पिछले बुधवार आपने पढा था कि महाबाबाश्रियों के चरणों मे लौट लगा लगा कर ताऊ भी अब महाबाबाश्री बन गये थे और उन्होने एक महाबाबाश्री ताऊआनंद आश्रम की स्थापना करदी थी. सुबह शाम वहां नित्य प्रति भजन कीर्तन और प्रवचन चलते थे. इलाके मे कोई भी काम बाबाश्री की सलाह से ही होता था. धीरे धीरे बाबाश्री के नाम का डंका चारों तरफ़ बजने लगा. बाबाश्री के खाने पीने का प्रबंध भक्त जब कथा सुनने आते थे तब साथ मे करके ही लाते थे. लिहाजा बाबाजी को सिर्फ़ लोगों का दुख दर्द दूर करने के अलावा कुछ काम नही था.
अनन्य भक्त श्री अनिल पूसदकर ताऊबाबाश्री के आश्रम में.
ताऊ भी ये चोरी ऊठाईगिरी के धंधों से परेशान हो गया था सो इस नये बाबागिरी के धंधे में खुश था. पर ताऊ किसी भी काम मे आज तक सफ़ल हुआ है? जो इसमें सफ़ल होता? अब एक दिन बैठे बैठाये बाबा ताऊआनंद के अनन्य भक्त श्री अनिल पूसदकर बाबाश्री के दर्शन करने पधारे. और बाबा को ऐसी सलाह दे डाली की बाबा अब ब्लागरी करते नजर आरहे हैं.
आते ही उन्होने दंडवत प्रणाम किया. और बोले : प्रणाम महाबाबाश्री की..
ताऊबाबाश्री : तुम्हारा क्ल्याण हो वत्स. आओ विराजो. रास्ते मे कोई कष्ट तो नही हुआ?
अनिल पूसदकर जी : बाबाश्री, आपका आशिर्वाद साथ है तो कष्ट होने का क्या काम है?
ताऊबाबाश्री : और वत्स धंधा पानी कैसा चल रहा है?
अनिल पूसदकर जी : बाबाश्री आपके आशिर्वाद से सब कुशलमंगल है. अच्छे अच्छे तीसमारखाओं को भी उनकी नानी याद दिला देता हू.
ताऊबाबाश्री : हां भक्त वो तो आपकी कलम मे बडी ताकत है. इतनी ही देर मे एक चूहा कहीं से आगया..और बाबा की लंगोटी को कुतरने लगा. बाबा लठ्ठ ऊठाकर दौडे. अब अनिल पूसदकर जी ने सलाह दे डाली : बाबा आप काहे चिंता करते हैं? आप तो भजन करिये..मैं रायपुर पहुंचकर आपको एक दर्जन लंगोटिया भिजवा दूंगा.
बाबाश्री बोले : ये तो ठीक है, पर चूहे तो उनको भी कुतर देंगे?
अनिल जी बोले : बाबाश्री, मेरे रहते चूहों की इतनी हिम्मत कि आपकी लंगोटी कुतर जायें? अभी प्रबंध किये देता हूं और तुरंत एक रामप्यारी (बिल्ली) मंगवाकर बाबाश्री की कुटिया पर छोड दी..अब चूहे कैसे आयेंगे? बाबाश्री भी अनिल जी के उपकार के नीचे दब गये..अब बाबाश्री को क्या मालूम कि ये घाट घाट का पानी पिये हुये हैं, और खुद भी अभी तक कुंवारें हैं, पर बाबाश्री को तो रास्ते लगा ही देंगे.
अब बाबाश्री ताऊआनंद महाराज ने पूछा - वत्स शादी कब कर रहे हो?
अनिलजी : बाबाश्री, अब क्या करूं? घर परिवार मे, दोस्त और रिश्तेदार, सब के सब मेरे पीछे लगे हैं..आप तो जानते हैं कि ये सब निरर्थक बाते हैं. आपही बताईये कि क्या करुं?
बाबाश्री : वत्स, शादी अवश्य करो?
अनिल जी : क्यों बाबाश्री? आप मुझको ऐसा आदेश क्युं दे रहे हैं?
बाबाश्री : वत्स, शादी इसलिये कर लेनी चाहिये कि, अगर अच्छी बीबी मिल गई तो तुम्हारा जीवन स्वर्ग बना देगी और खराब मिल गई तो सुकरात की तरह दार्शनिक जरुर बना देगी. दोनों ही हालत मे नुक्सान नही है.
