ताऊ ने एक रोज अपने गुरु बाबा समीरानंद जी से कहा - बाबा अब मैं ब्लागिंग छोडने वाला हूं?
बाबा समीरानंद बोले - वत्स शुभ शुभ बोलो ! ऐसी अशुभ वाणी नही बोलनी चाहिये, ऐसा क्या कष्ट है?
ताऊ : क्या बताऊं गुरुजी....बात ही ऐसी है. मुझे एक नम्बर ब्लागर बनना है. मैं जरा सा उपर जाता हूं और चिठ्ठाजगत वाले मुझे घसीट घसाट कर वापस वहीं ला पटकते हैं. क्या करुं अब तो थक हार इसको बंद कर देने मे ही भलाई है.
बाबा समीरानंद - वत्स ऐसी बाते करके खुद भी निराश होते हो और दुसरों को भी निराश करते हो? फ़िर ये हमारी ब्लागरी की राजगद्दी को कौन संभालेगा? हम तो तुमको हमारे ब्लागर मठ का अपना उतराधिकारी मान कर चल रहे थे. ठीक है तुम हमारे साथ हिमालय पर्वत पर चलो. हम तुमको वहीं ब्लागर ज्ञान की संपुर्ण दिक्षा देंगे.
और दोनों ने बाबा समीरानंद आश्रम जाने का फ़ैसला किया. बाबा समीरानंद तो अपने योगबल से उनके हिमालय आश्रम पहुंच गये और ताऊ वाया गौहाटी-सिक्किम होते हुये जाने के लिये राजधानी एक्सप्रेस में बैठ गया. साथ मे अपने गुरु की फ़ोटो भी रख ली. और ट्रेन मे ही अपने लेपटोप को खोलकर ब्लागरी के गहन अध्ययन मे लग गया.
साथ की सीट पर एक कुछ ज्यादा ही पढा लिखा सा आदमी बैठा था. जो वैज्ञानिक होने के साथ साथ घोडे पालने और घुडसवारी का भी शौकीन था. वो बोर होरहा था. बार बार ताऊ को डिस्टर्ब कर रहा था.
ताऊ अपने लेपटोप मे खोया था. आखिरकार सहयात्री ने ताऊ से कहा - श्रीमान आपका नाम क्या है? आप तो कुछ बोलते ही नही हैं? आपको मालूम होना चाहिये कि आपस मे बातें करते रहने से रास्ता आसानी से कट जाता है.
ताऊ का इतनी बाते सुनकर खोपडा खिसक गया. फ़िर भी ताऊ के साथ बाबा समीरानंद जी की फ़ोटो थी..उस फ़ोटो मे साक्षात गुरुजी बोलते हैं. तो उस बोलने वाली फ़ोटो ने इशारों इशारों में ताऊ को दिमाग शांत रखने की सलाह दी.
अब ताऊ बोला - श्रीमान मेरा नाम ताऊ रामपुरिया है. मैं रामपुरा का रहने वाला हूं और आजकल ब्लागरी करता हूं..और अब ब्लागरी मे Phd करने मेरे गुरुजी के पास हिमालय जा रहा हूं.
सहयात्री बोला - वाह श्रीमान वाह, आप तो काफ़ी ज्ञानी पुरुष लगते हैं. आपके साथ सफ़र करने मे काफ़ी आनंद आयेगा. क्यों ना हम नैनो टेक्नोलाजी के बारे मे बातें करे? या फ़िर एंटी मैटर के बारे में?
ताऊ ने सोच लिया कि आज ये बुद्दिजीवी की औलाद दिमाग का दही बना कर छोडेगा, ऐसे मानेगा नही. इसका इलाज तो ताऊ पने से ही करना पडेगा वर्ना इससे माथाफ़ोडी मे मेरे ब्लागरी के सारे पाठ धरे रह जायेंगे.
अब ताऊ बोला - श्रीमान मुझे आपके साथ इन विषयों पर चर्चा करके वाकई बडा आनंद आयेगा..आखिर एंटी मैटर की अवधारणा स्थापित करने के पीछे तो मुझे नोबल पुरुष्कार भी मिल चुका है. पर उससे पहले मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहूंगा.
