पर हमारी आज की खुशी अरविंद मिश्रा जी से नही देखी गई. धोखे से सबके साथ हमको बुलाया और अरहर या जूट का खेत दिखा कर र्भांग के खेत मे घुसेड दिया हमको औरों के साथ. और जो भांग चर के घर लौटे तो बस हमारे पांव नीचे और सर उपर होगया. और हम भांग भवानी के सुरुर मे ही उनकी पोस्ट पढने चले गये. देखिये मिश्राजी ने पोस्ट मे क्या लिखा था?
सबसे पहले सही जवाब लेकर आये "काका मौदगिल" :-
मैं तो बांसुरी बजाऊं रे.. बिना बांसुरी के हो जी रे खूटे पर बंध जाऊं रे बिना रस्सी के….
अब काका मौदगिल भांग का पौधा नही बतायेंगे तो कौन बतायेगा? उनको तो बिना छाने ही दो गोली भांग का नशा रहता है. इसी लिये खूंटे पर बंधे २ कविता रच लेते हैं और बिना बांसुरी के बहुत ही जोरदार तान छेडते हैं.
|
फ़िर सीमा जी ने अंगरेजी मे जवाब दिया :-
क्या करूं? आज भी क्लास मे लेक्चर देने तो जाना ही पडेगा. मैं तो चली लेक्चर देने. पर कोई रंग ना डाल दे. पर अब कोई कैसे डालेगा? मैने तो पिछली साल की होली खेली हुई साडी पहनी है.
अब आगे लिखा था उस पोस्ट मे कि सीमाजी ने भांग का नाम अंगरेजी मे बताया –कैनिबस तो मिश्रा जी अब प्रबंधन की कक्षा मे क्या हरयाणवी मे लेक्चर दिलवाओगे?
भांग का नाम ही नशा चढा देता है -देखिये सीमा जीका यह दुबारा आकर जवाब देना वाटर मार्क लगाके -"भांग का पौधा "holi hai ha ha ha ha ha ha ha "रेगार्ड्स"
अजी मिश्रा जी आपको लगता है वाटर मार्क ha का मतलब भी नही मालूम? h का मतलब होली और a का मतलब आई यानि ha = होली आई. इब समझे कि नही? आगे से याद रखना.
|
अब मिश्रा जी ने आगे लिखा - अपने समीर भाई ,पारुल जी और अल्पना जी कहाँ किसके साथ मशगूल हो गये ? बिना इनके यह भंग पहेली?
तो आईये अब बताओ भला बुरा काहे न मानें? की छीछालेदर करते हैं.
अब फ़ुरसतिया जी का ये काम हमको पसंद नही आया. अब बताईये यों तो जब चाहे ताऊ के फ़ोन की घंटी टन टना देते हैं पर देखो ई काम अकेले अकेले कर लिये.
ताऊ को खबर भी नही लगने दी. और हमको तो पता भी नही चलता पर अचानक उनका फ़ोन किसी दिल के अंदर से आया – ताऊ राम-आ-राम.
हमने पूछा – फ़ुरसतिया जी क्या बात है ? आपकी आवाज कुछ बदली बदली सी लग रही है. तब कहने लगे – हां ताऊ बात ऐसी हुई कि होली के चक्कर मे एक किसी के दिल मे घुस के बैठ गये रहे.
हमने पूछा कि ये कौन है भाई?
उन्होने कहा – ताऊ हम तो कुछ और ही समझ के बैठे रहे . पर ज्ञान जी कह रहे हैं कि ये उर्वशी है. तब हमने कहा कि – बस… बस… हम समझ गये फ़ुरसतिया जी..आप झूंठी दोस्ती का दम लगाते हैं.
जब उर्वशी के दिल मे बैठने की बात आई तो अकेले अकेले बैठ गये? ई भी तो सोचा होता कि ताऊ को भी साथ मे बैठालें? कि ताऊ बेचारा अकेला है आजकल.
जिंदगी मे पहली बार मौका मिला है, उसको भी साथ लेलेते.
वो बोले – ताऊ अभी तो हम संकट मे आगये है. हमको यहां से बाहर निकलने का उपाय बताओ. सुना है तुमने गधे को कुएं से निकलने का उपाय बता दिया था. अब हमको यहां डर लग रहा है. जरा जल्दी करो. सही कह रहे हैं अगली बार तुमको साथ लेके घुसेंगे ऐसी वैसी जगह.
हमने कहा भाई- हमने भी झांक झूंक कर देख लिया है. ईन्नर देवता की अप्सरा के दिल मे बैठे हो, बैठे रहो , मौज करो और क्या?
