स्थान : ताऊ आश्रम : प्रभातकालिन सत्र में महाबाबा ताऊआनंद के प्रवचन का समय, अनेकों भक्तगण भी वहां मौजूद हैं.
ताऊबाबा प्रवचन से पूर्व भक्तों के कुछ जिज्ञासापुर्ण प्रश्नों के उत्तर दे रहें हैं.
भक्त : हे महाबाबा ताऊ, हे परमश्रेष्ठ ब्लागरत्व को प्राप्त सज्जन पुरुष, आप कृपा करके इन ब्लागरों को बतायें कि आप इस महान ब्लागर तत्व को कैसे प्राप्त हुये? और आप बतायें कि इस कलयुग रुपी संसार मे एक ब्लागर किस तरह ब्लागरत्व को प्राप्त करके सुखपुर्वक ब्लागरधाम को पहुंच सकता है?
महाबाबा ताऊआनंद : हे मेरे परम श्रेष्ठ भक्त, सुन. अब मैं सम्पुर्ण रुप से तुम्हारी जिज्ञासा का शमन करता हूं. हे परम ब्लागरत्व को प्राप्त होने के इच्छुक ब्लागरत्नों .. जरा ध्यान लगाकर और कान खोलकर इस परम मोक्षदायिनी ब्लागर कथा का श्रवण करो. हे ब्लागर श्रेष्ठों सुनो : हम बचपन से ही इस अंधकार रुपी संसार से विमुख किस्म के प्राणी थे. फ़िर भी परिस्थितिवश हमने बहुत सा समय निकाल दिया. इस ब्लाग जगत के कलयुगी थपेडे खाते रहे.
महाबाबाश्री समीरानंद्जी, महाबाबाश्री अनूपानंद जी ( दोनों आशिर्वाद देती हुई मुद्रा में ) और लेटी हुई विश्राम मुद्रा मे महाबाबाश्री ताऊआनंद
हे भक्त जनों, समय के थपेडे खाते खाते हम ऊब चुके थे और हम ब्लागरत्व प्राप्ति का अपना लक्ष्य त्यागना ही चाहते थे कि हमको महाबाबाश्री समीरानंद जी “उडनतश्तरी” और महाबाबाश्री अनूपानंद जी “फ़ुरसतिया” का सानिंध्य प्राप्त हुआ.
एक भक्त : हे ताऊबाबाश्री, क्या उनका सानिंध्य प्राप्त होते ही आपको ब्लागरत्व प्राप्त हो गया प्रभु?
महाबाबा ताऊआनंद : वत्स तुम अभी भी चंचल बालक की भांति बडे ही चंचल प्रश्न पूछ रहे हो? वत्स इस संसार मे अचानक और अनायास कुछ नही मिलता.
दूसरा भक्त : तो बाबाश्री आप ब्लागर कल्याण हेतु समस्त उपाय बतायें.
महाबाबा ताऊआनंद : हे मेरे परम प्रिय ब्लागरों, अपना संपुर्ण ध्यान लगाकर सुनो कि हम कैसे ब्लागरत्व को प्राप्त हुये. बडा दुरुह और कठिन कार्य है. पर भक्त जनों जिसने एक बार ब्लागरत्व प्राप्त करने की ठान ली. वो भला बिना पाये विश्राम कैसे करेगा? तस्वीर देखो मेरे प्यारे भक्तों..इस तरह टांग फ़ैलाकर सोने का सुख अलग ही होता है.
भक्त : हां बाबाश्री, आप बिल्कुल सत्य कह रहे हैं. हमे भी अब टांग फ़ैलाकर सोने का मार्ग सुझाईये प्रभु?बोलो ताऊ बाबा महाराज की जय..(और जोरदार जय कारा लगता है)
महाबाबा ताऊआनंद : हां वत्स, हमने महाबाबाश्री समीरानंद जी और महाबाबाश्री अनूपानंद जी के श्री चरणों मे लौट लौट कर ब्लागरत्व प्राप्त करने की दिशा में अग्रगामी हुये.
भक्त : बाबा ये कौन सी स्टाईल है?
महाबाबा ताऊआनंद : अरे बालक यही स्टाईल है. जरा फ़ोटो मे देख. हम कैसे दोनों बाबाओं के श्री चरणों मे लेटे हुये ब्लागरत्व का मजा ले रहे हैं? और उनकी सलाह और मार्गदर्शन से ही हम इस मोक्षदायिनी दशा को प्राप्त हुये हैं.