सहयात्री को तो यह सुनकर मानों स्वर्ग मिल गया हो. वो बोला - श्रीमान आप अपना सवाल पूछिये..मुझे भी आपके सवाल का जवाब दे कर बडी प्रशन्नता होगी.
ताऊ बोला - श्रीमान ये बताईये कि मेरी चंपाकली (भैंस) भी घास खाती है और आपका घोडा भी घास खाता है. तो फ़िर मेरी भैंस तो गोबर करती है और आपका घोडा लीद करता है? इस विषय मे आप क्या कहेंगे?
यह सवाल सुनकर उस वैज्ञानिक के पसीने आगये और वह सर खुजाने लगा. उसने अपनी अनभिज्ञता जाहिर की.
अब ताऊ बोला - अरे बावलीबूच, ''जब तेरे को गोबर और लीद के बारे में भी जानकारी नहीं है तो तू ताऊ से एंटीमैटर और नैनो टेक्नोलाजी के बारे में क्या खाक चर्चा करेंगा? इब जाकर पहले गोबर और लीद का फ़र्क समझ के आ..और इब चुपचाप बैठ और मुझे अपना काम करने दे.''
मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
बाबा समीरानंद बोले - वत्स शुभ शुभ बोलो ! ऐसी अशुभ वाणी नही बोलनी चाहिये, ऐसा क्या कष्ट है?
ताऊ : क्या बताऊं गुरुजी....बात ही ऐसी है. मुझे एक नम्बर ब्लागर बनना है. मैं जरा सा उपर जाता हूं और चिठ्ठाजगत वाले मुझे घसीट घसाट कर वापस वहीं ला पटकते हैं. क्या करुं अब तो थक हार इसको बंद कर देने मे ही भलाई है.
बाबा समीरानंद - वत्स ऐसी बाते करके खुद भी निराश होते हो और दुसरों को भी निराश करते हो? फ़िर ये हमारी ब्लागरी की राजगद्दी को कौन संभालेगा? हम तो तुमको हमारे ब्लागर मठ का अपना उतराधिकारी मान कर चल रहे थे. ठीक है तुम हमारे साथ हिमालय पर्वत पर चलो. हम तुमको वहीं ब्लागर ज्ञान की संपुर्ण दिक्षा देंगे.
और दोनों ने बाबा समीरानंद आश्रम जाने का फ़ैसला किया. बाबा समीरानंद तो अपने योगबल से उनके हिमालय आश्रम पहुंच गये और ताऊ वाया गौहाटी-सिक्किम होते हुये जाने के लिये राजधानी एक्सप्रेस में बैठ गया. साथ मे अपने गुरु की फ़ोटो भी रख ली. और ट्रेन मे ही अपने लेपटोप को खोलकर ब्लागरी के गहन अध्ययन मे लग गया.
साथ की सीट पर एक कुछ ज्यादा ही पढा लिखा सा आदमी बैठा था. जो वैज्ञानिक होने के साथ साथ घोडे पालने और घुडसवारी का भी शौकीन था. वो बोर होरहा था. बार बार ताऊ को डिस्टर्ब कर रहा था.
ताऊ अपने लेपटोप मे खोया था. आखिरकार सहयात्री ने ताऊ से कहा - श्रीमान आपका नाम क्या है? आप तो कुछ बोलते ही नही हैं? आपको मालूम होना चाहिये कि आपस मे बातें करते रहने से रास्ता आसानी से कट जाता है.
ताऊ का इतनी बाते सुनकर खोपडा खिसक गया. फ़िर भी ताऊ के साथ बाबा समीरानंद जी की फ़ोटो थी..उस फ़ोटो मे साक्षात गुरुजी बोलते हैं. तो उस बोलने वाली फ़ोटो ने इशारों इशारों में ताऊ को दिमाग शांत रखने की सलाह दी.
अब ताऊ बोला - श्रीमान मेरा नाम ताऊ रामपुरिया है. मैं रामपुरा का रहने वाला हूं और आजकल ब्लागरी करता हूं..और अब ब्लागरी मे Phd करने मेरे गुरुजी के पास हिमालय जा रहा हूं.
