आईये आज के परिचयनामा में हम आपको मिलवाते हैं एक ऐसे शख्स से..जिसको आप नहीं जानते हों? ऐसा तो हो नही सकता. आपको जहां भी कहीं छंदमयी टिप्पणियां दिखें...अजी दिखें क्या बल्कि हर जगह बिखरी पडी मिलेंगीं. समझ लीजिये उसी शख्सियत का नाम है श्री अविनाश वाचस्पति. इनसे हमको हर सवाल का जवाब मिला पर हर जवाब में एक प्रतिप्रश्न अवश्य मुंह बाये खडा था. आप भी पढिये इस सारी गुफ़्तगू को, जो कि ताऊ स्टूडियो मे सम्पन्न हुई.श्री अविनाश वाचस्पति का इंटर्व्यु लेते हुये ताऊ
ताऊ : अविनाश जी कुछ अपने बारे में बताईये?
अविनाश जी : ताऊजी सीधे से कहिए न कि अपना गुणगान करना है।ताऊ : जी ठीक है..ऐसा ही समझ लीजिये.
अविनाश जी : हूं..तो... झूठा करना है या सच्चा करना है?ताऊ : जैसा आप चाहें? यह आपको मौका दिया जाता है.
अविनाश जी : ठीक है जब आप मौका ही दे रहे हैं तो भरपूर करना है। वैसे मैं भारत से ही हूं।ताऊ : श्रीमान जी, वैसे मैं भारत से ही हूं..का क्या मतलब?
अविनाश जी : अब इंटरनेट क्रांति के बाद यह कहूं कि इंटरनेटीय गांव से हूं तो अधिक उपयुक्त रहेगा ना।ताऊ : आप करते क्या हैं?
अविनाश जी : करता वही हूं जो हर इंसान करता है। इसके अतिरिक्त अपना और परिवार का पेट भरने के लिए सरकारी नौकरी कर रहा हूं और दिमाग चलाने के लिए पाठन और लेखन में सक्रिय हूं।ताऊ : आप किस तरह का लेखन करते हैं?
अविनाश जी : लेखन में कल्पना और सच दोनों। किसी से भी पक्षपात करना मुझे नहीं सुहाता है। कल्पना करने के लिए कविता है और सच्चाई कहने के लिए व्यंग्य। इसके अतिरिक्त भी अब कल्पना और सच्चाई का मिश्रित रूप ब्लॉग पोस्टों की टिप्पणियों के तौर पर प्रतिफलित होता है।
श्री अलबेला खत्री और श्री पवन चंदन के साथ | श्री श्याम माथुर के साथ | सु. शेफ़ाली पांडे के साथ |
ताऊ : आपके जीवन की कोई अविस्मरणीय घटना बताईये?
अविनाश जी : जीवन ही अविस्मरणीय है तो घटनाएं सभी अविस्मरणीय ही होंगी। पर अधिकतर विस्मृत हो जाती हैं अविस्मरणीय होते हुए भी। क्योंकि दिमाग कोई कंप्यूटर की हार्ड डिस्क थोड़े ही है कि सब सुरक्षित रहेगा।ताऊ : बात तो सही है. पर फ़िर भी?
अविनाश जी : देखिये ताऊजी, सुरक्षित रहने पर भी कई बार फॉर्मेट करना ही पड़ता है और दिमाग के साथ अपनी सीमाएं हैं, सब याद रखूं तो पागल हो जाऊंगा और मेरी पागल होने अथवा किसी को पागल करने की तनिक सी भी तमन्ना नहीं है।ताऊ : तो फ़िर क्या चाहते हैं?
अविनाश जी : सबसे प्यार करना और प्यार पाना चाहता हूं और अपने प्रयासों में सफल भी रहता हूं।ताऊ : आपके शौक क्या हैं?
अविनाश जी : शौकीन तो बहुत ही हूं मैं. अगर खुलकर कह दूं तो बड़े बड़ों को शोक लग जाएगा और मैं सबको अशोकी बनाने में विश्वास रखता हूं शोकग्रस्त करने में नहीं।ताऊ : मतलब
अविनाश जी : मतलब साफ़ है इसलिए खुलासा नहीं करना चाहूंगा. मतलब पोल पट्टी तो बांधनी ही चाहिए चाहे अपनी हो या दूसरे की। पोल पट्टी खोलने से दूर ही रहता हूं।ताऊ : जैसी आपकी मर्जी. कौन सी बात आपको पसंद नही है? यानि नापसंद है.
अविनाश जी : नापसंद करना ही सख्त नापसंद है। मुझे सब कुछ पसंद है। इसमें बुरी बातें भी हैं। बुरे कार्य भी हैं। इसका कारण अगर बुरी बातें या बुरे कार्य नहीं होंगे तो अच्छी बातों और कार्यों का वजूद ही नहीं रहेगा।ताऊ : तो फ़िर आपको पसंद क्या है?
अविनाश जी : मुझे पसंद है पसंद मित्रता करना और निभाना। सबसे अधिक पसंद है।ताऊ : और क्या पसंद है?
अविनाश जी :पसंद तो यह भी है कि चौबीसों घंटे पढ़ता लिखता रहूं और ऐसा संभव नहीं है। सुबह उठते ही अखबार पढ़ना पसंद करता हूं। नियम से 5 हिंदी अखबार तो चाहिए ही, एक दो और बढ़ जाएं तो और अच्छा लगता है।ताऊ : कौन से अखबार पढते हैं? नाम बतायेंगे?
अविनाश जी : दैनिक भास्कर, हरिभूमि, जनसत्ता, नवभारत टाइम्स और सांध्य टाइम्स (पिछली शाम का जो अगली सुबह मेरे पास आता है).ताऊ : और कोई विशेष पसंद?
अविनाश जी : अब ब्लॉगिंग महापसंदगी है मेरी।ताऊ : हमारे पाठकों से कुछ कहना चाहेंगे?.
अविनाश जी : पाठकों से अधिकतर लेखक तो यही कहते हैं कि मेरी रचनाएं ही पढ़ो और खूब पढ़ो। पर मैं कहता हूं कि पढ़ो और जो अच्छा न लगे वो जरूर बतलाओ। चाहे अच्छा लगे वो न बतलाओ। इससे लेखन में सुधार आयेगा और गुणवत्ता में भी वृद्धि होगी।ताऊ : आप सोचते हैं कि कोई ऐसा होगा जो आपको अच्छा नहीं लगे वो बतायेगा?
अविनाश जी : हां ये आपकी बात सही है. अधिकतर पाठक और मित्र भी कि कहीं बुरा न लग जाये इसलिए जो अच्छा लगता है वही बताते हैं और बुरे के बारे में जिक्र करने को गोल कर जाते हैं। वैसे इसके अपवाद भी हैं और ऐसे सच्चे मुझे सदा लुभाते हैं।ताऊ : आप काफ़ी सुलझे हुये इंसान हैं. हमारे पाठकों को कोई विशेष टिप देना चाहेंगे?
अविनाश जी : लो जी ताऊ जी, करलो बात, आपके पाठकों को नहीं टिप दूंगा तो किसे दूंगा? आपने मुझे झाड़ पर जो चढ़ा दिया है तारीफ करके। मुझे गुदगुदी हो रही है ( वैसे कान में एक राज की बात बतलाऊं टिप तो वेटरों को दी जाती है। अब पाठकों को टिप दिलवाने पर, जरूर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम शुमार हो जाएगा ताऊ डॉट इन का। )ताऊ : तो चलिये बताईये.
अविनाश जी : वो खास बात यह है कि आप लेखक हैं अथवा नहीं। परंतु अपने विचारों को भागने दौड़ने मत दें मतलब जब भी आपके मन में विचार आयें तो उन्हें लिख लें क्योंकि एक बार विचार आये और चले गये तो उनके लौटने की कोई गारंटी नहीं है। इसलिए विचारों को धन समझकर अवश्य संजो लेना चाहिए। विचार ही धन है। बिस्तर पर तकिये के साथ धर्मपत्नी के अलावा एक डायरी, पैन और टॉर्च अवश्य साथ रहती है जब भी विचारों का प्रकाश फैला, सचमुच की टॉर्च जलाई और नोट कर लिया। अखबार पढ़ते समय भी पैन और नोटबुक साथ रहती है, पता नहीं कब कौन सा यूनीक विचार कहां से प्रकट हो जाए तो उसे लुप्त होने से पहले ही नोटबुक में कैद कर लेता हूं और चाहता हूं सब ऐसा ही करें।ताऊ : और लेखकों के लिए कुछ टिप उन्हें क्यों वंचित रखते हैं ?
