संपादक की बात :-
प्रिय भाईयो, बहणों, भतीजो और भतीजियों, आप सबनै सोमवार सबेरे की घणी रामराम. और ताऊ साप्ताहिक के अंक १० मे आपका घणा स्वागत.
बडे हर्ष की बात है कि आप सबके सहयोग की बदौलत हमने ताऊ शनीचरी पहेली के १० अंक का प्रथम राऊंड सफ़लता पुर्वक पूरा कर लिया है. अब अगले अंक से हम राऊंड- २ शुरु करेंगे.
और यह भी अत्यंत हर्ष की बात है कि श्री शुभम आर्य ने यह १०वां अंक जीतकर इस प्रथम राऊंड मे तीन बार प्रथम विजेता होने का गौरव प्राप्त किया है. बधाई.
अगले यानि राऊंड दो से नम्बर और मेरिट की काऊंटिंग नये सिरे से से शुरु होगी. परंतु ध्यान रखिये कि पुराने विजेताओं की ५ बार विजेता बनने की शर्त मे प्रथम राऊंड की जीत भी काऊंट होगी. जैसे कि श्री शुभम आर्य प्रथम राऊंड मे दो तीन बार जीत चुके हैं और आगे जब भी ये दो बार और जीत जायेंगे तब ५ बार के विजेता का विशिष्ट अवार्ड उन्हे दिया जायेगा.
और किसी भी राऊंड मे अगर अधिकतम अंक के लिये फ़ैसला टाई हुआ तो जिस राऊंड के ज्यादा अंक होंगे वही काऊंट होंगे. अत: भाग लेना जारी रखिये और एक मेगा फ़ायनल की तरफ़ बढते रहिये.
प्रथम भाग : पर्यटन खंड
पहेली - १० मे हमने आपसे दो सवाल पूछे थे :-
१. जो चित्र दिया गया था वो लाल बाग पैलेस इंदौर के अंदर का था.
२. रामप्यारी के सवाल का सही जवाब है १२ -१२ =२४ और गुणनफ़ल १४४ ही अधिकतम होगा.
इंदोर और उससे जुडी काफ़ी सारी जानकारी हमारी सलाहकार संपादक सु. अल्पना वर्मा जी अपने कालम "मेरा पन्ना" मे दे रही हैं. इसके अलावा बहुत सी जानकारी हमारे प्रिय इंदोरी मित्र श्री दिलिप कवठेकर जी दे रहे हैं जो कि इस महल से भावनात्मक रुप से भी जुडे हुये हैं.
इंदोर से आप उज्जैन और औंकारेश्वर द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शनार्थ जा सकते हैं. यहां से ही आप मांडव और बाघ गुफ़ायें देखने भी जा सकते हैं.
इंदौर मालवा के पठार पर बसा हुआ है. आसपास के जंगल काफ़ी काटे जा चुके हैं फ़िर भी यहां का मौसम काफ़ी खुशगवार है. बरसात में कजली गढ, तिंछा फ़ाल, पातालपानी और चोरल के जलप्रपात और जंगल के दृश्य काफ़ी सुहावने होते हैं.
इंदौर की प्रगति के पीछे इसका भौगोलिक महत्व काफ़ी जिम्मेदार है. आगरा और मुम्बई के बिल्कुल बीचों बीच स्थित होना इसके लिये वरदान साबित हुआ है. दोनो जगह ६०० किलोमीटर की दुरी पर स्थित हैं.
अध्ययन के लिये सारे देश से छात्र छात्रायें यहां आते हैं. IIM यहां पहले से था और अगले सत्र से IIT की शुरुआत भी हो रही है.
यहां आपको हर तरह के होटल मिलेंगे. रेल रोड और हवाई यातायात से पूरे देश से जुडा हुआ है. यहां से दिन भर मे २४ फ़्लाईट्स पूरे देश मे मुख्य शहरों को जोडती हैं.
अभी इसी सप्ताह से इंदोर एयरपोर्ट को ईंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने का काम शुरु हुआ है. इस वजह से कुछ फ़्लाईटस जैसे बंगलोर, जयपुर इत्यादि स्थगित हुई है. कृपया यहां घूमने का प्रोग्राम बनाते समय यह बात ध्यान मे रखें.
यहां आकर आप रात को दो - तीन बजे जब भूख लगे तो सराफ़ा अवश्य जाइये. वहां उस समय भी आपको खाने पीने की हर मिठाई, नमकीन, साऊथ ईंडियन डिश मिलेंगी जो कि शाम को बंद हो चुकी सोने चांदी की दुकानों के ओटलों पर लगती हैं. हर इंदोर आने वाला व्यक्ति यहां के इस अनुभव को नही भूलता. आप भी आयें तब याद रखें.
आईये अब "मेरा पन्ना" की और बढते हैं.
"मेरा पन्ना" -अल्पना वर्मा नमस्कार, आज फ़िर से हम एक पहेली के माध्यम से एक शहर इंदौर और उससे जुडे कुछ ऐतिहासिक तथ्यों की यात्रा की तरफ़ चलते हैं. आशा है कि हमारा यह प्रयास आपको अच्छा लग रहा होगा. आपकी राय हमें इस दिशा मे और बेहतर करने का संबल प्रदान करेगी. आशा करती हूं कि आप अपनी अमूल्य राय देकर हमारा मार्ग दर्शन करेंगे. ये पहेली पूछी गई थी इंदौर यानि कि होल्कर राजवंश के लालबाग पैलेस के बारे में.
भारत देश के मध्य में बसा है राज्य 'मध्य प्रदेश.' अभी चंद साल पहले ही इसी राज्य के विभाजन से एक नये राज्य "छत्तीसगढ" का गठन हुआ है. आर्थिक दृष्टि से इंदौर 'मध्य प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी है।
इन्दौर शहर का संस्थापक जमीन्दार परिवार है जो आज भी बङा रावला जूनी इन्दौर मे निवास करता है। सन् १७१५ में बसा यह शहर मराठा वंश के होल्कर राज में मुख्य धारा में आया। रानी अहिल्या बाई होल्कर के राज्य में इस शहर की योजना बनी और निर्माण हुआ। रानी अहिल्या बाई जो कि बहादुर होल्कर रानी थीं। इस शहर का नाम 18 वीं शती के इन्द्रेश्वर मन्दिर के नाम से पडा।
यह शहर सरस्वती और खान नदी के किनारे बसा है। आज ये गंदे नाले मे तब्दील हो चुकी हैं. पर पुराने समय के चित्र बताते हैं कि ये शहर के बीचों बीच बहती नदिया कितना मनमोहक नजारा पेश करती होंगी?
मध्यकालीन होल्कर राज्य से संबध्द होने की वजह से इस शहर में कई मध्यकालीन ऐतिहासिक इमारतें हैं।
यहाँदेखने योग्य स्थान र्हैं लालबाग पैलेस, बडा गणपति, कांच मन्दिर, सेन्ट्रल म्यूजियम, गीता भवन, राजवाडा, छतरियां, कस्तूरबा ग्राम आदि।
महारानी अहिल्याबाई होलकर के बारे में :-
शहर के मध्य मे स्थित राजबाडे के सामने माता अहिल्या बाई होल्कर की मुर्ति स्थापित है. और ये एक ऐसा नाम है जिसे आज भी प्रत्येक इंदोर वासी बडी श्रद्धा से स्मरण करता है.
