जैसा कि आप जानते हैं सुश्री अल्पना वर्मा ताऊ पत्रिका की सलाहकार संपादक के रुप मे संबंधित विषय के बारे मे उनके कालम “ मेरा पन्ना “ को लिखती रही हैं.
पहेलियां सुलझाना उनका शौक है. पर वो जबसे इस ताऊ पत्रिका के संपादक मण्डल से जुडी तभी से उनको पहेलियों मे भाग लेना अच्छा नही लग रहा था.
उनका कहना था कि लोगों मे इससे यह संदेश जाता होगा कि आपस मे सूचनाए तो इस पहेली से जुडे लोगो को होती ही होंगी. जबकि आप सभी जानते हैं कि सु. अल्पना जी आज तक भी ताऊ पहेली की प्रथम विजेता नही बन सकी. उनकी मेरिट न.२ रही और वो भी रेग्युलर जवाब देने के कारण. तो कहानी अपने आप मे साफ़ है.
हमने कभी भी किसी को इस पहेली के सवालों मे साझीदार नही बनाया चाहे वो ताऊ पत्रिका की संपाद्क (प्रंबधन) सुश्री सीमा गुप्ता हों या तकनिकी संपादक श्री आशीष खंडेलवाल हों. पत्रिका के संपादकों से पहेली का संबध सिर्फ़ उनके कालम लिखने तक ही सीमित रहा है. जीतना हारना उनकी स्व्यम की योग्यता अनुसार रहा है.
अब चुंकि पहेली का स्वरुप धीरे धीरे विस्तार ले रहा है. आप लोगों का सहयोग और प्यार मिल रहा है. सो इस काम को हम अकेले नही कर सकते.
पहेली का सवाल ढूंढना इस पूरे काम मे सबसे मुश्किल काम है. क्योंकि हम बिना प्रामाणिकता के कोई पहेली नही पूछते. हमारा उद्देष्य हिंदी भाषा मे अंतर्जाल पर ज्यादा से ज्यादा जानकारी रोचकता और प्रामाणिकता से डालना है.
अत: हमने सुश्री अल्पना वर्मा से अनुरोध किया था कि वो हमको इस कार्य मे सहयोग दें तो बहुत अच्छा होगा. तब उन्होने कहा कि अगर मैं सहयोग दुंगी तो मुझे जवाब पहले से मालूम हो जायेगा और ये चिटिंग होगी. हमने उनसे विचार करके जवाब देने का अनुरोध किया था.
परसों बुधवार को उनका जवाब आया कि “ताऊजी” पहेली का हल खोज कर फ़िर उस पर पोस्ट तैयार करने मे समय बहुत लगता है और हडबडी भी बहुत होती है. अत: आप मुझे प्रतिभागी के बतौर पहेली से बाहर होने की इजाजत दे दें तो मैं खुशी खुशी आपको सहयोग कर सकती हूं.
हमे उन्हे इस बात की इजाजत देते हुये तकलीफ़ तो बहुत हो रही है क्योंकि एक सशक्त प्रतिभागी कम हो जायेगा. जिस सखशियत का जवाब नकल करने के लिए लोग बार बार ब्लाग पर आते हों और आयोजकों को उनका जवाब रोके रखना पडता हों. चाहे वो राज भाटिया जी की पहेली हो या तस्लीम पर श्री अरविंद मिश्रा जी की पहेली हो.
फ़िर भी हमने उनकी बात मान ली है. और अबसे ताऊ पत्रिका के संचालन मे सु अल्पना वर्माजी सक्रिय रुप से शामिल हैं. यानि पहेली के बारे मे भी उनको सब कुछ मालूम है. सवाल तय करने से लेकर रिजल्ट और अन्य कामों मे अब वो “ विशेष संपादक ” के बतौर हमारे साथ शामिल हैं.
अब से वो ताऊ पहेली मे प्रतिभागी के बतौर हिस्सा नही लेंगी. प्रतिभागी के बतौर सभी को उनकी कमी जरुर खलेगी पर अब वो हम लोगों के साथ ज्यादा सक्रिय रुप से हिंदी की सेवा कर सकेंगी. उनका इस नये रुप मे स्वागत है. और उम्मीद है कि पहेली प्रतिभागी के तौर पर ब्लागजगत मे जो शोहरत उन्होने पाई है अब इस नये क्षेत्र मे भी वो हमारे साथ मिल कर नये किर्तीमान स्थापित करेंगी.
सुश्री सीमा गुप्ता और श्री आशीष खंडेलवाल पहेली से प्रतिभागी के बतौर ही जुडॆ रहेंगे. पहेली संचालन मे आप दोनों ही शामिल नही हैं. यानि पहेली संचालन हम और सुश्री अल्पना जी करेंगे.
इस काम मे हमको श्री शाश्त्री जी और हमारे गुरुजी समीरलालजी का अवर्ननीय सहयोग और हौसला मिला है.इस पहेली को अगर कुछ सफ़ल होने का श्रेय मिलता है तो वो इन दोनों महानुभावों को जाता है.
और इस पहेली को कैसे क्या स्वरुप दिया जाये और जरुरी सलाह जैसे कि साक्षात्कार वाले आईडिया आदि.. हमे श्री अनूप शुक्ल “फ़ुरसतिया जी” से मिलते रहे हैं. वो भाग नही ले पाते पर पर्दे के पीछे हमसे फ़ोन पर सारी जानकारी लेते रहते हैं. आपका बहुत आभार “फ़ुरसतियाजी”. आपकी हौसला अफ़्जाई हमे और बेहतर करने का हौंसला देती है.
आईये अब आज की पहेली की तरफ़ बढते हैं. नीचे देखिये और पहिचानिये. पहेली के सब नियम पुर्ववत हैं. जवाब कल सुबह ८.०० बजे तक देना है. और रिजल्ट रविवार शाम को तैयार होते ही घोषित कर दिया जायेगा.