एक अन्य लुंठित श्रोता : बाबाश्री अगर श्रीचरणों मे लेटकर ही ब्लागरत्व प्राप्त होता है तो उन सभी को क्यों नही होता जो अनायास ही किसी ना किसी के चरणों मे बैठे हुये हैं?
महाबाबा ताऊआनंद : अरे कुंठित और लुंठित प्राणी..तू ऐसे नही मानेगा…तेरी बुद्धि ही भ्रष्ट है. अरे मुर्ख जरा उन चरणों कि संगति कर जहां कुछ मिले. अरे ओ .. निराधम टाईप के प्राणी..जरा मेहनत कर और हमारी तरह ब्लागरत्व को प्राप्त हो जा.
अन्य भक्त : हे सज्जन शिरोमणी महाराज..अब आप हमको कुछ ज्ञान ध्यान बतायें कि हम कैसे इस अवस्था को प्राप्त हों?
महाबाबा ताऊआनंद : हे वत्सों ..सबसे प्रथम कार्य जैसे सुबह उठने पर दांतुन कुल्ला करने का होता है वैसे ही प्रथम कर्तव्य है जो चीज नही है उसको कहो कि है..और जो चीज है..उसे कहो कि नही है. यह प्रथम मंत्र है.
भक्त : बाबाश्री आप क्या फ़र्मा रहे हैं? हमको कुछ समझ मे नही आया.
महाबाबा ताऊआनंद : वत्स, यह महाज्ञान है. एक दम से समझ नही आता. धीरे २ ही आयेगा. अगर एक ही दिन मे तुमको समझा दिया तो हमारी दूकान कैसे चलेगी? अत: वत्स धैर्य धारण करो और नित्य कथा श्रवण हेतु आया करो. अधीरता अच्छी बात नही है वत्स…अब इतने मे बाबा का लंच का समय होगया..अंदर रबडी मलाई का भोग तैयार ही रखा था. बाबा महाराज ने अब मौन धारण कर लिया.
अब माईक ताऊ बाबाश्री के एक चेले ने ले लिया और कहने लगा : -हे परम श्रर्द्धालु भक्त गणों, अब बाबाश्री के विश्राम का समय हो चुका है. कल के सुबह के सत्र मे बाबाश्री आपको श्री हिमांशु से मिलवायेंगे. इनसे मिलना मत भुलना..आपको इस मिलन से भी ब्लागरत्व प्राप्ति मे सहायता मिलेगी. और बाकी की ब्लारगत्व प्राप्ति की परम मोक्षदायिनी कथा का श्रवण आप अगले बुधवार को कर सकेंगे.
सब भक्त बाबाश्री की जयजयकार करते हुये बाबाश्री के श्री चरणों मे चढावा अर्पण करते हुये प्रस्थान करने लगे. बाबा के चेले चपाटी चढावे के माल को बटोरने लगे और बाबा हाथ ऊठाकर आशिर्वाद देती मुद्रा मे अंदर की तरफ़ गमन कर गये.
इस कथा को कहने सुनने वाला परम मोक्ष की ब्लागरावस्था को प्राप्त होजाता है. अत: श्रद्धापूर्वक इस कथा का श्रवण मनन कर बाबाश्री के चरणों मे टिपणी रुपी भेंट अर्पण कर आशिर्वाद लें. ईश्वर आपको ब्लागरत्व प्राप्ति मे सहायक होंगे.
( इस कथा का बाकी भाग अगले बुधवार को प्रसारित होगा..)
पुनश्च : महाबाबाश्री अनूपानंद जी महाराज ने बडी ही कृपा करके उनके एक प्रवचन का लिंक जन कल्याण हितार्थ भिजवाया है. आप ब्लागरत्व प्राप्ति में सहायक इन प्रवचनों का पठन मनन अगले सत्र तक यहां कर सकते हैं. बोलो बाबा अनूपानंद जी महाराज की जय हो.
