प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 53 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है देवाशरीफ दरगाह, बाराबंकी
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
बाराबंकी को नवाबगंज के नाम से भी जाना जाता है.यह जगह ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह काफी महत्वपूर्ण है।
इस जगह पर कई राजाओं ने लम्बे समय तक शासन किया|
देवाशरीफ स्थित दरगाह लखनऊ से 42 किलोमीटर और बाराबंकी के जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर की दूरीपर स्थित है.सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की जन्मस्थली देवा है.उनका जन्म वर्ष 1823 इसवी में हुआ था
देवाशरीफ दरगाह
'जो रब वही राम 'का संदेश देने वाले सूफी संत हाजी शाह ने विश्व के सभी लोगों को प्रेम से रहने का संदेश दिया था. उनकी मृत्यु के पश्चात् उनके हिन्दू और मुस्लिमों शिष्यों ने मिलकर उनकी याद में यह स्थान बनवाया था
हर साल यहाँ जुलाई के महीने में उर्स और कार्तिक माह में .सैयद कुर्बाद अली शाह के उर्स पर काफी बड़े मेले काबाराबंकी- फतेहपुर मार्ग पर आयोजन किया जाता है,जिसे देवा मेला के नाम से जाना जाता है.
कहते है की मुस्लिमो के तीन मुख्य तीर्थ स्थान ख्वाजा साहब अजमेर और निजामुद्दीन औलिया दिल्ली की यात्रादेवा के हाजी वारिस अली शाह पर माथा टेकने के बाद ही पूरी मानी जाती है। यहाँ अन्य धर्मो के लोग भी उसी संख्या में माथा टेकते हैं जितने की मुस्लिम समुदाय के लोग।
हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक भी इस दरगाह को माना जाता है.
बाराबंकी में देखने के लिए अन्य स्थल-
पारिजात वृक्ष, किन्तूर, बाराबंकी
१-पारिजात:-बाराबंकी पारिजात वृक्ष के लिए विश्व प्रसिद्ध है.
पारिजात किन्तूर गांव में है। इस जगह पर एक मंदिर है जिसकी स्थापना कुंती ने की थी. मंदिर के समीप में ही यह वृक्ष है जिसे पारिजात के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि यह वृक्ष लगभग 1000 से 5000 वर्ष पुरानाहै। इस वृक्ष की ऊंचाई लगभग 45 फीट है। इस वृक्ष में लगने वाले फूल काफी सुंदर होते हैं और इन फूलों का रंग सफेद होता है.इस वृक्ष के बारे में लोगों के अलग-अलग विचार है.कुछ का मानना है कि इस वृक्ष को अर्जुन स्वर्ग से लाए थे.इस वृक्ष के बारे में कहा गया है कि जो भी इस वृक्ष के नीच खड़े होकर कोई दुआ मांगता है, तो उसकी मुराद जरूर पूरी होती है।
2-महादेवा: इस जगह पर भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर लोधीश्वर मंदिर है.
3-सिद्धेश्वर मंदिर:प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर मंदिर में बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है. यहांपर सूफी संत काजी कुतुब का मकबरा भी स्थित है.काफी संख्या में लोग यहां पर आते हैं.
4-श्री त्रिलोकपुर तीर्थ: बाराबंकी जिले के त्रिलोकपुर में है.यह मंदिर भगवान नेमिनाथ को समर्पित है।
5-कोटव धाम मंदिर: इस मंदिर की स्थापना राजा द्वारा लगभग 550 पूर्व की गई थी।
6-सतरिख: यह वहीं तपोभूमि है जहां काफी संख्या में संत और योगियों ने तपस्या की थी.
यहां सैयद सलर मसूद का के पिता सलर शाह का मकबरा भी स्थित है. कहाजाता है कि इस जगह पर शेख सलाहुद्दीन के साथ सलर शाह भी आए थे और यहीं बस गए थे.
कैसे जाएं ?
वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा लखनऊ .
रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन बाराबंकी रेलवे स्टेशन.
सड़क मार्ग: बाराबंकी सड़कमार्ग कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है.