यह कौन सी जगह है?
ताऊ साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन सोमवार सूबह पुर्ववत होगा.
अब रामप्यारी का विशेष बोनस सवाल : - ३० अंक के लिये.
इब खूंटे पर पढो :- हमारे अनुज कवि योगिंद्र मौदगिल जी को खूंटे पर अभी ४ मार्च को ही बांधा था. सभी लोगों को उम्मीद थी कि ये तो झौठा है, खूंटा ऊखाड कर भग जायेगा. पर उन्होने तो खूंटे पर बंधे बंधे ही खूंटा गजल लिखनी शुरु कर दी है. और खूंटे पर यह गजल लिख कर भेजी है. आप भी आनन्द लिजिये. हे ताऊश्री फ़कत आप और आपके पाठकों के लिये होली की अनंत-असीम शुभकामनाऒं सहित.....
गधे जब से बिताने लग गये हैं रात खूंटे पर.
के बिन झोटे के भी चलता नहीं है काम ताऊ का,
हमारी आदतें बिगड़ी हुईं है देख ले ताऊ,
कहा अरविंद जी ने जो बहुत ही ठीक है ताऊ,
यही मस्ती-ठिठोली मांगता हूं, हे मेरे भगवन,
ये बंदर सैम-बीनू और चंपा-रामप्यारी का,
उमर गुजरी है सलवट बिस्तरों की ठीक करने में,
भैंस में और बीवी में फ़रक़ रखना नहीं ताऊ, --योगेन्द्र मौदगिल |
पचमढी काअ रोप वे...
ReplyDeleteपचमढी का रोप वे...
ReplyDeleteहिंट के बगिर तो नामुमकिन लग रहा है |
ReplyDeleteकेवल roapway की फोटो देख कर तो नहीं बता सकते भाई |
वो भी खुद की स्कैन फोटो जो कही भी न मिले |
राजगिरी, बिहार की फोटो लग रही है
ताऊ, ये उड्डन खटोला कहाँ का है हमें तो नहीं पता ! हमने तो सिर्फ हरिद्वार का उड्डन खटोला ही देखा है वो ये है नहीं | परिणाम घोषित होने के बाद ही हमेशा की तरह अपना ज्ञान वर्धन करेंगे |
ReplyDeleteराजगीर बिहार
ReplyDeletetaau jagah to bata hi dunga, par lag tai rahi he photo me..:)
ReplyDeleteइसका नाम है - "बड़ी ऊंची जगह".
ReplyDeletetau nainitaal kaa rope way lag raha he?
ReplyDeleteआज रामप्यारी के लड्डू खट्टे हैं.
ReplyDeleteना ताऊ नैनिताल का रोप वे तो कार बंद है.. और मनसा देवी में भी.. ये फोटो तो खुली कार की कहानी है.. भोपाल में एक जैन मंदिर है पहाड़ी पर नाम भूल रहा हूँ.. वहां जाने के लिये भी रोप वे है.. पर पता नहीं ्वो कैसा है.. जब तक कुछ और ढुढे एक तुक्का ये सही... :)
ReplyDeleteभोपाल भी केंसल. ताऊ ये खुला रोप वे मिला कंहा बिल्कुल सु्रक्षित नहीं है..:)
ReplyDeleteहै तो कोई स्की रिसॉर्ट ही. पेड़ बता रहे हैं की बड़ी ऊंची जगह है - चलो औली कह दिया. अब कह दिया तो कह दिया.
ReplyDeleteकोई सुन्दर पहाडी स्थल जैसे ओली ,गुलमर्ग .:) बाकी खोज जारी है
ReplyDeleteताउ आपका सवाल ही गलत है. आपको पूचना चाहिये कि इस ट्राली मे कौन बैठी है? अगर ये सवाल है तो हमारा जवाब है ताई .:)
ReplyDeleteरामप्यारी आज तेरे लाड्डू तेरी कल की काफ़ी के तरह कडवे हैं। पहले ट्राली मिल जाये फ़िर खबर करते हैं। वैसे ट्राली का कुछ आईडिया तू ही देदे. तुझे तो ताऊ के सारे राज मालुंम हैं।:
ReplyDeleteरामप्यारी जी अबकी बार आपके लदू कड़वे निकल रहे है | :)
ReplyDeleteताऊ जी का जवाब तो मैंने दे दिया है राजगीर, बिहार |
आपका जवाब अभी देता हूँ |
ये किसी कोयला खदान की ट्राली तो नही है?
ReplyDeleteढुंढता हूं.
रामप्यारी पहले मुख्य पहेली सुलझा लेने दो तब तुम्हारा नम्बर आयेगा.
ReplyDeleteताऊ ये बहुत गलत बात है आपने ताई को खुली ट्राली मे इतनी उंची जगह बैठा रखा है? कहीं आपकी नियत मे खोट तो नही है? मेरे को तो देख कर ही डर लग रहा है.:)
ReplyDeleteजरा ताई के मोबाईल नम्बर देना. मैं जरा हालचाल पूछ लूं.
वकील खूँटे पर बंधा होता है, और यात्राओं से अधिकतर महरूम। उस का नतीजा है कि आप की चित्र पहेलियों का उत्तर देना तो हमने छोड़ रखा है। चित्र देखते ही अपनी असमर्थता नजर आने लगती है।
ReplyDeleteरामप्यारी के सवालों उत्तर देते लेकिन आज की पहेली की तो गणित ही नजर नहीं आई। न लड्डुओं की संख्या का पता न डब्बों की का। हाँ एक से सात तक की मांग जरूर पता है। जवाब क्या दें? हाँ सात तरह के डब्बे बनने हैं। जिन्हें सात स्थानों पर अलग अलग रखना है जब बच्चा जितने लड्डू मांगे उतने का डब्बा उठा कर दे दिया जाए।
हाँ, शनिवार को आप का ब्लाग एक पत्रिका बनता जा रहा है।
"रामप्यारी एक तो तुम इतनी क्यूट हो और बाते भी प्यारी प्यारी करती हो.....ये टीचर का जरा नाम पता बता दो एक बार हड़काना पडेगा की क्यूँ इतनी मासूम बच्ची पर इतना जुल्म ढाती है .