अविनाश जी : जरूर, और लेखकों के लिए विशेष कि यदि अखबार अथवा पत्रिका जो भी जब भी पढ़ते हैं और उन्हें संजो कर रखते हैं कि इसे बाद में पढ़ेंगे तो उसे चिन्हित कर लें और अखबार या पत्रिका के पहले पन्ने पर उसका नंबर पैन से अवश्य लिख लें जिससे यदि दोबारा पढ़ने का मौका मिले तो यही न तलाशते रहें कि किसलिए इस अखबार को रखा था, कौन सा लेख या खबर पढ़नी थी। इससे समय भी बचता है। वैसे यह प्रबंध का मसला है। सभी को जिंदगी में ऐसे ऐसे सूत्रों को अपनाना चाहिये।
ताऊ : वाह अविनाश जी, आपने यह दोनों ही बहुत ही जोरदार और काम की महत्वपूर्ण बात बताई.
अविनाश जी : अब आप पूछेंगे तो हम तो काम की ही बात बतायेंगे हमेशा की तरह.ताऊ : आप कहां के रहने वाले हैं?
अविनाश जी : मेरा जन्म तो उत्तम नगर, नई दिल्ली में हुआ है। इसलिए यही कहूंगा कि वही मेरा गांव है और वही मेरा शहर।ताऊ : वाह बढिया नाम है उत्तमनगर?
अविनाश जी : वैसे उत्तम नगर में या कहीं भी आजकल उत्तम लोगों का अभाव है या यह कह सकते हैं कि सच्चे मन से तलाशें तो उत्तम लोग सब जगह हैं, सब जगह मिलते हैं, बस इस खोज को मनमाफिक परिणाम देने के लिए स्वयं को भी उत्तम होना होगा।ताऊ : जी सही कह रहे हैं आप. यहां का विकास भी उत्तम ही हुआ है?
अविनाश जी : यहां के बारे में यही कह सकता हूं कि इसका भी उसी तेजी से विकास हुआ है जिस तेजी से बाकी दिल्ली का विकास हो रहा है। मेट्रो यहां भी गुजर रही है। भीड़ बढ़ रही है। गुजारा भी हो रहा है और लोग गुजर भी रहे हैं।ताऊ : यानि आप दिल्ली के ही मूल निवासी हैं?
अविनाश जी : ना ताऊजी. हम आगरा में पैंतखेड़ा गांव के ऐसे निवासी हैं , जहां मैं एक बार भी नहीं गया हूं।ताऊ : आपका संयुक्त परिवार है या एकल?
अविनाशजी :सेमी संयुक्त परिवार है। आजकल वैसे भी सेमी का ही जमाना है। जैसे सेमी वाशिंग मशीन वगैरह।ताऊ : आपको कौन सा विकल्प ज्यादा फ़ायदे मंद लगता है?
अविनाश जी : ताऊजी , देखिये, संयुक्त परिवार के लाभों की तो तुलना ही नहीं की जा सकती है। पर सिर्फ चाहने से क्या होता है, एक चाहे, दूसरा न चाहे और दूसरा चाहे तीसरा न चाहे। वैसे सब सदा फायदेमंद की तलाश में ही क्यों लगे रहते हैं फायदेदार क्यों नहीं तलाशते ? ऐसे ही अक्लमंद बनना चाहते हैं अक्लतेज कोई नहीं बनना चाहता, ऐसा क्यों ताऊ जी ?ताऊ : हां आपकी यह बात तो सही है.
अविनाश जी : इसलिए होता वही है जो चाहा न जाए। नफे नुकसान तो सभी में हैं। संयुक्त परिवार में भी नुकसान हैं और अकेले रहने में भी नुकसान हैं। वो तो जैसा नजरिया होगा और परिस्थितियां होंगी उसी पर सब निर्भर करता है।ताऊ : आप ब्लॉगिंग का भविष्य कैसा देखते हैं?
अविनाश जी : ब्लॉगिंग का भविष्य तो गोल्डन डायमंड है इसमें कोई शक नहीं है। आपकी बातें बेरोकटोक वहां पर पहुंच रही हैं जहां तक आप सोच भी नहीं पा रहे हैं तो भविष्य में खुला खुला ही हुआ।ताऊ : जी, आगे बोलिये.
अविनाश जी : ब्लॉगिंग का खोल और खाल वास्तव में लाजवाब है। इसकी खाल में इंसान की खाल से भी अधिक आनंद आता है और इसके खोल में सब कुछ समा जाता है और जो इसके खोल में खो जाता है वो सब कुछ पा लेता है। खाल और खोल की एक बेहतरीन उपलब्धि है ब्लॉगिंग। इसे शब्दों और विचारों की जॉगिंग ही समझिए। इससे दिमागी स्वास्थ्य बना रहता है।ताऊ : आप कब से ब्लागिंग मे हैं? आपके अनुभव बताईये? आपका ब्लॉगिंग में आना कैसे हुआ?
अविनाश जी : जब हिंदी में ब्लॉग शुरू हुए तब पहला ब्लॉग बनाया था तेताला। उस पर रोमन हिन्दी में लिखा पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। दो चार बार यही लिखा कि कोई मुझे जानता है या पहचान रहा है।ताऊ : मतलब कोई रिस्पांस नहीं मिला?
अविनाश जी : शायद... तब ब्लॉग को कोई पढ़ने वाला ही नहीं था। लिंक पहुंचाने का कोई जरिया नहीं था। ई मेल संपर्क भी इतने नहीं थे।ताऊ : तो हिंदी के एग्रीगरेटर्स?
अविनाश जी : तब एग्रीगरेटर्स का तो वजूद ही नहीं था।ताऊ : तो फ़िर उस ब्लॉग का क्या हुआ?
अविनाश जी : ताऊजी, उस ब्लॉग का वही हश्र हुआ जो होना चाहिए था। यह शायद 2003 के आसपास की घटना रही होगी। मैं सब भूल गया। वर्ष भी एकाध बरस आगे या पीछे का हो सकता है।
स्व. डॉ. दिनेश चन्द्र वाचस्पति (पिताजी) | ये हैं दाढी वाले अविनाश, पत्नि सु. सर्वेश के साथ | अविनाश वाचस्पति और उनके परिवार के सदस्य गण |
ताऊ : तो यह वर्तमान सफ़र कब शुरु हुआ?
अविनाश जी : फिर एकाएक कादम्बिनी में बालेन्दु दाधीच का एक आलेख प्रकाशित हुआ था ब्लॉग हो तो बात बने। उसे पढ़ा जो आंखें, दिमाग खुल गया।ताऊ : अच्छा...फ़िर?
अविनाश जी : तब तक हिन्दी में लिखने छपने और सही तरह से दिखने की शुरूआत हो चुकी थी । 400 या 500 हिंदी ब्लॉग सक्रिय हो चुके थे। उस आलेख से प्रेरणा पाकर बगीची ब्लॉग बनाया।ताऊ : अच्छा यानि यह दूसरा ब्लॉग बना?
अविनाश जी : हां ...जब ब्लॉग बनाया तो डैशबोर्ड में पहुंचने पर तेताला भी दिखलाई दिया। वो भी चलता रहा। काफी पोस्टें लगाईं।ताऊ : तो बाकी ब्लॉग आपने बाद में बनाये?
अविनाश जी : हां...उसके बाद अपने नाम से प्रकाशित व्यंग्यों के लिए एक ब्लॉग बना लिया। फिर समाचारों पर साथ में प्रतिक्रिया देने के लिए झकाझक टाइम्स ब्लॉग बनाया। फिर एक नुक्कड़ बना लिया।ताऊ : पर नुक्कड़ तो सामूहिक ब्लॉग है ना?
अविनाश जी : हां ..पर बाद में नुक्कड़ को सामूहिक ब्लॉग का दर्जा दिया गया।ताऊ : यह प्रयोग कैसा रहा?
