परसों ही सर्द सुबह मे बिस्तर में बैठे बैठे चाय पी रहा था. अचानक एक मक्षिका सुंदरी प्रकट होगई और हमारे कप के किनारे विराजमान होगई. आश्चर्य सर्दी की सुबह इनका क्या काम?
हमने उससे पूछा : हे सुंदरी आपका इस सर्द सुबह मे यहां आने का क्या प्रयोजन है?
मक्षिका सुंदरी बोली : ताऊ, मुझे आत्महत्या करनी है.
हमने घबराते हुये निवेदन किया : हे देवी, तू मुझे माफ़ कर, तेरे हाथ पैर जोडूं..क्युं सर्दी मे पुलिस थाने के चक्कर कटवाने का इंतजाम कर रही है?
वो बोली : ताऊ, सुना है सर्दी की सुबह ताऊ की चाय के कप मे डूबकर आत्महत्या करने से स्वर्ग नसीब होता है. सो आज बहुत दिन बाद तुमको चाय पीते हुये पकडा है, यह सुनहरी मौका मैं हाथ से गंवाना नही चाहती. और हम कुछ बोल पाते उसके पहले ही उस मक्खी सुंदरी ने चाय के गर्म कप मे छलांग मार दी और मर गई.
हमको घोर ग्लानि हुई और हमने वो मक्खी गिरी चाय का प्याला एक तरफ़ खिसका दिया और यह प्रण लेने की ठानी कि अब से हम चाय ही नही पियेंगे. यानि हमारे सबसे प्रिय शौक का त्याग कर देंगे. ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी.
इतनी ही देर मे श्री श्री १००८ बाबा समीरानन्द जी का आगमन हुआ. हमको उदास निराश और गमगीन बैठे देख कर बोले : बच्चा क्या बात है?
हमने बताया कि हमारी चाय मे गिरकर मक्षिका सुंदरी परलोकगमन कर गई हैं. इसलिये हमने चाय का हमेशा के लिये परित्याग कर दिया है.
इस पर बाबाजी बोले - बालक, चाय छोडने की मुर्खता मत करो. अब तुम चाय के लतियल हो चुके हो?
हमने कहा : महाराज, जिस चाय से किसी की जान जाती हो...किसी का दिल दुखता हो..हम ऐसी चाय, वो भी सिर्फ अपने मौज मजे के लिए, बिल्कुल नही पियेंगे..आज से ही चाय का परित्याग कर रहे हैं हम..
बाबा समीरानंदजी बोले : बालक, मोह ग्रस्त मत हो. जिसको मरना है वो मरेगा ही..तेरी चाय मे गिरकर मरेगा ..नही तो मेरी चाय मे गिरकर मरेगा...या फ़िर किसी और की चाय मे गिरकर मरेगा...पर मरेगा जरुर...मरने वाले को कौन रोक पाया है आज तक? तो ऐसे मे तुम्हारा चाय का परित्याग करना नितांत हास्यापद है. इसमे कसूर तुम्हारे चाय पीने का नही है बल्कि जबरन आकर आत्महत्या करने वाले का है. अत: अब उठ और चाय पीना शुरु कर.
बस हमने चाय का दूसरा गर्मागर्म कप तैयार किया और यह पोस्ट लिखने बैठ गये.
हमने उससे पूछा : हे सुंदरी आपका इस सर्द सुबह मे यहां आने का क्या प्रयोजन है?
मक्षिका सुंदरी बोली : ताऊ, मुझे आत्महत्या करनी है.
हमने घबराते हुये निवेदन किया : हे देवी, तू मुझे माफ़ कर, तेरे हाथ पैर जोडूं..क्युं सर्दी मे पुलिस थाने के चक्कर कटवाने का इंतजाम कर रही है?
वो बोली : ताऊ, सुना है सर्दी की सुबह ताऊ की चाय के कप मे डूबकर आत्महत्या करने से स्वर्ग नसीब होता है. सो आज बहुत दिन बाद तुमको चाय पीते हुये पकडा है, यह सुनहरी मौका मैं हाथ से गंवाना नही चाहती. और हम कुछ बोल पाते उसके पहले ही उस मक्खी सुंदरी ने चाय के गर्म कप मे छलांग मार दी और मर गई.
