ताऊ पहेली - २५ के इस सिल्वर जुबिली अंक को हम अपने सेना के वीर जवानों को समर्पित कर रहे हैं जिन्होने मातृभुमी की रक्षा करते हुये अपनी जान निछावर करदी. हम उनको सलाम करते हैं और उनको याद करने की यह हमारी तुच्छ सी कोशिश है.
अब मैं आपसे विदा लेता हूं और सु. अल्पना जी को धन्यवाद देता हूं जिनकी प्रेरणा और सुझाव से हम इस अंक को हमारे बहादुर वीर जवानों को समपित कर पाये. जिनके अथक प्रयास से यह पहेली अंक इस रुप मे तैयार हुआ. मैं सु. अल्पना वर्मा से अनुरोध करता हूं कि वो इस मौके पर आपसे दो शब्द कहें.
-ताऊ रामपुरिया
ताऊ पहेली के इस सिल्वर जुबिली मौके पर आपसे बात करते हुये मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है. जैसा कि आप जानते हैं कि ताऊ पहेली नाम मात्र की पहेली नही है बल्कि ये एक हमारी छोटी सी कोशिश है अपने अतीत और अपनी धरोहरों को जानने की.
इन पहेलियों के विषय खोजते हुये एक बार ताऊजी ने अरुणाचल प्रदेश की अपनी यात्राओं के कुछ अनुभव बताये थे. अरुणाचल प्रदेश के बारे मे पढते हुये, इस सिल्वर जुबिली अंक के लिये, मैने १९६२ के युद्ध के बारे मे विस्तार से जाना. और हमने तय किया कि ताऊ सिल्वर जुबली पहेली को आयोजकों और प्रतिभागिओं की ओर से हम भारतीय सेना के वीर जवानों को समर्पित करें. आशा है हमारा यह छोटा सा प्रयास आपको पसंद आया होगा.
इस सिल्वर जुबली पहेली के लिए जो चित्र हमने आप को दिखाया था.वह है-'तवांग वार मेमोरियल'.जो तवांग. अरुणाचल प्रदेश में है. मुझे यकींन है कि बहुत से भारतीय [ख़ास कर नयी पीढी ] इस जगह से परिचित नहीं होंगे. हमें गर्व है अपनी सेना पर जो देश की इन सीमाओं पर दिन रात विपरीत परिस्थितिओं में चोकसी करती रहती है.
४० फीट ऊँचा, तवांग घाटी की ओर देखता हुआ स्मारक सन १९६२ में भारत -चीन की लड़ाई में शहीद हुए वीर जवानों की याद में १९९९ में बनवाया गया है. [विस्तृत जानकारी साप्ताहिक पत्रिका में पढीये]
पूर्वी कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल एच.आर.एस.कलकत ने यह स्मारक ,देश को समर्पित करते हुए कहा १९६२ में २४२० भारतीय जांबाज़ सैनिकों ने ३१ दिन तक इस स्थान पर चीनी सैनिकों के हमलों का जवाब देते हुये, देश की रक्षा करते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया. उन्होंने बताया -विपरीत परिस्थितियों में जीरो से नीचे तापमान में सूती यूनीफोर्म और सिर्फ ५० राउंड की पुरानी बंदूकों के साथ ही इन जवानों ने यह लडाई लड़ी.
जहाँ एक आम इंसान के लिए इतनी ठण्ड में सूती कपडों में रहने की सोचना भी मुश्किल है!
गढ़वाल राइफल के बहादुर जवान जसवंत सिंह रावत, १०,००० फीट पर, अकेले ३ दिन तक, चीनी सेना को जवाब देते रहे थे. उन्हीं के नाम से यहीं पास में एक कस्बे का जसवंत गढ़ नाम रखा है. उनकी वीरता से चीनी कमांडर इतना प्रभवित हुआ था की उनके कटे सर को ब्रास के तमगे के साथ ससम्मान भारत लौटा दिया था. कहते हैं आज भी जसवंत सिंह की आत्मा वहां रहती है, सालों से रोजाना उनके लिए सेना के जवान खाना बनाते हैं, यूनीफोर्म इस्त्री कर के रखे जाते हैं. उन सभी शहीदों को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि.
