कल शाम मैं भजल लिखने की कोशीश कर रहा था
आओ थोडा सा रूमानी हो जाये,
अकड कर ट्रक की कमानी हो जाये
थोडा सा टंकी चढा ब्लागर हो जायें
मौज लेने में डाक्टरेट कर जायें ...आज भजल बन नही रही थी.... कि इतनी देर में ताऊ की आवाज आई...अबे बावलीबूच रामप्यारे...रुमानी और कमानी होने को मत बोल...बल्कि ये बोल कि "आओ गर्मी में जरा बीमार हो जाये,
और वतन को मंदी से उबार लायें.
टंकी चढे ब्लागर के नीचे से टंकी को ही खींच लायें
टंकी ना खिंचे तो टंकी से उतरने की सीढी ही खींच लाये"
मैने कहा - ताऊ ये क्या कह रहे हो? आज चिलम नही पी क्या? या माथा खराब है तुम्हारा? लोगों को उल्टी सीधी सलाह दे रहे हो?
ताऊ बोला - अरे "प्यारे" देख गर्मी का मौसम देश की आर्थिक दशा सुधारने का सबसे बढिया मौका होता है. और हमें उसको हाथ से नही जाने देना चाहिये. इस मौसम में हम बीमार पडकर अपने देश के डाक्टरों की पहले से ही भारी जेबों को और भारी बना सकते हैं. दूसरे दवा उद्योगों को भी दवाओं के भाव बढाकर उनका मुनाफ़ा बढाने का मौका देकर देश की आर्थिक उन्नति में सहायक बन सकते हैं.
मैने पूछा - ताऊ बीमार पडना कोई हमारे हाथ में है क्या?
ताऊ ने कहा - अबे बावलीबूच रामप्यारे, हर भारतीय को देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिये बीमार पडना भी आना चाहिये और दूसरों को बीमार पटकने के गुर भी आना चाहिये.
मैने पूछा - ताऊ, ये कौन से फ़ार्मूले हैं? मुझे बताओ...मैं पोस्ट लिखकर सब ब्लागर भाईयों से इस पुनीत कार्य मे सहयोग करने की अपील करूंगा.
ताऊ ने कहा - "प्यारे" मैने लोगों को बीमार पटकने के लिये एक तो बर्फ़ के गोलों (लड्डू) की दुकान खोल ली है. इससे सौ प्रतिशत बीमार पडकर होस्टपिटलाईज होने की अचूक गारंटी है.
मैने पूछा : ताऊ बर्फ़ के गोलों से बीमार पडने का क्या संबंध?
गर्मा गर्म बर्फ़ के लड्डू बेचता ताऊ
ताऊ बोला - अरे "प्यारे", सबसे पहले तो ये जो बर्फ़ की सिल्लियां मैं लाता हूं वो बहुत ही गंदे पानी से बनी होती हैं? उस बारे में किसी को पता ही नही होता. फ़िर उन गोलो को पर लाल, नीले, हरे और पीले रंग वाली मीठी चास्नी छिडकता हूं तो बर्फ़ की गोला प्रेमी जनता को बीमार पडने की पक्की ग्यारंटी हो जाती है. उन रंगों में बहुत ही जहरीले तत्व होते हैं. पर इतने रंग बिरंगे और ठंडे बर्फ़ के गोले देखकर हर इंसान बीमार पडकर देश की और खास कर मेडिकल/दवा उद्योग की उन्नति करवाने से पीछे नही हटता. और हमारा ताऊनाथ अस्पताल तो चलता ही इनके भरोसे पर है.
मैने कहा - वाह ताऊ, ये तो बहुत ही महान बात बताई. मैं भी एक दूकान खोल ही लेता हूं.
ताऊ बोला - अरे "प्यारे" सुन मेरे पास ऐसे कई फ़ार्मुले हैं. अभी मैने एक पानी पूरी (गोलगप्पे, पुचका) की भी दुकान खोल ली है.
मैने पूछा - ताऊ गोलगप्पे तो बडे मजेदार और चटकारे दार होते हैं. इसमे बीमार पडने वाली कौन सी बात होगई?
ताऊ बोला - रामप्यारे...तू वाकई गधा है, अरे बावलीबूच...अब ये मजेदार और चटकारेदार व्यंजन बनता है तब अगर कोई देख ले तो जीवन मे कभी इसको देखे भी नही.