ReplyDeleteचल अब ये सवाल का उत्तर लिख ले और पीटने से बच जा
तीन डिब्बो मे लड्डू पैक होंगे
एक डिब्बे मे - 1
दुसरे में- 2
और तीसरे में - 4
(1+२+4=7)
अब बच्चा जो भी मांगे चाहे २, ३, ४, ५, ६, ७ इनसे ही काम चेलगा.
अगर कोई बच्चा 3 मांगता है तो उसको ( 1+२) वाला मिलेगा
कोई 6 मांगता है ( 2+4) वाला मिलेगा
कोई 5 मांगता है (1+4) वाला
समझ गयी न अब आराम से स्कूल जाओ ओके.
"bye bye"
ताऊ
ReplyDeleteअभी अभी ९ बजे बिजली आई
रोप वे, राजगिर लग रही ्है. Ropeway Rajgir
राजगिर नालन्दा से १५ किमी दूर स्थित है.
ReplyDeleteवैसे अगर रायगढ़ कहता तो??
ReplyDeleteअरे राममारी कुछ तो हिंट दे.:)दिमाग पचा दिया सूबह से.
ReplyDeleteप्यारी राम प्यारी
ReplyDeleteतू एक काम कर..तीन डिब्बे बना ले..एक में १ रख, दूसरे मे २ और तीसरे में ४.
मान कर चल १ बच्चा ही है.
अगर १ मांगे तो १ लड्डू वाला, २ मांगे तो २ लड्डू वाला, ३ मांगे तो २ वाला और १ वाला, ४ तो ४ वाला, ५ में ४ और १ वाला ६ में ४ और २ वाला और ७ ही मांग ले भूख्खड़ तो तीनों उठा कर दे देना और रोते हुए बिना लड्डू घर चली आना. हम लड्डू खिलवा देंगे. ओके!!
paavaagaDh kaa ropwe hai kya?
ReplyDeleteजोशीमठ के पास आवली
ReplyDeleteनैनीताल।
ReplyDeleteलड्डू तो सात से ज्यादा भी चलेंगे!
दुलारी रामप्यारी के लिए एक कुण्डलीनुमा मुण्डली
ReplyDelete’रामप्यारी’ आये के, पूछे एक सवाल
जल्दी उत्तर देई के, अंदर कर लो माल
अंदर कर लो माल कि पूरे तीस अंक हैं
जो जीता वो राजा, बाकी सभी रंक हैं..
कहत समीर, ताऊ की दुनिया है न्यारी
सबके मन को भाती अपनी ’रामप्यारी’.
-समीर लाल ’समीर’
खूँटे पे भाई मौदगिल जी ने होली का रंग जमा दिया.
ReplyDeleteयह है गुलमर्ग की केबल कार (जिसे गंडोला भी कहते हैं)
ReplyDeletesirf ropeway se pahchanna kitna mushkil hai...kuch to aur diya hota taau
ReplyDeletemujhe to raajgir laga, par wahan aise ped nahin hote...han troley jaroor aisi hi hoti hai.
ताऊ तो फोटो खिचने लगा है और ताई फो्टो खिचवा रही है... वो आये तब तक लड्डु के पैकेट तो बना दे...तु ऐसा कर १,२,४ लड्डु के पैकेट बना दो.. सभी निपट जायेगें.. १,२,(१+२=३),४,(४+१=५),(२+४=६),(१+२+४=७)
ReplyDeleteहो गया न काम रामप्यारी..
जीतने वालों को बधाई और होली की शुभकामनाएं !
ReplyDeleteराजगिरी (बिहार) का उड्डन खटोला(ropeway)
ReplyDeleteबंधे-बंधे जब बोर हो गए
ReplyDeleteतो लिख दी गज़ल खूंटे पर!!
यही तो अंतर होता है ताऊ जनावर और कवि में:)
ताऊ ये तो गुलमर्ग की केबल कार (गंडोला) है.
ReplyDeleteमेरे खयाल से यह जगह गुलमर्ग है और रहा सवाल रामप्यारी का तो लगता है वो इस वार लड्डूओ का लालच छोडकर स्कूल न जाये तो ही बेहतर है क्योंकि सवाल अपनी समझ के बाहर है और लगता है वो इस बार जरूर पीटेगी
ReplyDeleteरामप्यारी आज कहाँ बचपन की यादे ताजा करवा दी कश्मीर की वादियों मे बचपन बीता है हमारा ये गुलमर्ग है और इसको गोंडोला कहते हैं......ये फोटो बहुत पुरानी है क्यूंकि आजकल वहां अब ऐसे ट्राली नहीं मिलते अब पूरी बंद ट्राली होती है शीशे वाली.....खैर बहुत घुमाया आज सारा कश्मीर घूम लिया बिलकुल ऐसी फोटो तो नहीं मिली ....
ReplyDeleteRegards
ताऊ जी, राम राम
ReplyDeleteइस बार तो घणा कड़ा सवाल पूछ लिया अपने.
पहले तो चित्र देखकर मुझे लगा की यह राजगृह (नालंदा, बिहार) का रज्जुमार्ग है. लेकिन वहां की कुर्सियों का आकार दूसरा है. गुलमर्ग की कुर्सियां बंद होती हैं.
मैं कन्फर्म नहीं हूँ लेकिन लगता है की ये अमेरिका के गुटलिनबर्ग का एरियल ट्राम वे है जो स्मोकी माउनटेंस नेशनल पार्क से होकर गुजरता है.
रामप्यारी ने तो दिमाग का दही बना दिया.
ReplyDeleteअरे पहले ये तो बताओ की कितने लड्डुओं का बजट है.
