सैम बहादुर और बीनू फ़िरंगी दोनो बैठे हैं. बीनू फ़िरंगी कुछ नोट्स बना रहा है और सैम किसी विचार मे खोया अखबार देख रहा है. ्सैम अचानक बोल पडता है - ओये फ़िरंगी..देख बे..देख अपने ताऊ ने जो कहा था वो ही हो गया.
बीनू फ़िरंगी - अरे यार सैम भाई मुझे कल की चुनाव सभा मे आपके लिये भाषण लिखना है. आप मुझे लिखने दो. फ़िर आपको प्रेक्टिस भी करवानी है. पर बोलो अब क्या कह रहे हो?
सैम - अरे देख यार. ताऊ कितने दिन पहले से कह रहा था कि ये क्रेडिट कार्डस का भांडा भी फ़ुटेगा एक दिन. देख यहां क्या लिखा है? इसी साल मे क्रेडिट कार्ड्स का रिपेमेंट करने वाले डिफ़ाल्टर दुगुने हुये. और देशी विदेशी तमाम बैंक खुलासे को तैयार नही.
बीनू फ़िरंगी - हां यार ताऊ ने कही तो थी. पर ताऊ तो कहता है कि वो बिना दिमाग के काम करता है? तो बिना दिमाग ये कैसे समझ लिया था इतने दिन पहले?
सैम - अरे यार तू और मैं ताऊ को क्या समझेंगे? ताऊ जितना बाहर दिखता है उससे डबळ अंदर है. अब तुझे क्या क्या बताऊं?
बीनू फ़िरंगी - यार सैम भाई आपकी ये ही आदत तो हमको ठीक नही लगती. आपके साथ हमने आज तक कोई गद्दारी करी क्या? जो आप ऐसी बातें करते हैं? हमें भी बताओ ना. अच्छा चलो आपकी टिकट वाली बात ही बता दो.
सैम - अबे कौन सी टिकट वाली?
बीनू फ़िरंगी - अरे यार सैम भाई ज्यादा मत बनो. हमको मालूम है कि आपका टिकट तो हाईकमान वाले किद्या कुक्ला जी ने काट दिया था और तुम्हारी जगह कुजागर सिंह जी को टिकट दे दिया गया था. फ़िर अचानक ऐसा क्या हुआ कि तुमको टिकट दे दिया गया?
सैम - अरे यार ये सब ताऊ के दिमाग का कमाल है. अगर ताऊ दिमाग नही लगाता तो मुझे इस चुनाव मे टीकट मिलना बडा मुश्किल था. वाकई ताऊ का दिमाग लाख टके का है.
बीनू फ़िरंगी - पर यार ताऊ के दिमाग की कीमत अभी पिछले सप्ताह ही १५ लाख बताई थी और अब तू एक लाख बता रहा है? क्या ताऊ के दिमाग की कीमत मे भी मंदी आगई क्या?
सैम - अबे ओ फ़िरंगी के बच्चे. जबान संभालकर बात करियो, ताऊ के खिलाफ़ मैं कुछ नही सुन सकता. समझ गया ना?
अब बीनू फ़िरंगी समझ गया कि ये सैम चाहे जब तो ताऊ की बुराई करता है. चाहे जब छोडकर जाने की बात करता है और आज इतना स्वामीभक्त बना हुआ है?
बात क्या है आखिर? कोई राज जरुर है इस स्वामीभक्ति के पीछे. वर्ना सैम इतना सीधा नही है.
बीनू फ़िरंगी - अरे यार सैम भाई नाराज मत हो यार. ताऊ की मैं तो तेरे से भी घणी ज्यादा इज्जत करता हूं. पर यार तेरी वो टिकट वाली बात अधूरी रह गई कि ताऊ ने तेरी टिकट का जोगाड कैसे करवाया?
सैम - अरे यार क्या बताऊं? किद्या भैया ने तो मेरा पता साफ़ करके टिकट कुजागर सिंह जी को दे दिया.
मैं गया रोता रोता ताऊ के पास. और ताऊ की चापलूसी करते हुये मैने कहा कि ताऊ अगर मुझे टिकट नही मिला तो मैं तुम्हारे दरवाजे पर ही आत्महत्या कर लूंगा.
बीनू फ़िरंगी - फ़िर क्या हुआ?
सैम - हुआ क्या? मैने ताऊ से कहा कि कुछ खोकों का इन्तजाम कर देता हू, आप जाओ और किसी भी तरह मेरी टिकट पक्की होनी चाहिये.
इस पर ताऊ कहने लगे कि सैम तू भी साले उल्लू का पठ्ठा है. साले जानवर का जानवर ही रहेगा. इतने दिन से मेरे साथ रह कर भी कुछ नही सीखा? मेरा नाम डुबोयेगा तू.
बीनू फ़िरंगी - फ़िर क्या हुआ यार सैम?
