दर्शकों को रमलू सियार का नमस्कार. ताऊ टीवी के खास खबरिया चैनल "टीवी फ़ोडके न्यूज चैनल" में मैं आपका स्वागत करता हूं और आज की गर्मागर्म स्टोरी पेश करता हूं. आज की ताजा खबर और उसके पीछे का सच...सिर्फ़ टीवी फ़ोडके न्यूज चैनल पर देखिये....
ललित शर्मा की टाँगे खींच कर टंकी से उतारा गया: क्योंकि सीढ़ी वह साथ ले कर चढ़े थे :-)
आखिर क्या है राज?
आखिर क्या है राज?
आखिर क्यों ललित शर्मा को टंकी पर चढना पडा?
क्या है हकीकत?
क्या है सच्चाई?
दोस्तो अनगिनत सवाल उठ खडे हुये हैं...
आप तो जानते हैं कि ताऊ टीवी के उपक्रम "टीवी फ़ोड के न्यूज चैनल" का काम ही है सच्चाई को बाहर लाना....वो बात अलग है कि अगर हमारा मतलब सिद्ध हो जाये तो कुछ और भी बाहर आ सकता है...खैर छोडिये..इन बातों को..आप तो आज जानिये...असली सच...क्या है "टंकी के पीछे का असली सच"? कौन सी ताकतें थी इस घटना के पीछे? क्या कोई अंतर्राष्ट्रिय षडयंत्र था? कौन था इसका सरगना...?
हम अभी हाजिर होते हैं एक छोटे से ब्रेक के बाद...गर्मागर्म खबर के साथ......
ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक......
हां तो दोस्तो....मैं रमलू सियार फ़िर से हाजिर हूं...आपकी सेवा में...टंकी के पीछे का असली सच लेकर....अब मैं आपको सीधे उस टंकी के पास लिये...चलता हूं जहां यह टंकी आरोहण हुआ...वहां हमारी खास संवाद दातामिस.समीरा टेड्डी आपको बता रही हैं.."टंकी के पीछे का असली सच"....हम हाजिर होते हैं एक छोटे से ब्रेक के बाद..कहीं जाना हो तो कल तक के मुल्तवी कर दिजिये...कल शाम तक हम "टंकी के पीछे का असली सच" का पर्दा फ़ाश कर ही देंगे...
ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक......
ब्रेक के बाद आपका फ़िर से स्वागत है...अब मैं सीधे घटना स्थल पर मौजूद हमारी संवाद दाता मिस समीरा टेढी के पास लिये चलता हू...हैल्लो मिस. समीरा...हैल्लो...मिस टेढी...हैल्लो हैल्लो..मिस उल्टी सीधी...हैल्लो...मिस आडी- टेढी...हैल्लो क्या आप तक मेरी आवाज पहुंच रही है?...अगर हां तो हमारे दर्शकों को जल्दी बताईये..."टंकी के पीछे का असली सच" .... चलिये...मिस. टेढी से संपर्क स्थापित होगया है....अब मैं आपको मिस. समीरा उल्टी सीधी...ओह...सारी...मिस. टेढी के हवाले करता हूं....
हाय दर्शकों ...मैं मिस समीरा टेढी...कैमरामैन रामप्यारे उर्फ़ "प्यारे" के साथ "ताऊ टीवी फ़ोड के न्यूज" चैनल के खास कार्यक्रम "टंकी के पीछे का असली सच" में आपका स्वागत करती हूं......क्या है "टंकी के पीछे का असली सच"...? कुछ है भी या सिर्फ़ कहानी है?
कई सवाल हैं...क्या ललित शर्मा टंकी पर चढे भी?
क्या किसी ने उनको टंकी पर चढते देखा?
क्या ऐसा शख्स ...जो एक दिन मे चार चार पांच पांच पोस्ट लिखता हो? वो टंकी पर चढने की भी सोच सकता है? तो क्या है फ़िर "टंकी के पीछे का असली सच".....
अनगिनत सवाल खडे हो गये हैं...
ऐसे सवाल ...जिन सवालों ने पूरे ब्लाग जगत को थर्रा दिया है....
दिल थाम के बैठिये...
हम आपको बतायेंगे...
"टंकी के पीछे का असली सच" की कहानी...
एक ऐसी गुत्थी ....
जिसका जवाब सिर्फ़ और सिर्फ़ "ताऊ टीवी फ़ोडके न्यूज" चैनल के पास है....