तवांग वार स्मारक के आधार में लिखा है-'How can man die better than facing fearful odds, for the ashes of his father and the temples of his Gods."
आपके सहयोग के लिये मैं आपका आभार प्रकट करते हुये हमारे वरिष्ठ संपादक और सभी के चहेते श्री समीरलाल जी “ समीर” से आग्रह करुंगी की वे आयें और आज के ताऊश्री सम्मान के विजेता की घोषणा के साथ साथ ही अन्य विजेताओं के नामों की भी घोषणा करें.
आज ताऊ पहेली के इस सिल्वर जुबिली अंक के परिणामों और ताऊ श्री की घोषणा करते हुये मैं बहुत आनन्द महसूस कर रहा हूं. लेकिन सबसे पहले मैं ताऊ और अल्पनाजी को धन्यवाद देना चाहुंगा कि एक पहेली जैसे खेल से इतना सकारात्मक और शिक्षादायक माहोल बना दिया है कि इसकी मिसाल मिलना भी मुश्किल है.
सिल्वर जुबिली अंक मे जिस तरह चीन युद्ध (१९६२) के अमर शहीदों को श्रद्धांजली दी है और आज की पीढी को उस समय की याद दिलाई है वो प्रसंशनिय है. मैं आपसे अनुरोध करुंगा कि इस पहेली आयोजन मे आप भी बढ चढ कर भाग ले और अपना योगदान देते रहें.
आज की पहेली वाकई बहुत ही मुश्किल थी. क्योंकि उस समय के बारे मे आज की पीढी जानती नही है या कहें कि कम जानती है. इसलिये आज के सभी विजेता ही ताऊश्री के हकदार हैं. क्योंकि इस पहेली के सही जवाबों की टिपणीयां इस पोस्ट के प्रकाशित होने के बाद ही पब्लिश की गई हैं. इस लिये यहां किसी नकल की गुंजाईश नही है.
कुछ लोगों को रात दस बजे बाद जवाब देने की वजह से ५० अंक ही मिलेंगे . पर इससे कोई फ़र्क नही पडता .. खेल के अपने नियम है पर जज्बा अपनी जगह है. अब आईये आपको परिणामों की तरफ़ ले चलूं.
१. सिल्वर जुबिली ताऊश्री प्रथम विजेता : -
मुबारक हो….ताऊश्री बनने पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं भविष्य मे महाताऊश्री बनने की तरफ़ कदम बढाने के लिये.
प्रथम विजेता श्री प्रकाश गोविंद को. बधाई पूरे १०१ अंक बहुत बहुत मुबारक हो.
२. आज के दुसरे विजेता हैं :- श्री अभिषेक ओझा
बधाई पुरे १०० अंक के साथ बहुत शानदार प्रयास..बहुत बधाई. और ताऊ के साथ कलेवा करने का निमंत्रण आपको अलग से भेजा जा रहा है.
३. और आज के तृतिय विजेता हैं. श्री नितिन व्यास
बधाई पुरे ९९ अंक के साथ…लाजवाब प्रयास….बहुत बधाई.
seema gupta बधाई अंक ९८ |
योगेश समदर्शी बधाई अंक ९७ |
रविकांत पाण्डेय बधाई अंक ५० |
संजय तिवारी ’संजू’ बधाई अंक ५० |
Anil बधाई अंक ५० |
तो ये थे सिल्वर जुबिली पहेली अंक के विजेता. सभी को विशेष बधाई, इस मायने मे कि वाकई बहुत मेहनत की जीत है ये. सभी से पुन: अनुरोध है कि इसी तरह भाग लेते रहे और यह शिक्षादायक आयोजन युं ही उन्नतिपथ पर अग्रसर रहे. इस शुभकामना के साथ आपसे विदा लेता हूं. कल ताऊ साप्ताहिक पत्रिका मे आपसे फ़िर मुलाकात होगी.