अविनाश जी : समय के साथ साथ इसमें काफी नये और प्रतिष्ठित लेखकों को भी जोड़ लिया है। नुक्कड़ अच्छा दौड रहा है।ताऊ : हमने सुना है आपने इसी श्रेणी में पिताजी नामक ब्लॉग भी बनाया है?
अविनाश जी : हां , अभी जून महीने में फॉदर्स डे के समाचार और लेख जब अखबारों में पढ़े तो सोचा कि क्या पिताजी नामक कोई हिंदी ब्लॉग मौजूद है।ताऊ : अच्छा..
अविनाश जी : गूगल व अन्य कई सर्च इंजनों में तलाश किया, जब नहीं मिला। तो पिताजी नाम से ब्लॉग बनाया।ताऊ : कैसा रहा यह प्रयोग?
अविनाश जी : ताऊजी, पहले दिन ही इस ब्लॉग से 24 लेखक जुड़े और 14 पोस्टें लगीं और सर्वाधिक प्रतिक्रियाएं मिली तथा पहले ही दिन बनने के दो घंटे के अंदर ही यह ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत से भी जुड़ गया और दिखने लगा।ताऊ : वाह जी बधाई इस सफ़लता के लिये आपको.
अविनाश जी : ताऊजी, यह सब पिताजी के प्रति हम सबके मन की भावनाओं का ही प्रतिफल है। 20 जून 2009 से शुरू किए गए इस ब्लॉग ने एक अच्छी पहचान बना ली है।ताऊ : अपने लेखन के बारे में क्या कहेंगे?
अविनाश जी : समाज की विसंगतियों के विरोध में जागृति लाना ही उद्देश्य है मेरे लेखन का। विधा चाहे कविता हो या व्यंग्य।ताऊ : अच्छा ये बताईये कि कविता और व्यंग्य में आप कैसे फ़र्क करेंगे?
अविनाश जी : व्यंग्य सच्चाई का वाहक होता है। आप सच सच कहते जाइए वही व्यंग्य हो जाएगा और जितना झूठ कहेंगे सब कविता। कविता यानी कल्पना। सच्चाई से बचने के लिए झूठ यानी कल्पना का ही सहारा लिया जाता है। इनमें अपवाद भी मौजूद होते हैं.ताऊ : यह कहते हुये आपको कवियों से डर नहीं लगता?:)
अविनाश जी : कवियों से तो तब लगेगा जब मौत से डर लगे। कवि भी अधिक से अधिक मार ही सकते हैं और जब मौत से डर नहीं तो बाकी किसी से काहे का डर। डरना तो उन्हें मुझसे चाहिए क्योंकि अगर वे मुझे डरायेंगे तो उनका एक श्रोता कम हो जाएगा और एक कवि कम पारिश्रमिक लेना तो बर्दाश्त कर सकता है परंतु श्रोताओं के नाम पर चींटी या मच्छर भी कम नहीं होने चाहिए। वैसे मैंने आजकल हंसाने की मुहिम चला रखी है।ताऊ : कहां पर ?
अविनाश जी : हंसते रहो हंसाते रहो ब्लॉग पर पप्पू मुन्ना पर लिखी हास्य व्यंग्य कवितायें खूब धमाल मचा रही हैं। पाठक भी जो इन किरदारों से न मिलें हो इनके कारनामों और करतूतों से रूबरू हो सकते हैं।
ताऊ : क्या राजनीति में आप रुचि रखते हैं?
अविनाश जी : अगर कहूं कि नहीं रखता तो गलत होगा क्या पता किसी दिन राजनीति में ही जाना पड़ जाए। पर प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहूंगा.ताऊ : वाह ! लोग मरे जाते हैं प्रधानमंत्री बनने के लिये..और आपको इससे एलर्जी? ऐसा क्यों?
अविनाश जी :अरे नहीं नहीं ताऊजी, ऐसी कोई बात नहीं है...अगर कोई बनाएगा तो मना भी नहीं करूंगा।ताऊ : हां ये हुई ना सच्ची बात..
अविनाश जी : देखिये ताऊजी... लेखक को प्रत्येक नीति, अनीति में रुचि रखनी चाहिए और मैं भी रखता हूं।ताऊ : क्या कहना चाहेंगे आज की राजनीति के संदर्भ में?
अविनाश जी : राजनीति का उर्दू समानार्थी शब्द सियासत है जबकि आज राजनीति में न सीता है और न सच है फिर भी कहलाती सियासत है। यही आज की राजनीति की विडंबना है।ताऊ : यानि आप कहना चाहते हैं कि आज की राजनीति में सही लोगों की कमी है?
अविनाश जी : जी, क्यूंकि अगर राजनीति में सही लोग हों तो देश स्वर्ग बन जाए और यहां के निवासी स्वर्गवासी।ताऊ : बात तो आपकी सही लगती है.
अविनाश जी : ताऊजी शायद इसीलिए सही लोग भी राजनीति में जाकर सही नहीं रह पाते हैं और जो दो चार रहते भी हैं तो उनके बूते तो कुछ हो नहीं सकता इसलिए देश स्वर्ग और यहां के निवासी स्वर्गवासी बनने से बचे रहते हैं।ताऊ : यानि ये आपके पक्के विचार हैं?
अविनाश जी : विचार तो यही हैं पर अगर राजनीति में एक बार घुस गया तो विचार बदल भी सकते हैं। उन पर टिके रहने की कोई गारंटी नहीं है। फैशन के इस युग में गारंटी की किसी को इच्छा करनी भी नहीं चाहिये।ताऊ : मतलब? आप राजनीति में जाकर बदल भी सकते हैं?
अविनाश जी : वैसे कोशिश तो यही करूंगा कि सही ही रहूं और सही ही करने की कोशिश करूं पर अगर गलत वाले हावी हो गए और मेरा बस नहीं चला तो उनकी गलत बस ही मेरे उपर चल जाएगी और उसे मैं और आप क्या, कोई भी नहीं रोक सकता है। सब फिल्मों में यह देखते ही हैं और फिल्में वही दिखलाती हैं जो समाज में है।ताऊ : कुछ अपने स्वभाव के बारे मे बताईये.
अविनाश जी : स्वभाव सबके अलग अलग होते हैं। अलग अलग व्यक्तियों के साथ अलग अलग।ताऊ : मतलब?
अविनाश जी : मतलब जैसे परिवार के सदस्यों के साथ अलग। मित्रों के साथ अलग। सहकर्मियों के साथ अलग। पड़ोसियों के साथ अलग। लेखकों के साथ अलग।ताऊ : मतलब आप सबके साथ..अलग अलग स्वभाव रखते हैं. यानि सामने वाला जिस हैसियत का हो?
अविनाश जी : अब यह कहूं कि नहीं मैं सबके साथ एक जैसा हूं तो यह सच है कि मैं झूठ कह रहा हूं और जो ऐसा कहता है वो झूठ ही कहता है। मेरे स्वभाव के बारे में मेरे से अधिक आप ब्लॉग पर एक पोस्ट लगाकर सच्चाई जान सकते हैं। और सबके साथ एक जैसे मतलब दोस्त के गले में भी बाहें, बॉस के गले में भी बाहें, पत्नी के गले में भी बाहें, प्रेमिका के गले में भी बाहें, पड़ोसी से गले मिलना तो ठीक है परन्तु पड़ोसिन के साथ ??? अब भी कुछ खुलासा करना बाकी रह गया है। मैं कोई मुन्नाभाई एम बी बी एस वाला मुन्नाभाई तो हूं नहीं जो सब नॉल पा लेंवा जफ्फी। हां, मुन्ना मेरा प्यार का नाम तो है।
स्व. डॉ. हरिवंश राय बच्चन के साथ (१९८२-१९८३) | श्रीमती और श्री अविनाश वाचस्पति (फ़ुरसत के पलों में) | पुत्र अंशुल वाचस्पति, महेंद्र सिंह धोनी के साथ |
ताऊ : आपकी अर्धांगिनी के बारे मे कुछ बताईये?
अविनाश जी : मेरी पत्नी भक्त हैं।
ताऊ : मतलब?
अविनाश जी : मतलब ये कि वो पूजा पाठ में घनघोर रुचि रखती है। पढ़ती हैं पर लिखने में कोई रुचि नहीं।ताऊ : क्या आपकी रचनाएं वो पढती हैं?