घबराईये नही सिर्फ़ एक ब्रेक दूर है वो खास खबर....जिसका आपको इंतजार है....
हम अभी जाते हैं और आपके भागने से पहले ही लौट के आते है....
ये झेलिये....एक एक छोटा सा ब्रेक......
ताऊ कद वर्धक तेल के इस्तेमाल के पहले और बाद मे रामप्यारी!
ये ब्रेक खत्म और हम आपके भागने के पहले ही लौट आये हैं...तो दोस्तो...देखिये "टंकी के पीछे का असली सच"....
अब हम बताते हैं कि क्या हुआ?
और क्या नही हुआ?
और क्या होना चाहिये था?
और क्या होगया?
मिस. समीरा टेढी, उस टंकी से रिपोर्टिंग करती हुई, जिस पर ललित शर्मा को चढा हुआ बताया गया था.
हां तो दर्शकों आप...सामने एक टंकी देख पा रहे होंगे...."प्यारे" जी जरा कैमरे को जूम करके हमारे दर्शकों को वो टंकी पास से दिखाईये...हां अब ठीक है....तो दर्शकों अब आप यह टंकी देख पा रहे होंगे...कितनी जीर्ण शीर्ण टंकी....और जरा मेरे पीछे देखिये...रेल्वे लाईन की पटरियां....तो क्या है इन पटरियों का सच? कैसे जुडती हैं कडियां... टंकी के पीछे का असली सच से?....
घटना क्रम शुरु होता है 9 अप्रेल 2010 से....एक पोस्ट आती है.. अलविदा ब्लोगिंग........हैप्पी ब्लोगिंग.....मेरी अंतिम पोस्ट........ललित शर्मा .सब हतप्रभ...भौंचक..किसी को कुछ समझ नही आया...ज्यादातर लोगों ने समझा...यह भी कोई हरयाणवी ड्रामा है....पर नही शाम होते होते...और अगले दिन तक तो खबर जंगल मे बरसात की बाढ की तरह फ़ैल गई....
लेकिन...हमको यह खबर गले नही उतरी...हमने इस खबर का तफ़्सील से निरीक्षण किया...और पाया कि इसमे तो लोचा है...और फ़िर हमने इसकी जो जांच पडताल की...और उसमे जो सच सामने आया उसने हमारे भी रोंगटे खडे कर दिये...आप भी कलेजा थाम के बैठिये इस सनसनी खेज सच को सुनने के लिये...लेकिन उसके पहले एक छोटा सा...नन्हा सा...प्यारा प्यारा सा ब्रेक.....
प्रत्येक शीशी की कीमत रु. 2500/= चारों शीशी एक साथ लेने पर 15 % का स्पेशल डिस्काऊंट! आज ही खरीदें!
ब्रेक के बाद मैं मिस.समीरा टेढी आपका एक बार फ़िर स्वागत करती हूं...हमारे आज के होटेस्ट कार्यक्रम में..."टंकी के पीछे का असली सच" में...
आपने ऊपर जो टंकी देखी....संदेह की वजह यही टंकी है...क्या इतनी बडी बडी मूंछों वाले शेर का वजन यह जीर्ण शीर्ण टंकी ऊठा सकती है? और वो भी लगातार तीन दिन तक? नही कदापि नही....
हमारे मन में शंका क्यों आई? उसका कारण भी है...क्योंकि इस षडयंत्र मे एक और हरयाणवी भी शामिल है...और आप तो अच्छी तरह जानते हैं कि हरयाणवी लालों के लाल होते हैं...कहां बोलते हैं? और कहां निकलते हैं? आप क्या ...ये पता लगाना ब्रह्मा जी के पिताजी के वश का भी नही है...ये तो सिर्फ़ और सिर्फ़ "ताऊ टीवी फ़ोडके न्यूज चैनल का ही कमाल है जो इस खबर की तह तक पहुंचा...और इसका भी कारण है....वो हम आपको बाद में बतायेंगे..
फ़िलहाल तो "टंकी के पीछे का असली सच" यह है कि जो कहानी बताई जारही है वो संदेह के घेरे में आगई है. मैने हर एंगल से इस कहानी का राज जानने की कोशीश की है और जो सवाल उठे हैं...क्या उनका जवाब इन दोनों हरयाणवियों मे से कोई देगा?
