अभी तक आप पढ चुके है कि शेरू महाराज के सेकेरेटरी बने डाक्टर को काम मे कोताही बरतने की वजह से शेर सिंह जी ने उसको प्रांण दंड दिया यानि उसको ही मारकर उदरस्त कर गये. उसके बाद उनका सेकेरेटरी बनने का मौका मिला उस ग्रेज्युएट आदमी को.
और जब इस ग्रेज्युएट इंसान ने शेरू महाराज की हां मे हां नही मिलाई कि बाघिन उनपर आशिक नही है तो उस पढे लिखे बेवकूफ़ को भी शेर सिंह जी खा गये. और उसके बाद शेरसिंह जी के सेकेरेटरी बनने का नम्बर आया ताऊ का.
अब ताऊ जैसे ही महाराज शेरसिंह के सामने आया तो दुबले पतले मरियल और कई दिनों के भूखे ताऊ को देख कर शेरसिंह जी ने सोचा कि इस मरियल को मार कर भी मेरा तो कलेवा भी नही होगा. और
ये क्या शिकार ढूंढ कर आयेगा? फ़िर भी ताऊ को शिकार ढूंढने भेज दिया गया.
ताऊ ने भी सोच लिया था कि अब इस शेर को भी आदमी के खून का चस्का लग चुका है, सो ये मुझे खायेगा तो जरुर..पर बचने का प्रयत्न तो करना चाहिये. सो ताऊ निकल गया शिकार की तलाश मे. जब उसको कोई शिकार नही दिखा तो वो तुरंत वापस लौट गया, शेरु महाराज के पास.
ताऊ : महाराज की जय हो. मेरे मालिक चलिये..मेरे साथ…बहुत लाजवाब शिकार का इंतजाम हो गया है. ताऊ भी आखिर ताऊ था…
महाराज शेरसिंह को बडा ताज्जुब हुआ कि ये मरियल इतनी जल्दी शिकार ढूंढ कर कैसे लौट आया?
अब शेरसिंह जी को लेकर ताऊ जंगल के पास ही बने भेडों और बकरियों के एक बाडे में लेगया. वहां इतनी कच्ची २ भेडें और बकरियां देखकर शेर प्रशन्न हो गया. उसने एक का तो वहीं काम तमाम किया और इतना लाजवाब नाश्ता चखकर शेर सिंह जी तो ताऊ पर फ़िदा होगये.
वहां से शेरसिंह जी ने ४ अच्छी और कच्ची कच्ची भेड और बकरियां साथ मे लीं और जंगल मे आगये. वहां आते ही दो का तो लंच कर लिया और दो को रात्रि के डिनर के लिये सुरक्षित रख दिया.
इतना लजीज लंच शेर सिंह जी ने जीवन मे पहली ही बार किया था. शेर तो ताऊ का मुरीद हो गया. रात को डिनर करके शेर सिंह जैसे ही लेटे, ताऊ ने बिना कहे उनके पांव दबाना शुरु कर दिये, बस शेर सिंह जी तो ऐसा सेकेरेटरी पाकर गार्डन गार्डन हो गये.
शेर सिंह : हां क्या नाम है तुम्हारा ताऊ..हां तो ताऊ यार ये बताओ कि तुमने इतना लजीज भोजन कैसे ढूंढा? भाई हमने तो इतनी उम्र होगई ..आज तक इतना स्वादिष्ट भोजन नही किया था कभी?
ताऊ : महाराज की जय हो. हुजुर…. जान की खैर पाऊं माई बाप…
शेर : अरे ताऊ इतना काहे डर रहे हो? चलो हमने इस लजीज भोजन के बदले तुम्हारी जान की परमानेंट
सलामती बख्श दी. आज से तुम कोई ऐरे गैरे ताऊ नही हो..बल्कि शेर सिंह जी के PA हो. बेखटके बताओ.
ताऊ : जी महाराज, असल मे यह भेडे और बकरियां मेरे दोस्त राज भाटिया की हैं. और यहां जब मैं जंगल मे आया था तब रास्ते मे रात होजाने की वजह से वहीं पर रुका था. उसने मुझे इन्ही बकरियों का मीठा दूध और बाजरे की रोटी खिलाई थी. और सुबह भी इन्ही बकरियों के दही का कलेवा करवाकर भेजा था.