अविनाश जी : मैं झूठ नहीं कहूंगा कि मेरी सब रचनाएं सबसे पहले वही पढ़ती हैं जबकि सबसे बाद तक भी वे पढ़ लें तो मेरी रचनाओं की खुशकिस्मती है।ताऊ : यानि आपकी सबसे अच्छी पाठक?
अविनाश जी : हां जिस रचना से पारिश्रमिक मिलना हो तो उसे अवश्य पढ़ लेती हैं। बाकी इंटरनेट पर या अखबारों में कितना ही कैसा भी कुछ भी छप जाए उससे वे प्रभावित मोहित नहीं होती हैं। अखबारों से जितना मुझे प्यार है। वे सिर्फ एक दिन का ही मोह रखती हैं। फिर दोनों का स्वभाव एक सा तो हो नहीं सकता।ताऊ : भाग्य पर यकीन करते हैं?
अविनाश जी : एक हद तक. मैं कहना चाहता हूं कि जो हम चाहते हैं वो नहीं होता है और जो नहीं चाहते हैं वही होता है। मैंने चाहा था कि ताऊ डॉट इन पर 10 हजारवीं टिप्पणी विजेता बनूं पर नहीं बना। पर कर्म पर पूरा यकीन है मेरा इसलिए 10 हजार 1वीं टिप्पणी कर्म का मीठा फल ही है।ताऊ : पूजा करते हैं?
अविनाश जी : मेरे लिए लेखन ही पूजा है । यह पूजा मैं अंतिम सांस तक करना चाहता हूं। चाहे पारिश्रमिक मिले अथवा न मिले।ताऊ : इसके पीछे कोई फ़लस्फ़ा?
अविनाश जी : जब सब यहीं छोडकर जाना है तो किसलिए बटोरें। अपने आज को बेहतर ढ़ंग से क्यों न जी लें। जियें भी और सबको जीने दें। दूसरों के जीने पर न चढ़ें।ताऊ : ताऊ पहेली के बारे में आप क्या सोचते हैं?
अविनाश जी : ताऊ पहेली ब्लॉगिंग की एक सुखद घटना है। इससे ब्लॉगिंग के कई आयाम खुले हैं। कितने ही लोग एक दूसरे से जुड़े हैं। एक दूसरे से परिचित हुए हैं। पहेलियों के माध्यम से ज्ञानवर्द्धन और टिप्पणियों के माध्यम से मनोरंजन हो रहा है। बहुमुखी ब्लॉग कह सकते हैं ताऊ डॉट इन को।ताऊ : अक्सर पूछा जाता है कि ताऊ कौन? आप क्या कहना चाहेंगे?
अविनाश जी : ताऊ एक सच्चे इंसान हैं जिन्होंने निच्छलता से जानवर के चेहरे को वर रखा है। जानवर का चेहरा पहन कर सामने आना इंसान की अच्छाईयों को प्रस्तुत करने का सच्चा माध्यम है।ताऊ : ताऊ साप्ताहिक पत्रिका के बारे में आप क्या सोचते हैं?
अविनाश जी : ऐसा दिन आए कि इसका प्रकाशन भी हो। प्रिंट मीडिया में भी इसकी ख्याति हो। जिससे ज्ञान की इस थाती से सब परिचित हों और यह रोज सुबह आने वाली दैनिक पहेली बन जाये। इसमें सचमुच का एक पांच हजार का पुरस्कार शुरू हो जाए।ताऊ : आपकी कोई एक इच्छा?
अविनाश जी : ताऊ पहेली का मालिक मुझे बना दो ताऊजी। पर ताऊगिरी आपकी ही चलती रहे।
अंत में " एक सवाल ताऊ से"
सवाल अविनाश जी का : ताऊ जी मुखौटा हटाकर सामने क्यों नहीं आना चाहते हैं? क्या वे इतने सुंदर हैं कि सलमान, आमिर, सैफ, शाहरुख या अमिताभ को खतरा हो सकता है या जानवरों की निच्छलता से प्रेम।
जवाब ताऊ का: इस सवाल का जवाब हम पारुल जी द्वारा किये गये सवाल के जवाब में विस्तार से दे चुके हैं. यहां दोहराव करना ठीक नही होगा. आप इसके लिये "परिचयनामा : सुश्री पारूल…चाँद पुखराज का" पढ कर जान सकते हैं.
तो ये थे हमारे आज के मेहमान श्री अविनाश वाचस्पति...इनसे मिलकर आपको कैसा लगा? अवश्य बताईयेगा.
अविनाश वाचस्पति जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा.. हमें तो पता ही नहीं था कि वो हमारे अग्रज श्री श्याम माथुर जी के इतने करीब है.. हैपी ब्लॉगिंग
ReplyDeleteअविनाश वाचस्पति जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा.. आपका बहुत बहुत धन्यवाद !!
ReplyDeleteवहुत सारी फोटो के साथ अविनाश जी का परिचय पा कर मजा आया...शुरू शुरू में जवाब घुमाते से लगे...फिर पटरी पर आ गए :)
ReplyDeleteपरिचय का अंदाज़ अच्छा और ताऊ का शुक्रिया.
ReplyDeleteवाह!!! अविनाश जी आपके नेक विचारों से अवगत होकर बहुत अच्छा लगा....
ReplyDeleteमीत
अविनाश वाचस्पति से परिचय कराने का आभार....बेहद खुशमिजाज व्यक्तित्व के मालिक है अविनाश जी. उन्हें और उनके परिवार को हमारी शुभकामनाये.
ReplyDeleteregards
बढिया परिचय नामा ताउजी . आज आपके माध्यम से पहली बार हंसते रहो हंसाते रहो ब्लॉग पर जाने का मौका मिला .
ReplyDeleteपंकज
अविनाश वाचस्पति जी के परिचय का अंदाज़ बहुत अच्छा लगा.. अविनाश जी को हमारी शुभकामनाये!!!
ReplyDeleteअच्छी लगी मुलाकात.
ReplyDeleteअविनाशजी शुरू में जवाब क्यों गोल गोल कर रहे थे यह पता नहीं चला! सीधी बात होनी चाहिए, तब ही मजा आता है.
:)
वाह ताऊ...इतना तो हम भी अब तक नहीं जान पाये थे अविनाश भाई के बारे में..बडे छुपे रुस्तम निकले ..उनकी दोनों सलाह गांठ बांध कर रख ली हैं....एक और संग्रहणीय अंक...
ReplyDeleteअविनाश वाचस्पति जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा.. अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteचाचा जी, आपको वैसे तो मै बहुत अच्छे से जानती हूँ, सारे जवाब उम्मीद के मुताबिक ही निकले... सब गोल चक्कर काट रहे हैं.. हँसाना तो आपको मजे से आता है... और आप उतने ही अच्छे इंसान भी हैं.. और सबसे प्यारे चाचा जी भी हैं :), वैसे प्यारे तो होने थे मेरे चाचा जी जो हैं ना...
ReplyDeleteताऊ जी चाचा जी की गोल गोल बाते सुनवाने के लिये शुक्रिया...
अविनाश जी का इससे छोटा साक्षात्कार तो बनता ही नहीं था...बहुत रोचक रहा... ताऊ और अविनाशजी एक दुसरे को इतनी देर तक झेल पाए ...बधाई ..!!
ReplyDeleteअविनाशजी से जुड़े और तथ्यों से परिचित कराने के लिए ताऊ का बहुत आभार..!!
अविनाश जी के कुछ अनछुए पहलू पता चले। इनसे मिलकर हमेशा ही अच्छा लगता है आज भी लगा। इनकी टिप्पणी की तो बात ही कुछ और है। एक अलग अंदाज में। फोटो सुन्दर।
ReplyDeletebahut umda parichay. shubhakamanae.
ReplyDeleteअविनाश जी यत्र तत्र सर्वत्र व्याप्त रहने वाले ब्लॉग हैं, फिरभी उनके बारे में बहुत कुछ पहली बार ही जाना। आभार
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत कुछ सीखने को मिला इस इंटर्व्यु से. अविनाशजी को शुभकामनाएं ताऊजी को धन्यवाद,
ReplyDeleteसीधे सवाल ..गोल गोल जवाब ..फ़िर गाडी गंतव्य तक सही पहुंची. बहुत रोचकता के साथ संपन्न हुआ यह साक्षात्कार.
