ताऊ : महावीर जी क्या आप मुम्बई के ही रहने वाले हैं?
महावीर बी. सेमलानी : नही ताऊजी, मै चाणोद ( राजस्थान के जो पाली जिले मे है ) का रहने वाला हूं.
ताऊ : फ़िर आपका मुम्बई आना कैसे हुआ?
महावीर बी. सेमलानी : कालबादेवी (मुम्बई) मे हमारा कपडे का व्यापार था। मेरे दो बडे भाईसाहब क्रमश देवराजजी और राजेन्द्रजी इस दुकान पर बैठते थे।
ताऊ : तो आप कैसे आगये यहां?
महावीर बी. सेमलानी :मैं गर्मी कि छुटिया बिताने मुम्बई आ जाता था। सन 1984- मे दशम बोर्ड कि परिक्षाऐ देकर अपने पैतृक गाव से मुम्बई महानगर घूमने के लिऐ आया था। और अब मै मुम्बई शहर मे पिछ्ले 21 वर्षो से निवासित हू।
ताऊ : तो मुम्बई कैसा लगता था उन दिनों में?
महावीर बी. सेमलानी : मुझे मुम्बई शहर बहुत अच्छा लगता था। रात-रात भर दोस्तो के साथ घुमना, मुम्बई कि जगमगाती राते, चारो तरफ रोशनी ही रोशनी, बहुत ही सुनहरे पल थे।
ताऊ : यानि आपने खूब मौज मस्ती की यहां पर?
महावीर बी. सेमलानी : हां ताऊजी, चोपाटी पर जाकर सिर कि मालिश कराना, नरीमन पोइन्ट पर बैठकर लहरो के साथ अठखेलिया करना, हॉटल आबेराय के सामने फुटपाथ पर मिश्राजी पान वाले (मोटी तोंद वाले) बैठते थे वही से मै और मेरा खास प्रिय मित्र सुरेश जैन, और विशाल जवेरी, विनोद मेहता आदि "मोर'" सिगरेट लेते थे, और समुन्द्र किनारे जाकर बडे ही शोक से कश लगाते थे।
ताऊ : यानि आपने किशोरावस्था के सारे आनंद मुम्बई मे लिये हैं?
महावीर बी. सेमलानी : हां ताऊजी, खूब मस्ती खोरी की यहां पर. रात 12 - 1 बजे भुख लगती तो प्रिन्सेस स्ट्रीट स्थित एर्डवर्ड थेयटर के सडक किनारे जा बैठते थे। हाथ गाडी कि प्रसिद्ध पाव भाजी के साथ लहसुन के पापड, भान्ग के पापड, खिचियॉ, और थम्स-अप का ऑर्डर हम सभी दोस्तो के लिऐ करते थे। आपका कहना सही है कि कुल मिलाकर मुम्बई मे किशोर अवस्था का सफर बडी ही मजे से कटा।
ताऊ : अब आप क्या करते हैं?
महावीर बी. सेमलानी : इस वक्त मेरा स्वय का "यार्न' (फैन्सी धागा ) प्रोडेक्शन है। मेरी दो फैक्ट्री मेरे घर बोरीवली से से 35 किमी दुर भिवन्डी मे है। जहॉ मै रोजाना बस द्वारा जाता हू ।
ताऊ : बस से क्यों?
महावीर बी. सेमलानी : ताऊजी, हम व्यापारियों ने मिलकर एक निजी बस की व्यवस्था कर रखी है महिने भर के १५५० रुपये देकर शुकुन से आनाजाना हो जाता है.
ताऊ : आपकी फ़ेक्ट्री मे कितने लोग काम करते हैं?
महावीर बी. सेमलानी : मेरी दोनो फैक्ट्री मे कुल २५ लोग कार्य करते है। जिन्हे मै मेरे परिवार का सदस्य मानता हू।
ताऊ : आपके शौक क्या हैं?
महावीर बी. सेमलानी : लिखना- पढना- ब्लोग लिखना-पढना- सामाजिक काम करना। बाते करना,और आजकल नया नया शोक चढा है, "ताऊ की पहेली का हल ढूंढना.
ताऊ : अगर मैं आपसे पूछूं कि आपको सख्त ना पसंद क्या है?
महावीर बी. सेमलानी : गलत भाषा का उपयोग यानी आम जीवन मे गाली-गलोच का प्रचलन इतना बढ गया है कि मुझे ऐलर्जी है ऐसे प्रोयोक्ताओ से।
ताऊ : आप पहले हमको आपके पैतृक गांव के बारे मे कुछ बताईये?
महावीर बी. सेमलानी : पश्चिमी राजस्थान के पाली जिले के भारत के सबसे बडे ऑचलिक गाव "चाणोद" का निवासी हू। चाणोद राजघराना जोधपुर रियासत मे आता है। हमारे गाव के ठाकुर चिमनसिहजी जो सीकर दरबार मे विवाहित है और उनको जोधपुर दरबार ने 24 गॉवो का पट्टा दिया हुआ था । उनके पास ज्युडिसियल पॉवर भी थे.
ताऊ : हमने सुना है कि भारत के भुतपुर्व उपराष्ट्रपती भैरुसिहजी शैखावत जी ने भि आपके गांव के ठाकुर साहब के यहां काम किया है?
महावीर बी. सेमलानी : हां आपकी यह जानकारी सही है. जब ठाकुर चिमनसिंह जी की शादी हुई थी तब भैरुसिंह जी सीकर दरबार मे काम कर रहे थे तब उनको ठाकुर चिमनसिंह जी के विवाह मे "डाईसा" मे ठुकराईन साहिबा के साथ भेजा गया था। जो कुछ समय तक चाणोद मे अपनी सेवाऐ ठाकुर परिवार मे देते रहे।
ताऊ : आपके गांव की और क्या खासियत है?
महावीर बी. सेमलानी : चाणोद का तालाब जो कई किलोमिटर मे फैला हुआ है और जिसे देखने भारत के प्रधानमन्त्री राजीवजी भी चाणोद आऐ थे।
ताऊ : आपके गांव मे पढाई के लिये स्कूल हैं?
