प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 81 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है बेकल दुर्ग ,कासरगोड [ केरल ]
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
केरल राज्य जिसे ईश्वर का अपना देश भी कहा जाता है.इस हरे भरे राज्य के बारे में विस्तार से हम आप को अपनी पुरानी पोस्ट में बता चुके हैं इसलिए आज सीधा चलते हैं इस राज्य के कासरगोड जिले में जो केरल के उत्तर में स्थित है अरब सागर के तट को छूता हुआ बेहद रमणीक स्थल है. इसके पूर्व में पश्चिमी घाट, पश्चिम में अरब सागर, उत्तर में कर्नाटक और दक्षिण में कन्नूर जिला है.यहाँ के हेंडलूम की लुंगी और साड़ियाँ बहुत प्रसिद्द हैं.
पर्यटकों के लिए यहाँ के मुख्य आकर्षण हैं:-
चन्द्रगिरी किला,कोट्टनचेरी हिल्स,मलिक दीनार मस्जिद,मदियां कूलम मंदिर[अजानूर],मधुर सिद्धिविनायक मंदिर, ट्रैकिंग के लिए रानीपुरम घाटी [इसे केरल का ऊटी भी कहते हैं],कपिल बीच और बेकल किला.
Bekal fort
बेकल दुर्ग ,कासरगोड[ केरल ]-:
अगर आप ने मनी रत्नम निर्देशित फिल्म बोम्बे का गीत 'तू ही रे 'देखा होगा तो आप को यह किला भी तुरंत याद आ जायेगा जिस का चित्र हमने मुख्य पहेली में दिखाया था.अगर नहीं देखा है तो यहाँ देखीये..मनोरंजन के साथ साथ बेकल किला और अरब सागर की खूबसूरती भी देखें--http://www.youtube.com/watch?v=pH4wwAMwzWg
जी हाँ ,यह वही किला है जहाँ इस गीत की शूटिंग हुई थी और यह कहना ग़लत न होगा कि इसी गीत ने हिंदी दर्शकों में ' बेकल दुर्ग और इस के समुद्र तट की'पहचान और लोकप्रियता को बढ़ा दी थी.
Sea view from Bekal fort
चलिए आज चलते हैं केरल राज्य के ३०० साल पुराने और सबसे बड़े दुर्ग 'बेकल दुर्ग ' को देखने दक्षिणी-पूर्व कासरगोड से 16 किमी. दूर राष्ट्रीय राजमार्ग पर, अरब सागर के किनारे.
यहाँ आप को आस पास आबादी बहुत कम दिखाई देगी और किले के आस पास 'बीच रेसोर्ट' ज़रूर देखने को मिल जायेंगे.
समुद्र से ३०० फीट की ऊँचाई पर यह किला ,राज्य क्षेत्र की सुरक्षा के लिए बनवाया गया था.इसे आवास हेतु प्रयोग नहीं किया जाता था.
Bekal fort pravesh dwar
इसके प्रवेश द्वार के समीप ही हनुमान जी का मंदिर बना है और बाहर टीपू सुल्तान की बनवाई विशाल मस्जिद भी है.
यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता को देखने साल भर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है.जुलाई ,अगस्त , सितम्बर में बारिशें बहुत होती हैं,उस समय न जाएँ तो बेहतर है.
एक मत के अनुसार इस किले का निर्माण सन् १६५० में इक्केरी वंश के सिवाप्पा नायका ने करवाया था,परन्तु बहुत से इतिहासकार इसे विजयनगर के कोलाथिरी शासकों द्वारा बनवाया गया मानते हैं.विजयनगर और कोलाथिरी के पतन के बाद यह क्षेत्र नायका शासकों के अधीन आ गया था और उन्होंने इस का पुनर्निर्माण कराया .
१७६३ इसवी में यह किला हैदर अली के हाथों में आ गया.टीपू सुल्तान की मृत्यु के बाद १७९९ इसवी में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी ने इस पर कब्ज़ा कर लिया था.किला लगभग ४० एकड़ में फैला हुआ है ,इसकी दीवारें १२ मीटर ऊँची हैं ,किले के अन्दर टेड़े मेड़े रास्ते हैं और कई भूमिगत सुरंगें भी हैं.
यहाँ का observation tower इस किले की मुख्य पहचान है. इस टावर से आप सागर और आस पास का ३६० डिग्री नज़ारा ले सकते हैं .
Bekal fort observation tower
किले की दीवारों में बने छेद गवाही देते हैं कि वहाँ से छुप कर गोलीबारी करने की सुविधा थी. किले की दीवार पर तीन तरह के छोटे छोटे छेद हैं जिन में से बन्दूक द्वारा दुश्मन की किले से दूरी के हिसाब से हमला करने की सुविधा थी.जैसे किले से दुश्मन की अधिकतम दूरी होने पर सबसे ऊपर बने छेद से फायर करना है.