ReplyDeleteस्टूडियो वाली फ़ोटो बडी लाजवाब लग रही है.
ताऊजी कभी हमको भी बिठालो इस होट सीट पर?:)
सीधे सवाल ..गोल गोल जवाब ..फ़िर गाडी गंतव्य तक सही पहुंची. बहुत रोचकता के साथ संपन्न हुआ यह साक्षात्कार.
ReplyDeleteस्टूडियो वाली फ़ोटो बडी लाजवाब लग रही है.
ताऊजी कभी हमको भी बिठालो इस होट सीट पर?:)
सीधे सवाल ..गोल गोल जवाब ..फ़िर गाडी गंतव्य तक सही पहुंची. बहुत रोचकता के साथ संपन्न हुआ यह साक्षात्कार.
ReplyDeleteस्टूडियो वाली फ़ोटो बडी लाजवाब लग रही है.
ताऊजी कभी हमको भी बिठालो इस होट सीट पर?:)
बहुत सुंदर और बहुत कुछ सीखने लायक इंटर्व्यु.
ReplyDeleteधन्यवाद.
अति रोचकता पुर्ण इंटर्व्यु के लिये धन्यवाद.
ReplyDeleteअभी आधा ही पढ़ा ...और comment करने से रोक नही पा रही हूँ ..जैसा अनुमान लगाया था , अविनाशजी उसी तरीके से उत्तर देते रहे ...कोई हँसे भी तो कितना ...कई बार सर भी पीट लिया जवाब पढ़ते पढ़ते....अब पेट दर्द हो रहा है ..commercial ब्रेक के बाद उर्वरित पढ़ा जाएगा ......वरना मेरी ह्त्या का इल्ज़ाम अविनाशजी के सर पे आयेगा!
ReplyDeleteआज पहले बार मालूम हुआ कि इतना शानदार ब्लाग इंटर्व्यु भी हो सकता है. मैं तो इसे लाजवाब कहुंगा. बहुत शुभकामनाए अविनाश जी को और ताऊ आपकि मेहनत को तो नमन है ही. आपने स्टूडियो बडा जोरदार बनवाया. धन्यवाद.
ReplyDeleteआज पहले बार मालूम हुआ कि इतना शानदार ब्लाग इंटर्व्यु भी हो सकता है. मैं तो इसे लाजवाब कहुंगा. बहुत शुभकामनाए अविनाश जी को और ताऊ आपकि मेहनत को तो नमन है ही. आपने स्टूडियो बडा जोरदार बनवाया. धन्यवाद.
ReplyDeleteमजा आगया ताऊजी.
ReplyDeleteधन्यवाद,
अविनाश जी से मिल कर बहुत कुछ जाना, समझ. बहुत रोचक रहा यह परिचयनामा. ताऊ का आभार.
ReplyDeleteवाह भाई अविनाश जी यहाम आपसे मिलना भा गया।
ReplyDeletearey waah ! bada maza aaya !
ReplyDeletehappy blogging !
:)
bhai avinash ji
ReplyDeletealag andaz me prastut interview ne khoob maza diya. aapke dimag ki batti kabhi fuse na ho. badhaiii.
ghanshyam
अब हम क्या टिप्पणी दें ? अविनाश जी का लेखन के प्रति समर्पण काबिले तारीफ़ है , एक बेहतर पिता हैं , पति हैं , मित्र हैं ,सबसे बढ़कर बेहतर इंसान है ,ताऊ का बहुत बहुत शुक्रिया उनका परिचय सबसे करवाने के लिए .
ReplyDeleteश्री अविनाश वाचस्पति se milke achha laga...interesting interview thi....
ReplyDeleteअविनाश वाचस्पति जी के विचारों के बारे में इतना कुछ जानकर बहुत अच्छा लगा। सब इसी तरह दूसरों को खुश देखना चाहें तो दुनिया स्वर्ग बन जाए।
ReplyDeleteपरिचयनामा पढने से पहले हम भी अविनाश जी से इस प्रकार के जवाबों की ही उम्मीद लगाये बैठे थे....ओर वे हमारी उम्मीदों पे पूरी तरह से खरे उतरे:)
ReplyDeleteअविनाश जी वाकई में एक जिन्दादिल इन्सान हैं!!!!
जैसी कल्पना की थी,वैसा ही,इन्टरवियू निकला,हसते,हसते पेट मे बल पड गये,इस हसाने के लिये ताउ जी और अविनाश जी को धन्यवाद,मेरी हसी पडोसीयो तक को सुनाई दे रही है.
ReplyDelete.
ReplyDelete.
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धन्यवाद ताऊ जी,
अविनाश जी के बारे में इतनी जानकारी एक साथ मिल गई, अविनाश जी हिन्दी ब्लोगिंग के आधार स्तंभों में से हैं।
साधुवाद...
बहुत अच्छा लगा अविनाश जी का परिचय बधाई
ReplyDeleteश्री अविनाशजी वाचस्पति" के साथ भेटवार्ता, हिन्दी ब्लोगरो को एक स्तम्भ से परिचय करवाने जैसा रहा।
ReplyDeleteआदरणीय ताऊजी!
आप अपना बहुमुल्य समय देकर हिन्दीब्लोगिग के विकास मे विभिन्न रुपो से ताऊ डॉट के माध्यम से जो सेवाऍ प्रदान कर रहे है यह प्रसशनिय है। श्री अविनाशजी वाचस्पति को हम पढते है, किन्तु पुरा परिचय तो आज आपने करवाया। इतने जानदार, ज्ञानदार, साहित्यक व्यक्तित्त्व से रुबरो होकर आज मन को प्रसन्न्ता हुई की हिन्दी ब्लोगिग मे एक से एक अपने अपने क्षैत्र मे विशेषगुणवान लोग मोजुद है।
हिन्दी चिठठाकारोज!, अब चिन्ता की कोनोही बात नही, बडे ही धड्डल्ले से खिचकर हिन्दी ब्लोगिग को आसमान की ऊचाईयो पर पहुचाने के लिए श्री अविनाशजी वाचस्पति एवम कई कई युवाब्लोगर मोजुद है।
श्री अविनाशजी वाचस्पति को हार्दीक शुभकामनाऍ, एवम उनसे बहुत सारी उम्मीदे है आशाए है हम नऍ लोगो को सिखने के लिऍ।
हेपी ब्लोगिग
आभार/मगलभावनाओ सहीत
हे प्रभू यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
वाह बढ़िया अंदाज, अविनाश जी की तो बात ही अलग है, हरिवंशराय बच्चनजी के साथ का फ़ोटो तो बहुत ही अच्छा लगा।
ReplyDeleteअविनाश जी से मिल चुका हूँ, वे वाकई बहुत निश्छल हैं। और एक समर्पित ब्लागर-लेखक भी। वे अक्सर लोगों को खुद बताते हैं कि मैं ही अविनाश वाचस्पति हूँ, और लोग यकायक विश्वास नहीं कर पाते।
ReplyDeleteआप सबका इतना प्यार देखकर अभिभूत हो गया हूं
ReplyDeleteमुझे भूत होने से बचाओ
जो रह गए हैं मेरे मित्र/शत्रु इसे पढ़ने से
जल्दी से आओ इसे पढ़ जाओ
अच्छी अच्छी बतला रहे हो
कोई तो ऐसी बात भी बतलाओ
जो मेरी पसंद न आई हो
मुझे इंसान ही रहने दो
ताऊ की तरह झाड़ पर चढ़ाकर
देवता मत बनाओ।
ताऊ स्टुडियो का फ़ोटू अच्छा लगा. अविनाश वाचस्पति को मिल कर मन खुश हो गया.
ReplyDeleteभाई अविनाश जी को तीन दशक से जानने के बाद भी उतना ही नया लगा जैसे पहली बार लगा था. ये एक मस्त इंसान हैं. साक्षात्कार के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteअविनाश जी से परिचय कराने के लिये शुक्रिया।ताऊ जी आप तो सूट मे जम रहे हो।स्टूडियो भी ज़ोरदार है अविनाश जी भी जम रहे हैं।
ReplyDeleteआपसे टिप्पणियों के माध्यम से तो रोज मिलना होता है, पर अच्छी तरह आपको जानने समझने का अवसर तो ताऊ जी के द्वारा ही मिला है, इसलिए ताउजी का सबसे पहले आभार ! आपने जिस तरह इस मुलाक़ात में अपना दिल खोलकर रखा है उसपर मुझे कुछ कहना है जो की आप पर लागू होता है-
ReplyDeleteजिंदगी है मेरी, खुली किताब जैसी,
जिसका भी दिल चाहे उठा इसे पढ़ ले...!
bahut zabardast sakshatkaar taau ji..