महावीर बी. सेमलानी : ताऊजी कुल 10000-11000 जनसख्या वाले इस गॉव मे विभिन्न स्कुलो मे 3000 छात्र्-छात्रीए अध्यनरत्त है।
ताऊ : और क्या है देखने के लायक?
महावीर बी. सेमलानी : ठाकुर चिमनसिहजी का महल, मोती महल, अरावली पर्वतमालाओ से घिरा सालेश्वर महादेव, दादावाडी, जैन मन्दिर, विष्णु मन्दिर, बाग, गड, पटेल फॉम जहां गुजरात से आऐ पटेल परिवार रहते है. मुकुन्द सागर आदि देखने घुमने कि लिऐ है। इसका नजदीकी रेल्वे स्टेशन फालना है।
ताऊ : हमने सुना है कि आपके गांव मे कभी चोरी नही हुई?
महावीर बी. सेमलानी : ताऊजी, ये आपने बिल्कुल पक्की खबर निकाली है. हमारे गाव की यह एक खास बात है कि यहॉ चाणोद मे कभी भी 100 साल के इतिहास मे चोरी नही हुई। इसलिए मै तो इसे आदर्श गॉव कि श्रेणी मे रखना चाहुगा।
ताऊ : सुना है आपके पिताजी भी राजनिती मे काफ़ी रुचि रखते थे और बहुत प्रभावशाली व्यक्ति थे?
महावीर बी. सेमलानी : हां ताऊजी, मेरे पिताजी स्वर्गीय भभुतमलजी सेमलानी ने आजादी कि लडाई लडी, मेरे दादाजी का गांव मे ही कपडों का व्यापार था. पिताजी उनकी अकेली संतान थे. पठन पाठन मे उनकी गहन रुचि थी. औपचारिक शिक्षा तो कक्षा चार तक ही पाई पर पिताजी ज्योतिष शास्त्र कानुनशास्त्र्, राजनितिशास्त्र एव अग्रेजी के बडे ही प्रखर विद्वान थे।
ताऊ : सुना है आपके पिताजी बहुत ही कम उम्र मे सरपंच बन गये थे?
महावीर बी. सेमलानी : हां ताऊजी, जब आजादी के बाद सरदार पटेल जोधपुर रियासत के विलय हेतु वहां आये थे तो उनसे प्रभावित होकर वो कांग्रेस से जुड गये. वे 25 वर्ष कि अल्प आयु मे चाणोद ठाकुर को चुनावो मे हरा कर सरपच बने जो तिरन्तर 17 वर्ष तक रहे। वे एक मात्र सरपच थे जिनकी आवाज राजस्थान विधान सभा मे गुजती थी।
ताऊ : सुना है उन्होने बहुत सामाजिक कार्य भी करवाये?
महावीर बी. सेमलानी : जी हां, सुबह से रात भर तक लोगो कि सेवा करने वाले श्री भबुतमलजी ने सरकार से हजारो किसानो को मुफ्त मे जमीन दिलवाई। ५६ के अकाल मे जवाई बान्ध के पानी को कच्ची नहर के माध्यम से चाणोद तक लाया गया जिससे रास्ते के करीब 42 गावो को पानी मुहैया हुआ। मारवाड ग्रामीण बैक के अध्यक्ष पद पर रहते हुऐ हजारो किसानो को कम ब्याज मे किशानो को ऋण बॉटे।
ताऊ : हमने यह भी सुना है कि उनका लोगों की आर्थिक मदद करने का भि अपना एक अलग ही असूल था?
महावीर बी. सेमलानी : ताऊजी, असल मे वो खाली समय मे बैठते नही थे वो कागज कि थैलियॉ बनाते थे। महिने भर मे जितने भी रुपयो कि थैली बनाकर बेचते थे वो गरीब बच्चो कि पढाई मे खर्च कर देते थे। आज वो सभी छात्र ऊचे पदो पर कार्यरत है। ( उनमे एक है श्री मिठालालाजी मीणा डिस्ट्रीक मजिस्ट्रेड जोधपुर)..
ताऊ : हमने सुना है कि राजनैतिक प्रतिद्वंदता के चलते उनको किसी गबन के मुकदमे मे भी फ़ंसा दिया गया था?
महावीर बी. सेमलानी : हां राजनैतिक प्रतिदंद्विता के चलते उन पर गबन का आरोप मढा गया। ऐसे मे उन्होने होश नही गवाऐ। सच्चाई के लिऐ लडे। पाली के तीन बार के सांसद रहे मुलचन्दजी डागा ने उनका केस लडा। राजस्थान के अखबारो के पन्ने भरे रहते थे इन समाचारो से।
ताऊ : फ़िर क्या फ़ैसला हुआ?
महावीर बी. सेमलानी : आखिर हाइकोर्ट ने अपने फैसले मे पिताजी को निर्दोष करा दिया। व उनसे पुछा गया कि उपरोक्त साजिशकर्ता का क्या हो ? अमूमन इतिहास मे कभी कभी ही ऐसा हुआ है कि जज साहब ऐसे फैसले लेते है. तब पापा ने खचा खच भरी अदलात मे कहा -: "My Lord ..i forgive him and i urge you will also do the same.." कई उचे ओहदो पर कार्य किया पर सादगी जीवन मे बनी रही। राजनीति मे रहने के कारण खान-पान के समय का ध्यान रख नही पाऐ और दमा के शिकार हो गऐ। बिमारी को लम्बे समय तक झेला। आखिर मे 4 दिसम्बर 1984 को पाली अस्पताल मे अतिम सास ली। एक दिन पहले ही उन्होने कहा था- "कि कल मोन अग्यारस अगर निकल गई तो मुझे फिर कुछ नही होगा। पर वो मोन अग्यारस नही निकाल पाऐ।)"
ताऊ : हमने सुना है कि आपकी शादी भी याद रखने लायक परिस्थितियों मे हुई?
