ताऊ की शोले (प्रथम एपिसोड)लेखक : ताऊ रामपुरिया और अनिता कुमार
गब्बर - अरे ओ सांभा...चल जरा अपने दोस्त ठाकुर से मिल कर आते हैं आज तो. बहुत दिन हो गये ठाकुर से मिले.वो तो आता नही है. अपनी उडनतश्तरी तैयार करवा जरा.
सांभा - सरदार लगता है आपकी अक्ल जरा ज्यादा ही ऊपर चढ गई है?
गब्बर - क्यों क्या हुआ? ये भी कोई पूछने वाली बात है? हमारी अक्ल तो हमेशा चोटी के उपर ही रही है.
सांभा - उस्ताद...यहां उडनतश्तरी को जंगल मे कहां उतारोगे? कोई भी पहचान लेगा. मैने घोडे तैयार करवा रखें हैं..अब चलो.
दोनों घोडो पर सवार होकर ठाकुर से मिलने निकल पडते हैं.
ठाकुर बैठा बैठा हुक्का गुडगुडा रहा है. इन दोनो को देखते ही खुशी से उछलकर मिलता है. और प्रेम से पास मे बैठा कर हाल चाल पूछता है. फ़िर ठाकुर खुद ही चाय नाश्ता ले आता है.
ठाकुर - लो गब्बर भाई. नाश्ता करो आप तो...अरे सांभा ले तू भी शुरु हो जा यार...काहे शरमा रहा है?
गब्बर - यार ठाकुर..अब कब तक कुंआरे बैठे रहोगे? अब तुम्हारे हाथ का नाश्ता अच्छा नही लगता यार. अब तो चंद्रावती को दुल्हन बना ही लाओ.
ठाकुर - यार गब्बर..बात तो तू सही कहता है यार. पर क्या बताऊं? जिंदगी मे कभी फ़ुरसत ही नही मिली. बस नाम के ही फ़ुरसतिया रहे हम तो. अब क्या बतायें? चंद्रावती की याद आते ही दिल बैचेन हो जाता है. बस ऐसा लगता है कि अभी जाकर शादी कर लायें. पर अभी तुम तो जानते हो सब कुछ इतना आसान नही है.
गब्बर - अरे ठाकुर ..वो सब कुछ हमारे उपर छोडो..तुम तो बोलो ..हम आज ही सारा टांका फ़िट कर देते हैं..
ठाकुर - नही गब्बर..नही..ऐसा मत करना..तुमको हमारी दोस्ती की कसम.. हम उसे बाकायदा फ़ेरे लगाके और डोली मे बैठाकर विदा करवा कर लायेंगे.
गब्बर - ठीक है..ठाकुर जैसी तोहार मर्जी..और सुनाओ..इस साल फ़सल कैसी है? अगर फ़सल अच्छी रही हो तो यहां आसपास मे ही कुछ वसूली वगैरह करके छोटा मोटा काम काज किया जाये. आजकल बडे काम के लिये हथियारों की बडी कमी है.
ठाकुर - अरे ओ गब्बर..तेरी आदत नही जायेगी? अरे इस बार तो बिल्कुल सूखा पड गया है...पर पहले तू ये बता कि तू कब उस भानुमति से लगन कर रहा है? हमको बडा ज्ञान बांटता है? खुद काहे नही कर लेता शादी?
गब्बर वहां सांभा को बैठा देखकर बात टालने की कोशीश करता है...और इतनी ही देर मे सांभा के मोबाईल की घंटी बज उठती है और वो फ़ोन सुनने बाहर चला जाता है.
गब्बर - अरे यार ठाकुर क्यों मेरी इज्जत की आलू भुर्जी बनाने के फ़िराक मे पडा है तू?
ठाकुर - अरे क्या हो गया भई गब्बर? क्यों नाराज हो रहे हो?
गबबर - अरे ठाकुर...तू तो यार बिल्कुल ही अजीब बाते करता है? अरे तेरे को तो मालूम है ना कि हम कौन हैं? अरे अगर इस ससुर सांभा को पता लग गया कि हम किसी भानुमति के प्रेम मे फ़ंसे हैं तो ये सारे जमाने को खबर को कर देगा. और कल को हमारे गिरोह के लोग भी इन प्रेम मोहब्बतों मे पडकर हमारा गिरोह ही छोड जायेंगे? इतना बडा गिरोह चलाने के लिये बहुत ही अक्ल से काम लेना पडता है.
ठाकुर - अरे रे..गब्बर भाई ..माफ़ करना यार..हमारे दिमाग मे इतनी दूर की बात ही नही आई..खैर बताओ वो रूपगढ वाली भानुमति भाभी से कब मिलवा रहे हो?
गब्बर - यार ठाकुर..वैसे तो जब चाहे मिलवा देते पर वो ससुर उसका बाप बुढऊ आजकल शहर से आया हुआ है इसलिये हम भी कई दिनों से नही मिले. जैसे ही मौका मिलेगा हम तुमको जरुर मिलवायेंगे. पर तुम चंद्रावती भाभी से कब मिलवा...........इतनी देर मे सांभा की आवाज आती है...सरदार ...सरदार....