अब अनिल जी मन ही मन बोले - बाबाश्री, अब मैने तो बिल्ली छोड दी है, पहले आप निपटना, मेरा तो बाद मे देखूंगा. और अनिल जी प्रणाम दण्डवत कर वापस हो लिये.
इधर बाबाश्री को चुहों से छुटकारा मिल गया..रामप्यारी के दूध की व्यव्स्था सब भक्त कर ही देते थे..आराम पुर्वक बाबाश्री का समय उड रहा था. अब बरसात आई और कुटिया गांव से बाहर थी सो जिस दिन बरसात ज्यादा हो उस दिन रामप्यारी के दूध की व्यवस्था नही हो पाती थी. अब ये बडा कलेश खडा होगया.
फ़िर एक दिन अनिल पूसदकर जी आये और बाबाश्री ताऊआनंद ने रामप्यारी के दूध की समस्या बताई. अब पूसदकर जी ठहरे बाबाश्री के अनन्य भक्त..सो तुरंत एक गाय खरीदवा कर आश्रम मे बंधवा दी. अब बाबाश्री भी खुश..और रामप्यारी की भी बल्ले ..बल्ले..
गाय का चारा आदि की व्यवस्था सब गांव वाले भक्त जन कर ही देते थे. पर गाय को खोलना..बांधना..चरने के लिये छोडना..दूध दुहना..इन सब कामों मे बाबाश्री का अधिकतम समय व्यतीत होने लगा. अब भजन कीर्तन तो एक तरफ़ धरे रह गये और बाबाश्री का सारा ध्यान रामप्यारी और गाय पर लग गया. और यही अब उनका परिवार बन चुका था.
फ़िर एक दिन अनिल पूसदकर जी आये..बाबाश्री को प्रवचन करने की जगह ..गाय के आगे पीछे घूमते पाया तो बोले - बाबाश्री क्या बात है? आजकल प्रवचन नही चल रहे हैं?
बाबाश्री : वत्स, अब प्रवचन के लिये समय ही कहां बचता है? जो भी समय रहता है वो इस गऊ माता की सेवा मे निकल जाता है.
अनिल पूसदकर : अरे बाबाश्री, आप क्यों चिंता करते हैं? अभी आपकी उम्र ही क्या है? आपने जो फ़ार्मुला मुझे बताया था वो ही करिये. यानि शादी कर लिजिये..गुरुमाई, गाय को और रामप्यारी को संभाल लेगी और ..आपको भोजन भी दोनों समय गर्मागर्म तैयार मिलेगा..अभी भक्तों का लाया हुआ ठंडा बासी खाना पडता है.
अनिल पूसदकर जी की सलाह बाबाश्री ताऊआनंद को सोलह आने जंच गयी और बाबाश्री ने शादी करली..अब आजकल बाबाश्री का सारा ध्यान घर गृहस्थी मे लगा है? और भजन कीर्तन कब के छूट गये? बचा खुचा समय अब ब्लागरी मे व्यतीत होने लगा.
आपको याद दिला देते हैं कि यह आज की कथा और पिछले बुधवार की कथा ताऊ अपनी आपबीती के रुप में शेरू महाराज को सुना रहे हैं. याद करिये शेरू महाराज के गीदड सेकेरेटरी ताऊ ही बने हुये हैं और वहां कुछ ब्लागरों ने अपना रजिस्ट्रेशन भी करवाया हुआ था. उन सबकी अप्लीकेशन शेरू महाराज के पास सुनवाई के लिये पहुंच गई है और अगले सप्ताह से उन पर सुनवाई होने की संभावना है. उस पोस्ट को याद करने के लिये आप यहां चटका लगा सकते हैं.
ताऊ भी ये चोरी ऊठाईगिरी के धंधों से परेशान हो गया था सो इस नये बाबागिरी के धंधे में खुश था. पर ताऊ किसी भी काम मे आज तक सफ़ल हुआ है? जो इसमें सफ़ल होता? अब एक दिन बैठे बैठाये बाबा ताऊआनंद के अनन्य भक्त श्री अनिल पूसदकर बाबाश्री के दर्शन करने पधारे. और बाबा को ऐसी सलाह दे डाली की बाबा अब ब्लागरी करते नजर आरहे हैं.