पुनश्च : सभी भक्तजनों पर कल्याणकारी दृष्टिपात करते हुये महाबाबाश्री समीरानंद जी महाराज ने भी उनके श्रीमुख से निकले हुये प्रवचनों का यह लिंक भिजवाया है. शीघ्र ही मोक्षदायक एवम आत्मकल्याणकारी इन प्रवचनों का पठन और मनन आप भक्तजन यहां कर सकते हैं. आपके मन की जो भी क्षुधा हो आप सिर्फ़ व्यक्त करें..दोनों महाबाबाश्री आप पर परम प्रसन्न हैं, अत: तुरंत उपाय हाजिर किये जायेंगे.
अब आप इन प्रवचनों का भक्ति भाव पुर्वक पाठ करें और ब्लागरत्व को प्राप्त होजाये.
ताऊबाबा प्रवचन से पूर्व भक्तों के कुछ जिज्ञासापुर्ण प्रश्नों के उत्तर दे रहें हैं.
भक्त : हे महाबाबा ताऊ, हे परमश्रेष्ठ ब्लागरत्व को प्राप्त सज्जन पुरुष, आप कृपा करके इन ब्लागरों को बतायें कि आप इस महान ब्लागर तत्व को कैसे प्राप्त हुये? और आप बतायें कि इस कलयुग रुपी संसार मे एक ब्लागर किस तरह ब्लागरत्व को प्राप्त करके सुखपुर्वक ब्लागरधाम को पहुंच सकता है?
महाबाबा ताऊआनंद : हे मेरे परम श्रेष्ठ भक्त, सुन. अब मैं सम्पुर्ण रुप से तुम्हारी जिज्ञासा का शमन करता हूं. हे परम ब्लागरत्व को प्राप्त होने के इच्छुक ब्लागरत्नों .. जरा ध्यान लगाकर और कान खोलकर इस परम मोक्षदायिनी ब्लागर कथा का श्रवण करो. हे ब्लागर श्रेष्ठों सुनो : हम बचपन से ही इस अंधकार रुपी संसार से विमुख किस्म के प्राणी थे. फ़िर भी परिस्थितिवश हमने बहुत सा समय निकाल दिया. इस ब्लाग जगत के कलयुगी थपेडे खाते रहे.
हे भक्त जनों, समय के थपेडे खाते खाते हम ऊब चुके थे और हम ब्लागरत्व प्राप्ति का अपना लक्ष्य त्यागना ही चाहते थे कि हमको महाबाबाश्री समीरानंद जी “उडनतश्तरी” और महाबाबाश्री अनूपानंद जी “फ़ुरसतिया” का सानिंध्य प्राप्त हुआ.
एक भक्त : हे ताऊबाबाश्री, क्या उनका सानिंध्य प्राप्त होते ही आपको ब्लागरत्व प्राप्त हो गया प्रभु?
महाबाबा ताऊआनंद : वत्स तुम अभी भी चंचल बालक की भांति बडे ही चंचल प्रश्न पूछ रहे हो? वत्स इस संसार मे अचानक और अनायास कुछ नही मिलता.
दूसरा भक्त : तो बाबाश्री आप ब्लागर कल्याण हेतु समस्त उपाय बतायें.
महाबाबा ताऊआनंद : हे मेरे परम प्रिय ब्लागरों, अपना संपुर्ण ध्यान लगाकर सुनो कि हम कैसे ब्लागरत्व को प्राप्त हुये. बडा दुरुह और कठिन कार्य है. पर भक्त जनों जिसने एक बार ब्लागरत्व प्राप्त करने की ठान ली. वो भला बिना पाये विश्राम कैसे करेगा? तस्वीर देखो मेरे प्यारे भक्तों..इस तरह टांग फ़ैलाकर सोने का सुख अलग ही होता है.
भक्त : हां बाबाश्री, आप बिल्कुल सत्य कह रहे हैं. हमे भी अब टांग फ़ैलाकर सोने का मार्ग सुझाईये प्रभु?बोलो ताऊ बाबा महाराज की जय..(और जोरदार जय कारा लगता है)
महाबाबा ताऊआनंद : हां वत्स, हमने महाबाबाश्री समीरानंद जी और महाबाबाश्री अनूपानंद जी के श्री चरणों मे लौट लौट कर ब्लागरत्व प्राप्त करने की दिशा में अग्रगामी हुये.
भक्त : बाबा ये कौन सी स्टाईल है?