महावीर बी. सेमलानी : ताऊ जी उस वक्त देश के तमाम दुल्हा-दुल्हन प्रभावित हुऐ बिना नही रहे होगे। मेरी शादी 22 मई 1991 को होनी तय थी। 20 मई 1991 को रात्री 11:35 - 200 बराती 25 कैटरिग वालो सहित मद्रास मेल से मुम्बई से मद्रास बारात लेकर रवाना हो गऐ। हेमामालिनी छत्रम मे शादी तय थी। दुसरे दिन घुमने का कार्यक्रम रखा हुआ था। VGP मे समुन्द्र किनारे दुसरे दिन खाने का प्रोग्राम रखा था।
ताऊ : जी आगे सुनाईये.
महावीर बी. सेमलानी : ट्रेन में बारात की केट्रिंग की पूरी व्यवस्था, सब खाने पीने, ताश पत्ती, अंताक्षरी यानि सब मस्ती मे थे और मैं अपनी दुनियां मे खोया था. 21 मई रात्रि को 11:45 बजे, बडे भाईसाहब हमारे डिब्बे मे आऐ और कहने लगे- " राजीव गान्धी कि हत्या मद्रास के श्री पैराम्बदुर मे कुछ समय पहले हुई ऐसी हमे सुचना मिली है। इसलिऐ कोई भी ट्रेन से बाहर नही निकलेगा और गीत सगीत सभी बन्द करवा दिऐ। मुझे सदमा लगा राजीवजी कि हत्या का सुनकर, क्यो कि मेरे पसन्द के नेता थे। और मै और मेरा परिवार इस पार्टी से झुडे हुऐ थे।
ताऊ : हां बहुत ही क्रुर घटना हुई, आगे क्या हुआ?
महावीर बी. सेमलानी : धीमी गति से रेल रेंग रही थी.चारो तरफ़ स्टेशनों पर अंधेरा, प्लेटफ़ार्म सूने, चिंता घबराहट, अब शादी कैसे होगी? मद्रास कब पहुंचेंगे? बारात को कैसे ले जायेंगे? अब तक ट्रेन ५ घंटे लेट होकर मद्रास से तीन घंटे की दूरी पर तिर्थनी ( TIRUTANI) स्टेशन पर आकर खडी होगई.
ताऊ : ओहो, बहुत परेशानी हुई होगी?
महावीर बी. सेमलानी : बच्चे और महिलाएं भी बारात मे थे, खाने पीने का बचा खुचा सामान भी खत्म, दिन के १२ बज गये वहीं पर. हम सारे २२५ लोग बारात मे थे. ऐसे मेरे जीजाजी ने एक दो आदमीयों को साथ लिया और गांव की तरफ़ निकल गये. वहां भी उपद्रव चल रहा था . दुकाने फ़ुंकी जारही थी. ऐसे मे वहां के एक स्थानिय नेता जो कि राजस्थानी ही थे, उनको सब बात बताई. २२५ लोगों का खाना इस माहोल मे बनाना बहुत मुश्किल काम था. उन्होने कहा – आप यहां तिर्थनी मे हमारे मेहमान हो, चिंता मत करिये और जैसे तैसे दाल चावल की व्यव्स्था करके भिजवाई तब कहीं जाकर महिलाओ और बच्चों सहित सबको खाना नसीब हुआ.
ताऊ : और आपका क्या हाल था?
महावीर बी. सेमलानी : मैने कुछ नही खाया बस पानी पीता रहा । शादी का समय निकल रहा था। क्या किया जाऐ। कुछ बोल रहे थे कि दुल्हे और जीजाजी को कोई गाडी मे भेज देते है। किसी ने कहा नही रिस्क है रास्ते मे। गहमा गहमी मे शाम 4 बजे ट्रेन चल पडी कही नही रुकी 7:30 को मद्रास सैन्ट्रल के प्लेट फार्म नमबर 4 पर आकर रुकी।
ताऊ : गनीमत है ट्रेन पहुंची तो सही. आगे फ़िर कैसे हुआ?
महावीर बी. सेमलानी : आगे क्या होना था जैसे तैसे तीन चार एम्बुलेंस द्वारा सभी तेरापन्थ भवन त्रिपलिकेन पहुचे । क्यो कि हेमामालिनी छत्रम खाली करना पडा इस हादसे के बाद.
ताऊ : फ़िर शादी कब हुई?
महावीर बी. सेमलानी : अजी ताऊजी, ना साम्भेला, ना ही बेन्डबाजा, ना घोडी पर चढकर तोरण बिघना, कुछ नही भवन के दरवाजे बन्द करके जैसे तैसे रात के तय शुदा मुहुर्त मे 1:35 को हमारी शादी हुई। लोगो ने कहा कि मुम्बई-मद्रास मे उस दिन कई शादीया रद्द हुई । कुछ बाराते वापिस गयी। भगवान का लाख लाख शुक्र कि हम दुल्हन प्रेमलता को लेकर सुरक्षित मुम्बई लोट सके।
ताऊ : आप अकेले रहते हैं या संयुक्त परिवार में?
महावीर बी. सेमलानी : संयुक्त परिवार के तो फ़ायदे ही फ़ायदे हैं. कभी भी किसी का मोहताज नही बनना पडता है अगर हम सयूक्त परिवार को अपनाते है । पर हम लोग सन 2001 मे चारो भाई अलग हो गऐ। मुख्य वजह थी शहरी परिवेश मे सयुक्त परिवारो मे कुछ समस्याऐ आती है (1) बच्चो कि पढाई (2) छोटे छोटे रहवासी स्थान। ताऊ आपने कहावत तो सुनी होगी- " मुम्बई मे तम्हे रोटला (रोटी) तो भले ही मलछे, पण ओटला ( रहने की जगह) नही मलछे।"
ताऊ : आप हमारे पाठकों को कुछ कहना चाहेंगे?
महावीर बी. सेमलानी : जी! मेरे पाठक भाईयो के लिऐ एक अज्ञात कवि की यह चार लाईने गुन गुनाना चाहता हू। भूल-भुलैया है ये जीवन,
पगडडियॉ जिसकी हमे पार करनी है,
कई असफल तब लोट गए,
पार होते गए जो आगे बढे गए,
धीमी है रफ्तार तो क्या,
मजिल को एक दिन पाओगे।
ताऊ : आपको हिंदी ब्लागिंग का कैसा भविष्य दिखाई देता है?