गब्बर - अरे ससुर काहे चिल्लात हो..इस तरह गला फ़ाड फ़ाड के? का तुम्हारी बरात निकले जारही है? गब्बर को अपनी और ठाकुर की प्रेमकहानी के बीच इस तरह सांभा का चिल्लाना अच्छा नही लगा.
सांभा - अरे सरदार..गजब हो गया....वो ..वो..कालिया और सारा माल ....
गब्बर - अबे बावली बूच...आराम से बता...क्या हुआ? घबरा मत...वो फ़ोन किसका था?
सांभा - उस्ताद वो फ़ोन बसंती का था... वो कह रही थी कि ट्रेन से गोला बारुद की पेटियां तांगे मे रखवा ली थी..और कालिया भी उसको मिल गया था..दोनो आरहे थे तो रास्ते मे पुलिस से मुठभेड हो गई......
गब्बर - तो क्या हुआ? सारे पुलिस वाले मारे गये?
सांभा - अरे उस्ताद ..वो तो हमको नही पता..पर तांगा..और उस पर लदा सारा गोला बारूद और धन्नो को पुलिस ने जब्त कर लिया..और कालिया अरेस्ट हो गया.
गब्बर - हूं...और बसंती?
सांभा - सरदार..उसने तांगे को बहुत भगाने की कोशिश की .. और धन्नों ने भी अपनी पूरी ताकत झौंक दी पर माल सहित भागने मे सफ़ल नही हो पाई, किसी तरह वो अकेली अपनी जान बचाकर भाग निकली और उसने ही यह फ़ोन करके सूचना दी है.
गब्बर - तो वो अब कहां हैं?
सांभा - सरदार ..उसने कहा है कि वो अभी कुछ दिन अण्डरग्राऊंड ही रहेगी. जैसे ही पुलिस का खतरा टल जायेगा वह लौटे आयेगी.
गब्बर - अच्छा ठाकुर..अब हम चलेंगे...जरा कालिया को छुडवाना है...अरे ओ सांभा...गिरोह को तैयार रहने के लिये फ़ोन करदो....आज रात ही थाने पर हमला करके कालिया को छुडवाना है...क्या पता..वो थानेदार उससे कुछ उगलवा ही ना ले?
सांभा - अरे उस्ताद..आपकी अक्ल आज सही मे कुछ ज्यादा ही उपर चढ गई है....अरे जब हमने कह दिया कि हमारा सारा गोला बारुद खत्म होगया है तो हमला काहे से करेंगे? हमारा सब माल मत्ता तो पुलिस के हत्थे लग गया..अगर ऐसे मे हमने हमला किया तो पुलिस हम सबको भून डालेगी..
गब्बर - हूं....बात तो तेरी सही है...चलो सांभा...घोडे तैयार करो..हमारे क्लास फ़ेल्लो सूरमा भोपाली के यहां चलो...पुलिस और जेल मे उसकी तगडी पहुंच है.... उससे कुछ उपाय पूछते हैं....
और दोनों सूरमा भोपाली से मिलने के लिये रवाना हो जाते हैं.
:) मजेदार फ़िल्लम बन रही है जी…
ReplyDeleteसांभा बिचारा, बिन गोली लगे चिल्लाता रहता है
ReplyDeleteचलिए, अगले शो की तैयारी करते हैं
ReplyDeleteआवा गब्बर आवा...हमहूँ तैयार बैठे हैं भोपाल में...तोसे पिछ्ला हिसाब भी करना है....पिछला पेमेंट जौन किये रहे ..कार्ड से ..ऊ ता ससुर ..एक्सपायरी डेट का कार्ड रहा..अबके नकदी ले के आओ..हम हुक्का पानी का इंतजाम करते हैं...आ ऊ का कहते हैं जलेबिया के नाच का भी ...
ReplyDeleteश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
ReplyDelete----
INDIAN DEITIES
ये एपिसोड भी शानदार और धमाकेदार रहा। देखते है सुरमा भोपाली कौन है?
ReplyDeleteइस हिट फिल्म और उष्णता दे आपने तो पूरा का पूरा हॉट कर दिया...लाजवाब !!!
ReplyDeletejai hind !
ReplyDeleteताऊ फिल्म तो घणी चौखी चाल रई है। पर थामनै म्हारी टिकटाँ क्य़ूं नी भेजी इब तक, सारा हाऊस फुल होण लाग रया सै!!!
ReplyDeletevery nice taau
ReplyDeleteबहुत सही है ताऊ जी. आगे की फ़िल्म कब आ रही है ? अच्छा बाइ द वे, गब्बर कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनायेगा अगले साल ?
ReplyDeleteआेह ! ये तो कलियुग की शोले लग रही है
ReplyDeleteफिल्म का ट्रेलर बढ़िया रहा।
ReplyDeleteताऊ!
घोड़े वाला चित्र मैंने उड़ा लिया है।
माफ करना।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
श्री कृष्ण जन्माष्टमी और स्वतन्त्रता-दिवस
की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ताऊ हम हो गए आपके सौआं फौलोवर ...कैसन रही ..