महाबाबा ताऊआनंद : अरे बालक यही स्टाईल है. जरा फ़ोटो मे देख. हम कैसे दोनों बाबाओं के श्री चरणों मे लेटे हुये ब्लागरत्व का मजा ले रहे हैं? और उनकी सलाह और मार्गदर्शन से ही हम इस मोक्षदायिनी दशा को प्राप्त हुये हैं.
एक अन्य लुंठित श्रोता : बाबाश्री अगर श्रीचरणों मे लेटकर ही ब्लागरत्व प्राप्त होता है तो उन सभी को क्यों नही होता जो अनायास ही किसी ना किसी के चरणों मे बैठे हुये हैं?
महाबाबा ताऊआनंद : अरे कुंठित और लुंठित प्राणी..तू ऐसे नही मानेगा…तेरी बुद्धि ही भ्रष्ट है. अरे मुर्ख जरा उन चरणों कि संगति कर जहां कुछ मिले. अरे ओ .. निराधम टाईप के प्राणी..जरा मेहनत कर और हमारी तरह ब्लागरत्व को प्राप्त हो जा.
अन्य भक्त : हे सज्जन शिरोमणी महाराज..अब आप हमको कुछ ज्ञान ध्यान बतायें कि हम कैसे इस अवस्था को प्राप्त हों?
महाबाबा ताऊआनंद : हे वत्सों ..सबसे प्रथम कार्य जैसे सुबह उठने पर दांतुन कुल्ला करने का होता है वैसे ही प्रथम कर्तव्य है जो चीज नही है उसको कहो कि है..और जो चीज है..उसे कहो कि नही है. यह प्रथम मंत्र है.
भक्त : बाबाश्री आप क्या फ़र्मा रहे हैं? हमको कुछ समझ मे नही आया.
महाबाबा ताऊआनंद : वत्स, यह महाज्ञान है. एक दम से समझ नही आता. धीरे २ ही आयेगा. अगर एक ही दिन मे तुमको समझा दिया तो हमारी दूकान कैसे चलेगी? अत: वत्स धैर्य धारण करो और नित्य कथा श्रवण हेतु आया करो. अधीरता अच्छी बात नही है वत्स…अब इतने मे बाबा का लंच का समय होगया..अंदर रबडी मलाई का भोग तैयार ही रखा था. बाबा महाराज ने अब मौन धारण कर लिया.
अब माईक ताऊ बाबाश्री के एक चेले ने ले लिया और कहने लगा : -हे परम श्रर्द्धालु भक्त गणों, अब बाबाश्री के विश्राम का समय हो चुका है. कल के सुबह के सत्र मे बाबाश्री आपको श्री हिमांशु से मिलवायेंगे. इनसे मिलना मत भुलना..आपको इस मिलन से भी ब्लागरत्व प्राप्ति मे सहायता मिलेगी. और बाकी की ब्लारगत्व प्राप्ति की परम मोक्षदायिनी कथा का श्रवण आप अगले बुधवार को कर सकेंगे.
सब भक्त बाबाश्री की जयजयकार करते हुये बाबाश्री के श्री चरणों मे चढावा अर्पण करते हुये प्रस्थान करने लगे. बाबा के चेले चपाटी चढावे के माल को बटोरने लगे और बाबा हाथ ऊठाकर आशिर्वाद देती मुद्रा मे अंदर की तरफ़ गमन कर गये.
इस कथा को कहने सुनने वाला परम मोक्ष की ब्लागरावस्था को प्राप्त होजाता है. अत: श्रद्धापूर्वक इस कथा का श्रवण मनन कर बाबाश्री के चरणों मे टिपणी रुपी भेंट अर्पण कर आशिर्वाद लें. ईश्वर आपको ब्लागरत्व प्राप्ति मे सहायक होंगे.
( इस कथा का बाकी भाग अगले बुधवार को प्रसारित होगा..)
पुनश्च : महाबाबाश्री अनूपानंद जी महाराज ने बडी ही कृपा करके उनके एक प्रवचन का लिंक जन कल्याण हितार्थ भिजवाया है. आप ब्लागरत्व प्राप्ति में सहायक इन प्रवचनों का पठन मनन अगले सत्र तक यहां कर सकते हैं. बोलो बाबा अनूपानंद जी महाराज की जय हो.