और हां अब मैं रामप्यारी जी से अनुरोध करुंगा कि वे आयें और आकर ताऊ के खरबुजों का हिसाब बतायें.
इसके अलावा आज श्री रंजन, श्री दीपक तिवारी साहब. डा.रुपचंद्र शाश्त्री, श्री अरविंद मिश्रा, वोयादें,
श्री स्मार्ट इंडियन, श्री नीरज गोस्वामी, सु. अन्न्पुर्णा, श्री आशीष, सु. पूजा उपाध्याय, श्री अंतरसोहिल,
प.डी.के.शर्मा “वत्स”, श्री रीडर्स कैफ़े, श्री जीतेंद्र, श्री संजय बैंगाणी, श्री पी.एन. सुब्रमनियन, श्री हिमांशु,
सु. विनिता यशश्वी, श्री राज भाटिया, श्री काजलकुमार, श्री पंकज सुबीर, श्री दिलिप कवठेकर, श्री मकरंद,
श्री भानाराम जाट, श्री जीतेंद्र भगत, श्री दिगम्बर नासवा, सु. अल्का राय, डा. मनोज मिश्रा,
श्री अजय कुमार झा, श्री रतन सिंह शेखावत, श्री शाश्त्री, श्री पंकज उपाध्याय, श्री नरेश सिंह राथौड
और श्री सुशील कुमार छोंक्कर ने हमारा उत्साह वर्धन किया. आप सभी का आभार.
अच्छा अब नमस्ते. कल सोमवार को ताऊ साप्ताहिक पत्रिका मे आपसे पुन: भेंट होगी.
सभी प्रतिभागियों को इस प्रतियोगिता मे हमारा उत्साह वर्धन करने के लिये हार्दिक धन्यवाद. ताऊ पहेली – २५ का आयोजन एवम संचालन ताऊ रामपुरिया और सुश्री अल्पना वर्मा ने किया.
संपादक मंडल :-
मुख्य संपादक : ताऊ रामपुरिया
वरिष्ठ संपादक : समीर लाल "समीर"
विशेष संपादक : अल्पना वर्मा
संपादक (तकनीकी) : आशीष खण्डेलवाल
संपादक (प्रबंधन) : Seema Gupta
संस्कृति संपादक : विनीता यशश्वी
सहायक संपादक : मिस. रामप्यारी, बीनू फ़िरंगी एवम हीरामन
सभी विजेताओं को बधाई और आयोजको को भी बधाई.
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बधाई और आयोजको को भी बधाई.
ReplyDeleteभाई विजेताओं को हमारी और से बहुत बहुत बधाई.......ताऊ भाई या पहेली के माध्यम से आपने जिन शहीदों से हमारा परिचय karaya उसके लिए धन्यवाद.... यार हम तो किसी काम के न निकले कमबख्त बिल्लन के प्रश्न का भी जवाब गलत दिया...ताऊ, थारी पहेली बूझन ने कोई टूशन वैगेरह चले हैं कहीं....बता दे....मन्ने भी ताऊ बनना है ..बनना है..बनना है...देख मैं इब जमीन पर लोटन वाला हूँ.....
ReplyDeleteप्रकाश जी और बाकी सब को बधाई.............. इस बा तो हम सोच ही नहीं सकते थे............hamaara tukka khaali गया
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बधाई और, प्रकाश जी को विशेष रूप से.
ReplyDeleteअरुणाचल की जानकारी के लिए आभार एवं मेरा उन शहीदों को विनम्र नमन जिनके पावन बलिदान के चलते आज मैं आज़ाद हवा में सांस लेता हूँ.
विजे्ताओं की लिस्ट में इतने कम नाम? ये बहुत कठिन पहेली थी.. विजेताओं को बधाई..