महारानी अहिल्याबाई इतिहास-प्रसिद्ध सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव की पत्नी थीं। जन्म इनका सन् 1725 में हुआ था और देहांत 13 अगस्त 1795 को.
अहिल्याबाई किसी बड़े भारी राज्य की रानी नहीं थीं। उनका कार्यक्षेत्र अपेक्षाकृत सीमित था। फिर भी उन्होंने जो कुछ किया, उससे आश्चर्य होता है। अपने जीवन काल में पति, पुत्र, पुत्री और दामाद सभी को अकाल मृत्यु का ग्रास बनते देखा.अहिल्याबाई ने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भारत-भर के प्रसिद्ध तीर्थों और स्थानों में मंदिर बनवाए, घाट बँधवाए, कुओं और बावड़ियों का निर्माण करवाया, मार्ग बनवाए-सुधरवाए, भूखों के लिए सदाब्रत (अन्नक्षेत्र ) खोले, प्यासों के लिए प्याऊ बिठलाईं, मंदिरों में विद्वानों की नियुक्ति शास्त्रों के मनन-चिंतन और प्रवचन हेतु की।
कोई भी तीर्थस्थान भारत मे ऐसा नही है जहां माता अहिल्या बाई ने जिर्णोद्धार ना करवाया हो और ट्रस्ट बनवा कर ऐसी व्यवस्था करवाई कि आज भी वहां पर धर्मशाला वगैरह की व्यवस्थाएं आदि सुचारू रुप से चल रही हैं
सेतू बंध रामेश्वरम मे भगवान शिव का सूबह का प्रथम अभिषेक आज भी मां अहिल्या बाई की तरफ़ से होता है. उसके बाद ही दुसरों का नम्बर आता है.
अब ना राज रहे और ना राजा ही रहे पर मां अहिल्या बाई को इंदौर वासी आज भी अपनि मा के रुप मे ही याद करते हैं. इंदौर एयरपोर्ट और इंदौर युनीवर्सीटी का नाम करण माता अहिल्या बाई के नाम पर किया गया है.
और, मां अहिल्या बाई भी आत्म-प्रतिष्ठा के झूठे मोह का त्याग करके सदा न्याय करने का प्रयत्न करती रहीं-मरते दम तक ।
ये उसी परंपरा में थीं जिसमें उनके समकालीन पूना के न्यायाधीश रामशास्त्री थे और उनके पीछे झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई हुई। अपने जीवनकाल में ही इन्हें जनता 'देवी' समझने और कहने लगी थी .क्योंकि ऐसे काल में जब न्याय में न शक्ति रही थी, न विश्वास। उन विकट परिस्थितियों में अहिल्याबाई ने जो कुछ किया-वह कल्पनातीत और चिरस्मरणीय है। इंदौर में प्रति वर्ष भाद्रपद कृष्णा चतुर्दशी के दिन अहिल्योत्सव बडी धूमधाम से मनाया जाता है.
अब जानिए कुछ ऐतिहासिक तथ्य-
१-'धनगर ' समुदाय के इतिहास महाभारत से भी पहले से चला आ रहा है.भगवान कृष्ण को पालने वाले बाबा नन्द इसी धनगर वंश के थे.
२-'धनगर' समुदाय के प्रमुख राजवंशों में एक था 'होलकर राजवंश'. मराठा शासन के अंतर्गत मल्हारराव होलकर [जनम १६९४-मृ..१७६६ ]ने १७२० में मालवा क्षेत्र में अपना राज्य स्थापित किया.उनके बाद उनकी पुत्रवधू राजमाता अहिल्या देवी होलकर ने १७६७-१७९५ तक यहाँ राज्य किया.
३-उनके बाद तुकोजी राव ने केवल दो साल ही यहाँ राज्य किया.जिनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र यशवंत राव होलकर ने १७९७ से १८११ तक शासन किया. अंग्रेज और मराठों के बीच द्वितीय युद्ध में कई जीत मिलने के बाद [वह एकमात्र एक ऐसे राजा थे] जिनसे शान्ति -संधि में ब्रिटिश सरकार ने कोई शर्त नहीं रखी और युद्ध में हड़पी उनकी सारी जागीर भी लौटा दी थी.
५-होलकर राजवंश की वर्तमान उत्तराधिकारी 'उषा देवी महारानी साहिबा होलकर [१९६१-से वर्तमान ] महाराज यशवंत राव होल्कर की पुत्री हैं, आप मुम्बई मे निवास करती हैं और इस राजवंश के ट्रस्ट खाशगी ट्रस्ट का प्रबंधन भी करती हैं.इंदौर में रहती हैं.
इन्हीं महाराज यशवंत राव होल्कर की युरोपियन पत्नि से एक पुत्र प्रिंस रिचर्ड ( शिवाजी राव होल्कर) हैं वो महेश्वर (जिला - निमाड, म.प्र.) मे रहते हैं.
इसी वंश की राजकुमारी सबरीना होलकर अमेरिका में अपने यहूदी- भारतीय पति के साथ रहती हैं.
इंदौर शहर के बारे में रोचक तथ्य-:
1- १९७१ में वेस्टईंडीज क्रिकेट टीम के खिलाफ़ जीत की खुशी मे एक करीब ३० फ़ीट ऊंचे क्रिकेट बैट की स्मारक स्वरुप, टापू के बगीचे ( वर्तमान चिडिया घर ) में स्थापना की गई थी. जिस पर उस विजयी टीम के सभी क्रिकेटरों के नाम और हस्ताक्षर अंकित हैं. . 2-विश्व की सब से बड़ी [४० फीट ऊँची] गणेश जी की मूर्ति यहीं है.इनका चोला बदलने में १५ दिन लगते हैं और साल में ४ बार ही बदला जाता है. ४--इस शहर से सम्बंधित कुछ महान विभूतियों में इस सदी की महान गायिका लता मंगेशकर ,अभिनेता सलमान खान ,जोनी वाकर,विजेंद्र घाटगे ,vocalist [गायक ]आमिर खान,किशोर कुमार हफीज contractor .क्रिकेट खिलाड़ी राहुल द्रविड़ का जन्म स्थान इंदौर शहर है.
अभिनेता विजेयेंद्र घाटगे महाराज तुकोजी राव होल्कर के नाती हैं. तुकोजी राव होल्कर की एक युरोपियन पत्नि शर्मिष्ठा देवी से चार पुत्रियां हैं उनमे से एक के वो सुपुत्र हैं.
और एक राज की बात आपको बताऊं. जैसा कि आप जानते ही होंगे कि ताऊ रामपुरिया उच्च कोटि के फ़िलेटेलिस्ट ( डाक टिकट संग्राहक) भी हैं. और इनके पास अन्य देशी रियासतों के अलावा होल्कर स्टेट के डाक टिकटों का भी दुर्लभ संग्रह है.
खबरों में-
विभाग ने टेपेस्ट्री और परदे का कपड़ा हूबहू वैसा लगाने के लिए लगभग ३९ लाख रुपए का बजट तय किया है। लालबाग में लगे परदे ओर टेपेस्ट्री का हूबहू वैसा कपड़ा तैयार करने के लिए अटीरा अहमदाबाद टेक्सटाइल इंडस्ट्री रिसर्च एसोसिएशन से से दो बार टेस्टिंग हुई थी। पहले चरण में बैंक्वेट हॉल और क्राउन हॉल में काम होगा. इसके बाद महल के अन्य भाग दरबार हॉल और अन्य स्थानों पर लगे फर्नीचर का काम होगा। दिलीप कवठेकर जी के अनुसार लकड़ी के फ्लोर को हाल ही में मरम्मत कराया गया है.