सहयात्री बोला - वाह श्रीमान वाह, आप तो काफ़ी ज्ञानी पुरुष लगते हैं. आपके साथ सफ़र करने मे काफ़ी आनंद आयेगा. क्यों ना हम नैनो टेक्नोलाजी के बारे मे बातें करे? या फ़िर एंटी मैटर के बारे में?
ताऊ ने सोच लिया कि आज ये बुद्दिजीवी की औलाद दिमाग का दही बना कर छोडेगा, ऐसे मानेगा नही. इसका इलाज तो ताऊ पने से ही करना पडेगा वर्ना इससे माथाफ़ोडी मे मेरे ब्लागरी के सारे पाठ धरे रह जायेंगे.
अब ताऊ बोला - श्रीमान मुझे आपके साथ इन विषयों पर चर्चा करके वाकई बडा आनंद आयेगा..आखिर एंटी मैटर की अवधारणा स्थापित करने के पीछे तो मुझे नोबल पुरुष्कार भी मिल चुका है. पर उससे पहले मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहूंगा.
सहयात्री को तो यह सुनकर मानों स्वर्ग मिल गया हो. वो बोला - श्रीमान आप अपना सवाल पूछिये..मुझे भी आपके सवाल का जवाब दे कर बडी प्रशन्नता होगी.
ताऊ बोला - श्रीमान ये बताईये कि मेरी चंपाकली (भैंस) भी घास खाती है और आपका घोडा भी घास खाता है. तो फ़िर मेरी भैंस तो गोबर करती है और आपका घोडा लीद करता है? इस विषय मे आप क्या कहेंगे?
यह सवाल सुनकर उस वैज्ञानिक के पसीने आगये और वह सर खुजाने लगा. उसने अपनी अनभिज्ञता जाहिर की.
अब ताऊ बोला - अरे बावलीबूच, ''जब तेरे को गोबर और लीद के बारे में भी जानकारी नहीं है तो तू ताऊ से एंटीमैटर और नैनो टेक्नोलाजी के बारे में क्या खाक चर्चा करेंगा? इब जाकर पहले गोबर और लीद का फ़र्क समझ के आ..और इब चुपचाप बैठ और मुझे अपना काम करने दे.''
मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
जय हो समीरा नन्द जी महाराज की!!!
ReplyDeleteयार ताऊ भाई चलो मै आपको अपना गुरु मानता हु मुझे भी कुछ ऐसा हे गुरु मंत्र दे दो जैसे समीर भगवान् ने आपको दिया है .
राम राम !
इस राजधानी एक्सप्रेस में खाने का माल भी तो मिला होगा। वो कहां गायब हो गया। उसके तो अवशेष भी नजर नहीं आ रहे हैं। कहीं यह कमरे को तो राजधानी एक्सप्रेस का डिब्बा बनाकर तो नहीं पेश कर दिया गया है। इसकी जरूर सीबी सीडीआई जांच होनी चाहिए।
ReplyDeleteबहुत से स्वयंभू ज्ञानी ऐसे ही होते हैं जिन्हें छोटी छोटी बातों,सामन्य सी बातों का ज्ञान नहीं होता लेकिन बहुत ऊँची ऊँची बातें करते हैं..'ताऊ ज्ञान 'ने आज चम्पाकली की याद दिला दी..सूर्यग्रहण के समय चाँद धरती के नज़दीक आ गया था..तब वहाँ की धरती पर चम्पाकली के दर्शन भी हो गए होंगे.
ReplyDeleteगोबर और लीद! मान गए ताऊ! हमें तो लगता है बाबा समीरानंद जी आप को इसी पर पीएचडी करने को न देदें?
ReplyDeleteश्रीमान ये बताईये कि मेरी चंपाकली (भैंस) भी घास खाती है और आपका घोडा भी घास खाता है. तो फ़िर मेरी भैंस तो गोबर करती है और आपका घोडा लीद करता है? इस विषय मे आप क्या कहेंगे?
ReplyDeleteese savalo ka javaab bhi aap hi de dete to jyada achha rahta, kam se kam vo vegyanik apana pasina bhi pochh leta aour ham bhi jan lete..../
bahut sundar.
