"परछाई "
नेताजी को अपने आस पास
एक अजीब सी दुर्गन्ध आई...
कुर्सी, पलंग आलमारी
सब कुछ जा टटोला
कमरे मे सब तरफ़ नजरें दौडाई
हार थक जब कुछ भी समझ ना आया
सामने आईने पर ही नजरे जा टिकाई
अपनी मरी हुई इंसानियत को देखा
और नज़र आ गयी
खुद की सडी गली परछाई
(इस रचना के दुरूस्तीकरण के लिये सुश्री सीमा गुप्ता का हार्दिक आभार!)
नेताजी को अपने आस पास
एक अजीब सी दुर्गन्ध आई...
कुर्सी, पलंग आलमारी
सब कुछ जा टटोला
कमरे मे सब तरफ़ नजरें दौडाई
हार थक जब कुछ भी समझ ना आया
सामने आईने पर ही नजरे जा टिकाई
अपनी मरी हुई इंसानियत को देखा
और नज़र आ गयी
खुद की सडी गली परछाई
(इस रचना के दुरूस्तीकरण के लिये सुश्री सीमा गुप्ता का हार्दिक आभार!)
त्ताऊ जब नेता सडा होगा तो परछाई भी सडी ही दिखेगी बडिया है ।
ReplyDeletevah taau gajab :)
ReplyDeleteसड़े नेता की परछाई .............. पर उसपर भी नेता लोगों को डर नहीं लगेगा
ReplyDeleteवाह ताउजी बहुत सुन्दर रचना !! पर नेता लोग कभी ऐसे शीशे नहीं देखते जिसमे उनकी असली परछाई दिखे !!
ReplyDeleteबहुत सही और सामयिक लिखा है..
ReplyDeleteसुंदर कटाक्ष। नेता बनना कभी कितने सौभाग्य की बात मानी जाती थी मगर अब इस शब्द का कितना अर्थ पतन हुआ है:(
ReplyDeleteबढ़िया व्यंग्य।
ReplyDeleteबधाई।
बहुत खूब.
ReplyDeleteवाह क्या बात कही है।
ReplyDeleteसामने आईने पर ही नजरे जा टिकाई
अपनी मरी हुई इंसानियत को देखा
और नज़र आ गयी
खुद की सडी गली परछाई
बहुत उम्दा।
सटीक बात! सीधे सीधे...
ReplyDeleteवाह्! जी वाह्! क्या खूब लिखा है!!!! एकदम सही!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना !!
ReplyDeleteबेल दिया नेता जी को !
ReplyDeleteपुरानी कविता ठेल रहे हैं? इन्सानियत मरे जमाना हो गया!
ReplyDeleteसींचते रहे तो इंसानियत फिर से अंकुरित होगी. अछि रचना. आभार.
ReplyDeleteबहुत सटीक रचना
ReplyDeleteसही कहा आपने. बहुत पहले ही सड चुके ये लोग तो
ReplyDeleteसही कहा आपने. बहुत पहले ही सड चुके ये लोग तो
ReplyDeletebahut sahi
ReplyDeleteसामने आईने पर ही नजरे जा टिकाई
ReplyDeleteअपनी मरी हुई इंसानियत को देखा
और नज़र आ गयी
खुद की सडी गली परछाई
sundar vyang
सामने आईने पर ही नजरे जा टिकाई
ReplyDeleteअपनी मरी हुई इंसानियत को देखा
और नज़र आ गयी
खुद की सडी गली परछाई
sundar vyang
behad satik kavita
ReplyDeleteसुन्दर दुर्गन्धमई कविता ..!!
ReplyDeleteवाह.. ताऊ वाह...
ReplyDeleteवाह ताऊ जी बहुत बढ़िया लिखा है आपने! बहुत खूब!
ReplyDeleteहा हा.. अब बचो अपनी परछाई से..
ReplyDeleteसीमाजी लाजवाब कटाक्ष आभार्
ReplyDeleteकटु पर सत्य !!!
ReplyDeleteसच बता दिया नेता जी को....
ReplyDeleteपता नहीं कब सुधरेंगे ये कमजर्फ...
मीत
सच्चा सत्य :) बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत तीखा व्यंग्य।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बढ़िया व्यंग्य।
ReplyDeleteआभार/ मगल भावनाऐ
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई-टाईगर
नेताजी पर किया गया व्य्ग्यबाण अच्छा लगा ।
ReplyDeleteनेता (माने )= दुर्गंध
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