगे....हां तो समीराजी...आप गधे सम्मेलन के प्रथम दिन के एजेंडे का विषय बताईये जिससे उस पर विचार विमर्ष शुरु करलें.
मिस. समीरा टेढी - महाराज ताऊ धृतराष्ट्र की जय हो.... हे ब्लागार्य महाराज... गधा सम्मेलन का संपूर्ण एजेंडा मैने आपके गोपनीय निर्देशों को विशेष ध्यान में रखते हुये ही तय किया है. जिसमे अपने वालों के अलावा दूसरे पक्ष को फ़टकने भी नही दिया जायेगा जबकि जनता को लगेगा कि ये सब कुछ प्रजातांत्रिक तरीके से हो रहा है. और प्रथम दिन के शुभारंभ सत्र का विषय रखा गया है "अपने अपनों को रेवडी कैसे बांटे?"
ताऊ महाराज - अरे वाह समीरा जी... हम आपके आभारी है कि आपने हमारे निर्देशों का विशेष सम्मान किया है. और कमाल का सबजेक्ट ढूंढकर निकाला है आपने तो? यानि गधों को यह भी सिखाया जायेगा कि कैसे अपने वालों को ही उपकृत किया जाये? यानि दूसरों का पत्ता कैसे काटा जाये? यानि सिर्फ़ अपने अपने गधे ही गुलाब जामुन खाने आ सकें? वाह वाह...आपने तो हमारी तबियत खुश करदी....अब इस पर विस्तार से प्रकाश फ़ेंकिये जरा....
(क्रमश:)
महाराज उल्टा मूंह करके बैठें कि सीधा..जब कुछ दिखना ही नहीं है तो क्या फरक पड़ा जा रहा है. :)
ReplyDeleteउसके बाद भी ...समीरा टेढी का नाम सुनते ही बुढ्ढे महाराज की आंखों मे बिजली सी कौंध गई
-ये जलवे!! :)
मर्द जात महाराज होकर उन्हें महारानी से क्षमा याचना करनी पड गई.
ReplyDeleteठण्ड रख ताऊ ठण्ड रख .....होता है कभी कभी करना पड़ता है समय का तकाजा
एक रघुकुल प्राण ही गँवा बैठे ....तू बचाए रखना सम्मलेन तक ...और तूं तो ताई से ही निपटा
मैंने तो ऐसे कई ऐसी वैसियों से क्षमा मांगी है की साली उबकाई आती है अब !
चलो समीरा टेडी ने ताऊ महाराज का ह्रदय कुछ हल्का तो किया .......लकिन अपने अपनो को रेवड़ी बटना कौन बड़ी बात है ये भी तो द्वापर से चला आरहा है ,देखे इस युग का कोई नया आइडिया हो तो .....
ReplyDeleteरामराम
जय हो रामप्यारे की,
ReplyDeleteरेवड़ी तो रेवाड़ी से कब की आ चुकी और बंटने वाली है.
राम राम
मजेदार ! अगली कड़ियों का इंतजार :)
ReplyDeleteअपने -अपने को रेवड़ी बांटे ...
ReplyDeleteहम्म ....!
ताई गांधारी से माफी मांगने में तो ताऊ की हेंठी हो रही थी और मिस समीरा से सलाह लेने में दिल बल्ले-बल्ले कर रहा है। वाह ताऊ? यही अन्तर है पत्नी और प्रेयसी में। चलो बुलाओ सम्मेलन हम भी देखें कि कैसे अपनों को ही गुलाबजामुन खिलाते हो? हम भी अपने ना बनकर दिखायें तो कहना। बढिया लिख रहे हैं, जारी रखे। इन्तजार रहेगा।
ReplyDeleteताऊ, कुछ रेवड़ियां इधर भी... :)
ReplyDeleteताऊ, थोड़ी रेवडियां इधर भी...