सवाल न. १ - क्या इतनी कमजोर और जंग खाई हुई टंकी तीन तक इतनी बडी बडी मूंछों वाले शेर का वजन सहन कर सकती थी?
सवाल न. २ - यह टंकी और रेल लाईन ललित शर्मा के घर के पिछवाडे ही है. और हुआ यह होगा कि उन्होने रात मे टंकी से उतर कर घर जाकर आराम किया होगा और दिन मे लोगों को दिखाने के लिये टंकी पर चढे होंगे. और यह टंकी पर चढने के नियमों का सरासर उल्लंघन है.
सवाल न. ३ - संदेह का एक कारण और यह है कि जिस समय इनका टंकी से उतरना बताया गया है ठीक उसी समय वहां टंकी के पास एक मालगाडी डी-रेल हुई थी...और दूसरे हरयाणवी श्री बी.एस.पाबला ने ललित शर्मा की टांग खींचकर टंकी से उतारना बताया है. जो कि कतई ..किसी भी हालत मे संभव नही है...क्योंकि उस समय मालगाडी के डिब्बे वहां इधर उधर लुढके हुये थे..सो टांग खींचकर उतारने की जगह ही नही बच रही थी..
पहले आप नीचे का चित्र देखिये....उसके बाद हम बताते हैं... "टंकी के पीछे का असली सच"..क्या है?
टंकी पर से उतारने के लिये इशारे करते हुये
अब मैं आपको बताती हूं कि हुआ क्या था? हुआ यह कि 11 अप्रेल 2010 को हमारे खास जासूस ने खबर दी..दोनों हरयाणवियों में बात हुई और तय हुआ कि आज टंकी से उतारने का ऐलान करना है...मैं आता हूं..तुम दिन उगने से पहले ही घर से निकल कर टंकी पर चढ जाना
पाबला जी अपने ठीये से निकल कर ७० किलोमीटर की दूरी तय करते है. रास्ते मे ट्रेफ़िक ज्यादा होने से देर होती है...उधर ललित शर्मा अपने घर से निकल टंकी पर चढ चुके हैं और उस दिन तेज धूप थी सो टंकी पर चढकर इंतजार करते हैं...जैसे ही पाबला जी टंकी तलाशने के लिये गलत दिशा मे गाडी मोडते हैं...तुरंत ललित शर्मा ने इशारा किया कि इधर आजावो...बहुत देर करदी..मरवा दिया आज धूप में...और ऊपर का चित्र उसी समय का है....
अब इस दूध का पानी करने के लिये आप एक और नीचे का चित्र देखिये और सारा सच आपके सामने आ जायेगा...
सबूत के लिये टंकी के पास गले मिलकर फ़ोटो खिंचवाते हुये.
अब आपको समझ आया कि यह क्या हुआ? मैं बताती हूं...दर्शकों ये निखालिश दो हरयाणवियों की नूरा कुश्ती थी. इतनी ऊंची टंकी से टांग खींचने का कहना ही संदेह उत्पन्न करता है. क्योंकि...
इतनी ऊंची टंकी से टांग खींचना असंभव है.
अगर ये मान भी लिया जाये कि टांग खींची गई है तो इतनी ऊंची टंकी से गिरकर हाथ पैर टूटना निश्चित था.और हाथ पैर टूटने का कोई लक्षण दिखाई नही देरहा है. क्योंकि दोनों हरयाणवी बडे मजे से गले मिलकर मुस्करा रहे हैं. और यही हमारे संदेह को सच साबित करता है.
अगर हमारी कहानी मे कुछ गलत विश्लेषण किया गया है तो दोनों हरयाणवी हमारे द्वारा ऊपर जो सवाल उठाये गये हैं उनका जवाब दें. वर्ना हम तो इसे दो हरयाणवियों के बीच की नूरा कुश्ती ही कहेंगे.
अब मैं मिस समीरा टेढी आपको वापस स्टूडियो लिये चलती हूं...आज इतनी धूप मे रिपोर्टिंग करते करते मेरी आंखे भी कितनी बडी बडी होगई?
आप तो जानते हैं कि ताऊ टीवी के उपक्रम "टीवी फ़ोड के न्यूज चैनल" का काम ही है सच्चाई को बाहर लाना....वो बात अलग है कि अगर हमारा मतलब सिद्ध हो जाये तो कुछ और भी बाहर आ सकता है...खैर छोडिये..इन बातों को..आप तो आज जानिये...असली सच...क्या है "टंकी के पीछे का असली सच"? कौन सी ताकतें थी इस घटना के पीछे? क्या कोई अंतर्राष्ट्रिय षडयंत्र था? कौन था इसका सरगना...?
