दुल्हे मियां
सामने भविश्य तेरा
मुंह बाये खडा है
और तू घोडी पे
चड़ने को बेताब बडा है
आज हो रहा तू राजी
कल बाप ही कहेगा पाजी
अरे पागल सोच
ये प्रणय वेदी नही
तेरी बलि वेदी है
मंडप मे हवन नही
छुपा हुआ बडावानल है
मंत्रोच्चार नही
बोलता सिंहनाद है
पंडित नही मदारी है
अरे अक्ल के अंधे
ये भांवर नही
गहरा एक भंवर है
अर्धांगिनी नही
ये नागफनी है
गठबंधन नही
यम का फ़ंदा है
अरे बावले
चंद्रग्रहण और सुर्य ग्रहण खराब
वैसे ही पाणिग्रहण करेगा बर्बाद
समय पर जरा जाग
धागे कच्चे हैं तोड डाल
पक गये धागे तो सारी उम्र
रस्साकशीं मे रहेगा बेहाल....
(इस रचना के दुरूस्तीकरण के लिये सुश्री सीमा गुप्ता का हार्दिक आभार!)
"...समय पर जरा जाग
ReplyDeleteधागे कच्चे हैं तोड डाल..."
बालकों को आत्महत्या से बचाने का बड़ा सराहनीय बीडा उठाया है आपने. बधाई! ज्योतिषी ने १/१२ से सावधान रहने को कहा है! [?]
बड़ी देर से बताया. :)
ReplyDeleteबहुत खूब। बढिया कवित्त ।
ReplyDeleteये किसी शिक्षा दे रहे ताऊ (फुसफुसाकर ) ...कोई संस्कृतिवादी सुन लेगा तो बखिया उधेड़ देगा ! कविता लिखी तो अच्छी है पर ......?
ReplyDeleteलेकिन दूल्हा माना नहीं न!
ReplyDeleteसमय पर जरा जाग धागे कच्चे हैं तोड डाल
ReplyDelete"दूल्हा तो किम्मे भागता दिखे है मन्ने तो..." हा हा हा हा
Regards
बहुत सही है..
ReplyDeleteमुझे तो कार्टून बहुत बढ़िया लगा....
ReplyDeleteकाजल जी को पहले भी एक बार मैं ने सुझाव दिया था कि ताऊ नामा पर
एक ठो कार्टून बना देवें..चलिए..आज बना तो दिया!
[@काजल जी ,बिल्ली 'रामप्यारी ' भी कहीं नजीक में बना दी होती.उस की राजी खुसी पता पड़ जाती.]
बहुत सुंदर...
ReplyDeleteचंद्रग्रहण और सुर्य ग्रहण खराब
ReplyDeleteवैसे ही पाणिग्रहण करेगा बर्बाद
समय पर जरा जाग
धागे कच्चे हैं तोड डाल
पक गये धागे तो सारी उम्र
रस्साकशीं मे रहेगा बेहाल....
अरे वाह ....क्या अंदाज है
taau cartoon is very fantastic!!!
ReplyDeleteवाह ताऊ...वाह
ReplyDeleteआज हो रहा तू राजी
कल बाप ही कहेगा पाजी
waah samaj sudhar karya bhi karne lage tauji,bahut hi achhi kavita badhai
ReplyDeleteसवाल वही की शादी वो लड्डू जो खाए वो पछताए जो न खाए वो भी पछताए ।
ReplyDeleteतो बेहतर है की इस लड्डू को खाकर ही पछताए । :)
bahut khub taaoo......
ReplyDeleteसीमा जी .आज कुछ ख़ास मूड में है...केक हमें कोम्पुटर से ही मिल जाता तो...
ReplyDeleteआप अब बता रहें है हम समय पर ही जाग गए थे।अब तो बहुत आगे निकल आए।वैसे आभार।:)
ReplyDeleteआज हो रहा तू राजी
ReplyDeleteकल बाप ही कहेगा पाजी
kya khub...
ताऊ अर सीमा जी थम दोनो इब तैयार रहियो. मैं जाऊं सूं कचैहरी. काल तक थारे दोनूयां धोरै कोर्ट का नोटिस पोहंच जेगा. मानहानि का दावा करूंगा कि ये दोनूं मिल कै पंडतां नै मदारी बतावण लाग रे.
ReplyDeleteकमाल है जी, लोग तै बाह्मणां के पैर पूजैं अर थम उनकी इज्जत खराब करण लाग रे हो.
भाई घोर कलयुग आ गया.
कम तै कम जे पंडतां की नी ते मदारियां की तो इज्जत का ख्याल करया होन्दा.
मुझे पता था ताऊ आप के दिल मे मेरे लिये बहुत जगह है,और मै भी आपका पक्का भतीजा हूं,आपके आदेश का सालों पहले से पालन करता आ रहा हूं।
ReplyDeleteजो इस वेदी पर चढ़े सो पछताये, जो न चढ़े सो पछताये। च्वाइस इज योर्स!
ReplyDeleteशादी का लडडू, जो खाए ...
ReplyDeleteसीमा जी को गुडगांवका पानी और रामपुर का इंदौरी जादू हास्य कवयित्री बना कर छोड़ेगा....
ReplyDeleteपढ़कर बहुत अच्छा लगा...और ताज्जुब हुआ कि आज के तथाकथित सभ्य समाज में ऐसा भी होता है..
ReplyDeleteवाह जी वाह पर देर कर दी।
ReplyDeleteचंद्रग्रहण और सुर्य ग्रहण खराब
ReplyDeleteवैसे ही पाणिग्रहण करेगा बर्बाद
समय पर जरा जाग
धागे कच्चे हैं तोड डाल
पक गये धागे तो सारी उम्र
रस्साकशीं मे रहेगा बेहाल....
waah waah kya paribhasa hai...! Tau ji ram ram...!!
ढेर सारी रस्साकशी के बाद सब कुछ ,
ReplyDeleteकुछ कुछ समझ मेँ आता है
फिर भी तो भारतीय पति
धागोँ को आखिर तक निभाता है
और अगर पहले कोइ कुछ समझाये
तो समझ मेँ कुछ नहीँ आता है
और जैसा अनूप जी ने कहा
दुल्हा समझ के भी मान नहीँ पाता है
अरे ताऊ जब तेने व्याह किया किसी ने रोका ? अब दुसरो ने क्यु रोके शे, मजे लेन दे... या अपनी जग बीती बतान लाग रिहा शे .
ReplyDeleteराम राम जी की
बहुत सुंदर कविता. मजा आ गया. आभार.
ReplyDeleteअरे ये तो दूल्हे को, खूब डरानेवाली कविता लिख दी आपने तो ..
ReplyDelete- लावण्या
बहुत जोरदार कविता.
ReplyDeleteसुन्दर कविता.
ReplyDeleteअच्छी हास्य कविता
ReplyDeleteदुल्हों के लिये सुंदर सीख.:)
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