38 वां अंक मतलब आज से 38 सप्ताह पहले हमने इस पत्रिका की शुरुआत की थी. फ़िर सुश्री अल्पना जी, सुश्री सीमाजी, श्री आशीष जी, सुश्री विनिताजी, सुश्री प्रेमलताजी और अंत मे श्री समीरलाल जी इससे जुडे. और ये कारवां बनता गया. सभी की सामूहिक लगन और मेहनत के परिणाम स्वरूप ताऊ साप्ताहिक पत्रिका नई सजधज के साथ आपके सामने हर सप्ताह पेश होती रही. आप सभी के हम हृदय से आभारी हैं.
आज इस 38 सप्ताह की पेशकश के बाद हम एक विराम दे रहे हैं इस ताऊ साप्ताहिक पत्रिका को. यकीन रखिये ये सिर्फ़ एक विराम है. ताऊ साप्ताहिक पत्रिका अपनी नई सजधज के साथ आपके सामने जल्दी ही फ़िर पेश होगी.
आप जानते हैं कि यह एक श्रम साध्य कार्य है. इसमें काफ़ी समय देना पडता है. हम अपने निजी स्वास्थ्य कारणों से फ़िलहाल पत्रिका को ज्यादा समय नही दे पारहे हैं, इस वजह से यहां एक विराम दे रहे हैं इसे.
ताऊ पहेली पुर्ववत चलती रहेगी. और उम्मीद है उसे आपका प्यार और आशीर्वाद ऐसे ही मिलता रहेगा.
आपका सप्ताह शुभ हो.
इब आज की रामराम !
-ताऊ रामपुरिया
The first step in the acquisition of wisdom is silence, the second listening, the third memory, the fourth practice, the fifth teaching others. -Solomon Ibn Gabriol अर्थात विवेकशीलता हासिल करने और ज्ञानार्जन के लिए प्रथम चरण मौन, द्वितीय श्रवण, तृतीय याददाश्त, चतुर्थ अभ्यास और पंचम चरण दूसरों को अर्जित ज्ञान बांटना है. किन्तु आजकल जल्द से जल्द, इस दिखावे की दुनिया में, अपने आप को स्थापित करने के लिए हम इस सिद्धांत को बिल्कुल उलट कर रख दे रहे हैं. बस, नाम की चाह बच रही है, ज्ञान की नहीं..विवेक की तो बात ही मत करिये. आज जिसे देखें, आये और बिना कुछ जाने सुने, लगे ज्ञान बांटने. विरोध हुआ तो विवाद कैसे बढ़ाना है, उसका अभ्यास पूरी तरह से कर लेंगे. फिर याद करेंगे कि इस तरह के पूर्व विवादों में विवाद किस तरह भड़का था और उस रास्ते पर चल पड़ेंगे और फिर जब विवाद भड़क जायेगा तब सुन सुना कर मौन धर लेंगे. विद्वान यूँ ही नहीं कह गये हैं. उनको सुनो और उनके सिद्धांतो का पालन करो. सुखी रहोगे. The more a man knows, the more he forgives. -Catherine the Great अर्थात जितना ज्ञान अर्जित करोगे, उतना क्षमाशील बनोगे. बाकी अगली बार: वो आँखों से बात करते हैं.. मुट्ठी में इन्कलाब रखते हैं... -समीर लाल 'समीर' |
हरियाणा हरियाणा के नाम का अर्थ है " यह परमेश्वर का निवास " से हरि ( हिंदू देवता विष्णु ) और आयन ( घर )! हरियाणा का इतिहास वैदिक काल से आरंभ होता है. यह राज्य पौराणिक भरत वंश की जन्मभूमि माना जाता है जिसके नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा. हमारे महान महाकाव्य महाभारत में हरियाणा की चर्चा हुई है. जैसा कि बहुत से लोग जानते हैं कि कौरवों और पांडवों की युद्धभूमि कुरूक्षेत्र हरियाणा में ही है. मुसलमानों के आगमन और दिल्ली के भारत की राजधानी बनने से पहले तक भारत के इतिहास में हरियाणा अग्रणी भूमिका निभाता रहा इसके बाद हरियाणा दिल्ली का ही एक हिस्सा बन गया और 1857 में स्वतंत्रता के प्रथम महासंग्राम से पहले तक यह गुमनाम बना रहा. सन 1857 के विद्रोह के दमन के बाद जब ब्रिटिश प्रशासन फिर से स्थापित हुआ तो झज्झर और बहादुरगढ़ के नवाबों, बल्लभगढ़ के राजा तथा रिवाड़ी के राव तुलाराम की सत्ता छीन ली गई. उनके क्षेत्र या तो ब्रिटिश क्षेत्रों में मिला लिए गए या पटियाला, नाभ और जींद के शासकों को सौंप दिए गए. इस तरह हरियाणा पंजाब प्रांत का हिस्सा बन गया. यह राज्य उत्तर भारत का एक राज्य है जिसे १९६६ में पंजाब से अलग कर के बनाया गया था. पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ है जिस के बारे में हम पहले आप को विस्तार से बता चुके हैं. इस राज्य की सीमायें पंजाब ,हिमाचल प्रदेश ,उत्तर प्रदेश,और उत्तराँचल से लगी हुई हैं. सरकार कोई भी हो हरियाणा विकास के क्षेत्र में अग्रणी है. गुडगाँव यहाँ का आधुनिक और तेजी से विकसित होता हुआ शहर है. सूचना पौद्योगिकी में जिस प्रकार कि प्रगति हरियाणा ने कि है वह सराहनीय है.कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत 23,000 से अधिक सरकारी कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है!‘ ई-दिशा एकल सेवा केंद्र’ के नाम केंद्र’ के नाम से 1159 ग्रामीण और 104 शहरी सामान्य सेवा केंद्र स्थापित किये जा रहे हैं. हरियाणा का औद्योगिक विकास भी किसी से छुपा नहीं है.राज्य में 1,343 बड़ी और मंझोली तथा 80,000 लघु अद्योग इकाइयां हैं. हरियाणा ऑटोमोबाइल , साइकिलों, रेफ्रिजरेटरों, वैज्ञानिक उपकरणो आदि का सबसे बड़ा उत्पादक है. हरियाणा विश्व बाजार में बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक तो है ही पानीपत का पचरंगा अचार भी निर्यात होता है और बहुत मांग में है..यहाँ भी बहुत पसंद किया जाता है..इस के अलावा पानीपत की हथकरघे की बनी वस्तुएं और कालीन विश्व भर में प्रसिद्ध है. यह सच में आश्चर्यजनक और ख़ुशी कि बात है राज्य हरियाणा देश का ऐसा पहला राज्य है जहां 1970 में ही सभी गांवों में 100 प्रतिशत बिजली पहुंचा दी गई थी! राज्य में सभी गाँव पक्की सड़कों से जुड़े हैं.यहाँ कि आर्थिक निर्भरता कृषि पर ६५ % है. प्रति व्यक्ति औसत आय में भी इस राज्य की गणना पहले ५ राज्यों में होती है. फरीदाबाद सब से बड़ा शहर है. पानीपत , पंचकूला और फरीदाबाद भी औद्योगिक केन्द्र हैं, पानीपत रिफाइनरी दक्षिण एशिया में दूसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी है. इस राज्य में कुल २१ जिले हैं. हरियाणा जाने के लिए आप को सभी राज्यों से बस , रेल सेवा और विमान सेवा मिल जायेगी. देश की राजधानी दिल्ली निकटम होने के कारण भी हरियाणा पहुंचना बेहद सुगम है. साल में कभी भी जाएँ. हरियाणा पर्यटन सम्बन्धी किसी भी जानकारी के लिए आप यहाँ [मुख्य दफ्तर ] से संपर्क कर सकते हैं- Haryana Tourism Corporation Limited SCO 17-19, Sector 17-B, Chandigarh-160017 Tel : 0172-20702955-57, 0172-2720437. Fax : 0172-2703185, 2702783 Email : haryanatourism@gmail.com पर्यटन स्थल- १-कुरुक्षेत्र में ब्रह्म सरोवर,सिटी ऑफ़ पार्क,शेख चिल्ली का मकबरा,बुद्धिस्ट मोनुमेंट ,पुरातत्व स्थल,कृष्ण म्यूज़ियम हैं. २-थानेसर.-कुरुक्षेत्र से एक दम साथ जुडी हुई जगह है.यहाँ स्थानेस्वर [महादेव] भगवान् का और माँ भद्र काली का मंदिर है.और एक गुरुद्वारा भी है.प्राचीन समय में यह स्थान एक प्रमुख शैक्षिक केंद्र हुआ करता था. राजा हर्ष वर्धन के राज्य में थानेसर राजधानी हुआ करती थी. ३-ज्योतिसर.-यहाँ पर एक बरगद का वृक्ष है जहाँ माना जाता है कि भगवान् कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. उन्हें पूरी गीता सुनाई थी. सम्बंधित लाइट और साउंड शो भी दिखाया जाता है. ४-पंचकुला में देखें चंडी मंदिर और कालका देवी का मंदिर. ५-पेहोवा. ६-गोल्फ के चाहने वालों के लिए हरियाणा सरकार ' गोल्फ पर्यटन 'के तहत यहाँ के बहुत ही सुन्दर विश्वस्तरीय गोल्फ के मैदानों को प्रमोट करती है. प्रमुख अरावली गोल्फ कोर्स ,और 'करना झील' के किनारे हाईवे गोल्फ कोर्स [delhi-अम्बाला मार्ग पर] हैं. ७-इसके अलावा आप हरियाणा में ट्रेक्किंग,बोटिंग आदि भी खूब कर सकते हैं. ८-सूरजकुंड का मेला-रंग बिरंगा. आकर्षक! हर साल एक फरवरी से १५ फरवरी तक लगने वाला यह मेला पर्यटकों को बहुत आकर्षित करता है. हर साल किस एक थीम पर यह मेला लगता है इस साल मध्य प्रदेश राज्य की झलकियां हस्त-शिल्प आदि यहाँ दिखाये गए थे. -हरियाणा के लोक गीत और लोक नृत्य बहुत ही लोकप्रिय हैं. अब कुछ जानकारी शेख चिल्ली के मकबरे के बारे में- शेख चिल्ली का मकबरा - शेख चिल्ली का नाम सुनते ही शेखी बघारने वाले किसी व्यक्ति का ध्यान आ जाता है.क्योंकि अक्सर किसी गप्पेबज़ ,और झूटी शेखी बघारने वाले को शेख चिल्ली कह दिया जाता है..मगर हाँ यहाँ किसी ऐसे शेख चिल्ली की बात नहीं कर रहे. यह शेख चिल्ली तो तो एक बड़े सूफी संत थे. यह मकबरा हरयाणा के थानेसर जिले में है और भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है. मुख्य द्वार पर लगे सरकारी पटल के अनुसार शेख चिल्ली का नाम अब्दुर रहीम उर्फ़ अब्दुल करीम उर्फ़ अब्दुर रजाक बताया जाता है.