ReplyDeleteराम राम
सभी विजयी प्रतिभागियों को,
ReplyDeleteतथा
आयोजको को बधाई।
अब अगले शनिवार का इन्तजार है।
हम तो शादी में चले गए कल और पहेली देख ही न पाए। वैसे भी अपना ताऊ श्री तो क्या ताऊ बन पाना ही मुश्किल है। इस पहेली को तो कभी न हल कर पाते इस लिए सीधे ही हल पढ़ डाला। सभी विजेताओं को बहुत बहुत बधाइयाँ।
ReplyDeleteइतनी जानकारियों भरी पहेली के लिये ताऊ का आभार । पहेली के भीतर इतनी ज्ञानात्मक संवेदना भरना कुशलता है, जिसे सफलता से अंजाम देते हैं ताऊ ।
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बधाई ।
पहेली के सभी विजेताओं और समस्त संपादक मंडल को बहुत बहुत बधाई.....अब की बार पहेली वाकई में मुश्किल थी।
ReplyDeleteश्री प्रकाश गोविन्द जी को प्रथम स्थान पाने और ताऊ श्री का सम्मान पाने पर बहुत बहुत बधाई.
ReplyDeleteअभिषेक जी और नितिन व्यास जी,सीमा जी,[आशा है ,आप स्वस्थ होंगी.],योगेश जी,रविकांत जी,संजय जी ,और अनिल जी को बहुत बहुत बधाईयाँ .
यह पहेली आसान समझी थी मगर सभी को मुश्किल लगी.पहले क्लू में जो तस्वीर दिखाई गयी थी--वह थी--'सेला झील 'जिसे paradise lake भी कहते हैं.'सेला 'एक बहादुर स्थानीय लड़की थी जिसका योगदान १९६२ के चीन द्वारा भारत पर किये युद्ध में अविस्मरनीय है.
और दूसरे क्लू में सेला मार्ग की तस्वीर थी.तीसरे क्लू में भारत की सबसे बड़ी बोद्ध मोनेस्ट्री 'तवांग मोनेस्ट्री दिखाई देरही थी.
@रामप्यारी कितनी सुन्दर ड्रेस है तुम्हारी!
और सच्ची तुम बहुत ही सुन्दर लग रही हो.
इस पहेली आयोजन को इस सफलता के इस पड़ाव तक लाने में आप सभी पाठकों और प्रतिभागिओं का एक बार फिर से बहुत बहुत आभार.
ye ham kya dekh rahe hain ?
ReplyDeletekya govind sir jeet gaye hain ?
hame bahut khushi ho rahi hai.
Govind Sir aapko
MANY MANY CONGRATULATION
is baar ki paheli bahut difficult thi. ham to isko temple samajh rahe the. hamaari sari mehnat bekar gayi.rampyari ka answer bhi wrong tha. hey god
govind sir ab aapko Ice-cream khilani padegi.
सभी विजेताओं, प्रतिभागियों, संपादको को बहुत बहुत बधाई!! असल ताऊश्री तो ताऊ जी और संपादक मंडल है, हर पहेली में इतनी ज्ञानवर्धक जानकारियां खेल-खेल में बांटना बहुत ही मेहनत का काम है।
ReplyDeleteताऊ पहेली सैकडों जुबलियां मनाये।
पहेली के माध्यम से देश के अमर शहीदों को याद किया गया / बहुत सराहनीय कार्य
ReplyDeleteप्रकाश गोविन्द जी को पहेली जीतने की
बहुत बहुत मुबारकबाद
बधाई हो बधाई इस रजत जयंती पर
ReplyDeleteबधाई सभी को .
ReplyDeleteताऊ श्री बन्ने पर श्री प्रकाश गोविंद जी को हार्दिक बधाई. और सिल्वर जुबली निपटा लेने के उपलक्ष्य मैं ताऊ डाट इन को भी ढेरों बधाई. एक बात मेरे दिमाग मैं कल से है .. पर कल तो आपकी पहेली का जवाब ढूंढते ढूँढ़ते ही होंक्नी चढ़ गई थी सवेरे से हो गई शाम मुझको अल्ला रखे.... टाईप. कल तो रामप्यारी ने भी खूब क्लू पर क्लू दिए पर कोई काम नहीं आया... खैर हम तो भागते दौड़ते पाँचवे नंबर तक पहुँच ही गए. पर बात यह कहानी है की यह तो भगवान् का शुक्र रहा ही इस पहेली के वेजेता पुरुष निकले पर यदि कोई महिला होती तो क्या वोह भी "ताऊश्री" ही कहलाती? या उनके लिए यह खिताब "ताईश्री" हो जाता. ? अब बहुत संभल कर ऐसे अहोदों का चयन होना चाहिए स्त्री शशक्ति कारन का दौर है ताऊ कहीं दूसरों को ताऊ अर महाताओ बनाने के चक्कर मैं तेरी खुद की रोटी खराब हो जाए ताई का भी ध्यान रखना चाहिए...