ReplyDeleteavinash ji ko jaanane ka mauka mila hai..
aapse mil kar bahut khushi hui hai..
aananad aa gaya..
badhai..
अविनाश जी के बारे में और अधिक जान कर अच्छा लगा
ReplyDeleteअविनाश वाचस्पति जी का परिचय बहुत ही अच्छा लगा. आरम्भ में जो उत्तर पढ़े तो ऐसा लगा कि अविनाश जी भी नेताओं की भाषा में बोल रहे हैं जैसे नेता लोग असली बात को घुमाफिरा कर या फिर बात को गोलमाल कर देते हैं. लेकिन जैसे जैसे बातें आगे बढ़ीं, तो पता लग रहा था कि ऎसी बात नहीं थी. ये कह सकते हैं कि जो भाव दिल में हैं, बातों में उनका ही अक्स था, उनमें सच्चाई थी. लोग ऐसे अवसरों पर अपनी कमियों का ज़िक्र करना पसंद नहीं करते. अविनाश जी ने धड़ल्ले से इस शब्दों में स्वीकार कर लिया जिससे वास्तव में उनका माथा नीचा नहीं, और भी ऊंचा हो जाता है:
ReplyDelete'विचार तो यही हैं पर अगर राजनीति में एक बार घुस गया तो विचार बदल भी सकते हैं। उन पर टिके रहने की कोई गारंटी नहीं है। फैशन के इस युग में गारंटी की किसी को इच्छा करनी भी नहीं चाहिये।'
'वैसे कोशिश तो यही करूंगा कि सही ही रहूं और सही ही करने की कोशिश करूं पर अगर गलत वाले हावी हो गए और मेरा बस नहीं चला तो उनकी गलत बस ही मेरे उपर चल जाएगी और उसे मैं और आप क्या, कोई भी नहीं रोक सकता है। सब फिल्मों में यह देखते ही हैं और फिल्में वही दिखलाती हैं जो समाज में है।'
ऎसी कितनी ही बातों से व्यक्तिगत रूप से मुझे अविनाश जी उन 'अपने ही मियां मिट्ठू ढोलपीटू' लोगों से बिलकुल अलग लगे जिसका मैं आदर करता हूँ.
फोटो देख कर बड़ा अच्छा लगा.
अविनाश जी को जीवन के हर कदम पर सफलता मिलती रहे, यही कामना है. हाँ, ताऊ जी को ऐसे आनंदमय, सार्थक और रोचक वार्ता के लिए धन्यवाद. ताऊ जी, आपको ताऊ जी कहने में थोड़ी सी हिचकिचाहट हो रही है क्योंकि ऐसा न हो कि आप मेरी उम्र (७६) से आधे भी न हो तो यह रिश्ता उल्टा न हो जाये.
महावीर
मंथन
ताऊ.इन के चर्चे बहुत सुने थे आज अविनाश भाई के इस निराले परिचयनामे के जरिये ये भी जान लिया कि इस रोज बदलती दुनिया मे़ कोई इतना सरल, सहज और अन्दर बाहर एक हो सकता है. अविनाश हिन्दी ब्लोगिन्ग के अर्जुन है विचार का तीर पलक झपकते ही ब्लोग पर ले आना और निरन्तर सक्रिय रहना और लेखन के प्रति उनका समर्पण बहुत प्रभावित करता है.
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteअविनाशजी के बारे में विस्तार से जान कर सुख मिला
बहुत बहुत बधाई !
ताऊ जी राम राम आज आप के दुवारा अविनाश जी से मिलने का, उन के बारे जानने का मोका मिला, बहुत अच्छा लगा,
ReplyDeleteदिसमबर मै दिल की इच्छा है कि आप सब को एक जगह इकत्र करू ( रोहतक मै ) यानि एक बार सब से मिलने का दिल है, देखे कब पुरी होती है यह इच्छा.
अविनाश जी उत्तम नगर के हैं यह जानकार अच्छा लगा. वैसे अगर मध्यम नगर के होते तब भी शायद इतने ही उत्तम होते. उनकी बातें सुनकर मज़ा आ गया.
ReplyDeleteसीधे सवालों के बहुत अच्छे गोल-मोल जबाब दे डाले अविनाशजी। बधाई इस लेन-देन के लिये।
ReplyDeleteअविनाश जी से मिल कर बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteवर्षों से इंटरव्यू ले रही हूँ और अनगिनत इंटरव्यू लिए हैं. ताऊ जी, इस ब्लाग इंटरव्यू ने कमाल कर दिया. आफरीन ..
अविनाश जी, आप के कुछ उत्तरों से बहुत कुछ समझा और सीखा है. हार्दिक बधाई स्वीकार करें...
साधुवाद!
अविनाश जी से मिल कर बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteवर्षों से इंटरव्यू ले रही हूँ और अनगिनत इंटरव्यू लिए हैं, पर ताऊ जी आप के इस ब्लाग इंटरव्यू ने कमाल कर दिया. आफरीन...
अविनाश जी के कुछेक उत्तरों से बहुत कुछ सीखा और समझा.
हार्दिक बधाई! साधुवाद.
ताऊ के स्टूडियो वाली फोटो तो एकदम धांसू है.. पुरे सौ नंबर
ReplyDeleteबडा मज़ा आया!ईस महेमान और मेज़बान से मिलकर।
ReplyDeleteजबरदस्त इंसान हैं...ऐसे इंसान से मिलकर किसे आनंद नहीं आएगा...उनके सुलझे हुए विचारों को जान कर बहुत अच्छा लगा...शुक्रिया आपका.
ReplyDeleteनीरज
अविनाश वाचस्पति जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा।
ReplyDeleteअविनाश वाचस्पति का इंटर्व्यु लेते हुये ताऊ फर्जी है, अविनाश वाचस्पति असली है।
मेरी दृष्टि में तो दोनों ही धुरंधर हैं......
दोनों को ही बधाई!
वाचस्पति जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा..धन्यवाद...
ReplyDeleteअविनाश वाचस्पति जी से परिचय बहुत अच्छा रहा ...ब्लोगर मित्रों के बारे में अधिक जानकार ख़ुशी होती है..रचनाओं से तो हम कुछ हद तक ही समझ जातें हैं !!
ReplyDeleteताऊ जी इस नेक कार्य के लिए आपको भी बहुत शुक्रिया !!!
अविनाश जी का परिचय पढ़कर आनंद आया। पर अविनाश जी और ताऊ जी क्षमा मांगते हुए एक बात कहना चाहता हूं। अविनाश जी लेखकों को टिप्स देते हुए आपने जिस तरह से अपनी धर्मपत्नी का जिक्र किया वह कुछ जमा नहीं। निश्चित ही आप अपनी धर्मपत्नी के बारे में ही बात कर रहे हैं,पर महिलाओं के प्रति इस तरह की टिप्पणी मेरे निजी विचार में सम्मानजनक नहीं है। आशा है आप मेरी बात को अन्यथा नहीं लेंगे।
ReplyDeleteavinash ji se to me pehale hi milchuka ho bahut acche insaan he aur tau ji se aur bahut kuch janne ko mila ... badhaie bahut badiya
ReplyDeletemare bhe bahut iccha ho rahe hai ab to tauji se mile ne :)
ReplyDeleteबढिया परिचय नामा ,परिचय का अंदाज़ अच्छा है!बहुत बहुत धन्यवाद .
ReplyDeleteवाचस्पति जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा!!
ReplyDeleteजवाब घुमाते से लगे...वाचस्पति जी??
स्टूडियो वाली फ़ोटो बडी लाजवाब लग रही है!!