शेरसिंह जी ने अति प्रशन्न होकर कहा : वाह ताऊ..वाह ..आखिर तुम ही मेरे असल PA बनने की योग्यता रखते हो. तुम असली और एक नम्बर के एहसान फ़रामोश हो…वाह ताऊ वा..मेरे धन्य भाग्य जो गीदड से भी चार कदम आगे का PA मुझे तुम्हारे रुप मे मिला…
ताऊ शेरसिंह जी के पांव दबाते हुये बोला : सब आपकी कृपा दृष्टि है माई बाप..मेरी क्या औकात? मैं तो दो टके का ताऊ हूं हुजुर…आपकी नजरे इनायत होगई तो मैं भी काम का आदमी हो जाऊंगा. बस सरकार आपकी सेवा करते करते यह जीवन निकल जाये तो मेरे धन्य भाग्य…
अब शेर सिंह जी तो ताऊ की लच्छेदार बातों के आगे बिल्कुल फ़ूलकर कुप्पा हो गये और बोले – ताऊ. देखो तुम अब मेरे खास और विश्वास पात्र PA बन गये हो. हमको तुम्हारे जैसा ही एहसान फ़रामोश और मक्कार सेकेरेटरी चाहिये था. जो अपने मित्रों और पहचान वालों को भी हमारे उपर कुर्बान कर दे.
ताऊ : महाराज की जय हो…ताऊ दंडवत शेरसिंह जी के पांवों मे लौटते हुये बोला.
शेर सिंह : और सुनो ताऊ…अब तुमको हमारा छोडा जूंठा मांस खाने की जरुरत नही है. तुम अपनी मर्जी का पकाओ खाओ और हमारे पास के ही कमरे मे अपना आफ़िस लगा लो. पर हमको ये लजीज व्यंजन एक समय रोज मिलना चाहिये.
ताऊ : महाराज आप एक समय रोज मिलना चाहिये..कहकर मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं?
शेर : क्यों ? इसमे शर्मिंदा करने वाली कौन सी बात है भला?
ताऊ : महाराज आप समझा किजिये….अब मैं कोई छोटा मोटा ताऊ नही हूं..अब मैं जनता द्वारा चुने गये परम न्याय पालक, गरीबों के मसीहा महाराज शेरसिंह जी का PA हूं…महाराज आपके लिये इससे भी लजीज भोजन का प्रबंध किया जायेगा….आखिर सारे ब्लागरों के पते ठीकाने मुझे मालूंम हैं….उन सबकी भेड, बकरियां, मुर्गिया और बतखें सब की सब आपके कदमों मे बिछा दूंगा..महाराज.
शेर सिंह जी प्रशन्न होकर बोले : वाह ताऊ वाह..अब आयेगा हमको जीने का असली मजा तो
ताऊ : हां महाराज, मेरे रहते आपको कुछ करने की आवश्यकता नही है. महाराज आप तो राज काज का बोझ मुझपे छोडिये और अपनी सेहत का खयाल रखिये.
शेर सिंह थोडा परेशान होकर बोले : क्यों हमारी सेहत को क्या हुआ है? जो खयाल रखें भला?
ताऊ : महाराज, मेरा वो मतलब नही था. सेहत के मामले मे तो आप कसम से हुजुर….आप अच्छे अच्छों को पछाड दें. और रोब दाब और सखशियत मे तो महाराज का कोई सानी ही नही है. सच कहता हूं महाराज ..मैं इतने जंगलों मे पेड काटने घूमा हूं पर आपके जैसा ताकतवर और बुद्धिमान शेर आज तक नही देखा. और कसम से महाराज… .एक बात और…हुजुर मर्दाना हुश्न तो आप पर आकर ही खत्म हो जाता है..हुजुर….ताऊ चापलूसी करते हुये बोला.
शेर थोडा शर्माते हुये बोला : ताऊ क्या कह रहे हो? क्या हम इतने खूबसूरत हैं?
ताऊ : महाराज की जय हो..महाराज आप को भी मजाक करने की आदत है..अगर महाराज इतने खूबसूरत और रौबीले ना होते तो वो बाघिन..वो चीती और वो देखिये ..वो सामने के पेड पर फ़ुदकती हुई झुनिया बंदरियां भी आपको ही ताक रही है. महाराज ये सब आप पर मरती हैं. और महाराज मैने तो आपके नाम की ठंडी आहें भरते सुना है इन सबको.
अब शेर सिंह बोले : बस ताऊ बस…आज से तुम हमारे पक्के सेकेरेटरी हुये..अपना अपोईंटमैंट लेटर खुद ही बना लो..जितने जंगल कटवाने हों वो हर महिने की तनखवाह पेटे लेलो. और तुम्हारे जान माल की सुरक्षा की गारंटी भी लिख लो..और मैं तुम्हारा स्विस बैंक अकाऊंट भी मेरे रिफ़रेंस से खुलवा देता हूं. सब माल वहां ट्रांसफ़र करते रहो.