ताऊ आपका असली रंग काफी दिन बाद दिखा,
ReplyDeleteमज़ा आगया,
मेरी मानिए : यह पहेली चेलों को सौंपकर ताऊशास्त्र लिख डालिए, प्रतिभा का पलायन मत होने दीजिए !
अब ताऊ बोला - श्रीमान मेरा नाम ताऊ रामपुरिया है. मैं रामपुरा का रहने वाला हूं और आजकल ब्लागरी करता हूं..और अब ब्लागरी मे Phd करने मेरे गुरुजी के पास हिमालय जा रहा हूं.
ReplyDeleteताऊजी हमको भी ले चलो बाबा समीरानंद आश्रम में..पता ठीकाना तो लिखते?
अब ताऊ बोला - श्रीमान मेरा नाम ताऊ रामपुरिया है. मैं रामपुरा का रहने वाला हूं और आजकल ब्लागरी करता हूं..और अब ब्लागरी मे Phd करने मेरे गुरुजी के पास हिमालय जा रहा हूं.
ReplyDeleteताऊजी हमको भी ले चलो बाबा समीरानंद आश्रम में..पता ठीकाना तो लिखते?
ताऊ आज तो हंसी ही नही रुक रही है? ये किसको निशाना बनाया है? कहीं अपने वो गुज्जु भाई को तो नही लपेट लिया?:)
ReplyDeleteमैं उसको फ़ोन करके बोलता हूं अभी.:)
भैंस का गोबर और घोडे की लीद का फ़र्क?:) हा..हा...हा..बहुत दूर की कौडी है ताऊजी.
ReplyDeleteलो जी, ताऊ जी आज तो आपने बातों बातों में ही घणा जोरदार आयडिया दे दिया। अब जब भी यें बुद्धिजीवी(?)बिना जानकारी के फलांणा अन्धविश्वास, ढिमकाणा अन्धविश्वास का ढोल पीटेंगे तो अपने ब्लाग के जरिए यो थारे आल्ला फार्मूला आजमाया जावेगा:)
ReplyDeleteइतने दिनों से सुन रहे थे ताऊ ..ताऊ...आखिर ये ताऊ क्या बला है? पर आज समझ आगया कि ताऊ तो बहुत ऊंची चीज है. ताऊ के आसपास फ़टकने मे भी वर्षों लगेंगे.
ReplyDeleteआज की पोस्ट, मेरे द्वारा पढी आपकी सुपर हिट पोस्ट है. सलाम आपको.
इतने दिनों से सुन रहे थे ताऊ ..ताऊ...आखिर ये ताऊ क्या बला है? पर आज समझ आगया कि ताऊ तो बहुत ऊंची चीज है. ताऊ के आसपास फ़टकने मे भी वर्षों लगेंगे.
ReplyDeleteआज की पोस्ट, मेरे द्वारा पढी आपकी सुपर हिट पोस्ट है. सलाम आपको.
taauji ye kaunsa formula lagaya aapane vaigyanik par? gobar aur leed?:)
ReplyDeleteअरे बावलीबूच, ''जब तेरे को गोबर और लीद के बारे में भी जानकारी नहीं है तो तू ताऊ से एंटीमैटर और नैनो टेक्नोलाजी के बारे में क्या खाक चर्चा करेंगा? इब जाकर पहले गोबर और लीद का फ़र्क समझ के आ..और इब चुपचाप बैठ और मुझे अपना काम करने दे.''
ReplyDeleteवाह ताऊ मजे आगये आज तो।
अरे बावलीबूच, ''जब तेरे को गोबर और लीद के बारे में भी जानकारी नहीं है तो तू ताऊ से एंटीमैटर और नैनो टेक्नोलाजी के बारे में क्या खाक चर्चा करेंगा? इब जाकर पहले गोबर और लीद का फ़र्क समझ के आ..और इब चुपचाप बैठ और मुझे अपना काम करने दे.''
ReplyDeleteवाह ताऊ मजे आगये आज तो।
जय हो बाबा समीरानंद जी और बाबा ताऊआनंद की.
ReplyDeleteजय हो बाबा समीरानंद जी और बाबा ताऊआनंद की.