आते ही उन्होने दंडवत प्रणाम किया. और बोले : प्रणाम महाबाबाश्री की..
ताऊबाबाश्री : तुम्हारा क्ल्याण हो वत्स. आओ विराजो. रास्ते मे कोई कष्ट तो नही हुआ?
अनिल पूसदकर जी : बाबाश्री, आपका आशिर्वाद साथ है तो कष्ट होने का क्या काम है?
ताऊबाबाश्री : और वत्स धंधा पानी कैसा चल रहा है?
अनिल पूसदकर जी : बाबाश्री आपके आशिर्वाद से सब कुशलमंगल है. अच्छे अच्छे तीसमारखाओं को भी उनकी नानी याद दिला देता हू.
ताऊबाबाश्री : हां भक्त वो तो आपकी कलम मे बडी ताकत है. इतनी ही देर मे एक चूहा कहीं से आगया..और बाबा की लंगोटी को कुतरने लगा. बाबा लठ्ठ ऊठाकर दौडे. अब अनिल पूसदकर जी ने सलाह दे डाली : बाबा आप काहे चिंता करते हैं? आप तो भजन करिये..मैं रायपुर पहुंचकर आपको एक दर्जन लंगोटिया भिजवा दूंगा.
बाबाश्री बोले : ये तो ठीक है, पर चूहे तो उनको भी कुतर देंगे?
अनिल जी बोले : बाबाश्री, मेरे रहते चूहों की इतनी हिम्मत कि आपकी लंगोटी कुतर जायें? अभी प्रबंध किये देता हूं और तुरंत एक रामप्यारी (बिल्ली) मंगवाकर बाबाश्री की कुटिया पर छोड दी..अब चूहे कैसे आयेंगे? बाबाश्री भी अनिल जी के उपकार के नीचे दब गये..अब बाबाश्री को क्या मालूम कि ये घाट घाट का पानी पिये हुये हैं, और खुद भी अभी तक कुंवारें हैं, पर बाबाश्री को तो रास्ते लगा ही देंगे.
अब बाबाश्री ताऊआनंद महाराज ने पूछा - वत्स शादी कब कर रहे हो?
अनिलजी : बाबाश्री, अब क्या करूं? घर परिवार मे, दोस्त और रिश्तेदार, सब के सब मेरे पीछे लगे हैं..आप तो जानते हैं कि ये सब निरर्थक बाते हैं. आपही बताईये कि क्या करुं?
बाबाश्री : वत्स, शादी अवश्य करो?
अनिल जी : क्यों बाबाश्री? आप मुझको ऐसा आदेश क्युं दे रहे हैं?
बाबाश्री : वत्स, शादी इसलिये कर लेनी चाहिये कि, अगर अच्छी बीबी मिल गई तो तुम्हारा जीवन स्वर्ग बना देगी और खराब मिल गई तो सुकरात की तरह दार्शनिक जरुर बना देगी. दोनों ही हालत मे नुक्सान नही है.
अब अनिल जी मन ही मन बोले - बाबाश्री, अब मैने तो बिल्ली छोड दी है, पहले आप निपटना, मेरा तो बाद मे देखूंगा. और अनिल जी प्रणाम दण्डवत कर वापस हो लिये.
इधर बाबाश्री को चुहों से छुटकारा मिल गया..रामप्यारी के दूध की व्यव्स्था सब भक्त कर ही देते थे..आराम पुर्वक बाबाश्री का समय उड रहा था. अब बरसात आई और कुटिया गांव से बाहर थी सो जिस दिन बरसात ज्यादा हो उस दिन रामप्यारी के दूध की व्यवस्था नही हो पाती थी. अब ये बडा कलेश खडा होगया.
फ़िर एक दिन अनिल पूसदकर जी आये और बाबाश्री ताऊआनंद ने रामप्यारी के दूध की समस्या बताई. अब पूसदकर जी ठहरे बाबाश्री के अनन्य भक्त..सो तुरंत एक गाय खरीदवा कर आश्रम मे बंधवा दी. अब बाबाश्री भी खुश..और रामप्यारी की भी बल्ले ..बल्ले..
गाय का चारा आदि की व्यवस्था सब गांव वाले भक्त जन कर ही देते थे. पर गाय को खोलना..बांधना..चरने के लिये छोडना..दूध दुहना..इन सब कामों मे बाबाश्री का अधिकतम समय व्यतीत होने लगा. अब भजन कीर्तन तो एक तरफ़ धरे रह गये और बाबाश्री का सारा ध्यान रामप्यारी और गाय पर लग गया. और यही अब उनका परिवार बन चुका था.