अब जानिए लाल बाग़ महल के बारे में-
-लाल बाग़ महल इंदौर की भव्य और शानदार इमारतों मे से एक है.
-खान नदी के किनारे पर २८ एकड़ में बने राजघराने का लालबाग पैलेस बाहर से साधारण दिखने वाला है,मगर भीतर से इस की महंगी सजावट पर्यटकों को एक अलग ही दुनिया का आभास देती है. -इसका निर्माण सन् १८८६ में महाराजा तुकोजी राव होलकर द्वितीय के राज में प्रारंभ हुआ और महाराजा तुकोजी राव होलकर तृतीय के शासन काल में संपन्न हुआ। जो निर्माण तीन चरणों मे पूरा हुआ |
-पैलेस परिसर का लोहे का बना भव्य द्वार लंदन के बकिंघम पैलेस के लोहे के दरवाजों की दुगने आकार की कापी है,इंग्लॅण्ड में इन्हें तैयार कर के पानी के रास्ते भारत लाया गया था.
-[इसी गेट की तस्वीर पहेली -१० का पहला क्लू थी जिसे देख कर समीर जी की उड़न तश्तरी जा पहुँची 'लन्दन -बंक्घिगम पैलेस']
-इस महल के दरवाजों पर राजघराने की मुहर लगी है जिस का अर्थ है 'जो प्रयास करता है वही सफल होता है.'
-बालरूम का लकडी का फ्लोर स्प्रिंग्स पर बना है जो बाउंस करता है. -महल की रसोई से नदी का किनारा दिखता है.रसोई से एक रास्ता भूमिगत सुरंग में खुलता है.
-महल के कमरों की बनावट और सजावट देखते ही बनती है. कमरे की दीवार पर और छत पर सुंदर कला कृतियाँ दिखाई देती हैं.इटालियन संगमरमर ,परसियन कालीन.महंगे और खूबसूरत झाड़ फानूस, बेल्जियम के कांच का प्रयोग आदि यहाँ की सुन्दरता में चार चाँद लगा देता है. -सब से सुंदर सिंहासन कक्ष कहा जाता है.
-पहले कई वर्षों तक यहाँ बैठकें ,ख़ास कायक्रम आदि होते रहे हैं. -१९७८ तक यह राजनिवास रहा. तुकाजीराव [ तृतीय ] इस के अन्तिम निवासी थे.
-अब यह मध्य प्रदेश सरकार की निगरानी में है और इस के कुछ हिस्सों को संग्राहालय बना दिया गया है. -यहाँ का गुलाब बाग़ भारत का सब से बड़ा गुलाब बाग़ है.
-ये महल आज भी होलकर शासकों की शानो शौकत और शाही जीवन शैली का जीता जाता नमूना है.अपने अनूठे निर्माण कला की वजह से ये भारत का एक अद्भुत और कलात्मक निवास स्थान माना जाता है.
कैसे पहुंचे- -शहर से १० किलो मीटर पर हवाई अड्डा है. -सभी मुख्य बडे शहरों से घरेलू हवाई सेवाएँ उपलब्द्ध हैं. -बस और रेल सेवाओं द्वारा भी यहाँ तक पहुँच सकते हैं. -पर्यटकों के लिए यह स्थान सोमवार बंद रहता है. -प्रवेश शुल्क निर्धारित है. -खुलने का समय सुबह १० से शाम ६ बजे[यह जानकारी पुनः निश्चित कर लें] अगले सप्ताह एक और नई जगह की यात्रा पर आपको ले चलेंगे. तब तक के लिये अलविदा.
( सलाहकार संपादक, पर्यटन ) |
द्वितिय भाग - पहेली विजेता खंड :-
शुभम आर्य said... Lalbagh Palace and the throne, indor तालियां..... तालियां..... तालियां..... जोरदार तालियां....
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2. वरुण जायसवाल said... ताऊ ये तो लाल बाग का महल है | इंदौर , मध्य प्रदेश अंक १००
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३. seema gupta said... Lalbagh Palace and the throne room ...in indore अंक ९९ |
४. आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) said... प्रणाम ताऊ..यह इंदौर का लालबाग पैलेस है। अंक ९८ |
५. रंजना [रंजू भाटिया] said... यह इंदौर का लालबाग पैलेस है...बाकी पूरी जानकारी अल्पना जी के सोजन्य से :) अंक ९७ |
६. नितिन व्यास said... ताऊजी, ये तो मेरे इंदौर का लालबाग पैलेस लग रिया हेगा! अंक ९६ |
७. makrand said... यह लाल बाग पैलेस इंदोर के अंदर का दृष्य है. अंक ९५ |
८. Pt.डी.के.शर्मा"वत्स" said... ताऊ यो लालबाग पैलेस के सिंहासन कक्ष की तस्वीर है. इब पुराना जवाब कैंसिल कर दियो अर नया नोट कर लियो. |
९. अल्पना वर्मा said... drawing room in lal bagh palace ,indore |
१०. Smart Indian - स्मार्ट इंडियन said... ताऊ, थमने तो म्हारी इंदौर यात्रा की याद दिला दी. यो चित्र तो लालबाग महल का ही हैगा. अंक ९२ |
११. दिलीप कवठेकर said... इन्दौर का लालबाग पेलेस. यहां हमारा बचपन गुज़रा है, और अभी अभी यहां का वूडन फ़्लोर ठीक किया है हमने. मगर ये चित्र पुराना है. इसके बारे में और लिखूंगा कल. अंक ९१ |
१२. प्रकाश गोविन्द said... Answer : इंदौर राजघराने का लालबाग पैलेस अंक ९० |
१३. राज भाटिय़ा said... अरे ताऊ एक बार चेक कर लो, कही यह लाल बाग तो नही, इंदोर वाला.(lal bagh palace ,indore) अब पता नही. चेक कर लो अंक ८९ |
१४. नरेश सिह राठौङ said... ताऊ इस शनीवार की तो पी---- हो गयी । अब तो सही जवाब देण की जरूरत ही कोनि लाग री सबकी नकल करके बताऊ कि यो इन्दोर आलो जवाब और 12+12=24 12x12=144 ही सही है । अंक ८८ |
१५. varsha said... ताऊ आपकी पहेली का हल तो नही पता, पर हार जीत से ज्यादा जरूरी है भाग लेना (भागना नही, भाग लेना!) सो जवाब भी पहेली की तरह सीधा है, ये लाल बाग़ या राम बाग़ या जयपुर, उदैपुर , इंदौर में से किसी एक जगह का कोई महल है। |
१६. रंजन said... ताऊ, चुनाव का मौसम है.... बहुमत वाली सरकार बननी है.. और मलाई तो सरकार में शामिल लोगों को मिलती है.. मैं उनसे अलग रहने कि हिमाकत कैसे कर सकता हूँ.. सब इंदोर का लालबाग पैलेस कह रह है तो मेरा भी जबाब ले ही लो..:) अंक ८६ |
१७. PD said... are taau.. agar abhi tak javaab khula hua hai to mera chori kiya hua javaab rakh lo.. :D |
दुसरे बोनस सवाल का सही जवाब देने वालों के खाते में बीस बीस अंक क्रमश अतिरिक्त रुप से जमा कर दिये गये हैं. कृपया अपना जवाब सही उत्तर से मिलाकर खाता चेक कर लेंवे, बोनस सवाल का सही उत्तर देने वाले इस प्रकार हैं :-
श्री शुभम आर्य, श्री वरुण जयसवाल, श्री उडनतश्तरी, श्री दिनेशराय द्विवेदी,
सु. सीमा गुप्ता, श्री आशीष खंडेलवाल, श्री रंजन, श्री नितिन व्यास, श्री मकरंद,
श्री प, डी. के. शर्मा "वत्स", पी.डी., सु.अल्पना वर्मा, श्री स्मार्ट ईंडियन,
श्री मुसाफ़िर जाट, श्री प्रकाश गोविंद, श्री नरेश सिंह राथौड.