हम अभी हाजिर होते हैं एक छोटे से ब्रेक के बाद...गर्मागर्म खबर के साथ......
ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक......
हां तो दोस्तो....मैं रमलू सियार फ़िर से हाजिर हूं...आपकी सेवा में...टंकी के पीछे का असली सच लेकर....अब मैं आपको सीधे उस टंकी के पास लिये...चलता हूं जहां यह टंकी आरोहण हुआ...वहां हमारी खास संवाद दातामिस.समीरा टेड्डी आपको बता रही हैं.."टंकी के पीछे का असली सच"....हम हाजिर होते हैं एक छोटे से ब्रेक के बाद..कहीं जाना हो तो कल तक के मुल्तवी कर दिजिये...कल शाम तक हम "टंकी के पीछे का असली सच" का पर्दा फ़ाश कर ही देंगे...
ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक...ब्रेक......
ब्रेक के बाद आपका फ़िर से स्वागत है...अब मैं सीधे घटना स्थल पर मौजूद हमारी संवाद दाता मिस समीरा टेढी के पास लिये चलता हू...हैल्लो मिस. समीरा...हैल्लो...मिस टेढी...हैल्लो हैल्लो..मिस उल्टी सीधी...हैल्लो...मिस आडी- टेढी...हैल्लो क्या आप तक मेरी आवाज पहुंच रही है?...अगर हां तो हमारे दर्शकों को जल्दी बताईये..."टंकी के पीछे का असली सच" .... चलिये...मिस. टेढी से संपर्क स्थापित होगया है....अब मैं आपको मिस. समीरा उल्टी सीधी...ओह...सारी...मिस. टेढी के हवाले करता हूं....
हाय दर्शकों ...मैं मिस समीरा टेढी...कैमरामैन रामप्यारे उर्फ़ "प्यारे" के साथ "ताऊ टीवी फ़ोड के न्यूज" चैनल के खास कार्यक्रम "टंकी के पीछे का असली सच" में आपका स्वागत करती हूं......क्या है "टंकी के पीछे का असली सच"...? कुछ है भी या सिर्फ़ कहानी है?
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क्या किसी ने उनको टंकी पर चढते देखा?
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ये ब्रेक खत्म और हम आपके भागने के पहले ही लौट आये हैं...तो दोस्तो...देखिये "टंकी के पीछे का असली सच"....
अब हम बताते हैं कि क्या हुआ?
और क्या नही हुआ?
और क्या होना चाहिये था?
और क्या होगया?
हां तो दर्शकों आप...सामने एक टंकी देख पा रहे होंगे...."प्यारे" जी जरा कैमरे को जूम करके हमारे दर्शकों को वो टंकी पास से दिखाईये...हां अब ठीक है....तो दर्शकों अब आप यह टंकी देख पा रहे होंगे...कितनी जीर्ण शीर्ण टंकी....और जरा मेरे पीछे देखिये...रेल्वे लाईन की पटरियां....तो क्या है इन पटरियों का सच? कैसे जुडती हैं कडियां... टंकी के पीछे का असली सच से?....
घटना क्रम शुरु होता है 9 अप्रेल 2010 से....एक पोस्ट आती है.. अलविदा ब्लोगिंग........हैप्पी ब्लोगिंग.....मेरी अंतिम पोस्ट........ललित शर्मा .सब हतप्रभ...भौंचक..किसी को कुछ समझ नही आया...ज्यादातर लोगों ने समझा...यह भी कोई हरयाणवी ड्रामा है....पर नही शाम होते होते...और अगले दिन तक तो खबर जंगल मे बरसात की बाढ की तरह फ़ैल गई....
लेकिन...हमको यह खबर गले नही उतरी...हमने इस खबर का तफ़्सील से निरीक्षण किया...और पाया कि इसमे तो लोचा है...और फ़िर हमने इसकी जो जांच पडताल की...और उसमे जो सच सामने आया उसने हमारे भी रोंगटे खडे कर दिये...आप भी कलेजा थाम के बैठिये इस सनसनी खेज सच को सुनने के लिये...लेकिन उसके पहले एक छोटा सा...नन्हा सा...प्यारा प्यारा सा ब्रेक.....