महावीर बी. सेमलानी : मै हिन्दी ब्लोग जगत को वहॉ तक सोचता हू जहॉ तक चद्रमा है। किन्तु ताऊजी कुछ व्यव्हारिक अडचने भी है। इसका आर्थिक पक्ष कमजोर है। अगर आप ओर हम शोकिया लिखते है तब तो ठीक है। अगर हम रोजी रोटी का माध्यम मानते है तो फिर हिन्दी ब्लोग मे बहुत काम बाकी है।
ताऊ : बात तो आपकी ठीक है.
महावीर बी. सेमलानी : हां जब तक हम इसके आर्थिक पहलु को विकिसित नही करेगे तब तक नये यन्त्र-तन्त्र-मन्त्र एवम काबिल युवा लेखक, विद्ववान, पाठक हमसे दुर रहेगा। मेरे हिसाब से हिन्दी ब्लोग जगत कि अखिल भारतीय स्थर का एक सघठन हो, और वो निजी विज्ञापन कंपनियों को इस और आने को तैयार करे। जब तक आम जनता नही जुडेगी, तब तक हिन्दी ब्लोग जगत के लिऐ काम करना पडेगा। और यह कार्य व्यक्ती विशेष का नही सस्थाओ/सगठनो का कार्य है।
ताऊ : आप ब्लागिंग मे कैसे आये?
महावीर बी. सेमलानी : ताऊजी मुझे कम्पूटर जगत कि आज से सात आठ महिने पहले तक बिल्कुल जानकारी नही थी। मै कम्पूटर का यूज शेयर मार्केट देखने के लिऐ करता था। हॉ- सिर्फ इतना ज्ञान जरुर था कि अमिताभ बच्चन कोइ ब्लोग ब्लोग खेलते है।
ताऊ : फ़िर आपने ब्लाग कैसे शुरु किया?
महावीर बी. सेमलानी : मेरी बेटी मिताली जिसे हम दादी मॉ कहकर भी बुलाते है, जो घर पर नेट पर बैठी-बैठी दुनिया भर कि जानकारी रखती है। उसने कहॉ - "पापा आप अपना ब्लोग क्यो नही बनाते ?" मैने कहॉ बेटा, इससे क्या होता है ? मेरी बेटी बोलती है- "पापा आप जो रोज रोज डायरी मे लिखते है वो आप बडे ही सुन्दर ढंग से सजा कर अपने ब्लोग पर सहेज सकते है । लोग भी आपको पढ सकेगे।"
ताऊ : अच्छा तो बेटी ने पिताजी का ब्लाग बनवाया?
महावीर बी. सेमलानी : हां ताऊजी, उस दिन हम दोनो कम्पूटर पर बैठे और हे प्रभु यह तेरापन्थ का जन्म हुआ। जब हमने जानना चाहा कि हिन्दी मे ब्लोग कैसे लिखते है तो सर्च मे सबसे पहला ब्लोग मिला अल्पनाजी का कविता वाला ब्लोग। सबसे पहली टिपणी मिली समीरजी फिर आऐ शास्त्री अन्ना। दो तीन महिने तो ब्लोग के सारे सिस्टम समझने मे लग गऐ। अब तो बन्दा काफी होशियार हो चुका है।
HEY PRABHU YEH TERA PATH , THE PHOTO GALLERY , MY BLOGS , MUMBAI TIDER
MAHAPREM आज उपरोक्त ब्लोग चलाता हू
ताऊ : आपका लेखन आप किस तरह का मानते हैं?
महावीर बी. सेमलानी : ताऊजी,
कलम हंसा सकती है
कलम रुला सकती है
कलम से जीवन खिल सकता है
कलम प्रकाश फैला सकती है
कलम ज्ञान के प्रचार्-प्रसार मे साहयक है
कलम से प्रेम बढा सकते है
कलम से पहचान बना सकते है
कलम से प्रगति मिल सकती है
कलम से खुशिया मिलती है
कलम से अनुभव मिलता है
कलम की शक्ती अदभुत है
कलम शान्ती मे साहयक है
कलम काम धेनु है
कलम कल्पवृक्ष है
कलम से "महावीर" अध्यात्म लिखता है
कलम से "महावीर" धर्म को लिखता है
कलम से "महावीर", ताऊ के पाठको को प्रणाम लिखता है।
ताऊ : क्या आप राजनिती मे रुचि रखते हैं?
महावीर बी. सेमलानी : जी बहुत ज्यादा.
ताऊ : इस पर कुछ कहना चाहेंगे?
महावीर बी. सेमलानी : राष्ट्रीय स्तर पर तेजी से गिरता चरित्र मुल्य, उलझे हुऐ राजनैतिक सम्बन्ध, नेतृत्व विहीन राजनिति, बढता क्षेत्रवाद, हावी होता सम्प्रदायवाद, केन्द्र राज्यो के उठते सम्बन्ध, राष्ट्र के बाहर सीमाओ पाकिस्तान, श्रीलका, नेपाल, अफगानिस्थान, सीमाओ मे हलचल, बल खाती वितिय परिस्थितियॉ, फैलती जा रही भ्रष्टाचार कि शाखायें, वर्तमान सन्दर्भो मे संविधान की कुछ धाराओ का पुराना पड जाना, धन के जोर से चुने जाने वाले चुनाव, जात-पात से जंग खाया, लंगडाता लोकमत, बिखरता प्रजातान्त्रिक मुल्य, आपसी आपाधापी- सत्ता स्वार्थ की सजी हुई शतरन्ज, सब कुछ टूट रहा है,,,,,,
ऐसे मे देश का पालनहार कोन है ? ताऊजी! आचार्य महाप्रज्ञजी के अनुशार सात महापाप है- उसमे राजनिती का भी जिक्र है।
मेहनत के बिना दोलत;
अन्तरात्मा के बिना आनन्द;
चरित्र के बिना ज्ञान;
नैतिक मुल्यो के बिना व्यापार;
इन्सानियत के बिना साइन्स;
त्याग के बिनाधर्म;
सिद्धान्त के बिना राजनिति।
ताऊ : कुछ आपके बच्चों के बारे मे बताईये?
