प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 68 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है St. Francis Church Cochin.
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
देवताओं के अपने देश कहे जाने वाले 'केरल 'राज्य के बारे में हम आप को पहले की पोस्ट में बता ही चुके हैं.
आज बात करते हैं यहाँ के राज्य कोच्ची के बारे में .केरल तीन भौगोलिक व सांस्कृतिक इकाईयों में बंटा हुआ है, उत्तर में मलाबार, मध्य में कोचीन और दक्षिण में त्रावणकोर. कोचीन इस प्रदेश का सबसे अधिक विविधवर्णी और सब से बड़ा नगर है.
कोचीन में भारतीय नौसेना एक केंद्र है और एक नौसैनिक संग्रहालय भी है.यह ऐतिहासिक नगर बंदरगाह के कारण एक वाणिज्यिक नगरी के रूप में भी मशहूर है.
Cochin Synagogue
कोच्ची शहर के नीचे की तरफ कोचीनफोर्ट है.भारत में यहूदियों की सबसे पुरानी बस्ती इसी कोचीनफोर्ट में है .१५६८ में बना यहूदियों का मंदिर याने सिनेगॉग भी यहीं है.अब यहाँ बहुत ही कम यहूदी परिवार बचे हैं.[२०-३०?]अधिकतर यहाँ से पलायन कर गए हैं.
वेलिंग्टन द्वीप बीच में है.ऊपर की तरफ अर्नाकुलम नगर बाद में बना और विकसित हुआ है.
कोचिंफोर्ट से लगा हुआ है कोचीन के राजा का १७ वीं शताब्दी में बना पुराना महल .इसे डच पेलेस कहते हैं .
इस काष्ठप्रासाद के मूल शिल्पी पुर्तगाली थे लेकिन सौ साल बाद डच कारीगरों ने उसका पुनर्निर्माण किया.
इस महल में रामायण और महाभारत की कथाओं पर आधारित अनेक सुंदर भित्तिचित्र यहां का प्रमुख आकर्षण हैं.
ST. FRANCIS CSI CHURCH Cochin
कोचीन के अन्य मुख्य आकर्षण हैं .
१-सेंट फ्रांसिस चर्च [१५०३]संभवत: दक्षिण भारत का सबसे पुराना चर्च माना जाता है.
२- सांताक्रूज बासिल्का[1505 ईस्वी]यहाँ ईसा मसीह को सूली दिए जाने के प्रसंग के तेरह चित्र प्रदर्शित हैं.पुनर्निर्माण १९०५ में किया गया है.
पुराने शहर कि तंग गालियों से गुजरते हुए आप पुर्तगाली शैली में बने मकान देख सकते हैं.
३-कोचीन से लगभग पैंतालीस किलोमीटर की दूरी पर उत्तरपूर्व में एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है ,वह है--'कालडी' याने आदि शंकराचार्य का जन्मस्थान!कालडी में पेरियार नदी के किनारे एक आधुनिक मंदिर,८ मंजिला शंकराचार्य कीर्ति स्तंभ और एक संस्कृत विश्वविद्यालय भी है.
यही पास में ही कोचीन का नया अंतर्राष्ट्रीय विमानतल भी बना हुआ है.
१९३३ में बना मानव निर्मित द्वीप ' Willingdon island ' है.
इसके अतिरिक्त कोच्ची फोर्ट बीच,वास्को हाउस,बोल्घात्टी पेलेस ,हिल पेलेस ,पल्लिपोर्ट पेलेस ,मंगलावानाम बर्ड अभ्यारण , केरल museum ,नेहरु स्टेडियम आदि.
यहाँ आप नौका विहार का आनन्द लिजीये और इंडिया foundation में हर शाम 'आर्ट केरला' द्वारा आयोजित पारंपरिक कथकली नृत्य भी देखे जा सकते हैं.
कोचीन पहुँच ही गए हैं तो लक्षद्वीप भी जा सकते हैं जो यहाँ तट से २२० -४४० km दूर स्थिति है .