ReplyDeleteसमीरा टेढ़ी बड़ी स्लिम ट्रिम लागे से
ReplyDeleteसम्मलेन का इंतज़ार है ...कुछ रेवडियाँ इधर भी ..समीरा टेडी बहुत स्मार्ट लग रही हैं
ReplyDeleteताऊ, हमने तो पहलां ही बेरा था कि मिस समीरा टेढ़ी के बिना थारा सम्मेलन होगा ही नहीं।
ReplyDeleteऔर ताई ते माफ़ी मांगन की बात का घणा लोड न लियो, घी दाल में ही तो गिरया सै।
गुलाब जामन की बाट देखण लाग रहे सैं, मतलब रेवड़ियों की, मतलब अगली पोस्ट की।
राम राम।
जै हो ताऊश्रेष्ठ.. इसी बहाने सुपर डुपर स्टार मिस समीरा टेढ़ी के भी दर्शन हो गए। अब तो रेवडि़यों का इंतजार है.. आठ-दस गुलाबजामुन का भी..
ReplyDeleteवाह समीरा टेढी का जबाब नहीं :)
ReplyDeleteमज़ा आ गया। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteदेसिल बयना-गयी बात बहू के हाथ, करण समस्तीपुरी की लेखनी से, “मनोज” पर, पढिए!
अरे सम्मेलन स्थल के बारे में तो अभी तक बताया ही नहीं...कहीं इलाहाबाद गंगा घाट पे तो होने जा रहा :)
ReplyDelete....गधा संमेलन का आरंभ अकलमंदी के विषय से हुआ है....बहूत खूब!...यह संमेलन सफलता के झंडे गाडे!
ReplyDeleteवाह! समीरा टेढी का तो जवाब नहीं! गज़ब की लग रही है! बहुत बढ़िया और मज़ेदार लगा! अगली कड़ी का बेसब्री से इंतज़ार है!
ReplyDeleteसमीरा टेढ़ी वाकई क्यूट लग रही है।
ReplyDeleteसमीरा टेढ़ी ने वजन कम किया है क्या ?? शिल्पा शेट्टी जैसी फिगर लगी ।
ReplyDeleteमजेदार ! अगली कड़ियों का इंतजार.........
ReplyDeleteअच्छी रचना है ।
ReplyDeleteउम्दा लेखन के लिए आभार
ReplyDeleteआपकी पोस्ट ब्लॉग4वार्ता पर
वाह ! क्या दरवार सजाया है ताऊ ! बाई दी वे ये सुश्री समीरा टेडी सीधी कब होंगी ?:)
ReplyDeleteताऊ !
ReplyDeleteहम भी आपके हैं ...ध्यान रखना यार !
ताऊ जी, समीरा टेढ़ी की दाढ़ी आप ने ठीक से चेक की या नहीं, कहीं उसमें कोई तिनका तो नहीं, पर हाय, आप को तो दिखता ही नहीं. चलो भरोसे से ही काम चलाओ. हां, अपनों की लिस्ट-विस्ट बनवा ली है या नहीं. फिकर नाट, हुकम हो तो हम बना दें.
ReplyDeleteये समीरा टेडी कुछ जानी पहचानी सी लग रही है शायद कनाडा वाली चाची है |
ReplyDeleteसमीरा टेडी .... भाई ग़ज़ब की लग रहीं हैं समीरा जी ..... कौन कौन पीछे पड़ेगा इन के .....
ReplyDelete....गधा संमेलन बहूत खूब!
ReplyDeleteब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
ReplyDeleteताऊ कितना रायता बिखेर दिया...:)
ReplyDeleteबांटने से पहले खरीदने-बनाने का ऑर्डर तो दे दीजिए हमें। कहें तो रेवडि़यों के बीज भिजवा दें हम। आप उन्हें गमले में लगाकर उगा लीजिएगा। या हमें कहें तो हम सप्लाई कर देते हैं।
ReplyDeleteबारिशरानी से रोमांटिक बातचीत