आज के सम्माननिय विजेता क्रमश: इस प्रकार हैं. सभी को हार्दिक बधाई!
निम्न महानुभावों के हम बहुत आभारी हैं जिन्होने इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह बढाया. हार्दिक आभार.
सु.M A Sharma "सेहर",
सु. निर्मला कपिला
सु. वंदना
डा.रुपचंद्र शाश्त्री "मयंक,
श्री मुरारी पारीक
श्री राज भाटिया
श्री गौतम राजरिशी
आप सभी का बहुत आभार !
और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा.
बहनों और भाईयो नमस्कार. आईये अब आज के पहेली के स्थान के बारे में कुछ जानते हैं.
सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की देवाशरीफ दरगाह
उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है 'बाराबंकी'.यह लखनऊ से २९ किलमीटर पूरब में स्थित है.
बाराबंकी को नवाबगंज के नाम से भी जाना जाता है.यह जगह ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह काफी महत्वपूर्ण है।
इस जगह पर कई राजाओं ने लम्बे समय तक शासन किया|
देवाशरीफ स्थित दरगाह लखनऊ से 42 किलोमीटर और बाराबंकी के जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर की दूरीपर स्थित है.सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की जन्मस्थली देवा है.उनका जन्म वर्ष 1823 इसवी में हुआ था
'जो रब वही राम 'का संदेश देने वाले सूफी संत हाजी शाह ने विश्व के सभी लोगों को प्रेम से रहने का संदेश दिया था. उनकी मृत्यु के पश्चात् उनके हिन्दू और मुस्लिमों शिष्यों ने मिलकर उनकी याद में यह स्थान बनवाया था
हर साल यहाँ जुलाई के महीने में उर्स और कार्तिक माह में .सैयद कुर्बाद अली शाह के उर्स पर काफी बड़े मेले काबाराबंकी- फतेहपुर मार्ग पर आयोजन किया जाता है,जिसे देवा मेला के नाम से जाना जाता है.
कहते है की मुस्लिमो के तीन मुख्य तीर्थ स्थान ख्वाजा साहब अजमेर और निजामुद्दीन औलिया दिल्ली की यात्रादेवा के हाजी वारिस अली शाह पर माथा टेकने के बाद ही पूरी मानी जाती है। यहाँ अन्य धर्मो के लोग भी उसी संख्या में माथा टेकते हैं जितने की मुस्लिम समुदाय के लोग।
हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक भी इस दरगाह को माना जाता है.
बाराबंकी में देखने के लिए अन्य स्थल-
१-पारिजात:-बाराबंकी पारिजात वृक्ष के लिए विश्व प्रसिद्ध है.
पारिजात किन्तूर गांव में है। इस जगह पर एक मंदिर है जिसकी स्थापना कुंती ने की थी. मंदिर के समीप में ही यह वृक्ष है जिसे पारिजात के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि यह वृक्ष लगभग 1000 से 5000 वर्ष पुरानाहै। इस वृक्ष की ऊंचाई लगभग 45 फीट है। इस वृक्ष में लगने वाले फूल काफी सुंदर होते हैं और इन फूलों का रंग सफेद होता है.इस वृक्ष के बारे में लोगों के अलग-अलग विचार है.कुछ का मानना है कि इस वृक्ष को अर्जुन स्वर्ग से लाए थे.इस वृक्ष के बारे में कहा गया है कि जो भी इस वृक्ष के नीच खड़े होकर कोई दुआ मांगता है, तो उसकी मुराद जरूर पूरी होती है।
2-महादेवा: इस जगह पर भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर लोधीश्वर मंदिर है.
3-सिद्धेश्वर मंदिर:प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर मंदिर में बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है. यहांपर सूफी संत काजी कुतुब का मकबरा भी स्थित है.काफी संख्या में लोग यहां पर आते हैं.
4-श्री त्रिलोकपुर तीर्थ: बाराबंकी जिले के त्रिलोकपुर में है.यह मंदिर भगवान नेमिनाथ को समर्पित है।
5-कोटव धाम मंदिर: इस मंदिर की स्थापना राजा द्वारा लगभग 550 पूर्व की गई थी।
6-सतरिख: यह वहीं तपोभूमि है जहां काफी संख्या में संत और योगियों ने तपस्या की थी.