अब फ़ुरसतिया जी असली बात पर आये. बोले देखो ताऊ, ज्ञान जी को पता चल गया है कि हम उर्वशी के दिल में विराजमान हैं. और वो हमको धमकी दे के गये हैं कि तुम हमारी बडी मौज लेते हो. अब देखना हम क्या करते हैं?
ताऊ बोला – क्या कर लेंगे? वो भी आपकी आज थोडी मौज लेलेंगे. यों भी होली है. मजा करिये.
अब फ़ुरसतिया जी थोडे नाराज होकर बोले – ताऊ मजा ससुरा गया तेल लेने. तुमको मजे की पडी है और हमको जान की पडी है. अरे ताऊ वो ज्ञान जी ने सीधे शुकलाईन को फ़ोन मिला दिया होगा और बस अब शुकलाईन आती ही होंगी. जरा जल्दी करो. अगली बार जब भी किसी रम्भा मेनका के दिल मे घुसेंगे आपको साथ लेके घुसेंगे जिससे निकलने मे परेशानी ना हो.
फ़ुरसतिया जी उर्वशी का दिल लेके भागे
अब हमने उनको बाहर निकलने का तरीका बताया तो कहने लगे कि इस दिल के बिना तो हम कैसे जिऊंगा? फ़िर बाहर आने का फ़ायदा ही क्या?
तब हमने कहा कि उस उर्वशी के दिल को हाथ से झटका मार के खींचो और भागो वहां से. हमको शुकलाईन जी आती दिख रही हैं. और ये सुनते ही फ़ुरसतिया जी उर्वशी का दिल हाथ मे ऊठाकर भागते नजर आये.
अब इसी पोस्ट मे ज्ञान जी के बारे मे लिखा :- ज्ञानजी होली की आड़ में बहकने का प्रयास किये। पहले हौलट बनने का प्रयास किया फ़िर प्रॉमिस्कुअस (promiscuous – एक से अधिक को सेक्सुअल पार्टनर बनाने वाला) बिल्लू जैसा बनने के लिये हुड़कने लगे! जहां रीता भाभीजी ने यह देखा ब्लाग का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया और ज्ञानजी के सामने पति आचार संहिता पेश कर दी जिसका पालन करते हुये ज्ञानजी फ़िर से मंदी ,भरतलाल, गुझिया-पापड़ की दुनिया में लौट गये- होली मुबारक कहते हुये। बस ये पढते ही ज्ञान जी तो हंटर लेके आगये. और आते ही हंटर फ़टकारते हुये बोले – अरे ओ ताऊ (सांबा) ये क्या हमारे लिये उल्टे सीधे हौलटिया रहे हो तुम लोग? कितना मौज लिये हो हमरा? ताऊ – सरदार हम नाही लिया ऊ फ़ुरसतिया लिये रहिन आपका मौज तो. ज्ञान जी – हूं … अब हम समझे. पर हम भी उसी ट्रेन को हांक रहे थे जिसमे ठाकुर जा रहा था. अब आयेगा मजा खेल का असली... फ़ुरसतिया क्या समझे थे? हमरी मौज हमेशा लेते रहेगें? हम कोई बच्चा हूं क्या? हैं? ताऊ : नही सरदार… आप तो बडे बुजुर्ग हैं... ज्ञान जी : – हम सरदार नही हूं. और तुमको बुजुर्ग किधर से लगने लगा हूं? जबान संभाल कर बात करो ताऊ. अब तुम लोगों का खेल बहुत होगया. ला ताऊ, जरा तनिक फ़ोनवा दे हमको. ताऊ : पर फ़ोनवा काहे को सरदार? ज्ञानजी – अरे बुडबक ताऊ . जरा शुकलाईन को फ़ोन कर देते हैं. फ़िर सारा हिसाब किताब आज चूकता हो जायेगा फ़ुरसतिया से हमारा. बहुत मौज लेए है हमारी. आज चढें हैं चक्कर मे फ़ुरसतिया महाराज. अब ताऊ ने जैसे ही ये खबर सुनी. और सरदार की आंखों का जलाल देखते हुये वहां से रवानगी डालना ही बेहतर समझा. क्या पता शुकलाईन को फ़ोन घुमाते घुमाते कहीं ताई को ही ना घुमा दें ? |
भाई हम पर भंग भवानी कुछ ज्यादा ही असर दिखा गई. किसी को अपनी छीछालेदर बुरी लगी हो तो वो हमारी छीछालेदर करने के लिये स्वतंत्र है. हम अपनी आदत से मजबूर हैं सो हम तो यों ही अपनी और सामने वाले की छीछालेदर करते और करवाते रहेंगे.
