अब ताऊ का हाल चाल तो आपको मालूम ही है. चोरी, लूट, ठगी, डकैती और बेईमानी के धंधो मे इतना नाम कमा लिया कि कोई पास मे फ़टकने भी नही देता. अब खाली नाम से क्या होता है? पापी पेट को पालने के लिये रोकडा आजकल घणे जरुरी हैं. फ़िर ताऊ का कुणबा भी घणा ज्यादा बडा है ताई, रामप्यारी, सैम, बीनू फ़िरंगी, चंपाकली, अनारकली, हीरामन (हीरु) और पीटर (पीरु)...और इन सबके दोस्त रिश्तेदार अलग से.
ताऊ की बेरोजगारी की इस स्थिति से सबसे ज्यादा परेशान समीर लाल जी और राज भाटिया जी रहने लगे. ताऊ कुछ करता नही और उसके कुणबे का सारा खर्चा मजबूरन इनको ऊठाना पडता था....एक दिन अचानक राज भाटियाजी का फ़ोन समीर जी के पास आया और दोनों बात करने लगे.
राज भाटिया जी - हैल्लो ..हैल्लो समीरजी...मैं राज भाटिया बोलता हू,,
समीर जी - हां जी..हां..भाटिया जी...बोलो जी..कैसी है अब आपकी तबियत?
राज भाटिया जी - अजी मेरी तबियत तो अब ठीक है..आफ़िस भी जाने लग गया...आप सुनावो...
समीरजी - अजी भाटिया जी, यहां भी सब रामजी की मौज है..बेटे बहु आजकल कनाडा आये हुये हैं सो बडा आनंद है जी... आप बताईये आज कैसे याद किया ?
राज भाटिया जी - अजी मैने इस लिये फ़ोन किया कि वो ताऊ आजकल कुछ ज्यादा ही परेशान करने लगा है..पहले तो थोडे बहुत रुपये देने से उसका काम चल जाता था आजकल दुनियां भर के खर्चे बढा लिये और मुझे परेशान करता है....उसके लिये एक काम ढूंढा था...
समीरजी - अरे भाटीया जी आपके मुंह में घी शक्कर...उसने तो मुझे भी परेशान कर रखा है...अब कितनी मदद करें उसकी....पर काम मिल गया है तो दिलवा दो..आपका और मेरा, दोनों का पीछा छूटेगा.
भाटिया जी - अजी पीछा तो तब छूटेगा जब वो नौकरी पा जायेगा..और उसके लिये आपको एक सर्टीफ़िकेट भी देना पडेगा उसको.
समीरजी - अरे आप जो बोलो वो दूंगा...मैं तो सी.ए. आदमी हूं..बोलो वर्थ सर्टीफ़िकेट भी दे दूंगा और अगर दो चाहिये तो अपने शिव मिश्रा जी से दिलवा दूंगा.
भाटिया जी - अरे नही जी...ये मामला आप समझ रहे हैं वो नही है. असल मे आजकल बादशाह अकबर यहां मेरे पडौस के मकान मे ही रहने आ गये हैं..और उनको एक ऐसा बुद्धिमान आदमी चाहिये जो उसके सवालों का जवाब देकर उसके दिमाग की खुजली मिटाता रहे...
समीरजी - भाटियाजी..एक मिनट..एक मिनट...आपकी तबियत तो ठीक है?
भाटियाजी - क्युं मेरी तबियत तो ठीक है..अभी तो बताया था.
समीरजी - मुझे आपकी तबियत ठीक नही लग रही है...बादशाह अकबर को एक बुद्धिमान आदमी चाहिये और उसके लिये आप ताऊ को भेजना चाहते हैं? अब आप ये बताओ कि ताऊ और बुद्धि का आपस मे कोई रिश्ता दिखा आज तक आपको?
भाटीयाजी - अरे समीरजी...आपकी बात तो सही है..पर मुझे ये मालूम है कि इन कामों मे लफ़्फ़ाजी की जरुरत होती है और ताऊ बचपन से मेरा दोस्त रहा है..इन कामों मे घणी मास्टरी है उसकी....पर इस नौकरी के लिये एक सर्टीफ़िकेट चाहिये ...यह दिखाने के लिये कि ताऊ की बुद्धि बहुत आर पार है...और आप समझ लो कि एक बार ताऊ ये नौकरी पा गया तो बादशाह सलामत का सारा माल ताऊ का होगा..फ़िर तो हम अपनी पिछली उधारी भी ताऊ से वसूल ही लेंगे.