फ़िर एक दिन अनिल पूसदकर जी आये..बाबाश्री को प्रवचन करने की जगह ..गाय के आगे पीछे घूमते पाया तो बोले - बाबाश्री क्या बात है? आजकल प्रवचन नही चल रहे हैं?
बाबाश्री : वत्स, अब प्रवचन के लिये समय ही कहां बचता है? जो भी समय रहता है वो इस गऊ माता की सेवा मे निकल जाता है.
अनिल पूसदकर : अरे बाबाश्री, आप क्यों चिंता करते हैं? अभी आपकी उम्र ही क्या है? आपने जो फ़ार्मुला मुझे बताया था वो ही करिये. यानि शादी कर लिजिये..गुरुमाई, गाय को और रामप्यारी को संभाल लेगी और ..आपको भोजन भी दोनों समय गर्मागर्म तैयार मिलेगा..अभी भक्तों का लाया हुआ ठंडा बासी खाना पडता है.
अनिल पूसदकर जी की सलाह बाबाश्री ताऊआनंद को सोलह आने जंच गयी और बाबाश्री ने शादी करली..अब आजकल बाबाश्री का सारा ध्यान घर गृहस्थी मे लगा है? और भजन कीर्तन कब के छूट गये? बचा खुचा समय अब ब्लागरी मे व्यतीत होने लगा.
आपको याद दिला देते हैं कि यह आज की कथा और पिछले बुधवार की कथा ताऊ अपनी आपबीती के रुप में शेरू महाराज को सुना रहे हैं. याद करिये शेरू महाराज के गीदड सेकेरेटरी ताऊ ही बने हुये हैं और वहां कुछ ब्लागरों ने अपना रजिस्ट्रेशन भी करवाया हुआ था. उन सबकी अप्लीकेशन शेरू महाराज के पास सुनवाई के लिये पहुंच गई है और अगले सप्ताह से उन पर सुनवाई होने की संभावना है. उस पोस्ट को याद करने के लिये आप यहां चटका लगा सकते हैं.
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बोलो बाबा ताऊआनंद महाराज की जय... ?? मनोज मिश्रा जी के इंटरव्यू का इंतजार है.. आभार
ReplyDeleteबोलो बाबा ताऊआनंद महाराज की जय... ?? मनोज मिश्रा जी के इंटरव्यू का इंतजार है.. आभार
ReplyDeleteबोलो बाबा ताऊआनंद महाराज की जय... ?? मनोज मिश्रा जी के इंटरव्यू का इंतजार है.. आभार
ReplyDeleteजय हो बाबाश्री की. और सलाह लो पूसदकर जी से. भुगतो अब. और शेरू महाराज के पास हमारा भी रजिस्ट्रेशन करवा दिजिये. आजकल काम धंधा भी कमजोर है.
ReplyDeleteबाबाजी आज तो सच मे आप बहुत क्यूट लग रहे हो. पर ध्यान रखना बाबाजी सब भक्त एक जैसे नही होते.:)
ReplyDeleteताऊ अनंत ताऊ कथा अनंता.:) जोर से बोलो "जय बाबाश्री ताऊआनंद की". छा गये बाबा.
ReplyDeleteवत्स, शादी इसलिये कर लेनी चाहिये कि, अगर अच्छी बीबी मिल गई तो तुम्हारा जीवन स्वर्ग बना देगी और खराब मिल गई तो सुकरात की तरह दार्शनिक जरुर बना देगी. दोनों ही हालत मे नुक्सान नही है.
ReplyDeleteवाह बाबाजी यह तो आपने कंवारों को बडी अनमोल सीख दे डाली. जय हो महाराज. सबके कल्याणकारी बाबा महाराज की जय हो.
अब अनिल पूसदकर जी ने सलाह दे डाली : बाबा आप काहे चिंता करते हैं? आप तो भजन करिये..मैं रायपुर पहुंचकर आपको एक दर्जन लंगोटिया भिजवा दूंगा.
ReplyDeleteवाह आज तो लाजवाब पोस्ट है. हंसते २ दोहरे होगये हैं. बाबाजी एक दर्जन लंगोटी मैं भी भिजवा रहा हूं.:)
अब अनिल पूसदकर जी ने सलाह दे डाली : बाबा आप काहे चिंता करते हैं? आप तो भजन करिये..मैं रायपुर पहुंचकर आपको एक दर्जन लंगोटिया भिजवा दूंगा.