ReplyDeleteताऊ आज तो आपको और अल्पनाझि को सर झुका कर सलाम. हम तो आपके ब्लाग को मनोरंजन का ठीकाना ही समझते थे पर पिछले कुछ समय से आप के हर मनोरंजन मे एक खास बात होती है.
ReplyDeleteआज की पहेली से वाकई चाईना वार की यादें ताजा हो आई.
बहुत अच्छा प्रयास है ईश्वर आपको इस प्रयास मे सफ़लता दे.
पहेली विजेताओ और आयोजकों को बहुत बधाई. शहीदों को नमन.
ReplyDeletetaaushri kaa khitab pane par prakaash ji ko badhai
ReplyDeleteताऊ आज बहुत कठीन थी पहेली. सो हमने भाग ही नही लिया. पर आज यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि आपने पहेली के माध्यम से सैनिकों को याद किया है. बहुत नमन उन वीर शहीदों को और आपको धन्यवाद.
ReplyDeleteताऊ आज बहुत कठीन थी पहेली. सो हमने भाग ही नही लिया. पर आज यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि आपने पहेली के माध्यम से सैनिकों को याद किया है. बहुत नमन उन वीर शहीदों को और आपको धन्यवाद.
ReplyDeleteविजेताओं को बधाई
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बधाई और सिल्वर जुबिली अंक तक सफ़लता पुर्वक पहुंच्ने पर आपको भी बधाई.
ReplyDeleteसभी विजेताओं को बधाई और सिल्वर जुबिली अंक तक सफ़लता पुर्वक पहुंच्ने पर आपको भी बधाई.
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई सभी विजेताओं, आयोजकों और प्रतिभागियों को. सिलवर जुबिली की विशेष बधाई..अब गोल्डन जुबिली की अग्रिम बधाई.
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई सभी विजेताओं, आयोजकों और प्रतिभागियों को. सिलवर जुबिली की विशेष बधाई..अब गोल्डन जुबिली की अग्रिम बधाई.
ReplyDeleteक्या गजब की पहेली थी .....
ReplyDeleteपहेली बहुत कठिन और जटिल थी !
जटिलता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पहेली का चित्र देखते ही खोजने की शुरुआत अरुणाचल प्रदेश से की ! आठ बजकर चार मिनट पर मैंने ईटानगर जवाब दे भी दिया ! लेकिन मुझे जल्दी ही पता चल गया कि मेरा जवाब गलत है ! फिर मैं असम, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, सिक्किम, दार्जिलिंग, सिलीगुड़ी, और फिर पता नहीं कहाँ-कहाँ भटकता रहा !
सारी गलतफहमी इमारत को लेकर थी ! इस इमारत के महत्व का अंदाजा ही नहीं था ! आदरणीय अल्पना जी ने बिलकुल सही कहा कि
हर भारतीय को इसके बारे में अवश्य पता होना चाहिए ! जवाब देने के पश्चात जब मैंने 'तवांग वार मेमोरियल' का विवरण पढ़ा तो रोंगटे खड़े हो गए ! अपने अमर शहीद सनिकों के प्रति दिल श्रद्धा और गर्व से भर उठा ! जिन विकट परिस्थितियों में हमारे जांबाज सैनिकों ने अतुल्य साहस से युद्घ लड़ा, उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है ! उन अमर शहीदों का कर्ज है हम पर ! भारत मां के उन सच्चे और वीर पुत्रों को कोटि-कोटि नमन !