यहां सैयद सलर मसूद का के पिता सलर शाह का मकबरा भी स्थित है. कहाजाता है कि इस जगह पर शेख सलाहुद्दीन के साथ सलर शाह भी आए थे और यहीं बस गए थे.
कैसे जाएं ?
वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा लखनऊ .
रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन बाराबंकी रेलवे स्टेशन.
सड़क मार्ग: बाराबंकी सड़कमार्ग कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है.
अभी के लिये इतना ही. अगले शनिवार एक नई पहेली मे आपसे फ़िर मुलाकात होगी. तब तक के लिये नमस्कार।
आज के सम्माननिय विजेता क्रमश: इस प्रकार हैं. सभी को हार्दिक बधाई!
श्री प्रकाश गोविंद अंक १०१ |
श्री दिनेशराय द्विवेदी अंक १०० |
सु. सीमा गुप्ता अंक ९९ |
श्री काजलकुमार अंक ९८ |
डा. महेश सिन्हा अंक ९७ |
SAMWAAD.COM अंक ९६ |
प.श्री डी.के. शर्मा "वत्स" अंक ९५ |
श्री रंजन अंक ९४ |
श्री विवेक रस्तोगी अंक ९३ |
श्री रतनसिंह शेखावत अंक ९२ |
श्री उडनतश्तरी अंक ९१ |
श्री संजय तिवारी ’संजू’ अंक ९० |
श्री स्मार्ट इंडियन अंक ८९ |
श्री मकरंद अंक ८८ |
श्री अविनाश वाचस्पति अंक ५० |
श्री दिगम्बर नासवा अंक ४९ |
निम्न महानुभावों के हम बहुत आभारी हैं जिन्होने इस अंक में भाग लेकर हमारा उत्साह बढाया. हार्दिक आभार.
सु.M A Sharma "सेहर",
सु. निर्मला कपिला
सु. वंदना
डा.रुपचंद्र शाश्त्री "मयंक,
श्री मुरारी पारीक
श्री राज भाटिया
श्री गौतम राजरिशी
आप सभी का बहुत आभार !
अच्छा अब नमस्ते.सभी प्रतिभागियों को इस प्रतियोगिता मे हमारा उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. ताऊ पहेली – 53 का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सु. अल्पना वर्मा ने किया. अगली पहेली मे अगले शनिवार सुबह आठ बजे आपसे फ़िर मिलेंगे तब तक के लिये नमस्कार.
भाई प्रकाश जी व सभी विजाताओं को बहुत बहुत बधाइयां.
ReplyDeleteश्री प्रकाश जी सहित सभी विजेताओं को बधाई |
ReplyDeleteबधाई और धन्यवाद!
ReplyDeleteप्रकाशा गोविन्द जी को बधाई...
ReplyDeleteअन्य विजेताओं को भी बधाई...
बहुत जानकारीपूर्ण पहेली रही.
वैसे ताऊ सूना है बाराबंकी के गधे बहुत महशूर है.. या यहाँ गधो का सम्मलेन होता है?
ReplyDeleteसबको बधाई, राम राम
राम राम
बहुत सी जानकारी प्राप्त हुई ...कभी कभी आप अपनी पत्रिका की कमी को पूरा कर देते हैं ...!!
ReplyDeleteखूब प्रकाश कर दिया
ReplyDeleteगोविन्द जी ने
ताऊ पहेली जीतकर।
प्रकास गोविन्द जी को बधाई!
ReplyDeleteआदरणीय प्रकाश जी सहित सभी विजेताओं को बधाई
ReplyDeleteregards
सभी विजेताओं को बधाईयां
ReplyDeleteताऊ और अल्पना वर्मा जी का आभार
प्रणाम स्वीकार करें
सभी विजेताओं को बहुत बहुत बधाई!!!!
ReplyDeleteधन्यवाद्!
प्रकाश जी सहित सभी विजेताओं को बधाई ...