बधाई आप सबको बोनस सवाल का सही जवाब देकर अतिरिक्त रुप से बीस नम्बर हासिल करने के लिये.
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इसके अलावा श्री रतन सिंह शेखावत, सु.पारुल, , सु. हरकीरत हकीर, श्री योगिन्द्र मौदगिल, श्री अरविंद मिश्रा, श्री अनिल पुसदकर जी, सु. पूजा उपाध्याय, श्री प्रदीप मनोरिया, सु. महक, श्री सुशील कुमार छोंक्कर, श्री जितेंद्र, श्री पी.एन.सुब्रमनियन, डा. रुपचन्द्र शाश्त्री "मयंक", श्री दीपक तिवारी साहब, श्री गौतम राजरिशि, श्री cmpershad, श्री शाश्त्री जी, श्री दिगम्बर नासवा, सु विधु, सु mired mirage, श्री संजय बैंगाणी , श्री ज्ञानदत्तजी पांडे, श्री नीरज गोस्वामी, श्री अभिषेक ओझा, सु कविता वाचक्नवी जी, और श्री हे प्रभु येह तेरा पथ, ने भी हमारा उत्साह वर्धन किया. आपके हम हृदय से आभारी हैं.
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तृतिय भाग - पाठकों द्वारा दी गई विविध जानकारी
नितिन व्यास said... कुछ और जानकारी - खान नदी के किनारे पर बना इंदौर के राजघराने का लालबाग पैलेस अपनी भव्यता के लिये जाना जाता है, इसका निर्माण सन् १८८६ में महाराजा तुकोजी राव होलकर द्वितीय के राज में प्रारंभ हुआ और महाराजा तुकोजी राव होलकर तृतीय के शासन काल में संपन्न हुआ। बाहर से बडा सामान्य सा दिखने वाले इस महल की आंतरिक साज-सज्जा देखने लायक है। २८ एकड़ क्षेत्रफल में फैले हुए लालबाग पैलेस परिसर का लोहे का बना भव्य द्वार लंदन के बकिंघम पैलेस के लोहे के दरवाजों की दुगने आकार की कापी है, इन्हे इंग्लैंड में ढलवाया गया था, इन पर होलकर राजघराने का राज चिन्ह अंकित है। |
Pt.डी.के.शर्मा"वत्स" said... अर ताऊ यो रही थारे लाल बाग की डिटेल.पर है अंगेजी मैह.बाकी, अल्पना जी इसके सारे पोथी पत्तरे खोल ई देंगी. Lal Baug Palace Lal Baug Palace is one of the grandest monuments of the Holkar dynasty. A reflection of their taste, grandeur and life style. Its construction began in 1886 under Tukoji Rao Holkar II and was carried outin three phases, the final phase completed in 1921 under Tukoji Rao III. Many a royal receptions were held here. It has a total area of 28 hectares one of the best gardens of the and at one time contained country.Though its resembles an Italian villa, the rather simple exterior magnificent interior takes one past glorious days. Lavishly into a dreamland of decorated in the style of its Italian marble columns, French Versailles Palaces, grand chandeliers, rich nymphs on the ceiling, Belgium Persian carpets, flying stained glass windows, reliefs, Italian style wall paintings, Greek mythological stuffed leopards and The ball-room has a wooden floor tigers are breathtaking. on springs, to give that ‘extra bounce’.
The Kitchen was built on the opposite bank of the river and connected to the palace by a well lighted underground tunnel.The imposing gates to the palace are unique in Asia. A replica of the gates of Buckingham Palace (London), about twice their size, they were moulded in cast iron and shipped from England. They carry the Holkar state emblem which meant ‘He who tries will succeed |
makrand said... यहीं लाल बाग पैलेस मे आन फ़िल्म की शूटींग हुई थी। यह जो लोहे का गॆट है इसी मे से उस फ़िल्म मे फ़ोंजे कूच करती हुई दिखाई गई हैं। |
seema gupta said... लाल बाग़ महल इंदौर की भव्य और शानदार इमारतों मे से एक है. लाल बाग़ महल के नाम से विख्यात तीन मंजिला इमारत खान नदी के तट पर स्तिथ है . इस का निर्माण महाराजा शिवाजी राओ होलकर दवारा 1886-1921 मे किया गया था जो तीन stages मे पुरा हुआ . सुंदर बगीचों के मध्य 28 acres मे बना ये महल कला की द्रष्टि से 'न्यू पैलेस" के जैसा है. ये महल आज भी होलकर साशको की शानो शौकत और शाही जीवन शेली का जीता जाता नमूना है . अपने अनूठे निर्माण कला की वजह से ये भारत का एक अद्युत और कलात्मक निवास स्थान माना जाता है. निचले तले का "एंट्रेंस हॉल" का फ़र्श संगमरमर से बना पूर्व ऐतिहासिक शिल्पकृति को प्रदर्शित करता है. पहले तल पर मुस्लिम सदी के बहुत पुराने सिक्को का संग्रह है .यहाँ समकालीन भारत और इटालियन पेंटिंग्स चित्र और प्रितिमाओ का सुंदर प्रदर्शन देखने को मिलता है. Versailles Palace, Italian marble columns, grand chandeliers, rich Persian carpets, flying nymphs on the ceiling, Belgium stained glass windows, Greek mythological reliefs, Italian style wall paintings, stuffed leopards and tigers जैसे महंगी सजावट पर्यटकों को एक अलग ही दुनिया का आभास देते हैं. |
अब नीचे के बाक्स मे हमारे इंदौरी मित्र श्री दिलिप कवठेकर जी की रिपोर्ट पढिये :- |
दिलीप कवठेकर said... पहले तो बोनस के सवाल का जवाब- १२ + १२=२४, १२ * १२ = १४४. जब मालवा प्रांत पर बाजीराव प्रथम का अधिपत्य हुआ सन १९४३ में तब यहां के सुबेदार बनें मल्हार राव होलकर, जिनके वंशज तुकोजी राव होलकर नें इस महल की नींव डाली और बाद में शिवाजी राव नें इसे शुरु करवाया, और तुकोजी राव तृतीय नें १९२१ मे पूर्ण करवाया . ये महल तीन चरणों में बन कर तैय्यार हुआ, और यहां बेल्जियम के कट ग्लासवर्क, रोमन पौराणिक मूर्तियां,और युरोपीयन शैली की कटलरी रखी गयी.
उन दिनॊ में इटली से मार्बल के पिलर और पत्थर मंगाये गये.यहां के शेंडेलीयर्स भी बडी भव्य और शानोशौकत से भरपूर थे.यहां उन दिनों महाराजाओं द्वारा शिकार किये गये शेरों की भूस भरी हुई खालें भी रखी गयी थी.