पुरातत्व विभाग द्वारा किये गए उत्खनन में मिले कुछ सिक्के इक्केरी वंश के नायका शासकों के काल के और टीपू सुल्तान के शासन काल के प्रमाणित हुए हैं.
इसके अतिरिक्त एक दरबार हाल , एक मंदिर और टीपू सुल्तान के शासन काल का ताम्बे का सिक्का उत्खनन की मुख्य उपलब्धि है.
यह किला भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है .१५ वर्ष से बड़े पर्यटकों को यहाँ प्रवेश के लिए टिकट लेना होता है. पर्यटकों के रुकने और रहने के लिए होटल ,रेसोर्ट ,ट्री हाउस और डोरमिटरी जैसी सुविधाएँ हैं.तट के पास ही 7000 वर्ग मी. विस्तार में[शुल्क सहित] पार्किंग स्थान है.
यहीं पल्लिकर समुद्री तट [बीच] भारत के श्रेष्ठ समुद्री तटों में से एक है.सैलानियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएँ यहाँ मौजूद हैं.
पास बना बच्चों का पार्क भी विशेष आकर्षण है और किले के उत्तर में कुछ दूरी पर एक्व्वा पार्क [वाटर पार्क] बना हुआ है.जो अपनी तरह का पूरे उत्तरी मालाबार में एक ही है.
नजदीकी रेलवे स्टेशन-कासरगोड और हवाई सेवा-मंगलूर, 50 कि. मी. , करिप्पूर अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, 200 कि. मी. पर है.
[जानकारी स्त्रोत-भारतीय पुरातत्व विभाग और केरल की अधिकारिक साईट]
सभी विजेताओं को हार्दिक शुभकामनाएं.
आईये अब रामप्यारी मैम की कक्षा में
अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.
श्री नीरज जाटजी
सुश्री निर्मला कपिला
श्री दिनेशराय द्विवेदी
श्री रंजन
श्री ललित शर्मा
श्री स्मार्ट इंडियन
सुश्री वंदना
डा.रुपचंद्रजी शाश्त्री "मयंक,
श्री दिगम्बर नासवा
श्री दिलीप कवठेकर
आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
केरल राज्य जिसे ईश्वर का अपना देश भी कहा जाता है.इस हरे भरे राज्य के बारे में विस्तार से हम आप को अपनी पुरानी पोस्ट में बता चुके हैं इसलिए आज सीधा चलते हैं इस राज्य के कासरगोड जिले में जो केरल के उत्तर में स्थित है अरब सागर के तट को छूता हुआ बेहद रमणीक स्थल है. इसके पूर्व में पश्चिमी घाट, पश्चिम में अरब सागर, उत्तर में कर्नाटक और दक्षिण में कन्नूर जिला है.यहाँ के हेंडलूम की लुंगी और साड़ियाँ बहुत प्रसिद्द हैं.
पर्यटकों के लिए यहाँ के मुख्य आकर्षण हैं:-
चन्द्रगिरी किला,कोट्टनचेरी हिल्स,मलिक दीनार मस्जिद,मदियां कूलम मंदिर[अजानूर],मधुर सिद्धिविनायक मंदिर, ट्रैकिंग के लिए रानीपुरम घाटी [इसे केरल का ऊटी भी कहते हैं],कपिल बीच और बेकल किला.
बेकल दुर्ग ,कासरगोड[ केरल ]-:
अगर आप ने मनी रत्नम निर्देशित फिल्म बोम्बे का गीत 'तू ही रे 'देखा होगा तो आप को यह किला भी तुरंत याद आ जायेगा जिस का चित्र हमने मुख्य पहेली में दिखाया था.अगर नहीं देखा है तो यहाँ देखीये..मनोरंजन के साथ साथ बेकल किला और अरब सागर की खूबसूरती भी देखें--http://www.youtube.com/watch?v=pH4wwAMwzWg
जी हाँ ,यह वही किला है जहाँ इस गीत की शूटिंग हुई थी और यह कहना ग़लत न होगा कि इसी गीत ने हिंदी दर्शकों में ' बेकल दुर्ग और इस के समुद्र तट की'पहचान और लोकप्रियता को बढ़ा दी थी.
चलिए आज चलते हैं केरल राज्य के ३०० साल पुराने और सबसे बड़े दुर्ग 'बेकल दुर्ग ' को देखने दक्षिणी-पूर्व कासरगोड से 16 किमी. दूर राष्ट्रीय राजमार्ग पर, अरब सागर के किनारे.