ReplyDeleteश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
ReplyDeleteविस्फोटक. इस नयी पहल के लिए शुभकामनायें.
ReplyDeleteठाकुर - अरे रे..गब्बर भाई ..माफ़ करना यार..हमारे दिमाग मे इतनी दूर की बात ही नही आई..खैर बताओ वो रूपगढ वाली भानुमति भाभी से कब मिलवा रहे हो?
ReplyDeleteई भानुमति कहां से टपक पडी मियां ताऊ? :)
ठाकुर - अरे रे..गब्बर भाई ..माफ़ करना यार..हमारे दिमाग मे इतनी दूर की बात ही नही आई..खैर बताओ वो रूपगढ वाली भानुमति भाभी से कब मिलवा रहे हो?
ReplyDeleteई भानुमति कहां से टपक पडी मियां ताऊ? :)
अरे ससुर काहे चिल्लात हो..इस तरह गला फ़ाड फ़ाड के? का तुम्हारी बरात निकले जारही है? गब्बर को अपनी और ठाकुर की प्रेमकहानी के बीच इस तरह सांभा का चिल्लाना अच्छा नही लगा.
ReplyDeleteगजब ताऊ गजब..धन्यवाद आप दोनों लेखकगणों को..जो इतनी शानदार आधुनिक शोले लिख डाली. बस मजा आगया.
ई कौन सी शोले है जी? लगता है बालाजी टेलीफ़िल्म्स का प्रोडक्ट है...पर ताऊ डाट इन कौन सा बालाजी से कम है?
ReplyDeleteई कौन सी शोले है जी? लगता है बालाजी टेलीफ़िल्म्स का प्रोडक्ट है...पर ताऊ डाट इन कौन सा बालाजी से कम है?
ReplyDeleteअरे उस्ताद ..वो तो हमको नही पता..पर तांगा..और उस पर लदा सारा गोला बारूद और धन्नो को पुलिस ने जब्त कर लिया..और कालिया अरेस्ट हो गया.
ReplyDeleteसरदार कालिया ने तो आपका नमक खाया है..जरा उसको तो छुडवाओ पुलिस से.:)
बहुत शानदार. आनंद आया ताऊ.
अरे ओ ताऊ..हमका भी एक ठो रोल दे दे तनिक तुहार ई फ़िल्मवा मा..समझ गईन का? वर्ना हम दरोगा को सब बता देब.
ReplyDeleteअरे ओ ताऊ..हमका भी एक ठो रोल दे दे तनिक तुहार ई फ़िल्मवा मा..समझ गईन का? वर्ना हम दरोगा को सब बता देब.
ReplyDeleteचलो सांभा...घोडे तैयार करो..हमारे क्लास फ़ेल्लो सूरमा भोपाली के यहां चलो...पुलिस और जेल मे उसकी तगडी पहुंच है...
ReplyDeleteजरुर पहुंचो..सूरमा भाई तैयार बैठे हैं तुमको पकडवाकर पुलिस से इनाम झटकने को.:)
चलो सांभा...घोडे तैयार करो..हमारे क्लास फ़ेल्लो सूरमा भोपाली के यहां चलो...पुलिस और जेल मे उसकी तगडी पहुंच है...
ReplyDeleteजरुर पहुंचो..सूरमा भाई तैयार बैठे हैं तुमको पकडवाकर पुलिस से इनाम झटकने को.:)
वाह ताऊ, मजेदार फिल्म बन रही है...
ReplyDeleteये भी अच्छा रहा की ताऊ की शोले में सांभा को 'सरदार पूरे पचास हजार' से ज्यादा डायलोग मिल गए.
अच्छा शो रहा आज का..
ReplyDeleteताऊ ख्याल रखना कोई स्टोरी नहीं चुरा ले..
राम राम
एक बार प्रभावती और चन्द्रावती का परिचय तो देते...!! कब मिले ...कहाँ मिले..!!
ReplyDeleteफ़िलिम-विलिम तो ठीक है लेकिन ई बताया जाय की कौन वाली चंदावती से झाम हो रहा है- रामगढ़, वाली,श्यामगढ़ वाली या फ़िर ब्लागगढ़ वाली।
ReplyDeleteवाह क्या सीन है!
ReplyDeleteअच्छी फिल्म है- ठाकुर ने अपने हाथों से नाश्ता दिया:)
ReplyDeletewaah bhai waah...majedar
ReplyDeleteवाह! स्क्रिप्ट राइटर अनीताकुमार जी पहली टिप्पणी ठेलक भी हैं! :)
ReplyDeleteअद्भुत रचनाधर्मिता है यहां...बहुत खूब...
ReplyDeleteया शोले तो सुपर हिट है । थोड़ा हरियाणवी के कमि है । पोस्टर बहुत शानदार है ।
ReplyDeleteताऊ प्रोडक्शनस तो हिट है जी. कॉपीराइट करवा लीजिये :)
ReplyDeleteताऊ जी कमाल इसे कहते हैं जो आप कर रहे हो...एक आधा रोल तो हमें भी देदो...हंगल वाला भी चलेगा...देदो न प्लीज...
ReplyDeleteनीरज