मुग़ल राजकुमार दारा शिकोह [१६५०] द्वारा यह इमारत बनवाई गयी थी.[इस इमारत को किस ने बनवाया था इस में बहुत से इतिहासकारों में मतभेद हैं] शेख चिल्ली उनके आध्यात्मिक गुरु थे और उन के जीते जी दारा शिकोह ने यह इमारत बनवाई जहाँ वह महीनो अपने गुरु के पास रहा कर शिक्षा लिया करते थे.शेख चिल्ली कि मृत्यु के बाद उन्हें इसी इमारत के नीचे तहखाने में दफना दिया गया था और यह इमारत शेख चिल्ली के मकबरे के नाम से मशहूर हो गयी. मुख्य इमारत ताजमहल की तरह संगमरमर से बनी है और ऊपर एक गुम्बद भी दिखता है.बीच में बना लॉन हरा भरा और बेहद खूबसूरत है.तहखाने में ६ कब्र हैं जिन में से शेख चिल्ली कि एक है और बाकि पांच किस की हैं इस बारे में कहीं उल्लेख नहीं है.एक सूखा तलाब भी यहाँ दिखता है जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कभी यहाँ पानी लेने के लिए नहर का भी इंतजाम रहा होगा. इमारत में नौ मेहराबें हैं और बारह छतरियां हैं.इमारत पर की गयी कलाकारी पर्शियन प्रभाव की लगती है. अपनी अनूठी और सुन्दर वास्तुकला के लिए इस इमारत को ताजमहल के बाद दूसरा स्थान दिया जाता है.मकबरे के पश्चिम में पुरातत्व विभाव को खुदाई में राजा हर्ष के टीले के अवशेष मिले हैं. एक स्थान पर मैं ने यह भी पढ़ा है कि यह भी माना जाता है कि सूफी संत शेख चिल्ली ने ही भारत में सबसे पहले मुग़ल शासन की समाप्ति की भविष्यवाणी की थी और उन्होंने दारा शिकोह को सलाह दी थी कि जो भी काम करने हैं अपने जीवन में कर लो...और इसीलिए दारा शिकोह ने अपने उस्ताद के जीवित रहते ही उनके इस मकबरे का निर्माण करवा दिया था! यह स्थान छात्रों में भी लोकप्रिय है क्योंकि पढने के लिए बहुत ही शांत जगह है. इस स्थान को देखने के लिए टिकट लगता है. सप्ताह में हर दिन सुबह ९ से शाम ५ बजे तक खुल रहता है.[कन्फर्म कर लें] ----------------------------------------------------------------------------------------------- |
विराम के बाद फ़िर मुलाक़ात होगी.. हैपी ब्लॉगिंग. |
भारत के एक गरीब चिड़ियाघर में , दिन प्रति दिन एक शेर बहुत कुंठित हो रहा था क्योंकि उसे एक दिन में 1 किलो से ज्यादा मांस नहीं दिया जा रहा था . शेर ने सोचा कि शायद उसकी प्रार्थना सुनी जायेगी, ये सोच जब एक दिन एक दुबई चिड़ियाघर प्रबंधक ने चिड़ियाघर का दौरा किया शेर ने चिड़ियाघर प्रबंधन से अनुरोध किया कि दुबई के चिड़ियाघर में स्थान्तर किया जाये . और शेर की बात मान ली गयी. अब शेर ने वहां एक अच्छा ठंडा पर्यावरण और एक या दो बकरी प्रतिदिन की कल्पना शुरू कर दी. दुबई पहुंचने के पहले दिन शेर को एक सील बंद बेग नाश्ते के लिए दिया गया, शेर ख़ुशी ख़ुशी उस पर टूट गया और खोलते ही आवक रह गया क्योंकि उसमे सिर्फ कुछ केले थे. इस पर शेर ने सोचा की उसे अभी अभी भारत से लाया गया है तो जगह बदली के कारण वे लोग उसके पेट के बारे मे चिंतित होंगे और उसे मॉस नहीं दिया गया होगा खाने को. लकिन ये क्या अगली सुबह भी वही हुआ और उसके अगले दिन भी वही केले से भरा बेग उसके सामने था. अगले दिन शेर बहुत गुस्से में था और उसने खाना वितरण करने वाले लडके को रोका और जोर से गुर्राया 'क्या तुम जानते हो कि मैं शेर ... जंगल का राजा हूँ . तुम्हारे प्रबंधन को क्या हुआ है? ये सब क्या बकवास है? मुझे खाने को केले क्यों दिये जा रहे है?. लड़के ने विनम्रता पूर्वक कहा, 'सर, मैं जानता हूँ कि आप जंगल के राजा हैं लेकिन .....आप. को एक बदर के वीजा पर यहां लाया गया है!! ' कहानी का नैतिक मूल्य बेहतर है अपने ही घर में शेर बन कर रहना बजाये इसके कहीं बन्दर बन के रहना |
