प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 91 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है Bhoram Dev Temple-Chattisgarh
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
भारत के राज्य छत्तीसगढ़ के बारे में हम आप को अपनी पुरानी पोस्ट में बता चुके हैं. इसी राज्य के एक जिले कबीरधाम [पुराना नाम कवर्धा ]में आज आप को लिए चलते हैं जो रायपुर से करीब 100 किमी दूर है.
यह स्थान राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. रमण सिंह जी का गृह जिला भी है.जिनकी तस्वीर हमने आप को पहेली के क्लू में दिखाई थी. पिछड़ा समझे जाने वाले इस राज्य ने कम समय में अपनी मजबूत अंतर्राष्ट्रीय छवि बनाई है.यहाँ पर्यटक भारी संख्या में घूमने आते हैं.२००८ में दुबई में लगे ग्लोबल विल्लेज में भारत के पण्डाल की थीम 'कवर्धा महल' पर आधारित थी. उस के द्वारा मुझे ही नहीं वरन और भी बहुत से लोगों का छत्तीसगढ़ के इस महल से पहली बार परिचय हुआ था.
कवर्धा शहर सकरी नदी के तट पर बसा हुआ है,जहाँ नागवंशी और हेयवंशी शासकों ने राज्य किया था और अनेक मन्दिर और किले बनवाए थे. यहाँ आने वाले पर्यटक सतपुड़ा की पहाड़ियों की मैकाल पर्वत श्रृंखला पर ट्रेक्किंग आदि का आनंद ले सकते हैं.
अपने कार्यकाल में ही मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने लोक निर्माण विभाग द्वारा निर्मित लगभग पन्द्रह किलोमीटर लम्बी छपरी, रामचुंआ, सरोदा डामरीकृत सडक का लोकार्पण करते हुए भोरम देव के ऐतिहासिक मंदिर को राज्य की एक मूल्यवान सांस्कृतिक धरोहर बताया था.राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे पर्यटन हेतु विकास कार्य भी यहाँ देखे जा सकते हैं.
Bhoramdev temple
पहेली के मुख्य चित्र में हमने आप को भोरम देव मंदिर दिखाया था.हर साल मार्च के महीने में भोरमदेव महोत्सव का आयोजन बहुत ही धूमधाम से किया जाता है.इसीलिये इस स्थान पर जाने का सर्वाधिक उपयुक्त समय वही है,जिस से आप स्थानीय लोक कला और संस्कृति को भी करीब से जान सकें.
Bhoramdeo Lake and Laxman Jhula
अब बताते हैं आप को कबीरधाम जिले के छपरी नामक गांव के पास , धरातल से 30 मीटर उंचाई पर स्थित इस मंदिर के बारे में ,जिसे छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहते हैं. सतपुड़ा पहाड़ियों के बीच हरे भरे जंगलों में तालाब के किनारे बने इस मंदिर स्थापत्य शैली चंदेल शैली की है और निर्माण योजना की विषय वस्तु खजुराहो और सूर्य मंदिर के समान है इसीलिये भी इसे खजुराहो कहते हैं .
निर्माणकाल सन 1065 से 1090 के मध्य माना जाता है.इसका निर्माण कलचुरि राजा पृथ्वीदेव प्रथम के समकालीन चवरापुर के फणिवंशीय छठे राजा गोपालदेव ने कराया था. बड़ादेव, बूढ़ादेव या भोरमदेव के नाम से गोंड जाती के लोगों में भगवान शिव की पहचान है.
भगवान शिव की आराधना भोरमदेव के रूप में इस मंदिर में हज़ार सालों से आज भी जा रही है. भारत के प्राचीनतम कुछ मंदिरों में यह मंदिर भी है जहाँ अनवरत उसी प्राचीन स्थान पर पूजा अर्चना होती आ रही है.इस कारण भी इसकी विशेष महत्ता है.
Bhoramdeo temple Main Gate
काले पत्थर में निर्मित मंदिर के तीन प्रवेश द्वार हैं. इस के 2.80X 2.80 मीटर फीट माप वाले वर्गाकार गर्भ गृह में काले पत्थर का शिवलिंग है जिसके के ऊपर सहस्त्र दल कमल जैसा बना हुआ है.
इस मंदिर के शिखर पर कोई कलश नहीं दिखता कहते हैं कि यहाँ के कलश को १६ वीं शताब्दी में हुए आक्रमण में विजय प्रतीक के रूप में रतनपुर के शासक अपने साथ ले गए थे.