पुनश्च : सभी भक्तजनों पर कल्याणकारी दृष्टिपात करते हुये महाबाबाश्री समीरानंद जी महाराज ने भी उनके श्रीमुख से निकले हुये प्रवचनों का यह लिंक भिजवाया है. शीघ्र ही मोक्षदायक एवम आत्मकल्याणकारी इन प्रवचनों का पठन और मनन आप भक्तजन यहां कर सकते हैं. आपके मन की जो भी क्षुधा हो आप सिर्फ़ व्यक्त करें..दोनों महाबाबाश्री आप पर परम प्रसन्न हैं, अत: तुरंत उपाय हाजिर किये जायेंगे.
अब आप इन प्रवचनों का भक्ति भाव पुर्वक पाठ करें और ब्लागरत्व को प्राप्त होजाये.
ब्लॉगरत्व प्राप्ति के सुगम साधन के रूप में इस कथा का श्रवण/मनन करने हम निरन्तर ही यहाँ पधारेंगे ।
ReplyDeleteफुरसतिया जी, उड़न तश्तरी के साथ यह कथा तो बनारस के घाट पर सम्पन्न होती दिख रही है फोटू में । अथवा कोई अन्य पुण्य-क्षेत्र ?
ब्लागर बनने के लिए दिया नेक उपदेश।
ReplyDeleteबन के ताऊ शिष्य हम बदलेंगे अब वेष।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
धन्य रे धन्य महाप्रभु तऊआनन्द! अमें ई दोनों को कहाँ से पकड़ लाईस ! और तूं तो कंकाल का ढेर लागे रे !
ReplyDeleteयह तो संतों का स्वभाव होता है-
ReplyDeleteकथा करें अरू अर्थ विचारैं
आप तरें औरन को तारें
हमारा तो अनंत जन्मों का पुण्यफल प्रकट हुआ है जो आप श्रेष्ठ आत्माओं की संगति प्राप्त हो रही है। प्रभु की विशेष कृपा है-
जब द्रवै दीन दयालु राघव, साधु संगति पाइए
हे तुरीयावस्था को प्राप्त जनकल्याण की भावना से धरा-धाम पर विचरण करनेवाले ब्रह्मषिगण! आप तो पारस हैं, अपने स्पर्श से मुझ धातु को स्वर्ण बना दें। फूलों के साथ कीड़े भी देवताओं के सर पर चढ़ जाते हैं, सत्संग की इतनी महिमा है। सो हे दिव्य आत्माओ, आपके सान्निध्य से मुझ अकिंचन का कुछ तो भला जरूर होगा।
तीनों बाबाश्री बड़े पहुंचे हुए लग रहे हैं।
ReplyDeleteब्रह्मज्ञान की खातिर अगली सभा में
उपस्थिति दिखाना ज़रूरी हो गया है।
तस्वीर ने समां बांध दिया।
अरे! नमः !
ReplyDeleteतीनों महाबाबाश्रीयों को शत शत वंदन. हे परम कल्याणकारक बाबाओं आपकी जय हो.
ReplyDeleteआज कथा श्रवण कर ब्रह्मानंद की प्राप्ति हुई. बाबाओं को दंडवत.
ReplyDeleteआज कथा श्रवण कर ब्रह्मानंद की प्राप्ति हुई. बाबाओं को दंडवत.
ReplyDeleteआज कथा श्रवण कर ब्रह्मानंद की प्राप्ति हुई. बाबाओं को दंडवत.
ReplyDeleteजब तक ताऊ अगला प्रवचन करें तब तक ब्लागिंग के सुभाषित रट लिये जायें समझने में आसानी होगी।
ReplyDeleteहर सफल ब्लागर एक मुग्धा नायिका होता है
महाबाबा ताऊआनंद : अरे कुंठित और लुंठित प्राणी..तू ऐसे नही मानेगा…तेरी बुद्धि ही भ्रष्ट है. अरे मुर्ख जरा उन चरणों कि संगति कर जहां कुछ मिले. अरे ओ .. निराधम टाईप के प्राणी..जरा मेहनत कर और हमारी तरह ब्लागरत्व को प्राप्त हो जा.
ReplyDeleteजय हो प्रभु..आपकी जय हो. अच्छा लपेटा है.:)
baba ye katha to nitya kiya karo. chadhawa badhiya milega.