ReplyDeleteवाह आज तो लाजवाब पोस्ट है. हंसते २ दोहरे होगये हैं. बाबाजी एक दर्जन लंगोटी मैं भी भिजवा रहा हूं.:)
आज अगर कालिदास होते तो श्लोक लिख रहे होते- कि ताऊ-जल से अनिल-कमल की शोभा और अनिल-कमल से ताऊ-जल की शोभा और दोनों से मिलकर ब्लाग-सरोवर की शोभा बढ़ रही है।
ReplyDeleteआश्रम और उपदेश दोनों पसंद आया महराज,
ReplyDeleteराम -राम .
वत्स, शादी इसलिये कर लेनी चाहिये कि, अगर अच्छी बीबी मिल गई तो तुम्हारा जीवन स्वर्ग बना देगी और खराब मिल गई तो सुकरात की तरह दार्शनिक जरुर बना देगी. दोनों ही हालत मे नुक्सान नही है.
ReplyDeleteबहुत सत्यवचन महाराज. आपकी जय हो, जय हो, जय हो महाराज श्री.
वत्स, शादी इसलिये कर लेनी चाहिये कि, अगर अच्छी बीबी मिल गई तो तुम्हारा जीवन स्वर्ग बना देगी और खराब मिल गई तो सुकरात की तरह दार्शनिक जरुर बना देगी. दोनों ही हालत मे नुक्सान नही है.
ReplyDeleteबहुत सत्यवचन महाराज. आपकी जय हो, जय हो, जय हो महाराज श्री.
बाबा को दन्डवत प्रणाम
ReplyDeleteआज जमाना बाबागिरी का ही है ।
लंगोट इज्जत का सवाल है, चुहों से बची रहे....
ReplyDeleteशादी वाली सलाह भी दोनो हाथों में लड्डू जैसी लगी.
रामप्यारी को दूध का चस्का लगवाने से पहले बिल्ली के लिए उपयुक्त आहार सा कुछ गूगल में पढ लेते तो गाय और ताई से बच जाते। बिल्ली को माँसाहार ही करना चाहिए। दूध हानिकारक होता है बिल्ली और ताऊ दोनो के लिए( ताऊ बिना गाय पाले पी सकता है) परन्तु हमसे सलाह लेता कौन है?
ReplyDeleteघुघूती बासूती
ताऊ जी आज तक़ सबको चकरी देता आ रहा था,मगर आपसे क्या झूठ बोलना।कुछ दिनो पहले आपने और फ़ुरसतिया भैया ने भी इसी मामले मे फ़ोन पर प्रवचन पेला था तब से मन बना रहा था और आज आपकी सलाह ने तो उसे कन्फ़र्म ही कर दिया।आपके आश्रम की कसम नफ़ा हो या नुकसान आपकी सलाह पर अमल करके रहूंगा।जै हो बाबाश्री ताऊआनंद की,जै हो।
ReplyDeleteअमृत ज्ञान दिया है आपने। आभार।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
यह पोस्ट तुरंत हटा लीजिए, वरना साधु संघ आप पर कानूनी कार्यवाही कर सकता है.
ReplyDeleteताऊ बाबा की जय हो।
ReplyDeleteअभी एक चस्का लगाया है
ReplyDeleteकल दूसरा लगेगा
चस्का दूजी का
...
जय हो ताऊआनंद महाराजाधिराज की
अनन्य भक्त श्री अनिल पूसदकर जी भी बाबा के आश्रम पहुंचे -और क्या से क्या हो गया!उन्हें पाठ पढ़ने वाले बाबा की अनिल जी ने खूब पढ़ा दिया!बहुत खूब!
ReplyDeleteअब महाबाबा इन दोनों में से कौन हुआ??यह भी समझ आ ही गया !
***डॉ.मनोज जी के साक्षात्कार की प्रतीक्षा रहेगी.
जमैथा के खरबूजे भी खाने को ,कल जरुर मिलेंगे ऐसी उम्मीद है.
--आप की इस पोस्ट की फीड अभी तक नहीं पहुंची!