हमको घोर ग्लानि हुई और हमने वो मक्खी गिरी चाय का प्याला एक तरफ़ खिसका दिया और यह प्रण लेने की ठानी कि अब से हम चाय ही नही पियेंगे. यानि हमारे सबसे प्रिय शौक का त्याग कर देंगे. ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी.
इतनी ही देर मे श्री श्री १००८ बाबा समीरानन्द जी का आगमन हुआ. हमको उदास निराश और गमगीन बैठे देख कर बोले : बच्चा क्या बात है?
हमने बताया कि हमारी चाय मे गिरकर मक्षिका सुंदरी परलोकगमन कर गई हैं. इसलिये हमने चाय का हमेशा के लिये परित्याग कर दिया है.
इस पर बाबाजी बोले - बालक, चाय छोडने की मुर्खता मत करो. अब तुम चाय के लतियल हो चुके हो?
हमने कहा : महाराज, जिस चाय से किसी की जान जाती हो...किसी का दिल दुखता हो..हम ऐसी चाय, वो भी सिर्फ अपने मौज मजे के लिए, बिल्कुल नही पियेंगे..आज से ही चाय का परित्याग कर रहे हैं हम..
बाबा समीरानंदजी बोले : बालक, मोह ग्रस्त मत हो. जिसको मरना है वो मरेगा ही..तेरी चाय मे गिरकर मरेगा ..नही तो मेरी चाय मे गिरकर मरेगा...या फ़िर किसी और की चाय मे गिरकर मरेगा...पर मरेगा जरुर...मरने वाले को कौन रोक पाया है आज तक? तो ऐसे मे तुम्हारा चाय का परित्याग करना नितांत हास्यापद है. इसमे कसूर तुम्हारे चाय पीने का नही है बल्कि जबरन आकर आत्महत्या करने वाले का है. अत: अब उठ और चाय पीना शुरु कर.
बस हमने चाय का दूसरा गर्मागर्म कप तैयार किया और यह पोस्ट लिखने बैठ गये.
समझाईश के बाद भी मख्खी, अरे नहीं मक्षिका सुंदरी पर दया आ ही गई...
ReplyDeleteईश्वर उसकी आत्मा को शांति प्रदान करे एवं उसके मित्रों को इस असीम कष्ट झेलने की क्षमता प्रदान करे.
दूसरा कप.. एक पूरा कप मक्षिका के लिये.. इस महगांई में.. ताऊ या तो तुम्हे डाइबिडिज है या तुम बहुत रईस हो.. नहीं तो इस महगांई में जब शक्कर ४५ रु किलो है.. तुम दूसरी चाय का कैसे सोच सकते है..:)
ReplyDeleteराम राम..
बाबा समीरानंद जी ने सत्य वचन कहे ताऊ श्री ! जिस मक्खी ने मरना है वह किसी की भी चाय में गिर कर मर सकती है उसमे चाय पीने वाले का क्या दोष ?
ReplyDeleteआप चाय पीना कभी ना छोड़े बल्कि मै तो कहूँगा ज्यादा गरमा गर्म चाय पिए | मक्खियों के मरने की चिंता ना करें | कुछ मक्खियाँ आत्महत्या पर उतारू है वे आत्म हत्या करके ही मानेंगी | उन्हें आपके चाय के प्याले में आत्महत्या करने के सोभाग्य से वंचित ना करें | शायद अन्य जगह पर आत्म हत्या करने पर उनकी आत्मा को शांति ना मिले |
मोह ग्रस्त मत हो.nice
ReplyDeleteवाह...!
ReplyDeleteये हादसा तो कल हमारी चाय के समुद्ररूपी प्याले में भी ङो गया था!
बहुत अच्छा संस्मरण। प्रेरक। बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteताऊ की चाय न हो गई, शमा हो गई...मक्खियां परवाना बन बन कर खुदकुशी करने आ रही हैं...इसे कहते है ताऊ का रिवर्स गियर...