ReplyDeleteहे महान आत्माओं आपके साक्षात दर्शन कर शिष्यत्व प्राप्त करने का उपाय भी अगले सत्र मे अवश्य बतायें
ReplyDeleteताऊ जी ये तस्वीर का जुगाड बडा जबरदस्त किये हो ..इसी को 'सुखासन ' कहते हैँ बाबा रामदेव या 'चिलमासन ' ?
ReplyDelete- लावण्या
इस असार-संसार में, ब्लाग बड़ी है चीज।
ReplyDeleteताऊ बहुत महान है, बाकी सब नाचीज।।
एक समीरानन्द हैं, दूजे अनूप आनन्द।
कथा श्रवण हैं कर रहे, ताऊ घोंघानन्द।।
चैथे की गलती नही, ब्लाग-जगत में दाल।
क्योंकि लोग निकालते, यहाँ बाल की खाल।।
स्वामी अनूपानन्द का प्रवचन पढ़कर फिर अपना भविष्य भी बाँच लेना स्वामी समीरानन्द के श्रीमुख से: जानते रहोगे तो जिज्ञासा निवारण में सरलता होगी:
ReplyDeletehttp://udantashtari.blogspot.com/2006/10/blog-post_24.html
हे भगवन, ये ब्लॉगरद्वै तो बाबा भये, अब लगेगी अउर संतान की भीर.
ReplyDeleteमहाबाबा ताऊआनंद : वत्स, यह महाज्ञान है. एक दम से समझ नही आता. धीरे २ ही आयेगा. अगर एक ही दिन मे तुमको समझा दिया तो हमारी दूकान कैसे चलेगी?
ReplyDeleteबाबा दक्षिणा एक साथ लेकर इकक्ठे ही बता दिजिये.:)
महाबाबा ताऊआनंद : वत्स, यह महाज्ञान है. एक दम से समझ नही आता. धीरे २ ही आयेगा. अगर एक ही दिन मे तुमको समझा दिया तो हमारी दूकान कैसे चलेगी?
ReplyDeleteबाबा दक्षिणा एक साथ लेकर इकक्ठे ही बता दिजिये.:)
महाबाबा ताऊआनंद : वत्स, यह महाज्ञान है. एक दम से समझ नही आता. धीरे २ ही आयेगा. अगर एक ही दिन मे तुमको समझा दिया तो हमारी दूकान कैसे चलेगी?
ReplyDeleteबाबा दक्षिणा एक साथ लेकर इकक्ठे ही बता दिजिये.:)
हां वत्स, हमने महाबाबाश्री समीरानंद जी और महाबाबाश्री अनूपानंद जी के श्री चरणों मे लौट लौट कर ब्लागरत्व प्राप्त करने की दिशा में अग्रगामी हुये.
ReplyDeleteपर ताऊबाबा आप तो शायद लौटन आसन लगा कर बैठे हैं? पर हम जैसे निरीह प्राणी इतने कठिन आसन कैसे कर पायेंगे?
जय हो तीनों के तीनों महाबाबाओं की. ईश्वर आप को जन कल्याण के काम मे सफ़लता दें. यही प्रार्थना है. बहुत ही परम मनोहारी जन कल्याणकारक कार्य आपने हाथ मे लिया है. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteहम तो हाथ जोड़ कर खड़े हैं, प्रवचने के बाद बँटने वाले प्रसाद की प्रतिक्षा है :)
ReplyDeleteताऊ बताये जा...इब सब समझ में आ रहा है मन्ने, या जे पहेलियाँ ने चक्कर चला राख्या है..यो सब इससे चिट्ठात्व की की प्राप्ति का कमाल से...अरे ताऊ वा थारी रामप्यारी..वा लम्पट बिल्लन न सुन रही यो अमर कथा...जारी रख...हम बैठे से हाथ में फूल ले के....जय हो ..जय हो...
ReplyDeleteअभी तक मैंने आश्रमों में केवल भोड़सी आश्रम के बारे में ही सुना था ,ये ताऊ आश्रम कब खुल गया भाई .
ReplyDeleteजय हो।
ReplyDelete"जहां जहां चरण पडे संतन के,तहां तहां बँटाधार"
ReplyDeleteऔर यहां तो एक नहीं तीन तीन संतशिरोमणियों के चरण पड चुके हैं, इस ब्लाग जगत का क्या हाल होगा?!!
हे परभू ..इन बाबाओं की लीला न्यारी .ब्लाग जगत बलिहारी :)
ReplyDeletehum to dhanya hue is katha ko sun ke...