आपको अपनी छीछालेदर पसंद आई हो और फ़िर रंगपंचमी को करवानी हो तो छीछालेदर करवाने के लिये बुकिंग करवाये. सारे कार्टूनों की छीछालेदर हमारे तकनीकी संपादक आशीष खंडेलवाल ने की है और फ़ुरसतिया जी की छीछालेदर भरत मुदगल ने की है.
अब होली की घणी रामराम.
बहुत बढ़िया चर्चा लगी ताऊ जी . आनंद आ गया . समीर जी की फोटो तो इसे लग रही जैसे वे आई.पी. एल के मैच में बालिंग करने जा रहे है हाफ पेट पहिनकर हा हा . होली ताऊ और ताई जी दोनों को मुबारक हो ....होली की घणी रामराम.
ReplyDeleteहा हा!!ताऊ...बहुत सही सांटे हो..अरे, कल से कम्प्यूटर बंद था तो कहीं टिपिया ही नहीं पाये..मिश्रा जी भांग घुट्ट्वल में अब जाते हैं. :)
ReplyDeleteआपको होली की मुकारबाद एवं बहुत शुभकामनाऐं.
सादर
समीर लाल
ReplyDeleteताऊ तो सुब्बै सुब्बै होलिया रिया है !
कहवें हैं, फ़ागुन में बाबा देवर लागें,
तो गुरू भी ताऊ से आशीर्वाद माँगे !
ताऊ जी, हैप्पी होली !
ReplyDeleteतो....
एप्रूवल वाला लटका अभी भी चल रहा है ?
कम से कम आजके दिन तो मोडरेशन खोल दे, ताऊ !
आप की तो सुबह सुबह होली।
ReplyDeleteहोली पर बहुत बहुत शुभ कामनाएँ!
बडी मजेदार रही ये छिछालेदारी !
ReplyDeleteहोली की राम राम ताऊ !
ये छीछालेदर बहुत मंहगी पड़ेगी ताऊ!!!
ReplyDeleteवैसे हमें अंदेशा था इसका इसीलिये हम अपनी श्रीमती जी को पहिले ही फोटॊ दिखा दिये थे! वो पूछ रहे थी- ये कौन है जिसके दिल के पास तुम रहते हो! हम बता दिये कि .... (अब ई न बतायेंगे कि क्या बता दिये) वैसे ताऊ बगल वाली सुकन्या के दिल में टु-लेट का बोर्ड लगा है। आओ न उधरिच! मज्जा आयेगा।
ज्ञानजी वाली बात तो सही है। जो लिखा हमने सही ही लिखा। अगर वो गुस्सा करेंगे तो हम शास्त्री जी उनका शास्त्रार्थ करवा देंगे। जोड़ी बराबर की है। दोनों इनीशियल एडवांटेज न मिलने के दुख के मारें है।
वाह ताऊजी, इस छिछालेदर ने होली की मस्ती को चार गुना कर दिया.. अपनी छिछालेदर देखकर तुरंत ही यह पोस्ट बंद करनी पड़ी.. क्या करूं आज छुट्टी का दिन है और घर में सब मौजूद है। अगर वे इस छिछालेदर को देख लेते तो अपनी तो सुबह-सुबह ही हैप्पी होली हो जाती.. जब आपने ब्लॉगीवुड के कार्टूनीकरण का बीड़ा दिया था, तो मुझे लगा था कि ताऊजी की भंग अभी तक उतरी नहीं है.. लेकिन आपने तो ऐसा शॉट खेला कि पूरी ब्लॉगीवुड की ही उतर गई.. सभी को होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं..
ReplyDeleteहा हा हा ताऊ क्या बात है बहुत मज़ा दिला दिया होली पर फ़ुर्सतियाजी और कुश भाई का कार्टून तो ग़ज़ब ही कर रहा है लाल साहब के क्या कहने, रिंग मास्टर जी भी बड़े मज़ेदार और सीमा जी को तो आपने एक्दम स्लिमा (extreme slim) बना दिया हा हा। आप भी ना बड़े वो हो। हा हा होली की बहुत बहुत मुबारक्बादियाँ आपको सपरिवार।
ReplyDeleteBilkul holi type ki post hai...
ReplyDeleteAapko bhi holi ki shubhkaamnaye...
bahut achhe toons:),rangin,holi mubarak:):)
ReplyDeletevah tauji holi ke rang baras rahe hain apki is post par aapko holi ki shubhkaamnayen
ReplyDeleteबहुत ही मजेदार पोस्ट है आज की..
ReplyDeleteअपना ऐसा कार्टून ज़िन्दगी में पहली बार बने देखा..