यहाँ आप को आस पास आबादी बहुत कम दिखाई देगी और किले के आस पास 'बीच रेसोर्ट' ज़रूर देखने को मिल जायेंगे.
समुद्र से ३०० फीट की ऊँचाई पर यह किला ,राज्य क्षेत्र की सुरक्षा के लिए बनवाया गया था.इसे आवास हेतु प्रयोग नहीं किया जाता था.
इसके प्रवेश द्वार के समीप ही हनुमान जी का मंदिर बना है और बाहर टीपू सुल्तान की बनवाई विशाल मस्जिद भी है.
यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता को देखने साल भर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है.जुलाई ,अगस्त , सितम्बर में बारिशें बहुत होती हैं,उस समय न जाएँ तो बेहतर है.
एक मत के अनुसार इस किले का निर्माण सन् १६५० में इक्केरी वंश के सिवाप्पा नायका ने करवाया था,परन्तु बहुत से इतिहासकार इसे विजयनगर के कोलाथिरी शासकों द्वारा बनवाया गया मानते हैं.विजयनगर और कोलाथिरी के पतन के बाद यह क्षेत्र नायका शासकों के अधीन आ गया था और उन्होंने इस का पुनर्निर्माण कराया .
१७६३ इसवी में यह किला हैदर अली के हाथों में आ गया.टीपू सुल्तान की मृत्यु के बाद १७९९ इसवी में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी ने इस पर कब्ज़ा कर लिया था.किला लगभग ४० एकड़ में फैला हुआ है ,इसकी दीवारें १२ मीटर ऊँची हैं ,किले के अन्दर टेड़े मेड़े रास्ते हैं और कई भूमिगत सुरंगें भी हैं.
यहाँ का observation tower इस किले की मुख्य पहचान है. इस टावर से आप सागर और आस पास का ३६० डिग्री नज़ारा ले सकते हैं .
किले की दीवारों में बने छेद गवाही देते हैं कि वहाँ से छुप कर गोलीबारी करने की सुविधा थी. किले की दीवार पर तीन तरह के छोटे छोटे छेद हैं जिन में से बन्दूक द्वारा दुश्मन की किले से दूरी के हिसाब से हमला करने की सुविधा थी.जैसे किले से दुश्मन की अधिकतम दूरी होने पर सबसे ऊपर बने छेद से फायर करना है.
पुरातत्व विभाग द्वारा किये गए उत्खनन में मिले कुछ सिक्के इक्केरी वंश के नायका शासकों के काल के और टीपू सुल्तान के शासन काल के प्रमाणित हुए हैं.
इसके अतिरिक्त एक दरबार हाल , एक मंदिर और टीपू सुल्तान के शासन काल का ताम्बे का सिक्का उत्खनन की मुख्य उपलब्धि है.
यह किला भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है .१५ वर्ष से बड़े पर्यटकों को यहाँ प्रवेश के लिए टिकट लेना होता है. पर्यटकों के रुकने और रहने के लिए होटल ,रेसोर्ट ,ट्री हाउस और डोरमिटरी जैसी सुविधाएँ हैं.तट के पास ही 7000 वर्ग मी. विस्तार में[शुल्क सहित] पार्किंग स्थान है.
यहीं पल्लिकर समुद्री तट [बीच] भारत के श्रेष्ठ समुद्री तटों में से एक है.सैलानियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएँ यहाँ मौजूद हैं.
पास बना बच्चों का पार्क भी विशेष आकर्षण है और किले के उत्तर में कुछ दूरी पर एक्व्वा पार्क [वाटर पार्क] बना हुआ है.जो अपनी तरह का पूरे उत्तरी मालाबार में एक ही है.
नजदीकी रेलवे स्टेशन-कासरगोड और हवाई सेवा-मंगलूर, 50 कि. मी. , करिप्पूर अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, 200 कि. मी. पर है.
[जानकारी स्त्रोत-भारतीय पुरातत्व विभाग और केरल की अधिकारिक साईट]
श्री उडनतश्तरी अंक 101 |
श्री प्रकाश गोविंद अंक 100 |
श्री पी.एन.सुब्रमनियन अंक 99 |
Dr.Ajmal Khan अंक 98 |
सुश्री सीमा गुप्ता अंक 97 |
श्री राम त्यागी अंक 96 |
श्री अंतरसोहिल अंक 95 |
श्री Chandra Prakash अंक 94 |
श्री रतनसिंह शेखावत अंक 93 |
श्री Darshan Lal Baweja अंक 92 |
सुश्री Indu Arora अंक 91 |
श्री आशीष मिश्रा अंक 90 |
श्री उडनतश्तरी श्री पी.एन.सुब्रमनियन श्री चंद्रप्रकाश श्री प्रकाश गोविंद श्री आशीष मिश्रा सुश्री सीमा गुप्ता श्री विवेक रस्तोगी Dr.Ajmal Khan श्री काजलकुमार, श्री Anurag Geete श्री राम त्यागी श्री अंतर सोहिल प.श्री डी.के. शर्मा "वत्स", श्री सतीश सक्सेना श्री नीरज गोस्वामी भारतीय नागरिक - Indian Citizen सुश्री Indu Arora श्री Darshan Lal Baweja श्री गगन शर्मा अब अगले शनिवार को फ़िर यहीं मिलेंगे. तब तक जयराम जी की! |
अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.