ReplyDeleteजय हिंद...
अरे! भले मानुषों, चाय तो बना कर पी लेना। पहले सुंदरी को भावभीनी श्रद्धांजली तो दे लेते।
ReplyDeleteभगवान् बेचारी मक्खी की आत्मा को शांति दे.........ताऊ जी ध्यान रखियेगा कहीं आप कागर्म गर्म चाय का प्याला "sucide point" न बन जाये हा हा हा हा
ReplyDeleteregards
आपके कप में मक्खी का आ गिरना महज एक दुर्घटना थी या सुनियोजित चाल.. पता है आजकल मक्खियों के भी आत्मघाती आतंकी दस्ते घूम रहे हैं :)
ReplyDeleteचाय को बचाकर रखिए
हैपी ब्लॉगिंग
शुक्र है बाबा समीरानन्द जी का आगमन हो गया और उन्होंने आपको गीता ज्ञान दे दिया। वरना आप तो चाय पीना छोड कर पता नही कितनी मक्षिका सुन्दरियों के स्वर्ग जाने का चांस खत्म कर देते।
ReplyDeleteप्रणाम स्वीकार करें
हा.. हा.. हा..
ReplyDeleteयार ताऊ एक गुजारिश है, जल्दी से कॉफ़ी पीनी भी शुरू कर दो...वो क्या है ना की मेरा मन करता है की मैं कॉफ़ी के कप में डूब कर आत्महत्या करूँ...
मीत
ताऊ ये कौन से ब्रांड की चाय पीते हो? हमारी चाय मे एक भी सुंदरी नही टपकती? खैर दिवंगत आत्मा को ईश्वर शांति प्रदान करे।
ReplyDeleteताऊ ये कौन से ब्रांड की चाय पीते हो? हमारी चाय मे एक भी सुंदरी नही टपकती? खैर दिवंगत आत्मा को ईश्वर शांति प्रदान करे।
ReplyDeletetau ji ki chai mein doobkar jisne aatmhatya ki ho uski to mukti yakinan hai aur aatma ko to shanti milegi hi.........vaise suicide point badhiya hai ........bakiyon ko achcha rasta mil gaya hai.
ReplyDeleteबहुत ही शानदार लगा आपका ये पोस्ट ! ताऊ जी अब से आप ध्यान से चाय पीजिएगा! बेचारी मख्खी का इस तरह से मरना दुःख की बात है और तो और आपका गरमागरम चाय पीने का मूड तो बिल्कुल ख़राब हो गया!
ReplyDeleteहे देवी, तू मुझे माफ़ कर, तेरे हाथ पैर जोडूं..क्युं सर्दी मे पुलिस थाने के चक्कर कटवाने का इंतजाम कर रही है?
ReplyDeleteताऊ तुम्हारे दिमाग में ये सब आईडिये आते कहां से हैं? लगता है दिमाग कहीं से इम्पोर्ट किया हुआ दिमाग है ताऊ का?:)
बहुत बढिया ताऊजी, जरा घर में डीडीटी का छिडकाव करवा कर रखिये, मक्खियों से बीमारियां भी बहुत फ़ैलती है.
ReplyDeleteye to bahut majedar laghukatha sunai taauji. aap chay pina chalu rakhiye. aur hame bhi pilate rahiye
ReplyDelete’मक्षिका सुंदरी’ इतना सुन्दर नाम इस जीव का है और हम उसे अब तक मक्खी कह्ते रहे हैं.
ReplyDelete- दिवन्गत मशिका के साथ पूरी सहानूभूति है.
इसका तो कितना सुन्दर चित्र भी है!
यह पोस्ट एक चेतावनी भी है और सन्देश भी दे रही है...चाहे कैसी मुश्किलें आयें..कोई भी रोके..’’चाय” पीना कभी नहीं छॊड्ना...
[मक्षिका सुंदरी -ईश्वर तुम्हारी आत्मा को शांति प्रदान करे एवं तुम्हारे मित्रों को इस असीम कष्ट झेलने की क्षमता प्रदान करे!]