महावीर बी. सेमलानी : मेरे दो बच्चे है। बडा लडका जयेश (जन्म 29 फरवरी 1992 मद्रास ) (इसका जन्म दिन 4 साल मे एक ही बार आता है) इस बार वो कक्षा 12 वी मे है। सोच विचार कर कम बोलने वाला। क्रिकेट एवम WWF देखने का शोकिन है। आप उसे सो रुपया दे तो वो खर्च नही करेगा। उसे बचा कर रखेगा।
ताऊ : और बेटी मिताली?
महावीर बी. सेमलानी : हां दुसरे नम्बर पर मीताली का जन्म 9 अक्तुबर 1996 को मुम्बई मे हुआ। अब वो कक्षा आठ मे आयी है। बडी ही हाजिर जवाब है। वो तो दादी मॉ है, ताऊजी! मिताली को मिलने वाली महिने की पाकिट मनी , १५ दिन मे सफ़ाचट।
ताऊ : वो क्यों?
महावीर बी. सेमलानी : वो ही रामप्यारी वाले लक्षण आईसक्रीम वडापाव, चॉकलेट मे खर्चा कर आती है।
ताऊ : अच्छा अब आपकी अर्धांगिनी के बारे मे कुछ बताईये?
ताऊ : वो कहां की रहने वाली हैं?
महावीर बी. सेमलानी : शुरुआती शिक्षा कक्षा पॉच तक मराठी माध्यम से सोलापुर ननिहाल मे पुरी की। बाद मे अपने माता पिता के पास मद्रास मे कक्षा 12 वी तक पढाई की।
ताऊ : आपकी शादी कब हुई?
महावीर बी. सेमलानी : वो 12 वी मे अध्यनरत्त थी तभी हमारी सगाई हो गई। जब पहली बार मै उसे देखने गया तो मुझे देख वो मुस्कराई मुझे यह बात अच्छी लगी।
ताऊ : तो क्या आपने मुस्कराने की वजह से ही शादी कई हां करदी?
महावीर बी. सेमलानी : नही नही ताऊजी, मैने उससे एक ही सवाल पुछा था- "हम सयुक्त परिवार मे रहते है अगर उसे निर्वाह करना है तो आपके क्या विचार है ?" तो वो तपाक से बोली-" हम भी यहॉ सयुक्त परिवार मे छः अकल के साथ रहते है सभी साथ रहने मे मजा आता है।' बस मैने अपना निर्णय कर लिया था।
ताऊ : इसका मतलब आपकी शादी काफ़ी बाद मे हुई?
महावीर बी. सेमलानी : हां. 25 may 1989 को मुम्बई मे हमारी सगाई हुई। हमारी सगाई दो वर्ष तक रही। इन दो वर्षो मे हम दो एक या दो बार कुछ क्षणो के लिऐ मिले।
ताऊ : यानि दो साल आप लोगों का कोई सम्पर्क ही नही था?
महावीर बी. सेमलानी : नही ज्यादातर हम चिठियो के माध्यम से अपनी भावनाऐ रखते थे। अक्सर वो मेरे पत्रो को पढ कर भावुक हो जाती थी और रो लेती थी। मैने और प्रेमलता ने ढेर सारे खत एक दुसरे को लिखे जिसे क्रमबद्ध करे तो कई पन्नो के दो तीन नॉवल बन जाऐ। सारे खत साराश लिऐ हुऐ थे ,
ताऊ : आप उनकी किस बात से प्रभावित हैं?
महावीर बी. सेमलानी : ताऊजी, आज जो मै आपसे बात कर रहा हू इसका श्रेय भी उसे ही मिलना चाहीऐ। मारवाडी मराठी अग्रेजी तमिल कन्नड, हिन्दी भाषा को धाराप्रवाह बोलने वाली प्रेमलता ने जीवन संगिनी शब्द को यथार्त स्वरुप प्रदान किया।
ताऊ : उनके शौक क्या हैं?
महावीर बी. सेमलानी : उसको भी हर शनिवार को आपकी पहेली का इन्तजार रहता है, और कोई भी खेल मे जीतना उसका शोक है। मैमोरी पावरफुल है। सरल है। सहज है। अभी उसने घर से ही जैनोलॉजी मे ग्रेजुयेशन कि पढाई शुरु की है।
ताऊ : और क्या क्या करती हैं वो?
महावीर बी. सेमलानी : वो हमारी सस्था CTUP कि सास्कृतिक प्रभारी है जो करिब 35 -50 बच्चो को समय समय पर धार्मिक सास्कृतिक कार्यक्रम नाटक मचन, लेखन, इत्यादी कार्यो को सुचारू रुप से चलाती है। मच सचालन भी बखुबी से निभा लेती है।
ताऊ : और हमने सुना है उनको खाना बनाने का भी बहुत शौक है?
महावीर बी. सेमलानी : हां ताऊजी, साउथ इण्डियन हो या नार्थ इण्डियन सभी तरह के खाना अच्छा स्वादिष्ट बना लेती है। अभी जब आप खायेंगे तब आपको पता चलेगा.