यमुनोत्तरी जिस स्थान से यमुना नीचे आती है उस स्थान को यमुनोत्तरी कहा जाता है। यमुना का उद्गम कालिंदी पर्वत से माना जाता है। इसीलिये यमुना को कालिंदी नाम से भी जाना जाता है। केदारखंड के अनुसार माना जाता है कि - सूर्य की दो पत्नियां थी संज्ञा और छाया। संज्ञा ने गंगा को जन्म दिया तथा छाया ने यमुना व यमराज को। कहा जाता है कि छाया ने यमराज का तिरस्कार कर दिया था जिस कारण उन्हें पृथ्वी पर आना पड़ा। परन्तु सूर्य ने यमुना को भी पृथ्वी का उद्धार करने के लिये ही धरती पर भेजा। यमुनोत्तरी के विशाखयूप पर्वत पर पांडवों ने एक वर्ष बिताया था। यमुनोत्तरी मंदिर यमुना के बांये तट पर स्थित है। इस मंदिर के कपाट वैशाख महीने कह शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया को खुलते हैं और कार्तिक मास में आने वाली यम की द्वितीया को यह कपाट बंद हो जाता है। यमुनात्तरी के लकड़ी के मंदिर को 1885ई. में गढ़वाल के राजा सुदर्शनशाह ने बनवाया था और उसमें यमुना की मूर्ति की स्थापना करवाई। इस समय जो मंदिर यहां पर है इसे प्रतापशाह ने बनवाया था। इस मंदिर को सन् 1999 में एक बार फिर ठीक किया गया। मंदिर के गर्भ में एक सिंहासन है जिसमें काले रंग की यमुना व सफेद गंगा व सरस्वती की मूर्तियां रखी हैं। यमुनोत्तरी में पूजा करने वाले ब्राहम्ण ग्रहस्थ हैं और इन ब्राहम्णों को पूजा करने का अवसर बारी-बारी से मिलता है। ये ब्राहम्ण पीढ़ियों से मंदिर की पूजा करते आ रहे हैं। इस मंदिर के पास एक गरम पानी का कुंड है जिसे सूर्यकुंड कहा जाता है। केदारखंड में इसे ब्रह्मकुंड नाम से भी जाना जाता है। इस कुड के पानी का तापमान 90 डिग्री सेल्सीयस के आसपास रहता है। इस कुंड में यात्री आलू, चावल को पोटली बनाकर डाल कर पकाते हैं और उसे ही प्रसाद माना जाता है। इस स्थान से कुछ दूरी पर एक कुंड और है जिसका नाम गौरीकुंड है। इसका पानी सूर्यकुंड से थोड़ा ठंडा है। इसमें यमुना का ठंडा पानी मिलता है जिस कारण इसके चारों ओर हर समय भाप का घेरा बना रहता है। |
कुछ दिनो से हमारी लाडली दुलारी रामप्यारी मेरे से नाराज है. जब मैने उसे इस नाराजगी का कारण पुछा तो बडी ही चुटकीले अन्दाज मे बोली-"प्रेमा आन्टी! मै आपसे कुट्टी हू......आप हमेसा ही बडॆ लोगो के लिए खाने की चटपटी रेसिपि बताती है. हम बच्चो के लिऎ चाकलेट, आईसक्रिम की तो बात ही नही करती है.....जब देखो ताई, ताऊ के लिऎ दाल बाटी चुरमा ही बनाकर खिलाती है. जब तक आप चाकलेट आईसक्रिम बिस्किट बनाने की विधि नही बताएगी मै आपसे बात नही करुगी." तो रामप्यारी! आज तेरे लिऎ “टॉफी“‘बना रही हू. अब तो खुश हो जा..... टमाटर की चाकलेट सामग्री लालटमाटर 250 ग्राम चीनी 2 चम्मच (Table spoom) सोडीयम बेन्जोएट(sodium benzoate) 50 मिलीग्राम इलायची पाउडर थोडा बनाने की विधी-: टमाटर को काटकर उबाल ले. अब छानकर रस निकाल ले. चीनी, सोडीयम बेन्जोएट, इलायची पाउडर मिलाए. थाली मे घी लगाकर मिश्रण किया हुआ रस उसमे डाल दे. तथा परत थॊडी मोटी रखे. धुप मे सूखाकर अब उसे मनचाहे आकार मे काट ले. स्वादिष्ट पाचक “टमाटरटॉफी“ रामप्यारी सहीत सभी बच्चो एवम बडो को भी बहुत पसन्द आएगी. अब कुछ बाते टमाटर से:- शक्ति धर, टमाटर मानव जीवन के लिए जिन-जिन तत्वो की आवश्यकता होती है, वे प्राय: सब तत्व इसमे निहित है. लोहे की मात्रा इसमे दूध की अपेक्षा दुगुनी होती है. चूना भी इसमे प्रचुर मात्रा मे पाया जाता है जो हड्डियो को मजबूत बनाता है. टमाटर मे ए-बी-सी (A, B, C ) तीनो विटामिन पाये जात है. इसमे पाए जाने वाले विटामिन्स मे यह विशेषता होती है की अन्यत्र पाए जाने वाले विटामिन्स आग लग जाने के बाद नष्ट हो जाते है. डॉक्टर क्रिनसन ने यह प्रमाणीत किया है कि जो विटामिन्स ताजे टमाटर मे वही टमाटर के अन्य प्रकारो सूखे हुऎ आचार,मुरब्बा, एवम चटनी मे पाए जाते है.इससे यह प्रमाणित होता है की टमाटर बहूत ही उपयोगी एवम लाभकारी फ़ल है. प्रात: दो टमाटर खाकर दूध पीने से रक्त शुद्धि एवम वृद्धि होती है. मधुमेह: डाक्टर पी.जे. केवेजने लन्दन रिपोर्ट मे लिखा है कि मधुमेह के लिए टमाटर से अधिक लाभप्रद कोई अन्य खाध पदार्थ नही है. धीरे-धीरे शक्कर की मात्रा न्यून होते होते मधुमेह स्वत समाप्त हो जाता है. नैत्र विकृति: भी टमाटर खाने से ठीक हो जाती है. हानि: वात-पित्त प्रधान व्यक्तियो के लिऎ टमाटर हानिप्रद है. चलते चलते:- जिन्दगी अजबी होती है, कभी हार कभी जीत होती है. तमन्ना रखो समन्दर की गहराई को छूने की, क्यो कि किनारो पर तो जिन्दगी की शुरुआत होती है. नमस्कार. प्रेमलता एम. सेमलानी |
सहायक संपादक हीरामन मनोरंजक टिपणियां के साथ.