समीरजी - एक मिनट सोचने दिजिये...हां एक काम करता हूं..मैं एक प्रमाणपत्र लिख देता हूं कि ताऊ मेरा चेला है और अब गुरु को गुड का गुड छोडकर खुद शक्कर हो गया है....और भी लिख देता हूं जमा कर..
भाटिया जी - अरे वाह..क्या आईडिया है आपका? बस आप तो ये काम कर डालो और समझो कि ये काम होगया.
समीरलाल जी ने वो प्रमाणपत्र लिख दिया और इन दोनो ने मिलकर ताऊ को बादशाह अकबर के यहां नौकरी दिलाने की पक्की जुगाड भिडा दी. थोडे समय बाद साक्षात्कार के लिये लेटर आगया और नियत दिन भाटिया जी ने ताऊ को साथ लिया और बादशाह सलामत के दरबार मे पहुंच गये...
ताऊ जैसे ही बादशाह सलामत के सामने पहुंचा तो वहां के ठाठ बाट देखकर सिट्टी पिट्टी भूल गया.
शेष अगले भाग में.....
ताऊ की बेरोजगारी की इस स्थिति से सबसे ज्यादा परेशान समीर लाल जी और राज भाटिया जी रहने लगे. ताऊ कुछ करता नही और उसके कुणबे का सारा खर्चा मजबूरन इनको ऊठाना पडता था....एक दिन अचानक राज भाटियाजी का फ़ोन समीर जी के पास आया और दोनों बात करने लगे.
राज भाटिया जी - हैल्लो ..हैल्लो समीरजी...मैं राज भाटिया बोलता हू,,
समीर जी - हां जी..हां..भाटिया जी...बोलो जी..कैसी है अब आपकी तबियत?
राज भाटिया जी - अजी मेरी तबियत तो अब ठीक है..आफ़िस भी जाने लग गया...आप सुनावो...
समीरजी - अजी भाटिया जी, यहां भी सब रामजी की मौज है..बेटे बहु आजकल कनाडा आये हुये हैं सो बडा आनंद है जी... आप बताईये आज कैसे याद किया ?
राज भाटिया जी - अजी मैने इस लिये फ़ोन किया कि वो ताऊ आजकल कुछ ज्यादा ही परेशान करने लगा है..पहले तो थोडे बहुत रुपये देने से उसका काम चल जाता था आजकल दुनियां भर के खर्चे बढा लिये और मुझे परेशान करता है....उसके लिये एक काम ढूंढा था...
समीरजी - अरे भाटीया जी आपके मुंह में घी शक्कर...उसने तो मुझे भी परेशान कर रखा है...अब कितनी मदद करें उसकी....पर काम मिल गया है तो दिलवा दो..आपका और मेरा, दोनों का पीछा छूटेगा.
भाटिया जी - अजी पीछा तो तब छूटेगा जब वो नौकरी पा जायेगा..और उसके लिये आपको एक सर्टीफ़िकेट भी देना पडेगा उसको.
समीरजी - अरे आप जो बोलो वो दूंगा...मैं तो सी.ए. आदमी हूं..बोलो वर्थ सर्टीफ़िकेट भी दे दूंगा और अगर दो चाहिये तो अपने शिव मिश्रा जी से दिलवा दूंगा.
भाटिया जी - अरे नही जी...ये मामला आप समझ रहे हैं वो नही है. असल मे आजकल बादशाह अकबर यहां मेरे पडौस के मकान मे ही रहने आ गये हैं..और उनको एक ऐसा बुद्धिमान आदमी चाहिये जो उसके सवालों का जवाब देकर उसके दिमाग की खुजली मिटाता रहे...
समीरजी - भाटियाजी..एक मिनट..एक मिनट...आपकी तबियत तो ठीक है?
भाटियाजी - क्युं मेरी तबियत तो ठीक है..अभी तो बताया था.
समीरजी - मुझे आपकी तबियत ठीक नही लग रही है...बादशाह अकबर को एक बुद्धिमान आदमी चाहिये और उसके लिये आप ताऊ को भेजना चाहते हैं? अब आप ये बताओ कि ताऊ और बुद्धि का आपस मे कोई रिश्ता दिखा आज तक आपको?