Ji Avinash ji...aapka sakshatkaar padha....ghar par bhi charcha ki....natija yeh nikla ki sabhi ne taarif ki......aur aapke is saakshatkaar se aapko hamare ghar ki nayi sadasya (Meri dharam patni) bhi jaan gayin :-)
ReplyDeleteJi Avinash ji...aapka sakshatkaar padha....ghar par bhi charcha ki....natija yeh nikla ki sabhi ne taarif ki......aur aapke is saakshatkaar se aapko hamare ghar ki nayi sadasya (Meri dharam patni) bhi jaan gayin :-)
ReplyDeleteAvinashj ke baare mein vistar se padhkar aur jaankar achha laga. Dhanyawad.
ReplyDeleteअविनाश वाचस्पति से मिले तो हैं पर इतना अधिक उन्हें आपके इस साक्षात्कार से ही जाना ..शुक्रिया
ReplyDeleteअविनाश वाचस्पति से इस मजेदार मुलाकात के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteब्लॉगर्स की दुनिया में एक पसंदीदा नाम आपने और चुना इसके लिए बहुत बहुत बधाई। इंटरव्यू रोचक और अविनाश भाई के जीवंत पहलुओं को उजागर करने वाला है। मगर माहौल मजाहिया हो जाने के कारण लगता है कुछ तथ्य जो गहरे छिपे हैं, सामने नहीं आ पाये हैं। आपके सीधे सवालों को अविनाश भाई कहीं कहीं गोल कर गये। अगली बार सही।
ReplyDeleteविचारों को नोट करने और अखबारों को व्यवस्थित रखने के टिप्स के लिए धन्यवाद। मजेदार इंटरव्यू।
ReplyDeleteएक सीधे-सरल व्यक्तित्व को लोगों से साक्षात् करवाने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteअविनाश जी को बधाई पहुँचे।
अविनाशजी जैसे प्यारे इन्सान को साक्षात्कार भी बहुत प्यार से लिया आपने। आपने उन्हें सरकने नहीं दिया, और वो सरकने की कोशिश में और पास आते गए :)
ReplyDeleteधांसू प्रस्तुति...
नेहरू जी के बारे में कहा जाता था कि उनके दिन के 28 घंटेहोते थे जिनमें से वे 24 घं
ReplyDeleteटे काम करते थे और बाकी 4 घंटे में अपनी व्यक्त्गित जरूरतें पूरी करते थे1 और भी कुछ लोग ऐसे बताये जाते हैं जो अपने एक एक पल का भरपूर उपयोग करने में विश्वास रखते हैं1
आपका ये साक्षात्कार पढ़ कर यकीन हो चला है कि आदमी में अगर अपने आप पर यकीन हो तो वो दोनों हाथों से लगातार रचनाएं लिख कर न केवल पोस्ट कर सकता हैबल्कि पूरे ब्लाग संसार मे कयाक लिखा जा रहा हैउसे न केेवल पढ़ सकता है बलिक सरस कवितामय टिप्पणी भी कर सकता है
आज से आप हमारे गुरु ठहरे।।
बहुत काम कर रहे हो गुरु
सूरज
अर्सा पहले मैंने भी निजी तौर पर अविनाशजी का इंटरव्यू किया था। इंटरव्यू क्या था बस कौतुहल था सो पूछता रहा सवाल दर सवाल और उनके गोल गोल जवाब आते रहे। तभी समझ में आ गया था कि एक दिन अविनाशजी राजनीति में जरूर जाएंगे। इस ताऊ ने साफ कर दिया कि एक दिन जरूर अविनाशजी राजनीति में जाएंगे।
ReplyDeleteप्रधानमंत्री पद के लिए हम शुभकामनाएं दे देते हैं। :)
बहुत सुन्दर परिचयनामा है. ताऊ जी ने कमाल का इंटरव्यू लिया है. बहुत अच्छा लगा पढ़ कर.
ReplyDeleteअविनाशजी बढ़िया है।
ReplyDeleteमेरे व्यंग्य लेखों का एक सजीव पात्र गोखले, जी हां मैं ठिठोलीवश अविनाश को गोखले ही कहता हूं..
ReplyDeleteपच्चीस तीस साल पुराना परिचय जो है.. सो मुझे परिचय पढ़ने से ज्यादा परिचय मालूम है। इस परिचय में ताऊजी ने काफी कुछ देने का सराहनीय प्रयास किया है, फिर भी ... बहुत सारी खूबियों से लबालब है ये जीवधारी। मेरे व्यंग्य लेख में अविनाश नाम आते ही लेख भी सजीव हो उठता है। आप लोग अगर पढ़ना चाहें तो http://words.sushilkumar.net/
जिन्ना और ता ता धिन्ना पढ़ सकते हैं या फिर ज्यादा व्यंग्य लेख पढ़ने हों तो चटका लगाकर पढ़ सकते हैं। http://chokhat.blogspot.com/
लिंक हाजिर है।
मुझे टिप्पणियां पढ़ कर अत्यंत खुशी हो रही है कि मेरे मित्र गोखले को लोगों का कितना प्यार मिल रहा है। इसका ज्यादा श्रेय ताऊजी को भी जाता है।
मेरी तरफ से दोनों को बधाई और स्नेह।
देर आए दुरुस्त आए... अविनाशजी से मिल चुके है लेकिन ताऊजी के कारण और विस्तार से जानकर अच्छा लगा...पारुल के साक्षात्कार में जितमोहनजी की कविता के माध्यम से आपका जवाब लाजवाब लगा ---
ReplyDeleteशक्ल हो बस आदमी की क्या यही पहचान है।
ढूँढ़ता हूँ दर-ब-दर मिलता नहीं इन्सान है।।
अविनाश जी के नेक विचारों से अवगत होकर बहुत अच्छा लगा|
ReplyDeleteआविनाश जी आपको बहुत नजदीकी से जानने का मौका मिला, आपके पुत्र की घोनी के साथ फोटो देखी खुशी मिली, शादी के लिये जब उसकी प्रेमिका धोनी के साथ फोटो मॉंगेगी तो उनके पुत्र को दुकान नही बेचनी पड़ेगी। :)
ReplyDeleteWah avinash ji ke bare mein aur zayada jaanna achha laga
ReplyDeletebahut achhha interview
अविनाश जी एक बेहतरीन लेखक हैं और उससे भी बेहतरीन इंसान। उनसे मुलाकात कर अच्छा लगा।
ReplyDeleteनीरज बधवार
bahut maja aaya
ReplyDeleteअविनाश जी के नेक विचारों से अवगत होकर बहुत अच्छा लगा उनकी छंदमयी टिप्पणियां सभी को अच्छी लगती है ।
ReplyDeleteबहुत बढिया। ऐसे प्रयासों का सबसे बडा फायदा यह है कि यदि कभी भी आपस में मिलना संभव हुआ तो यह नहीं लगेगा कि पहली बार मिल रहे हैं।
ReplyDeleteअभी अभी राजस्थान का दौरा करके आया हूँ, और सबसे पहले अविनाश जी का सक्षात्कार पढा शब्दों का जाल बनाने में माहिर अविनाश जी | सचमुच बहुत सुलझे मष्तिस्क वाले हैं | बहुत ही अछि टिप्स दी शुक्रिया ताउजी का जिन्होंने हमें अविनाश जी से मिलवाया |
ReplyDeleteinterview ke bahane sab kuchh bayan kar dee ya kuchh banki bhi rah gaya hai?