ReplyDeleteहा हा ! ताऊ ऐसे सवाल मत पूछा करो :)
ReplyDeleteआज तो जोर से बोलो जय ताऊ की..और घणी जोर से जय बोलो बाबा समीरानंद जी की.
ReplyDeleteआज तो जोर से बोलो जय ताऊ की..और घणी जोर से जय बोलो बाबा समीरानंद जी की.
ReplyDeleteगोबर और लीद दोनों एंटी मेटर्स है. मगर जैसा की नैनो और होंडा सिटी में फ़र्क है,वैसे ही भैंस और घोडे की एनर्जी लेवल में फ़र्क है.यहां नैनो टेक्नोलोजी के ज़रीये यह पता चलता है, कि दोनो ही माया है.
ReplyDeleteवैसे ताउ की भैंस ने तो चांद से ग्रहण के दीदार कर लिये होंगे!!!
ब्लोगरी के गुह्य राज जानने हिमालय की कन्दरा में ? रे ताऊ रै ज्या क्यूँ बांदरा बनावण लागरयो है ? हिमालय कन्दरा में लेपटोप ? बिजली कठे स्यूं आई ??
ReplyDeleteताऊजी की पोस्ट से मेरी बातबातचीत
ReplyDelete--------------------------
ताऊ-:अब मैं ब्लागिंग छोडने वाला हूं?
हे प्रभू-: ताऊ यह धमकी है या दर्द ?
ताऊ-: मुझे एक नम्बर ब्लागर बनना है. मैं जरा सा उपर जाता हूं और चिठ्ठाजगत वाले मुझे घसीट घसाट कर वापस वहीं ला पटकते हैं.
क्या करुं अब तो थक हार इसको बंद कर देने मे ही भलाई है.
हे प्रभु -: ताऊ ! एसी बाते ना कर! थने किती बार समझाऊ, ऐसी बाते करके एंटीमैटर और नैनो टेक्नोलाजी वालो के मन को भाने वाली बाते कर देता है तू ! पर हम जैसे बच्चो का दिल टुट जात है। पता है ताऊ! चीटी एक नही पचास दफा दिवार चढते-चढते गिरती है पर फिर भी हार नही मानती आखिर चढ जाती है। भले ही चीटी की टॉग खिचे के नाक पर लक्षय प्राप्त कर ही लेती है। ताऊजी! बाबाजी समिरानन्द जी ने कुछ दिन पुर्व के प्रवचन मे "सक्रमण काल" के बारे बताया था। सक्रमण काल खत्म होने मे कुछ समय लगेगा। लोगो को किसी नई सत्ता को स्वीकार करने मे झिझक होनी लाजमी है, पर जैसे की सक्रमण काल समाप्त हुआ लोग नई सत्ता नए विचार को स्थापित करने मे अपने दिल और दिमाग को दुरुस्त करके रखेगे।
ताऊ-:''जब तेरे को गोबर और लीद के बारे में भी जानकारी नहीं है तो तू ताऊ से एंटीमैटर और नैनो टेक्नोलाजी के बारे में क्या खाक चर्चा करेंगा? इब जाकर पहले गोबर और लीद का फ़र्क समझ के आ..और इब चुपचाप बैठ और मुझे अपना काम करने दे.''
हे प्रभु-: वाह! ताऊ वाह! मुझे एक हिन्दी फिल्म का गाना याद आ रहा है
-@ कही पे निगाहे कही पे इशारा........
आभार
मुम्बई टाईगर
हे प्रभू यह तेरापन्थ
ताऊ जब सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर ब्लॉग मठ के उतराधिकारी बन जाओ तो आप हिमालय मत चले जाना अपने रामपुरा के आस पास ही किसी पहाड़ी पर आश्रम बना लेना | कम से कम दर्शन तो कर लिया करेंगे |
ReplyDelete"अरे बावलीबूच, ''जब तेरे को गोबर और लीद के बारे में भी जानकारी नहीं है तो तू ताऊ से एंटीमैटर और नैनो टेक्नोलाजी के बारे में क्या खाक चर्चा करेंगा? इब जाकर पहले गोबर और लीद का फ़र्क समझ के आ..और इब चुपचाप बैठ और मुझे अपना काम करने दे.''"