हँसी-मजाक से शुरू हुआ पहेली का सफर अब एक " मिशन" जैसा प्रतीत हो रहा है !
ताऊ जी और उनकी टीम सराहना की हकदार है !
सभी प्रतियोगियों को हार्दिक बधाई !
ख़ुशी इस बात की भी रही कि इस बार आदरणीय सीमा जी ने भी हिस्सा लिया ! पिछले दिनों जब उनके स्वास्थ के बारे में सुनकर चिंता हुयी थी वो अब दूर हो गयी !
आज की आवाज
पहेली विजेताओं को घणी-घणी बधाई | और ताऊ पत्रिका संपादक मंडल का इतनी बढ़िया जानकारी देने के लिए आभार |
ReplyDeleteभारतीय सेना के उन रणबांकुरों को हार्दिक नमन जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर यह स्मारक बनाने में सफल रहे |
रामप्यारी और ताऊ मिलकर मुझे घुमंतू बनाने की कोशिश कर रहे हैं! मैं सब देख रहा हूँ! मैं वैसे तो ज्यादा नहीं घूमा, लेकिन पुस्तकों के माध्यम से काफी जगहों के बारे में जाना है. तवांग मेमोरियल भी उन्हीं जगहों में से था जिन्हें मैंने पुस्तकों के माध्यम से जाना. उम्मीद है वहाँ जाने का भी कभी अवसर प्राप्त होगा! पहेली के साथ-साथ इतनी बढिया, रोचक और देशप्रेम से भरपूर जानकारी देने के लिये शत्-शत् धन्यवाद!
ReplyDeleteआज मैं सिर्फ़ पहेली के विजेताओं और प्रतियोगिता संचालकों को बधाई ही नहीं दूंगा, अपितु देश के उन वीर जवानों को भी मैं नमन करना चाहूंगा जिनकी वजह से हम खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं.....ताऊ पहेली का यह सिल्वर जुबिली अंक था, सो ख़ास तो होना ही चाहिए था इसे, और सचमुच आपके प्रयासों ने इसे खासमखास बना दिया है....
ReplyDeleteपहेली का हल ना ढूंढ पाने की जो थोड़ी-बहुत निराशा थी, वो अपनी मातृभूमि के सपूत वीर सनिकों की बलिदान-गाथा पढ़कर गर्व में बदल गयी.....
पहेली में थोड़ा मनोरंजन है, किन्तु न भूलें ज्ञानवर्धन है.
सिल्वर जुबिली इस अंक पे, शहीदों को कोटि-कोटि नमन है.
साभार
हमसफ़र यादों का.......
सभी विजेतओ को बहुत बहुत बधाई, अरे कभी हमे भी झुठ मुठ जीता दो भाई, हम ने क्या कसूर किया है, ्पहले ना० पर ना सही फ़ेलो मे ही फ़स्ट कर दो ना,
ReplyDeleteराम राम जी की
इस पहेली को मिस करने का अफ़सोस रहेगा मुझे हमेशा-हमेशा।
ReplyDeleteजसवंत अपने बाबा जसवंत के नाम से ज्यादा प्रसिद्ध हैं हमारे सर्किल में।
बड़ी रोचक दास्तान है उस लड़ाई की। उन्होंने अकेले ही चार मिडियम मशीन-गन को अलग-अलग दूरी पर रख कर चीनी सेना के मन पूरी बटालियन के होने का भ्रम पैदा कर दिया। शायद चीनी सेना खदेड़ दी गयी होती इसी भ्रम में, यदि निकट गाँव के एक बुजुर्ग ने चीनी सेना को चुपके से जाकर असलियत नहीं बता दी होती कि वहाँ तो चारों मशीनगनों को बारी-बारी से एक ही जवान संभाल रहा है। उन बुजुर्ग को खुंदक थी बाबा जसवंत से, क्योंकि उनकी दोनों बेटियों से बाबा का इशक चलता था।
बाबा अभी भी रात में घूमते हैं और कोई भी संतरी रात में सोता नजर आता है उस इलाके में तो एक कोई अदृश्य शक्ति सोते संतरी को चपत लगा देती है।
...कुछ और भी रोचक दास्तान जुड़ी है बाबा से।
फिर कभी।
इस पहेली के छुट जाने का बेहद अफसोस रहेगा, ताऊ!