सैम - अबे होना क्या था? मुझे तो ऐसा गुस्सा चढा कि इस ताऊ को यहीं पर काट खाऊं. जब चौदह इंजेक्शन लगेंगे तब मालूम पडेगा कि सैम को गालियां देने का क्या हश्र होता है?
बीनू फ़िरंगी - अरे नही यार सैम भाई ! फ़िर क्या तूने ताऊ को काट खाया?
सैम - अबे काटने की बात करता है? ताऊ ने जो कमाल दिखाया, उसके बाद तो मैने ताऊ के चरण पकड लिये और आजीवन गुलाम हो गया.
बीनू फ़िरंगी - अरे यार वो कैसे?
सैम - अरे यार बस पूछ मत. ताऊ ने कुजागर सिंह का टिकट कटवा कर मुझे टिकट भी दिलवा दिया और मेरे चार खोके जो चंदे मे देने थे वो भी बचा दिये.
बडे आश्चर्य से बीनू फ़िरंगी ने पूछा - यार झूंठ मत बोल. बिना चंदे के टिकट? मुश्किल काम है. यार तू मुझे बता सही बात क्या है.
सैम - जरुर बताऊंगा. पर तू विद्या माता की कसम खा कि किसी को नही बतायेगा?
बीनू फ़िरंगी - अरे यार, चल विद्यामाता की कसम खाई. अब बता.
इतनी देर मे ही पार्टी के कुछ कार्यकर्ता आ गये और ये राज की बात कल बताने का कह कर सैम कार्यकर्ताओं से चुनाव की अगली रणनिती पर विचार विमर्श करने लगा.
(अगली पोस्ट मे सैम वाकई धमाके दार खुलासा करेगा कि कैसे ताऊ ने कुजागर सिंह की टिकट कटवाई और सैम को दिलवाई. पढना मत भुलियेगा)
इब खूंटे पै पढो :- ताऊ काम धंधे से घणा परेशान तो था ही. अब किसी ने सलाह दे दी की आज कल डाक्टरी म्ह घणी कमाई सै. सिर्फ़ नब्ज पकडण की फ़ीस ५०० रपये. और जांच वगैरह की भी तगडी कमाई. सो ताऊ ने तय कर लिया कि अब वो डाक्टरी की दुकान खोलेगा. सब तैयारी कर ली, और डाक्टर बन गया. बाहर बोर्ड टंगवा दिया - डा. ताऊ अस्पताल. उदघाटन म्ह भाटिया जी भी आये. और उन्होने पूछा कि ताऊ तू कब से डाक्टर बन गया. यार तू तो मेरी साथ का पांचवीं फ़ेल सै? फ़िर यो डाक्टर किस तरियां? ताऊ बोला - अरे भाटिया जी, डाक्टर बनने में कौन सा ज्यादा खर्चा है? बस एक ये सफ़ेद कोट सिलवा लिया. ये एक स्टेथेस्कोप मेरे दोस्त डा. शुक्ला से मांग लाया, दुकान अपने पास थी ही. और ये चमचमाता नियोन साइन बोर्ड बन गया ५ हजार मे. मेरी मानो तो थम भी कहां जर्मनी वापस जाओगे? आपको भी एक अस्पताल खुलवा देता हूं, दोनो भाई यहीं पर मजे करेंगे. भाटिया जी- अरे मेरे ताऊ, तू जरुर अंदर जायेगा. अरे ये कानुनन जुर्म है. और तू कोई भी काम सीधा क्यों नहीं करता? ताऊ - तो इब के करूं? मेरा तो घणा खर्चा होगया. भाटिया जी - अरे ताऊ एक काम कर. तू आदमियों का इलाज करने के बजाये ढोर डाक्टर बण जा. यानि पशुओं का इलाज किया कर. उसमे रिस्क भी कम है. सो ताऊ ने अब भाटीया जी की बात मान कर बोर्ड पर लिखवा लिया "डा. ताऊ पशु चिकित्सालय" इब एक दिन एक सुथरी सी बीरबानी अपने कुत्ते को गोद मे ऊठाकर लाई और बोली - डाक्टर ताऊ, जरा मेरे कुत्ते को देखिये, ये कुछ बोल नही रहा है. ताऊ ने उसकि जांच करके बताया कि ये बोलेगा कैसे? ये तो मर चुका है. वो बीरबानी बोली - नही डाक्टर. अगर ये मर गया तो मैं भी नही बचूंगी. आप इसकी अच्छी तरह से पूरी जांच किजिये. मुझे ये दुनियां मे सबसे ज्यादा प्यारा है. ताऊ ने भांप लिया कि आसामी मालदार है. सो ताऊ बोला - जी मैडम जी आप जरा शांति से बैठिये, मैं जो भी बेहतर बन पडेगा वो करता हूं. अब ताऊ अंदर गया और अपनी पालतू बिल्ली रामप्यारी को लेकर आगया. वहां आकर उसने अपनी बिल्ली (रामप्यारी) को छोड दिया. रामप्यारी उछल कर टेबल पर चढ गई और कुत्ते को चारों तरफ़ से सूंघ कर देखा और वापस नीचे कूद कर दुसरे कमरे मे भाग गई. अब डाक्टर बना ताऊ बोला - देखिये मैडम जी अब पक्का है कि आपका कुता मर चुका है. अब उस बीरबानी ने भी मान लिया की उसका कुता मर चुका है और उसने ताऊ से पूछा कि आपकी फ़ीस कितनी हुई? ताऊ बोला - जी मैडम जी, सिर्फ़ ७५०० रुपये. अब उस मैडम को थोडा झटका लगा और उसने कहा कि साढे सात हजार रुपये किस बात के? आखिर आपने ऐसा किया ही क्या है? ताऊ बोला - जी मैडम जी. इसमे मेरी फ़ीस के सिर्फ़ पांच सौ रुपये हैं बाकी सात हजार तो कैट- स्केन के हैं.