लड़के उसी अनुसार बुलाए जाएंगे. जब मांग के अनुसार वितरण होगा तो फिर एक-दो तो कोइ मांगने से रहा. सीधा सात सात डालो डब्बों में. पता चले बात में छह डब्बों का माल निकल कर एक में डालना पड़ रहा है और डब्बे बर्बाद हो रहे हैं. कम से कम ७ डब्बे तो चाहिए ही. पहले बता दूं की तुक्का लगाया है.
रामप्यारी, सॉरी.. मैंने ताऊ से तुम्हारी शिकायत नहीं की थी.. मैंने तो बस तुम्हारा एक शब्द पकड़ लिया था और ग़लती यह हुई की उसका स्पष्टीकरण ताऊ से मांग लिया। मैंने सोचा कि तुम बालिग नहीं हो इसलिए मैं संरक्षक से सीधे ही बात कर लूं। खैर.. अब मुझे पता चल गया कि तुम बहुत समझदार हो.. आगे से सारी बात सिर्फ और सिर्फ तुमसे ही करूंगा..
ReplyDeleteआज वाली पहेली का जवाब कुछ यूं होगा..
इस काम के लिए कम से कम तीन डिब्बे चाहिए.. 1, 2 और 4 लड्डुओं के। इनके जरिए एक से सात तक किसी भी संख्या में लड्डू बांटे जा सकते हैं। तुम्हें होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं...
और हां धुलंडी का अपना फोटो जरूर पोस्ट करना--- हम भी तो देखें रामप्यारी उर्फ भीगी बिल्ली
प्रणाम ताऊ.. आज वाली पहेली काफी मुश्किल है.. पता नहीं फोटो किस जमाने की है.. पर मैंने (थोड़ी जुगत- थोड़ी चीटिंग) से पता कर ही लिया है.. जुगत यह है कि इसका जवाब मैंने टिप्पणियां पढ़कर ही पता किया है.. कुछ पचमढ़ी लिख रहे हैं तो कुछ नैनीताल.. कोई राजगिर लिख रहा है तो कोई गुलमर्ग .. मैंने इन चारों जगहों को लेकर विशेषज्ञों की मदद ली.. बुजुर्ग विशेषज्ञों का पैनल इसी नतीजे पर पहुंचा कि यह गुलमर्ग है.. इसलिए मेरा जवाब तो गुलमर्ग ही लॉक कर दो..
ReplyDeleteताऊ.. अगर मैं कहूँ कि ये बिहार वाला राजगिर है तो क्या कहोगे..
ReplyDeleteरामप्यारी जी कम से कम चार डिब्बे लगेंगे |
ReplyDeleteरामप्यारी जी कम से कम चार डिब्बे लगेंगे |
ReplyDeleteखूंटे पे बंधे मौदगिल जी तो होली के रंग में सरोबार हैं ही साथ ही भाई समीर लाल जी की कुण्डलीनुमा मुंडली भी मस्त है.....
ReplyDeleteगुलमर्ग का रोप वे ।
ReplyDeleteरामप्यारी का जवाब बाद में ।
Champaner-Pavagadh Archeological Park India
ReplyDeleteताऊ, आप बेईमानी कर रहे हो...ये हिंट भी कोई हिंट है, ऐसे नदी नाले तो भारत में कितने जगह होंगे इसमें कैसे पहचाने वैसे आपने मेरा जवाब रोक के रखा है तो सही ही होगा ऐसा मानते हैं. ऐसी खुली हुयी चेयर कार राजगीर में है ये पता था पर चूँकि आपने बहुत पुराना फोटो लगाया था तो मुश्किल हो रही थी की क्या पता पहले ऐसे ही चेयर कार सब जगह हो फिर बाद में सुरक्षा के कारण केबिन चलने लगे हों. रोपवे में कई जगह गयी हूँ पर हर जगह केबिन ही मिला है...पटना में छह साल रहने के बावजूद कभी राजगीर जाना नहीं हो पाया, बगल में था न, हमेशा लगता था कि कभी भी चले जायेंगे.
ReplyDeleteराजगीर बिहार के नालंदा डिस्ट्रिक्ट me आता है और मगध कि पहली राजधानी रहा है...यहाँ के बौध्ध मठों को देखने लोग दूर दूर से आते हैं, यहाँ गरम पानी का कुंड भी है. ये रोपवे रत्नागिरी में बने स्तूपों तक पहुँचने के लिए है.
रोपवे अक्सर बंद रहता है क्योंकि दुर्घटनाएं बहुत हुयी हैं, इसी कारण हम कभी नहीं गए, जब भी जाने का प्लान बनता था पता चलता था कि रोपवे बंद है मरम्मत का काम चल रहा है. मेरी मम्मी नानाजी लोग के साथ बचपन में गयी थी तो उसका फोटो देखे थे...इसमें चढ़ने में सबको डर लगता था, क्योंकि इसमें बाँधने को कुछ नहीं होता था, और मम्मी बताती थी कि कई बार चलते चलते बीच में रुक जाती थी ट्रोली...उस वक़्त वाकई बड़ा डर लगता था.
रामप्यारी का सवाल कांफ्युजिंग है शायद नहीं समझ में आएगा, उसपर बदमाश को देखो बोल रही है कि आसन सवाल पूछे हैं.
पिछला जवाब निरस्त.
ReplyDeleteये गुलमर्ग से खिलनमर्ग जाने वाला रोप वे है जनाब. पेद भी चिनार के दरख्त ! साथ वाले चित्र से पता चल गया है.
ताऊ और अल्पनाजी को साधुवाद, कि अल्पना जी नें पहेली में अपना बलिदान दिया. ये त्याग व्यर्थ नहीं जायेगा.
ताऊ जी,आज सच में पहेली कठीण लग तो रही है..एक क्लु -'तस्वीर 'लगाई गयी है..जगह की पहचान हेतु..