शायद यह शहीद सैनिको की स्मृति में पहेली आयोजन था.
ReplyDeleteआयोजकगण बधाई के पात्र हैं.
बड़ी प्रसन्नता हो रही है देखकर कि प्रकाश गोविन्द भाई विजयी हुए हैं.
प्रकाश भाई लगता है आपको तो कोई ख़ास हुनर मालूम है. कितनी प्रतियोगिताएं तो आप जीत चुके हैं. अब आप कब तक जीतेंगे. दूसरों को भी अवसर मिलना चाहिए.
मनु भैया बहुत मेहनत का काम है !
ReplyDeleteइतना आसान नहीं है पहेली का जवाब बताना ! बहुत पापड बेलने पड़ते हैं भैया !
दिमाग का दही हो जाता है !
वैसे मैं अब आगे और पहेली में शामिल नहीं
हो पाऊंगा ! मेरे लिए सवेरे उठना नामुमकिन
सा है ! मुझे तो सार्टिफिकेट चाहिए था जो मिल गया ! पता होता कि वही पुरानी डिजाइन है तो शामिल भी नहीं होता !
अब तो भैया जब नयी डिजाइन का सर्टिफिकेट आएगा तभी अपनी नींद खराब करूंगा !
बस खुश ???
ताऊश्री प्रकाश गोविन्द जी को बहुत बधाई. इस बार बड़े कम विजेता रहे-सभी को बधाई.
ReplyDeleteजय हो!!
हम भी हुए लेट,,,
ReplyDeleteपर पहले आ भी जाते तो कौन सा तीर मार सकते थे,,,?
गौतम जी ने बाबा की में और भी खुलासा किया,,, पढ़ कर मन में रोमांच उत्पन्न हुआ,,,
उन्हें सर झुका कर नमन,,,,,
ताऊ जी का बहुत बहुत आभार,,,,
हम भी हुए लेट,,,
ReplyDeleteपर पहले आ भी जाते तो कौन सा तीर मार सकते थे,,,?
गौतम जी ने बाबा की में और भी खुलासा किया,,, पढ़ कर मन में रोमांच उत्पन्न हुआ,,,
उन्हें सर झुका कर नमन,,,,,
ताऊ जी का बहुत बहुत आभार,,,,
सॉरी ताऊ मैं इस बार की पहेली में भाग नहीं ले सका... कहीं पर बहुत ज्यादा व्यस्त था...
ReplyDeleteमुझे अच्छा नहीं लग रहा की २५वि पहेली को मैंने मिस कर दिया...
खैर सभी को बधाई हो...
मीत
ताऊ हारने का कोई गम नहीं है गम इस बात का है की जवानों के याद में बने मेमोरियल का पता हमें क्यूँ नहीं था...शर्मिंदा हैं हम ताऊ....दिल से.
ReplyDeleteनीरज
Jaswant Singh ji aur un jaise sabhi veer jawano ko mere bhi naman hai...
ReplyDeleteहम तो अपना नाम देख कर हैप्पी हैं जी हैप्पी ! सुन रही है न रामप्यारी... खूब चॉकलेट लेके आये हैं मेरे दोस्त जर्मनी और होन्ग कोंग से. ताऊ के साथ रहना तू भी फिर खिलाता हूँ :)
ReplyDeleteगौतम जी की टिपण्णी से सिक्किम स्थित बाबा मंदिर की याद हो आई:
http://en.wikipedia.org/wiki/Baba_Harbhajan_Singh
सदा ही नमन है उन वीर जवानो को !
gautam ji ki baat sunkar mujhe bhi nathula darre ki samadhi yaad ho aayi. wahin kahani bhi pata chali thi ki koi bhi duty dhang se nahin karta hai to baba use thappad maar dete hain.
ReplyDeleteis paheli ke liye dhanyavaad taau...aur sabhi vijetaon ko badhai