ReplyDeleteसभी विजेताओं को और साथ ही मुझे भी बहुत-बहुत बधाई ! अन्य सभी प्रतियोगियों को शुभकामनाएं !
ReplyDeleteअल्पना जी द्वारा बहुत ही सुन्दर जानकारी दी गयी
उनका आभार !
देवां शरीफ अब तक कम से कम पचास-साठ बार तो जा ही चूका हूँ ! बाबा से कभी करीब से तो मुलाक़ात नहीं हो पायी लेकिन दूर से हमेशा ही बाबा हाजी वारिस अली शाह की दरगाह को देखकर सिर झुकाता रहा हूँ ! इसलिए इस बार पहेली में इस हिन्दू-मुस्लिम सदभावना की प्रतीक इस दरगाह को देखकर बहुत ही अच्छा लगा !
प्रकाश जी और सभी जीतने वालों को बधाई .......... मेरा नाम भी आ गया आज तो ........... शुक्रिया .........
ReplyDeleteजय राम जी की।
ReplyDeleteप्रकाश जी को बधाई।
ReplyDelete------------------
इसे आप पहचान पाएंगे? कोशिश तो करिए।
सन 2070 में मानवता के नाम लिखा एक पत्र।
इसका उत्तर तो नहीं पता था. लेकिन भाग भी नहीं ले पाया इस बार तो.
ReplyDeleteप्रकाश गोविंद ओर सभी विजेताओ को बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteप्रकाश गोविंद जी ओर सभी विजेताओ को बहुत बहुत बधाई.
ReplyDelete@@@@@Blogger रंजन said-
वैसे ताऊ सूना है बाराबंकी के गधे बहुत महशूर है.. या यहाँ गधो का सम्मलेन होता है?
--?????sach mein??kahin padha nahin...!
@ निम्न कमेंट इमेल से प्राप्त हुआ है.
ReplyDeleteप्रकाश गोविन्द has left a new comment on your post "ताऊ पहेली - 53 विजेता श्री प्रकाश गोविंद":
@रंजनजी
@अल्पना जी
एक समय था जब समाज का एक बहुत बड़ा हिस्सा पशुओं पर आश्रित था ! वैसे तो साप्ताहिक बाजार लगते रहते रहते थे फिर भी अच्छी नस्ल व उचित दाम इत्यादि के लिहाज से बड़ी संख्या में लोग इस तरह के मेलों में आकर क्रय-विक्रय करते थे !
सिर्फ ये देवा मेले की ही बात नहीं है ! नौचंदी मेला हो या पुष्कर का मेला ... सभी जगह पशुओं की आमद होती रही है ! ऐसे मेलों में घोड़े, गधे, खच्चर, गाय, भैंस, बैल, बकरी, मुर्गे, तीतर, बटेर, तोता, कबूतर इत्यादि आते रहे हैं !
@ अल्पना जी..
ReplyDeleteप्रकाश जी की बात सही है.. फिर भी ये कुछ रेफरेंस है... जहां बाराबंकी के गधों का विशेष रूप से उल्लेख हे
http://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/Annual-Deva-fair-starts/articleshow/5091875.cms
Page 11 of this report..
http://www.animalnepal.org/documents/donkey/Nepalgunj%20Beasts%20of%20Burden%20Campaign%20Report.pdf
says
"According to Dr Shrestha, donkeys mainly come from India,
especially from the weekly bazaar in Barahabanki (India)"
प्रकाश जी को बहुत बहुत बधाई और बाकी विजेताओं को बस बधाइ। ये प्रकाश जी यहाँ छुपे बैठे हैं मैं कहूँ ताऊ को बता कर नहीं गये सब जगह ढूँढ मारा बेटा कब तक ताऊ की बगल मे चुपे रहोगे? चलो अब अपना सर्टिफिकेट ले कर हाज़िर हो जाओ। ताऊ धन्यवाद।राम राम
ReplyDeleteSabhee ko bahut bahut Badhaii,....!! Alpana ji .. Abhaar !!
ReplyDeleteअरे यहाँ तो बहुत कुछ छूट गया मुझसे.... यही नुक्सान होता है नेट से दूर रहने का :(
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