हमने एक कहानी शुरु की थी सांड तो लड अलग भये : बछडे भये उदास शीर्षक से. जो क्रमश: पर जो छूटी तो आज तक छूटी हुई है. असल में ये रिपोर्टिंग का रोग ही कुछ ऐसा है कि आदमी को कहीं का नही छोडता यानि रामदयाल का गधा बनवा देता है. हमारी इस रिपोर्टिंग का नतीजा ये निकला कि कुछ अपने आपको अंग्रेज टाईप समझने वाले लोग तो ब्लडी..और हेल..तक उतर आये और कुछ ने हमारे पीछे खुल्ले सांड दौडा दिये...सुर्पणखां दौडा दी... हम ठहरे मुर्ख ..सो भैया..हाथ जौडे इस रिपोर्टिंग के धंधे से...कम कमायेंगे कम खा लेंगे..पर ऐसी सर्दी को इसमे उलझ कर क्यों खराब करे?
अभी पिछले दिनो संजय बेंगाणी जी का फ़ोन आया था कि ताऊ बीकानेर चलना है ...वहां शादी भी अटेंड करनी है और एक ब्लागर सम्मेलन का एजेंडा है उसकी रिपोर्टिंग भी करनी है..हमने उनसे माफ़ी मांग ली कि.. दिल्ली ब्लागर सम्मेलन के बाद ताऊ ने रिपोर्टिंग से तौबा करली.. हम पहले ही घोषणा कर चुके हैं..
इसलिये हम बीकानेर नही गये. बेंगाणी जी ने कहा भी कि ताऊ शादी मे तो चलो..आप रिपोर्टिंग भले मत करना तो हमने कहा की आपकी बात सही है पर हम अपने आपको आपसे ज्यादा अच्छी तरह से जानते हैं...
बेंगाणी जी बोले - बात कुछ समझ नही आई?
हमने कहा कि - इसमे समझने जैसी कोई बात ही नही है. जैसे गीदड जब दूसरे गीदडों को हूआं..हूआं..हूआं..हूआं.. करते सुनता है तो उसकी भी इच्छा हो ही जाती है हुआं..हुआं... करने की, तो यह संभव ही नही है कि ब्लागर सम्मेलन हो और ताऊ उसमे जाये और रिपोर्टिंग नही करे? ऐसा हो सकता है क्या?
और जब हम रिपोर्टिंग करेंगे...फ़िर कोई ब्लडी.. हेल...कहेगा...फ़िर कोई खुल्ला या बंधा सांड..और सुर्पणखां ताऊ के पीछे दौडायेगा...
तो भैया हमने तो रिपोर्टिंग से तौबा करली है. और अविनाश वाचस्पति जी..ताऊ तो आपके मुंबई ब्लागर मिटिंग को कवर करने भी मुंबई नही आयेगा..आप अपना इंतजाम खुद ही कर लेना....
हां तो हमने अपनी कहानी छोडी थी कि ताऊ से चिलम पीने के बहाने शेर ने ताऊ को अपनी मीठी मीठी बातों मे उलझा लिया. और ताऊ ठहरा बावली बूच...आगया शेर की बातों में..और खोल दिया शेर के पिंजरे का मूंह...और जैसे ही पिंजरे का मूंह खुला .. वो बेईमान शेर कूद कर बाहर आगया और बाहर आते ही ताऊ की गर्दन पर झपट पडा.
ताऊ हक्का बक्का रह गया..और बोला - यार शेर ये क्या बदतमीजी है? मैने तुझको बाहर निकाला और तू मेरी गर्दन पकड कर मुझे ही खाना चाहता है?
शेर बोला - अरे ताऊ तू बावली बूच है मुर्ख...अरे मुर्ख..मैं दस दिन से भूखा प्यासा इस पिंजरे मे पडा हूं..और मेरे अंदर अब तो इतनी ताकत भी नही बची है कि जाकर कहीं शिकार कर सकूं? इसलिये अब मैं तुझे ही खाऊंगा...
ताऊ बोला - तूने मुझे इनाम के लालच मे फ़ंसा लिया और अब इनाम देने की बजाये मुझे खाना चाहता है? यह अन्याय है यह नीति विरुद्ध है. ऐसा करके तुम अच्छा नही कर रहे हो? आगे से कोई किसी की मदद नही करेगा.
शेर बोला - अरे ओ बावलीबूच ताऊ...नीती यही है जो मैं कर रहा हूं..अब तू निपट गंवार आदमी जंगल के राजा को नीती पाठ पढायेगा क्या? अरे अगर मैं गलत कर रहा हूं तो करवाले न्याय तेरे ब्लाग पंचों से ही....
ताऊ ने जैसे ही ब्लाग पंचों से न्याय करवाने की बात शेर के मूंह से सुनी तो...कुछ आशा बंधी की..अब जान बच सकती है. ब्लाग जगत के मठाधीष पंच न्याय की बात करके ताऊ की जान बचा ही लेंगे....(क्रमश:)
गलत बात.. इत्ते दिनों बाद कहानी शुरु की फिर बीच में छोड़ दी.. :( आगे क्या हुआ?