भाटीयाजी - अरे समीरजी...आपकी बात तो सही है..पर मुझे ये मालूम है कि इन कामों मे लफ़्फ़ाजी की जरुरत होती है और ताऊ बचपन से मेरा दोस्त रहा है..इन कामों मे घणी मास्टरी है उसकी....पर इस नौकरी के लिये एक सर्टीफ़िकेट चाहिये ...यह दिखाने के लिये कि ताऊ की बुद्धि बहुत आर पार है...और आप समझ लो कि एक बार ताऊ ये नौकरी पा गया तो बादशाह सलामत का सारा माल ताऊ का होगा..फ़िर तो हम अपनी पिछली उधारी भी ताऊ से वसूल ही लेंगे.
समीरजी - एक मिनट सोचने दिजिये...हां एक काम करता हूं..मैं एक प्रमाणपत्र लिख देता हूं कि ताऊ मेरा चेला है और अब गुरु को गुड का गुड छोडकर खुद शक्कर हो गया है....और भी लिख देता हूं जमा कर..
भाटिया जी - अरे वाह..क्या आईडिया है आपका? बस आप तो ये काम कर डालो और समझो कि ये काम होगया.
समीरलाल जी ने वो प्रमाणपत्र लिख दिया और इन दोनो ने मिलकर ताऊ को बादशाह अकबर के यहां नौकरी दिलाने की पक्की जुगाड भिडा दी. थोडे समय बाद साक्षात्कार के लिये लेटर आगया और नियत दिन भाटिया जी ने ताऊ को साथ लिया और बादशाह सलामत के दरबार मे पहुंच गये...
ताऊ जैसे ही बादशाह सलामत के सामने पहुंचा तो वहां के ठाठ बाट देखकर सिट्टी पिट्टी भूल गया.
शेष अगले भाग में.....
इब खुंटे पै पढो :-
ताऊ को नींद मे चलने की बीमारी थी.. एक दिन दोपहर मे ताऊ सोते सोते सपना देखने लाग ग्या कि वो स्कूल का इंसपेक्टर है सो वो नींद मे ही चलते हुये इंस्पेक्टर बन कर सीधा स्कूल मे घुस गया और एक क्लास म्ह पहुंच गया.
सब छात्र उधम मचा रहे थे, सो ताऊ ने घणी जोर से डांट मारके पूछ्या ..अर यो मानीटर कुण सै?
एक छोरा आया और बोल्या - जी मैं हूं मानीटर तो....
ताऊ घणी जोर से डाट लगाता हुआ बोल्या - रे कूंगर..तू कैसा मानीटर सै? ये सारे बालक आडै रोला करण लाग रे?
वो मानीटर बना लडका घबरा गया और बोल्या जी - जी नसपेटर साहब, मैं तो बाहर नीम के नीचे आली चाय की दुकान पर कप धोने का काम करता हूं...मानीटर छूट्टी गया तो बोला आज क्लास तू संभाल लिये। मैं तो इस लिये आगया था क्लास में.
यह सुनकर तो ताऊ घणे छोह (गुस्सा) म्ह आगया और चिल्लाकर मास्टर को बुलवाया और बोला - यो के हो रहा सै मास्टर? क्लास म्ह मानीटर भी नकली? और सारे बच्चे उधम कर रहे हैं?
वो मास्टर भी घबराया और बोल्या जी -- मैं तो मास्टर कोनी...मेरी तो स्कूल के बाहर नाई की दूकान सै....मास्टर जी को आज खेत मे पानी देना था सो मुझको कह गये कि आज क्लास तू संभाल लिये...शाम को सौ रपिये दे दूंगा.
अब तो ताऊ घणा ही छोह म्ह आगया और चिल्लाकर हैडमास्टर को बुलवाया और नु बोल्या - अरे हैड मास्टर यो के रासा रोप राख्या सै? मानीटर नकली, मास्टर नकली...ना तू तो यो बता, के यो के चाल्हा पाड राख्या सै तन्नै आडै?
इब ताऊ की डांट फ़टकार से वो भी डर गया और बोल्या - जी मैं आडै पास म्ह ही ढोर डांगरा का (पशुओं) डाक्टर सूं...हैड मास्टर तो अपनी ससुराल गया सै उसकी साली के ब्याह म्ह....और मन्नै न्यूं कह गया था कि चार पांच दिन स्कूल नै संभाल लिये.