ReplyDeleteताऊ जी आपने तो पोस्ट में बड़े नन्द बैठाल रखे है और गोपाल कहाँ है हा हा हा आनंद आ गया बधाई और ताऊ जी . थोडा इन नन्दों के नाम से कुछ प्रसाद भी ...मीठा....वगैरा राम राम
ReplyDeleteताऊ जी आपने तो पोस्ट में बड़े नन्द बैठाल रखे है और गोपाल कहाँ है हा हा हा आनंद आ गया बधाई और ताऊ जी . थोडा इन नन्दों के नाम से कुछ प्रसाद भी ...मीठा....वगैरा राम राम
ReplyDeleteजय हो ! जय हो !
ReplyDeleteधन्य भाग हमारे जो हमने इस ब्लॉग युग में जन्म लिया ! बड़े भाग ब्लोग्गर तन पावा :)
आज कथा श्रवण कर ब्रह्मानंद की प्राप्ति हुई. बाबाओं को दंडवत.
ReplyDeleteमहाबाबाओं का संगम और उनका प्रवचन! जय हो!
ReplyDeleteमात्र एक टिप्पणी का चढ़ावा मेरी और से!
हे महाताऊ ,हे ताऊ श्रेष्ठ ,ताउओं के ताऊ श्री श्री ५००८ महाताऊ आनन्द ये रही हमारी टिप्पणी रूपी भेंट दंडवत प्रणाम के साथ !
ReplyDeleteअब तो ब्लागरत्व प्राप्ति का आशीर्वाद दे देना |
तीनों महाबाबाश्रीयों को शत शत वंदन. हे परम कल्याणकारक बाबाओं आपकी जय हो.
balogar bne ke nuskhe pasand aaye
ReplyDeletedhnywad
vah jee vah ka baat hai,....jai ho
ReplyDeleteबहुत खूब.. इस कथा के श्रवण के रसपान से हर ब्लॉगर अब धन्य हुआ समझिए.. मज़ा आ गया इस कथा में.. आभार
ReplyDeleteबस ताऊ जन्मदिन पर ये कथा सुन लिए...हमारा उद्धार हो गया...इतने ज्ञानी महसूस कर रहे हैं की क्या बताएं.
ReplyDeleteबस पहुँच ही रहे हैं आपके घर...अब तो बिना चरण पकडे हमारी नैय्या पर नहीं होगी
जरुर अमल में लायेंगे...
ReplyDeleteमीत
आपकी कथा और भाषा ने डा.ज्ञान चतुर्वेदी जी लिखा व्यंग उपन्यास "मरीचिका" याद आ गया...अगर आपने नहीं पढ़ा है तो बिना एक क्षण गंवाए तुंरत पढिये और अपना जीवन धन्य करिए...
ReplyDeleteजिन दो बाबाओं का आपने जिक्र किया है दरअसल वो गुरु घंटाल हैं...उनके चरण में या शरण जो गया वो टाँगे चौडी कर लम्बी तान कर ही सोया समझो...
नीरज
बाबा ताऊआनंद जी महाराज की जय.
ReplyDeleteबाबा ने जो लिंक प्रदान किये, उनपर जाकर असीम आनंद की प्राप्ति हुई. बुधवार को हम आगे की कथा सुनाने अवश्य आयेंगे.
प्राणाम
बाबा थोडा बच के, पुलिसिये आज कल बाबाओ को खुब पकड रही है, रोजाना ही पता नही बाबा लालची लोगो को अकल बांट रहे है, लेकिन यह पुलिसिए नही चाहते, बाबा आप का शुभ चिंतिक हुं( चढाबे मै भी आधा आधा हिस्सा) इस लिये कह रहा हुं, कही आप के संग मेरा हिस्सा भी मारा जाये, इस कारण थोडे दिन अंतर्ध्यान ही रहे.
ReplyDeleteराम राम जी की बाबा जी
जय हो ताऊ महाराज की :-)
ReplyDeleteआपका आनंद धाम फले फूले
ReplyDeleteमन कुछ व्यवस्थित हुआ है तो ब्लौग पढ़ने बैठा हूँ....
ReplyDeleteइस प्रवचन के पश्चात हम भी प्रयास करते हैं ब्लगरत्व की प्राप्ति को।