कोचीन जाने के लिए सभी राज्यों से सड़क,वायु,और रेल मार्ग सुविधाएँ हैं.
अब पहेली में पूछे गए स्थान के बारे में जानते हैं -:
सेंट फ्रांसिस चर्च ,कोच्चि (कोचीन)
---------------------------------------
वास्को डी गामा १४९८ में समुद्र के रास्ते यूरोप से [कालीकट]भारत आये थे.उन्हीं का अनुसरण करते हुए दो पुर्तगाली यहाँ पहुंचे और कोचीन के राजा की अनुमति से उन्होंने यहाँ एक काष्ठ का किला बनाया और उसमें एक चर्च भी बनाया. एक पुर्तगाली ने १५०६ में इस लकड़ी के महल और चर्च को पत्थर से पुनर्निर्मित करवाया गया.१५१६ पुनर्निर्माण का कार्य संपन्न हुआ और इसे सेंट अन्थोनी[पुर्तगाली] को समर्पित किया गया.
ST. FRANCIS CSI CHURCH inside.
१६६३ में डच लोगों ने इस स्थान पर कब्ज़ा किया वे protestant ईसाई थे उन्होंने सभी चर्चों को नष्ट करा दिया सिर्फ इस एक को छोड़ दिया और इस का पुनर्निर्माण करा कर इसे सरकारी चर्च बना दिया.१८०४ में यह चर्च अन्ग्लिकान्स के आधीन आ गया उन्होंने इस का नाम बदल कर सेंट फ्रांसिस रख दिया.[ज्ञात हो कि पुर्तगाली रोमन केथोलिक ईसाई थे. ]
सन् १५२४ में वास्को डी गामा तीसरी बार कोचीन आये थे,उस समय उनकी मृत्यु यहीं हो गयी थी.उनका शव का इसी चर्च में अंतिम संस्कार किया गया था.१४ साल बाद उनके शव को पुर्तगाली यहाँ से निकाल कर लिस्बन ले गए थे.उनकी कब्रगाह का पत्थर आज भी यहाँ देखा जा सकता है.
Original Grave Of Vasco da Gama
सन् १९२३ में इस चर्च को पुरातत्व विभाग के अंतर्गत संरक्षित इमारत घोषित किया गया.पर्यटक बुधवार के अलावा सभी दिन यहाँ जा सकते हैं.
अंतर्जाल पर इस चर्च से संबधित यह सारी जानकारी हिंदी में पहली बार लिखी गयी है.
अगली पहेली हम उत्तर भारत से पूछेंगे.अगली पहेली के लिए इस तरह क्लू देना जानबूझकर नियमित नहीं रखा गया है.
अभी के लिये इतना ही. अगले शनिवार एक नई पहेली मे आपसे फ़िर मुलाकात होगी.
अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.
श्री अशोक पांडे
श्री रतनसिंह शेखावत
श्री सुशील कुमार छौंक्कर
श्री अनिल पूसदकर
श्री अविनाश वाचस्पति
श्री Shastri JC Philip
श्री आशीष खंडेलवाल
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
श्री संजय भास्कर
श्री रामकृष्ण गौतम
सुश्री वंदना
डा. मनोज मिश्र
श्री भारतीय नागरिक - Indian Citizen
आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
आप सभी को मेरा नमस्कार,
पहेली में पूछे गये स्थान के विषय में संक्षिप्त और सारगर्भीत जानकारी देने का यह एक लघु प्रयास है.
आशा है, आप को यह प्रयास पसन्द आ रहा होगा,अपने सुझाव और राय से हमें अवगत अवश्य कराएँ.
देवताओं के अपने देश कहे जाने वाले 'केरल 'राज्य के बारे में हम आप को पहले की पोस्ट में बता ही चुके हैं.