सभी की खूब होलिया खिंचाई की है आप ने आज तो !
कुश को थोडा देर वहीँ फंसे रहने दो..वहीँ जँच रहा है![हा !हा !हा!]
बहुत बढ़िया पोस्ट !
होली की रंग बिरंगी शुभकामनायें सभी को!
भई वाह्! क्या बढिया होली का सरूर चढा है....और ऊपर से भांग का रंग,आज तो सबको लपेटे में ले लिया.........होली की घणी बधाई...(ओर हां शादी की सालगिरह की भी)
ReplyDeleteवाह मजा आ गया। सभी साथियों को रंगो भरी होली मुबारक।
ReplyDeleteताऊ और ताई नै होलि कि भतेरी बधाई ।
ReplyDeleteऔर *** की छीछालेदर भरत मुदगल ने की है.
ReplyDelete---------
भरत मुदगल को धन्यवाद।
अरै ताऊ.....तू यो के कर रिया सै.....तैन्ने घनी मज़ाक सुझै सै.....या सचमुच की ही उतार देवै सै.....होली-की-होली.....हो गयी....और तेरो काम भी बन गो....यो ई तो चावै सै तू.....!!....यो तो अच्छो सै के मैं तो भूत हूँ....वरना मेरी भी वोई हालत करतो तू जो हालत सबकी की है तैने.....खैर होली है....अयिन लिए तैन्ने माफ़ कर रियों हूँ....वरना तेरी खैर नहीं होती....चल इब आ और गले मिल ले.....तेरी भाभी ने (भतीजी.....!!!) खूब सारी मिठाई बनायी सै....यो ले...हलुओ....यो ले दही बडो.....यो ले कांजी बडो.....और या ले गुझिया.....ले खा और म्हारा प्रेम के रस-रंग में रंग ले.....!!
ReplyDeleteबहुत भंग’इया चर्चा कर दी ताऊ। अच्छा हुआ कि शुकलाइन की लाइन नहीं मिली, फुरसतिया जी ने जो पहले ही से काट दी थी, वरना भंग का सारा नशा उतर जाता। वैसे, भंग कुछ जादा ही चढी लगती है कि कलम जो चली......तो चलती...चलती ही चली गई:)
ReplyDeleteहोली कैसी हो..ली , जैसी भी हो..ली - हैप्पी होली !!!
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाओं सहित!!!
प्राइमरी का मास्टर
फतेहपुर
होली की बहुत बहुत शुभ कामनाएं....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर. होली की शुभकामनायें
ReplyDeleteताऊ जी राम-राम।
ReplyDeleteआपको होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
"भाई हम पर भंग भवानी कुछ ज्यादा ही असर दिखा गई."
ReplyDeleteवाह ताऊ जी, वाह!! आप पर असर कर गई तो समझ लीजिये हम सब पर भी असर कर गई क्योंकि हम भी तो उसी महफिल में बैठे है जहा आप मौजूद हैं!!!
आज तो बहुत बढिया संगत हुई !!
सस्नेह -- शास्त्री
ताऊजी !!!!
ReplyDeleteआपकि बात ही निराली है, आपने होलियाना टॉग खिचाई कि रस्म बडे ही सुन्दर ढ्ग से कि है।
सीमा जी,अल्पना जी साडी मे बडी ही सुन्दर लग रही है। राजजी पैंट और टी शर्ट मे खाते पिते घर के लगते है। समीर भाई कि खुशी से लगता है कि पगला गये है ताऊ को देख। ज्ञान जी तो हंटर मे, हिटल से दिखाई पडते है। मिश्राजी,फ़ुरसतियाजी,आशीष खंडेलवाल,स्मार्ट इंडियन,काका मौदगिल का भी केप्शन बडे ही मन मोहक लगे काश यह सभी असली होते तो हिन्दि ब्लोग जगत के तो भाग ही फुट जाते। ताऊ तुम्हारा ध्यान इस और भी दिलाना चाहता हु आप शास्त्री जी को भुल गये शायद।
होली को इसलिये ही व्यक्ती के विरेचन का पर्व कहा जाता है। हम देखते है कि समाज ने हमारी कुरुपता, देख हमे खारिज नही किया है।होली मे भारत का सान्स्कृतिक मानस छुपा हुआ है। लोग बदशक्ल बनने को तैयार होते है, आप हम इस पर्व पर बदशक्ल बनकर भी मुस्कराते है क्यो कि हम स्वीकार करते है कि व्यक्ती को बनाने या बिगाडने का समाज के अधिकार को ।
होली सिर्फ रन्गो का त्योहार नही, लोग एक दुसरे का नामाकरण करते है, चटपटी टिपणीया करते है, मुर्ख बनाते है, गघे पर बैठाते है, यह सभी भारतिय समाज और उसकी ईकाइयो की सहनशक्ती का पैमाना है यह विविघता ही आपको हमको भारतीय होने कि याद दिलाती है।
आप सपरिवार को हे प्रभु कि तरफ से होली कि शुभकामनाऐ प्रेषित करता हु। और उम्मिद करता हु कि कभी हम भी आपके ऑखो कि किरकिरी बने।
जयजिनेन्द् :D:):)
रामराम
जय ताऊ जी कि
आपको
ReplyDeleteहोली पर
फागुन के रंगों से रँगी,
मस्ती और प्यार-भरी
शुभकामनाएँ!