अरे हीरू..कहां मर गिया…देख ये मुरारी अंकल को…एक ही जगह सूई अटक गई.. अबे पीरू..मैं तो शेफ़ाली दीदी की टिपप्णी पढी रिया हूं…जो आज दिमाग चलाने को मना कर रही हैं. अरे पेलवान..देख..राठौड अंकल को नींद आने लग गई..
चल पीरू..जल्दी चल अब आफ़िस मे काम बहुत पडा है… हां पेलवान..निकल ले..सीधे रस्ते से… |
ट्रेलर : - पढिये : श्री विवेक रस्तोगी से ताऊ की खास बातचीत
गुरुवार शाम को ३: ३३ पर ताऊ की खास भेंट का ब्यौरा : श्री विवेक रस्तोगी से...पढना ना भुलियेगा. ताऊ : ताऊ : हमने सुना है कि आप बचपन मे बहुत शरारती थे? विवेक रस्तोगी : जी, यह सही है. शरारत का कोई मौका नही छोडा. ताऊ : हमने सुना है कि आपने एक बार स्कूल के अपने सहपाठियों को जहरीले काजू खिलवा दिये थे? विवेक रस्तोगी : ??????????????????? जानिये गुरुवार शाम ३ : ३३ ताऊ डाट इन पर |
अब ताऊ साप्ताहिक पत्रिका का यह अंक यहीं समाप्त करने की इजाजत चाहते हैं. संपादक मंडल के सभी सदस्यों की और से आपके सहयोग के लिये आभार.
संपादक मंडल :-
मुख्य संपादक : ताऊ रामपुरिया
वरिष्ठ संपादक : समीर लाल "समीर"
विशेष संपादक : अल्पना वर्मा
संपादक (तकनीकी) : आशीष खण्डेलवाल
संपादक (प्रबंधन) : Seema Gupta
संस्कृति संपादक : विनीता यशश्वी
सहायक संपादक : मिस. रामप्यारी, बीनू फ़िरंगी एवम हीरामन
स्तम्भकार :-
"नारीलोक" - प्रेमलता एम. सेमलानी
अच्छी पत्रिका . आशीश जी का लेख बेहद पसन्द आया .
ReplyDeleteताऊजी ईश्वर से प्राथना है कि आप जल्दी स्वस्थ हो जाये और ये रन्गीन पत्रिका आगे बढाये !
ReplyDeletewaah shandaar patrika,ye tomato choclate tho bana ke khani hi hogi ab.sbhai lekh hamesha ki tarah apna apna alag khubsurat andaaz liye huye hai.waah.kabhi kabhi vishrambhi jaruri hai,phir bhi agle kadi ka intazaar jarur rahega.
ReplyDeleteहरियाणा के बारे में बहुत सी जानकारियाँ प्राप्त हुई। आप को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हो, यही कामना है।
ReplyDeleteवीजा की करामात
ReplyDeleteऔर
विवेक जी से मुलाकात
वाह क्या बात है ?
विवेक जी के परिचयनामा का बेसब्री से इंतजार है। विवेक जी महीनों दिल्ली में रहे और मिलने का सुयोग ही नहीं बन पाया।
@ ALPANA VERMA
ReplyDeleteVERMA JI, HARIYANA ME 21 JILE KAB SE HO GAYE. PLEASE BATAYEN KI MEWAT KE BAAD YAHAN KAUN SA NAYA JILA BANA HAI? KYONKI MEWAT 20TH JILA THA.
CHALO, AAJ EK BAAT TO GOOD HUI. KI VINITA YASHASVI NAINITAL OR KUMAUN SE BAAHAR TO NIKLI. GHUMAKKADON KE LIYE ACHCHHI BAAT.
बहुत बढिया पत्रिका हर बार की तरह. दुसरा राऊंड जल्दी शुरु हो.आपका जल्दी स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें.
ReplyDeleteबहुत बढिया पत्रिका हर बार की तरह. दुसरा राऊंड जल्दी शुरु हो.आपका जल्दी स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें.
ReplyDeleteशिघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें, बहुत लाजवाब प्रयास रहा आप लोगों का हमेशा.धन्यवाद
ReplyDeleteअरे यह क्या हुआ -पूरी की पूरी और इतनी सजधज के साथ निकलने वाली पत्रिका को ही टंकी पर चढा आरहे हैं ताऊ ,यह तो कोई बात नहीं ! तबीयत ठीक कर इसे संभालें -यह अंक भी जोरदार है !
ReplyDeletebahut sundar patrika.
ReplyDeleteसुंदर अंक. जल्दी स्वास्थ्य लाभ कर वापस शुरु करिये ताऊजी इसको. शुभेच्छा.