ब्रेक के बाद मैं मिस.समीरा टेढी आपका एक बार फ़िर स्वागत करती हूं...हमारे आज के होटेस्ट कार्यक्रम में..."टंकी के पीछे का असली सच" में...
आपने ऊपर जो टंकी देखी....संदेह की वजह यही टंकी है...क्या इतनी बडी बडी मूंछों वाले शेर का वजन यह जीर्ण शीर्ण टंकी ऊठा सकती है? और वो भी लगातार तीन दिन तक? नही कदापि नही....
हमारे मन में शंका क्यों आई? उसका कारण भी है...क्योंकि इस षडयंत्र मे एक और हरयाणवी भी शामिल है...और आप तो अच्छी तरह जानते हैं कि हरयाणवी लालों के लाल होते हैं...कहां बोलते हैं? और कहां निकलते हैं? आप क्या ...ये पता लगाना ब्रह्मा जी के पिताजी के वश का भी नही है...ये तो सिर्फ़ और सिर्फ़ "ताऊ टीवी फ़ोडके न्यूज चैनल का ही कमाल है जो इस खबर की तह तक पहुंचा...और इसका भी कारण है....वो हम आपको बाद में बतायेंगे..
फ़िलहाल तो "टंकी के पीछे का असली सच" यह है कि जो कहानी बताई जारही है वो संदेह के घेरे में आगई है. मैने हर एंगल से इस कहानी का राज जानने की कोशीश की है और जो सवाल उठे हैं...क्या उनका जवाब इन दोनों हरयाणवियों मे से कोई देगा?
सवाल न. १ - क्या इतनी कमजोर और जंग खाई हुई टंकी तीन तक इतनी बडी बडी मूंछों वाले शेर का वजन सहन कर सकती थी?
सवाल न. २ - यह टंकी और रेल लाईन ललित शर्मा के घर के पिछवाडे ही है. और हुआ यह होगा कि उन्होने रात मे टंकी से उतर कर घर जाकर आराम किया होगा और दिन मे लोगों को दिखाने के लिये टंकी पर चढे होंगे. और यह टंकी पर चढने के नियमों का सरासर उल्लंघन है.
सवाल न. ३ - संदेह का एक कारण और यह है कि जिस समय इनका टंकी से उतरना बताया गया है ठीक उसी समय वहां टंकी के पास एक मालगाडी डी-रेल हुई थी...और दूसरे हरयाणवी श्री बी.एस.पाबला ने ललित शर्मा की टांग खींचकर टंकी से उतारना बताया है. जो कि कतई ..किसी भी हालत मे संभव नही है...क्योंकि उस समय मालगाडी के डिब्बे वहां इधर उधर लुढके हुये थे..सो टांग खींचकर उतारने की जगह ही नही बच रही थी..
पहले आप नीचे का चित्र देखिये....उसके बाद हम बताते हैं... "टंकी के पीछे का असली सच"..क्या है?
अब मैं आपको बताती हूं कि हुआ क्या था? हुआ यह कि 11 अप्रेल 2010 को हमारे खास जासूस ने खबर दी..दोनों हरयाणवियों में बात हुई और तय हुआ कि आज टंकी से उतारने का ऐलान करना है...मैं आता हूं..तुम दिन उगने से पहले ही घर से निकल कर टंकी पर चढ जाना
पाबला जी अपने ठीये से निकल कर ७० किलोमीटर की दूरी तय करते है. रास्ते मे ट्रेफ़िक ज्यादा होने से देर होती है...उधर ललित शर्मा अपने घर से निकल टंकी पर चढ चुके हैं और उस दिन तेज धूप थी सो टंकी पर चढकर इंतजार करते हैं...जैसे ही पाबला जी टंकी तलाशने के लिये गलत दिशा मे गाडी मोडते हैं...तुरंत ललित शर्मा ने इशारा किया कि इधर आजावो...बहुत देर करदी..मरवा दिया आज धूप में...और ऊपर का चित्र उसी समय का है....
अब इस दूध का पानी करने के लिये आप एक और नीचे का चित्र देखिये और सारा सच आपके सामने आ जायेगा...
अब आपको समझ आया कि यह क्या हुआ? मैं बताती हूं...दर्शकों ये निखालिश दो हरयाणवियों की नूरा कुश्ती थी. इतनी ऊंची टंकी से टांग खींचने का कहना ही संदेह उत्पन्न करता है. क्योंकि...