इब यो जवाब सुनकै ताऊ बोल्या - हद हो गई भाई यो तो. आडै तो मानिटर नकली, मास्टर नकली और हेडमास्टर भी नकली , इन सारा नै सस्पेंड कर देता अभी की अभी, यदि मैं असली इंस्पेक्टर होता तो.
ठाठ बाट देखकर सिट्टी पिट्टी भूल गया या सामने अनारकली पड़ गई थी :)
ReplyDeleteजीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सा आग्याआआ
ReplyDeleteताऊ और बादशाह अकबर
इब मजा आवैगा
राम-राम ताऊऊऊऊऊऊऊऊ
जब ताऊ पहुँचेगा अकबर के दरबार में तब घणा मजा आएगा।
ReplyDeleteऔर खूँटा तो गजब का निकला।
खूट अतयंत ही प्रभावी है। हिंदी ब्लागिंग के भविष्य को लेकर व्यर्थ वजन घटाने वालों की चिंता निरर्थक है -- देखिये विधा कहाँ से कहाँ आ गयी। ताऊ के रूप मे हिंदी लेखन ने वह अर्जित कर लिया जो स्थापित मुद्रित पत्रिकायें नही कर पायीं!
ReplyDeleteसाभार
स्वप्निल भारतीय
और खूंटे पर ब्लॉगर भी नकली हा हा !
ReplyDeletekya baat hai taau jee aaj to khute par jam rahe hai
ReplyDeleteहा हा हा.....ताऊ आज घणे दिनाँ बाद ईब आया अपने असली रंग मैंह..
ReplyDeleteलगता है कि शायद ताऊ जरूर बीरबल का पुनर्जन्म है....
’खूँटे पर’ तो जबर्दस्त है । असली मनोरंजन । आभार ।
ReplyDeleteअसली तो अब कुछ भी नहीं बचा. खूंटे पे मजा आ गया.
ReplyDeleteहर शाख पे नकली बैठा है अंजामे स्कूल क्या होगा?
ReplyDelete
ReplyDeleteऔर बता ताऊ,
तू साली के ब्याह म्हा ग्या सै,
के मौज़ आयी ?
क्लाईमेक्स पर कहानी रुक गई..अगली कड़ी का इन्तजार...
ReplyDeleteखूंटा तो असली लग रहा है बाकी सब नकली. :)
ha ha khune pe bahut mazedar raha,ab tau ji ki akbar badshah ke yaha naukri mein kya hota hai? dekhte hai..
ReplyDeleteअरे हैड मास्टर यो के रासा रोप राख्या सै? मानीटर नकली, मास्टर नकली...ना तू तो यो बता, के यो के चाल्हा पाड राख्या सै तन्नै आडै?
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब खूंटा ताऊजी, आनंद आगया.
अरे हैड मास्टर यो के रासा रोप राख्या सै? मानीटर नकली, मास्टर नकली...ना तू तो यो बता, के यो के चाल्हा पाड राख्या सै तन्नै आडै?
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब खूंटा ताऊजी, आनंद आगया.
bahut gajab ki post hai . badhai
ReplyDeleteवाह ताऊ लगता है अकबर बादशाह के खॊटे दिन आगये? इंतजार करते हैं आपकी नौक्स्री वहां लगी या नही? जब समीरजी ने सिफ़ारिश की है तो जरुर ही लग गई होगी. बेचारा बादशाह!
ReplyDeleteखूंटे पर सटीक व्यंग.. अब तक के श्रेष्ठ खूंटो मे से एक।
खूंटा पढकर मजा आगया. ताऊजी पुराने खूंटो पर लेबल लगवाईये, बहुत परेशानी होती है ढूंढने मे. लेवल हो तो आसानी से मिल जाते हैं.
ReplyDeleteताऊ जी,
ReplyDeleteसंयोग ही है कि खूंटे पर नकलियों का बोल-बाला रहा और आज ही मैंने एक पोस्ट भेजी जहां हेड़ मास्टर साहब ने स्कूल का भार एक गाय चराने वाले लड़के को सौंप दिया। देखें "ऐसा सिर्फ हमारे देश में ही हो सकता है"
हा..हा... नकली सब नकली ताऊ तो असली है की ये भी .....