आज बात करते हैं यहाँ के राज्य कोच्ची के बारे में .केरल तीन भौगोलिक व सांस्कृतिक इकाईयों में बंटा हुआ है, उत्तर में मलाबार, मध्य में कोचीन और दक्षिण में त्रावणकोर. कोचीन इस प्रदेश का सबसे अधिक विविधवर्णी और सब से बड़ा नगर है.
कोचीन में भारतीय नौसेना एक केंद्र है और एक नौसैनिक संग्रहालय भी है.यह ऐतिहासिक नगर बंदरगाह के कारण एक वाणिज्यिक नगरी के रूप में भी मशहूर है.
कोच्ची शहर के नीचे की तरफ कोचीनफोर्ट है.भारत में यहूदियों की सबसे पुरानी बस्ती इसी कोचीनफोर्ट में है .१५६८ में बना यहूदियों का मंदिर याने सिनेगॉग भी यहीं है.अब यहाँ बहुत ही कम यहूदी परिवार बचे हैं.[२०-३०?]अधिकतर यहाँ से पलायन कर गए हैं.
वेलिंग्टन द्वीप बीच में है.ऊपर की तरफ अर्नाकुलम नगर बाद में बना और विकसित हुआ है.
कोचिंफोर्ट से लगा हुआ है कोचीन के राजा का १७ वीं शताब्दी में बना पुराना महल .इसे डच पेलेस कहते हैं .
इस काष्ठप्रासाद के मूल शिल्पी पुर्तगाली थे लेकिन सौ साल बाद डच कारीगरों ने उसका पुनर्निर्माण किया.
इस महल में रामायण और महाभारत की कथाओं पर आधारित अनेक सुंदर भित्तिचित्र यहां का प्रमुख आकर्षण हैं.
कोचीन के अन्य मुख्य आकर्षण हैं .
१-सेंट फ्रांसिस चर्च [१५०३]संभवत: दक्षिण भारत का सबसे पुराना चर्च माना जाता है.
२- सांताक्रूज बासिल्का[1505 ईस्वी]यहाँ ईसा मसीह को सूली दिए जाने के प्रसंग के तेरह चित्र प्रदर्शित हैं.पुनर्निर्माण १९०५ में किया गया है.
पुराने शहर कि तंग गालियों से गुजरते हुए आप पुर्तगाली शैली में बने मकान देख सकते हैं.
३-कोचीन से लगभग पैंतालीस किलोमीटर की दूरी पर उत्तरपूर्व में एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है ,वह है--'कालडी' याने आदि शंकराचार्य का जन्मस्थान!कालडी में पेरियार नदी के किनारे एक आधुनिक मंदिर,८ मंजिला शंकराचार्य कीर्ति स्तंभ और एक संस्कृत विश्वविद्यालय भी है.
यही पास में ही कोचीन का नया अंतर्राष्ट्रीय विमानतल भी बना हुआ है.
१९३३ में बना मानव निर्मित द्वीप ' Willingdon island ' है.
इसके अतिरिक्त कोच्ची फोर्ट बीच,वास्को हाउस,बोल्घात्टी पेलेस ,हिल पेलेस ,पल्लिपोर्ट पेलेस ,मंगलावानाम बर्ड अभ्यारण , केरल museum ,नेहरु स्टेडियम आदि.
यहाँ आप नौका विहार का आनन्द लिजीये और इंडिया foundation में हर शाम 'आर्ट केरला' द्वारा आयोजित पारंपरिक कथकली नृत्य भी देखे जा सकते हैं.
कोचीन पहुँच ही गए हैं तो लक्षद्वीप भी जा सकते हैं जो यहाँ तट से २२० -४४० km दूर स्थिति है .
कोचीन जाने के लिए सभी राज्यों से सड़क,वायु,और रेल मार्ग सुविधाएँ हैं.