श्री नीरज जाटजी
सुश्री निर्मला कपिला
श्री दिनेशराय द्विवेदी
श्री रंजन
श्री ललित शर्मा
श्री स्मार्ट इंडियन
सुश्री वंदना
डा.रुपचंद्रजी शाश्त्री "मयंक,
श्री दिगम्बर नासवा
श्री दिलीप कवठेकर
अब अगली पहेली का जवाब लेकर अगले सोमवार फ़िर आपकी सेवा मे हाजिर होऊंगा तब तक के लिये आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" को इजाजत दिजिये. नमस्कार!
आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !
ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.
सभी विजेताओं को बधाई. :)
ReplyDeleteबहुत विस्तृत जानकारी दी..अल्पना जी का आभार.
सभी विजेताओं को बधाई. जिब्राल्टर का वीडिओ देकर तो आपने मज़ा लगा दिया.
ReplyDeleteसमस्त विजेताओं और प्रतिभागियों को बधाई व शुभ कामनाएं
ReplyDelete-
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एक बार फिर से अन्तराष्ट्रीय साजिश के तहत मेरी हैट्रिक नहीं हो पायी !
ये पांचवां अवसर है जब कि मैं हैट्रिक नहीं कर पाया !
समीर जी को विशेष मुबारकबाद
महामहिम क्या दुश्मनी है मुझसे ?
अरे कुछ सेकेण्ड बाद जवाब दे देते
खैर !
पहेलियाँ और भी आएँगी .......
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हमेशा की तरह अल्पना जी द्वारा किले के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त हुयी
उनकी मेहनत स्पष्ट नजर आती है
आभार
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जिब्राल्टर एयरपोर्ट का वीडिओ बहुत अच्छा लगा
पहली बार इंडिया के बाहर से कुछ पूछा गया !
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[डा० अजमल खान साहब की फोटो आधी क्यूँ ? ]
आदरणीय समीर जी सहित सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteregards
विजेताओं को घणी बधाई. सचमुच अल्पना जी ने न केवल किले के बारे में परन्तु आस पास के क्षेत्र में स्थित अन्य आकर्षणों के बारे में सुन्दर और समुचित जानकारी दी है. आभार.
ReplyDeleteसमीर जी सहित सभी विजेताओं को बधाई.
ReplyDelete@प्रकाश गोविन्द जी ,आप एक मिनट की देरी से इस बार हेट्रिक से चूक गए और यह आप की पांचवी चूक गए.यह जानकार बेहद अफ़सोस हुआ.
आप से हमें पूरी सहानुभूति है.
वह खेल ही के जिस में रोमांच न हो?
और खेल में एक मिनट का फासला भी कितने मायने रखता है ये यहाँ कई बार साबित हो चुका है.
आप के लिए बस एक शेर है..[किस ने कहा है मालूम नहीं]-
गिरते है सह-सवार ही मैदान-ए-जंग में,
वो तिफल क्या लडे़गा जो घुटनों के बल चले'
-तो बस हौसला रखीये .
-हेट्रिक चुकने से कितनी निराशा होती है वह हम सभी प्रतिभागी की हैसियत से समझ सकते हैं.
-शुभकामनाएं
सभी विजेताओं को बधाई। राम राम।
ReplyDeleteसभी जीतने वालों को बधाई .....
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteसभी विजेताओं को ढेर सारी बधाईयाँ. आदरणीय अल्पना मैम का विशेष आभार जो इन्होने इतनी अच्छी जानकारी प्रदान की.
ReplyDeletesabhee vejetaon ko hardik badhaii!
ReplyDeleteAlpana ji ke asadharan prayaas ko bhee naman mera...compile karke jankaREE itnee asani se mil jati hai...abhaar
Taauji ka bhee abhaar..is parikalpana ke liye !
Raampyaree ka to javaab hee nahi is umda jaankaree ke liye..
Thanx all
सभी विजेताओं को बधाई।
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बधाई!
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