ReplyDeleteसुंदर अंक. जल्दी स्वास्थ्य लाभ कर वापस शुरु करिये ताऊजी इसको. शुभेच्छा.
ReplyDeleteहमेशा की तरह बहुत सुन्दर अंक सभी को बहुत बहुत बधाई
ReplyDelete@ नीरज जाट जी.
ReplyDeleteले भाई तू भी जाट मैं भी जाट. मैं रहने वाला हूं हिसार का. भाई पूरी जान्कारी लेके इस तरह के सवाल खडे करने चाहिये. अब हरयाणा से संबंधित सवाल है तो इसका जवाब देना मेरा फ़र्ज बनता है. भाई तैं हरयाणा का लागै कोनी. तो इब ये कब बने और किसने बनाये ये तो ताऊ देवीलाल जाने. पर नीचे गिनना शुरु करदे, मैं गिनवा देता हूं पूरे २१ नाम. ये रहे.
1.Ambala
2.Bhiwani
3.Faridabad
4.Fatehabad
5.Gurgaon
6.Hisar
7.Jhajjar
8.Jind
9.Kaithal
10.Karnal
11.Kurukshetra
12Mahendragarh
13.Mewat
14.Palwal
15.Panchkula
16.Panipat
17.Rewari
18.Rohtak
19.Sirsa
20.Sonipat
21.Yamuna Nagar
इब तो राजी?:)
@ नीरज जाट जी.
ReplyDeleteले भाई तू भी जाट मैं भी जाट. मैं रहने वाला हूं हिसार का. भाई पूरी जान्कारी लेके इस तरह के सवाल खडे करने चाहिये. अब हरयाणा से संबंधित सवाल है तो इसका जवाब देना मेरा फ़र्ज बनता है. भाई तैं हरयाणा का लागै कोनी. तो इब ये कब बने और किसने बनाये ये तो ताऊ देवीलाल जाने. पर नीचे गिनना शुरु करदे, मैं गिनवा देता हूं पूरे २१ नाम. ये रहे.
1.Ambala
2.Bhiwani
3.Faridabad
4.Fatehabad
5.Gurgaon
6.Hisar
7.Jhajjar
8.Jind
9.Kaithal
10.Karnal
11.Kurukshetra
12Mahendragarh
13.Mewat
14.Palwal
15.Panchkula
16.Panipat
17.Rewari
18.Rohtak
19.Sirsa
20.Sonipat
21.Yamuna Nagar
इब तो राजी?:)
@ नीरज जाट जी.
ReplyDeleteले भाई तू भी जाट मैं भी जाट. मैं रहने वाला हूं हिसार का. भाई पूरी जान्कारी लेके इस तरह के सवाल खडे करने चाहिये. अब हरयाणा से संबंधित सवाल है तो इसका जवाब देना मेरा फ़र्ज बनता है. भाई तैं हरयाणा का लागै कोनी. तो इब ये कब बने और किसने बनाये ये तो ताऊ देवीलाल जाने. पर नीचे गिनना शुरु करदे, मैं गिनवा देता हूं पूरे २१ नाम. ये रहे.
1.Ambala
2.Bhiwani
3.Faridabad
4.Fatehabad
5.Gurgaon
6.Hisar
7.Jhajjar
8.Jind
9.Kaithal
10.Karnal
11.Kurukshetra
12Mahendragarh
13.Mewat
14.Palwal
15.Panchkula
16.Panipat
17.Rewari
18.Rohtak
19.Sirsa
20.Sonipat
21.Yamuna Nagar
इब तो राजी?:)
आज तो हरियाणा के बारे में जानकर आनंद सा आ गया जी। सोच रहा हूँ टमाटर की चाकलेट खा लूँ बनवाकर। अच्छी रही आज की पत्रिका।
ReplyDeleteताऊ जी राम-राम।
ReplyDeleteआपके लिए भगवान से प्रार्थना है कि जल्द ही आपको स्वस्थ बनाये। और एक हिदायत कि ताई से झगङा ना करें ताकि वो आपको सही समय पर प्यार के साथ दवा देती रहे और आप जल्द ही ठीक हो जाएं।
बेहद रोचक समीर जी की के बहुमूल्य बातें अमल करने योग्य है, काश कर पाएं | अल्पना जी बहुत शुक्रिया आपने हरी आयन का दर्शन कराया और नाम को यथार्थ रीती से बताया | आशीष ने तो अतीत में गोता लगवा के स्टीम इंजन की सवारी करवाई आनंदम अगच्च्सी | वाह सीमा जी आपको सलाम हास्य में कितना ज्ञान है मजा आ गया | विनीताजी यमुनोत्री के बारे में जानकारी के लिए साधुवाद | चोकलेट के साथ साथ जिंदगी नामा | प्रेम लता जी आप तो छ गई कसम से!
ReplyDeleteजिन्दगी अजबी होती है,
कभी हार कभी जीत होती है.
तमन्ना रखो समन्दर की गहराई को छूने की,
क्यो कि किनारो पर तो जिन्दगी की शुरुआत होती है.
हीरू भैये सुई क्या अटक गई पूरी घडी ही खराब हो गई|
ताउजी घणी रोचक है थारी साप्ताहिकी मजो आ गयो!
@नीरज जाट जी ,आप का जवाब आप को मिल ही चुका होगा ..भानाराम जाट जी ने दे दिया.
ReplyDeleteभानाराम जी आप का शुक्रिया.