ताऊ : हमने सुना है कि आपने भी काफ़ी सारी संस्थाओं के लिये समय समय काम किया है? कुछ उनके बारे में बतायेंगे
महावीर बी. सेमलानी : हां ताऊजी, मैने निम्न संस्थाओं के साथ काम किया है. पाली जिला पत्रकार परिषद महामन्त्री 1985
तेरापन्थ अमृत ससद का सदस्य 1986
तेयुप समचार सेवा का महाराष्ट्रा प्रभारी 1987
तेरापन्थ युवक परिषद मुम्बई प्रसार-प्रचार मन्त्री 20-08-87
तेरापन्थ युवक परिषद मुम्बई विधायिका पद 27-10-1987
पाली जिला देहात युवक काग्रेस (इ) का प्रचार मन्त्री 1988
तेरापन्थ युवक परिषद मुम्बई सद्स्य 29-11-88
सावधान सस्था मुम्बई का सदस्य 1988
राजस्थान जैन समाज गोरेगाव सदस्य-प्रवासी राजस्थानी सघ मुम्बई - युवक काग्रेस अल्पसख्यक प्रकोष्ट मुम्बई
राजस्थान मीटर गेज प्रवासी सघ (भारतीय रेल) मुम्बई, - सहित कई पत्र पत्रिकओ मे सवाददाता-सम्पादक कि भुमिका मे कार्य किया
वर्तमान मे सीटीयूपी मुम्बई के मन्त्री पद 2005 से अब तक
ताऊ : ताऊ साप्ताहिक पत्रिका के बारे मे क्या कहना चाहेंगे?
महावीर बी. सेमलानी:- ताऊ साप्ताहिक पत्रिका का नाम स्वर्णीम अक्षरो मे लिखा जाऐ तो कोई अतिशियोक्ती नही। अपने तेरह माह के कार्यकाल मे पत्रिका ने वो ऊचाईया प्राप्त कि है जिसकी हम कल्पना भी नही कर सकते। आप इसे साप्ताहिक कि जगह दैनिक करे, अब तो ताऊ पत्रिका हमारे जीवन का अभिन्न अग बन गई है। ताऊजी, सोचो, आज ताऊ पत्रिका नही होती तो ? हम सभी एक दुसरो को इतनी आत्मीयता से कैसे जानते-पहचानते ? जब तक मै ताऊ-पत्रिका घूम नही आता मन मे खाली पन रहता है। "ताऊ साप्ताहिक पत्रिका" हिन्दी ब्लोग जगत के लिऐ एक ऐसा तीर्थ-स्थान है जहॉ जाने मात्र से आत्म सन्तोष, के साथ ब्लोग लिखने की शक्ती मिलती है।
ताऊ : ताऊ पहेली के बारे मे आप क्या कहना चाहेंगे?
महावीर बी. सेमलानी:- ताऊजी! "ताऊ पहेली" के क्या कहने यह तो हिन्दी ब्लोग जगत के लिऐ ही एक "पहेली" बन गई है। "पहेली" से हमारा ज्ञान तो बढा ही है इसमे कोई दो रॉय नही, इसके साथ ही ताऊ कि इस चोपाल मे लोगो का आना-मिलना-बतियाने एवम प्यार बॉटने का यह सुगम ठीकाना बन गया है। 6000 हिन्दी चिठ्ठो मे कही भी गुगल बाबा को खगालने की जरुरत नही पडती, पर ताऊ पहेली की करामात देखे शनिवार को गुगल बाबा के घर सैकडो हिन्दी चिठ्ठाकारो का हुजम उमड पडता है कि ताऊ पहेली ने जो पुछा वो सहीजवाब यहॉ है के नही। इस बहाने हमारे ज्ञान मे निश्चित ही वृद्धि हुई है। और "ताऊ पहेली" के कारण गुगल बाबा के भी न्यारे-व्यारे हो गये।
ताऊ : अक्सर लोग पूछते हैं...ताऊ कौन? आप क्या कहेंगे?
महावीर बी. सेमलानी:- ताऊजी! यह कैसा सवाल ? मैने जो मेरे दिमाग मे ताऊ का जो चित्र बना रखा है वो ऐसा है- बडी बडी तावदार मुछे, धोती कुर्ता पहने हाथ मे देशी लठ लिऐ, गले मे गमचा डाले, रोबदार ऑखो वाला ताऊ जो अक्सर मेरी निन्द्रा मे खलल डालता है। मै अभी तक नही जान पाया असली ताऊ आखिर है कोन ? आरे भाईयो मेरी मदद करो ताऊ को ढूढने मे।
अब एक सवाल ताऊ से:-
महावीर बी सेमलानी : ताऊजी! चुकि दुनिया के लिए "ताऊ" स्वय एक प्रश्न है ? फिर भी आज मुझे एक मोका मिला है तो लीक से हटकर मै आपसे जानना चाहता हू, "मग्गा बाबा का चिट्ठाश्रम", "हे प्रभु यह तेरापथ", धर्म यात्रा आदि, चिट्ठो पर ज्ञान,अध्यात्मिक, धार्मिक, शान्ति एवम आदिपुरुष, महापुरुषो का प्रसारण होता है। यू कहू तो अतिशयोक्ति नही कि अध्यात्मिक बाते वाले चिट्ठो को यथेष्ठ पाठक नही मिलते, वनिस्पत ताऊ डॉट इन, उड़न
तश्तरी ...., फुरसतिया, मानसिक हलचल, सारथी, ●๋• लविज़ा ●๋• इत्यादि वाले चिट्ठो पर पाठको की अच्छी हलचल है। ताऊजी! लोग ऐसे अध्यात्मिक, चिट्ठो के प्रति उदासीन क्यो है ?
ताऊ : देखिये आपका प्रश्न बडा अहम है. पर मैं ये कहना चाहुंगा कि धर्म या आध्यात्म आप जो भी कहलें, थोडा नीरस या कहे कि रूखा विषय होता है. और इसी लिये हिंदू धर्म मे अक्सर कई आख्यान बडी रोचकता से लिखे गये हैं ताकि खेल खेल मे आदमी इधर आकर्षित हो जाये. लेकिन मेरा मानना ऐसा है कि आदमी जब तक राग रंग से ऊब नही जाता तब तक उसको इन विषयों मे मजा नही आता. और जल्दी क्या है? आनंद लेने दिजिये पहले राग रंग का...आखिर तो जहाज का पंछी लौटकर जहाज पर ही आयेगा. हम सब उसी परमात्मा का स्वरुप हैं. उसको छोडकर कहीं नही जा सकते. देर सवेर लौट ही आयेंगे उसके पास.
तो ये थे हमारे आज के मेहमान श्री महावीर बी. सेमलानी. आपको इनसे मिलकर कैसा लगा? अवश्य बताईयेगा.