मंदिर के परिसर में अन्य देवी देवताओं की पूजा स्थल भी बने हुए हैं.मंदिर की बाहरी दीवारों पर तीन समानांतर क्रम में विभिन्न प्रतिमाओं के दर्शन होते हैं .नागवंशी शासकों के समय यहां सभी धर्मो को समान महत्व प्राप्त था इस का उदहारण है कि दीवारों पर शिव की विविध लीलाओं,विष्णु के अवतारों ,अन्य कई देवी देवताओं की विभिन्न प्रतिमाएं, गोवर्धन पर्वत उठाए श्रीकृष्ण के अलावा जैन तीर्थकरों का भी अंकन है.
Bhoramdev temple wall
काम कलाओं को प्रदर्शित करते नायक-नायिकाओं के अलावा ,पशुओं विशेष रूप से हाथी और सिंह की प्रतिमाएं देखी जा सकती हैं. अपने भव्य और स्वर्णिम काल को दर्शाता यह मंदिर एवं यह स्थल बेहद रमणीक है.
इस मंदिर के प्राकृतिक सौंदर्य की पृष्ठभूमि एवं इसके मंदिरवास्तु को ध्यान में रखकर सर अलेक्टजेण्डर कनिंघम ने उनके द्वारा देखे गये सर्वाधिक सुसज्जित मंदिरों में से एक माना था.
भोरमदेव मंदिर से थोड़ी दूरी पर चौरा ग्राम के निकट शिव मंदिर 'मडवा महल या दूल्हादेव मंदिर' और एक अन्य शिव मंदिर 'छेरकी महल' भी दर्शनीय हैं.
रायपुर तक आप पहुंचे ही हैं तब सड़क मार्ग से बस,टेक्सी या निजी वाहन से यहाँ पहुँच सकते हैं.नजदीकी रेलवे और हवाई अड्डा रायपुर ही है.
सभी विजेताओं को हार्दिक शुभकामनाएं.
आज के प्रथम विजेता हैं श्री समीरलाल ’समीर’
प्रथम विजेता श्री समीरलाल ’समीर’ अंक 101
आईये अब रामप्यारी मैम की कक्षा में
अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.
डा.रुपचंद्रजी शाश्त्री "मयंक,
श्री स्मार्ट इंडियन
सुश्री बबली
श्री अविनाश वाचस्पति
श्री नीरज गोस्वामी
श्री काजलकुमार,
सुश्री Coral
श्री राज भाटिया
सुश्री वंदना
श्री नरेश सिंह राठौड
श्री अजयकुमार झा
श्री Padm Singh
श्री lokendra singh rajput
श्री मो सम कौन?
श्री राम त्यागी
आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
भारत के राज्य छत्तीसगढ़ के बारे में हम आप को अपनी पुरानी पोस्ट में बता चुके हैं. इसी राज्य के एक जिले कबीरधाम [पुराना नाम कवर्धा ]में आज आप को लिए चलते हैं जो रायपुर से करीब 100 किमी दूर है.
यह स्थान राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. रमण सिंह जी का गृह जिला भी है.जिनकी तस्वीर हमने आप को पहेली के क्लू में दिखाई थी. पिछड़ा समझे जाने वाले इस राज्य ने कम समय में अपनी मजबूत अंतर्राष्ट्रीय छवि बनाई है.यहाँ पर्यटक भारी संख्या में घूमने आते हैं.२००८ में दुबई में लगे ग्लोबल विल्लेज में भारत के पण्डाल की थीम 'कवर्धा महल' पर आधारित थी. उस के द्वारा मुझे ही नहीं वरन और भी बहुत से लोगों का छत्तीसगढ़ के इस महल से पहली बार परिचय हुआ था.
कवर्धा शहर सकरी नदी के तट पर बसा हुआ है,जहाँ नागवंशी और हेयवंशी शासकों ने राज्य किया था और अनेक मन्दिर और किले बनवाए थे. यहाँ आने वाले पर्यटक सतपुड़ा की पहाड़ियों की मैकाल पर्वत श्रृंखला पर ट्रेक्किंग आदि का आनंद ले सकते हैं.
अपने कार्यकाल में ही मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने लोक निर्माण विभाग द्वारा निर्मित लगभग पन्द्रह किलोमीटर लम्बी छपरी, रामचुंआ, सरोदा डामरीकृत सडक का लोकार्पण करते हुए भोरम देव के ऐतिहासिक मंदिर को राज्य की एक मूल्यवान सांस्कृतिक धरोहर बताया था.राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे पर्यटन हेतु विकास कार्य भी यहाँ देखे जा सकते हैं.
पहेली के मुख्य चित्र में हमने आप को भोरम देव मंदिर दिखाया था.हर साल मार्च के महीने में भोरमदेव महोत्सव का आयोजन बहुत ही धूमधाम से किया जाता है.इसीलिये इस स्थान पर जाने का सर्वाधिक उपयुक्त समय वही है,जिस से आप स्थानीय लोक कला और संस्कृति को भी करीब से जान सकें.