अब पहेली में पूछे गए स्थान के बारे में जानते हैं -:
सेंट फ्रांसिस चर्च ,कोच्चि (कोचीन)
---------------------------------------
वास्को डी गामा १४९८ में समुद्र के रास्ते यूरोप से [कालीकट]भारत आये थे.उन्हीं का अनुसरण करते हुए दो पुर्तगाली यहाँ पहुंचे और कोचीन के राजा की अनुमति से उन्होंने यहाँ एक काष्ठ का किला बनाया और उसमें एक चर्च भी बनाया. एक पुर्तगाली ने १५०६ में इस लकड़ी के महल और चर्च को पत्थर से पुनर्निर्मित करवाया गया.१५१६ पुनर्निर्माण का कार्य संपन्न हुआ और इसे सेंट अन्थोनी[पुर्तगाली] को समर्पित किया गया.
१६६३ में डच लोगों ने इस स्थान पर कब्ज़ा किया वे protestant ईसाई थे उन्होंने सभी चर्चों को नष्ट करा दिया सिर्फ इस एक को छोड़ दिया और इस का पुनर्निर्माण करा कर इसे सरकारी चर्च बना दिया.१८०४ में यह चर्च अन्ग्लिकान्स के आधीन आ गया उन्होंने इस का नाम बदल कर सेंट फ्रांसिस रख दिया.[ज्ञात हो कि पुर्तगाली रोमन केथोलिक ईसाई थे. ]
सन् १५२४ में वास्को डी गामा तीसरी बार कोचीन आये थे,उस समय उनकी मृत्यु यहीं हो गयी थी.उनका शव का इसी चर्च में अंतिम संस्कार किया गया था.१४ साल बाद उनके शव को पुर्तगाली यहाँ से निकाल कर लिस्बन ले गए थे.उनकी कब्रगाह का पत्थर आज भी यहाँ देखा जा सकता है.
सन् १९२३ में इस चर्च को पुरातत्व विभाग के अंतर्गत संरक्षित इमारत घोषित किया गया.पर्यटक बुधवार के अलावा सभी दिन यहाँ जा सकते हैं.
अंतर्जाल पर इस चर्च से संबधित यह सारी जानकारी हिंदी में पहली बार लिखी गयी है.
अगली पहेली हम उत्तर भारत से पूछेंगे.अगली पहेली के लिए इस तरह क्लू देना जानबूझकर नियमित नहीं रखा गया है.
अभी के लिये इतना ही. अगले शनिवार एक नई पहेली मे आपसे फ़िर मुलाकात होगी.
आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" की नमस्ते!
प्यारे बहनों और भाईयो, मैं आचार्य हीरामन “अंकशाश्त्री” ताऊ पहेली के रिजल्ट के साथ आपकी सेवा मे हाजिर हूं. उत्तर जिस क्रम मे मुझे प्राप्त हुये हैं उसी क्रम मे मैं आपको जवाब दे रहा हूं. एवम तदनुसार ही नम्बर दिये गये हैं.
श्री उडनतश्तरी अंक 101 | |
सुश्री रेखा प्रहलाद अंक 100 | |
श्री हिमांशु । Himanshu अंक 99 | |
श्री रविकांत पांडे अंक 98 | |
श्री दिनेशराय द्विवेदी अंक 97 | |
श्री प्रकाश गोविंद अंक 96 | |
सुश्री बबली अंक 95 | |
श्री संजय बेंगाणी अंक 94 | |
| |
श्री अंतरसोहिल अंक 92 | |
श्री पी.सी.गोदियाल, अंक 91 | |
श्री रंजन अंक 90 | |
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श्री सैयद | Syed अंक 88 | |
सुश्री M A Sharma “सेहर” अंक 87 | |
सुश्री सीमा गुप्ता अंक 86 | |
श्री के के यादव अंक 85 | |
श्री विवेक रस्तोगी अंक 84 | |
श्री राज भाटिया अंक 83 | |
सुश्री आकांक्षा अंक 82 | |
श्री रजनीश परिहार अंक 81 | |
प. श्री. डी. के. शर्मा “वत्स” अंक 80 | |
|
अब आईये आपको उन लोगों से मिलवाता हूं जिन्होने इस पहेली अंक मे भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का बहुत बहुत आभार.
