ताऊ बना हनुमान

ताऊ के गाम म्ह रामलीला होण लागरी थी, और उस रामलीला की मण्डली का हनुमान का रोल करने वाला हनुमानजी पडग्या घणा-- बेमार.

और उसी दिन हनुमान जी का ऊडने वाला रोल था, यानि हनुमान जी अशोक वाटिका म्ह उडते हुये पहुंचने वाले थे और सीता जी को रामजी की दी हुई निशानी दिखाने वाले थे. रामलीला का मास्टर चिमनलाल चिंता म्ह पड गया. क्योंकि उसकी रामलीला मे यह जो हनुमानजी का ऊडान भरने वाला सीन जनता मे बहुत लोकप्रिय था. और जब ये सीन ही नही हो तो काहे की रामलीला?

इसी सीन की वजह से आज भीड भी जबर्दस्त होने वाली थी. कहीं बैठने की जगह भी नही थी. और आप जानते होंगे की गांवों मे रामलीला मे ऐसी बातों पर चढावा भी अच्छा आया करता है. और वो एक मुख्य कमाई का जरिया होता है.

अपने राज भाटिया जी, ताऊ और योगिंद्र मोदगिल जी भी स्कूल से तडी मारकै दिन भर वहीं रामलीला मंडली के मालिक मास्टर चिमनलाल के पास बैठे रहते थे. कभी वहां किसी को डायलोग याद करवाते और कभी पेटी (हारमोनियम) पर हाथ आजमा लिया करते थे. और रात भर रामलीला देखते.

अब चिमन मास्टर बडी चिंता म्ह पड गया कि आज तो सारी किरकिरी हो जायेगी, शाम तक लालिया ढोल (हनुमानजी का रोल करने वाला) ठीक नही हुआ था. सो चिमनलाल मास्टर ने भाटिया जी को अपनी समस्या बताई.

भाटिया जी बोले- अजी, मास्टर जी आप क्युं चिंता करते हो? अपना ताऊ है ना, उसको हनुमान बना दो. आज तो डायलोग भी कम हैं. थोडे बहुत हैं जो मैं याद करवा देता हुं.

चिमन मास्टर बोले - भाटिया साहब तकलीफ़ डायलोग की नही है. असली तकलीफ़ है रस्से पै ऊडान भरने की. लालिया इस काम म्ह घणा एक्सपर्ट है. ताऊ इस रस्से से ऊडाण कैसे भरेगा?

भाटिया जी बोले - अरे आप ताऊ को जानते नही हो वो रस्से पै तो क्या, बिना रस्से के भी ऊडान भर सकता है. भाटिया जी को आज ताऊ से हिसाब बराबर करण का मौका मिल गया था.

अब भाटिया जी और मोदगिल जी दोनो ने ताऊ की प्रसंशा कर कर के ताऊ को चने के झाड पै चढा दिया. और ताऊ को थोडे बहुत डायलोग रटवा दिये. और ताऊ के मना करने के बावजूद भी उसको हनुमानजी बनाने पर तुल गये. और ताऊ की किस्मत खोटी कि इन दोनो की बातों मे आगया.

शाम को पास मे सेठ की हवेली से नीचे स्टेज पर रस्सा बांध दिया गया और ताउ को हनुमान बना के उस सेठ की हवेली पै चढा दिया गया.

नीचे स्टेज पर सीताजी बना हुआ रामजीडा अशोक वाटिका मे बैठ कर विलाप कर रहा हैं. हा राम.. तुमने मेरी अभी तक भी सुध ना ली सै... मैं क्युं कर जिंदा रह सकूं सुं?

त्रिजटा माता उसे दिलासा दे रही हैं : माते चिंता मत करिये. प्रभु श्रीराम का संदेश आता ही होगा.

सीता : नही त्रिजटे इब मैं क्युं कर जिंदा रहुंगी? इब मेरा प्राण त्याग देना ही सर्वथा उचित है.

उपर से हनुमान बना ताऊ चिल्लाया जोर से..नही रामजीडे..अरे ..मेरा ..... मतलब.... माता सीता ..थमनै तो जीणा ही पडैगा. रामजी की खातर और म्हारी खातर. इब थम चिंता मतना करो. मैं राम का दूत हनुमान आ ही गया हूं माता.

सीता जी- हे राम के दूत ..आप मन्नै दिखाई कोनी दे रहे हो? आप कित छुप रे हो? जरा मेरे सामने तो आओ.

हनुमान - मैं आ रहा हूं सीता माते. थम थोडा धीरज राखो.

सीता : हे राम के दूत, इब तुम जल्दी से मेरे सामने आवो वर्ना मेरे प्राण निकले ही समझना. और रामजीडे (सीता जी) ने जोर से छाती पर हाथ मार कर रुक्का मारया.

और उधर ताऊ ने रस्से को पेट पै बंधी घिर्री मे फ़ंसाया और नीचे की तरफ़ मुंह करके रस्से पै लटक कर चिल्लाया : माते लो मैं श्रीराम का दूत पवनपुत्र आपके सामने हाजिर हो रया सूं.