स्वयं महाराजा के शयन कक्ष में चांदी का बडा पलंग हुआ करता था, और चंदन की लकडीयों द्वारा बनाया गया निजी मंदिर भी था. बहुत ही दिन हो गये मुझे वहां गये हुए , कई चीज़ें गायब हैं और अब तक और हो गयी होंगी. यहां एक बालरूम डांस फ़्लोर भी बनाया गया जिसके लिये भी शीशम की लकडी से बनाया गयी पट्टीयां लगाई गयी, जो अभी अभी खराब हुई थी.आंतरिक साजसज्जा के लिये इसमें कई आर्किटेक्ट्स और इंजीनीयरों की सेवायें ली गयीं, जिसमें मुझे भी बुलाया गया था, और ये काम करने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ. इसी जगह के पास महाराजा की ट्रेझरी भी हुआ करती थी (निजी). वैसे यहां पर एक सुरंग और थी जो कहते हैं शहर के बीचों बीच बने राजवाडे से जुडती है. मैंने वह जगह देखी थी बचपन में जिसे दिवार से चुन दिया गया था. दरअसल में मुझे इस महल में बचपन में बहुत बार जाने का अवसर मिला था जब मैं मेरे दादाजी के साथ जाता था उन दिनों जब महाराज तुकोजी राव होल्कर. उनके पद से हटने के बाद महाराज यशवंतराव होलकर हुए जिनने उन्हे वहीं रहने दिया और स्वयं के लिये अलग महल बनवाया - माणिक बाग.
मेरा सौभाग्य रहा कि मैं इन दोनों महाराजाओं से मिला, व्यक्तिगत रूप से (बहुत छोटा था)
मेरे ताऊ जी अंतिम राजोपाध्याय थे.पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई भी इसी राजघराने से थी, जिसनें इस महल की एक और विशेषता है, इसका मुख्य द्वार, जिसे लंदन के बर्किंघम पेलेस की तर्ज़ पर बनाया गया, जिसका चित्र ताऊ जी नें यहां लगाया है . इसके लिये वहीं से बनाकर स्टील मंगाया गया था. इसमें होलकरों का एम्ब्लेम लगाया गया था जिसपर बोधवाक्य था - जिसे हमारे पूर्वजों नें गढा था-
इसी जगह आन फ़िल्म की शूटिंग हुई थी जिसमें दिलीप कुमार पर गाना फ़िल्माया गया था- दिल में छुपा का प्यार का..... बहु बेगम फ़िल्म की भी शूटिंग यहां हुई है.
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चतुर्थ भाग : मौज मस्ती
नीचे कुछ मनोरंजक टिपणियां और खूंटा प्रेमियों की विशेष टिपणियां दे रहे हैं.
योगेन्द्र मौदगिल said... मनै तो यू डाक्टर डैंग का कमरा लाग्गै सै बाकि रही खूंटे की तो न्यू बतादे ताऊ भाटिया जी भाज कै अरमनी गये अक् रोहत्तक......
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seema gupta said... रामप्यारी आज तो तुमहरा नाम लाकर काम शुरू किया था....आज तो तुम बहुत lucky हुई मेरे लिए.....ताऊ जी को कहना अपने हिंट आपने धोरे ही रख ले ...ये रहा लिंक बाकि अभी आती हूँ दुबारा हा हा हा हा |
chalo policewala aaya to machli ne chain ki saans li hogi,bach gaye tauji aur bhatiya sirji se:):),bahut khub,paheli ka jwab hint ke baad shayad aa jaye,kisi palace ka dwar lagta hai,ab rampyari ke sawal ka jawab nahi de sakte,ganit vaise hi kamjor hai |
सुशील कुमार छौक्कर said... हमें तो अब ताऊ जी जैसे आदमी की जरुरत है। जो हमारी सहायता कर सके इन पहेलियों जवाब देने के लिए। |
seema gupta said...
"सुबह सुबह रामप्यारी की ऊँगली पकड़ कर ये पहेली वाले चित्र की खोज में निकल गये तो ये खूंटा यहीं धरा का धरा रह गया........अब तक दुबारा दिए जवाब ताऊ जी ने publish नही किए means बल्ले बल्ले......अब रामप्यारी भी आराम करे और हम जरा खूंटे को पढ़ कर तरो ताजा हो जायें.....हा हा हा हा अच्छा छकाया पुलिस वाले को वैसे आपके भागने का मतलब आदरणीय राज जी को पकडवाना था या बचाना था हा हा हा हा सोचने वाली बात है...." |
Anil Pusadkar said... ताऊजी आजकल लोगो का ज्ञान कितना कम हो गया नही मैं इतनी देर बाद आ रहा हूं,सोचा कोई ढंग का उत्तर आ गया होगा तो अपन भी लपक कर उसके पीछे हो लेंगे मगर पता नही लोग ढंग से स्टडी क्यों नही करते आता हूं थोडी देर बाद फ़िर से चेक करने। |
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक said... भवन कौन सा और कहाँ है, |
दीपक "तिवारी साहब" said... रामाप्यारी के सवाल का जवाब तो ६० गुणा ४० होगा। क्यों रामप्यारी? |
गौतम राजरिशी said... और हम जैसो का क्या होगा ताऊ जो घुटनों में अपना दिमाग पालते हैं... |
cmpershad said... वाह ताऊ! झकमारी के गुर कोई आप से सीखे:) रामराम
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Shastri said...
"ये नीचे देखिये और पहचानिये ये कौन सी जगह है ?" सस्नेह -- शास्त्री
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Harkirat Haqeer said... ताऊ सीमा जी ने मेल कर जबाव बता दिया है मुझे ...हा...हा...हा...! उनका कहना है हम सारी महिलाएँ मिलकर पुरुषों को पछाड़ देगीं और नारी शक्ति का झण्डा गाड़ कर रहेंगी ...! थैक्स
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आपकी पहेलियां तो हमारे वश की नहीं हैं, कारण कि हम जंगल भटक लेते हैं, दर्शनीय स्थल नहीं। मछली पकड़ने वाला किस्सा बहुत बढ़िया रहा।
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संजय बेंगाणी said... छोड़ो जी सबको यह भारत के राष्ट्रपति का आसन है. है नहीं तो हो जाएगा, एक बार बता दें कहाँ रखा है, उठा लाते है :) |
ज्ञानदत्त । GD Pandey said... पहेली सहेली एक ओर। खूंटे पर चढ़ने का मजा ज्यादा है।
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नीरज गोस्वामी said... जितना भगवान् ने दिमाग दिया था सब लगा दिया...फ़िर भी बेरा ना पात्ता ...इब के करां ??? |
मुसाफिर जाट said... ताऊ शनीच्चर की सांज के टैम की रामराम
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अभिषेक ओझा said... राष्ट्रपति भवन के अन्दर कोई कक्ष ?
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राज भाटिय़ा said... अरे ताऊ यह तो रोहतक का जाट स्कुल है, ११०% पक्का. राम राम जी की
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कविता वाचक्नवी said... हम तो हर बार आते हैं,ध्यान से चित्र देखते हैं, पहेलियाँ पढ़ते हैं,फिर टिप्पणियाँ। फिर आते हैं, उत्तर पढ़ते हैं, फिर इन्टरव्यू का बक्सा। बस पहली का हिस्सा बनने से बड़ा सुख, पढ़ने का, उठाकर चल देते हैं. जमाए रहिए खूब !