ReplyDeleteयह तस्वीर पुरानी है ...दूसरे राउंड की पहेली है इस लिए थोडी मुश्किल है..
लेकिन सही जवाब भी आने लगे हैं..इस लिए निराश न हों..जवाबों में ही कहीं जवाब मिल जाये..तलाशते रहीये!
आज क खूंटे पर मौदगिल जी की कविता भी खूब रंग जमा रही है...जो जवाब खोजते थक गए हैं योगन्द्र जी की खूंटी ग़ज़ल पढ़ लें...आनंद आ जायेगा
गुलमर्ग काश्मीर -iइत्ती सरल पहेली. :)
ReplyDeleteवैसे तो मनसा देवी भी हो सकता है और पचमढी काअ रोप वे पर हमारी टेक है पचमढी काअ रोप वे
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को होली मुबारक
मौदगिल जी ने होली का रंग जमा दिया, aage aage kyaa hoga pataa nahi.
ताऊ, हमे तो यह नैनीताल वाला रोप वे लग रहा है.. पहले लगा की राजगीर वाला है.. मगर बाद में बगल वाला क्लू देखा तो समझ गये की यह राजगीर का नहीं है.. वहां नीचे कहीं भी पानी नहीं बहता है.. :)
ReplyDeleteऔर रही बात रामप्यारी की तो लगता है भांग के नशे में आज का सवाल पूछी है.. कहीं कोई गणित नहीं दिखा मुझे.. :)
ReplyDeleteताऊ यु तो हमारी ताई लग रही है, बडा पोज बना कर फ़ोटू लिया आप ने, मेरे को तो वेजंती माला दिख रही है....:)
ReplyDeleteअब जगह ऊंटी को या खूंटी मेने बुझनी तो नही
आपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी भीगी भीगी बधाई।
बुरा न मानो होली है। होली है जी होली है
गुलमर्ग
ReplyDeleteरामप्यारी ये टीचर ने कैसा सवाल पूछा है न कोई गलत जवान न ही सही??????????? लगता है इब की बार पिटाई पक्की.......इब क्या होगा रामप्यारी.....इब कौन बचायेगा तनने.....ये कहाँ ताऊ जी की बातो में आगयी.....तुम भी......चल तब तक कोई उपाए खोजते हैं हम .....
ReplyDeleteआज तो कवी महाराज जी छा गये खूंटे पे.....होली के रंग है खूंटे पे.......हा हा हा हा मजेदार...
Regards
पेड़ बता रहें हैं ठंढी जगह है ..इससे ज्यादा नही पता.
ReplyDeleteनमस्ते अंकल और आंटियों,
ReplyDeleteमेरे सवाल के सही जवाब भी आ चुके हैं. आप जरा ध्यान से सवाल पढियेगा.
मैने बहुत ही सीधा सवाल पूछा है. पिछले बार आशीष अंकल ने बिना पढे ही गलत जवाब दे दिया और जब मैने नम्बर काट लिये तो तऊ से शिकायत लगा दी.
पर अबकी बार सवाल उन्होने ठीक से पढा और सही जवाब दे दिया.
अब सवाल ३० नम्बर का है. फ़िर मत कहना कि रामप्यारी तूने तो बताया ही नही था. क्योंकि रामप्यारी को बेफ़िजूल बात करने की आदत तो है नही.
अब आप जानो.
हाय समीर अंकल,
ReplyDeleteआपकी मुंडली बहुत मजे की लगी. सोमवार को ये वाली मुंडली स्कूल मे टीचर मैम को सुनाऊंगी तो वो खुश हो जायेगी.
और मेरे सवाल का जवाब तो आपने बता ही दिया. अब तो मेरी मस्ती है होली तक. अब स्कूल जाके पुरे सात लड्डू लाऊंगी. जितने खाये जायेंगे मैं खा जाऊंगी और बचे तो आपको भिजवा दूंगी.
ताऊ ये जगह तो मुर्ग गुल है. और रामप्यारी को जवाब रात को देंगे
ReplyDeleteताऊ मेरा जबाब नहीं मिला?.. मतलब आपने रोका हुआ है... याने याने याने.. तुक्का लग गया..
ReplyDeleteदोनों लग गये ताऊ.. अब जब तक सही पता न चले गलतफहमी में जी लेते है...
हाय सीमा आंटी,
ReplyDeleteआपने मेरे सवाल का जवाब दे दिया अब तो पक्का है कि मैं स्कूल मे पि्टुंगी नही.
और सबके लिये एक जरुरी सूचना है कि अबकि बार कोइ गडबड जरुर है. मुझे भी अभी तक समझ नही आया है.
पहले ताऊ बता दिया करता था कि इतने लोग संदेह मे जांच के लिये रोक लिये गये हैं. पर आपने देखा कि अबकि बार ताऊ सूबह से यहां कुछ बताने आया ही नही है.
अब मेरा दिल तो बहुत नर्म है इसलिये बता देती हूं, कि जो दिखता है वो है . और जो नही दिखता है वो नही है.
पर मेरा नाम तो आप लेना मत. मैने चुपचाप झांक कर देखा था कि अल्पना आंटी ने बहुत सारे लोगों (टिपणीयों) को रोक रखा है, होंगे कोई दो दर्जन.
और ताऊ के साथ क्या बात हुई ये तो मुझे सुनाई नही दी पर आप होशियार रहना अबकि बार. मुझे तो बहुत ही गडबड लग रही है.
फ़िर मुझे दोष मत देना कि रामप्यारी तुम्हारे रहते ये क्या हो गया?
अबकि बार सारा किया धरा अल्पना आंटी का है सो सोच समझ कर जवाब देना. क्योंकि वो पहेलियों कि नस नस से वाकिफ़ हैं.
पर मेरा नाम हरगिज भी मत बताना.
मेरा सवाल बहुत ज्यादा सीधा है इसलिये आपको टेढा लग रहा है. थोडा ध्यान से पढिये बस जवाब मिल जायेगा.