श्री अशोक पांडे
श्री रतनसिंह शेखावत
श्री सुशील कुमार छौंक्कर
श्री अनिल पूसदकर
श्री अविनाश वाचस्पति
श्री Shastri JC Philip
श्री आशीष खंडेलवाल
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
श्री संजय भास्कर
श्री रामकृष्ण गौतम
सुश्री वंदना
डा. मनोज मिश्र
श्री भारतीय नागरिक - Indian Citizen
अब अगली पहेली का जवाब लेकर अगले सोमवार फ़िर आपकी सेवा मे हाजिर होऊंगा तब तक के लिये आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" को इजाजत दिजिये. नमस्कार!
आयोजकों की तरफ़ से सभी प्रतिभागियों का इस प्रतियोगिता मे उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. !
ताऊ पहेली के इस अंक का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.
विजेताओं को बधाई। अल्पना जी द्वारा दी गयी जानकारी पहेली की रोचकता में चार-चांद लगा देती है।
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बधाई!
ReplyDelete(बहुत दिनों से खुद को बधाई नहीं दी थी) ये समीर जी खूब जीतते हैं, कहीं ये ही तो ताऊ नहीं हैं?
विजेताओं को हार्दिक बधाई और आयोजको का हार्दिक धन्यवाद इतनी बढ़िया जानकारी उपलब्ध कराने के लिए
ReplyDeleteउड़तश्तरी वाले समीर भइया को बधाई!
ReplyDeleteकल की अमर भारती पहेली-27 पर न तो ताऊ ही पधारे और न ही उड़नतश्तरी की ही हाजिरी दर्ज हुई!
अभी तो कल शाम 5 बजे तक का समय उत्तर देने के लिए शेष है-
http://bhartimayank.blogspot.com/2010/04/27.html
समीर जी सहित अन्य सभी को बधाई.
ReplyDeleteदेक्खा! हमने तो पहले ही कहा था. सभी विजेताओं को बधाई!
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बधाई
ReplyDeleteregards
सभी को बधाई.
ReplyDelete***
देखो ताऊ, विजेता तो विजेता होते है, फस्ट-सेकेंड-थर्ड जैसा कुछ नहीं होता. यह सब सांसारिक बाते है. इनका कोई महत्त्व नहीं है. :) :)
द्विवेदी जी की बात में दम है . पेहले ही आपत्ति लगाई जा चुकी है . दो संगीन इल्जाम हैं 1. पेपर लीक हो रहा है और 2.मेरिट लिस्ट में हेरा फेरी
ReplyDelete@ शास्त्री जी आपसे अभी सेटिंग नहीं हुई है इसलिये नहीं पहुँचे
vijetaon ko hardik badhayi.
ReplyDeleteबधाई समीर भाई को ...
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बधाई!
ReplyDeleteअरे हम ने तो जबाब भी सही नही दिया.... वेसे मुझे विजेता भी नही बनाना जी आज के बाद हमेशा गलत जबाब ही दुंगा.
ReplyDeleteसभी विजेताको बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बधाई जी
सभी विजेताओं को बहुत बधाई.
ReplyDelete[इस पहेली 68 ko suljhaane के लिए गूगल में सिर्फ ye शब्द-:[Oldest,church,india] इंग्लिश में लिख कर डाले जाते तो जवाब सामने आ जाता .[This is the oldest European church in India]
और गूगल इमेज में सर्च करने से नतीजा जल्दी मिलता है.]
Abhaar.
राज भाटियाजी
ReplyDeleteइन्हे आपके जैसे मुर्गों का ही इंतजार है
काम का काम दाम का दाम
सभी विजेताओं को बधाई...
ReplyDeleteसांसारिक बातों का मोह त्यागते हुए भाई श्री संजय बैगाणी जी को हद से ज्यादा बधाई. :)
आज द्विवेदी जी ने एक बहुत पुराना प्रश्न पुनः जिंदा कर दिया: ताऊ कौन?
सभी विजेताओं को बधाई !
ReplyDelete