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HEY PRABHU YEH TERA PATH said...
@Harkirat Haqeer said...ताऊ सीमा जी ने मेल कर जबाव बता दिया है मुझे ...हा...हा...हा...! उनका कहना है हम सारी महिलाएँ मिलकर पुरुषों को पछाड़ देगीं और नारी शक्ति का झण्डा गाड़ कर रहेंगी ...! थैक्स
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HEY PRABHU YEH TERA PATH said...
सभी के चेहरे देखकर हसी आती है ईतने लोग (८५ के करीब) सभी फैल ? शायद सुबह तक तो मुझे भी ताऊ मेल बोक्स से निकाल इस टोकरी मे डालदेगे, बोले तो मै भी फैल.
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HEY PRABHU YEH TERA PATH said...
@ताऊ बोला - अरे बावली बूच, मेरे पास तो लायसेंस था पर भाटिया जी के पास तो लायसेंस नहीं था ना. ताऊ जी पुरी बात मे हसते हसते पेट दर्द हो रहा है। मजा आगया। आपने भाटियाजी कि अच्छे से मेहमान नवाजी कर भारत कि ॥अथिति देवो भव॥ वाली परम्परा कि पालना कि।
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और अब आईये ताऊ साप्ताहिक पत्रिका की विशेष संपादक (प्रबंधन) एवम प्रबंधन गुरु सुश्री सीमा गुप्ता के स्तम्भ "मेरी कलम से" की तरफ़.
"मेरी कलम से"
नमस्कार,
युं तो जीवन मे दुसरों की सलाह अवश्य माननी चाहिये. पर किस हद तक? दुनियां में सलाह बिल्कुल मुफ़्त मिलती है. पर मुफ़्त की चीजे अच्छी नही होती और खासकर मुफ़्त की सलाह तो बहुत ही सोच समझ कर माननी चाहिये.
कहीं ऐसा नही हो कि मुफ़्त की सलाह मानकर हम अपना नुक्सान करवा बैठे? आईये यह कहानी सुनते हैं.
एक बार एक लड़का गधे पर बैठ कर जा रहा था और उसके साथ एक बुढ्ढा आदमी पैदल चल रहा था. रास्ते मे कुछ लोग मिले और ये कह कर चलते बने की " कितनी शर्म की बात है की बिचारा बुढ्ढा आदमी पैदल चल रहा है और जवान लडका गधे की सवारी कर रहा है" क्या जमाना आगया?
उन दोनो ने सोचा हो सकता है लोगो का तर्क सही हो सो उन्होंने आपनी जगह बदल ली. अब बुढ्ढा व्यक्ति गधे पर बैठ गया और लडका पैदल चलने लगा.
आगे जा कर फ़िर कुछ लोग मिले जो ये कहने लगे "बुजुर्ग को जरा भी शर्म नही देखो तो बेचारा छोटा सा लडका पैदल चल रहा है और ख़ुद आराम से गधे पर सवारी कर रहा है" क्या जमाना आ गया भई". तब शायद लोगों को कुछ कहने का मौका नही मिलेगा.
थोडी दूर आगे चले ही थे कि रास्ते मे फ़िर कुछ राहगीर मिले जो उन्हें देख कर जोर जोर से हंसने लगे और बोले "हा हा हा हा कितने बेवकूफ और मुर्ख हैं...गधे के होते हुए भी दोनों ही पैदल चल रहे हैं"?
अब तो हद होगई लोगो की. बस ये सुनते ही दोनों उचक कर गधे पर बैठ गये और सवारी का मजा लेते हुये आगे बढने लगे.
पर अभी इनकी आफ़त कहां खत्म हुई थी?
अभी थोडी ही दूर चले थे कि फ़िर एक आवाज सुनाई दी--" हद है बेशर्मी की भी. बेचारे असहाय जानवर पर दो दो मुस्टंडे लदे हुये हैं? "
अब दोनों ने सोचा की शायद ये लोग सही कह रहे हैं. हम दोनों को गधे को उठा कर चलना चाहिए. ये भी बेचारा थक गया होगा.
और दोनों गधे को अपने कंधो पर उठा कर चलने लगे. आगे चल कर जैसे ही नदी का पुल पार करने लगे अपना संतुलन खो बैठे और बेचारा गधा नदी मे गिर गया और डूब गया.
प्रबन्धन सीख:-
यहां बुद्धिमता यह होती कि जब लडका चलते २ थक जाता तो वो बैठता, बुढ्ढा थक जाता तब वो बैठ लेता और गधे को आराम देने के लिये कुछ देर विश्राम कर लिया जाता या तीनों कुछ दूर पैदल चल लेते. तो सफ़र बडा सुखद रहता और गधा भी उनके पास रहता.
अगले सप्ताह फ़िर मिलते हैं तब तक के लिये अलविदा.
विशेष संपादक (प्रबंधन) |
छपते छपते :-
संख्या 12 और 12 जिनका योग = 24 गुणनफल = 144 है | --------------------------------------------------------------------------------------------------- लाल बाग का महल --------------------------------------------------------------------------------------------------- ताऊ उवाच :- मास्साब आपका जवाब अंतिम समय मे शामिल कर लिया गया है. आप विजेता क्रमांक १८ हैं . मुख्य पहेली के ८४ अंक आपको दिये जाते हैं और रामप्यारी के बोनस सवाल के अंक २०. कुल अंक आपके अकाऊंट में १०४ जमा कर दिये गये हैं.
चलते चलते :-
ताऊ और ताई की शादी को ३५ साल हो रहे हैं. पूरे समाज और शहर मे उन जैसा आदर्श जोडा नही मिलता. कभी वो लडते झगडते नही हैं. सब उनका उदाहरण देते हैं.
शादी की वर्षगांठ वाले दिन अखबार वालों ने भी आदर्श पति पत्नि की प्रतियोगिता में प्रथम आने के बाद ताऊ का ईंटर्व्यु लिया.
पत्रकारों ने पूछा कि आखिर ऐसी क्या बात है जो आप पति पत्नि होकर भी लडते झगडते नही हो? हमारे पाठकों को भी बताईये जिससे वो भी फ़ायदा ऊठा सकें.
ताऊ ने बोलना शुरु किया. बात यह है कि हमारी शादी हुई. हम घूमने काश्मीर गये थे. वहां घूडसवारी कर रहे थे. ताई को घोडे ने गिरा दिया. ताई वापस खडी हो गई. और घोडे से बोली - यह पहली बार है.
फ़िर दुबारा घोडे ने गिरा दिया. तो बोली - ये दुसरी बार हो गया. और फ़िर से घुडसवारी करने लगी.
जब तीसरी बार घोडे ने ताई को नीचे गिरा दिया तो वो कुछ नही बोली.
पत्रकारों ने पूछा - तीसरी बार गिराने पर कुछ क्यों नहीं बोली?
ताऊ बोला - भाईयो, बस तीसरी बार में उसने अपने पर्स मे से रिवाल्वर निकाला और उस घोडे की खोपडी मे सारी गोलियां उतार दीं.
भाइयों फ़िर मैं गुस्से से ताई पर चिल्लाया. क्या तुम पागल हो गई हो? एक बेजुबान जानवर को मार डाला? मेनका गांधी की फ़ौज से कौन निपटेगा? और सबसे बडी बात इस घोडे के मालिक को भुगतान कितना करना पडेगा? बेवकूफ़..औरत..तुम्हे कुछ मालूम भी है?