मग्गाबाबा का चिठ्ठाश्रम
मिस.रामप्यारी का ब्लाग
ताऊ बहुत बढ़िया प्रयास ,और एक बात आज तक का आपके ब्लॉग का सबसे अच्छा साछात्कार मै मानता हु सेमलानी साहब के साथ.
ReplyDeleteअच्छा प्रयास बहुत बढ़िया आभार !
ReplyDeleteबहुत मजा आया आप क लेख पढ कर, ओर बहुत अच्छ लगा आज का परिचयनामा पढ कर.
ReplyDeleteधन्यवाद
लो ये तो अपने पाली के मारवाड़ी भाई निकले.. बहुत अच्छा लगा माहावीर जी की शादी का दिलचस्प किस्सा तो पहले भी पढ़ चुके. लेकिन ये तो पुरा परिचय धाकड़ है..
ReplyDeleteसेमलानी परिवार से मिलकर बहुत बढिया लगा. बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteसेमलानी परिवार से मिलकर बहुत बढिया लगा. बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeletebahut umda parichay. aabhar taauji aapkaa.
ReplyDeleteबडा ही रोचक रहा इअन्की शादी का किस्सा, बहुत शुभकामनाएं जी
ReplyDeleteवाह बहुत लाजवाब तरीके से सवाल जवाब है. ताऊ आपका जवाब भी पसंद आया अंत मे.
ReplyDeleteवाह बहुत लाजवाब तरीके से सवाल जवाब है. ताऊ आपका जवाब भी पसंद आया अंत मे.
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा महावीर जी से मिलकर। ताऊजी आप यह अच्छा काम कर रहे हैं कि सभी का परिचय करवा देते हैं। बहुत धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा महावीर जी से मिलकर। ताऊजी आप यह अच्छा काम कर रहे हैं कि सभी का परिचय करवा देते हैं। बहुत धन्यवाद।
ReplyDeletebahut lajavab, sundar
ReplyDeleteMahaveer jee se milkar bahut achcha laga.. aabhar..
ReplyDeleteताऊ जी!
ReplyDeleteमहावीर बी. सेमलानी से
मिलवाने के लिए धन्यवाद!
इनके जीवन परिचय से तो
बहुत कुछ सीखने को मिला।
ताऊ आपका यह प्रयास सराहनीय है. उम्दा साक्षात्कार के लिये बधाई.
ReplyDeleteताऊ आपका यह प्रयास सराहनीय है. उम्दा साक्षात्कार के लिये बधाई.
ReplyDeleteसेमलानीजी को जानना् बहुत अच्छा लगा. उन्होने भी बडे खुलकर जवाब दिये हैं. रोचकता बरकरार रही. आभार
ReplyDeleteसेमलानीजी को जानना् बहुत अच्छा लगा. उन्होने भी बडे खुलकर जवाब दिये हैं. रोचकता बरकरार रही. आभार
ReplyDeleteरोचकता से भरपूर इस साक्षात्कार के लिये ताऊजी को बधाई और सेमलानी परिवार को शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
रोचकता से भरपूर इस साक्षात्कार के लिये ताऊजी को बधाई और सेमलानी परिवार को शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
रोचकता से भरपूर इस साक्षात्कार के लिये ताऊजी को बधाई और सेमलानी परिवार को शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
घणी जोर की मुलाकात हो गई यह तो. मजेदार और रोचक.
ReplyDeleteआप नये नये लोगों से परिचय करवाते हैं, यह बहुत अच्छी बात है।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
वाह महावीर जी को जानना तो बढ़िया रहा.. सबसे बढ़िया बात कि वे भी जोधपुर के ही है.. अब तो हम एक गाँव के ही हो गए जी.. एक ही इंटरव्यू में कई उतार चढाव देखने को मिले.. महावीर जी द्वारा पुछा गया अंतिम प्रश्न बहुत ही गूढ़ है.. मुझे मेरे ब्लॉग पर उनकी पहली टिपण्णी याद आ रही है जब उन्होंने मुझे ए के ४७या कहा था.. पर मुझे तो आज का ये इंटरव्यू ए के ४७या लगा.. बिलकुल स्पीड में...
ReplyDeleteसेमलानी जी से मिल कर तो मन प्रसन्न हो गया...बहुत ही बढिया तरीके से लिया गया साक्षात्कार....आभार।
ReplyDeletebahut achche lagte hain aapke saath ke saakshaatkaar.
ReplyDeleteमहावीर जी से मिल कर अच्छा लगा और मिलवाने के लिए शुक्रिया
ReplyDeleteसेमलानी परिवार से मिलकर बहुत बढिया लगा. ताऊ, आपका बहुत आभार..बहुत रोचक जानकारी मिली महावीर जी के बारे में.
ReplyDeleteमहावीर जी और उनके परिवार से परिचय हुआ और उनके व्यक्तित्व के विभिन्न प्रभावशाली पहलू भी देखे.
ReplyDeleteएक साक्षात्कार में बहुत कुछ जाना .आज से पहले चाणोद ( राजस्थान]के बारे में बिलकुल नहीं मालूम था.
कुल 10000-11000 जनसख्या वाले इस गॉव मे विभिन्न स्कुलो मे 3000 छात्र्-छात्रीए अध्यनरत्त है.इस से मालूम होता है यह गाँव वाकई साक्षरता में अव्वल होगा..
प्रेमलता जी की पाकविधि से रसोई में परिचय हो ही रहा है.
महावीर जी ने बहुत ही सुलझे हुए तरीके से हर प्रश्न का जवाब दिया,और अंत में ताऊ जी से किया सवाल शायद बहुत लोग पूछना चाह रहे होंगे,उस का जवाब भी आज मिल गया.
साक्षात्कार बहुत अच्छा लगा.
धन्यवाद.
बहुत अच्छा साक्षात्कार, पहले चित्र से पता चल जाता है की अच्छे खाते पीते परिवार के हैं. बाद में परिवार का दूसरा चित्र देखकर कुछ अट पटा सा लगा.