मैने पूछा - ताऊ ये पहेलियां मत बुझाओ, सीधी बात बताओ...
ताऊ - अरे जब इसका पानी तैयार होता है तब पानी तो गंदा होता ही है...उस पानी मे जब हाथ से हिला हिलाकर मसाले मिलाये जाते हैं...जब गोलगप्पे को गंदे अंगूठे से फ़ोडकर पानी के मटके में डुबोकर पकडाया जाता है तब हाथ और नाखूनों की सारी गंदगी उसमे जाती है. और कभी पानी पूरी पिलाने वाले के हाथ और नाखून देखना...
ताऊ चकाचक पानीपूरी भंडार
मैने कहा - ताऊ उनके तो हाथों मे भी गंदंगी दिखती है और नाखून तो बिल्कुल ही काले काले मैल से भरे होते हैं.
ताऊ ने कहा - हां प्यारे, यही तो है असली राज...बीमार पडने का..कोई बच ही नही सकता देश सेवा करने से..और ऐसा ही गन्ने के रस की चर्खियों पर होता है...मक्खियां भिनभिनाती है...गन्ने को बिना साफ़ किये ही सीधे चर्खी में दे दिया जाता है. और मधुर रस पीने वाले रसिक बीमार पडकर दवा उद्योगों और डाक्टरों की सेवा मे अपना अमूल्य योगदान करती है. और हमारे अस्पताल में मरीजों की लाईने लगी रहती हैं.
ताऊ सडकछाप मधुशाला
मैने कहा - वाह ताऊ वाह. आपको तो अर्थशाश्त्री होना चाहिये था. आप तो देश सेवा के और फ़ार्मुले बताईये मेरे को
ताऊ बोला - प्यारे, पहले इनको ट्राई मार ले बाकी फ़िर अगली बार बता दूंगा. अभी तो इनके मरीजों से ही फ़ुरसत नही है.
अत: मैं रामप्यारे उर्फ़ "प्यारे" यानि कि ताऊ का गधा आप सबसे निवेदन करता हूं कि आप ताऊ की सलाह को ध्यान मे रखते हुये बीमार पडिये और दूसरे लोगों को बीमार पडने मे सहायक होईये. और ऐसा करके देश की आर्थिक उन्नति में भागीदार बनिये.
इस पोस्ट के प्रायोजक हैं :
"डाँ. ताऊनाथ निजी सेवार्थ परमार्थिक अस्पताल"
डाँ. समीरनाथ और डाँ ताऊनाथहिन्दी की उन्नति में सहायता करती हुई ब्लागर का इलाज करते हुये!
आईये...आईये...."डाँ. ताऊनाथ निजी सेवार्थ परमार्थिक अस्पताल" मे आपका स्वागत है. गर्मी का मौसम बहुत कम बचा है....जल्दी बीमार होकर आईये और हमारी आर्थिक उन्नति में सहयोगी बनकर देश की उन्नति में सहयोग दिजिये.
१. जल्दी आयें और रामप्यारी द्वारा कैट स्केन मे ५० प्रतिशत का नेट डिस्काऊंट लिजिये. आज का रेट रु. १५०००/- मात्र (डिस्काऊंट के बाद)
२. हमारे अस्पताल में रामप्यारी द्वारा कैट स्केन करने के बाद ही इलाज शुरु किया जाता है. अत: भीड से बचने के लिये एडवांस बुकिंग करवा लें. क्योंकि आज नही तो कल आप ताऊ गोलगप्पा भंडार, और गोलों का सेवन करेंगे ही और यहां आकर देश की आर्थिक उन्नति में सहयोग करेंगे ही.
३. नोट करें - हमारी कोई ब्रांच नही हैं. दूसरे झोला झाप डाक्टरों से बचें. हम एक मात्र रजिस्टर्ड और सर्टीफ़ाईड झोला छाप डाक्टर हैं.
सदैव निजी सेवा में "डाँ. ताऊनाथ निजी सेवार्थ परमार्थिक अस्पताल"
आओ थोडा सा रूमानी हो जाये,
अकड कर ट्रक की कमानी हो जाये
थोडा सा टंकी चढा ब्लागर हो जायें
मौज लेने में डाक्टरेट कर जायें ...आज भजल बन नही रही थी.... कि इतनी देर में ताऊ की आवाज आई...अबे बावलीबूच रामप्यारे...रुमानी और कमानी होने को मत बोल...बल्कि ये बोल कि "आओ गर्मी में जरा बीमार हो जाये,
और वतन को मंदी से उबार लायें.