ताई ने अपना रिवाल्वर शांति से पर्स में रखते हुये जवाब दिया - ये पहली बार है.
बस तब से जिंदगी बडी शांति पुर्वक कट रही है.
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अरे वाह ताऊ, यही जबाब तो मैने भी दिया है. बस, थोड़ी देर हो गई. सच में, बिना चिटिंग.
ReplyDelete-विजेताओं को बधाई. अंक दो में ताकत लगायेंगे. :)
शानदार!
ReplyDelete"सभी विजेताओं को बहुत बहुत बधाई.....@ अल्पना जी और दिलीप जी ने तो जैसे सारे इंदौर और लाल बाग की सैर ही करा दी....बेहद रोचक और सराहनीय जानकारी......" महा शिवरात्रि की शुभकामनाये..
ReplyDeleteRegards
बढ़िया ! हम एक और बार फेल हो गए :-)
ReplyDeleteखूँटे से पढ़ लिया अब!!
ReplyDeleteताऊ, हमारा नाम विजेताओं में नहीं है, क्यूँ?
-यह पहली बार है.
"बस तब से जिंदगी बडी शांति पुर्वक कट रही है."
ReplyDeleteताऊ, आप इस तरह के 'रहस्य' पब्लिक में बता देते है इस कारण हम मर जायेंगे. इसी कारण मैं ने अपनी धर्मपत्नी को चिट्ठाजगत से कोसों दूर रखा है. ताई की पढ कर कहीं रिवाल्वर निकाल लिया तो मेरे बालबच्चों का क्या होगा!!
सस्नेह -- शास्त्री
सीमा जी ने बहुत काम की बात बताई..
ReplyDeleteWaah waah Tayi ji itta accha idia dene ke liye shukriya ji... pr mai pistol kahan se laun...? Ghni apna udhara de de to mai bhi 'pehli bar'
ReplyDeleteaur dusri bar kr lun...!!
बहुत बहुत बधाई जीतने वालों को ...१२-१२ वाला उत्तर तो मैंने भी दिया था लगता है रस्ते में कहीं अटक गया :) दिलीप जी और अल्पना जी ने बहुत बढ़िया जानकारी दे दी है ..सीमा जी का आभार इतनी काम की बात बताने के लिए ...शिवरात्रि की बधाई
ReplyDeleteसभी विजेता/अविजेता/प्रतिभागियों को बधाई..
ReplyDeleteअल्पना जी ओर दिलीप जी ने तो घर बैठे ही सारे इन्दौर की सैर करा दी.बहुत बढिया पूर्णत: विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की.
बाकी सीमा जी ओर ताई के किस्से नै तो जमीं खूंटा ई बांध दिया.
एक बार फेर सब नै बधाई........
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ReplyDeleteआपका नया स्तम्भ "चलते चलते तो खूंटे की कमी पूरी कर रहा है. ये क्या ताई का कालम है? :)
ReplyDeleteबहुत गजब का रहा " ये पहली बार है.:)
ताऊ हमको ऐतराज है. आप अपनी पोलपट्टी खोलो पर हमारी खाल क्युं कुटवाते हो?
ReplyDeleteमुझे पक्का यकीन है कि आपका ब्लाग पढ कर हमारी पंडताईन भी हमको एक ..दो और तीसरे मे गोली मार देगी.
शाह्स्त्री जी पहले ही दुखी और परेशान लगने लगे हैं.:)
सु हरकीरत जी के इरादे भी अच्छे नही लगते.
हमारी पुरुषों की मांग है कि आज का "चलते चलते" कालम वापस लिया जाये.:)
ताऊ हमको ऐतराज है. आप अपनी पोलपट्टी खोलो पर हमारी खाल क्युं कुटवाते हो?
ReplyDeleteमुझे पक्का यकीन है कि आपका ब्लाग पढ कर हमारी पंडताईन भी हमको एक ..दो और तीसरे मे गोली मार देगी.
शाह्स्त्री जी पहले ही दुखी और परेशान लगने लगे हैं.:)
सु हरकीरत जी के इरादे भी अच्छे नही लगते.
हमारी पुरुषों की मांग है कि आज का "चलते चलते" कालम वापस लिया जाये.:)
और रामप्यारी के क्या हालचाल हैं? अगले बार भी पूछेगी क्या सवाल वो?
ReplyDeleteहर बार की तरह यह साप्ताहिक पत्रिका भी बहुत रोचक और ज्ञानवर्धक है.सभी विजेताओं को बधाई.
ReplyDeleteताऊ जी को अपना डाक टिकट संग्रह गोटू सुनार से बचा कर रखना चाहिये और सेम से भी कहीं बीनू फिरंगी पर धौंस जमाने के चक्कर में उसे दिखा दे और बिनु फिरंगी इतना अनमिल संग्रह ले कर गायब हो जाए!
इंदौर के बारे में जानकारियों में वर्धन के लिए मैं ताऊ जी का भी आभार प्रकट करती हूँ.
दिलीप जी द्वारा दी गई जानकारी को मिला कर यह तय है कि पूरे इन्टरनेट पर इंदौर के इस महल के बारे में आप को इतनी जानकारी एक जगह और कहीं नहीं मिलेगी.यह मेरा दावा कल की गई इस विषय पर मेरी खोज पर आधारित है.
सीमा जी आप ने भी बहुत अच्छी बातें बतायीं.शुक्रिया.
parson का खूंटा भी मजेदार था और आज का भी खूब बढ़िया है.
पहले दौर के सफल आयोजन हेतु ताऊ जी को और प्रतिभागियों को बहुत बहुत बधाई.
बेहद सुन्दर जानकारी आपकी पहेलियों के माध्यम से मिल रही है. सु.अल्पना वर्मा जी ने बहुत ही उपयोगी जानकारी दी है. बधाई उनको.
ReplyDeleteसु सीमाजी की शिक्षा भी गांठ बाम्धने लायक है.
कुल मिलाकर पोस्ट बडी लगती है पर ये इतने उपयोग की है कि आने वाले समय मे इसे लोग ढूंढेंगे.
आपने बहुत ही गजब की टींम इक्कठ्ठी करली है. आप लोगों का यह प्रयास अवश्य ही एक दिन रंग लायेगा.
बहुत शुभकामनाएं और धन्यवाद
पूरा पढ़ते पढ़ते शाम हो आई -सभी को साधुवाद !
ReplyDeleteअहल्याबाई होल्कर ने काशी के बाबा विश्वनाथ मन्दिर का भी जीर्णोद्धार कराया था !
सीमा जी की प्रबन्धन सीख बड़े काम की है !
ताऊ जी हमारी एक राय है कि शनीचरी पहेली के प्रकाशन का समय पुर्वनिर्धारित नही होना चाहिये.
ReplyDeleteहां सिर्फ़ यह नि्धारित होना चाहिये कि शनीवार को सुबह से शाम के बीच कभी भी प्रकाशित हो सकती है.
कारण है कि शनीवार ज्यादातर लोगों की छुट्टी होती है और मैं तो सोकर ही १० बजे ऊठता हूं.
ऐसे मे मैं तो जिंदगी मे कभी जीत ही नही सकता.
