सोने की चैन
भोले भाले देहाती ने गावं छोडा
अफसर बेटे के पास शहर आगया
गांव की शांति की जगह
शहर का कोलाहल देख
उसकी नींद उड गई
एक रोज अखबार मे विज्ञापन था
एक हजार मे "सोने की चैन" खरीदिये!
झट जाकर " सोने की चैन" ले आया
इस उम्मीद मे कि इसे पहन कर
चैन की नींद सो जाउंगा
राह मे चैन झपटने वाले गिरोह ने
चैन झपट के मार भगाया
मुंह लटकाये घर दौडा आया
अपने पुलिस अफ़सर बेटे को
अपना सारा दर्द बताया
बिना चैन के मुझे कैसे नींद आयेगी?
पिता का भोलापन देख
पुलिस अफ़सर बेटा मुस्काया
थाने फ़ोन लगाकर
थानेदार को हडकाया
आनन फ़ानन सारा अमला हरकत मे आया
तुरंत गिरोह के ज्ञात अज्ञात सदस्यों को पकडवाया
एक की जगह कई चैन बरामद हो गई
पिता को पहचान हेतु बुलवाया
पिता ने देखा पुलिस परेशान
सारे चैन खींचने वाले परेशान
वो स्व्यम थाने आकर परेशान
आखिर वो बोला हे भगवान,
मैं जिसे "सोने की चैन" समझ रहा था
वो तो जागने की चैन है.
(इस रचना के दुरूस्तीकरण के लिये सुश्री सीमा गुप्ता का हार्दिक आभार!)
जल्दी पहचान गए जागने की चैन :)
ReplyDeleteसत्य वचन!!
ReplyDeleteबढ़िया रचना-बधाई.
बढियां है !
ReplyDeleteबहुत खुब!
ReplyDeleteआभार
अच्छी रचना!
ReplyDeleteइस चेन ने ही तो सबका चैन छीना है.. बहुत उम्दा रचना.. हैपी ब्लॉगिंग
ReplyDeleteये जगने की चेन भी खूब रही .
ReplyDeleteSATY VACHAN.......BADIYA HAI....
ReplyDeleteआखिर वो बोला हे भगवान,
ReplyDeleteमैं जिसे "सोने की चैन" समझ रहा था
वो तो जागने की चैन है.
waah yahi zindagi ka satya hai,sunder rachana.
बहुत सुंदर रचना। सोने की चैन के रहते चैन से सोना नसीब कैसे हो सकता है।
ReplyDeleteजागने की चेन बढ़िया रही. सीमा जी का आभार. आपका तो है ही.
ReplyDeleteआपने पुलिस वाले की तारीफ क्यों नहीं की सीमा जी, एक की जगह दस चैन. कितना बड़ा कौशल!
ReplyDeleteकहाँ तो चैन के बिना बेचैन हो रहे थे ओर जब मिल गई तो भी चैन के बारे में सोचने लगे:)
ReplyDeleteबढिया प्रस्तुति!!
आभार्!
हा हा हा.. मजेदार..
ReplyDeleteताऊ सच्चाई है हर थाने की ! सीमाजी को बधाई !
ReplyDeleteये भी खूब रही जी।
ReplyDeletewaah
ReplyDeletewaah !
आज मैं बाहर गया हुआ था।
ReplyDeleteघर आकर जब नेट खोला तो
सीमा गुप्ता जी की व्यंग-कविता पढ़कर
मन प्रसन्न हो गया।
सीमा जी को बधाई,
ताऊ को धन्यवाद।
श्रीमती बिल्लोरे की चैन भी गले से छीन ली गई थी . सरकारी-अधिकारी का लेबल था सो एक चोर पकडा गया. चैन पहचानने से कोर्ट में श्रीमती जी का इंकार करना पुलिस वाले को अखर गया था. सुलभा जी ने सचाई का साथ दिया इस बात को सुनकर टी आई बोला :"बिल्लोरे जी, चेन गई तो चेन खोज दी थी क्या ज़रुरत थी सत्यवादी बनाने की ? "
ReplyDeleteमुझे नहीं मालूम श्रीमती जी ने ये क्यों किया किन्तु जो किया अच्छा किया है न ताऊ
है न सीमा जी
चेन बिना चैन कहाँ रे ....!!
ReplyDeleteचेन बिना चैन कहाँ रे...
ReplyDeleteताऊ मेरे पास तो चैन ही चैन है कभी आओ तो देखना चैन के शिवा दूसरा कुछ भी नही है ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ! मज़ा आ गया!
ReplyDeletebahut khuub! naye prateek ka istmaal hai naye sandarbh mein!!
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