टंकी चढे ब्लागर के नीचे से टंकी को ही खींच लायें
टंकी ना खिंचे तो टंकी से उतरने की सीढी ही खींच लाये"
मैने कहा - ताऊ ये क्या कह रहे हो? आज चिलम नही पी क्या? या माथा खराब है तुम्हारा? लोगों को उल्टी सीधी सलाह दे रहे हो?
ताऊ बोला - अरे "प्यारे" देख गर्मी का मौसम देश की आर्थिक दशा सुधारने का सबसे बढिया मौका होता है. और हमें उसको हाथ से नही जाने देना चाहिये. इस मौसम में हम बीमार पडकर अपने देश के डाक्टरों की पहले से ही भारी जेबों को और भारी बना सकते हैं. दूसरे दवा उद्योगों को भी दवाओं के भाव बढाकर उनका मुनाफ़ा बढाने का मौका देकर देश की आर्थिक उन्नति में सहायक बन सकते हैं.
मैने पूछा - ताऊ बीमार पडना कोई हमारे हाथ में है क्या?
ताऊ ने कहा - अबे बावलीबूच रामप्यारे, हर भारतीय को देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिये बीमार पडना भी आना चाहिये और दूसरों को बीमार पटकने के गुर भी आना चाहिये.
मैने पूछा - ताऊ, ये कौन से फ़ार्मूले हैं? मुझे बताओ...मैं पोस्ट लिखकर सब ब्लागर भाईयों से इस पुनीत कार्य मे सहयोग करने की अपील करूंगा.
ताऊ ने कहा - "प्यारे" मैने लोगों को बीमार पटकने के लिये एक तो बर्फ़ के गोलों (लड्डू) की दुकान खोल ली है. इससे सौ प्रतिशत बीमार पडकर होस्टपिटलाईज होने की अचूक गारंटी है.
मैने पूछा : ताऊ बर्फ़ के गोलों से बीमार पडने का क्या संबंध?
ताऊ बोला - अरे "प्यारे", सबसे पहले तो ये जो बर्फ़ की सिल्लियां मैं लाता हूं वो बहुत ही गंदे पानी से बनी होती हैं? उस बारे में किसी को पता ही नही होता. फ़िर उन गोलो को पर लाल, नीले, हरे और पीले रंग वाली मीठी चास्नी छिडकता हूं तो बर्फ़ की गोला प्रेमी जनता को बीमार पडने की पक्की ग्यारंटी हो जाती है. उन रंगों में बहुत ही जहरीले तत्व होते हैं. पर इतने रंग बिरंगे और ठंडे बर्फ़ के गोले देखकर हर इंसान बीमार पडकर देश की और खास कर मेडिकल/दवा उद्योग की उन्नति करवाने से पीछे नही हटता. और हमारा ताऊनाथ अस्पताल तो चलता ही इनके भरोसे पर है.
मैने कहा - वाह ताऊ, ये तो बहुत ही महान बात बताई. मैं भी एक दूकान खोल ही लेता हूं.
ताऊ बोला - अरे "प्यारे" सुन मेरे पास ऐसे कई फ़ार्मुले हैं. अभी मैने एक पानी पूरी (गोलगप्पे, पुचका) की भी दुकान खोल ली है.
मैने पूछा - ताऊ गोलगप्पे तो बडे मजेदार और चटकारे दार होते हैं. इसमे बीमार पडने वाली कौन सी बात होगई?
ताऊ बोला - रामप्यारे...तू वाकई गधा है, अरे बावलीबूच...अब ये मजेदार और चटकारेदार व्यंजन बनता है तब अगर कोई देख ले तो जीवन मे कभी इसको देखे भी नही.
मैने पूछा - ताऊ ये पहेलियां मत बुझाओ, सीधी बात बताओ...
ताऊ - अरे जब इसका पानी तैयार होता है तब पानी तो गंदा होता ही है...उस पानी मे जब हाथ से हिला हिलाकर मसाले मिलाये जाते हैं...जब गोलगप्पे को गंदे अंगूठे से फ़ोडकर पानी के मटके में डुबोकर पकडाया जाता है तब हाथ और नाखूनों की सारी गंदगी उसमे जाती है. और कभी पानी पूरी पिलाने वाले के हाथ और नाखून देखना...