और पबलिक ने जोर से बजरंग बली की जय बोलणी शुरु करदी.

और ताऊ भी घणा जोश म्ह आगया. इब ताऊ रस्से तैं नीचे कुदता उसके पहले ही उपर से किसी ने रस्सा काट दिया और ताऊ धडाम से नीचे आ गिरा.

ताऊ को उपर से गिरने के कारण चोट लग गई जोर से.

उधर जैसे ही ताऊ गिरा जोर से पबलिक ने बजरंग बली का जयकारा लगाया.

और सीता जी जोर से बोली - आओ राम के दूत आओ.. तुम्हारे आने से मेरे कलेजे मे ठंडक पड गई है.

इब हनुमान बना ताऊ किम्मै घणा छोह म्ह आके चिल्ला कर बोला -  अरे रामजीडे तेरी ठंडक गई ससुरे तेल लेने, और दूत गया सुसरा अपनी ऐसी तैसी कराने... 

पहलम मन्नै या बता अक यो रस्सा किस सुसरे ने काट्या सै?




इब खूंटे पै पढो :-



एक बार ताऊ एक जंगल से होकर गुजर रहा था कि सामने एक मोटा ताजा शेर आकर खडा हो गया. ताऊ ने इधर उधर देखा. कहीं कोई भागने की गुंजाईश नही थी. अब जिंदगी पूरी तरह शेर की दया पर आकर टिक गई थी.


ताऊ को जब कुछ नही सूझा तो जो आखिरी समय सबको सूझता है वही ताऊ को सूझा. यानि ताऊ ने आंखे बंद करके भगवान की प्रार्थना शुरु कर दी.


जब तीन चार मिनट भी शेर ने ताऊ को नही खाया तो ताऊ को कुछ आश्चर्य हुआ और ताऊ ने डरते डरते आंखे खोली. और आंखे खोल कर जो कुछ सामने देखा उस पर ताऊ को विश्वास नही हुआ.


ताऊ ने देखा कि शेर आंखे बंद कर के दोनों हाथ जोड कर प्रार्थना की मुद्रा मे खडा है. अब शेर ने जैसे ही आंखे खोली, ताऊ प्रशन्नतापुर्वक बोला - हे वनराज मुझे नही मालूम था कि आप भी मेरी तरह प्रभु के इतने बडे भक्त हैं? मैं नाहक डर गया था. अगर आपकी जगह कोई दूसरा शेर होता तो आज मेरी जान गई थी.


और ताऊ ने फ़िर से हाथ जोड कर प्रभु को धन्यवाद दिया और शेर से पूछा कि  हे  परम भक्त वनराज,  आप दिन में कितनी बार पूजा करते है?

शेर बोला - ताऊ मैं पूजा वगैरह कुछ नही करता. मैं तो प्रभु को धन्यवाद दे रहा था कि हे प्रभु तेरा लाख लाख धन्यवाद कि आज तूने घर बैठे बिठाये बिना मेहनत के मुझे ताऊ जैसा मोटा ताजा शिकार भेज दिया. प्रभु भी कितना दयालू है?

अब ताऊ का क्या हुआ होगा? बताने की जरुरत है क्या?



Comments

  1. आज तो दोनों किस्से बड़े मजेदार है |

    ReplyDelete
  2. चलिए अच्छा है अब रामलीला में पाठ नहीं करेंगे .

    ReplyDelete
  3. ताऊ जी!
    मैने भी बचपन में अपने गाँव की राम लीला देखी थी। उसमें भी हनूमान का रोल निभा रहे ठाकुर शिव नाथ सिंह बीमार पड़ गये थे।
    ऐन वक्त पर गाँव के ही भीमा नाई को हनूमान बना दिया गया। जब हनूमान बने भीमा को रावण के सामने पकड़ कर लाया गया तो हनूमान जी उसकी बड़ी-लम्बी मूँछें और डरावना चेहरा देख कर भय से थर-थर काँपने लगे।
    अब रावण ने कड़क कर पूछा-‘‘वानर कौन है तू।’’
    हनूमान जी बोले- ‘‘ जी भीमा नाई।’’

    ReplyDelete
  4. ताऊ बिना मतलब और बिना मौसम काहें ऐसा काम करता ही है !

    ReplyDelete
  5. khuta bada mazedar raha

    ReplyDelete
  6. रामलीला में ताऊ के हनुमान बनने का किस्सा मनोहारी था.खूंटे पे दुबारा दुर्दशा होगी यह नहीं सोचा. आभार.