ताऊ ने आगे बढकर महाराजाधिराज शेरसिंह जी के पांव चूम लिये.
अब शेरसिंह जी ने पूछा : ताऊ तुम यहां आने के पहले क्या करते थे?
ताऊ बोला – महाराज मैं एक नेता का चमचा था.
शेर : वाह फ़िर तो तुम हमारे खास काम के आदमी हो. और क्या करते थे?
ताऊ : बस महाराज, काम धंधा नही रहता था कभी कभी तो ब्लागिंग कर लेता था.
शेर : ये कौन सी आफ़त है ताऊ?
ताऊ : महाराज की जय हो. आपने बिल्कुल दुरुस्त फ़रमाया मेरे आका. इससे बढकर और कोई आफ़त नही है. ये ऐसी लत है कि करके भी चैन नही और बिना करे भी चैन नही.
शेर : क्या मतलब? हमको पहेलियां मत बुझाओ. सीधे सीधे बताओ.
ताऊ : महाराज ..आपका सब कामकाज तो अब मैं संभाल लूंगा..और आपको टाइम पास करने के लिये ब्लागिंग करनी चाहिये..और यूं भी महाराज आप वहा से अपनी इमेज सुधार सकते हैं..अनेक मंत्री संत्री और अभिनेता भी आजकल ब्लाग लिखते हैं.
शेर : अरे ताऊ..एक काम करो ई ससुरा बिलाग विलाग क्या है..पहले जरा ये बतादो जिससे हम थोडी अपनी इमेज सुधार लें.
ताऊ : महाराज मुझे तो अभी आपके भोजन का प्रबंध करने जाना है. देखना है कि कल कौन से ब्लागर दोस्त की भेड बकरियां मरवानी हैं? ..फ़िर दुसरे राजकाज भी देखने हैं. आप एक काम करिये..एक ब्लाग सेकेरेटरी रख लिजिये.
शेर : ये कहां मिलेगा?
ताऊ : महाराज .. कुछ तो मेरी पहचान के हैं और बाकी का विज्ञापन दे देते हैं. मुझे मालूम था कि आपको खाने पीने का इंतजाम होने और मेरे जैसे लतियल ब्लागर की संगत मे आने के बाद ये ब्लागिंग का भूत चढेगा..सो मैने कुछ ब्लागरों के बायोडेटा बुलवा कर रजिस्ट्रेशन कर लिये थे..
शेर : वाह ताऊ वाह..तुम कितने समझदार आदमी हो? फ़िर किस किस ने रजिस्ट्रेशन करवाया अपना?
ताऊ : महाराज अभी तक सुश्री लावण्या जी, मकरंद और पी.डी. ने तो सबसे पहले रजिस्ट्रेशन करवा लिया था. बाद मे अभिषेक ओझा जी और विनिता यशस्वी जी ने भी करवाया है. और एक है आशीष खंडेलवाल ..उसने रजिस्ट्रेशन करवा कर मना कर दिया.
शेर सिंह जी : क्या कहा? मना कर दिया..हम ये बर्दाश्त नही करते ताऊ. जाओ और इसको फ़ौरन से पेश्तर हमारे सामने पेश करो.
ताऊ : हां महाराज मैं भी सोच रहा था कि इस ब्लागर को तो परमानेंट ऊठवा लिया ही जाये. क्योंकि यहां जंगल मे तकनीकी समस्या काफ़ी आयेंगी. बस जल्दी ही सबको आपसे रुबरु करवाता हूं.
शेर : इन्होने बायोडाटा भेजा है या नही?
ताऊ : महाराज बायोडेटा की क्या जरुरत? ये तो सारे नामी गिरामी हैं. मैं आपको वैसे ही एक एक की जन्मपत्री सुना देता हूं. कुछ और के भी आते ही होंगे.
शेर : हां ताऊ ये ठीक है..और भी कुछ के बुलवा लो और अगर तुमको कोई ज्यादा ही जचता हो और नही आता हो..यानि ज्यादा स्यानपत्ति करता हो तो उसको उलझा कर जंगल मे बुलवा लो फ़िर कहां जायेगा? बस तुम्हारा काम है इनको उलझा कर बुलवा लो. फ़िर ये हमारी मर्जी के बिना वापस नही जा पायेंगे.
ताऊ : हां महाराज. आप हमेशा सही कहते हैं. अब सुनिये..इनके बायोडाटा…
शेरसिंह : तखलिया..ताऊ अब तखलिया….हमारा डिनर का प्रबंध किया जाये..अब दरबार बरखास्त किया जाता है..अब बायोडाटा कल सुनेंगे….