आप चाहे जो भी सवाल पूछ लें उसकी सारी जानकारी तो गूगल और विकि पर मिल ही जाती है. अत: आप इसको फ़िक्स समय के बजाये अलग २ समय पर शनीवार को प्रकाशित करें जिससे सभी को बराबरी का मौका मिल सके.
उम्मीद करता हूं कि हमारी सलाह पर ध्यान दिया जायेगा.
धन्यवाद.
ताऊ जी हमारी एक राय है कि शनीचरी पहेली के प्रकाशन का समय पुर्वनिर्धारित नही होना चाहिये.
ReplyDeleteहां सिर्फ़ यह नि्धारित होना चाहिये कि शनीवार को सुबह से शाम के बीच कभी भी प्रकाशित हो सकती है.
कारण है कि शनीवार ज्यादातर लोगों की छुट्टी होती है और मैं तो सोकर ही १० बजे ऊठता हूं.
ऐसे मे मैं तो जिंदगी मे कभी जीत ही नही सकता.
आप चाहे जो भी सवाल पूछ लें उसकी सारी जानकारी तो गूगल और विकि पर मिल ही जाती है. अत: आप इसको फ़िक्स समय के बजाये अलग २ समय पर शनीवार को प्रकाशित करें जिससे सभी को बराबरी का मौका मिल सके.
उम्मीद करता हूं कि हमारी सलाह पर ध्यान दिया जायेगा.
धन्यवाद.
@रंजना [रंजू भाटिया]
ReplyDeleteआपकी शिकायत जांच आयोग ने सही पाई है और आपके बोनस के नम्बर आपके अकाऊंट मे जमा कर दिये गये हैं.
कष्ट के लिये क्षमा याचना सहित
ताऊ रामपुरिया
ताऊ हमको फ़ेल कर दिया और मेरिट लिस्ट से भी बाहर कर दिया. कोई बात नही अब अगले राऊंड मे सबसे पहले नम्बर पर मैं ही रहुंगा.
ReplyDeleteसु.अल्पना जी ने इंदौर की बढिया जानकारी दी और सु.सीमा जी ने भी अच्छी ज्ञान की बात बताई. बहुत धन्यवाद आपका.
और अबकी बार तो आपकी रामप्यारी ने भी हमको फ़ेल कर दिया.:)
ReplyDeleteकोई बात नही रामप्यारी, अगली बार तुमने कूदने वाला सवाल पूछा तो तुमको १०० फ़िट् नही कुदवाया तो हमारा नाम तिवारी साहब नही.:)
विजताओं को बहुत बहुत बधाई, काश मेरा भी दिमाग इतना चलता तो मैं भी आज ताऊ के ब्लॉग पर छपने वाली पोस्ट में सबसे ऊपर होता. खैर अगली बार देखता हूँ.
ReplyDeleteअल्पना जी का भी बहुत बहुत शुक्रिया जो इंदौर के बारे में इतनी अधिक जानकारी, इतने कम समय में निकाल कर सबके सामने प्रस्तुत कर दी. ऐसा लगता है जैसे इंदौर की एक एक गली को पहचान गया. संस्कृति से भरपूर शहर ताऊ का भी घर है, तो इंदौर वासियों को बहुत बहुत बधाई.
सभी विजेतओ को बधाई
ReplyDeleteविजेताओं को हमारी तरफ से घणी बधाई। और सीमा जी के दिए सबक पर अमल करने की कोशिश करेगे।
ReplyDeleteये वाला राउंड तो अच्छा गुज़रा :)
ReplyDeleteचलो भाई अब अगले राउंड के लिए तैयार हुआ जाए |;)
मैंने तो अभी से तैयार हूँ |
अगले राउंड का बेशब्री से इंतज़ार है |:)
और जहाँ तक पहेली के प्रकाशन का समय पुर्वनिर्धारित नही होने की मांग है, मै इससे सहमत नही हूँ क्योंकि इस कारण हम सभी को पूरे शनिवार को कंप्यूटर के सामने इंतज़ार करना पड़ जायेगा | :$
"अत: आप इसको फ़िक्स समय के बजाये अलग २ समय पर शनीवार को प्रकाशित करें जिससे सभी को बराबरी का मौका मिल सके|"
तो मुझे लगता है की बराबरी का मौका फ़िक्स समय से मिलता है, न की अलग अलग समय पर प्रकाशित करने से क्योंकि की सभी के सामने पहेली एक नियत समय पर आती है तो सभी इसे एक साथ देखते है | :$
मेरी तरफ़ से बाकि विजेताओं को बधाई :)
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteचलिये इस बार महू आया तो अवश्य देखने जाऊँगा.....
ReplyDelete"शनीचरी पहेली के प्रकाशन का समय पुर्वनिर्धारित नही होना चाहिये. "
ReplyDeleteइस बारे में मेरा यही कहना है की इसमे खाली हिंदुस्थान के ब्लागर्स ही भाग नही लेते बल्कि
सारी दुनियां के लोग आते हैं जैसे अल्पना जी, स्मार्ट इंडियन जी, समीर लाल जी आदि , और सबका समय भी अलग २ जोन मे है | तो हो सकता है की जो समय हमारे लिए सही हो वह दूसरों के लिए भी ठीक ना हो |:(
इस वजह से लोगो में पहेली के प्रति उत्सुकता जाती रहेगी |
जो एक बुरी बात साबित होगी :$
अंत में मैं बस यही कहना चाहूँगा की यदि प्रकशन का समय किसी दूसरे नियमित समय पर करना है तो इस बारे में सर्वसम्मति से फ़ैसला लेना ज्यादा उचित होगा |
क्योंकि अनियमित समय में बहुत से ब्लोग्गेर्स के पास इतना खाली समय बिल्कुल नही होगा की पूरे शनिवार पहेली का इंतज़ार करते रहे |:(
सभी विजेताओं को मेरी भी बधाई जी.
ReplyDeleteविजेताओं को बधाई.
ReplyDeleteशायद हमारे बोनस अंक गणित की पहेली के नहीं जुडे है.
विजेताओं को बधाई.
ReplyDeleteशायद हमारे बोनस अंक गणित की पहेली के नहीं जुडे है.
@ दिलिप कवठेकर जी,
ReplyDeleteआपके ९१ नम्बर मुख्य पहेली के हैं और २० नम्बर बोनस पहेली के हैं. ब्लाग पर सिर्फ़ मुख्य पहेली के ही नम्बर दिखाये गये हैं. पर आपके अकाऊंट मे कुल १११ नम्बर जमा हुये हैं.
आपको दो तीन दिन मे अपडेटेड लिस्ट की पोस्ट मे सभी प्रतियोगियों के प्रथम राऊंड तक के सारे नम्बर दिख जायेंगे.
धन्यवाद.
जय महाकाल
Deleteसभी विजेताओ को बधाई। सीमाजी ने पते कि बात कही उनका भी अभिवादन।
ReplyDeleteशास्त्रीजी, किसी भी तरह बस अब ताई कि बन्दुक मिल जाये तो समझो ताऊ कि शनीचरी पहेली का इनाम अपुन कि जेब मे।
विजेताओं को बधाई. ताऊ को धन्यवाद.
ReplyDeleteसीमा जी का प्रबंधन प्रष्ट अच्छी सीख दे गया.
आपकी पहेली के बहाने से लाल बाग़ महल के बारे में दिलीप कवठेकर जी द्वारा काफी मौलिक और रोचक जानकारी मिली, उनका भी आभार.
भगवान परशुराम की जन्मस्थली जानापाँव महुँ
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