ReplyDeleteताऊ क्या गजब कर डाला? सब गांवों के स्कूलों की पोल ही खोळ डाली?:)
ReplyDeleteऔर अकबर का तो अब भगवान ही मालिक है.:)
समीरजी - अरे भाटीया जी आपके मुंह में घी शक्कर...उसने तो मुझे भी परेशान कर रखा है...अब कितनी मदद करें उसकी....पर काम मिल गया है तो दिलवा दो..आपका और मेरा, दोनों का पीछा छूटेगा.
ReplyDeleteअच्छा अब ये षडयंत्र शुरु? ताऊजी होंशियार.:)
समीरजी - अरे भाटीया जी आपके मुंह में घी शक्कर...उसने तो मुझे भी परेशान कर रखा है...अब कितनी मदद करें उसकी....पर काम मिल गया है तो दिलवा दो..आपका और मेरा, दोनों का पीछा छूटेगा.
ReplyDeleteअच्छा अब ये षडयंत्र शुरु? ताऊजी होंशियार.:)
क्या बात है ताऊ.
ReplyDeleteसबको हरयाणवी सिखा दी.
और एक बात भूल गे, छात्र कुनसे असली थे.
आज तै चाला पाड़ दिया.
अरे ताऊ सारी पोल पट्टी मत खोल , ओर चुपचाप नोकरि कर लो, ओर खुंटे पर तो मजा आ गया, साली के व्याह मै गये थे, दुसरी सालियो ने तो खुब सेवा की होगी, घणे लड्डु खा लिये लगता है, ओर हां ताउ आज तो आप ने करवा चोथ का व्र्त भी रखा होगा..
ReplyDeleteआप को करवाचौथ की हार्दिक शुभकामनाये,
नकली कर्मचारी! पर
ReplyDeleteहास्य असली है शुद्ध!!!
साहित्य!
सादर।
आज आया खूंटे पर मजा ! वाह ! ताऊ वाह !
ReplyDeleteअगर नींद में ही इतना कबुलवाया जा सकता है तो सुबह का इंतज़ार करना ही चाहिये
ReplyDeleteक्या बात है ताऊ........राम-राम ..... खूँटा तो कमाल कर गया आज .......
ReplyDeleteधन्य है धन्य है।
ReplyDeleteजी नसपेटर साहब :)
ReplyDeleteकम से कम बादशाह सलामत के साथ पहले दिन वाली बात तो आनी ही चाहिए थी आज.
बहुत मजेदार रहा खुटा............. आगे पढे कैसे ताऊ ने बादशाह अकबर को चडी बनियान मे जन्गल की और विदा किया..............,एवम नये बादशाह के रुप मे अपने आप स्थापित ताऊ बन बैठा अकबर................... हा हा हा............
ReplyDeleteमैं तो सी.ए. आदमी हूं..बोलो वर्थ सर्टीफ़िकेट भी दे दूंगा
ReplyDeleteसी.ए. की इस योग्यता के बारे में तो पता ही नहीं था ...सी.ए. वर्थ सर्टीफ़िकेट भी देते हैं ....!!
खुंटेपे तो ताऊ हमेशा ही जोरदार रहा है ...ताई डंडा लिए रखवाली जो करती है ..!!
सी ए का क्या/// वो तो इन्फर्मेशन बेस सर्टिफिकेट देता है..To the best of knowledge and belief and as per the information and explaination given to me....
ReplyDeleteअब कोई चाहे तो बर्थ क्या..डेथ सर्टिफिकेट दे दें...कहाँ मान्य होगा यह नहीं जानते...बस, डिमांड और फीस से मतलब है. :)
ताऊ और बुद्धि का आपस मे कोई रिश्ता दिखा आज तक आपको?