यह सारी जानकारी हरियाणा राज्य सरकार की अधिकारिक वेब साईट से ली गयी है..और जानकारी की पूरी पुष्टि के बाद ही आप के सामने रखी गयी है.जिसे भी और अधिक जानकारी चाहिये--यहाँ से लें--
राज्य की साईट पर इस लिंक पर हर जिले की साईट के लिंक भी दिए गए हैं.
http://haryana.gov.in/haryana%20state/distircts.
अच्छा लगा आप ने सवाल किया..इस से औरों के शक भी दूर होगये होंगे औरजानकारी में बढ़त हुई होगी.धन्यवाद.
21 va jeela palwal hai--
ReplyDelete----------details --:
Palwal has been declared 21st district of Haryana on 15 August 2008.
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Finally Palwal became 21st district of Haryana on 5th Aug 2008. On 15 August, 2008, on the occasion of 61st independence day of India, the district was formally inaugurated by the Chief Minister of the state, Sh. Bhupender Singh Hooda.
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Palwal is a city and a municipal council and is 21st district of Haryana in the Indian state of Haryann
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asha hai ...everything is clear now..:)
abhaar-
वाह जी वाह ! अति सुन्दर.
ReplyDeleteबढ़िया जानकारी दी है आपने शुक्रिया
ReplyDeleteपहले मैं समझता था कि हर चीज कि कोई हद होती है
ReplyDeleteपर आज पता चला
कि ताऊ के यहाँ
मज़े की कोई हद नहीं ...............हा हा हा हा
ताऊ जी लगता है ताई ने अपना लठ्ट अच्छी तरह मांज लिया है, भाई ताई हरियाणे की जाटनी जो ठहरी, ओर सुनो ठीक भी ताई ही करेगी, अब जल्दी से अच्छे हो जाओ, फ़िर हम मिलने भी तो आ रहे है, आप तो अभी से बहाने बनाने शुरु कर दिये... भाई कोई बहाना नही ओर आप को आना पडेगा रोहतक ताई के संग इस लिये अब जल्दी से ठीक हो जाओ, फ़टा फ़ट
ReplyDeleteपत्रिका की तारीफ़ तो सब ने कर दी , वो मेरी तरफ़ से समझो.
राम राम जी की
ताऊ जी लगता है ताई ने अपना लठ्ट अच्छी तरह मांज लिया है, भाई ताई हरियाणे की जाटनी जो ठहरी, ओर सुनो ठीक भी ताई ही करेगी, अब जल्दी से अच्छे हो जाओ, फ़िर हम मिलने भी तो आ रहे है, आप तो अभी से बहाने बनाने शुरु कर दिये... भाई कोई बहाना नही ओर आप को आना पडेगा रोहतक ताई के संग इस लिये अब जल्दी से ठीक हो जाओ, फ़टा फ़ट
ReplyDeleteपत्रिका की तारीफ़ तो सब ने कर दी , वो मेरी तरफ़ से समझो.
राम राम जी की
सबसे पहले तो पत्रिका के एक ओर शानदार,जानदार,मजेदार अंक के लिए बधाई!! पत्रिका के सभी संपादकों का धन्यवाद्!
ReplyDeleteताऊ आप तो पत्रिका की चिन्ता छोडकर बस अपने स्वास्थय की ओर थोडा ध्यान दीजिए...... ये तो अब नहीं,कुछ दिनों बाद भी शुरू हो जाएगी....ओर वैसे भी कभी कभार ब्रेक ले लेना ही ठीक रहता है।
बाकी हमारे जैसे पाठक तो रोज आपके दरवाजे पर झाँकने आते ही रहेंगे कि देखें जरा पत्रिका शुरू हुई कि नहीं.....आपने इसका चस्का जो लगवा दिया है:)
शीघ्र स्वास्थ्यलाभ की कामनाओं सहित, सादर.
ReplyDeleteमंडे मैगजीन का फ़िर से बेसब्री से इंतज़ार रहेगा...औरों की तरह मुझे भी...
ReplyDeleteविराम !!!! यानि के अब हर सोमवार वीराना सा गुजरने वाला है.....
ReplyDeleteये अंक भी जोरदार रहा...
आपके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना है.....
ताऊ, आप शीघ्र स्वास्थ्य लाभ लें , और अपने पुराने धंधों में लग जायें. पहेली जारी रखने के लिये धन्यवाद. साथ ही अलपना जी का कॊलम भी चलता रहे, क्योंकि वह इसके साथ का एक मुकम्मल पेकेज जो है.
ReplyDeleteइब गब्बर का के होगा सांभा?
आदरणीय रामपुरियाजी ताऊ
ReplyDeleteस्वास्थ्य कारणों से ताऊ साप्ताहिक पत्रिका को विराम की खबर पढी। चुकी कल मुझे प्रेमलता ने भी बताया था की ताऊजी का इस बाबत एक मेल आया । आपके स्वास्थ्य को लेकर मै चिन्तित हू। आप कुछ समय आराम करे एवम अतिशिघ्र स्वास्थ्यलाभ प्राप्त कर पुनः हमारी प्रिय ताऊ साप्ताहिक पत्रिका को सुचारु रुप से आरम्भ करे यही मेरी मगलकामना मेरे गुरुदेव आचार्य महाप्रज्ञजी करता हू।
ताऊजी! सबसे पहले स्वास्थ्य का घ्यान रखे पत्रिका का काम आगे भी होता रहेगा। चिन्तामुक्त बने रहे। ताऊ साप्ताहिक पत्रिका के सभी पाठको के साथ मेरी भी यही भावना है की आप जल्दी से जल्दी पुर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्तकर ही काम पर लोटे। आपकी भावनाअनुरुप हमारा सहयोग एवम सेवाऍ ताऊ साप्ताहिक पत्रिका के लिऍ हमेसा हमारे दिल से बना रहेगा!