अब बताते हैं आप को कबीरधाम जिले के छपरी नामक गांव के पास , धरातल से 30 मीटर उंचाई पर स्थित इस मंदिर के बारे में ,जिसे छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहते हैं. सतपुड़ा पहाड़ियों के बीच हरे भरे जंगलों में तालाब के किनारे बने इस मंदिर स्थापत्य शैली चंदेल शैली की है और निर्माण योजना की विषय वस्तु खजुराहो और सूर्य मंदिर के समान है इसीलिये भी इसे खजुराहो कहते हैं .
निर्माणकाल सन 1065 से 1090 के मध्य माना जाता है.इसका निर्माण कलचुरि राजा पृथ्वीदेव प्रथम के समकालीन चवरापुर के फणिवंशीय छठे राजा गोपालदेव ने कराया था. बड़ादेव, बूढ़ादेव या भोरमदेव के नाम से गोंड जाती के लोगों में भगवान शिव की पहचान है.
भगवान शिव की आराधना भोरमदेव के रूप में इस मंदिर में हज़ार सालों से आज भी जा रही है. भारत के प्राचीनतम कुछ मंदिरों में यह मंदिर भी है जहाँ अनवरत उसी प्राचीन स्थान पर पूजा अर्चना होती आ रही है.इस कारण भी इसकी विशेष महत्ता है.
काले पत्थर में निर्मित मंदिर के तीन प्रवेश द्वार हैं. इस के 2.80X 2.80 मीटर फीट माप वाले वर्गाकार गर्भ गृह में काले पत्थर का शिवलिंग है जिसके के ऊपर सहस्त्र दल कमल जैसा बना हुआ है.
इस मंदिर के शिखर पर कोई कलश नहीं दिखता कहते हैं कि यहाँ के कलश को १६ वीं शताब्दी में हुए आक्रमण में विजय प्रतीक के रूप में रतनपुर के शासक अपने साथ ले गए थे.
मंदिर के परिसर में अन्य देवी देवताओं की पूजा स्थल भी बने हुए हैं.मंदिर की बाहरी दीवारों पर तीन समानांतर क्रम में विभिन्न प्रतिमाओं के दर्शन होते हैं .नागवंशी शासकों के समय यहां सभी धर्मो को समान महत्व प्राप्त था इस का उदहारण है कि दीवारों पर शिव की विविध लीलाओं,विष्णु के अवतारों ,अन्य कई देवी देवताओं की विभिन्न प्रतिमाएं, गोवर्धन पर्वत उठाए श्रीकृष्ण के अलावा जैन तीर्थकरों का भी अंकन है.
काम कलाओं को प्रदर्शित करते नायक-नायिकाओं के अलावा ,पशुओं विशेष रूप से हाथी और सिंह की प्रतिमाएं देखी जा सकती हैं. अपने भव्य और स्वर्णिम काल को दर्शाता यह मंदिर एवं यह स्थल बेहद रमणीक है.
इस मंदिर के प्राकृतिक सौंदर्य की पृष्ठभूमि एवं इसके मंदिरवास्तु को ध्यान में रखकर सर अलेक्टजेण्डर कनिंघम ने उनके द्वारा देखे गये सर्वाधिक सुसज्जित मंदिरों में से एक माना था.
भोरमदेव मंदिर से थोड़ी दूरी पर चौरा ग्राम के निकट शिव मंदिर 'मडवा महल या दूल्हादेव मंदिर' और एक अन्य शिव मंदिर 'छेरकी महल' भी दर्शनीय हैं.
रायपुर तक आप पहुंचे ही हैं तब सड़क मार्ग से बस,टेक्सी या निजी वाहन से यहाँ पहुँच सकते हैं.नजदीकी रेलवे और हवाई अड्डा रायपुर ही है.