अरै ताऊ यू के होया..?
ReplyDeleteईब तेरे पै मक्खियां भिनभिनान लाग गी...
या चा पीनी छोड़ कै पं दिनेश जी तै जगाधरी नं वन मंगवा ले या भाटिया जी तै जरमनी नं वन..
नहीं तो न्यूए मक्खियां भिनभिनावेंगी...
मजा आगया यह मक्षिका सुंदरी का आत्महत्या कांड पढकर। बहुत रोचक रही यह पोस्ट।
ReplyDeleteताऊ राम राम ....... अब तो आपने पोस्ट भी लिख दी है ......... मक्खियों की क्यों बहुत से लोगों का ताँता लगने वाला है आपके प्याले के इर्द गिर्द ...... मंदी की मार है पता नही कौन कौन आ जाए आत्महत्या करने ...........
ReplyDeleteताऊ आंनद महाराज,अलख निरंजन,
ReplyDeleteकाम धेनु घट जीव है दिन दिन दुरबल होई
गोरु ज्ञान न उपजै, मथ नही पीया कोई
अलख निरंजन
मक्खीचूस तो सुना था पर ये मक्षिकाचूस . वैसे मक्खीचूस की कहानी तो आपने पढ़ी होगी
ReplyDeleteताऊ जी,
ReplyDeleteअसल में ऐसा है कि पहले वो सुन्दरी मेरे प्याले में आई थी मरने के लिए, लेकिन जब मैंने उसे समझाया तब वो आपके प्याले में गयी. मैंने ही समझाया था कि किसी ताऊ के प्याले में डूबने से मोक्ष मिलता है.
अब आपके लिए भी एक सावधानी की बात बता रहा हूँ. चाय को ढक कर पीना.
भाइयों और बहनों(?)
ReplyDeleteयही राय निकल कर आ रही है
ताऊ की चाय में गिरो
और मोक्ष प्राप्त करो
ताऊ, हमनै तो इसी करकै चाय पीणी छोड राक्खी है....कोण ससुरा इन माक्खियाँ की ह्त्या का पाप अपने सिर ले़ :)
ReplyDeleteTauji is chai mai to makhiya humesha se hi girti hai...coffee achhi cheej hai usmai suicide karna ye makhiya bilkul pasand nahi karti...kal se hi coffee shuru kar dijiye...kharcha aur mehnat dono bach jayenge...
ReplyDeleteसत्य वचन महाराज! गीत याद आ गया:
ReplyDeleteएक गरम चाय की प्याली हो
कोई उसको पिलाने वाली हो
गोरी हो या काली हो
एक गरम चाय की प्याली हो
सही कहा ...ताउजी , गर मक्षिका सुंदरी को चाय में गिर कर ही मरना है तो किसी की भी चाय में गिरेगी ....आप चाय पीना कैसे छोड़ सकते हैं ...सोचना भी नहीं ....!!
ReplyDeleteइस सर्दी में इस अमृत के बिना कैसे काम चलेगा? अब कोई मरता है तो मरे ! अब उसे भी तो स्वर्ग तो मिल ही रहा है न.
ReplyDeleteबाबा समीरानंद जी के प्रवचन से मेरी जिज्ञासा बढ गयी है .. बालक, मोह ग्रस्त मत हो. जिसको मरना है वो मरेगा ही..तेरी चाय मे गिरकर मरेगा ..नही तो मेरी चाय मे गिरकर मरेगा...या फ़िर किसी और की चाय मे गिरकर मरेगा...पर मरेगा जरुर...मरने वाले को कौन रोक पाया है आज तक? तो ऐसे मे तुम्हारा चाय का परित्याग करना नितांत हास्यापद है. इसमे कसूर तुम्हारे चाय पीने का नही है बल्कि जबरन आकर आत्महत्या करने वाले का है.
ReplyDeleteजबरन आकर आत्महत्या करने वाले का भी कसूर क्या .. जब उसे मरना ही था .. आशा रखती हूं बाबा समीरानंद जी इस प्रश्न का जबाब देंगे !!