ReplyDeleteहा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा
खूँटा gnhaa choka rhya
regards
वाह वाह ताऊ लाजवाब हैं आप तो । आपने तो सब को ही अपने खूँटे से बान्ध लिया है बधाई
ReplyDeleteवाह वाह ताऊ लाजवाब हैं आप तो । आपने तो सब को ही अपने खूँटे से बान्ध लिया है बधाई
ReplyDeleteताऊ, खूंटा पड़ कर वो किस्सा याद आ गया, शायद तैणे सुन भी रख्या हो...इंस्पेक्टर ऑफ स्कूल ने अंग्रेर्जी. के पीरियड का निरीक्षण किया और बच्चों का ज्ञान देखने के लिए ब्लैक बोर्ड पर लिख दिया...NATURE और मॉनीटर से ही कहा उसे पढ़कर दिखाओ...मॉनीटर ने जोड़-तोड़ कर मुश्किल से पड़ा... नटूरे...सुन कर इंस्पेक्टर आग-बबूला हो गया, हेडमास्टर को बुला कर क्लास लेनी शुरू कर दी...क्लास का मॉनीटर ही ये बता रहा है तो और बच्चों का क्या हाल होगा...फौरन इस मॉनीटर के खिलाफ एक्शन लो...हेडमास्टर बोले... जाने दो न सर, क्यों नटूरे के लिए बेचारे का फटूरे (FUTURE)खराब करते हैं...
ReplyDeleteवैसे ताऊ के ज्ञान पर मै जल्दी ही एक पोस्ट लिखूंगा..
जय हिंद...
लाजवाब पोस्ट।
ReplyDeleteइसके आगे तो बस यही लिखना बकाया है-
करवाचौथ की आप सबको बहुत-बहुत बधाई!
ताऊजी, बहुत ही जबरदस्त लिखा आज तो. अकबर के दरबार मे ताऊ क्या गुल खिलायेंगे? इसका इंतजार रहेगा.
ReplyDeleteताऊजी, बहुत ही जबरदस्त लिखा आज तो. अकबर के दरबार मे ताऊ क्या गुल खिलायेंगे? इसका इंतजार रहेगा.
ReplyDeletebahut joradar taauji
ReplyDeleteइब ताऊ की डांट फ़टकार से वो भी डर गया और बोल्या - जी मैं आडै पास म्ह ही ढोर डांगरा का (पशुओं) डाक्टर सूं...हैड मास्टर तो अपनी ससुराल गया सै उसकी साली के ब्याह म्ह....और मन्नै न्यूं कह गया था कि चार पांच दिन स्कूल नै संभाल लिये.
ReplyDeleteघणा मोटा चाल्हा सा पाड राख्या सै ताऊ तन्नै तो?
hahaha....सब तो नकली थे ...और बालक...??
ReplyDeleteताऊ का बड़ा करारा व्यंग भी है इस हाहा में ....
अब देखतें हैं आज का बीरबल....??
जवाबदेही होगी.....भाटिया जी एवं समीर जी की....:)))
"यदि मैं असली इंस्पेक्टर होता तो."
ReplyDeleteयह भी खूब रही, वाह!
वाह ताऊ वाह... तबियत ख़राब है पर लोगो का मनोरंजन करने से बाज़ नहीं आ रहे..
ReplyDeleteअब आपका बुखार कैसा है...
जल्दी से ठीक हो जाइये...
मीत
humesha ki tarah achhe andaaz mai likhi gayi achhi post...par mujhe sabse zyada pasand ye lines ayi...
ReplyDeleteहद हो गई भाई यो तो. आडै तो मानिटर नकली, मास्टर नकली और हेडमास्टर भी नकली , इन सारा नै सस्पेंड कर देता अभी की अभी, यदि मैं असली इंस्पेक्टर होता तो.
'मैं एक प्रमाणपत्र लिख देता हूं कि ताऊ मेरा चेला है और अब गुरु को गुड का गुड छोडकर खुद शक्कर हो गया है....और भी लिख देता हूं जमा कर..'
ReplyDeletewaah!Sifarish yahan bhee !
खूँटे पर' -bahut mazedaar raha
aur prasang ke agle bhaag ki prateeksha hai..
वाह बड़ा ही शानदार और ज़बरदस्त पोस्ट है! बढ़िया लगा !
ReplyDeleteखूंटा सै के खूंट सै भाई ?
ReplyDeleteमज़ा ही आ गया...........हा हा हा
बात तौ ताऊ घणी सही बोल्या।
ReplyDeleteहा हा ताऊ भी ना एकदम सिट्टी upon पिट्टी है। जो थोड़ा बहुत पेट बचा है उसको भी यो हँसा हँसा कर फ़ाड़े देता है। हा हा।
ReplyDeletekhunta mast hai taau ji..
ReplyDelete