श्री प्रकाश गोविंद अंक 100 |
सुश्री सीमा गुप्ता अंक 99 |
श्री पी.एन.सुब्रमनियन अंक 98 |
श्री prasant pundir अंक 97 |
श्री राणा प्रताप सिंह अंक 96 |
श्री आशीष मिश्रा अंक 95 |
श्री ललित शर्मा अंक 94 |
श्री दिलीप कवठेकर अंक 93 |
श्री अंतरसोहिल अंक 92 |
सुश्री Anju अंक 91 |
प. डी.के. शर्मा "वत्स",अंक 90 |
प. अनिल जी शर्मा अंक 89 |
सुश्री M A Sharma “सेहर” अंक 88 |
डा. श्री महेश सिन्हा अंक 87 |
Dr.Ajmal Khan अंक 86 |
सुश्री Saba Akbar अंक 85 |
श्री रंजन अंक 84 |
सभी विजेताओं को हार्दिक शुभकामनाएं. |
अबकि बार भी सिर्फ़ चार बच्चे पास हुये हैं. पेरेंट्स को चेतावानी दी जाती है कि बच्चों को ट्युशन के लिये तुरंत ताऊ ट्युशन सेंटर में दाखिला दिलवाये. निम्न सभी बच्चों को सवाल का सही जवाब देने के लिये 20 नंबर दिये हैं सभी कॊ बधाई. श्री दिलीप कवठेकर श्री अंतर सोहिल सुश्री सीमा गुप्ता श्री पी.सी.गोदियाल अब अगले शनिवार को ताऊ पहेली में फ़िर मिलेंगे. तब तक जयराम जी की! |
अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.
डा.रुपचंद्रजी शाश्त्री "मयंक,
श्री स्मार्ट इंडियन
सुश्री बबली
श्री अविनाश वाचस्पति
श्री नीरज गोस्वामी
श्री काजलकुमार,
सुश्री Coral
श्री राज भाटिया
सुश्री वंदना
श्री नरेश सिंह राठौड
श्री अजयकुमार झा
श्री Padm Singh
श्री lokendra singh rajput
श्री मो सम कौन?
श्री राम त्यागी
अब अगली पहेली का जवाब लेकर अगले सोमवार फ़िर आपकी सेवा मे हाजिर होऊंगा तब तक के लिये आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" को इजाजत दिजिये. नमस्कार!
आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !
ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.
Sabhi ko bahut bahut badhai..!
ReplyDeleteAadarniya Taauji,
Ganeshottsav magalmay rahe yahi shubhkaamna hai...
samay nikal kar Anushka ko bhi snehashish pradan kijiyega
http://anushkajoshi.blogspot.com/
Saadar
समीरलाल जी एदं अन्य सभी प्रतिभागियों को बधाई!
ReplyDeleteविजेताओं को घणी घणी बधाई | और इस बढ़िया जानकारी हेतु आभार |
ReplyDeleteविजेताओं को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteसमीर जी व अन्य विजेताओं को बहुत बहुत बधाई |
ReplyDeleteरोचक जानकारी ...
ReplyDeleteसमीर जी सहित सभी विजेताओं को बधाई ...!
आदरणीय समीर जी सहित सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई.....
ReplyDeleteregards
आदरणीय समीर जी सहित सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई.....
ReplyDeleteregards
aadaraniy gurudev shri sameel lal ji sahit samast vijetao ko dher saari badhai.
ReplyDeleteAdarniy alpana mam ka vishesh abhar
विजेताओं को बधाई। हम तो शनिवार सुबह छह बजे से रविवार सुबह ढाई बजे तक यात्रा पर थे। पहेली चूक गए।
ReplyDeleteयह मंदिर खजुराहो शैली में ही बना है। इसलिए कुछ भ्रमवश विलंब हो गया।
ReplyDeleteविजेताओं को शुभकामनाएं
समीर जी सहित सभी विजेताओं को बधाई ...!
ReplyDeleteविजेताओं को बधाई।
ReplyDeleteकाफ़ी नई जानकारी मिली।
आभार!
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
शैशव, “मनोज” पर, आचार्य परशुराम राय की कविता पढिए!
समीर जी सहित अन्य सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई.....
ReplyDeleteबढ़िया जानकारी दी है .. विजेता समीर जी सहित सभी को बधाई ..
ReplyDeleteसमीर लाल जी और सभी विजताओं को बधाई ...
ReplyDeleteसभी विजेतागणों को बधाई. मैंने तो बस खजुराहो ही देखा थाए वह भी बहुत पहले. चंदेल राजाओं ने बनवाए थे से मंदिर. लोमड़ी तो वाक़ई और भी ज़्यादा चालाक निकली, अपने बच्चे को बिल्ली सरीखा दिखा दिया :)
ReplyDeleteसमीर जी और अन्य सभी प्रतिभागियों को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभ कामनाएं
ReplyDelete-
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अतना तेजी ....तौबा...तौबा
कईसे कऊनो दुसरिया पार पायेगा :)
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पोस्ट के माध्यम से नयी जानकारी प्राप्त हुयी
आभार
बधाई, बधाई, बधाई!
ReplyDeleteताउजी...घणी राम, राम!...हिंदी दिवस की ढेरों शुभकामनाएं!....समीरजी और सभी साथी विजेताओं को ढेरों बधाइयां!
ReplyDeleteविजेताओं को हार्दिक बधाई
ReplyDeletebadhaiyaan.......
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