और एक बात बताऊं? मेरा नाम तो नही बतायेंगे ना? मेरा सवाल भी अबकी बार अल्पना आंटी ने ही बनाया है. आपको विद्द्या माता की कसम..मेरा नाम मत बताना प्लिज.
रामप्यारी के सवाल का जवाब तो 7 डिब्बे होना चाहिए,जिनमें क्रमश: 1 से लेकर 7 तक लड्डू डाल के रख दिए जाएं........बाकी तो राम जाने या रामप्यारी या रामप्यारी की टीचर या अल्पना जी या फेर ताऊ.....
ReplyDeleteओहो रामप्यारी तुम भी न..
ReplyDeleteशाम हो गयी है..इस लिए यह बताना जरुरी है की जिनके जवाब रोके हुए हैं वे यह न समझें कि उनके जवाब सही ही होंगे...और जिन के जवाब बाहर हैं वे यह न समझें कि वे जवाब गलत हैं..
है न गड़बड़!
होली है न सब माफ़ है!
अगली बार आसान पहेली लायेंगे.
रामप्यारी तुम्हारा सवाल आसान है..बस ७ लड्डुओं को कम से कम डिब्बों में पैक करना है जिससे कोई बच्चा १ से ७ की संख्या में जितने लड्डू मांगे--कम या ज्यादा --मैं डिब्बे में ही दे सकूँ..चाहे २ मांगे या चार!या फिर ७!
मिल गया जवाब गुलमर्ग ही है
ReplyDeleteपूजा जी ने कहा की पटना में रहने के बाद भी राजगीर नहीं जा पाए.
ReplyDeleteयहाँ हम नालंदा के होकर अभी तक सिर्फ दो बार गए है.
उसपर भी रज्जुमार्ग की सवारी नहीं कर पाए.
अब ताऊ ने जोश जगा दिया है, इस बार गर्मी की छुट्टियों में तो इस उड़न खटोले का मजा लेना ही है.
नालंदा और राजगीर के बारे में कुछ जानकारी मेरे ब्लॉग पर भी उपलब्ध है. अगर जिज्ञासा हो तो देख सकते हैं.
नालंदा - http://jnuindia.blogspot.com/2008/11/nalanda.html
राजगीर - http://jnuindia.blogspot.com/2008/11/blog-post_13.html
ताऊ जी डिब्बे तो कम से कम ४ ही लगेंगे | :)
ReplyDeleteताऊ जी डिब्बे तो कम से कम ४ ही लगेंगे |
ReplyDelete3 डिब्बे.......
ReplyDeleteशायद गुलमर्ग ही है! इस बार का सवाल कठिन लगता है हिंट भी बहुत ही सामान्य सी है - रोप वे कई जगहों पर है और ऐसी नदी के चित्र भी!
ReplyDeleteगुलमर्ग का गिंडोला....अबकि तो सही है ना ताऊ
ReplyDeleteअजी जब हम मसूरी गए थे तो वहाँ माल रोड के पास एक जगह भीड लगी थी कारण पूछा तो बताया कि उड्डन खटोला में घूमने वालो की भीड है। पर उड्डन खटोला देखा नही। बाकी तो हम पता नही। क्या पता ये वही का उड्डन खटोला हो। और हाँ जी सवाल जवाब सोचते-2 तो हमारे सिर में दर्द हो जाऐगा। ये हमारे वश की बात नही। और खूंटे पर योगेन्द्र जी ने बहुत ही बेहतरीन लिखा, मजा आ गया।
ReplyDeleteएक जरुरी सूचना :-
ReplyDeleteकल रविवार सूबह ८.०० बजे के बाद आये हुये जवाब किसी भी तरह से
मंजूर करना हमारे लिये संभव नही होगा. . आपसे नेवेदन है कि कल
सूबह आठ बजे के पहले अपने जवाब देने की कृपा करें.
रिजल्ट कल रविवार शाम तैयार होते ही घोषित कर दिया जायेगा.
आभार
अरे ताऊ ये क्या किया...? अल्पना जी चीटिंग कर लेते थे उन्हें भी आपने
ReplyDeleteअपनी चल में फसा लिया ये तो सरासर गलत है....पिछली बार आपने सीमा जी दिया जवाब भी नहीं छापा...?
रामप्यारी तू तो बड़ी प्यारी प्यारी बातें करने लगी है अगली बार मैं तुझे जरुर दूध पिलाऊंगी .....समझ रही है न...?? और कुछ चाहिए हो तो वो भी बता देना.....अगली बार साडी बातें जरा ध्यान से सुनना ....ठीक ...?? मिआऊं ..मिआऊं मेरी सखी ..अच्छी अच्छी मेरी सखी...!!
काम तो ३ डिब्बों में भी हो सकता है, पहले डिब्बे में १, दूसरे में २ और तीसरे में ४ लड्डू रख दो। १ से लेकर ७ तक लड्डू इन तीन डिब्बों के संयोजन से दिये जा सकते हैं।
ReplyDeleteताऊ हम जिंदगी मे एक बार ही इस उडनखटोले मे बैठे हैं और वो भी गुलमर्ग काश्मीर में. दिन मे हमको नाम याद नही आ रहा था सो हमने इसको मुर्गा गुल लिख दिया था.
ReplyDeleteअब सुधार कर्लो ये मुर्गा गुल नही बल्कि गुलमुर्गा है, काश्मीर का.
पहेली का जवाब तो दे ही दिया है, गुलमर्ग से खिलनमर्ग का रोप वे.
ReplyDeleteअब रामप्यारी के सवाल का जवाब.
कम से कम ७ डब्बे चाहिये, ऐसा करने के लिये.