महावीर बी सेमलानी
प्रेमलता एम सेमलानी
बहुत ही बढ़िया, सुंदर और शानदार पत्रिका! सभी को बहुत बहुत बधाई!
ReplyDeleteहमेशा की तरह जानकारियों से परिपूर्ण पोस्ट के लिए बधाई!
ReplyDeleteशीघ्र स्वास्थ्यलाभ की कामनाओं सहित, सादर.
रोचक रहा ये अंक भी ...सीमाजी की सीख हमेशा की तरह उत्तम है ..मगर यहाँ होता उल्टा है .." घर का जोगी जोगना बाहर का सिद्ध "...
ReplyDeleteपत्रिका के फिर से शुरू होने का इन्तिज़ार रहेगा अगर इसके स्थगित होने का वास्तविक कारण ताऊ की बीमारी है तो ईश्वर से शीघ्र स्वस्थ्य लाभ की प्रार्थना है..
विराम के बाद ताऊ पत्रिका का फ़िर से इंतजार, हरियाणा के बारे में अच्छी जानकारी मिली।
ReplyDeleteआईये हमारा साक्षात्कार देखने इस गुरुवार ३.३३ पर ताऊ के यहाँ।
पत्रिका का एक और रोचक अंक.......ताऊ जी उम्मीद है आप स्वस्थ होकर जल्द ही इस पत्रिका का संचालन करेंगे हम सब आप के साथ हैं....और फिर से इस पत्रिका के अगले अंक के इन्तजार में ....
ReplyDeleteregards
acchi patrika hamesha ki tarah !!
ReplyDeleteabhi to half century hi hui thi abhi se retired heart?
umeed hai kuch overs baad fir waapis aaoge...
ताऊजी, स्वास्थ्य सर्वोपरि है। ताऊ साप्ताहिक पत्रिका से जुड़ना अभूतपूर्व अनुभव रहा है। ईश्वर से प्रार्थना है कि वह आपको शीघ्रातिशीघ्र स्वास्थ्य लाभ दे और यह पत्रिका नए रंग-रूप में जल्द से जल्द पाठकों के सामने आए.. हैपी ब्लॉगिंग
ReplyDeleteईश्वर से प्रार्थना है कि आपकी स्वास्थ्य संबंधी समस्या ज़ल्द दूर हो और पत्रिका फ़िर से पढने को मिले।
ReplyDeleteक्या बात है आज आशीष जी की चुक छुक छुक में मजा आ गया... पत्रिका का अंक हर बार की तरह सराहनीय है...
ReplyDeleteमीत
वाह जी वाह मजा आ गया पढकर लेकिन दुख हुआ कि हमारे और सभी के चहेते ताऊ जी आजकल अस्वस्थ्य हैं हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि ताऊ जल्द ही स्वस्थ हों और हम सभी को अपना आर्शिवाद दें ताऊ जल्दी आओ बच्चे आर्शिवाद के लिए लालायित हैं
ReplyDeleteताउजी स्वास्थ्य में हमारी शुभ भावना आपके साथ हैं | इतने लोगून की कामना जल्द रंग लायेंगी|
ReplyDeleteआँखों से
ReplyDeleteबात करते हैं..
मुट्ठी में
इन्कलाब रखते हैं...
बहुत खूब समीर जी !!
सम्पादकीय हमेशा की ही तरह शानदार !!!
इस बार पहेली बूझने आ नहीं पाई मुआफ करें......
सादर!
ताऊ जी ...
ReplyDeleteराम राम
यहाँ लिखा ही आप अस्वस्थ्य हैं??? क्या हुआ ??
आप कृपया अपना ध्यान रखें ....अब तक तो आदत लग चुकी है... पहेली और पत्रिका की......
आप कुछ दिन पूर्ण विश्राम करें और फिर नए जोश से कार्य करें......
आप हिंदी प्रसार के लिए बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहें हैं....
व कितने ही हिंदी प्रेमियों को एकसूत्र में बाँध कर चल रहें हैं
हम सभी की दुआएँ हैं ना आपके साथ ..!!
सादर !!
पलवल हरियाणा का इक्कीसवां जिला बन गया और मुझे पता ही नहीं चला.
ReplyDeleteइसे अभी अपने ब्लॉग पर भी अपडेट करता हूँ.
बहुत-बहुत धन्यवाद.
@ नीरज जाट जी
ReplyDeleteभाई हरयाणा वालों ने बहुत बडी गलती की जो आपसे पूछे बिना ही नया जिला बना दिया अब आगे से उनको कह दिया है कि आपको बनाने से पहले अवश्य सूचित करदें.:) संबंधित को धन्यवाद देने के लिये आपका शुक्रिया.
लाजवाब आज की पत्रिका भी ......... सब एक से बढ़ के एक ....... अपने प्रदेश के बारे में जान कर अच्छा लगा ... सीमा जी की सीख भी याद रखते पर अब तो दुबई आ गए क्या करें ......... ......
ReplyDeleteताऊ और बीमार हो ही नही सकता है । जो ताऊ तीन तीन राज्यों पर हक जताता है वो बीमार हो ही नही सकता है । पत्रिका हमेशा की तरह बहुत ज्ञानवर्धक है । विशेष कर आशीष जी का लेख ।
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