ReplyDeleteअविनाश वाचस्पति जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा इनको ना जानने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता बेहतरीन ताऊ जी को भी बधाई
ReplyDeleteनोट : आजकल समस्त ब्लाग जगत के ब्लागर मुझसे पता नहीं किस बात पर नाराज हैं कि कभी मेरे मन की बात जानने की कोशिश भी नहीं करते खासकर बहुत सारे हैं नाम नहीं लूंगा अपने आप जान जाएंगे अगर इस नाचीज से कोई चूक हो गई हो तो माफी चाहूंगा और तनिक हमारे मन की गली में आकर हमारा मार्गदर्शन कर दें आप सभी
सब अशोकी बन गये तो इस बिचारे अशोक का क्या होगा।
ReplyDeleteअच्छा लगा आपके बारे में इतना कुछ जानकर।
अविनाश जी से मिलना बहुत रोचक रहा.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लगा आपका साक्षात्कार।
ReplyDelete@ अविनाश वाचस्पति जी,
ReplyDeleteइंटरव्यू दे रिये हो कि ले रिये हो,
सीधे से जवाब नहीं दे सकते ? :)
पूरा का पूरा लेन्स लगा के पड़ डाला
ReplyDeleteगजब के आदमी ने कही भी कुछ भी हवा नहीं लगने दी है सब छुपा गया असली बातें
बस एक सच्ची बात पूरी वार्ता से ये पता चल गयी
कि हमारी भाभी जी बहुत समझदार हैं ।
Neelima Chauhan to me
ReplyDeleteshow details 2:58 PM (7 hours ago)
आपका इतना विस्तृत परिचय पढकर अच्छा लगा ! कमेंट इतने दिखे कि वहां कमेंट न करके यहीं लिखना ठीक लगा ! :)
Dr.kumar Vishvas to me
ReplyDeleteshow details Aug 31 (1 day ago)
हार्दिक शुभकामनाये
आप इस स्वागत के योग्य हैं बन्धु
एक बार पुनः बधाई
pavitra agarwal
ReplyDeleteto avinashvachaspati@gmail.com
date Mon, Aug 31, 2009 at 1:14 PM
subject patra
mailed-by gmail.com
hide details Aug 31 (1 day ago)
भाई अविनाश जी
नमस्कार आप द्वारा भेजी मेल मिली साथ में पढ़ने को बहुत सी रचनाये भी ,धन्यवाद आपका साक्षात्कार भी पढ़ा . जहाँ स्पष्ट जवाब न देना हो नेताओ की तरह गोलमोल उत्तर देने में भी बुरा क्या है ?हाँ आप ने उसमे जो टिप्स दी है वह लाभकारी हो सकती हैं .आप तो काफी ब्लाग लिख रहे हैं .देख कर अच्छा लगा .आपका एक लेख मिलाप की पत्रिका मजा में पढ़ा था करीब एक दो महीने पहले ,नाम याद नहीं .उसमे मेरे पति लक्ष्मी नारायण अगरवाल का लेख भी था .यदि न देखा हो तो बताये डिटेल भेज दूंगी .
पवित्रा
Haridas Chattopadhyay,Secretary,TOLIC
ReplyDeleteto अविनाश वाचस्पति
date Mon, Aug 31, 2009 at 9:30 AM
mailed-by gmail.com
details Aug 31 (2 days ago)
अविनाश जी में अपनी राय कहाँ दूँ बस तुसी छा गए paape
Balendu Dadhich
ReplyDeleteto अविनाश वाचस्पति
date Sun, Aug 30, 2009 at 7:38 PM
mailed-by gmail.com
details Aug 30 (2 days ago)
बधाई अविनाशजी,
बहुत दिलचस्प इंटरव्यू है। आपके बारे में कई अनछुए पहलुओं से परिचित कराता है। पढ़कर आनंद आया।
सादर,
बालेन्दु
Lalit Kumar
ReplyDeleteto अविनाश वाचस्पति
date Sun, Aug 30, 2009 at 10:53 AM
mailed-by gmail.com
details Aug 30 (3 days ago)
अविनाश जी, नमस्कार...
लिंक भेजने के लिये आभार... मैनें आपका साक्षात्कार पढ़ लिया है... ताऊ डॉट इन की अवधारणा उत्सुकता उत्पन्न करने वाली है। साक्षात्कार के ज़रिये आपके बारे में जानकर अच्छा लगा...
सादर
ललित
vijay gaur
ReplyDeleteto अविनाश वाचस्पति
date Sun, Aug 30, 2009 at 8:16 AM
mailed-by gmail.com
details Aug 30 (3 days ago)
mai to pahale hi padh chuka tha avinash ji.
aapne us din chat box pr linnk choda tha tabhi padh liya tha.
us din bhi tab tak 25 logom ne apne comments chod diye the, aaj to wah sankhya 75 hai. itna bada paathak varg, dekh kar hi dang hun mai tou.
aameen,
विजय गौड
ताऊ जी,
ReplyDeleteराम राम सा,
अविनाश जी को करीब से जानने का अवसर मिला, एक बात और कि कमाल के प्रश्न करते हैं आप।
मुलाकात से ब्लॉगिंग के डायमंड भविष्य का पता चलता है और अविनाश जी के रसूख का भी।
धन्यवाद।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
आप सभी को इस बातचीत में परिचयनामे में आनंद का नामा मिला। इसका जितना श्रेय आप मुझे दे रहे हैं उससे अधिक ताऊ जी को और आप सभी को जाता है क्योंकि आप सभी ने पूरे मनोयोग से इसे पढ़ा।
ReplyDeleteऔर जो पुल मेरी तारीफ में बनाये गये हैं, मैं तो यही कह सकता हूं कि इस जर्रानवाजी के लिए शुक्रिया और वैसे भी आज शुक्रवार है तो शुक्रिया व्यक्त करने के लिए आज दिन भी उपयुक्त है।
आप सभी के प्यार के लिए दिल की गहराईयों से आभार।
एक साथ इमानदार और हाजिरज़वाब होना अत्यन्त
ReplyDeleteकठिन है। एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व को सामने रखता रोचक और मनोरंजक !
तस्विरों को डाउनलोड कर लिया है! संग्रह कर रहा
हूं। एक हिन्दी ब्लागर्स की सोशल नेटवर्क बनाना है।
धन्यवाद्।
अविनाश जी के व्यक्तित्व के हर पहलू से रु-ब-रु हो कर बहुत ही अच्छा लगा ...और उनके दिए टिप्स तो बहुत ही काम के हैं....गाँठ बांधकर रख लेनी चाहिए.
ReplyDeleteताऊ जी कही आओ सी आई दी मे तो काम नही करते, जो अविनाश जी का पुरा चिठ्टा सब को बता दिया, इअतना तो उन्हे भी याद नही होगा, लेकिन अभुत अच्छा लगा,ओर मेरे सूट का ध्यान रखना कही चाय बगेरा मत गिरा देना, किसी को अभी तक नही पता कि ताऊ ने मेरा सूट पहन रखा हे.... राम राम
ReplyDeleteअविनाश जी से मिलना जुलना तो लगा ही रहता है... वो वास्तब में रियल लाइफ में वैसे ही हैं जैसा पोस्ट में बताया है... हिंदी, ब्लोगिंग और मित्रों के लिए समर्पित व्यक्ति हैं..
ReplyDeleteताऊ को पहला इंटरव्यू के लिए केवल अविनाश ही क्यों मिले क्योंकि अविनाश वाचस्पति ताऊ जैसे को ढूंढ रहे थे और ताऊ मोटा थैला लिये ताऊ को ...काम हो गया दोनों का !
ReplyDeleteजय हो ....
कितना माल था ....???
१०७ कमेन्ट मेरा १०८ वां ....
पैसे कहाँ से मिलेंगे ??
ReplyDeleteअविनाश वाचस्पति को जो पुरस्कार मिले हैं वे हिंदी को दिए सम्मान के प्रतीक हैं जो शायद अविनाश भाई को बहुत पहले मिल जाने चाहिए !
धन्यवाद ताऊ
आदरणीय भाईसाहब , ताऊ जी के माध्यम से आपको काफी करीब से देखने और आपके बारे में बहुत सारी बातें जानने को मिली.आपकी लेखनी के तो हम कायल थे ,लेकिन इस परिचय ने उसमें अभिवृद्धि कर दी है .देर से आ पाने के लिए क्षमा चाहता हूँ.
ReplyDeleteधन्यवाद् ताउजी, अविनाश वाचस्पति जी हमारे अग्रज है, तारीफ ऐ काबिल है, साक्षात्कार जबरदस्त रहा
ReplyDelete---kamlesh kumar
bahut hi shaandar interview: badhai kabule! koi 12 gram khoon em badhotri ho gayi hogi(anumanit).
ReplyDeletepura inter view padha, ya kahe ki itna interesting tha ki padhta hi chala gaya!
aapne itni safai se aaj ke hamare jaise nausakhiye teeka-tippadikaron ki tulna ek vetar se kar di! chehre ki hansi ka vistaar maapna mushkil ho gaya!
kul milakar ek manoranjak post!
Jai to tau ji ki!
ताऊ जी ,यह बहुत ही लाजवाब और जिंदादिली से भरपूर पोस्ट हैं |ताऊ ! जिंदाबाद
ReplyDeleteजय हो।
ReplyDelete