ReplyDeleteचलो आयोग बैठ गया, जान छूटी लाखों पाए। ईनाम तो मिल ही गया।
ReplyDeleteआगे की कहानी का इंतजार है। ताऊ जी राम-राम
ReplyDeleteगलत दरवाजे ले आये ताऊ अपना केस आप...यहाँ तो मठाधीष आपको पिंजर में डाल दें शेर के साथ..छुड़वाने की बात तो छोड़ो. :)
ReplyDeleteबैंगाणी जी के साथ शादी में तो दावत उड़ाने जा ही सकते थे.
वाह फैसला आने तक तो बेचारा शेर निपट जायेगा
ReplyDelete"बुद्धिर्यस्य बलम् तस्य"
ReplyDeleteताऊ तो बुद्धि का प्रयोग करके निकल ही जायेगा
और शेर को फिर से पिंजड़ें में बन्द कर देगा!
क्या करेंगे पंच और क्या करेंगे ज्ञानी!
अब नही चलेगी राजाओं की मनमानी!
आपने मामूली ब्लॉगर समझा है क्या?
ताऊ के सामने बड़े-बड़े भरते हैं पानी!!
वो शेर जानता है कि ब्लॉग पञ्च कैसा न्याय करेंगे ! ताऊ शेर से बचने के लिए ताउगिरी ही काम आएगी , ब्लॉग पंचो के भरोसे मत रहना |
ReplyDeleteहम तो आगे की कहानी का इंतजार कर रहे है आखिर ताउगिरी तो अगली कड़ी में ही देखने को मिलेगी |
अरे ताऊ बच गया क्या.... अगर बच गया हो तो जल्दी से अपनी राजी खुशी का तार देना, वरना राम राम, वेसे जब ताऊ ताई से नही डरा तो यह शेर क्या चीज है
ReplyDeleteवाह ताऊ, आज तो फ़ंस गये चक्कर में. देखते हैं आगे क्या होता है?
ReplyDeleteअरे ताऊ जी, मुझे लगता है आप गलत जगह फ़ंस गये. ये शेर आपको छोदने वाला नही है.:)
ReplyDeleteताऊ इतनी आसानी से तो दांव देने वाला नही है.:)
ReplyDeleteअरे ताऊ जी, मुझे लगता है आप गलत गह फ़ंस गये. ये शेर आपको छोडने वाला नही है.:)
ReplyDeleteभूल सुधार
ReplyDeleteगह = जगह....पढा जाये!
ताऊ चाहे पंच/पंचायत कुछ भी कहे लेकिन जिन्दगी में यही उसूल काम आएगा कि " पंचों का कहा सर माथे लेकिन पतनाला तो यहीं से बहेगा" :)
ReplyDeleteआप सादर आमंत्रित हैं पांचवा खम्बा में . अगर आप अपना ईमेल पता भेज दें तो आमंत्रण पत्र भेजा जा सकेगा .
ReplyDeleteडॉ महेश सिन्हा
sinhamahesh@gmail.com
ताऊ जब ब्लॉग पञ्च नैं निबताएं तो मोहे बतानें
ReplyDeleteइते से एक ब्रिगेडियर भेज दें हैं...! कोऊ और परसानी
हो सुई बतइयो भैया जहां तुमाओ खून बहे हम पसीना
ज़रूर ................?
दिल छोटो नैं करो एक्कदम ताज़गी भर दीन्हें ताऊ अजमान कहें तो देखो भैया
ब्लाग पंच
ReplyDeleteहा हा हा
शायद स्वनियुक्त लिखना छूट गया है...
बेगानी जी तो आये थे,और ब्लॉग पर काफी सार्थक चर्चा भी की...पर आप को भी आना चाहिए था..हम भी मिल लेते आपसे...
ReplyDeleteइब आगे आगे देखो के होता है .........
ReplyDeleteताऊ हमें भी इंतज़ार रहेगा की पंच हैं कोन और क्या फैसला लेते हैं...
ReplyDeleteबढ़िया पोस्ट...
मीत
शेर ने पंचों को खिला पिला कर अपनी ओर कर लिया तो ..ताऊ का क्या होगा ...वैसे तो उम्मीद पर दुनिया कायम है ...!!
ReplyDeleteaagee aagee dekhteyn hain hota hai kyaa...Raam raam tauji :)
ReplyDeleteaagee aagee dekhteyn hain hota hai kyaa...Raam raam tauji :)
ReplyDeleteसोचने की कोई बात नहीं ताऊ जी क्यूंकि उम्मीद कभी नहीं छोड़ना चाहिए ! अब इस कहानी की अगली कड़ी का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा!
ReplyDeleteबहुत मजेदार पोस्ट ताऊजी. आपकी आगे की कहानी का ईंतजार रहेगा.
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