ताऊ : जैसी महाराज की इच्छा…..महाराज ठीक है जब तक और भी कॊई आजायेगा. और मैं बःइ सोच लेता हूं कि किसको फ़ंसा कर लाऊं आपकी सेवा में?
अब अगले भाग मे पढिये कौन से ब्लागर की पेशी हुई शेरु महाराज के दरबार में?
ट्रेलर : कल रीलिज होने वाली पोस्ट का :-
कल गुरुवार को परिचयनामा में पढिये श्री नीरज गोस्वामी से ताऊ की एक अंतरंग बातचीत
उनकी खुद की दिलकश आवाज में उनकी खुद की ये गजल…..पहली बार इनकी दिलकश आवाज से हम आपको रुबरु करवा रहे हैं. आप सुन कर वाह वाह कर ऊठेंगें. और बार बार सुनना चाहेंगे. यकीन किजिये हमने जबसे ये गजल सुनी तब से आज तक गुनगुनाए जा रहे हैं.
साल दर साल ये ही हाल रहा
याद करना खुदा को भूल गए
इनकी ही एक और गजल सुनिये, जिसे स्वर दिया है स्वर कोकिला सुश्री पारुल (चांद पुखराज का..) ने
मिलेंगी तब हमें सच्ची दुआयें
मिलिये कलम और आवाज के जादूगर से… कल यानि ५:५५ AM ….गुरुवार…तारीख १४ मई २००९ |
पूरा पढ़ने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँचें कि ताऊ तो आखिर ताऊ है..उससे क्या मुकाबला.
ReplyDeleteअब नीरज जी को सुनने का इन्तजार!!!
तुम असली और एक नम्बर के एहसान फ़रामोश हो…वाह ताऊ वा..मेरे धन्य भाग्य जो गीदड से भी चार कदम आगे का PA मुझे तुम्हारे रुप मे मिला…
ReplyDeleteधन्य हो ताऊ, वाकई खुद के उपर व्यंग करना कोई आपसे सीखे. बहुत सटीक व्यंग लिखा. भाई आज तो नमन है आपको.
तुम असली और एक नम्बर के एहसान फ़रामोश हो…वाह ताऊ वा..मेरे धन्य भाग्य जो गीदड से भी चार कदम आगे का PA मुझे तुम्हारे रुप मे मिला…
ReplyDeleteधन्य हो ताऊ, वाकई खुद के उपर व्यंग करना कोई आपसे सीखे. बहुत सटीक व्यंग लिखा. भाई आज तो नमन है आपको.
लगता है अब ब्लागरों का भी शेर महाराज के दरबार मे पेशी करवायेंगे ताऊ. भाटिया जी भेड बकरियां तो काम मे लेली. अब देखते हैं और किस किसकी काम मे आती हैं?
ReplyDeleteबहुत जबरदस्त व्यंग.
ReplyDeleteताऊ मजा आगया. शेर और ताऊ सेकेरेटरी? क्या बात है..लगता है शेरसिंह जी के दिन पूरे हो गये जो ताऊ को PA बना लिय?:)
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लेखन!!
ReplyDeleteशेर थोडा शर्माते हुये बोला : ताऊ क्या कह रहे हो? क्या हम इतने खूबसूरत हैं?
ReplyDelete" हा हा हा हा हा हा हा अब क्या कहा जाये शेर के इस शर्माने पर"
regards
Tau is always Tau..
ReplyDeletewow....
पी.ए. तो बन गहेन है पर शेरसिह से बचकर रहना ताऊ जी . साथ में तेलपिला जर्मन मेड लट्ठ साथ में लेकर चले वरन जंगल में खतरे बहुत है . रामप्यारी जी सलाह ले ली थी कि एसई पी.ए बन गएँ है . बहुत बढ़िया लिखा है .
ReplyDeleteकथा एकदम सही दिशा में जा रही है...ब्लोग्गरों से बदला लेने का सटीक मौक़ा है...
ReplyDeleteजिसे सूली पर चढ़ाना हो उसके बारे में इतना भर कह दो कि फलां ने अपनी भेड़ें देने से मना कर दिया है..
रोचक पढ़कर मजा आ गया ..ब्लोगरों की पेशी का इन्तिज़ार है
ReplyDelete"विनाश काले-विपरीत बुद्धि". इब या तो शेरू महाराज की बुद्धि पै पत्थर पडगे अर या फेर उसकी जन्मपत्री मैं जरूर "अल्पायु योग" होगा...जो ताऊ की भरूप मैं इस राहू नैं गेल्लै चमेड बैठया.