ReplyDeleteताऊ जी, बहुत ही खूबसूरत सा्क्षात्कार रहा सेमलानी जी । इतने विस्तार से लिया गया ऐसा साक्षात्कार कम ही छ्पता है ताऊ आपके ब्लॉग पर । आभार ।
ReplyDeleteबहुत अच्छी तरह परिचित करवातें हैं आप ,यह सिलसिला चलते रहना चाहिए .
ReplyDeleteसेमलानी जी से परिचय बहुत रुचिकर लगा आपने तो एक ही प्रश्न का जवाब दो शब्दों मे दे कर सब को चित कर दिया बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteसेमलानी जी से मिलवाने के लिए हार्दिक आभार.
ReplyDeleteमहावीरजी से विस्तृत बात अच्छी लगी.
ReplyDeleteur blog is great.
ReplyDeleteअब तक का सबसे बडा साक्षात्कार , मगर बेहद रोचक.
ReplyDeleteमहावीर जी से मिलना और उनके बारे में जानना अच्छा अनुभव रहा.
ReplyDeleteधन्यवाद
वाह ताऊ............इस बार तो मजा आया आप का साक्षात्कार पढ कर, ओर बहुत अच्छ लगा महावीर जी से मिल कर
ReplyDeleteसाक्षात्कार उम्दा है। बहुत कुछ पता लगा सेमलानी जी के बारे में।
ReplyDeleteताऊजी,
ReplyDeleteमै और मेरा परिवार सामुहीक रुप से आपका एवम "ताऊ डॉट् इन" के आदरणीय पाठको के प्रति तहे-दिल से कृतज्ञता प्रकट करते है कि उन्होने अपना स्नेह एवम आर्शिवाद हमे प्रदान किया।
आभार
आपका अपना
महावीर बी सेमलानी एवम परिवार
सेमालानी परिवार का विस्तृत विवरण अच्छा लगा !! आद्यात्म पर ताऊ का जवाब भी !! जहाज का पंछी लौटकर आएगा ही !! काश की पंख कटने या फटने से पहले ही आ जाये !!
ReplyDeleteसाक्षात्कार बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteमहावीर जी से परिचय कराने का शुक्रिया.
ReplyDeleteशुरू किया तो खतम किये बिना हटा ही नही गया।अच्छा लगा महावीर जी से मिलकर्।और ये परिचयनामा थोड़ा बड़ा तो हुआ मगर है बहुत बढिया।
ReplyDeleteमान गए ताऊ जी आपको! बहुत ही सुंदर रूप से आप परिचय करवाते हैं ! शुक्रिया ताऊ जी! आपके पोस्ट के दौरान नए नए लोगों से परिचय होता है ! लिखते रहिये!
ReplyDeleteवाह!!! कितना अच्छा लगता है जब अच्छे अच्छे लोगो से ताऊ मिलवाते हैं...
ReplyDeleteमीत
इस विस्तृत परिचय-पत्र में सेमलानी जी को नजदीक से जानने-समझने का मौका मिला। आभार।
ReplyDeleteसेमलानी जी व उनके परिवार से मिलकर बहुत आनंद आया ...
ReplyDeleteसरल प्रवृति से उत्तर देना व दुनिया दारी निभाना ..
ब्लॉग ' हे प्रभु ये तेरा पथ ' पर कभी कभी वक्त मिलते ही घूम ज़रूर आती हूँ .
जी लेख देखने व प्रतिक्रया जाहिर करने :))
इस एक और मुलाकात का बहुत आभार
राम राम !!
Bahut achha raha ye interview...
ReplyDeleteब्लौग के एक और महारथी से मिल कर अच्छा लगा...
ReplyDeleteहिदी ब्लौगिंग के इतिहास में ये पन्ने मिल के पत्थर साबित होंगे...
सेमलानी जी के पूरे परिवार से मिलकर बहुत अच्छा लगा।
ReplyDeletepadhkar aisa lagaa jaise semlaani saheb ko ham bhi achhi tarah mil ayen hain!!
ReplyDeleteमहावीर भैया का हर आलेख चुस्ती, फुर्ती, और जानकारी से भरपूर होता है. ऐसे युवा और उत्साही चिट्ठाकार के बारे में इतने विस्तार से पढना अच्छा लगा.
ReplyDeleteमहावीर उन चिट्ठाकारों में है जिन से मुझे बहुत अधिक उम्मीद है, और मुझे यकीन है कि महावीर मुझे निराश नहीं करेंगे.
उन्होंने अपनी जीवनसंगिनी के बारे में जो कुछ कहा वह मन को पुलकित कर गया. प्रभु आप दोनों के द्वारा बहुत कुछ करना चाहते हैं, और इसी कारण आप को एक छत के नीचे ले आये हैं. दोनों लोगों को मेरा आशीर्वाद. लगे रहो, अभी बहुत आगे जाना है.
ताऊजी से चार दिन पहले मुलाकात हुई थी और हम ने काफी समय एक दूसरे के साथ बिताया था. प्रमाण http://sarathi.info/archives/2360 पर देख लें.
सबको स्नेह -- शास्त्री
सच महावीर जी आपके खुशहाल परिवार देखकर ओर आपके परिवार के बारे में जानकार बहुत ही अच्छा लगा....
ReplyDeleteआप इसी तरह हँसते मुस्कुराते रहे यही दुआ है !
सच महावीर जी आपके खुशहाल परिवार देखकर ओर आपके परिवार के बारे में जानकार बहुत ही अच्छा लगा....
ReplyDeleteआप इसी तरह हँसते मुस्कुराते रहे यही दुआ है !
सेमलानी परिवार और "हे प्रभु ये तेरा पँथ " अब हमारे परिवारोँ क हिस्सा बन चुके हैँ सौ. प्रेमलता भाभी जी व बच्चोँ को मेरे आशिष व स्नेह
ReplyDeleteताऊ जी , आप एक तरह से "डाटा बेस " तैयार कर रहे हैँ - हिन्दी ब्लोग जगत के साथियोँ का अत: आपका हम सब पर बहुत बडा उपकार है
आभार आपका
राम राम !
- लावण्या