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हूँ यह तो यूपी का बहन जी का मामला लागे है ! टिकट तो यहीं कट बट रहे हैं!
ReplyDeleteविद्या माता की कसम -बहुत दिन बाद किसी को ये कसम खाते देखा..मजा आ गया ताऊ.
ReplyDeleteभाटिया जी-पांचवीं फेल?? :) क्या ताऊ, अपने साथ साथ लपेट लिया खूँटे में भाटिया जी को.
कैट स्कैन काफी मंहगा पड़ा. :)
ताऊ ये केट स्कैन वाला आईडिया भी मजेदार रहा ! कल सैम के खुलासे का इंतजार रहेगा |
ReplyDeleteअपने बन्दे (?) को टिकट मिल जाए तो फ़िर मौजां ही मौजां!
ReplyDeleteकैट स्कैन तो गज़ब का रहा - आधुनिक तकनीक का जवाब नहीं.
जी मैडम जी. इसमे मेरी फ़ीस के सिर्फ़ पांच सौ रुपये हैं बाकी सात हजार तो कैट- स्केन के हैं.
ReplyDelete" हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा ताऊ जी वारे न्यारे हो गये......ये रामप्यारी जल्दी ही अपने नाम का खूंटा गाड के रहेगी.....पहली कमाई इतनी तगडी कर डाली........"
Regards
वाह ताऊ वाह..
ReplyDeleteकंपाउन्डर की जरूरत हो तो मैं तैयार हूं.. :)
sam ko bahut badhai,aur cat scan ke itte paise:):),waah,tauji lagta hai sare blog ke doctor logo ka dhanda choupat karenge :);),hum to bhuke mar jayenge:):)
ReplyDeleteविद्या माता की कसम आपने तो ताऊ स्कूल के दिनो की याद दिला दी अब कालेज की यादों से छुटते ही स्कूल की तरफ़ लौटूंगा।
ReplyDeleteवाह ताऊ...खूंटा तो मस्त है :) बिल्ली से स्कैन करवा दिया आपने...वैसे आज १३ फरवरी है, कहते हैं बिल्ली से बच के रहना चाहिए :) पर ये आधी कहानी सुनना ग़लत बात है, अब पूरा सुने बिना खाना नहीं पचेगा, जल्दी लिख डालिए :)
ReplyDeleteअभी देखना क्या क्या उजागर होता हैं।विद्या माता की कसम ये ताऊ तो पक्का ताऊ हैं। जहां जाता वही अपना तगडा खूंटा ठोक देता हैं। वैसे कुछ महीनों मे ही टिकटों की बोली लगने वाली है। किसका जितना तगडा खूंटा होगा वही ले जाएगा टिकट। और इमानदार मुंह तकता रह जाएगा।
ReplyDeleteSam babu ke khulase ka besabri se intzaa hai...
ReplyDeletekuchh dhansu type ka khulasa to hoga hi...
कैट स्कैन तो कमाल का है ! बहुत नाम सुना था इसका आज पता चला की कैसे होता है :-)
ReplyDeleteवाह ताऊ जितनी बढिया पोस्ट, खूंटा उतना ही मजेदार..........अगली पोस्ट का इन्तजार रहेगा.
ReplyDeleteजारी रखिए जी म्हारे को घणा मजा आ रिया है।...ताउ अगली बार सच्ची बतईयो कि यो वाला कैट स्कैन करने की तकनीक तो अपने उ भाटिया जी जर्मनी से लाए थे न?
ReplyDeleteऊफ्फ्फ... हँसते हँसते दुहरे हो गए हम तो........लाजवाब कैट स्केन है.....
ReplyDeleteगजब ताऊ, गजब... इस कैट-स्कैन का जवाब नहीं.... वाह...
ReplyDeleteअरे ताऊ हम तो स्कुल गये ही नही, तो पांचवी केसे फ़ेल कर दी??
ReplyDeleteआप के खुंटे ने सेम ओर फ़िंगी बेचारो की तो बाट ही लगा दी.
धन्यवाद
बहुत दिल्चस्प
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