रामप्यारी के सवाल का जवाब:
ReplyDeleteएक (a), दो (b), और तीन (c)
1=a
2=b
3=c
4=b+b
5=b+c
6=c+c
7=a+c+c
ब्लाग खूंटे पर
ReplyDeleteब्लॉगर्स खूंटे पर
और
ब्लॉगरियां रखें
सबको ठूंगे पर।
यदि सवाल को सही समझा है तो इसका हल है तीन समूहों में डिब्बे
ReplyDeleteपहले समूह में - 1 लड्डू
प्रति डब्बा
दूसरे समूह में - 2 लड्डू प्रति डब्बा
तीसरे समूह में - 4 लड्डू प्रति डब्बा
इस प्रकार 1-7 तक की किसी संख्या को इनके भिन्न संयोजनों से निरूपित किया जा सकता है -
यदि सही समझा है हमने तो यह पहेली इसी प्रकार की है जैसे कभी पहेलीबाज़ ने पूची थी - नारद जी की छड़ी के नाम से - यह रहा लिंक
http://pahelee.wordpress.com/2006/05/12/narad-ji-ki-chhadee/
पहले प्रश्न का उत्तर यदि समझ में आया तो दूसरी टिप्पणी में
शायद यह गुलमर्ग स्थित गुलमर्ग-खिलनमर्ग के बीच स्कीईंग स्लोप पर पहुँचाने वाली स्की-लिफ़्ट है
ReplyDeleteताऊजी १००% बिहार वाला राजगिर ही है। यहॉ राजगिरी मे हमारा जैन तीर्थ भी है जहॉ ८ वर्ष पुर्व हम वहॉ गये थे जिसमे बोधगया, लच्छवाड, पावापुरी, सम्मेद शिखरजी ईसमे से कुछ स्थान झारखण्ड मे चले गये है। बाकी रात बहुत हो चुकी है सुबह महिला दिवस है जो इसका जवाब पत्नी से भी पुछ लुगा वो इस मामले मे अधिक याददास्त रखती है। :)(:
ReplyDeleteसात डिब्बो मे ताऊ
ReplyDeleteरामप्यारी तुम्हारे वहॉ क्या होली मे स्कुल खुले रहते है ?
ReplyDeleteअरे बेटा, मुम्बई आजा, ये ताऊगुरु तो तेरा छोटे से मजग का बन्टा-धार करने के चक्कर मे है। तेरे से पहले ताऊ कि इस दुकान पर लालाजी व भाटीयाजी मिठाई के बक्से तैयार करते थे। एक दिन को वो तेरे इस ताऊ से पिछा छुडाकर रात कि ११ बजे भागे थे। अब तु पुछेगी, 'रात ११ बजे ?
वो इसलिये आधीरात को ताऊ जाग जाता है और काम पर लग जाता है । रात कि ११ बजे ताऊ खरार्टे खिचता तभी भागने का मोका मिलता है।
भाईयों, बहणों,भतिजियो और भतीजों आप सबका घणा शु्क्रिया.
ReplyDeleteकल की पहेली का संचालन अल्पना जी ने किया और उन्ही की बनाई गई प्रक्रिया को अपनाते हुये कल की टिपणियों का प्रकाशन हुआ.शेष रोकी गई टिपणियां अभी सूबह ८.१० AM प्रकाशित कर दी गई हैं.
जवाब देने का समय समाप्त हो चुका है.
रिजल्ट बनना शुरु हो गया है. जैसे ही तैयार होगा प्रकाशित कर दिया जायेगा.
आपका पुन: आभार
राम राम,
ReplyDeleteइमानदारी की बात कहें तो कल से खोज रहा हूँ.. पूरे हिन्दुस्तान के रोप वे खोज डाले पर आप वाला नहीं मिला.. थोडा़ मिलता जुलता बिहार वाला था.. पर आस पास के पेड ये उत्तर नकार रहे थे..
और मुश्किल ये की आपने सारे कमेंट छाप दिये.. और मुझे तो उत्तर अब भी पता नहीं चला.. हाँ इतना जरुर है कि या तो ये राजगीर है या गुलमर्ग...
अब सही क्या है ये तो बाद में ही पता चला.. शानदार पहेली (जो कम से कम मेरे लिये तो २४ घण्टों के बाद भी पहेली है..) के लिये आपको घणी बधाई..
राम राम
पिछली पहेलियों में शुभम ने शिकायत की थी ,रामप्यारी का जवाब कॉपी कर के सभी अपना स्कोर एक सा कर लेते हैं ,इस लिए अब से रामप्यारी का जवाब गलत या सही कोई भी...निर्धारित समयावधि से पूर्व बाहर नहीं किया जायेगा.
ReplyDeleteहाँ ,पहेली के जवाब मिले जुले बाहर आयेंगे या रोके जायेंगे.इस से रोचकता बनी रहेगी.[और परेशानी भी!]
यह एक प्रयोग के तौर पर किया गया है..अगर आप इस से इत्तिफाक नहीं रखते तो अपने सुझाव दे सकते हैं.
लेकिन ,इस से सभी को बराबर मौका मिल payega.
धन्यवाद.
ताऊ जवाब देखने आये थे. अबकी बार सारे जवाब पढ डाले पर कुछ पक्का अभी भी नही है. लगता है ये वाकई सैकिंड राऊंड है. थोडा कठीन हो गया है. और होना भी चाहिये.
ReplyDeleteरंजन जी सही कह रहे हैं कि ये तो अभी तक भी पहेली है. जवाब का इंतजार करते हैं.
अब रामप्यारी का जवाब देने से कुछ फ़ायदा नही है. समय सीमा समाप्त हो चुकी है. और ये अच्छा है कि समय सीमा रखी जाये.
ReplyDeleteरामप्यारी का जवाब तो टिपणियों मे मिल गया पर मुख्य पहेली का नही मिला.
ये पहली बार हुआ है कि सारे जवाब प्रकाशित होने के बाद भी सस्पेंस बरकरार है. समय तो समाप्त हुआ पर मेरा अब भी कहना है कि ये राजगिर ही निकलेगा.