ReplyDeleteवाह..ताऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ वाह...!
मान गये भई आपको।
यह कथा तो इतनी अच्छी थी कि हँसते-हँसते
पेट में बल पड़ गये।
राम-राम!
जब चेले का यह हाल है तो गुरु कैसा होगा इसका अंदाज लग रहा है।
ReplyDeleteहा हा!! रास्ते में सबको हँसाते चले आ रहे हो..देख रहा हूँ सब दिव्य दृष्टि से. मस्त है..आओ आओ!!
ReplyDeleteराम-राम जी.
ReplyDeleteताऊ, हमें भी अपनी शरण में ले लो अब तो ...
ReplyDeleteहा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा ह ताऊ जी आज तो हंसते हंसते पे्ट दर्द करने लगा आप्ने तो स्भी बलागर्ज़ का नाम रोशन कर दिया अब तो समीरा बब्द बाबा की दुनिया भर मे जै हो जायेगी--- और हम भि सिर उठा कर चलेंगे कि अखिर इतने पढे लिखे लोग गोबर और लीद मे अन्तर नहीं जानतेैऔर चले हमारे हमरे ताऊ जी से डिस्कशन करने जै हो
ReplyDeletehaa ! haa !!
ReplyDeleteoops...ye to kathin sawal kar diya apne...
ReplyDeleteबाबा को तो कहना था की "इस मोह माया से मुक्त हो जावो वत्स्य. यह मोक्ष का मार्ग नहीं है"
ReplyDeleteभैंस और घोडे की तो बात बता दी पर चलते-चलते यह भी बता देते कि आदमी चारा खाकर क्या करता है- वो तो लीद की पलीद करता है:)
ReplyDeleteहाहा...हाहा ...!!
ReplyDeleteताऊ जी मज़ा आ गया! अब तो लगता है कि आपके साथ बाबा समीरानंद आश्रम में जाना ही पड़ेगा!
ReplyDeleteवो बेचारा तब से ही रेल पटरियों के किनारे जुगाली कर रहा है.
ReplyDeleteहा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा
ReplyDeleteRegards
ha ha mazedaar,tau ji ke aage vaigyanik kaise tikega:)
ReplyDeleteha ha ha ha
ReplyDeleteMAZA AAGAYA TAU...........
AAJ TOH LATTH BHI BAATON K HI CHALA DIYE........
HA HA HA HA HA
हा हा ताऊ आप भी ना बड़े वो हैं। हाँ नहीं तो।
ReplyDeleteजय हो आपकी भी और समीरानंद बाबा की भी..
ReplyDeleteताऊ बोला - श्रीमान ये बताईये कि मेरी चंपाकली (भैंस) भी घास खाती है और आपका घोडा भी घास खाता है. तो फ़िर मेरी भैंस तो गोबर करती है और आपका घोडा लीद करता है? इस विषय मे आप क्या कहेंगे?
ReplyDeleteवाह ताऊ वाह... मजा आ गया...
मीत
फ़िर वई बात,जब देखो कठीन सवाल।ताऊजी हर कोई आपके समान माईंडेड थोड़े ही होता है।
ReplyDeleteजैसा गुरू वैसा चेला.
ReplyDeleteताऊ आप ज्ञान लेकर आओ और हमें भी बताओ..
ReplyDeleteराम राम
जय हो बाब जी की............. अब जब दो महान लोग मिलेंगे तो शायद हम भी गॉबल और लीद में फ़र्क जान पाएँगे............. भाई मज़ा आ गया ताऊ ...... राम राम
ReplyDeleteविलक्षण ताऊ का सूक्ष्मज्ञान और विज्ञान मान गये आपको घनी कही| रामपुरा के ताऊ को हमारी ओर से राम-राम|
ReplyDelete
ReplyDeleteलगातार पढ़ रहा हूँ, सही जा रहा है ताऊ !
पर तू एक जगह चूक गया, बाबा ने मेरे को ही तेरी परीक्षा लेने भेजा था ।
लीद का उल्लेख निरापद सा नहीं लगता !