सुलग रहा आसमान
रुखी, तपती हुई दुपहरी
चले धूल भरी काली आंधी
चहूं और धूल कण बिखरे
सूखे दिन, और अलसाई रातें
कुछ हताशा कुछ निरशा ,
क्यूँ ये पीडा , कब तक तपना
बावरा मन समझ ना पाए
कब अमृतमयी वर्षा आ बरसे
अभी तो सर पर सुलग रहा
मटमैला ..लाल तपता आसमान
दरवाजों को भडभडाती आंधी
कब आये स्नेहभरी हरयाली
झूम के गाये कोयल काली
इस एक आस में नयन ये तरसे
(इस रचना के दुरूस्तीकरण के लिये सुश्री सीमा गुप्ता का हार्दिक आभार!)
बावरा मन समझ ना पाए
ReplyDeleteकब अमृतमयी वर्षा आ बरसे
अभी तो सर पर सुलग रहा
मटमैला ..लाल तपता आसमान
दरवाजों को भडभडाती आंधी
कब आये स्नेहभरी हरयाली
बहुत खूब यही इसी का इन्तजार शायद सबको रहता है ..बहुत अच्छी लगी यह रचना शुक्रिया
स्नेह की हरियाली पल भर की भी हो तो अगले अनेक दिनों के जीवन के लिए प्राण बन जाती है।
ReplyDeleteइन दिनों हमारी नजर तो हर समय इस स्नेहभरी बरसात की आस में आसमान ताकते ही रहती है। इतनी सुंदर रचना के लिए आभार। ताउ और सीमा गुप्ता जी को राम-राम।
ReplyDeleteदेसी एडीटर
खेती-बाड़ी
नाचती-कुदती सी कविता लगी....खूब.
ReplyDeleteकब आये स्नेहभरी हरयाली
ReplyDeleteजल्दी आये, ज़रूर आये और दूर तक जाए!
अभी तो सर पर सुलग रहा
ReplyDeleteमटमैला ..लाल तपता आसमान
दरवाजों को भडभडाती आंधी
कब आये स्नेहभरी हरयाली
-सुन्दर रचना!
सुन्दर रचना ताऊ जी !!!!
ReplyDeleteआभार सीमा गुप्ता जी !!
पंकज
अभी तो सर पर सुलग रहा
ReplyDeleteमटमैला ..लाल तपता आसमान
दरवाजों को भडभडाती आंधी
कब आये स्नेहभरी हरयाली।।
कमाल है! लगता है ये कविता हमारे यहाँ पंजाब के हालात पर लिखी गई है..:)
बढिया!
रुखी, तपती हुई दुपहरी
ReplyDeleteचले धूल भरी काली आंधी
चहूं और धूल कण बिखरे
सूखे दिन, और अलसाई रातें
कुछ हताशा कुछ निरशा ,
क्यूँ ये पीडा , कब तक तपना...peedha,tapish.entjaar,sneh..sab kuchh smete hue khoobsurat rachna...
सुन्दर रचना !
ReplyDeleteबधाई स्वीकारें !
अभी तो सर पर सुलग रहा
ReplyDeleteमटमैला ..लाल तपता आसमान
दरवाजों को भडभडाती आंधी
कब आये स्नेहभरी हरयाली
बहुत सुंदरतम रचना है.
अभी तो सर पर सुलग रहा
ReplyDeleteमटमैला ..लाल तपता आसमान
दरवाजों को भडभडाती आंधी
कब आये स्नेहभरी हरयाली
बहुत सुंदरतम रचना है.
आज के हालात पर आदमी की तमन्ना व्यक्त करती हुई रचना.
ReplyDeleteआज के हालात पर आदमी की तमन्ना व्यक्त करती हुई रचना.
ReplyDeletebahut sundar rachana. dhanyavad.
ReplyDeletebahut sundar rachana. dhanyavad.
ReplyDeleteबेहतरीन कविता. इंतजार है हमे भी.
ReplyDeleteअभी तो सर पर सुलग रहा
ReplyDeleteमटमैला ..लाल तपता आसमान
दरवाजों को भडभडाती आंधी
कब आये स्नेहभरी हरयाली
bahut behtar kavita
अभी तो सर पर सुलग रहा
ReplyDeleteमटमैला ..लाल तपता आसमान
दरवाजों को भडभडाती आंधी
कब आये स्नेहभरी हरयाली
bahut behtar kavita
behatar ummid hai ji sabhiko
ReplyDeleteसही कहा ताऊजी, ये लाल आसमान का अंधड जाये तो बरसात आये..अब तो बस उसी का इंतजार है.
ReplyDeleteसही कहा ताऊजी, ये लाल आसमान का अंधड जाये तो बरसात आये..अब तो बस उसी का इंतजार है.
ReplyDeleteसही कहा ताऊजी, ये लाल आसमान का अंधड जाये तो बरसात आये..अब तो बस उसी का इंतजार है.
ReplyDeletesundar aasha ka sanchar karti hui rachna. barasat avashya ayegi ji
ReplyDelete"कब आये स्नेहभरी हरयाली
ReplyDeleteझूम के गाये कोयल काली
इस एक आस में नयन ये तरसे"
सुन्दर रचना के लिए,
सीमा जी को बधाई,
ताऊ को आभार!
सुन्दर रचना
ReplyDeleteकब आये स्नेहभरी हरयाली
ReplyDeleteझूम के गाये कोयल काली
इस एक आस में नयन ये तरसे
परमात्मा जल्दी ही इस आस को पूरी करे। सुंदर रचना।
सुन्दर रचना |
ReplyDeleteबावरा मन समझ ना पाए
ReplyDeleteकब अमृतमयी वर्षा आ बरसे.....
sundar kavita..
naino ki pyaas mit jaye bas,bahut i sunder rachana badhai.
ReplyDeleteअजी तभी तो आसमान आग बरस रहा है , जब सुलगे गा तो बरसात थोडे होगी, गर्मी ही बढेगी ना... लेकिन आप की कविता बहुत अच्छी लगी धन्यवाद
ReplyDeleteकब आयेगी हरियाली ..? ..." जिया जब झूमे सावन है " ..!!
ReplyDeleteशुभकामनायें ..!!
यह तो माइरोंग लग रहा है.
ReplyDeleteIS AMRETMAYEE VARSHA KA INTEZAAR TO SAB KO RAHTA HAI .... KABHI TO RAAHAT MILEGI TAPTE AASMAAN SE ....... BAHOOT HI SUNDAR RACHNA HAI TAAU .... AAPKO AUR SEEMA JI KO PRANAAM
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