"ताऊाआश्रम" मेँ
ReplyDeleteअनिल भाई के सँग
"सत्सँग - सँवाद" बढिया रहा जी :)
- लावण्या
वाह जी ...वाह ....बाबाओं की जय हो !
ReplyDeleteअहो भाग्य अनिल जी के। कल वो आये थे तो मेरे गरीबखाने में भी लेकिन फोन पर आये थे। ताऊ महराज मुझे भी अपना अनन्य भक्त की श्रेणी मे देखने की आदत डालें क्योंकि आपके कथनानुसार मैं निरन्तर सुकरातत्व की दिशा में अग्रसर हो गया हूँ। अतः हे कृपानिधान मेरा भी पंजीयन शेरू महराज के पास करवा दें।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
अनिल पुसदकर जी का कल्याण हो और ताऊ की जय हो.
ReplyDeleteतो लंगोट ही भली थी.. काहे इत्ते लफडे़ में पडे..
ReplyDeleteराम राम
अनिल पूसदकर जी की सलाह बाबाश्री ताऊआनंद को सोलह आने जंच गयी और बाबाश्री ने शादी करली..अब आजकल बाबाश्री का सारा ध्यान घर गृहस्थी मे लगा है?
ReplyDeleteयहाँ मन में एक प्रश्न उत्पन हो रहा है कि आमतौर पर चेला ही गुरू की बात का अनुसरण करता है,लेकिन यहाँ तो गुरू ही चेले की बात मानकर चल रहा है। इसका मतलब ये हुआ कि चेला धीरे धीरे गुरूत्व प्राप्ति की ओर अग्रसर हो रहा है और गुरू अपने गुरूत्व से दूर होता जा रहा है।.....बाबा जी, कृ्प्या अपने बोल बचनों द्वारा मेरी इस शंका का निवारण कीजिए।
अच्छी बीबी मिल गई तो तुम्हारा जीवन स्वर्ग बना देगी और खराब मिल गई तो सुकरात की तरह दार्शनिक जरुर बना देगी. दोनों ही हालत मे नुक्सान नही है.
ReplyDeleteताउ बाबागिरी शुरू न करते तो इतना ज्ञानवर्धक प्रवचन और कहां मिलता :)
चैला शक्कर भया, गुरु न रहा गुड़ भी।
ReplyDeletetauji kamaal kar diya
ReplyDeleteanand aa gaya
raam raam !
ताऊ यह फ़ीड का जो व्चक्कर है यह तेरे उलटे सीधे कामो का ही फ़ल है, चलो अब जलदी से अपनी गाय ले कर चलो ओर नया बाबा मुझे घोषित कर दो, एक दो साल मै कोई अच्छी सी जगह मिल जाये तो २,३हजार करोड हम भी कमा ले, नोट चोगने करने का फ़ार्मुला मेरे पास है, ओर भी बाबाओ के बढिया बढिया फ़ारमुले है, बस एक बार जगह मिल जाये.
ReplyDeleteबाकी यह बेनामी चिचड कहा से चिपक गया, जो रोज ही अदालत ओर कोर्ट कचहरी की धमकी दे रहा है.
राम राम जी की
ha ha ha ha :)
ReplyDeleteअब अनिल जी को आश्रम सौंप दो..उनसे पार पाना हल्का काम नहीं है महाराज!! देखो, आपको ही चिपका गये. :)
ReplyDeleteबाबा ताऊआनंद महाराज की जय... ?? मनोज मिश्रा जी के इंटरव्यू का इंतजार है..!!!
ReplyDeleteजय हो बाबा की ! कुछ फीड-वीड देखिये. रीडर तो अब तक नहीं दिखा रहा ये पोस्ट !
ReplyDeleteमहाबाबाश्री ताऊआनंद की जय हो |
ReplyDeleteबाबा फीड नहीं पाने के चक्कर में पोस्ट आज पढ़ रहे है अब फीड का पता ठिकाना सही कर लिया |
लगे रहो।
ReplyDeleteआजकल बाबांओं की खूब चांदी हो रही है।
कुछ योग-भोग भी आता है या नही।
kamaal ka likha hai...itna mazaa aaya...ji kar raha tha ki lekh kabhi khatm hi na ho :D
ReplyDeletetau ji ko ek salaah deni reh gayee..orkut join kar lijiye...ek baar isko bhi maaniyega!!
दो ताऊ की टक्कर बहुत अच्छा लगा । ताऊ का नया रूप भी कमाल का है ।
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