इतनी ऊंची टंकी से टांग खींचना असंभव है.
अगर ये मान भी लिया जाये कि टांग खींची गई है तो इतनी ऊंची टंकी से गिरकर हाथ पैर टूटना निश्चित था.और हाथ पैर टूटने का कोई लक्षण दिखाई नही देरहा है. क्योंकि दोनों हरयाणवी बडे मजे से गले मिलकर मुस्करा रहे हैं. और यही हमारे संदेह को सच साबित करता है.
अगर हमारी कहानी मे कुछ गलत विश्लेषण किया गया है तो दोनों हरयाणवी हमारे द्वारा ऊपर जो सवाल उठाये गये हैं उनका जवाब दें. वर्ना हम तो इसे दो हरयाणवियों के बीच की नूरा कुश्ती ही कहेंगे.
अब मैं मिस समीरा टेढी आपको वापस स्टूडियो लिये चलती हूं...आज इतनी धूप मे रिपोर्टिंग करते करते मेरी आंखे भी कितनी बडी बडी होगई?
इतने ब्रेक से अच्छा है टीवी, टंकी सब ब्रेक कर दिया जाए...
ReplyDeleteवो होगी असली-सच्ची ब्रेकिंग न्यूज़...
जय हिंद...
आखिर भंडा फूट ही गया टंकी पर चढ़ने वालों का ...
ReplyDeleteबढ़िया रिपोर्टिंग
आप का कोई जवाब नहीं ताऊ
ReplyDeleteवाह रे ताऊ टी वी ! इतनी देर उलझाये रखा और इस बात का खुलासा तो किया ही नहीं कि " आखिर ललित जी टंकी पर चढ़े ही क्यों थे ? उन्हें टंकी भेजने के लिए विवश करने वाले षड्यंत्र कारी कौन लोग थे ? आदि आदि |
ReplyDeleteसमीरा टेढी तो जबरदस्त भंडाफोडू रिपोर्टर निकलीं. विश्वास सा नहीं होता...
ReplyDeleteजबर्दस्त रिपोर्टिंग है। ताऊ टीवी के खास खबरिया चैनल "टीवी फ़ोडके न्यूज चैनल" का जवाब नहीं।
ReplyDeleteआंखें चौड़ा गई
ReplyDeleteदिल बोले धड़ाम धड़ाम
हिन्दी ब्लॉगरों ने तो
सर्दी में खिला दिए खूब आम।
इंडिया के हिंदी टीवी और इंडिया की हिन्दी ब्लागिंग जिन्दाबाद!
ReplyDeleteमजेदार।
ReplyDeleteमजेदार रिपोर्टिंग
ReplyDeleteआह! स्टोरी भी समझ ही लेंगे हम अलबत्ता प्रोग्राम के बीच के ब्रेक के विज्ञापन सारे याद हो गए. इतने अच्छे ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए धन्यवाद.
ReplyDelete"टीवी फ़ोडके न्यूज चैनल हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा जबर्दस्त रिपोर्टिंग बेहद रोचक हा हा हा हा हा
ReplyDeleteregards
वास्तव में टीवी फोड न्यूज ही थी। इसके साथ टीवी का विज्ञापन भी लगा देना चाहिए था कि जब आप अपना फोड़ लें तब यह नया खरीदें।
ReplyDeleteहा,,,हा,,,हा,,,हा,,हा,,,हा,,,हा,,हा,,,हा,,हा,खबर तो समझ में नहीं आई लेकिन विज्ञापन सारे दिमाग में घुस गए
ReplyDelete-
-
मस्त रिपोर्टिंग
खबरिया चैनल जिन्दाबाद
यार ताऊ !
ReplyDeleteतुम वाकई दूकान खोल लो या फिर न्यूज़ चैनल ...बिंदिया चैनल को पीट कर रख दोगे ...पैसा बरसने लगेगा ! मैं लगभग ३ सालों से सनसनी फ़ैलाने वाली न्यूज़ देखकर अपना समय नष्ट करने से बचा लेता हूँ ! मगर तुमने यह टीवी फोड़ न्यूज़ चालू की और मैं यह जानते हुए भी कि सबसे बड़े चालबाज़ को पढ़ रहा हूँ ,यह पूरी खबर, मय तेरे सड़े गले विज्ञापनों के देखने को मजबूर रहा !