ReplyDeleteजवाब का इन्तजार करते हैं.
इस प्हेली मे मजा आया. शादी और फ़ेरे हो गये और अभी तक ये भी नही पता चल पा रहा है कि दुल्हा कौन ? और बाराती कौन?
ReplyDeleteजय हो ताऊ तेरी.
ताऊजी शायद आपने दुकान बन्द कर दीहै। पर कोई बात नही फिर भी जो पत्नी से पुछा वो लिख रहा हु
ReplyDeleteवैसे हम राजगृह गये थे तो वो जापानी मन्दिर रोपवे से गये थे। पर शायद या तो अब लिप्ट नया लगा है या तो राजगृह मे ही दुसरा लिफ्ट है शान्ती स्टूपा । जपानी मदिर कि लिफ्ट को उपर सजा बना हुआ है और वहॉ ईतने लम्बे पेड नही है। पर शान्ती स्टूपा मे लिफ्ट नगी-भुन्गी है ना छत है ना पैक कुर्सी नुमा को आगे से बन्द कर दिया जाता है।
वैसे लिप्ट तो हिन्दुस्थान मे बहुत जगह जैसे सापुतारा गुजरात, अम्बाजी गुजरात,
Shanti Stupa: The Vishwa Shanti Stup is located on a 400 meter high hill. The stupa is built in marble and on the four corners of the stupa are four glimmering statues of Buddha. To reach the top of this hill one has to come through the “Ropeways”. This place is also called the GriddhKoot.
समस्त टिपणियों को ध्यान से पढने के बाद यह लगता है कि ६० प्रतिशत मुर्गा गुल है..अरे भाई गुलमुर्गा है और ४० प्रिशत मे राजगिर है.
ReplyDeleteआज का रिजल्ट देखने के बेताबी रहेगी. ताऊ जरा जल्दी करो ना. रिजल्ट बनाते रहना आराम से. सिर्फ़ एक टिपणी ही कर दो कि ये जगह कौन सी है? जिससे दिमाग की खट खट तो मिटे.
प्यारी रामप्यारी तू ही आकर कुछ बता जा. तुझे मैं १०० रुपये वाला डेरी मिल्क का चाकलेट का डिब्बा दूंगा.:)
समस्त टिपणियों को ध्यान से पढने के बाद यह लगता है कि ६० प्रतिशत मुर्गा गुल है..अरे भाई गुलमुर्गा है और ४० प्रिशत मे राजगिर है.
ReplyDeleteआज का रिजल्ट देखने के बेताबी रहेगी. ताऊ जरा जल्दी करो ना. रिजल्ट बनाते रहना आराम से. सिर्फ़ एक टिपणी ही कर दो कि ये जगह कौन सी है? जिससे दिमाग की खट खट तो मिटे.
प्यारी रामप्यारी तू ही आकर कुछ बता जा. तुझे मैं १०० रुपये वाला डेरी मिल्क का चाकलेट का डिब्बा दूंगा.:)
समस्त टिपणियों को ध्यान से पढने के बाद यह लगता है कि ६० प्रतिशत मुर्गा गुल है..अरे भाई गुलमुर्गा है और ४० प्रिशत मे राजगिर है.
ReplyDeleteआज का रिजल्ट देखने के बेताबी रहेगी. ताऊ जरा जल्दी करो ना. रिजल्ट बनाते रहना आराम से. सिर्फ़ एक टिपणी ही कर दो कि ये जगह कौन सी है? जिससे दिमाग की खट खट तो मिटे.
प्यारी रामप्यारी तू ही आकर कुछ बता जा. तुझे मैं १०० रुपये वाला डेरी मिल्क का चाकलेट का डिब्बा दूंगा.:)
ताऊ टेशन नही लेणा यह तो अन्दर कि बात है। छाप जरुर दियो। क्यो कि आज वुमन डे है हमे आज हमारी तक्कदीर वुमनस के हाथो मे देकर आजके दिन को ऐप्रिसिट करना है क्यो कि जवाब पत्नी ने सुझाया था सो बता दिया। ताऊ आज वुमन डे है क्यो न कोई तरिका इजाद कर पहेली का विजेता महिला को बना दिया जाये।
ReplyDeleteजयजिनेन्द्र
राम राम
जय वुमन डे
जय ताऊकी
जय रामपियारीकी
ताऊ हम तो कल आफ़िस के चक्करों भाग लेना ही भूल गये थे. आज याद आई तो इधर देखा. ये तो अब भी एक पहेली ही है. समय सीमा तो समाप्त है खैर कोई बात नही पर सब टिपणियों का सार निकालने के बाद ये गुलमर्ग होने की संभावना ज्यादा है.
ReplyDeleteहैलो आंटियों और अंकलों नमस्ते. आज महिला दिवस है उसकी भी नमस्ते.
ReplyDeleteबीनू फ़िरंगी भैया अपने कंप्युटर पर अभी आकर बैठ गये हैं और रिजल्ट बनाना शुरु कर दिया है. जैसे ही तैयार हो जायेगा वो ताऊ को मंजूरी के लिये दे देंगे.
और तिवारी अंकल आपने मुझसे पूछा है तो सही मे मुझको मेरे सवाल का जवाब पता नही रहता तो इतने बडे सवाल का मुझे क्या पता? और मुझे लिखना पढना तो आता ही नही.
पर आप चाकलेट तो भिजवा ही दो. मैं आपका दिल तोडना नही चाहती वर्ना लोग कहेंगे कि देखो रामप्यारी के भी नखरे बढ गये एक जरा सा बोनस सवाल पूछने मे ही..
चाकलेट तो आप कभी भी बिना मुझसे पूछे भी भेज सकते हॊ. ठीक है ना अतिवारी अंकल?
अल्पनाजी नें जो प्रयोग किया है वही सही है. अन्यथा पहेली का कोई मतलब नहीं रह जायेगा.यही जारी रखें ये अनुरोध.
ReplyDelete