मैने कहा - ताऊ उनके तो हाथों मे भी गंदंगी दिखती है और नाखून तो बिल्कुल ही काले काले मैल से भरे होते हैं.
ताऊ ने कहा - हां प्यारे, यही तो है असली राज...बीमार पडने का..कोई बच ही नही सकता देश सेवा करने से..और ऐसा ही गन्ने के रस की चर्खियों पर होता है...मक्खियां भिनभिनाती है...गन्ने को बिना साफ़ किये ही सीधे चर्खी में दे दिया जाता है. और मधुर रस पीने वाले रसिक बीमार पडकर दवा उद्योगों और डाक्टरों की सेवा मे अपना अमूल्य योगदान करती है. और हमारे अस्पताल में मरीजों की लाईने लगी रहती हैं.
मैने कहा - वाह ताऊ वाह. आपको तो अर्थशाश्त्री होना चाहिये था. आप तो देश सेवा के और फ़ार्मुले बताईये मेरे को
ताऊ बोला - प्यारे, पहले इनको ट्राई मार ले बाकी फ़िर अगली बार बता दूंगा. अभी तो इनके मरीजों से ही फ़ुरसत नही है.
अत: मैं रामप्यारे उर्फ़ "प्यारे" यानि कि ताऊ का गधा आप सबसे निवेदन करता हूं कि आप ताऊ की सलाह को ध्यान मे रखते हुये बीमार पडिये और दूसरे लोगों को बीमार पडने मे सहायक होईये. और ऐसा करके देश की आर्थिक उन्नति में भागीदार बनिये.
(निजी सेवा में सतत तत्पर)
आईये...आईये...."डाँ. ताऊनाथ निजी सेवार्थ परमार्थिक अस्पताल" मे आपका स्वागत है. गर्मी का मौसम बहुत कम बचा है....जल्दी बीमार होकर आईये और हमारी आर्थिक उन्नति में सहयोगी बनकर देश की उन्नति में सहयोग दिजिये.
१. जल्दी आयें और रामप्यारी द्वारा कैट स्केन मे ५० प्रतिशत का नेट डिस्काऊंट लिजिये. आज का रेट रु. १५०००/- मात्र (डिस्काऊंट के बाद)
२. हमारे अस्पताल में रामप्यारी द्वारा कैट स्केन करने के बाद ही इलाज शुरु किया जाता है. अत: भीड से बचने के लिये एडवांस बुकिंग करवा लें. क्योंकि आज नही तो कल आप ताऊ गोलगप्पा भंडार, और गोलों का सेवन करेंगे ही और यहां आकर देश की आर्थिक उन्नति में सहयोग करेंगे ही.
३. नोट करें - हमारी कोई ब्रांच नही हैं. दूसरे झोला झाप डाक्टरों से बचें. हम एक मात्र रजिस्टर्ड और सर्टीफ़ाईड झोला छाप डाक्टर हैं.
सदैव निजी सेवा में "डाँ. ताऊनाथ निजी सेवार्थ परमार्थिक अस्पताल"
ये सब तो एक बहाना है
ReplyDeleteताऊ का काम तो जगाना है
डॉ झटका ओह सारी डाक्टर ताऊ ने काम की बाते तो बतायी मगर ई ब्लागर कौन है जो इलाज करवा रही हैं ?
ReplyDeleteदेखा रामप्यारे ! ताऊ ने एक शानदार व्यंग्य ठोकते हुए गर्मी के मौसम में बीमार करने वाले इन पेय व खाद्य पदार्थों के बारे में जानकारी देकर सबको सचेत कर दिया | अब कोई फिर भी इन पदार्थों का सेवन कर बीमार पड़े तो वो बावलीबूच ही हुआ ना !
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया व्यंग्य!
ReplyDeleteघणी राम-राम!
हलके-फुल्के में ही लोगो को उपयोगी स्वास्थ्य संबंधी हिदायते दे दी ताऊ!