    ReplyDelete
  7. शेर बोला - ताऊ मैं पूजा वगैरह कुछ नही करता. मैं तो प्रभु को धन्यवाद दे रहा था कि हे प्रभु तेरा
    लाख लाख धन्यवाद कि आज तूने घर बैठे बिठाये बिना मेहनत के मुझे ताऊ जैसा मोटा ताजा
    शिकार भेज दिया. प्रभु भी कितना दयालू है?
    " ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha haha ha tau ji ......sher ke to mje aa gye lakin aap ka kya hua ha ha ha "

    " or han jyada chot to nahi lgi na???? rope ksine kati kuch ptaa chla kya???? rampyari ko bhej do cat scan kr ke pta lgaa lagi kis ki karistani thi ya..." ha ha ha

    Regards

    ReplyDelete
  8. ताऊ खतरो से खेलना ठीक नही है।

    ReplyDelete
  9. पूरी तरह से 'ताऊमयी' पोस्ट........अर खूंटा बी जम्मीं जोरदार.......

    ReplyDelete
  10. मज़ा आ गया ताउजी दोनों किस्से पढ़कर..

    ReplyDelete
  11. मजा आ गया ताऊ दोनों ही किस्से जबरजस्त .

    ReplyDelete
  12. ताऊ खतरो से खेलना ठीक नही है, दुबारा शेर दिखे तो उडनतशतरी मगा कर भाग जाना
    मज़ा आ गया ताउजी दोनों किस्से पढ़कर..

    ReplyDelete
  13. अब ताऊ का क्या हुआ होगा? बताने की जरुरत है क्या?
    -----------
    मुझे पूरा सन्देह था कि ताऊ का यूजरनेम/पासवर्ड किसी दूसरे ने झटक लिया है! :)

    ReplyDelete
  14. Tau ek roop anek...

    majedaar kisse humesha ki tarah...

    ReplyDelete
  15. ताऊ दोनों बहुत जोरदार हैं ...........
    रामलीला ने तो हंस हंस कर बल दाल दिए पेट में, और खूंटा..........इब कमाल कर दिया भाई, मजा आ गया

    ReplyDelete
  16. वाह ! मजा आगया ...लगा साक्षात रामलीला मंच के सामने बैठे हैं और रामलीला देख रहे हैं....

    और खूंटा तो बस खूंटा ही है....न बांधे ....यह हो सकता है????

    ReplyDelete
  17. बजरंग बली का जय..


    taoo duryodhan kab banega???

    ReplyDelete
  18. aapki yah post padkar maja aa gaya .. asha hai aage bhii aap is tarah ki posto se hame avagat karate rahiyega...

    ReplyDelete
  19. रामलीला में जान बची तो जंगल में अटकी, बेचारा ताऊ :-)

    ReplyDelete
  20. हम्म... तो आपने रामप्यारी की सलाह नहीं ही मानी न ?
    वो कह रही थी - "मैंने ताऊ को पहले ही कहा था कि अगर जंगल में शेर का सामना करने जाओ तो भाटिया जी और मोदगिल जी को साथ लेते जाना, रामलीला वाला हिसाब भी चुकता हो जायेगा और आपकी जान भी बच जायेगी ... पर मेरी सुनता कौन है...इसीलिए तो मैंने अपना चूल्हा-चौका और हुक्का-पानी भी अलग कर लिया है, सेपरेट ब्लॉग बना कर....पर इस ज़ुबान का क्या करूं, फिर भी चोकलेट के लालच में शनिवार के शनिवार ३० नंबर का सवाल पूछने ताऊ के यहाँ हो ही आती हूँ."

    ReplyDelete
  21. खूंटा आबाद रहे ..राम राम !

    ReplyDelete
  22. ये खूँटें की कहाँ से उपजते हैं ताऊ....जबरदस्त रहा हमेशा की तरह ये वाला भी...

    ReplyDelete
  23. आयोडेक्स मलिये काम पर चलिये । दोन्यु किस्सा मै घणा मजा आया ।

    ReplyDelete
  24. ताऊ रस्सा तो काटा होगा किसी ने, लेकिन शॆर का पेट भर गया, चलो अच्छा हुआ.
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  25. ये बडी नाइंसाफी है ताऊ के साथ।

    ReplyDelete
  26. जब मालूम हो जाये की रस्सा किस ने काटा था...तब हम सब को भी बताईयेगा.
    खूंटा भी जबरदस्त!

    ReplyDelete
  27. मैं नाहक डर गया था. अगर आपकी जगह कोई दूसरा शेर होता तो आज मेरी जान गई थी.

    हा हा ताऊ वो पक्का बवाल का शेर होगा क्योंकि वही दूसरा शेर नहीं लिखता। एक ही शेर की ग़ज़ल लिखता है हा हा । ये बवाल भी ताऊ की ही थैली का चट्टा बट्टा लगता है हमें तो। क्या ओपीनियन है आपकी ?

    ReplyDelete
  28. आज के दोनों किस्से रोचक और मज़ेदार है.

    एक बात मैं बता दूं, कि रामलीला में रस्सी मैने नहीं काटी , और किसने काटी ये भी मन्ने पता कोनी.इब मेरे भरोसे पे मत रहियो.

    दोजे, उस शेर ने अभी कुछ किया नही है.ताऊ के लिये जीरावण मंगाया है ना.नही मिलेगा तो चाट मसाला चलेगा?(शेर से पूछ रहा हूं)

    ReplyDelete

Post a Comment