होली है, भइ, होली है -
रंग-बिरंगी होली है!
ताऊजी, आपका जवाब नहीं!
ताऊ क्या करु मुझे तो यही समय मिलता है, टिपण्णी देने के लिये, भाई पेट भी भरना है, बहुत सूंदर लगी आज की चर्चा,होली की बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteRam Ram Tau jee aur Taai jee saprivar Holi ki Mubarakbaadee aapko --
ReplyDeleteBadhiya Post likhee hai aapne
Anadam Anadam !! :-)
ताऊ
ReplyDeleteबड़े बड़े ब्लोगरों की खूब खिचाई करी
पर ताऊ मिश्रा जी ने आपकी नहीं करी
जो भी है पोस्ट जोदार है...............सब के सब एक से बढ़ कर एक लग रहे हैं
आपको, ताईजी, चाचाओं, चाचीयों, आपके सभी भतीजों, भतीजियों और बीनू और रामप्यारी को होली की शुभकामनायें
ReplyDeleteआहा! ऐसी छीछालेदर कौन नहीं कराना चाहेगा? आपकी नजरे इनायत जिन-जिनपर हुई है उन्हें ढेरों बधाई।
ReplyDeleteआपको होली की अनन्त शुभकामनाएं, बधाई और धन्यवाद।
अरे वाह मज्जा आ गया.. बोले तो.. घणी चोखी पोस्ट लिखी से ताऊ...
ReplyDeleteज्ञान जी के हाथ में हंटर.. किसकी शामत आई है? पर इन सबमे ताऊ तो कही नज़र नही आ रहा.. कहीं ताई के हत्थे तो नही चढ़ गया... कुछ भी हो ताऊ..
मैं तो भाग रहा हूँ..
" हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा होली का ऐसा रंग हमने आज तक नहीं देखा......और अपनी ऐसे क्यूट सी तस्वीर देख कर तो क्या कहें वाह वाह बनाने वाले को ढेर सारा शुक्रिया......ऐसे फोटो तो आज तक किसी फोटोग्राफर ने भी नहीं बनाई.....हा हा हा हा हा हा हा हा सारे ब्लोगेर्स कितने हसीन और प्यारे लग रहे हैं होली के इस रंग मे....."
ReplyDeleteहोली की अनन्त शुभकामनाएं, बधाई और फोटोग्राफर जी को विशेष धन्यवाद.
ओये रामप्यारी कहाँ नदारद है.....????
होली में आपने किसी को नहीं छोडा।
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाऍं।
हे ताऊ... ये पोस्ट पढ़ कै दो दुख हुए पहला तो रामपुरिया को छीछालेदर कर कै काम चलाणा पड़ रह्या सै..... दूसरा काम की जगह म्हं बेचारे फुरसतिया जी बाड़ दिये.. अरविंद जी ने के पाप कर राख्या था..?
ReplyDeleteआपकी इस होली की फुहार के कारण पेज ही hang कर जाता था, आज जाके पूरी पोस्ट पढ़ पायी हूँ...मेरा लैपटॉप भी भंग पी के पड़ा था, इतना धीमा चल रहा था की क्या बताएं...आज नशा थोडा उतरा है तो देखने आई हूँ :) बढ़िया मौज ली है ताऊ.
ReplyDeleteताऊ और सारे भतीजे-भातीजिओं को होली की रंग-बिरंगी शुभ कामनाएं!
ReplyDeleteअभी भी रकीब का मतलब न समझ पाए हो ताऊ तो सीमा जी से पूँछ काहें नहीं लेते हो ...लजाते क्यों हो भाई ! इब ई होली चली गयी तो क्यों ख़ाक पूँछ पाओगे !
ReplyDeleteबहुत अच्छी छीछालेदरिय पोस्ट.
ReplyDeleteलाजवाब छिछालेदर, रोज होनी चाहिये.
ReplyDeleteरामराम.