ReplyDeleteआप भी मौज लेना सीख रहे हैं..पैरोड़ी टाईप कुछ लिखे हैं क्या शुरु में. :)
ReplyDeleteबाकी तो बेहतरीन...डॉक्टर उड़नतश्तरी बैठे हैं या कम्पाऊन्डर...चप्पल पहन कर चले आये न इसीलिए पूछा.
हा हा हा हा हा हा हा ताऊ जी के इतने रूप वाह वाह बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteregards
ताऊ तू खुद ही कल पुच्के (पानी पूरी ) खा रहा था और आज सीख दे रहा है ....| क्यों किसी के पेट पर लात मार रहे हो |
ReplyDeleteव्यंग का व्यंग और हिदायत की हिदायत....
ReplyDeleteबड़ा चोखा तरीका है सीख देने का...
ताऊ के बात?
ReplyDeleteआजकल बडे-बडे गम्भीर गम्भीर मामले लिख रहे हो?॥।
निजी सेवार्थ परमार्थिक अस्पताल की सेवाओं के डर के कारण ही तो हम गोलगप्पे वही खाते हैं जहाँ गोलगप्पे का पानी चम्मच से डाला जाता है ...
ReplyDeleteव्यंग्य के ज़रिये बहुत ही अच्छी सलाहें दे डाली..क्या बात है!
ReplyDeleteपानी पूरी ./चाट वाले/गन्ने के जूस वाले..बर्फ के गोले बनाने वाले सभी का असली रूप बता दिया..स्वच्छता का ध्यान नहीं रखते ये सभी..
काश सभी बच्चे बड़े इन बातों पर ध्यान दें..और बाहर का खाने से बचें.
-सभी चित्र विषयानुकूल हैं
बहुत बढ़िया व्यंग है ...पर ताऊ ! ये गोलगप्पे वाले का चित्र लगाकर अच्छा नहीं किया हाँ..अब वो भी हाथ में प्लास्टिक पहन कर खिलाता है
ReplyDeleteवल्ले वल्ले ताऊ, तुझे सब पाप लगेगे जो इन गरीबो के बच्चो के मोबाईल पर लात मार रहा है, अरे उलटा तुझे इन सब को कमीशन देना चाहिये, इन्ही के सर पर तेरा अस्पताल चल रहा है, फ़िर अगर एक भारतिया बीमार नही होगा तो भगवान को केसे याद करेगा??भगवान को याद करेगा तो मंदिर भी जाये गा, अब पुजारी ,हलवाई, ओर मोची सब तेरे दुशमन अजी मंदिर से जब जुते चोरी होगे तो....दुर की सोचओ ताऊ
ReplyDeleteताऊ बेचारे गरीबों को कुछ कमा खा लेने दो...काहे बेचारों के पेट पर लात मार रहे हो...
ReplyDeletetau.....thoda jikra tai ka ho jae...taki sare bhatije ek sur me kahen ki tau...aao thoda sa roomani hojae....
ReplyDelete...रोचक !!!
ReplyDeleteबात-बात में रोचक वैज्ञानिक सन्देश दे गये आप ताऊ जी,तुस्सी ग्रेट हो जी.
ReplyDeletehahahaha..........gazab ka doctor aur gazab ka lekhan.
ReplyDeleteक्यों गरोब ठेले वालो की दूकान बंद करने पर तुले हो ? वैसे सन्देश बहुत बढ़िया दिया आपने. हम तो इधर अमेरिका में बहुत मिस करते है टिक्की और बर्फ के गोलों को ....नाली के बगल में खड़े होकर गोलगप्पो का मजा ही निराला होता है :)
ReplyDeletehttp://meriawaaj-ramtyagi.blogspot.com/
हा हा हा....बहुत ही बढ़िया आप ने सुझाव तो बढ़िया दिए हैं पर डिस्काउंट ज्यादा दिया हैं रामप्यारी के हाथों कैट स्केन का...मेरी मानें तो डिस्काउंट हटा दीजिए...राम राम
ReplyDeleteहा हा ताऊ आप भी ना बहुत हँसाते हो। हाँ नहीं तो।
ReplyDeletebahut sahee kaha ....
ReplyDeleteबहुत गड़बड़ है... बहुत बढिया किया आपने बताकर...
ReplyDeleteआज ताऊ के लिये तीन तीन खुशियां एक साथ!!!
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भजल
ReplyDeleteहा हा हा
इससे बढ़िया कुछ नहीं हो सकता :))