ReplyDeleteभाई शेरू! तों अपनी जन्मकुण्डली दिखया ले, कोई पूजा-पाठ, उपाय करकै यो ग्रह(ताऊ) शायद तेरा पीछा छोड ही दै.
वाह तुम तो छा गए ताऊ...
ReplyDeleteशेरू महाराज को भेद बकरियां भी राज जी की खिला दी....
बहुत खूब...
मीत
यह क्या शेर को कह दिया!!!!!!!!कि -- सारे ब्लागरों के पते ठीकाने मुझे मालूंम हैं….उन सबकी भेड, बकरियां, मुर्गिया और बतखें सब की सब आपके कदमों मे बिछा दूंगा.---
ReplyDelete**ओहो !अब तो सभी को सावधान हो जाना चाहिये..सभी को अपने पालतू जीवों को सुरक्षित ठिकानो पर भेज देना चाहिये...
और आशीष जी आप की भी खैर नहीं...शेर ने आप को उठा लाने का आदेश जो दे दिया!अब हमने हिंदी में ब्लॉग टिप्स कौन देगा??
---नीरज जी के साक्षात्कार का इंतज़ार रहेगा.
मैंने भी पूरा पढ़ लिया ..मजा आया !
ReplyDeleteताऊ जी।
ReplyDeleteकमाल है, समीर लाल के बाद शेरसिंह।
और शेरसिंह के बाद ...........।
"ताऊ तो आखिर ताऊ है"
ReplyDeleteनीरज जी के साक्षात्कार का इंतज़ार रहेगा.....
जय हो ताऊ की. दोस्ती तो निभाई ही भाटिया जी के साथ अब आगे क्या क्या गुल खिलाये ये देखना है :-) नीरज जी के तो हम वैसे ही फैन हैं. कल आते हैं पढने.
ReplyDeleteताऊ,अपनी भैंसे कहॉं छिपा के रखी है आपने, पहले उनका नंबर तो आने दो,
ReplyDeleteबेचारे भाटिया जी:)
कल 5:55 का इंतजार रहेगा।
देखे रहना भइया, कहीं बॉस नाराज न होने पाए।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
समीर जी की टिप्पडी सटीक है ताऊ जी
ReplyDeleteहमारा नाम मत दे दीजियेगा शेरसिंह को। हमारे पार एक कुकुर का पिल्ला भर है। उसका मांस शेरसिंह के काम का नहीं! :)
ReplyDeleteधन्य हो ताऊ क्या जबरदस्त व्यंग लिखा है !
ReplyDeleteताऊ के क्या कहने...............भाई वाह भाई वाह...........
ReplyDeleteनीरज जी का इंतज़ार है अब तो बस
Tau ka kya khub Vyangya likha hai...maza aa gaya...
ReplyDelete:- )
ReplyDelete" वो बाघिन..वो चीती
और वो देखिये ..
वो सामने के पेड पर फ़ुदकती हुई झुनिया बंदरियां ..."
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अरे ताऊ जी, झुनिया बँदरिया और चीती बाघिन के किस्से भी तो सुनायेँ :)
अब शेरसिँह ( आपके बोस ) से हम ब्लोगर थोडे ना डरनेवाले हैँ !! हम तो यही पूछेँगेँ ," अरे ये बताओ कि ,जँगल माँ कित्ते शेर थे ? "
बहरहाल...नीरज जी का गीत सुनाकर शेरेसिँह को मीठी नीँद सुला दीजिये ...हम उसे "ग्रेट अमेरीकन रीँगलीँग सर्कस " वालोँ को सौँप रहे हैँ और आपको आज़ादी दिला रहे हैँ - बोस , आप ही हो अब तो !!
शेरु अपने करतब से 'लास - वेगास " मेँ जनता का दील जीत रहा है ..
(कभी सजा भी पा रहा है :-(
देख लीजिये लिन्क --
(1 ) http://www.cnn.com/2003/SHOWBIZ/10/04/roy.attacked/index.html
( 2 )
http://cats.about.com/cs/bigcats/a/white_tiger.htm
स स्नेह,
- लावण्या
मैंने पहली बार आपकी पोस्ट पढ़ी काफी अच्छी लगी एक ज़बरदस्त व्यंग पढाने का शुक्रिया ......
ReplyDeleteआप मेरे ब्लॉग पर आमंत्रित है ...जिसका url है.........www.mideabahes.blogspot.com
जबर्दस्त!
ReplyDeleteघुघूती बासूती