मजबूर हूँ यह कहने के लिए " Most successful showman in blag jagat is PC Rampuriya. congratulation Sir! "
"ताऊ टीवी फ़ोड के न्यूज" द्वारा
ReplyDelete"टंकी अवरोहण का भंडाफोड़" करने का शुक्रिया!
इस टंकी चढ़ाऊ कार्यक्रम को ताऊ टीवी ने प्रायोजित किया था . इसलिये पूरी खबर केवल और केवल इनके पास है .
ReplyDeleteमज़ेदार प्रसंग!
ReplyDeleteब्रेक जोरदार हैं ... रोचकता बनाए रहते हैं ... मज़ा आ गया आपकी खोजी पत्रकारिता का ...
ReplyDeleteअसल में आपके तेल ब्रांड देखकर दोनों यार टंकी उतर पड़े और चीख चीख कर गले लग गए ...वाह ताउ जी
ReplyDeleteअसल में आपके तेल ब्रांड देखकर दोनों यार टंकी से उतर पड़े और चीख चीख कर गले लग गए ...वाह ताउ जी
ReplyDeleteमजेदार रिपोटिंग !!
ReplyDeleteहा-हा-हा, सचमुच बहुत मेहनत की ताउजी आपने !
ReplyDeleteताऊ जी इस भतीजे का कंही कोई जिक्र तक नही?क्या नाराजगी है?
ReplyDeleteताऊ रामराम,
ReplyDeleteरिपोर्ट तो थारी घणियै कामल सै पर क्षेत्रवाद ने बढ़ावा देन आली सै।
मन्नै भी दीखे है कि अगला ट्रांसफ़र एम.पी. का ही लेना पड़ेगा, फ़िर करांगे उड़े हरयाणा उदय।
हो ल्यो तैयार, आऊं सूं अगले साल।
और एक सुझाव पहलां भी दिया था कि ताऊ टी.वी. पर एस.एम.एस. पोल वाली ठगी और शुरू कर लो, स्कोप तगड़ा सै।
राम राम
ऊँ टंकी माई
ReplyDeleteसत की सवाई
करके झूठी लडाई
चला ब्लागर
करने चढाई!!
ऊँ टंकीआए नम:
सवाल यह नहीं कि टंकी पर कैसे चढे कैसे उतरे. सवाल है कि टंकी बनवाने के पीछे राज़ क्या है. पडताल का विषय है कि क्या इस टंकी में पानी भी है या नहीं. सच का खुलासा अभी बाकी है ------
ReplyDeleteवाह ताऊ थारी पोल खोल रपट में मजा आया | प्रचार कुछ ज्यादा ही है |
ReplyDeleteताऊ जी आप तो जानते ही हमारे सिर का हाल सो ...........। एक बार फिर से मजेदार पोस्ट।
ReplyDeleteललित खड़ा टैंक पे, कूदन को तैयार,
ReplyDeleteउधर से ट्रेन आ रही भली करे करतार।
जय श्री राम।
जय हो...
ReplyDeleteटांगों को कुछ हुया तो है तभी तो टांगें दिखाई नहीं पड़ रहीं
ReplyDeleteरिपोर्टिंग तो बिल्कुल न्यूज़ चैनलों जैसी है
असल बात सामने आई ही नहीं
मामला जलेबी जैसा वहीं का वहीं पड़ा रहा
विज्ञापन सामने आने थे सो आ गये
हा हा
खोजी पत्रकारिता ..सनसनी फैलाने में पूरी तरह सफल...
ReplyDeleteब्रेकिंग खबरें जबरदस्त हैं!
बहुत ही यूनीक आइडिया आते हैं ताउ चेनल वालों को भी.
मज़ेदार चित्र..पंडित वत्स जी का टंकी मंत्र बहुत ही बढ़िया लगा.
टी वी फोड़ न्यूज या टंकी फोड़ ?
ReplyDeleteखैर अपनी राम राम ।
वाह बहुत बढ़िया! शानदार और लाजवाब! उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDelete24 april ko Indore ka karyakram mila tha. aapse milne ki chah me haan bhi kar di thi par stagit ho gaya. ab 24 ko Ahmedabaad ja raha hoon. abhi indore cancil kara ahmedabaad ka ticket le kar lauta hoon..
ReplyDeleteLalit ko kahan chada diya..
main nahi samjha...
kai dino se aapka blog pada nahi shayad isliye...
baharhaal
JAI HO
खूब खबर दी है, खूब खबर ली है.
ReplyDelete